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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential Election) के दिन नासा (NASA) की एस्ट्रॉनॉट केट रूबिन्स (Kate Rubins) अंतरिक्ष से वोट देंगी. 1997 में नासा के डेविड वूल्फ पहले एस्ट्रॉनॉट थे, जिन्होंने स्पेस से वोटिंग की थी. प्रश्न यह है कि स्पेस से वोटिंग होती कैसे है? इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) धरती से 200 मील दूर स्थित है और पृथ्वी की कक्षा में 17000 मील प्रति घंटे से चक्कर लगाता है. अब मुद्दा ये है कि जिस दिन अमेरिका में चुनाव होंगे, उस दिन कुछ अंतरिक्ष यात्री यानी एस्ट्रॉनॉट्स अंतरिक्ष में होंगे, तो वो वोट कैसे देंगे? खबरों में कहा गया है कि आईएसएस का मिशन चूंकि छह महीने से पहले खत्म होना मुश्किल है इसलिए एस्ट्रॉनॉट अंतरिक्ष से ही अपना वोट देंगे. कैसे? इसके लिए एक खास व्यवस्था हुई है. एस्ट्रॉनॉट के लिए तकनीकी वोटिंग का एक सिस्टम विकसित करने के लिए 1997 में ही टेक्सस विधायिका में एक बिल पास हो चुका था. इस बिल से अंतरिक्ष से ही वोट देने का अधिकार और सहूलियत मिलती है. साल 2016 के चुनाव में भी एस्ट्रॉनॉट एडवर्ड माइकल फिंक और ग्रेग चैमिटॉफ ने ISS के मिशन पर रहते हुए अपना वोट स्पेशल सीक्रेट मतपत्र के ज़रिये किया था. नियम कहता है कि अगर चुनाव के दिन या शुरूआती वोटिंग के समय कोई व्यक्ति यानी अमेरिकी नागरिक अंतरिक्ष में है तो वह संघीय पोस्टकार्ड आवेदन यानी (FPCA) के ज़रिये वोटिंग कर सकता है. इसके लिए नासा को सचिवालय में सूचना देना होती है और इस पद्धति का इस्तेमाल करने के लिए इजाज़त लेने के साथ ही सीक्रेट मतपत्र लेने होते हैं. (तस्वीर में केट रूबिन्स, जो इस साल स्पेस से अपना वोट दे सकती हैं. ) नासा के एक पोस्ट के आधार पर खबरें कह रही हैं कि इस तरह की वोटिंग के लिए करीब एक साल पहले से तैयारी होती है कि किस चुनाव के समय कौन सा अंतरिक्ष यात्री स्पेस में होगा और क्या वह वोटिंग करना चाहेगा. इस तैयारी के चलते चुनाव से छह महीने पहले एस्ट्रॉनॉट को एक स्टैंडर्ड फॉर्म मिल जाता है, जिसे वोटर रजिस्ट्रेशन और FPCA भी कहा जाता है. अमेरिकी चुनाव के एक दिन पहले, एस्ट्रॉनॉट को एक एन्क्रिप्टेड ई मतपत्र अपलिंक हो जाता है. ईमेल से एस्ट्रॉनॉट को जो यूनिक प्रमाण पत्र भेजे गए होते हैं, उनका इस्तेमाल करते हुए एस्ट्रॉनॉट अपना वोट देते हैं और भेजे गए अपलिंक को पृथ्वी पर उतरने के बाद वो डाउनलिंक कर इसकी सूचना काउंटी के क्लर्क दफ्तर में देते हैं. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) धरती से 200 मील दूर स्थित है और पृथ्वी की कक्षा में 17000 मील प्रति घंटे से चक्कर लगाता है. अब मुद्दा ये है कि जिस दिन अमेरिका में चुनाव होंगे, उस दिन कुछ अंतरिक्ष यात्री यानी एस्ट्रॉनॉट्स अंतरिक्ष में होंगे, तो वो वोट कैसे देंगे? खबरों में कहा गया है कि आईएसएस का मिशन चूंकि छह महीने से पहले खत्म होना मुश्किल है इसलिए एस्ट्रॉनॉट अंतरिक्ष से ही अपना वोट देंगे. कैसे? इसके लिए एक खास व्यवस्था हुई है.
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(source : IANS) (Photo Credit: (source : IANS)) लंदनः विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल जीतने के लिए अच्छी स्थिति में पहुंची ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 270/8 पर अपनी पारी घोषित की और भारत को 444 रनों का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य दिया। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे ने टेस्ट क्रिकेट एक्शन के एक और दिन में नाबाद 71 रनों की साझेदारी की और भारत को चौथे दिन स्टंप्स तक 164/3 पर ले गए, जिससे भारत को फाइनल में 280 रनों की जरूरत है। फाइनल मैच रविवार को होगा। कोहली केवल 60 गेंदों पर नाबाद 44 रन बनाकर शानदार स्थिति में थे। दूसरी ओर, रहाणे 20 पर नाबाद रहे। दोनों मैच को रोमांचक अंत की ओर ले गए, जबकि ऑस्ट्रेलिया का लक्ष्य है भारत को जल्दी आउट करना। चेतेश्वर पुजारा ने अंतिम सत्र की शुरुआत स्कॉट बोलैंड के प्वॉइंट ऑफ चार रन पर एक तेज कट बनाकर की, जबकि भीतरी किनारा लेते हुए एक और चौका लगाया। रोहित शर्मा ने बेहतरीन टच जारी रखा, मिचेल स्टार्क की गेंद को खूबसूरती से खींचकर ड्राइव करके उन्होंने भारत का अर्धशतक सिर्फ नौ ओवर में पूरा किया। पुजारा ने स्टार्क के खिलाफ बाउंड्री के लिए धीरे से क्लिपिंग और ड्राइव किया। इसके बाद कमिंस को फ्लिक करके एक और चौका लगाया। रोहित ने स्टार्क की गेंद पर कट शॉट और ग्रीन के खिलाफ पुल करके चौके लगाकर अर्धशतक पूरा किया। लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने जल्दी-जल्दी इन दोनों को आउट कर दिया। रोहित ने विकेट के चारों ओर से नाथन लियोन के खिलाफ स्वीप करने की कोशिश की, लेकिन गेंद बल्ले के नीचे से निकलकर एलबीडब्ल्यू हो गई। इस बीच, पुजारा ने कमिंस के खिलाफ अपर-कट करने की कोशिश की, लेकिन विकेटकीपर एलेक्स केरी ने सतर्कता दिखाई। कोहली ने शानदार ऑफ-ड्राइव के अलावा मिड-ऑन से बैकवर्ड स्क्वायर लेग पांच चौके लगाए। रहाणे दाहिनी तर्जनी में चोट के बावजूद खेल रहे थे। कोहली ने फिर से स्टार्क के खिलाफ चौके के लिए ऑफ-ड्राइव किया और लियोन ने एक और चौका लगाकर दिन का अंत किया। संक्षिप्त स्कोर : ऑस्ट्रेलिया 469 और 270/8 घोषित। 84. 3 ओवर में (एलेक्स केरी नाबाद 66, मिचेल स्टार्क 41, रवींद्र जडेजा 3-58, मोहम्मद शमी 2-39) भारत को 296 और 40 ओवर में 164/3 (विराट कोहली नाबाद 44, रोहित शर्मा 43, नाथन लियोन 1-32, स्कॉट बोलैंड 1-38) 280 रनों की जरूरत। डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
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रतन मेत्युपल थाफ एजूकेशन (१) ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रो का पारिवारिक वातावरण सराव है वह उन्हें मैंग्रेजी पहने अंग्रेजी बोलने और अँग्रेजी में अपने विचार व्यक्त करने के लिये कोई प्रेरणा नही देता । (२) ग्रामीण क्षेत्रो मे कार्य करने वाले अँग्रेजी के श्रव्यापक प्रसन्तुष्ट रहते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में किसी प्रकार के प्राइवेट ट्यूशन की सुविधा नहीं है। लड़के गरीब हैं प्रत ट्यूशन कर नहीं सकते । (३) ग्रामीण क्षेत्रों में कोई अँग्रेजी पढाने वाला प्रध्यापक रहना पसंद नहीं करता प्रत. वह दिल्ली शहर से प्रतिदिन ५०-६० मोल बग यात्रा तो कर सकता है किन्तु ग्रामीण क्षेत्र मे रहकर अध्यापन कार्य करना पसंद नहीं करता । (४) राजकीय विद्यालयों में अतिरिक्त कक्षायो के लिये अध्यापक वा कोई वित्तीय प्रतिफल नहीं मिलता । ऐसे ही अनेक कारण हो सकते हैं जिनकी इस समस्या के मूल मे स्थित माना जा सकता है। इन कारण मूल तत्वो का विश्लेषण करने के बाद समस्या के समाधान हेतु उत उपकल्पनाओं का निर्माण किया जा सकता है जिनका परीक्षण अनुसंधानकर्ता सरलतापूर्वक कर सकना है। समस्या के कारणों का निराकरण करने से समस्या का हल हो सकता है इसलिये क्रियात्मक उपकल्पनाभो में इस बात का उल्लेख होता है कि समस्या के कारणों को किस प्रकार दूर किया उपरोक्त समस्या के समाधान के लिये निम्नलिखित क्रियात्मक उपकल्पनाथो का निर्माग् किया जा सकता है(१) यदि ग्रामीण क्षेत्रो में स्थित विद्यालयों के कमजोर छात्रों के लिये छात्रावासो की व्यवस्था की जाय तो उनका अंग्रेजी मे स्तर ऊंचा उठ सकता है । (२) यदि ग्रामीण क्षेत्रो में स्थित विद्यालयों के अग्रेजी के अध्यापकों को उनके प्रति रिक्त परिश्रम द्वारा पच्छे परिणामों के लिये प्रेरणा देने वाले उत्साहवर्धक साधन जुटाये जायें तो अप्रेजी का स्तर ऊंचा उठ सकता है । (३) यदि अंग्रेजी के अध्यापको के लिये निःशुल्क आवास का प्रबन्ध किया जाय और रहने की उन्हें मन्य सुविधाएं प्रदान की जाये तो अँग्रेजो का स्तर ऊँचा उठ सकता है । (४) यदि राजकीय विद्यालयों में अंग्रेजी के प्रध्यापकों को अतिरिक्त परिश्रम के लिये बुद्ध मावर्षक धनराशि दी जाय अथवा अन्य प्रकार के अन्य प्रलोभन दिये जायें तो छात्रों का अंग्रेजी का स्तर ऊँचा उठ सकता है । इन त्रियात्मक उपकल्पनाओं को देखने से पता चलेगा कि उनके दो-दो भाग है - एक पर दूसरा है लक्ष्यात्मक पक्ष प्रत्येक कथन का पूवा कहता है- "यदि ऐसा किया जाय" और उत्तरार्ध बहना है "तो ऐसा होगा ।" वचन वा पूर्वार्द्ध उपकल्पना का त्रियात्मक पक्ष है भोर वथन का उत्तरार्द्ध उपकल्पना का लक्ष्यात्मक पक्ष । कियात्मक उपनामे निम्न गुण होने चाहिए : जो उपना सत्यापनशील हो, जिससे सत्यता और असत्यता को परीक्षा की जा सके, जो विद्यालय के वार्य पर विशेष प्रभाव डाल सके, और जो शब्दमे अभिव्यक्त बोजा मरे और जो उसकी क्षमताओं के अनुकूल हो, जिसका उद्देश्य अनुसंधानकर्ता को पूरी तरह ज्ञात हो जिन्य त्रिया से नदी के बराबर हस्तक्षेप हो, और पूर्व स्थापित सिद्धान्तो द्वारा समर्पित हो वही क्रियात्मक उपरल्पना मच्छी मानी जा सकती। ऐमी उपाधी वा निर्माण ऐसे व्यक्तियों द्वारा सम्भव है जिनमें सृजनात्मक बना पैन्ट पर गहन अनुभव हो। मनुमधान कर्ता विद्यालय की प्रगति के प्रति उस में होने वाले नये-नये मनुसंधाना में पूर्णत परिचित हो सभी यह मच्छी का निर्माण करता है ।
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विकास एआई द्वारा संचालित संक्षिप्त सारांश के लिए 'सारांश सामग्री' पर क्लिक करें। प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को दायर करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि न्याय की प्रक्रिया पुलिस स्टेशन में अपराध का पंजीकरण करने के साथ शुरू होती है। अपराध प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 154 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट को दायर करने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। भारत के उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने 2008 की रिट याचिका (अपराध) संख्या 68 (ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार तथा अन्य) में अन्य बातों के साथ-साथ, दिनांक 12.11.2013 को दिए अपने निर्णय में यह कहा था, 'संहिता की धारा 154 के अंतर्गत एफआईआर का पंजीकरण अनिवार्य है, यदि सूचना संज्ञान अपराध के घटित होने का प्रकटन करती है और ऐसी स्थिति में कोई प्रारंभिक जांच अनुमत नहीं है।' पीओए अधिनियम के अंतर्गत किए जाने वाले अपराध संज्ञान हैं। ऐसी स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) (पीओए) अधिनियम के अध्याय-II, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) (संशोधन) अधिनियम, 2015 (2016 की संख्या 1) द्वारा यथा संशोधित संगत उपबंधों के अनुसार क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) अवश्य दायर करनी चाहिए। मतदान न करने या किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करने या विधि द्वारा उपबंधित से भिन्न रीति से मतदान करने; किसी निर्वाचन में अभ्यर्थी के रूप में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के नामनिर्देशन का प्रस्ताव या समर्थन नहीं करेंगे। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी ऐसे सदस्य को जो संविधान के भाग IX के अधीन पंचायत या संविधान के भाग IXक के अधीन नगरपालिका का सदस्य या अध्यक्ष या अन्य किसी पद का धारक है, उसके समान कर्तव्यों या कृत्यों के पालन में मजबूर या अभित्रस्त करेगा। मतदान के पश्चात्, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को उपहति या घोर उपहति या हमला करेगा या सामाजिक या आर्थिक बहिष्कार अधिरोपित करेगा या अधिरोपित करने की धमकी देगा या किसी ऐसी लोक सेवा के उपलब्ध फायदों से निवारित करेगा, जो उसको प्राप्य हैं। किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करने या उसको मतदान नहीं करने या विधि द्वारा उपबंधित रीति से मतदान करने के लिए अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के विरुद्ध इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करेगा। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के विरुद्ध मिथ्या, द्वेषपूर्ण या तंग करने वाला वाद या दांडिक या अन्य विधिक कार्यावाहियां संस्थित करेगा। किसी लोक सेवक को मिथ्या या तुच्छ सूचना देगा जिससे ऐसा लोक सेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को क्षति करने या क्षुब्ध करने के लिए करेगा। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को अवमानित करने के आशय से लोक दृष्टि में आने वाले किसी स्थान पर अपमानित या अभित्रस्त करेगा। लोक दृष्टि में आने वाले किसी स्थान पर जाति के नाम से अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को गाली-गलौज करेगा। अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के सदस्य द्वारा सामान्यता धार्मिक माने जाने वाली या अति श्रद्धा से ज्ञात किसी वस्तु को नष्ट करेगा, हानि पहुंचाएगा या अपवित्र करेगा। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के विरुद्ध शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाओं की या तो लिखित या मौखिक शब्दों द्वारा या चिह्नों द्वारा दृश्य रूपण द्वारा या अन्यथा अभिवृद्धि करेगा या अभिवृद्धि करने का प्रयत्न करेगा। अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों द्वारा अति श्रद्धा से माने जाने वाले किसी दिवंगत व्यक्ति का या तो लिखित या मौखिक शब्दों द्वारा या किसी अन्य साधन से अनादर करेगा। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी स्त्री को साशय यह जानते हुए स्पर्श करेगा कि वह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित है, जबकि स्पष्ट करने का ऐसा कार्य, लैंगिक प्रकृति का है और प्राप्तिकर्त्ता की सहमति के बिना है। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी स्त्री के बारे में, यह जानते हुए कि वह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित है, लैंगिक प्रकृति के शब्दों, कार्यों या अंगविक्षेपों का उपयोग करेगा। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य द्वारा सामान्यतः उपयोग किए जाने वाले किसी स्रोत, जलाशय या किसी अन्य स्रोत के जल को दूषित या गंदा करेगा जिससे वह इस प्रयोजन के लिए कम उपयुक्त हो जाए जिसके लिए वह साधारणतः उपयोग किया जाता है। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को लोक समागम के किसी स्थान से गुजरने के किसी रूढ़िजन्य अधिकार से इंकार करेगा या ऐसे सदस्य को लोक समागम के ऐसे स्थान का उपयोग करने या उस पर पहुंच रखने से निवारित करने के लिए बाधा पहुंचाएगा जिसमें जनता या उसके किसी अन्य वर्ग के सदस्यों को उपयोग करने और पहुंच रखने का अधिकार है। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को उसका गृह, ग्राम या निवास का अन्य स्थान जोड़ने के लिए मजबूर करेगा या मजबूर करवाएगा। किसी क्षेत्र के सम्मिलित संपत्ति संसाधनों का या अन्य व्यक्तियों के साथ समान रूप से कब्रिस्तान या शमशान भूमि का उपयोग करना या किसी नदी, सरिता, झरना, कुआं, तालाब, कुण्ड, नल या अन्य जलीय स्थान या कोई स्नानघाट, कोई सार्वजनिक परिवहन, कोई सड़क या मार्ग का उपयोग करना; साइकिल या मोटर साइकिल आरोहण या सवारी करना या सार्वजनिक स्थानों में जूते या नये कपड़े पहनना या विवाह की शोभा यात्रा निकालना या विवाह की शोभा यात्रा के दौरान घोड़े या किसी अन्य यान पर आरोहण करना; जनता या समान धर्म के अन्य व्यक्तियों के लिए खुले किसी पूजा स्थल में प्रविष्ट करना या जाटरस सहित किसी धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक शोभा यात्रा में भाग लेना या उसको निकालना; किसी शैक्षणिक संस्था, अस्पताल, औषधालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, दुकान या लोक मनोरंजन या किसी अन्य लोक स्थान में प्रविष्ट होने या जनता के लिए खुले किसी स्थान में सार्वजनिक उपयोग के लिए अभिप्रेत कोई उपकरण या वस्तुएं; किसी वृत्तिक में व्यवसाय करना या किसी ऐसी उपजीविका, व्यापार, कारबार या किसी नौकरी में नियोजन करना, जिसमें जनता या उसके किसी वर्ग के अन्य लोगों को उपयोग करने या उस तक पहुंच का अधिकार है। धारा 3(1) के अंतर्गत विनिर्दिष्ट अत्याचारों के अपराधों के लिए, 6 माह से 5 वर्ष तक जुर्माना सहित दंड का प्रावधान है। धारा 3(2)(i) के अंतर्गत अपराधों के लिए मृत्युदंड देने का प्रावधान है। धारा 3(2)(ii) के अंतर्गत अपराधों के लिए कम से कम 6 माह जिसे 7 वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है, जुर्माना सहित दंड देने का प्रावधान है। धारा 3 (2)(iv) के अंतर्गत अपराधों के लिए जुर्माना सहित आजीवन सजा का दंड देने का प्रावधान है। धारा 3(2)(iv)(v) के अंतर्गत अपराधों के लिए जुर्माना सहित आजीवन सजा का दंड देने का प्रावधान है। धारा 3(2)(vक) के अंतर्गत अपराधों के लिए, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 की अनुसूची में विनिर्दिष्ट अपराधों के लिए आईपीसी के अंतर्गत यथा विहित दंड देने का प्रावधान है। क्रम सं. कोई अखाद्य या घृणाजनक पदार्थ रखना (अधिनियम की धारा 3(1)(क) क्रम संख्या (2) और (3) के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के चरण पर 10% और क्रम सं. (1), (4) और (5) के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट के चरण पर 25%। 50%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है। क्रम सं. (2) और (3) के लिए निचले न्यायालय द्वारा आरोपी को दोषसिद्ध ठहराने पर 40% और इसी प्रकार क्रम सं. (1), (4) और (5) के लिए 25%। मल-मूत्र, मल, पशु-शव या अन्य कोई घृणाजनक पदार्थ इकट्ठा करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ख) क्षति करने, अपमानित करने या शुद्ध करने के आशय से मल-मूत्र, कूड़ा, पशु-शव इकट्ठा करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ग) जूतों की माला पहनाना या नग्न या अर्ध-नग्न घुमाना(अधिनियम की धारा 3(1)(घ) कपड़े उतारना, बलपूर्वक सिर का मुण्डन करना, मूंछे हटाना, चेहरे या शरीर को पोतना जैसे कार्य बलपूर्वक करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ड.) किसी भूमि को सदोष अधिभोग में लेना या उस पर खेती करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(च) किसी भूमि या परिसरों से सदोष वेकब्जा करना या अधिकारों सहित उसके अधिकारों के उपभोग में हस्तक्षेप करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ज) बेगार करने अथवा अन्य प्रकार के बलात्श्रम या बंधुआ श्रम करने के लिए।(अधिनियम की धारा 3(1)(झ) मानव या पशु-शव का निपटान करने या उनकी अंतेष्टि ले जाने या कब्रों को खोदने के लिए विवश करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ञ) अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को हाथ से सफाई करने के लिए तैयार करना या ऐसे प्रयोजन के लिए उसे नियोजित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ट) अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की स्त्री को किसी देवदासी के रूप में निष्पादित या संवर्धित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ठ) मतदान करने, नामनिर्देशन फाइल करने से रोकना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ड) पंचायत या नगरपालिका के किसी पदधारक को उसके कर्त्तव्यों के पालन में मजबूर, अभित्रस्त या बाधित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ढ) मतदान के बाद हमला करना और सामाजिक तथा आर्थिक बहिष्कार अधिरोपित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ण) किसी विशिष्ट अपराधी के लिए मतदान करने या उसको मतदान नहीं करने के लिए इस अधिनियम के अंतर्गत कोई अपराध करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(त) मिथ्या, द्वेषपूर्ण या अन्य विधिक कार्रवाइयां संस्थित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(थ) किसी लोक सेवक को कोई मिथ्या या तुच्छ सूचना देना।(अधिनियम की धारा 3(1)(द) अवमानित करने के आशय से लोक दृष्टि में आने वाले किसी स्थान पर अपमानित या अभित्रस्त करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(ध) लोक दृष्टि में आने वाले किसी स्थान पर जाति के नाम से गाली-गलौज करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(न) धार्मिक मानी जाने वाली या अतिश्रद्धा से ज्ञात किसी वस्तु को नष्ट करना, हानि पहुंचाना अथवा अपवित्र करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(प) शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाओं की अभिवृद्धि करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(फ) अति श्रद्धा से माने जाने वाले किसी दिवंगत व्यक्ति का या तो लिखित या किसी अन्य साधन से अनादर करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(ब) अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की किसी स्त्री को साशय स्पर्श करने का ऐसा कार्य, जो लैंगिक प्रकृति का है, उसकी सहमति के बिना करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(म) भारतीय दंड संहिता की धारा 326(ख)(1860 का 45) स्वेच्छया अम्ल फैंकना या फैंकने का प्रयत्न करना। (अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक) पीड़ित व्यक्ति के चेहरे का 2% से अधिक जलने पर और आंख, कांन, नाक और मुंह के काम न करने के मामले में अथवा शरीर के 30% से अधिक जलने आठ लाख पच्चीस हजार रुपए। शरीर के 10% से 30% तक जलने पर पीड़ित व्यक्ति को चार लाख पचास हजार रुपए। चेहरे के अलावा शरीर के 10% से कम भाग के जलने पर पीड़ित व्यक्ति को 85,000/- रुपए। भारतीय दंड संहिता की धारा 354(ख)(1860 का 45) -- किसी महिला की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला अथवा आपराधिक बल का प्रयोग। (अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक) भारतीय दंड संहिता की धारा 326(क)(1860 का 45) - लैंगिक उत्पीड़न और लैंगिक उत्पीड़न के लिए दंड। (अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक) भारतीय दंड संहिता की धारा 326(ख)(1860 का 45) - निवस्त्र करने के आशय से स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना।(अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक) भारतीय दंड संहिता की धारा 354(ग)(1860 का 45) - दृश्यरतिकता। (अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक) भारतीय दंड संहिता की धारा 354(घ)(1860 का 45) - पीछा करना।(अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक) भारतीय दंड संहिता की धारा 376(ख)(1860 का 45) - पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ पृथक्करण के दौरान मैथुन। (अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक) भारतीय दंड संहिता की धारा 376(ग)(1860 का 45) - प्राधिकार में किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन।(अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक) भारतीय दंड संहिता की धारा 509(1860 का 45) - शब्द अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित हैं।(अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक) पानी को गंदा करना अथवा उसका मार्ग बदलना। (अधिनियम की धारा 3(1)(य) जब पानी को गंदा कर दिया जाता है तब उसे साफ करने सहित सामान्य सुविधा को बहाल करने की पूर्ण लागत संबंधित राज्य सरकार अथवा संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा वहन की जाएगी। इसके अतिरिक्त, स्थानीय निकाय के परामर्श से जिला प्राधिकारी द्वारा निर्धारित की जाने वाली समुदायिक परिसंपत्तियों को सृजित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के पास आठ लाख पच्चीस हजार रुपए की राशि जमा की जाएगी। किसी लोक स्थान पर जाने से अथवा लोक स्थान के मार्ग को उपयोग करने के रूढ़िजन्य अधिकार से वंचित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(र) घर, गांव, निवास स्थान को छोड़ने के लिए बाध्य करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(ल) अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को निम्नलिखित के संबंध में किसी रीति से बाधित या निवारित करना। क. किसी क्षेत्र के सम्मिलित संपत्ति संसाधनों का या अन्य व्यक्तियों के साथ समान रूप से कब्रिस्तान या शमशान भूमि का उपयोग करना या किसी नदी, सरिता, झरना, कुआं, तालाब, कुण्ड, नल या अन्य जलीय स्थान या कोई स्नानघाट, कोई सार्वजनिक परिवहन, कोई सड़क या मार्ग का उपयोग करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(लक)(क) ख. साइकिल या मोटर साइकिल आरोहण या सवारी करना या सार्वजनिक स्थानों में जूते या नये कपड़े पहनना या विवाह की शोभा यात्रा निकालना या विवाह की शोभा यात्रा के दौरान घोड़े या अन्य किसी यान पर आरोहण करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(za)(ख) ग. जनता या समान धर्म के अन्य व्यक्तियों के लिए खुले किसी पूजा स्थल में प्रविष्ट करना या जाटरस सहित किसी सामाजिक या सांस्कृतिक शोभा यात्रा में भाग लेना या उसको निकालना।(अधिनियम की धारा 3(1)(लक)(ग) घ. किसी शैक्षणिक संस्था, अस्पताल, औषधालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, दुकान या लोक मनोरंजन या किसी अन्य लोक स्थान में प्रविष्ट होने या जनता के लिए खुले किसी स्थान में सार्वजनिक उपयोग के लिए अभिप्रेत कोई उपकरण या वस्तु का उपयोग करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(लक)(घ) ड. किसी वृत्तिक में व्यवसाय करना या किसी ऐसी उप-जीविका, व्यापार, कारबार या किसी नौकरी में नियोजन करना, जिसमें जनता या उसकी किसी वर्ग के अन्य लोगों को उपयोग करने या उस तक पहुंच का अधिकार है।(अधिनियम की धारा 3(1)(लक)(ड.) संबंधित राज्य सरकार अथवा संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा अन्य व्यक्तियों के समान सभी आर्थिक और सामाजिक सेवाओं के उपबंधों को बहाल किया जाएगा और पीड़ित व्यक्ति को एक लाख रुपए की राहत राशि दी जाएगी। निचले न्यायालय में आरोप पत्र भेजने पर उस राशि का पूर्ण भुगतान किया जाएगा। निर्योग्यता। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अधिसूचना संख्या 16-18/97-एनआई दिनांक 1 जून, 2001 में उल्लिखित विभिन्न निर्योग्यताओं का मूल्यांकन करने के लिए दिशा-निर्देश और प्रमाणन के लिए प्रक्रिया। अधिसूचना की एक प्रति अनुबंध-II पर है। (क) 100 प्रतिशत असमर्थता। (ख) जहां असमर्थता 50 प्रतिशत से अधिक लेकिन 100 प्रतिशत से कम है। (ग) जहां असमर्थता 50 प्रतिशत से कम है। (क)50%, चिकित्सा जांच होने और पुष्टि कारक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद। (ख)50%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है। (क)50%, चिकित्सा जांच होने और पुष्टि कारक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद। (ख)50%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है। (क)50%, चिकित्सा जांच होने और पुष्टि कारक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद। (ख)50%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है। बलातसंग अथवा गैंग द्वारा किया गया बलातसंघ। (i) बलातसंघ (भारतीय दंड संहिता की धारा 375(1860 का 45) (ii) गैंग द्वारा किया गया बलातसंघ (भारतीय दंड संहिता की धारा 376घ (1860 का 45) (i) 50%, चिकित्सा जांच और पुष्टि कारक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद। (ii) 25%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है। (iii) 25%, जब निचले न्यायालय द्वारा सुनवाई के समापन पर। (i) 50%, चिकित्सा जांच और पुष्टि कारक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद। (ii) 25%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है। (iii) 25%, जब निचले न्यायालय द्वारा सुनवाई के समापन पर। (i) 50%, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद। (ii) 50%, जब न्यायालय को आरोप-पत्र भेजा जाता है। हत्या, मृत्यु, नरसंहार, बलातसंग, स्थायी असमर्थता और डकैती के पीड़ितों को अतिरिक्त राहत। (i) अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति से संबंधित मृतक व्यक्तियों की विधवा या अन्य आश्रितों को पांच हजार रुपए प्रति माह की दर से बेसिक पेंशन जो कि संबंधित राज्य सरकार अथवा संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन के सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू है, और ग्राह्य मंहगाई भत्ता और मृतक के परिवार को एक सदस्य को रोजगार या कृषि भूमि, एक मकान, यदि आवश्यक हो, तो उसकी तत्काल खरीद द्वारा व्यवस्था करना। (ii) पीड़ित व्यक्तियों के बच्चों की स्नातक स्तर तक की शिक्षा और उनके भरण-पोषण का पूरा खर्चा। बच्चों को सरकार द्वारा वित्तपोषित आश्रम स्कूलों अथवा आवासीय स्कूलों में दाखिला दिया जाएगा। (iii) 3 माह की अवधि के लिए बर्तनों, चावल, गेहूं, दालों, दलहनों आदि की व्यवस्था। पूर्णतः नष्ट किया/जला हुआ मकान। जहां मकान को जला दिया गया हो या नष्ट कर दिया गया हो, वहां सरकारी खर्चे पर ईंट अथवा पत्थर के मकान का निर्माण किया जाएगा या उसकी व्यवस्था की जाएगी। इस संबंध में और आगे जानकारी प्राप्त करने के लिए उप-मंडलीय मजिस्ट्रेट, जिला मजिस्ट्रेट, राज्य सरकार के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निदेशक और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग से कृपया संपर्क करें। ( यदि आपके पास उपरोक्त सामग्री पर कोई टिप्पणी / सुझाव हैं, तो कृपया उन्हें यहां पोस्ट करें)
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दिलेर समाचार, हम सभी ये तो जानते ही हैं कि इस दुनिया में हर कोई चाहता है कि वो खुब पैसे कमाए और जितना हो सके अपने भविष्य के लिए भी उनका संचय कर सके लेकिन ये बात भी सच है कि पैसे कमाने की चाह में हर कोई इतना ज्यादा मेहनत करता है और परेशान रहता है कि हर कोई काफी मेहनत करता है लेकिन उतने पैसे नहीं कमा पाता है। जी हां लेकिन कई बार आपने ऐसा भी देखा होगा कि व्यक्ति पैसे व रुपए तो खूब जुटा लेता है लेकिन उसे ज्यादा समय तक नहीं रख पाता है। 1. सबसे पहले तो आपको बता दें कि घर के ईशान कोण को ध्यान में रखना चाहिए क्योंकि ये ईश्वर का स्थान होता है और यहां पर गंदगी या डस्टबिन होने पर धन का नाश होता रहेगा। ऐसे में उत्तर-पूर्व में कभी भी भूलकर गंदगी न फैलाएं और इस स्थान पर भारी चीज न रखें। 2. इसके अलावा ये बात तो हम सभी जानते हैं कि हमारे यहां जल को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। यानि की अगर आपके घरों में नलों से पानी टपकता है और पाईप लाइन से लीकेज है तो समझ जाए कि ये आपके आर्थिक नुकसान का संकेत देता है। इसलिए वास्तु में बताया गया है कि नल से पानी का टपकना आपके एकत्र किए गए धन को धीरे-धीरे खर्च होने का संकेत करता है। 3. इसके साथ ही साथ ये भी बताया गया है कि वास्तु में घर का मुख्य द्वार का धन से गहरा संबंध होता है इसलिए यहां से जुड़े वास्तुदोष धन हानि के कारक होते हैं। यदि किसी घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में हो तो हमेशा आर्थिक परेशानियां घेरे रहती हैं। इसी तरह यदि घर का मुख्य द्वार टूटा हुआ हो या फिर पूरी तरह से ना खुलता हो, तो इस वास्तुदोष से भी धनहानि होती है। 4. वास्तुशास्त्र के अनुसार बेडरूम में प्रवेश करने पर सामने वाली दीवार का बायां कोना भाग्य और संपत्ति का क्षेत्र होता है। धन एवं समृद्धि की कामना को पूरी करने के लिए इस कोने पर धातु की कोई चीज लटकाकर रखनी चाहिए। साथ ही इस कोने में यदि दरारें हो तो उसे शीघ्र ही मरम्मत करवा देना चाहिए। धन की दृष्टि से इस कोने का कटा होना अशुभ माना जाता है। 5. घर में टूटा हुआ बेड एक बड़ा वास्तुदोष माना जाता है। टूटे हुए बेड का वास्तुदोष न सिर्फ आपके खर्च को बढ़ाता है बल्कि इस दोष के कारण आर्थिक लाभ में भी कमी आती है। इसी तरह घर की छत पर या सीढ़ी के नीचे कबाड़ जमा कर रखने से भी आर्थिक नुकसान होता है।
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क्योंकि एक वो ही हैं जो केंद्र सरकार के दबाव में आए बिना उनके फैसलों के खिलाफ सख्त रवैया अपना रहे हैं. उन्होने कहा कि बीते एक हफ्ते के दौरान कांग्रेस की दो प्रदेश इकाईयां राहुल गांधी को पार्टी प्रमुख बनाने का समर्थन करते हुए प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं. दिल्ली कांग्रेस ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए बीते रविवार को एक प्रस्ताव पारित किया था और वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी शनिवार को ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया है जिसे खुद भूपेश बघेल ने पेश किया था. सीपीसीसी के द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस के सभी लोग राहुल गांधी के साथ पूरी तरह से खड़े हैं और मानते हैं कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस संगठन लगातार मजबूत होगा. राहुल गांधी के नेतृत्व से ना केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच विश्वास बढ़ा है बल्कि उनके मार्गदर्शन में पार्टी की नींव को और ज्यादा मजबूत मिलेगी. भूपेश बघेल ने कहा कि राहुल गांधी को पार्टी में हर किसी का भरोसा हांसिल है. उन्होंने कहा कि, 'और कौन है राहुल गांधी के अलावा कोई ऐसा नेता है जो पूरे भारत की यात्रा कर रहा है, जिसे पूरे देश में कांग्रेस कार्यकर्ता पहचानते हों?' उन्होने कहा कि राहुल गांधी देश में सभी मुद्दों पर बड़ी बेबाकी से अपनी राय रख रहे हैं फिर चाहे वो जीएसटी,नोटबंदी का मुद्दा हो या फिर कोविड-19 का. उन्होंने बड़े स्पष्ट तरीके से अपनी बात सबके सामने रखी है. इतना ही नहीं उन्होंने किसानों के पक्ष में अपना स्टैंड स्पष्ट किया है. वो एकमात्र नेता हैं, जो महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना मत बिना दबाव में आए रख रहे हैं.
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सारा अली खान की 'केदारनाथ' पर पहली बार बोलीं करीना कपूर खान, कहा 'मेरे लिए सारा बॉर्न स्टार है और उसकी फिल्म...' सारा अली खान की डेब्यू फिल्म 'केदारनाथ' 7 दिसम्बर 2018 के दिन रिलीज होगी। सारा अली खान के साथ-साथ उनके परिवारवाले भी 'केदारनाथ' का खूब प्रचार कर रहे हैं। बीते दिन 'कॉफी विद करण' पर सारा अली खान अपने पिता सैफ अली खान के साथ पहुंची थीं और दोनों ने कई सारे मुद्दों पर दिल खोलकर बातें की। इसके बाद अब 'केदारनाथ' का प्रचार करने के लिए करीना कपूर खान भी सारा के साथ आ गई हैं और उन्होंने फिल्म की टीम के लिए शुभकामनाएं दी हैं। बता दें सारा अली खान इस साल अपनी दो फिल्में 'केदारनाथ' और 'सिम्बा' दर्शकों के सामने पेश करेंगी। जहां 'केदारनाथ' एक रोमांटिक फिल्म है, वहीं रोहित शेट्टी द्वारा निर्देशित 'सिम्बा' एक मसाला एंटरटेनर है। सुनने में आ रहा है कि दोनों फिल्मों में सारा अली खान के किरदार काफी अलग हैं और सारा ने दोनों ही किरदारों को अच्छे से निभाया है। दर्शक सारा अली खान की दोनों फिल्में देखकर यह समझ जाएंगे कि उनमें एक अच्छी अदाकारा बनने के सारे गुण हैं। बॉलीवुड, हॉलीवुड, साउथ, भोजपुरी और टीवी जगत की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें...बॉलीवुड लाइफ हिन्दी के फेसबुक पेज, ट्विटर पेज, ताजा गॉसिप के लिए हमें Facebook Messenger पर फॉलो करें।
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महोदय / महोदया, कृपया जाली नोट पकड़ने तथा उन्हें जब्त करने से संबंधित 20 जुलाई 2017 तक जारी अनुदेशों को समेकित करते हुए जारी हमारे 20 जुलाई 2017 के मास्टर परिपत्र डीसीएम (एफएनवीडी) सं.जी - 4/16.01.05/2017-18 का संदर्भ लें । मास्टर परिपत्र को अब तक जारी सभी निर्देशों को शामिल करते हुए अद्यतन किया गया हैं और इसे बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध किया गया है। इस मास्टर परिपत्र में उपरोक्त विषय पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों को समेकित किया गया हैं, जो इस परिपत्र की तारीख पर प्रचलन में हैं । (मानस रंजन महान्ति) जाली नोट निम्नलिखित द्वारा जब्त किये जा सकते हैं; काउंटर पर प्रस्तुत किए गए बैंक नोटों को प्रामाणिकता के लिए मशीनों के द्वारा परीक्षण किया जाना चाहिए । इसी प्रकार से, बैक ऑफिस / मुद्रा तिजोरी में थोक निविदा के माध्यम से सीधे ही प्राप्त बैंक नोट, मशीनों के माध्यम से प्रमाणीकृत किए जाने चाहिए । काउंटर पर प्राप्त नोटों में या बैक ऑफिस / मुद्रा तिजोरी में पहचान किए गए जाली नोटों के लिए, ग्राहक के खाते में कोई क्रेडिट नहीं दिया जाना है । किसी भी स्थिति में, जाली नोटों को प्रस्तुतकर्ता को लौटाया नहीं जाना चाहिए अथवा बैंक शाखाओं/ कोषागारों द्वारा नष्ट नहीं किया जाना चाहिये। बैंकों के स्तर पर पता लगाये गये जाली नोटों की जब्ती में असफलता को, संबंधित बैंक की जाली नोटों के संचलन में इरादतन संलिप्तता मानी जाएगी और उन पर दण्ड लगाया जायेगा । जाली नोट के रुप में वर्गीकृत नोटों पर निर्धारित (अनुबंध I के अनुसार) "जाली बैंकनोट" स्टैम्प से चिन्हित कर उन्हें जब्त किया जाये । इस प्रकार से जब्त प्रत्येक नोट के ब्यौरे एक अलग रजिस्टर में प्रमाणीकरण के साथ अभिलिखित किये जाएंगे । जब बैंक शाखा के काउंटर / बैक ऑफिस तथा मुद्रा तिजोरी अथवा कोषागार में प्रस्तुत बैंकनोट जाली पाये जाते हैं, तब उक्त पैरा 3 के अनुसार नोट पर स्टैम्प लगाने के बाद निविदाकर्ता को निर्धारित फार्म (अनुबंध II) के अनुसार प्राप्ति सूचना रसीद जारी की जानी चाहिए । उक्त रसीद चल रहे सिरीयल नंबरों में, खजांची और जमाकर्ता द्वारा प्रमाणित होनी चाहिए । इस आशय का नोटिस आम जनता की जानकारी के लिए कार्यालयों शाखाओं मे विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए । जहां निविदाकर्ता संबंधित रसीद पर प्रतिहस्ताक्षर करने के लिए इच्छुक नहीं है, ऐसे मामलों में भी प्राप्ति सूचना रसीद जारी की जानी है । पुलिस को जाली नोट का पता लगने की घटना की रिपोर्टिग करते समय, निम्न प्रक्रिया का अनुपालन किया जाए : एक ही लेन-देन में 4 पीसेस तक जाली नोटों की पहचान के मामलों में, नोडल अधिकारी द्वारा पुलिस प्राधिकरण या नोडल पुलिस स्टेशन को माह की समाप्ति पर संदिग्ध जाली नोटों के साथ निर्धारित फार्मेट में एक समेकित रिपोर्ट (संलग्नक III के अनुसार) भेजी जाए। एक ही लेन-देन में 5 या उससे अधिक पीसेस तक जाली नोटों की पहचान के मामलों में, नोडल बैंक अधिकारी द्वारा तुरंत वे जाली नोट, निर्धारित फार्मेट में (संलग्नक IV) एफआईआर दर्ज करते हुए जांच-पड़ताल के लिए स्थानीय पुलिस प्राधिकरण या नोडल पुलिस स्टेशन को अग्रेषित किये जाएं। मासिक समेकित रिपोर्ट/एफआईआर की एक प्रति बैंक के प्रधान कार्यालय में बनाये गये जाली नोट सतर्कता कक्ष को (केवल बैंकों के मामले में) भेजी जाएगी और कोषागार के मामले में, भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय को भेजी जाये । पुलिस प्राधिकारियों से उनको मासिक समेकित रिपोर्ट और एफआईआर द्वारा प्रेषित जाली नोटों की प्राप्ति सूचना प्राप्त की जाये । यदि पुलिस को नकली बैंक नोट बीमाकृत डाक द्वारा भेजे गए हैं तो उनकी प्राप्ति सूचना अनिवार्य रूप से ली जाये और उन्हें रिकार्ड में रखा जाए । पुलिस प्राधिकरण से प्राप्ति सूचना प्राप्त करने के लिए उचित अनुवर्ती कार्रवाई आवश्यक है । यदि मासिक समेकित रिपोर्टों को प्राप्त करने/ एफआईआर दर्ज करने में पुलिस की अनिच्छा के कारण कार्यालयों / बैंक शाखाओं को किसी भी कठिनाई का सामना करना पड रहा है तो उसका निपटान जाली बैंकनोटों की जांच से संबंधित मामलों की समन्वय हेतु नामित पुलिस प्राधिकरण के नोडल अधिकारी की सलाह से किया जाये । नोडल पुलिस स्टेशन की सूची भारतीय रिजर्व बैंक के संबन्धित कार्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं । जाली नोटों के परिचालन को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों की आसानी से पहचान करने के क्रम में, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे बैंकिंग हॉल / क्षेत्र तथा काउंटर को सीसीटीवी की निगरानी तथा रिकॉर्डिंग में रखें तथा रिकॉर्डिंग को संरक्षित रखें । बैंकों को ऐसी पहचान के स्वरुप/प्रवृत्तियों पर निगरानी रखनी चाहिए और संदिग्ध स्वरुप/प्रवृत्तियों को तत्काल भारतीय रिजर्व बैंक/पुलिस प्राधिकारी के ध्यान में लाना चाहिए। जाली नोटों की पहचान और उक्त की सूचना पुलिस, आरबीआई आदि को देने में बैंकों द्वारा की गई प्रगति और उससे संबंधित समस्याओं पर विभिन्न राज्य स्तरीय समितियाँ अर्थात राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी), करेंसी प्रबंधन पर स्थायी समिति (एससीसीएम) राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति (एसएलएससी), आदि की बैठकों में नियमित रूप से विचार - विमर्श किया जाए । बैंक-शाखाओं/कोषागारों में पकड़े गए जाली भारतीय बैंक नोटों के आंकड़े, नीचे दिये गये पैरा- 10 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक, निर्गम कार्यालय को प्रेषित की जानेवाली मासिक विवरणियों में शामिल किये जायें। भारतीय दंड संहिता में "जाली बनाना" की परिभाषा में विदेशी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी करेंसी नोट भी शामिल हैं। पुलिस और सरकारी एजेंसियों से अभिमत /राय देने हेतु प्राप्त संदिग्ध विदेशी करेंसी नोटों के मामलों में, उन्हें यह सूचित किया जाये कि वे उक्त नोटों को नई दिल्ली स्थित सीबीआई की इंटरपोल विंग के पास उनसे पूर्व परामर्श के बाद भेज दें। बैंकों को अपना नकद प्रबंधन कुछ इस तरह पुनर्निर्धारित करना चाहिये जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ₹ 100 और उससे अधिक मूल्य वर्ग की नकद प्राप्तियों को उन नोटों की मशीन प्रसंस्करण द्वारा प्रामाणिकता की जांच के बिना पुनः संचलन में नहीं डाला जाए। ये अनुदेश दैनिक नकद प्राप्ति के परिमाण को ध्यान में लिए बगैर सभी शाखाओं पर लागू होंगे। इस अनुदेश के किसी भी गैर अनुपालन को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों का उल्लंघन माना जाएगा। एटीएम मशीनों से जाली नोटों की प्राप्ति संबंधित शिकायतों का निपटान करने और जाली नोटों के संचलन पर रोक लगाने के उद्देश्य से यह अत्यावश्यक है कि एटीएम मशीनों में नोटों को भरने से पूर्व पर्याप्त सुरक्षा उपायों/ नियंत्रणों को लागू किया जाये । एटीएम मशीनों के माध्यम से जाली नोटों का वितरण, संबंधित बैंक द्वारा जाली नोटों के संचलन के लिये किया गया एक प्रयास माना जायेगा । मुद्रा तिजोरी विप्रेषणों /शेषों में जाली नोटों का पाये जाने को भी संबंधित मुद्रा तिजोरी द्वारा जान -बूझकर जाली नोटों के संचलन के लिये किया गया प्रयास माना जायेगा जिसके परिणामस्वरूप पुलिस प्राधिकरण द्वारा विशेष तहकीकात और अन्य कार्रवाई जैसे संबंधित मुद्रा तिजोरी के प्रचालनों को स्थगित करना, की जा सकती है । निम्नलिखित परिस्थितियों में जाली नोटों के अनुमानित मूल्य की मात्रा तक हानि की वसूली के अलावा, जाली नोटों के अनुमानित मूल्य का 100% दंड लगाया जाएगा : 20 जून 2012 के परिपत्र सं.डीपीएसएस.केंका.पीडी.2298/02.10.002/2011-12 के अनुसार व्हाइट लेबल एटीएम मे लोड की गई नकदी की गुणवत्ता तथा उसकी असलियत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्रायोजक बैंक की होगी। 30 दिसंबर, 2016 के परिपत्र सं.डीपीएसएस.केंका.पीडी.1621/02.10.002/2016-17 के अनुसार रिटेल आउटलेट से नकदी प्राप्त की जाती है तो व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर एटीएम द्वारा वितरित किए गए मुद्रा नोटों की गुणवत्ता तथा प्रामाणिकता के लिए स्वयं ही पूर्णतः उत्तरदायी होगा । प्रत्येक बैंक जिला-वार नोडल अधिकारी नियुक्त करें और उसकी जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और पुलिस प्राधिकरण को दें । पैरा 5 में यथाउल्लिखित, जाली नोट के पहचान की रिपोर्टिंग के मामले, नोडल बैंक अधिकारी के माध्यम से आने चाहिए। नोडल बैंक अधिकारी जाली नोट पाये जाने से संबंधित सभी कार्यकलापों के लिए एक संपर्क अधिकारी के रूप में भी कार्य करेगा। जाली नोटों के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों को बैंक की सभी शाखाओं में प्रचारित करना । इन अनुदेशों के कार्यान्वयन पर निगरानी रखना । वर्तमान अनुदेशों के अनुसार जाली नोटों की पहचान से संबंधित आंकड़े को समेकित करना और भारतीय रिज़र्व बैंक, एफआईयू - आईएनडी तथा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) को प्रेषित करना । पुलिस प्राधिकरण और निर्दिष्ट नोडल अधिकारी के साथ जाली नोटों के मामलों से संबंधित अनुवर्ती कार्रवाई करना। इस तरह से संकलित जानकारी को बैंको के केंद्रीय सर्तकता अधिकारी से साझा करना तथा उन्हें काउंटरों पर स्वीकृत /जारी किये गये जाली नोटों से संबंधित मामलों की रिपोर्ट देना । ऐसी मुद्रा तिजोरियों; जहाँ पर दोषपूर्ण/जाली नोट आदि का पता लगा है, की आवधिक आकस्मिक जाँच करना । सभी मुद्रा तिजोरियों/ बैक आफिस में उपयुक्त क्षमता वाली नोट सॉर्टिग मशीनों के प्रचालन को सुनिश्चित करना और जाली नोटों के पता लगाने पर सावधानी पूर्वक निगरानी करना और उक्त का उचित रूप से रिकार्ड रखना । यह सुनिश्चित करना कि केवल छांटे गये और मशीनों से जांचे गये नोट ही एटीएम मशीनों में डाले जायें/ काउंटरों से जारी किये जायें और नोटों के प्रसंस्करण तथा पारगमन के समय आकस्मिक जांच सहित पर्याप्त सुरक्षा उपायों की व्यवस्था । जाली नोट सतर्कता कक्ष उपरोक्त पहलुओं को शामिल करते हुए तिमाही आधार पर, संबंधित तिमाही की समाप्ति के पंद्रह दिनों के भीतर, मुख्य महाप्रबंधक, मुद्रा प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, अमर भवन, चौथी मंजिल, सर पी.एम.रोड, फोर्ट, मुंबई - 400001 तथा आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय के निर्गम विभाग जिसके कार्य क्षेत्र के अंतर्गत जाली नोट सतर्कता कक्ष कार्यरत हैं, को वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट प्रेषित करें । उपर्युक्त रिपोर्ट ई-मेल द्वारा भेजी जाये। हार्ड प्रति भेजने की आवश्यकता नहीं है । जाली नोट सतर्कता कक्षों के पते को अद्यतन करने के उद्देश्य से बैंक प्रत्येक वर्ष में, 1 जुलाई को अनुसार निर्धारित प्रोफार्मा (अनुबंध V) में ई- मेल से पते आदि आरबीआई को प्रस्तुत करें । हार्ड प्रति भेजने की आवश्यकता नहीं है । जाली नोटों की पहचान सुगम बनाने के लिए सभी बैंक शाखाओं /निर्दिष्ट बैक आफिसों को, अल्ट्रा-वायलेट लैम्प / अन्य उपयुक्त नोट सॉर्टिंग / पहचान वाली मशीनों से सुसज्जित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सभी मुद्रा तिजोरी शाखाओं में सत्यापन, प्रसंस्करण और छँटनी करने वाली मशीनों की व्यवस्था होनी चाहिये और मशीनों का इष्टतम स्तर तक उपयोग होना चाहिये । इन मशीनों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मई 2010 में निर्धारित "नोट सत्यापन और फिटनेस सार्टिंग मानदंडो" के अनुरूप होना आवश्यक हैं । बैंक, पहचान किये गये जाली नोटों सहित नोट छँटनी मशीनों के माध्यम से प्रसंस्कृत नोटों का दैनिक रिकार्ड रखेंगे । बैंकों को जनता के उपयोग हेतु, काउंटर पर नोट गिनने वाली कम से कम एक मशीन (जिसमें दोनों तरफ संख्या प्रदर्शित करने की सुविधा हो), लगाने पर भी विचार करना चाहिए । बैंक की सभी शाखाओं द्वारा पता लगाये गये जाली नोटों के आंकड़े मासिक आधार पर निर्धारित प्रारूप में सूचित करना आवश्यक है । माह के दौरान बैंक शाखाओं में पता लगाये गये जाली नोटों के ब्योरे दर्शानेवाला विवरण (अनुबंध VI) संकलित किया जाए और संबंधित रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालय को इस प्रकार प्रेषित किया जाये कि वह आगामी माह की 7 तारीख तक उन्हें प्राप्त हो जाये । धनशोधन निवारण नियम, 2005 के नियम 3 के तहत, बैंकों के प्रधान अधिकारियों को भी ऐसे नकदी लेन देन, जहां जाली नोटों को असली नोटों के रूप में प्रयोग में लाया गया है, की सूचना, सात कार्यदिवस के अंदर, निदेशक, एफआईयू आईएनडी, वित्तीय खुफिया ईकाई-भारत, 6वीं मंजिल, होटल सम्राट, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली-110021 को, FINnet पोर्टल पर सूचना अपलोड करके करने की आवश्यकता है। इसी प्रकार, एफआईसीएन की पहचान के आंकड़े नैशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो की बेबसाईट के वेब आधारित सॉफ्टवेयर पर भी अपलोड किए जाएँ। माह के दौरान किसी जाली नोट की पहचान नहीं किये जाने की स्थिति में 'निरंक' विवरणी भेजी जाये । पुलिस प्राधिकरण / न्यायालयों से पुनः प्राप्त सभी जाली नोटों को बैंक की अभिरक्षा में सावधानीपूर्वक परिरक्षित किया जाये और संबंधित शाखा द्वारा उक्त का रिकार्ड रखा जाये। बैंक के जाली नोट सतर्कता कक्ष को भी ऐसे जाली नोटों का शाखावार समेकित रिकार्ड रखना होगा । इन जाली नोटों का सत्यापन संबंधित शाखा के प्रभारी अधिकारी द्वारा छमाही (31 मार्च और 30 सितंबर) आधार पर किया जाना चाहिये । पुलिस प्राधिकरण से प्राप्ति की तिथि से इन जाली नोटों का तीन वर्ष की अवधि के लिए परिरक्षण किया जाना चाहिये। इसके पश्चात पूर्ण ब्योरे के साथ इन जाली नोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय को भेजा जाये । जाली नोट जो न्यायालय में मुकदमेबाजी के अधीन हैं उन्हें न्यायालय निर्णय के बाद संबंधित शाखा के पास तीन वर्ष तक रखा जाए । यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि बैंकों और कोषागारों / उप- कोषागारों में नकदी व्यवहार करनेवाला स्टाफ, बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताओं से पूरी तरह परिचित हो । जाली नोट की पहचान के संबंध में बैंक -शाखा के कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से अनुबंध - VII में दर्शाये गये बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताएँ तथा डिज़ाइन सभी बैंकों / कोषागारों को इस निर्देश के साथ भेजे गये हैं कि वे इन्हें आम जनता की जानकारी के लिए प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करें । शाखाओं के स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए 2005-06 श्रृंखला के बैंकनोटों के पोस्टरों की आपूर्ति की गयी है। रू. 2000/-, रू.500/-, रू. 200/- तथा रू. 50/- के नए डिजाईन के बैंक नोट की सुरक्षा विशेषताओं का विवरण https://www.paisaboltahai.rbi.org.in/ लिंक पर उपलब्ध है। अन्य बैंक नोटों का विवरण भी उपरोक्त लिंक के "अपने नोट को जानिए" के तहत उपलब्ध है। प्राप्ति के समय ही, जाली नोटों का पता लगाने में स्टाफ सदस्यों को सक्षम बनाने हेतु, नियंत्रक कार्यालयों /प्रशिक्षण केंद्रों को बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताओं पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करने चाहियें । बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि नकदी का लेन-देन करनेवाले सभी बैंक कर्मी, वास्तविक भारतीय बैंक नोटों की विशेषताओं के संबंध में प्रशिक्षित हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक भी, संकाय सहायता और प्रशिक्षण सामग्री प्रदान करेगा।
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औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में रविवार को आठ लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, संक्रमितों में एक महिला व सात पुरुष शामिल है। इन सभी के बीते शनिवार को सैंपल लिए गए थे जिनकी रिपोर्ट रविवार शाम आई जिसमें इनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई। प्रशासन ने कुछेक संक्रमितों को उपचार के लिए कोविड केयर सेंटर व कुछेक को होम आइसोलेशन में भेज दिया है। इसके अलावा संक्रमितों की कांटैक्ट टे्रसिंग शुरू करते हुए उनके निवास स्थान व कार्यस्थल को एहतियातन सेनटाइज करवा दिया है। जानकारी के मुताबिक रविवार को बीबीएन में कोरोना के आठ नए मामले सामने आए है । बद्दी स्थित डाइंग उद्योग के क्वारंटाइन सेंटर में क्वारंटाइन 18 वर्षीय युवक की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। बरोटीवाला के कुजांहल निवासी 22 व 30 वर्षीय पुरुष, बद्दी के भुड्ड निवासी 24 वर्षीय पुरुष व बद्दी के मढ़ावाला निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग कोरोना संक्रमित पाए गए है। इसके अलावा बद्दी के गुल्लरवाला निवासी 42 वर्षीय पुरुष, बद्दी स्थित बीबीएनडीए कालोनी में 30 वर्षीय पुरुष के अलावा नालागढ़ की हिमुडा कालोनी में रह रही 55 वर्षीय महिला की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। एसडीएम नालागढ़ महेंद्र पाल गुर्जर ने बताया कि संक्रमितों को उपचार के लिए कोविड केयर सेंटर में शिफ्ट कर दिया गया है जबकि उनके संपर्क में आए लोगों की टे्रसिंग की जा रही है। उन्होंने क्षेत्रवासियों से आग्रह किया कि वे इस समय होने वाले जुकाम, खांसी, बुखार तथा सांस संबंधी तकलीफ को हल्के में न ले। उन्होंने कोविड से बचाब के लिए सामाजिक दूरी, मास्क पहनना तथा हाथों की स्वच्छता जैसे सभी महत्त्वपूर्ण नियमों के अलावा सरकार द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों का भी प्राथमिकता से पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि खांसी, जुकाम, बुखार, सांस की तकलीफ तथा गले संबंधी किसी भी समस्या के आरंभ में ही व्यक्ति स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर अपनी स्वास्थ्य जांच करवाएं। उन्होंने कहा कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप तथा तनाव सहित किसी भी अन्य बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को और भी ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है।
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तारीखे गुंजरात क्षेत्र में था तो यह अतिम युद्ध है अन्यथा वह ऐसा व्यक्ति नहीं है जो बिना युद्ध किये चला जाय। जनत आशियानी ने आदेश दिया कि, "लाशी के बीच में ढूंढा जाय, सम्भवत कोई व्यक्ति जीवित मिल जाय जिससे इस बात की जांच की जा सके।" एक व्यक्ति जीवित मिला। उससे पूछा गया कि, "क्या एमादुलमुल्य स्वयं युद्ध के समय था ?" उसने कहा कि, "हाँ ।" खुदावन्द खा ने निवेदन किया कि, "यह अतिम युद्ध था । अब किसा में शाही सेना से युद्ध करने का सामर्थ्य नही ।" हुमायूँ का माडू की ओर प्रस्थान क्योंकि अहमदाबाद अस्करी मीज़ को प्रदान हो चुका था अत उसने निवेदन किया कि, "यदि हज़रत जहाँबानी सीधे अहमदाबाद में प्रविष्ट हो जायेंगे तो नगर नष्ट-भ्रष्ट हो जायेगा।" इस कारण उन्होंने अस्वरी मर्ज़ा को अहमदाबाद जाने की अनुमति दे दी और स्वय अहमदाबाद के बाहर बतवा होते हुए सरखीज में पडाव किया। तीसरे दिन दरबार के विश्वासपात्री सहित (२९) उन्होने अहमदाबाद की सैर की यादगार नासिर मोर्ज़ा को पटन नामक वस्वा प्रदान कर दिया, कासिम हुसेन खा का भरौंच और हिन्दू वेग को ५-६ हजार अश्वारोहियो सहित वुमन हेतु नियुक्त कर दिया कि जहाँ कहीं कोई विद्रोह हो वह सहायता हेतु पहुँच जाये और दानुओ को नष्ट करने का प्रयत्न करे । वे स्वय सूरत, जूनागढ तथा बन्दरदीव की ओर रवाना हुए। मार्ग के मध्य से लौटकर चाम्पानीर तथा अहमदाबाद को अपने वायी ओर करते हुए बुरहानपुर को पार किया । वहाँ से मन्दू पहुँचे। मुगुलो को गुजरात में पराजय जब इस प्रकार ३-४ मास व्यतीत हो गये तो सुल्तान के अमीरी में से खाने जहाँ शोराजी ने नौसारी में एक दृढ स्थान बनाकर सेना एकत्र करना प्रारम्भ कर दिया। वहां से निकल कर उसने कासिम हुसेन खा के सम्बन्ध अब्दुल्लाह साऊजवेव से युद्ध किया और उसे नौसारी से निकाल दिया । सैयिद इस्हाक न पहुँच कर खम्वायत पर अधिकार जमा लिया और वे दोनो ओर सेनाए एकत्र करने लगे । रूमी ना, जिसके अधिकार में मूरत नामक बन्दरगाह था, खाने जहाँ से मिल गया और समुद्र के मार्ग से युद्ध हेतु भरौच के विरुद्ध जहाज भेजे । खाने जहाँ खुशकी वे मार्ग से चला । कासिम हुसेन खा मुवावला न कर सका और भरोंच से भागवर चाम्पानीर पहुँच गया। उन लोगोने भरौंच पर अधिकार जमा लिया और सैयिद लाद जियू ने, जो बरोदा के आमपास था, उस नगर को जो दौलताबाद पहलाता है, अपने अधिकार में कर लिया। दरियाँ खा तथा मुहाफिजुल मुल्य रायसेन वे विले में थे । यहाँ से वे पटन की ओर रवाना हुए। अस्करी मोर्जा ने यादगार मोर्जा के पास आदमी भेजे विक्योकि गुजराती लोग पटन के समीप पहुँच गये है अत यह उचित होगा कि तुम अहमदाबाद की ओर रवाना हा ताकि हम लोग मिलकर युद्ध करें । यादगार नासिर मोर्जा ने उत्तर लिखा कि, "मै तुमसे महायता नहीं चाहता। मुझमें इतनी शक्ति है कि मै इनसे युद्ध पर मवें । यदि मै अहमदाबाद आता हूँ तो पटन हाथ से निकल जायगा। मुझसे अहमदाबाद आने का आग्रह न करो।" मीज अस्करी ने उसके बुलाने पर जोर दिया और आग्रह किया कि, "यदि तू न आयेगा तो पादशाह का विरोधी समझा जायेगा।" वह विवश होकर पटन का छोडनर अहमदाबाद पहुँचा। जब भरोच, सम्वायत, पटन तथा वरीदा गुजरातियों के हाथ (३०) में आ गये तो उन्होंने सभी स्थानों से मुल्तान बहादुर के पास बन्दर दीव में पत्र भेजे कि, मुगुल कालीन भारत - हुमायं "हम लोगो ने पादशाह के प्रताप से इतने थानों को मुगलों से छीन लिया है। समस्त मुगुल अहमदाबाद में एकत्र होगये है। यदि विजयी पताकाएँ प्रस्थान करें तो हम थोडे से परिश्रम से अहमदाबाद से भी उन्हें निकाल देंगे।" सुल्तान बहादुर, जोकि इस अवसर की खोज में था, इसको बहुत बडी देन समझकर तत्काल अहमदाबाद की थोर रवाना हो गया। चारों ओर से सेनायें एकत्र होने लगी । वह सरखोज पहुँचा । उसको सेना में नित्य प्रतिवृद्धि होने लगी । अस्करी मीर्जा, यादगार नासिर मोर्जा, कासिम हुसेन सा एव हिन्दूबेग ने, अहमदाबाद के किले से निकलकर असावल की ओर, जो कि सरखीज के समक्ष है, सुल्तान बहादुर के मुकाबले में पडाव कर दिया । ३-४ दिन उपरान्त वे अकारण तथा विना युद्ध किय हुए घाम्पानीर की ओर चल खडे हुए । सुल्तान ने पीछा किया । संयिद मुबारक तथा उलुग खा को हिरावल नियुक्त किया । मीर्जाओ की सेनाओं के पोछे के भाग मे नासिर मोर्जा था। उसने पलटकर महमूदाबाद में युद्ध किया । यादगार (नासिर ) मोर्ज़ा घायल हो गया। वह पुन लौटकर मोर्चाआ के पास पहुँचा। क्यों कि वर्षा ऋतु आ गई थीअत सुल्तान ने महमूदाबाद के महलों में पडाव किया । मोर्जा लोग वडी तेजी से यात्रा कर रहे थे । नाले तया नदियों में बाढ आ गई थी। कोलियो तथा वासियों ने प्रत्येक दिशा से लूटमार प्रारम्भ वर दी थी। पाडे तथा खेमें वर्षा की अधिकता के कारण नष्ट हो गये और कुछ जल में डूब गये । सक्षेप में, वे अत्यधिक कठिनाई झेलते एव बडी अव्यवस्थित दशा में एमादुलमुल्क के ताल व पास, जो चाम्पानीर के किले के नीचे है, पहुँचे । उनके पास बहुत कम संख्या में में थे। यादगार नासिर मोर्ज़ा ने फकोर के खेमे में पड़ाव किया । तरदी बॅग खा किले के नीचे उतरा और वह प्रत्येक मोजां की सेवा में उपस्थित हुआ और प्रत्येक को घोड़े भजे तथा आतिथ्य किया। दूसरे दिन मोर्जा लोग एकत्र हुए और उन्होंने हिन्दू बेग से परामर्श किया कि हम जनत आशियानी को क्या मुह दिखायेंगे । मन्दू ६-७ दिन को यात्रा की दूरी पर है अत यह उचित होगा कि किले के ऊपर (३१) जाखजाना है उसे तरदो बग से ले लें और तैयारी करके पुन सुल्तान से युद्ध करें ।" मीर्जाओ म से प्रत्येक ने अपने वकील तरदी बंग खा के पास भेजे और कहलाया कि, "क्योकि सेना की दशा बड़ी ख़राब हो गई है अत यह आवश्यक है कि हम लश्कर को आश्रय प्रदान करें और पुन सुल्तान बहादुर पर आक्रमण करे । किले के ऊपर अत्यधिक खजाना है। थोडा सा हमें भेज दो ताकि तैयारी करके वापस हो ।" तरदो बेग ने स्वीकार न किया और उत्तर भेजा कि, "मै विना आदेश के नहीं दे सकता।" इसी बीच में सुल्तान बहादुर महमूदाबाद से आगे बढकर महेन्द्री नदी के तट पर, जो चाम्पानीर से १५ कुरोह पर है, पहुँच गया। दूसरे दिन तरदी बेग खा किले से नीचे उतर कर मोर्खाओं को सेवा में जा रहा था कि उसका एक विश्वासपात्र जो कि मोर्जाओ के पास से आ रहा था, मार्ग में मिल गया। उसने उसके कान में कहा कि, "मोर्ज़ाओं ने तुझे वन्दी बनानवी योजना बना ली है।" तरदी बेगखा के हृदय में आया कि बिना पता लगाये हुए वापस हाना तथा किले के ऊपर पहुँच जाना उचित नही । वहु फकोर के घर में उतर पडा और लोगो को इस आदाय से भेजा कि वे पता लगाकर आयें । अन्त में जब उसे विश्वास हो गया कि यह सत्य है तो वह लौटवर किले के ऊपर पहुँचा और उसने मदेश भेजा कि, "आप लोग यहाँ से मन्द्र चले जायें।" १ लेखक । क्योंकि मोजओ को दशा बडी शोचनीय हो गई थी अत उन्होंने मिलकर निश्चय किया कि अस्करी मोर्जा वादशाह वर्न और हिन्दू वेग उसका वकील । अन्य मोर्ज़ाओ के नाम पर बहुत वडी-वडी विलायते रक्खी गईं । उन्होंने प्रतिज्ञा की तथा वचनबद्ध हुए विन्तु तरदी वेग इस बात का आग्रह करता रहा कि वे शीघ्र मन्द्र चले जाये और इसी उद्देश्य से उसने मोर्ज़ाओ को सेना पर तोप चलाई। वे लोग ५-६ दिन उपरान्त इस आशय से रवाना हो गये कि घाट करजी से होते हुए आगरे चले जायें और उसे अधिकार में कर ले। सुल्तान बहादुर को ज्ञात हुआ कि मोर्ज़ा लोग चल दिये तो वह भी महेन्द्री नदी से आग बढा । जब तरदी बेग ने सुना कि मुल्तान किले को ओर आ रहा है तो वह जितना खजाना ले जा सकता था उसे लदवाकर किले से नीचे उतरा और पाल के मार्ग से जिधर से ६ दिन में मन्दू पहुँचा जा सकता है, जात आशियानी को सेवा में रवाना हो गया। सुल्तान बहादुर चाम्पानीर पहुँचा। मौलाना महमूद लारी तथा (३२) अन्य मुगुली को, जो रह गये थे, उनकी श्रेणी के अनुसार आश्रय प्रदान किया तथा सरोपा, घोडे एव खर्च देकर उन्हें वहाँ से चले जाने की अनुमति दे दी। जितना खज़ाना शेप रह गया था उसे अपने अधिकार में वर लिया। कुछ लोगो का यह विश्वास है कि कुछ स्थानो का खजाना अब भी उसी प्रकार सुरक्षित है। हुमायं का आगरा पहुँचना तरदो वेग खा ने जन्नत आशियानो को मीर्जाओं की योजना तथा जो कुछ उन्होंने निश्चय किया था, उसको सूचना दी। वे तत्वाल मन्दू से रवाना होकर हिन्दुस्तान पहुँचे ताकि मीजओ के पहुँचने एवं उनके विद्रोह करने के पूर्व वे आगरे पहुँच जाय और वहाँ उपद्रव की अग्नि को न भडक्ने दें। सयोग से करजी नामक घाट पर मोर्जाओ की जनत आशियानी से भेट हो गई। वे उनकी सेवा में उपस्थित हुए और कोई भी सफलता न प्राप्त करके आगरे की ओर उनके साथ-साथ रवाना हुए। मुहम्मद जमान द्वारा गुजरात पर अधिकार जमाने का प्रयत्न (३६) मुहम्मद ज़मान मोर्ज़ा को सुल्तान बहादुर ने मुगुलो के प्रभुत्व के समय इस आशय से हिन्दुस्तान भेज दिया था कि वह समस्त राज्य में विघ्न डाले। वह लाहौर तक पहुँचवर बहुत बडे उपद्रव का कारण बना । जब जनत आशियानी आगरे लौट गये तो वह पुन अहमदाबाद पहुँचा विन्तु इसी बोच में उसे सुल्तान बहादुर की हत्या के समाचार प्राप्त हुए । वह मार्ग से शीघ्रातिशोघ्र इस आशय मे बन्दरदीव पहुँचा कि फिरगियो से सुल्तान बहादुर के खून का बदला ले। वह इस भेस में सुल्तान बहादुर को माता के समक्ष उपस्थित हुआ। वह काले वस्त्र धारण किये हुए था और उसको सेना के उच्च पदाधिकारी भी वाले वस्त्र पहिने हुए थे। सुल्तान बहादुर की माता ने तीन सौ सरोग मुहम्मद जमान मोर्जा हेतु भेजे और उसे उस नीले वस्त्र से निकाल कर विदा घर दिया। वह दीव को ओर रवाना हुआ। खजाना उसके पीछे-पीछे था । जब खजाना पहुँच गया तो उसने सब पर अधिकार कर लिया। उसका उद्देश्य यही था कि खजाना अधिकार में १ सुल्तान बहादुर की मृत्यु के विवरण का अनुवाद नहीं किया गया । मुगुल कालीन भारत - हुमायं वरले । यह प्रसिद्ध है वि सात सौ सोने से भरे हुए सन्दूक थे । उसने हब्शी तथा तु दासी को, जो खजाने को रक्षा हेतु नियुक्त थे, सबही को प्रोत्साहन दिया। मुगुल लोग उदाहरणार्थ गजन्फर बेग तथा अन्य लोग सब के सब मुहम्मद जमान मोर्जा की सेवा में उपस्थित हुए। उसके पास १०-१२ हजार उत्तम अश्वारोही एकत्र हो गय । खजाने की धन-सम्पत्ति सबवाबांट दी गई। क्योंकि वहु विलासप्रिय व्यक्ति था अत वन्दरदीव के आसपास भोगविलास में व्यस्त हो गया । नाना प्रकार के भोजन तथा पेय एकत्र किये जाते और वह उनसे लाभान्वित होता । उसके हृदय में आया कि गुजरात की सल्तनत पर अधिकार जमा ले। यदि वह उस अवसर से लाभ उठाकर शोघ्रातिशीघ्र अहमदाबाद चला जाता और राजधानी पर अधिकार जमा लेता तो गुजरात वे राज्य पर भी अधिकार जमा लेता किन्तु भग, अफीम, मंदिरा में ग्रस्त रहने के कारण उसने फिरगिया वो हजारी, लाखो तथा करोडा इस आशय से घूम में दे दिये कि वेत्रवार के दिन उसके नाम का सुखा पड़वाने को अनुमति दे । इतने अधिक जाने तथा सेना के बावजूद वह कोई भी सफलता ने प्राप्त वर सका। यदि वह ऐसी सेना को लेकर शोघ्रातिशोध अहमदाबाद चला जाता तो गुजरात वाले (३७) तैयार न हो सकते थे और सल्तनत उसे प्राप्त हो जाती विन्तु यह भाग्य की बात है जिसे भी प्राप्त हो जाय जब ( गुजरात के) अमीरी को, जो अहमदाबाद में थे, यह समाचार प्राप्त हुए कि उसने बन्दरदीव में अपने नाम का खुबा पढवा दिया है और खजाने तथा सेना पर अधिकार जमा लिया है तो उन्होंने निश्चय किया वि जन वह अहमदावाद की आर रवाना हो तो वे नगर को खाली वर दे और प्रत्येक किसी न किमी दिशा को चला जाय एवं विश्वस्त लोग मुहम्मद जमान मोर्जा से भेंट करें। इसी बीच में एमादुलमुल्ल, जिसने प्रारम्भ में अस्करी भीर्जा से युद्ध किया था, दरवार में उपस्थित हुआ और इरितयार सा तथा अफजल वेग से, जो कि सुल्तान के प्रतिष्ठित वकील थे, कहा कि, "आप लोग राज्य का हित विस बात में समझते है ?" जब उसने उन लोगो के साहम मे क्मी देगी तो कहा कि, "आप लोग वकील है, मैं दास हूँ। जिस प्रकार में सुल्तान का दाम या उसी प्रकार आप लोगो का दाम बनने के लिए कटिवद्ध हूँ । इस दरिद्र मुगुल वे समक्ष सिर झुकाना एवं उसे सल्तनत प्रदान करना मर्यादा के विरुद्ध है। गुजरात के सुल्तानी के दासो में से मं जोवित हूँ। आप लोग मुहम्मद जमान मीर्जा के समक्ष, जा कि हमार पादशाह का सेवक था, अपने सिर भूमि पर रक्खें, यह वडी लज्जा की बात है।" इन लोगों ने उत्तर दिया कि, "मलिक् तू जानता है कि गुजरातियों को क्या दशा हो गई है ? उनमें कोई साहस नहीं रहा है। वे निरन्तर कष्टों का सामना करते रह है। हमारा सुल्तान शहीद हो गया है। खजाने मुहम्मद जमान वे हाथ में पहुँच चुके हूँ। अब क्या हो सकता है ? इतने गुजराती वहाँ से प्राप्त हो सकते हैं जो १०-१२ १०- १२ हजार मुगुलो का, जो कि मुफ्त के खजाने से समृद्ध हो गये है, मुचावला कर सकें ? " उमने उत्तर दिया "कि आप लोग साहस से काम ले । अहमदाबाद नगर में रहे। मुझे नियुक्त करके से पूर्ण अधिकार प्रदान कर दें और राज्य के उत्तराधिकारी की ओर से वकालत का खिलअत एव सरोपा मुझे प्रदान कर दे। मैं पादशाही कूरको अभिवादन करके प्रस्थान करूंगा। यदि मै मुहम्मद जमान मोर्जा बोदड न दे सकूँगा तो में अपने आप को गुजरात के वादशाही का नमकहराम समभूंगा । मुझे विश्वास है कि यदि में उससे युद्ध कर सका तो उसे बन्दी बना लाऊँगा। यदि वह गुजरात के बाहर चला गया तो विना युद्ध किये ही हमारा उद्देश्य पूरा हो जायेगा ।" इन वकीलो ने उसके साहस एवं पौरुष को देखकर उसको यह शर्तें स्वीकार कर ली कि वह सेना को जो (३८) जागोर प्रदान करेगा वह मान्य होगी। उस समय उसके पास ९ अश्वारोही थे । यह नगर से निकलकर नदी के उस पार उस्मानपुर में ठहरा । जागीर प्रदान करने तथा लश्कर एक्त्र करने की घोषणा करने सेना एकत्र करने में व्यस्त हो गया। जो कोई तीन घोडे ले आता और चेहरे लिखवाता तो उसे एक लाख तन्के जागीर में दे दिये जाते। यहाँ तक कि एक मास में लगभग ४० हज़ार अश्वारा ही तैयार हो गये । मुहम्मद जमान मोर्खा का पलायन जब एमादुलमुल्क ने अपनी सेना की सख्या ४० हजार से अधिक वर लो तो मुहम्मद जमान के विरुद्ध रवाना हुआ । उसका विचार था कि वह भी उसका मुकाबला करेगा। वह अपने स्थान से न हिला । एमादुलमुल्व का साहस और भी बढ़ गया । वह शोघ्रातिशीघ्र उनके विरुद्ध पहुँचा। गुहम्मद जमान ने खाईं खोद कर अरावा तैयार कर लिया। हुसामुद्दीन मोरक वल्द मीर खलीफा ने, जो वि मुहम्मद जमान मोर्चा का वकील तथा सिपहसालार था, निक्ल कर थोडा बहुत युद्ध किया किन्तु फिर पुन अरावे में प्रविष्ट हो गया। गुजरात की सेना ने अवरोध कर लिया। तीसरे दिन (३९) वे पक्तियाँ मुव्यवस्थित करके अरावी तथा खाई के विरुद्ध रवाना हुए। मुहम्मद जमान खजाना लेकर पोछे से बाह्र निवल गया । मोर हुसामुद्दीन मीरक गुजरात की सेना के साथ युद्ध में व्यस्त था और मुहम्मद जमान कुशलतापूर्वक निकल कर सिंध की ओर रवाना हो गया। एमादुलमुल्क ने विजय प्राप्त कर ली । मोरव, मुहम्मद ज़मान के पास पहुँच गया। मुहम्मद ज़मान कुछ समय तक सिंघ में रहा । अन्ततोगत्वा वह जन्नत आशयको सेवा मे पहुँचा और निष्ठावान् सेवका में सम्मिलित हो गया। वह शेरशाह से युद्ध के समय मारा गया । कुछ लोगो का मत है कि वह नदी में डूब गया किन्तु कुछ लोगों का मत है कि उसकी युद्ध में हत्या हो गई।
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KANPUR: यूपी बोर्ड का मूल्यांकन सिस्टम पहले ही दिन 'धड़ाम' हो गया। सिटी के सभी मूल्यांकन सेंटर्स पर एक भी कॉपी चेक नहीं की गई। हालांकि मूल्यांकन केंद्रों पर टीचर्स आए और अलग से बनाए गए एक रजिस्टर पर साइन कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर चलते बने। सबसे बड़ा सवाल यह है कि गुरू जी ने कॉपी नहीं चेक की तो फिर साइन करने के क्या मायने हैं? सरयू नारायण बाल विद्यालय में क्0 डीएचई (डिप्टी हेड एग्जामनर) और क्9फ् परीक्षकों ने आज मूल्यांकन का काम संभाला। मूल्यांकन केंद्र के पर्यवेक्षकों ने जो रिपोर्ट डीआईओएस और बोर्ड को भेजी है, उसमें मूल्यांकन का काम पूरी तरह से ठप दिखाया गया है। शिक्षक नेताओं ने मूल्यांकन केंद्रों पर जाकर कॉपी न चेक करने की मुनादी पीटी। शिक्षक संघ की डिमांड है कि पुराना बकाया दिया जाए और साथ ही साथ सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर कॉपी चेक करने का भुगतान किया जाए। जीआईसी चुन्नीगंज के मूल्यांकन प्रभारी आर पी राजपूत ने बताया कि आज किसी भी डीएचई या परीक्षक ने काम नहीं किया। कोठार डीएचई का वेट करते रहे, लेकिन कोई नहीं आया। जो परीक्षक आए उन्होंने अलग से रजिस्टर बनाकर उसमें साइन किए और चलते बने। आखिरकार इस रजिस्टर का क्या वजूद है। क्योंकि जब तक डीएचई अटेंडेंस वेरीफाई नहीं करेगा, तब तक कौन मानेगा कि आपने काम काज संभाल लिया। हकीकत यह है कि सभी परीक्षक कॉलेज से रिलीव हो चुके हैं, लेकिन सोमवार की उपस्थिति कहां दिखाई जाएगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन टीचर्स की एक दिन की अटेंडेंस का क्या होगा। जीआईसी प्रिंसिपल आर पी राजपूत ने बताया कि जीआईसी से बोर्ड की कापियां दूसरे जिलों में भेजने के लिए डीआईओएस ने प्रवीन कुमार और संजीव कक्कड़ की ड्यूटी लगाई। इन टीचर्स को आदेश रिसीव करा दिया गया, ख्8 मार्च की शाम 8 बजे से लेकर रात क् बजे तक इनका इंतजार किया गया, लेकिन यह टीचर्स नहीं आए। लेट नाइट दूसरी व्यवस्था करके कापियां भेजी गईं। इन टीचर्स को कोठार और पत्राचारी मूल्यांकन केंद्र में बनाया गया। जिसके आदेश प्राप्त कर लिए, लेकिन उन्होंने भी काम नहीं संभाला। इसकी जानकारी डीआईओएस को दे दी गई है। सरयू नारायण बाल विद्यालय इंटर कॉलेज आजाद नगर के मू्ल्यांकन इंचार्ज हरिश्चन्द्र दीक्षित ने बताया कि मेरठ मंडल से एक बंडल अरबी का आया है, जिसका परीक्षक भी बोर्ड ने नियुक्ति नहीं किया है। हालांकि इस बंडल में सिर्फ एक कॉपी आई है। जिसको लेकर परेशानी बढ़ गई है। इस सेंटर में ख्भ् जिलों की 7ख् कापियां कश्मीरी भाषा की आई हैं। इसके अलावा क्8 जिलों की ख्भ् कापियां तमिल भाषा की आई हैं। इन कापियों का मूल्यांकन भी बड़ी समस्या है। सोमवार को कॉलेज में क्0 डीएचई और क्9फ् परीक्षकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। बोर्ड मूल्यांकन में फर्स्ट टाइम जीआईसी के प्रिंसिपल ऑब्जर्वर बनाए गए हैं। सरयू नारायण बाल विद्यालय में मनीषा सिंह, जीआईसी चुन्नीगंज में तिलक सिंह राजपूत, भारती विद्यालय में गौतम प्रसाद, हरजेन्दर नगर इंटर कॉलेज में किरन सचान को मूल्यांकन का पर्यवेक्षक बनाया गया है। इन सभी पर्यवेक्षकों ने जो रिपोर्ट डीआईओएस को दी है, उसमें साफ लिखा है कि एक भी कॉपी पूरे दिन में नहीं चेक की गई। 'पूरे स्टेट में सोमवार को मूल्यांकन नहीं हुआ है। हायर ऑफिसर को इसकी जानकारी नहीं है। परीक्षा से संबंधित जो पेमेंट नहीं हुए हैं उसकी वजह से सभी शिक्षक संघ ने मूल्यांकन का बहिष्कार किया है। डायरेक्टर से बात की जा रही है। रात तक कुछ न कुछ हल निकल आएगा. '
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अबरपति व्यापारियों को महीने में लाखों-करोड़ों रुपए की सैलरी लेने वाले लोगों के रूप में जाना जाता है। हालांकि शायद आप यह जानकर चौंक जाएं की एक भारतीय अरबपति व्यापारी ऐसा भी जो वित्त वर्ष 2019 में महज एक रुपए अपनी सैलरी के रूप में घर लेकर गया। वो है सन फार्मास्युटिकल के संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर दिलीप शांघवी, जिन्होंने 2018-19 के दौरान अपने मेहनताने में 99 फीसदी की कटौती की। उन्होंने अपने अधिकांश वेतन को त्यागने का फैसला लिया और सैलरी के रूप में महज एक रुपए घर लेकर गए। यहां नोट करने वाली है कि जब दवाई बनाने वाली कंपनी ने 27 फीसदी की शुद्ध मुनाफा कमाया, तब उन्होंने अपने वेतन में कटौती की, जबकि वित्त वर्ष 2018 में सांघवी की सैलरी 3 करोड़ रुपए घोषित की गई थी। फोर्ब्स के मुताबिक सांघवी और उनके परिवार कुल संपत्ति 10 मार्च, 2018 तक 12. 6 अरब डॉलर आंकी गई। सांघवी के बहनोई सुधीर वालिया ने भी इस दौरान महज एक रुपए का मेहनताना लिया। एक रिपोर्ट में बताया गया कि 31 मार्च, 2019 तक समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में सांघवी ने 2. 62 लाख रुपए की अतिरिक्त सेवाएं लीं। रिपोर्ट के मुताबिक सन फार्मा में उनके शेयर (9. 6 फीसदी) थे जिनकी कीमत 31 मार्च, 2018 और 31 मार्च, 2019 के बीच क्रमशः 11,411-11,039 करोड़ रुपए के बीच रही। 31 जुलाई को जब कंपनी में उनकी हिस्सेदारी का आंकलन किया गया तो यह 9,830 करोड़ रुपए बैठी। यहां ध्यान देने की बात है कि सन फार्मा दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी और भारत की सबसे अग्रणी कंपनी है जो जैनरिक दवाईंया बनाती है। वित्त वर्ष 2018 में कंपनी ने 3. 6 अरब डॉलर का राजस्व प्राप्त किया। सांघवी ने सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री शुरू करने के लिए 1983 में अपने पिता से महज 200 डॉलर उधार लिए और देखते ही देखते इतना बड़ा कारोबार खड़ा कर दिया। कंपनी 150 देशों में अपने उत्पाद सप्लाई करती है और इसके 50,000 के करीब कर्मचारी है। हाल के सालों में सांघवी ने निजी तौर नवीकरणीय ऊर्जा, तेल और तेल के कारोबार में निवेश किया। उल्लेखनीय है कि शायद बहुत से लोगों को यह बात ना मालूम हो कि सांघवी अमीरी में साल 2015 में भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी से भी आगे निकल गए थे। उस वक्त सन फार्मा की संपत्ति उस वक्त 19 अरब डॉलर थी। हालांकि पिछले कुछ सालों में सन फार्मा वैल्यूएशन में गिरावट के कारण शांघवी को अपनी संपत्ति में 60 फीसदी से अधिक का नुकसान हुआ। सन फार्मा की मार्केट में साल 2015-18 के बीच चालीस फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई क्योंकि अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कंपनी के हलोल प्लांट में उत्पादन में खामियों के चलते चेतावनी जारी की। फोर्ब्स के मुताबिक कंपनी साल 2016 में 16. 7 अरब डॉलर की संपत्ति थी जो 2019 में घटकर 7. 6 अरब डॉलर हो गई।
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इन चारों अवस्थाओं में द्रव्यों के परिणाम में उत्पन्न विषयों का, अर्थात् पर्यायों वा ज्ञान नहीं होता, किन्तु 'केवल' ज्ञान का गभी द्रव्य तथा उनके पर्याय विषय हूँ । मति तथा श्रुत के द्वारा ' तथा 'अपी' सभी द्रव्य जाने जा सकते है, किन्तु 'मी' उनके सभी पर्यायों का ज्ञान नहीं हो सकता।' २ --- परोक्ष प्रमाण जैनों के मत में दूसरा प्रमाण है - 'परोक्ष' । 'हेतु' के द्वारा 'साध्यं' वस्तु के ज्ञान को 'परोक्ष' तथा उस ज्ञान की प्रक्रिया को 'अनुमान' कहते है । 'स्वायं' तया 'परार्थ' के भेद से 'अनुमान' दो प्रकार का है। अनेक दृष्टान्तों अनुमान प्रमाण को देख कर अपने मन में अपने को समभाने के लिए किये गये अनुमान को 'स्वार्थानुमान' कहते हैं। जैसे, अनेक स्थानों में घूम को वह्नि के साथ अनेक वार देख कर देखने वाला मन में निश्चय करता है कि-'जहाँ जहाँ धूम है वहाँ आग है' । इमी नियत रूप में हेतु और आग इन दोनों के एक साथ रहने को 'व्याप्ति' कहते है। बाद को कही जाते हुए एक पर्वत में घूम को देखकर उसे पूर्व में 'व्याप्ति' के द्वारा निश्चित धूम तथा वह्नि के सम्बन्ध का स्मरण होता है और पुनः उस व्याप्ति- विशिष्ट धूम को पर्वत में देखकर वह निर्णय करता है कि पर्वत में वह्नि है । यही 'स्वार्यानुमान' है । इस प्रक्रिया में 'पर्वत' 'पक्ष' है । पर्वत में रहने वाला धूम 'पक्षधर्म' है। धूमत्व से विशिष्ट धूम का पर्वत-रूपी पक्ष में रहना 'पक्षधर्मता' कहा जाता है। इस प्रकार अनुमान में 'व्याप्ति' और 'पक्षधर्मता' ये दोनों आवश्यक है । पञ्चावयय परार्थानुमान - जब यही बात दूसरों को समझाने के लिए लायी जाती है तो उसे 'परार्यानुमान' कहते हैं। इसमें जिन पाँच वाक्यों के द्वारा निर्णय किया जाता है, उन वाक्यों को अनुमान के 'अवयव' कहते हैं। जैसे--- ( १ ) प्रतिज्ञा-पर्वत में वह्नि है, (२) हेतु क्योकि ( पर्वत में) धूम है, (३) दृष्टान्त - जहाँ घूम है वहां वह्नि है (व्याप्ति), जैसे-रमोई घर में, (४) उपनय - जो धूम बिना वह्नि के नहीं रहता, वह ( अर्थात् व्याप्तिविशिष्ट घूम) पर्वत में है, १ तत्त्वार्थसूत्र, १-२७-३० ।
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देश में कोरोना टीकाकरण (वैक्सीनेशन) अभियान की शुरुआत हो चुकी है. हालांकि, वैक्सीन को लेकर अभी लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं. दिल्ली में वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत धीमी रही, जिसे लेकर 'आजतक' ने कुछ हेल्थकेयर वर्कर्स से बातचीत की. जिसमें सामने आया कि वैक्सीनेशन ड्राइव की धीमी शुरुआत की एक वज़ह हेल्थकेयर वर्कर्स के मन में वैक्सीन को लेकर उठ रहे सवाल और डर है. कुछ को पिछले दिनों वैक्सीन लगवाने के लिए बुलाया गया लेकिन वो वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते. दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के एडमिन विभाग में काम करने वाले हेल्थकेयर वर्कर नाहीद अशर को वैक्सीन लगवाने के लिए को-विन डिजिटल प्लेटफॉर्म में रजिस्ट्रेशन के मुताबिक कॉल आया था. लेकिन नाहीद ने वैक्सीन नहीं लगवाने के फैसला किया. नाहीद ने वैक्सीन न लगवाने की वजह बताते हुए कहा कि वो वैक्सीनेशन ड्राइव से पहले वैक्सीन लगवाने को तैयार थे, लेकिन अलग-अलग राज्यों से आई वैक्सीन की नेगेटिव ख़बरों की वजह से डर गए. नाहीद ने कहा, "इस वैक्सीन के कहीं न कहीं साइड इफेक्ट होंगे, वो ज़रूरी नहीं की सभी को हो. अगर मेरे साथ कोई गड़बड़ी हो जाती है तो मेरे परिवार को दिक्कत झेलनी पड़ेगी. थोड़ा इंतज़ार करने के बाद वैक्सीन तब लगवाऊंगा, जब वैक्सीन के अच्छे रिजल्ट आएंगे. " वहीं, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की हेल्थकेयर वर्कर मोना का कहना है कि वैक्सीन लगवाने को लेकर उनके मन में कई सवाल हैं. मोना ने कहा, "मैंने काफी लोगों से सुना है कि जिन्हें इंफेक्शन या चोट है वो वैक्सीन न लगवाएं. मेरा सवाल यही है कि अगर किसी की बॉडी में स्पाइन इंजरी है तो क्या ऐसी बॉडी वैक्सीन के लिए सेफ है? मुझे इस बात का बहुत डर था कि भविष्य में मेरी बॉडी में किसी तरह का इंफेक्शन तो नहीं पनप जाएगा. " हालांकि हेल्थकेयर वर्कर मोना का मानना है कि कॉउंसलिंग से मिले जवाबो के बाद वो वैक्सीन लगवाएंगी. उधर, हेल्थकेयर वर्कर्स की लिस्ट में शामिल 25 साल के युवा सुशांत कुमार को भी वैक्सीन को लेकर काफी शंकाए हैं. सुशांत ने कहा, "वैक्सीन को लेकर मन में डर है कि कहीं साइड इफेक्ट न हो जाये. वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, लेकिन इसके बारे में सोच रहे हैं क्योंकि वैक्सीन को लेकर मन में डर है. मन में सवाल है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भविष्य में कोई दिक्कत तो नहीं होगी. " दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में वैक्सीन लगवाने के लिए रजिस्टर हो चुके विनय प्रकाश कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. विनय प्रकाश ने मन में उमड़ रहे सवालों के बारे बताते हुए कहा, "सरकार का लिखित में कंसेंट देना चाहिए कि वैक्सीन 100% सेफ है. जबकि वैक्सीन लगवाने वाले हेल्थकेयर वर्कर्स कंसेंट दे रहे हैं कि हम वैक्सीन अपनी मर्जी से लगवा रहे हैं. ऐसा करने से वैक्सीन लगवाने वालों का मनोबल बढ़ेगा और ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीनेशन लगवाएंगे. लोगों में डर है कि वैक्सीन लगवाने के बाद लोग मर सकते हैं. ऐसे में सरकार को वैक्सीन के सेफ होने का कंसेंट देना चाहिए. " हालांकि विनय प्रकाश का मानना है कि वैक्सीन देश हित के लिए लगवाना ज़रूरी है. दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की एक लैब में कार्यरत एक और हेल्थ केयर वर्कर गणेशदत्त जोशी को वैक्सीन लगवाने को लेकर एक अलग तरह की शंका है. जोशी का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को किसी खास ड्रग से एलर्जी होती है तो ऐसी स्थिति में सरकार को एक ऐसी लिस्ट जारी करना चाहिए. लिस्ट में किसी भी ड्रग से एलर्जी वालों को वैक्सीन नहीं लगवानी है या फिर वैक्सीनेशन साइट पर वैक्सीन लगवाने से पहले एक डॉक्टर का काउंटर होना चाहिए, जहां अपने सवाल पूछ सकें. दरअसल, मैं वैक्सीन लगवाने गया था लेकिन वहां जब मैंने बताया कि मुझे पेरासिटामोल से एलर्जी है तो डॉक्टर को पता ही नहीं था कि मुझे वैक्सीन लगाना चाहिए या नहीं, इसलिए मैंने वैक्सीन लगवाने से मना कर दिया. दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के ही असिस्टेंट परचेस ऑफिसर विपिन कुमार ने वैक्सीन के सेफ्टी डेटा को लेकर अपनी शंका ज़ाहिर की है. विपिन ने कहा, "मीडिया रिपोर्ट्स में वैक्सीन के साइड इफेक्ट के बारे में बताया जा रहा है कि लोगों को उल्टी हो रही है या फीवर आ रहा है. कोरोना की वजह से लोगों की इम्युनिटी पहले ही डाउन है, तो मन में सवाल है कि क्या वैक्सीन लगवाना सेफ है? वैक्सीन लगने के बाद मौत की अफवाहों से ज्यादा डर बढ़ गया है. हालांकि, वैक्सीन कोरोना से बचाव के लिए ही है लेकिन सेफ्टी डेटा जनता के बीच नहीं रखा जा रहा है कि वैक्सीन 100% सेफ है.
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निजी संवाददाता-नारकंडा-जिला शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में सोमवार को सीजन का पहला हिमपात होने से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है। कई दशकों बाद नवंबर माह में दीपावली पर्व के दौरान बर्फबारी होने से जहां किसान बागबान खुश हंै। वहीं पर इतनी जल्द बर्फ गिरने से हैरान भी है। सोमवार सुबह स्नो सिटी नारकंडा बर्फ की सफेद चादर में लिपटी नजर आई। नारकंडा की हाटु पीक और मतियाना की कमलोड़ी पीक पर लगभग आधा फुट बर्फ और नारकंडा मतियाना में एनएच पांच पर दो ईंच बर्फ दर्ज की गई। मौसम के बदले मिजाज से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है। निचले इलाकों में जहां बारिश हुई, वहीं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीजन का पहला हिमपात हुआ है। मौसम के बदले मिजाज ने लोगो को गर्म कपडे़ पहनने पर मजबूर कर लिया है। नारकंडा में समय रहते हिमपात होने से स्की स्लोप धोमड़ी में भी इस बार जल्द ही स्कींग शुरू होने की आस है। पर्यटक नगरी नारकंडा में पर्यटकों की आवाजाही भी बढ़ने वाली है। नारकंडा में इस सर्दी का यह पहला हिमपात है। हालांकि इस हिमपात से यातायात पर कोई असर नही पड़ा है। वहीं नंवबर माह में हुइ बारिश और बर्फबारी से क्षेत्र के बागबान और किसान गदगद हुए हैं। कई माह से बारिश न होने से बागबान निराश थे। मौसम न बरसने से सेब के पौधों में कैकर रोग का भी खतरा पैदा हो रहा था। वहीं बगीचों में भी सूखे के कारण कोई कार्य नहीं हो पा रहा था, ऐसे में यह बारिश किसी वरदान से कम नहीं है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो लंबे समय से खुश्क पड़ी धरा पर हुइ बारिश और बर्फबारी संजीवनी का काम करेगी और आने वाली सर्दियों के लिए भी अच्छे संकेत दिखाई दे रहे है।
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लखीमपुर खीरी घटना के वायरल हो रहे वीडियो को लेकर पत्रकार अभिसार शर्मा और अमीश देवगन भी एक दूसरे को जवाब देते नजर आए। नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा और चार किसान सहित 8 लोगों की मौत की घटना सुर्खियों में हैं। अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्ष इस पूरे मामले को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में है। सरकार पर दोषियों को बचाने के आरोप लग रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर भी पक्ष-विपक्ष को लेकर कई बातें कही जा रही हैं। इस बीच मंगलवार को एक वीडियो सामने आया, जिसे लखीमपुर खीरी घटना का बताया जा रहा है। कांग्रेस समेत कई और विपक्षी पार्टियों और नेताओं ने इस वीडियो को ट्वीट किया है और सरकार से कार्रवाई की मांग की जा रही है। इस वीडियो में दो एसयूवी कार लोगों को कुचलते हुए आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि आशीष मिश्रा के लोगों की थी जो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लाने के लिए जा रही थीं। इस मामले में सोमवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इस पूरे वीडियो पर सोशल मीडिया में खूब गहमागहमी रही। इस बीच टीवी पत्रकार रहे अभिसार शर्मा ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'हिम्मत दिखाओ अमीश। ये वीडियो अपने चैनल पर दिखाओ। सिर्फ एक बार। ' इस पर नेटवर्क -18 से जुड़े अमीश देवगन ने लिखा, 'इस में हिम्मत की नहीं पत्रकारिता की धर्म की ज़रूरत है जो तुम्हारे agenda में फ़िट नहीं है। हर वीडियो चल रहा। ' गौरतलब है कि पूरा मामला रविवार का है जब यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लखीमपुर खीरी में रविवार को एक कार्यक्रम में आना था। किसान यहां कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने डिप्टी सीएम के दौरे का भी विरोध किया। इसी दौरान अशीष मिश्रा और उसके समर्थकों ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गाड़ियां चढ़ा दीं। घटना तिकोनिया कोतवाली क्षेत्र के तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई। बनबीरपुर खीरी से सांसद अजय कुमार मिश्रा का पैतृक गांव भी है। गाड़ी चढ़ाए जाने की घटना के बाद गुस्साए किसानों ने दो एसयूवी गाड़ियों में आग लगा दी। इस पूरे मामले में अब तक कुल 8 लोगों के मारे जाने की खबर है। इसमें चार किसान भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को घोषणा की थी कि उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश इस घटना की जांच कराई जाएगी। इसके अलावा, राज्य सरकार ने घटना में मारे गए चार किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे के रूप में 45-45 लाख रुपये की भी घोषणा की।
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यूपी के हमीरपुर में एक अनाेखा मामला सामने अाया है। यहां एक युवक ने काम धंधा ना मिलने पर अवैध असलहा बनाने के कारखाना डाल दिया। इसके बाद वह उनकी सप्लाई भी करने लगा। इसके बाद जाे कुछ भी हुअा वाे फिल्मी सीन सा था। हमीरपुर में रविवार को ललपुरा पुलिस ने स्वासा मोड़ के निकट देवी मंदिर के पास छापामार कर असलहा बनाने के अवैध कारखाने का भंडाफोड़ किया है। मौके से भारी मात्रा में अवैध असलहे और उपकरण बरामद किए गए हैं। फैक्ट्री संचालक को गिरफ्तार कर लिया है। अपर पुलिस अधीक्षक एलएस यादव ने रविवार को बताया कि ललपुरा थाने के इंस्पेक्टर राजीव कुमार मिश्रा की संयुक्त टीम ने मुखबिर की सूचना पर स्वासा मोड़ के पास शेरा माता मंदिर के पीछे छापामारी की तो अवैध असलहे की फैक्ट्री चलाते वीर सिंह पुत्र किशोरी खंगार निवासी नहदौरा को दबोच लिया गया। मौके से 315 बोर की दो देशी राइफल, 315 बोर के तीन तमंचे, अधबना तमंचा व भारी मात्रा में देशी तमंचा तथा राइफल बनाने के उपकरण बरामद किए गए हैं। अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी ने पूछताछ में बताया कि कोई काम धंधा नहीं था। इसलिए पैसे की लालच में अवैध असलहे बनाते थे। आरोपी के खिलाफ धारा 25 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्जकर जेल भेजा गया है। अपर पुलिस अधीक्षक ने असलहा फैक्ट्री पकड़ने वाली टीम को दस हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की है।
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सामाजिक उत्थान के लिए कुर्मी समाज के मुखिया लगातार काम कर रहे हैं और उसे आगे बढ़ाने का बीड़ा केंद्रीय अध्यक्ष चोवा वर्मा ने उठाया है। उनके इस मुहिम में हम सब साथ हैं। कुर्मी समाज हमेशा से राष्ट्रीयता की भावनाओं के साथ काम करता आ रहा है। हमारे समाज के पुरोधा डॉ. खूबचंद बघेल ने समाज में भेदभाव को दूर करने का काम किया है। ये बातें ग्राम जर्वे में रविवार को आयोजित छत्तीसगढ़ मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज पलारी राज के 76वें वार्षिक अधिवेशन में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कही। उन्होंने कहा आज समाज में होने वाले सामूहिक विवाह के लिए शासन स्तर से जो भी सहयोग की जरूरत होगी उसे पूरा किया जाएगा। उसके लिए समाज कोई चिंता न करें। मुख्यमंत्री ने कहा समाज में लोगों ने शिक्षा को बढ़ावा दिया और उसी कारण आज सामाजिक विकास हो रहा है। इस अवसर पर विधायक शकुंतला साहू, हितेंद्र ठाकुर जिला अध्यक्ष, मोनू वर्मा अध्यक्ष नगर पंचायत पलारी, बिपिन बिहारी वर्मा, रघुनंदन लाल वर्मा, खोडास कश्यप, महेंद्र वर्मा, अश्वनी वर्मा, महेश वर्मा, गज्जू वर्मा, कपिल कश्यप, खिलेंद्र वर्मा जनपद अध्यक्ष, राकेश वर्मा जिला पंचायत अध्यक्ष, मुन्नी ओम प्रकाश वर्मा सरपंच, राज प्रधान भुनेश्वर वर्मा, दशरथ वर्मा, चंद्रशेखर, जागेश्वर रामकुमार वर्मा, दुलारी, भारती वर्मा, तरुण वर्मा , गोपी साहू , झड़ीराम कनोजे, सुमित्रा घृतलहरे, शेखर वर्मा, बिसेसर वर्मा, नरेश टिकेश्वरी वर्मा, प्रवीण धुरंधर आदि मौजूद रहे। सामाजिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और केंद्रीय अध्यक्ष चोवा राम वर्मा ने समाज के प्रतिभावान लोगों का सम्मान किया तो वहीं बलौदाबाजार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक झा को मुख्यमंत्री ने जिले में करीब 300 बेटियों के गुमशुदगी के बाद सकुशल घर वापसी के लिए उनका सम्मान किया। सीएम ने कहा कि हर जिले के कप्तान को आपके कार्यों का अनुसरण करना चाहिए। कार्यक्रम को संबोधित करते केंद्रीय अध्यक्ष चोवा राम वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का सपना देखने वाला व्यक्ति कुर्मी समाज का सपूत खूबचंद बघेल है। छत्तीसगढ़ राज्य बने 22 साल जरूर हो गए मगर आज हमको गर्व हो रहा है कि हमारे मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की संस्कृती, भाषा और बोली जो विलुप्त हो रहा था उसे जीवित कर दिया। छत्तीसगढ़ के तीज त्योहार के लिए सरकार छुट्टी देकर छत्तीसगढ़ी का मान बढ़ाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि समाज में होने वाले सामूहिक विवाह के लिए अपना सहयोग प्रशासन की ओर से करें। महामंत्री रघुनंदन लाल वर्मा ने कहा कुर्मी समाज में महिलाओं और युवाओं के आगे आने से समाज में नई ऊर्जा का संचार हुआ है, जो हर समाज के लिए अच्छा संदेश है। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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अपनी मरिणयो से आलोकित कर दिया और गधर्वो व अप्सराम्रो ने अपना स्वर्गीय संगीत गाया। इस प्रकार यह नृत्य सात दिन और सात रात निरन्तर चला । बाद मे नृत्य की यह परम्परा ही 'मणिपुरी नृत्य' कहलाई।" कत्थक नृत्य और रास- यही नहीं, वत्थक नृत्य का भी उदय रास से ही माना जाता है । कत्थक नृत्य का पुराना नाम ही, 'नटवरी नृत्य' है । नटवरी नृत्य का अर्थ है नटवर (भगवान् श्री कृष्ण) द्वारा नाचा गया नृत्य । यही नहीं, रास के वर्तमान नृत्यो घोर कत्थक नृत्यों का मूल भी एक ही है और उनके नृत्य भी एक जैसे ही हैं । अन्तर केवल यही है कि रास के नृत्य लोक-जीवन मे घुल-मिल गये है, जबकि कत्थक नृत्यो का प्राधार शास्त्रीय है । भारतीय साहित्य और रास - रास नृत्यो की लोकप्रियता का दूसरा बड़ा साक्षी भारतीय साहित्य है । जयदेव का गीत - गोविंद, विद्यापति प्रोर चडीदास की पदावली तथा हिन्दी व ब्रजभाषा का समस्त साहित्य तो रास के वनो से परिपूर्ण है ही, साथ ही बगाल का 'व्रज-बुलि' साहित्य तथा दक्षिण की भाषाओ के साहित्य मे भी रास के बड़े भव्य वर्णन मिलते है । प्राचीन गुजराती साहित्य मे तो रास की एक साहित्यिक परम्परा का ही उल्लेख, श्री कन्हैयालाल माणिक लाल मुशी ने अपने ग्रन्थ "गुजराती एण्ड इट्स लिटरेचर " मे किया है । रास के नर्त्तक नट- इस प्रकार रास के ये नृत्य प्राचीन समय मे बहुत लोक- प्रिय रहे । ऐसा प्रतीत होता है कि नट जाति का रास के इन नृत्यो से विशेष सम्बन्ध हो गया था और अपभ्रश काल तक प्राते प्राते ये नट लोग रास नृत्यों में पारगत हो गये थे । संस्कृत के बाद अपभ्रश साहित्य की पूरी खोज अभी नही हो पाई, अन्यथा रास के सम्बन्ध मे प्रौर भी महत्वपूर्ण तथ्य सामने आते, किन्तु मुनि जिन विजय जी को 'सदेश रासक' नामक ग्रन्थ खोज मे मिला है ।" उसमे एक विरहिरगो व एक पथिक के सदेश के कुछ अनुवाद श्री ओझा जी ने दिये है । उसका एक प्रश इस प्रकार है"विरहिरणी - श्राप कहाँ से ना रहे हैं, कहाँ जायेंगे ? पथिक - भद्रे, मैं उस शाम्बपुर से श्रा रहा हूँ जहाँ भ्रमण करते हुए स्थान स्थान पर प्रकृति के मधुर गान सुनाई पड़ते हैं । वेदज्ञ वेद की व्याख्या करते हैं, कहीं-कहीं रासकों का अभिनय नटों द्वारा किया जाता है।" इस ग्रन्थ से जहाँ रासको की जीवित परम्परा का पता लगता है वहीं रास नृत्यो से नट जाति के सम्बन्ध का भी पता लगता है। हमारा अनुमान है कि अपभ्रशकाल से हिन्दी के भक्ति-युग तक रास पर नटो का आधिपत्य क्षुण्ण रहा, परन्तु बाद मे नटो के हाथो रास का स्वरूप कदाचित् विगड गया। इस सम्बन्ध मे श्री जीव गोस्वामी का यह कथन दृष्टव्य है"नटैगू होतकण्ठीना, अन्योन्यात्तर काश्रियाम् । नर्तकीनाम् भयेद्रासो मण्डलीभूप नर्त्तनम् ॥" १ देखिये 'साहित्य मदेश मिनम्बर १६५८ में श्याम परमार का लेख 'रास-लीला' ।
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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली। देश की अग्रणी तेल कंपनियों पिछले दो महीनों से लोगों को पेट्रोल डीजल की कीमतों को स्थिर करके राहत दिला ही रही हैं, ऊपर से कमर्शियल गैस सिलेंडर के दाम कम करके यह राहत को दुगना कर दिया है। तेल कंपनियों 1 अगस्त को कमर्शियल गैस सिलेंडर नए रेट जारी किये हैं। तेल कंपनियों ने सोमवार को देश भर कॉमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम में कटौती कर दी है। कंपनियों ने यह कटौती 36 रुपये प्रति सिलेंडर पर की है। नए रेट से आज से ही देशभर में लूगा हो गए हैं। फिलहाल, घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में बिना राहत देते हुए कोई बदलाव नहीं किया है। इंडियन ऑयल के मुताबिक, दामों में कटौती के बाद अब दिल्ली में 19 किलो कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर कीमत 1976. 50 रुपए हो गई है। इससे पहले यह 2012. 50 रुपए के भाव से मिल रहा था। इससे पहले 6 जुलाई को देश में कॉमर्शियल सिलेंडर के कम हुए थे। तब प्रति कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमत 2021 रुपए थी,जिसे घटाकर 2012. 50 रुपए प्रति सिलेंडर कर दिया गया था। आपको बता दें कि सार्वजनिक तेल कंपनियों ने पिछले महीने जुलाई में घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दामों में 50 रुपये प्रति सिलेंडर के दामों में इजाफा किया था। यह इजाफा 14. 2 किलोग्राम वाले सिलेंडर में किया गया था। उसके बाद राजधानी दिल्ली में 14. 2 किलोग्राम वाले घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़कर 1,053 रुपए हो गया है। पिछले 1 साल में दिल्ली में रसोई गैस दाम में 215 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है। जुलाई में बढ़ोतरी से पहले दिल्ली में घरेलू एलजीपी सिलेंडर की कीमत 1,003 रुपये थी। संबंधित खबरेंः
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अमेरिकी डांसर रिकी पॉन्ड ने गणेश चतुर्थी के मौके पर 'श्रीगणेशा देवा' गाने पर जबरदस्त डांस किया. लोगों को उनका डांस इतना पंसद आया है कि वह उन्हें जमकर शेयर कर रहे हैं. भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. इस त्योहार का क्रेज न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी देखने को मिलता है. इसी कड़ी में एक विदेशी अंकल का डांस तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें वह 'देवा श्रीगणेशा देवा' गाने पर धमाकेदार डांस करते हुए नजर आ रहे हैं. हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं उन्हें दुनिया 'डांसिंग डैड'के नाम से जानती है. बॉलीवुड गानों पर उनके डांस वीडियोज आए दिन वायरल होते रहते हैं. यही वजह है कि काफी इंडियन भी उनके फैन हैं. हाल के दिनों में 'डांसिंग डैड' का एक मजेदार वीडियो सामने आया है, जिसमें वह 'देवा श्रीगणेशा देवा' गाने पर धमाकेदार डांस कर रहे हैं. वीडियो में देख सकते हैं देसी स्टाइल में डांस करते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं, बैकग्राउंड में बॉलीवुड फिल्म अग्निपथ का गाना 'श्रीगणेशा देवा' बज रहा है. इस गाने पर 'डांसिंग डैड' काफी मस्त होकर डांस कर रहे हैं. उनका ये वीडियो इंटरनेट की दुनिया में छाया हुआ है. जिसे खबर लिखे जाने तक 34 हजार से अधिक लाइक्स मिल चुके हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रिकी पॉन्ड को भारतीय गानों पर डांस करने के लिए जाना जाता है. उन्हें भारतीय गानों से कितना प्यार है, ये इसी बात से साबित होता है कि उनका सोशल मीडिया अकाउंट ऐसी वीडियो से ही भरा हुआ है जिसमें वह अक्सर बॉलीवुड गानों पर डांस करते हुए नजर आते हैं.
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वर्तमान में गुजरात सरकार का नया बजट सामने आया है। सरकार ने कई सहायता योजनाएं शुरू की हैं। बेटी की शिक्षा के लिए सहायता, किसानों के लिए सहायता, लोगों के लिए आवास सहायता आदि जिसमें सरकार ने एक योजना बनाई है जिसमें सरकार घर की मरम्मत के लिए सहायता प्रदान करेगी। वर्तमान में, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नए मकान-फ्लैट की खरीद पर आवेदक को 2.67 लाख की सब्सिडी दी जाती है। अब यह उसी तरह पात्र है जो पुराने मकान के नवीनीकरण के लिए या कच्चे घर के परिपक्व होने के लिए आवेदक द्वारा किए गए ऋण पर सरकार से सब्सिडी का लाभ उठाते हैं, जिससे अधिकांश आवेदक अनभिज्ञ हैं। इस ऋण पर सब्सिडी सहायता हाउसिंग फॉर ऑल मिशन के तहत प्रदान की जाती है, जैसे कि केंद्र सरकार एक नए घर की खरीद पर ब्याज सहायता प्रदान करती है। जमा करना होगा। साथ ही, आवेदक को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि वह ऋण के लिए आवेदन करते समय क्रेडिट लिक्विड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) का लाभ उठाना चाहता है। वित्तीय संस्थाओं के साथ-साथ बैंक द्वारा सत्यापित आवेदक से वित्तीय सहायता लेने की पात्रता। फिर हर महीने के अंत में, नेशनल हाउसिंग बैक हूडू को किराए के लिए आवेदन भेजेगा। आवेदक को मंत्री आवास योजना की निर्धारित पद्धति के अनुसार सब्सिडी की राशि उसके खाते में जमा की जाएगी। आवेदक को समिति द्वारा वाउचर या प्रमाण पत्र दिया जाएगा। आवेदक को इस प्रमाणपत्र को पीठ में जमा करना होगा, जिस पर ब्याज की राशि आवेदक के खाते में जमा की जाएगी। अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे दूसरों के साथ शेयर करें।
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इससे इतना अवश्य स्पष्ट हो जाता है कि नाटक की उत्पत्तिौर उसके विकास के साथ-साथ रंगमंच की उत्पत्ति और उसका विकास हुआ है। रंगमंच की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक मत और विचारणीय है और वह है अनुमान के आधार पर । मानव सभ्यता की उत्तरोत्तर उन्नति में विश्वास करनेवाले विकासवादियों का कहना है कि नाटक की उत्पत्ति नृत्य से हुई है। उस समय जब मानव की वाक्-शक्ति का विकास नहीं हुआ था तब मुख के श्रावेग को उसने नृत्य द्वारा ही व्यक्त किया होगा। आगे चलकर उस नृत्य में गति और लय को सुधरता यी होगी। नृत्य में गति और लय आने के पश्चात् विशेष अवसरों पर नृत्य का आयोजन होता रहा होगा और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना के रूप में गीत भी गाये जाते रहे होंगे और उन गीतों के साथ वाद्यों का भी प्रयोग किया जाता रहा होगा। इन दो अवस्थों के पश्चात् धीरे-धीरे दिवंगत वीरों की जीवन घटनाओं को भी उनके साथ मिला लिया गया होगा। इस प्रकार नृत्य, गीत और घटना के जोड़मेल से उस समय के लोगों को मनोरंजन का एक साधन, मिल गया होगा। इसके बाद नाटक के जीवन में एक चौथी अवस्था आयी होगी और तब उसमें संवाद को भी स्थान मिल गया होगा। नृत्य + गीत + घटना + संवाद से नाटक का जो रूपाया होगा उसमें उस समय के कलाकारों ने अभिनय कला को भी स्थान दिया होगा और फिर कथानक के चुनाव में धार्मिक स्थलों और संवादों का विधान चल पड़ा होगा। ऐसा लगता है कि इसी के पश्चात् प्रशिक्षित लोगों के नाटक के ये पाँच तत्त्व साहित्यकारों ने अपना लिये होंगे और उन्होंने उनमें संतुलन और सामंजस्य स्थापित करके उनको 'रस' के आश्रित कर दिया होगा। इस प्रकार नृत्य + गीत + घटना + संवाद + प्रभिनय + रस ने एक साथ मिलकर नाटक को जन्म दिया होगा। इसके बाद अन्य कलाकारों ने इन छः तत्वों के अंतरंग और बहिरंग में कला का प्रवेश करके
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बगहा के जंगलों में आदमखोर बाघ का आतंक. बगहा. वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के जंगल से निकलकर आस पास के गांवों में आदमखोर बाघ लोगों को अपना शिकार बनाता जा रहा है. अब तक 7 मानव जीवन को खत्म कर चुका यह नरभक्षी बाघ अब किसी तरह से काबू में नहीं आ रहा है. ग्रामीण अब इसके विरुद्ध गोलबंद हो रहे हैं और वन विभाग के खिलाफ आंदोलन की तैयारी करने लगे हैं. इस बीच स्थानीय निवासियों में आक्रोश को देखते हुए आदमखोर बाघ को मारने का आदेश दे दिया गया है. चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने नरभक्षी बाघ को मारने के लिए शूटर की टीम भी गठित कर दी है. शुक्रवार शाम से ऑपरेशन बाघ को तलाश कर ढेर करने का काम होगा शुरू. वन पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी ने इसकी जानकारी दी है. बताया जा रहा है कि फॉरेस्ट विभाग और बगहा पुलिस की टीम ऑपरेशन को अंजाम देगी. बता दें कि गत12 सितंबर से लगातार इस आदमखोर बाघ का आतंक जारी है. वन विभाग को रेस्क्यू करने में अब तक सफलता नहीं मिल सकी जिसकी लिखित सूचना एनटीसीए को दे दी गई है. दरअसल, बगहा क्षेत्र में ही अब तक 7 लोगों को यह अपना शिकार बना चुका है. एक बार फिर इस नरभक्षी बाघ ने एक युवक का शिकार कर लिया है. शौच करने गए संजय महतो नाम के एक युवक पर नरभक्षी बाघ ने हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया. इससे पहले गुरुवार को भी घर में सो रही एक लड़की को बाघ ने अपना शिकार बना लिया था. बता दें कि एक के बाद एक 7 लोगों के इस नरभक्षी बाघ का शिकार बन जाने से बगहा के जंगल किनारे बसे गांवों में आज हर ओर दहशत है. भय का माहौल है. हर जगह एक ही आवाज आ रही है- भागो बाघ आया. दिन हो या फिर रात, बाघ की चहलकदमी ने ग्रामीणों के साथ वनकर्मियों की भी नींद उड़ा रखी है. खेतों में ग्रामीण जाने से परहेज कर रहे हैं और गांवों में लोग घर से भी झुंड बनाकर निकल रहे हैं. रेस्क्यू के बाद बाघ ने अपना ठिकाना बदल लिया है और अब नए इलाकों में दहशत फैला रखी है. . PHOTOS: पहले प्यार से गुलाम संग जबरन शादी तक. . . पाक वाली सीमा की पूरी कुंडली, जिसने सचिन के लिए की सारी हदें पार!
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पर्यटकों को लेकर हिमाचल आने वाली गैर पंजीकृत बसों से परिवहन विभाग टैक्स वसूल करेगा। परिवहन विभाग ने टैक्स की दरें जारी कर दी है। हालांकि राज्य सरकार ने कैबिनेट में पहले ही इसे मंजूरी प्रदान कर ली थी, लेकिन अब ई-गजट पर इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। राज्य सरकार ने मोटर व्हीकल टैक्सेशन एक्ट-1972 की धारा 3ए की उपधारा ए के प्रावधान के अनुसार यह अधिसूचना जारी की है। राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक अन्य राज्यों में पंजीकृत कांट्रेक्ट कैरिज बसें, जो ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट नियम-2023 के तहत कवर नहीं है, उनसे तीन हजार रुपए से छह हजार रुपए का टैक्स प्रतिदिन के हिसाब से वसूल किया जाएगा। इनमें 13 से 32 सीटर ऑर्डिनरी, सेमी डीलक्स, और डीलक्स बसों से तीन हजार रुपए प्रतिदिन टैक्स वसूल किया जाएगा। इसके अलावा 32 सीटर से अधिक बड़ी बसों से चार हजार रुपए का टैक्स वसूल किया जाएगा। वहीं एससी बसों से छह हजार रुपए प्रतिदिन वसूल किए जाएंगे। इसके अलावा बाहरी राज्यों में पंजीकृत कांट्रेक्ट कैरिज बसें जो ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट नियमों के अधीन आती हैं, उनके लिए भी टैक्स का प्रावधान किया गया है। इनमें ऑर्डिनरी, सेमी डीलक्स और डीलक्स बसों से प्रतिदिन तीन हजार रुपए, साप्ताहिक 15 हजार रुपए और सालाना 50 हजार रुपए वसूल किए जाएंगे। यह टैक्स 13 से 32 सीटर बसों से वसूल किया जाएगा, जबकि 32 सीटर से अधिक की बसों से प्रतिदिन चार हजार, साप्ताहिक 20 हजार और सालाना 60 हजार रुपए वसूल किए जांएगे। इसके अलावा एसी, बसों से प्रतिदिन पांच हजार, साप्ताहिक 25 हजार और सालाना 75 हजार रुपए वसूल किए जाएंगे।
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भोपाल । मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में भारतीय जनता पार्टी के नेता द्वारा अपने परिवार के तीन अन्य सदस्यों के साथ आत्महत्या करने के मामले में सियासत हो रही है। राजधानी के नजदीक स्थित विदिशा जिले में भाजपा के नगर मंडल उपाध्यक्ष संजीव मिश्रा ने अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ जहरीला पदार्थ खाकर बीते रोज आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट मिला है जिसमें कहा गया है कि बच्चों की लाइलाज बीमारी से परेशान होकर आत्महत्या जैसा कदम उठाया। भाजपा नेता के अपने परिवार के सदस्यों के साथ आत्महत्या करने का मामला सामने आने पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता हनुमा आचार्य ने ट्वीट कर कहा कि अभी अभी अपने शहर विदिशा से एक हृदय विदारक घटना सुनी है कि विदिशा के पूर्व बीजेपी पार्षद संजीव मिश्रा ने अपनी पत्नी और दो बच्चों सहित खाया जहर। गणतंत्र दिवस के दिन चारों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है। क्यों अपने पार्षद का दुख तक न जान सके विदिशा को अपना जताने वाले शिवराज सिंह चौहान? कांग्रेस नेत्री के ट्वीट पर भाजपा के प्रदेष प्रवक्ता डा हितेष वाजपेयी ने जवाब में कहा, मौत पर राजनीतिक रोटियां सेकने वाली लज्जाजनक हरकत से पहले जान लो कि उनका बेटा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित था जिससे पूरा परिवार डिप्रेशन मे था। कभी टाइम निकाल कर घर हो आती तो पता चलता न? पर हो तो कुण्ठित कांग्रेसी ही न! (आईएएनएस)
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Best Electric Bike: साल 2022 खत्म होने वाला है। इस साल देश के मार्केट कई बेहतरीन इलेक्ट्रिक बाइक्स को कंपनियों ने लॉन्च किया। आज इस रिपोर्ट में हम आपको साल 2022 में लॉन्च हुई कुछ बेहतरीन इलेक्ट्रिक बाइक्स के बारे में बताएंगे। इन बाइक्स का लुक बहुत आकर्षक हैं और इनमें आपको जबरदस्त रेंज देखने को मिल जाता है। कंपनी ने अपनी इस इलेक्ट्रिक को 99,999 रुपये की शुरुआती एक्स-शोरूम कीमत पर बाजार में पेश किया है। इसे एक बार फुल चार्ज करके आप 200 किलोमीटर की रेंज तक चला सकते हैं। इसमें आपको तीन राइडिंग मोड क्रमशः इको, सिटी और हैवॉक मोड्स कंपनी उपलब्ध कराती है। हैवॉक मोड में इस इलेक्ट्रिक बाइक की टॉप स्पीड 100 किमी प्रति घंटा पर पहुँच जाती है। इसमें कंपनी ने 4.4 kWh का लिथियम-आयन बैटरी पैक लगाया है। इसकी क्षमता महज तीन सेकंड में 0 से 40Kmph की रफ्तार पकड़ने की है। Ultraviolette F77 कंपन्ह की भारतीय बाजार में मौजूद पहली इलेक्ट्रिक बाइक है। कंपनी ने अपनी इस इलेक्ट्रिक को 3.80 लाख रुपये की शुरुआती एक्स-शोरूम कीमत पर बाजार में पेश किया है। इसमें आपको 10.3 kWh का लिथियम-आयन बैटरी पैक मिलता है। इसे एक बार फुल चार्ज करके आप 307 किलोमीटर की रेंज तक चला सकते हैं। कंपनी ने अपनी इस इलेक्ट्रिक को 1.22 लाख रुपये की शुरुआती एक्स-शोरूम कीमत पर बाजार में पेश किया है। इसे एक बार फुल चार्ज करके आप 180 किलोमीटर की रेंज तक चला सकते हैं। कंपनी इसमें 100 किमी प्रति घंटा की टॉप स्पीड भी ऑफर करती है। इसमें कंपनी ने 4 kWh का लिथियम-आयन बैटरी पैक लगाया है। इसकी क्षमता महज चार सेकंड में 0 से 40Kmph की रफ्तार पकड़ने की है। इस इलेक्ट्रिक बाइक को दो वेरिएंट क्रमशः OXO और OXO X में कंपनी ने पेश किया है। कंपनी इसमें 90 किमी प्रति घंटा की टॉप स्पीड भी ऑफर करती है। टर्बो मोड में यह महज चार सेकंड में 0 से 40Kmph की रफ्तार पकड़ लेती है। इसमें कंपनी ने 3.75kWh का लिथियम-आयन बैटरी पैक लगाया है। इसे एक बार फुल चार्ज करके आप 150 किलोमीटर की रेंज तक चला सकते हैं।
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गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले पंचायत आजतक के कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा भी शामिल हुए. चड्ढा ने बीजेपी-कांग्रेस पर हमला बोला और दिल्ली, पंजाब की तरह गुजरात में सरकार बनाने का दावा किया. इस दौरान राघव चड्ढा ने अरविंद केजरीवाल को अपना होरी और खुद को उनका फैन बताया. केजरीवाल को राघव चड्ढा ने अपना राजनीतिक गुरु बताया और कहा कि मैं उनकी उंगली पकड़कर राजनीति में आया हूं. राघव चड्ढा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल हमारी पार्टी के संयोजक है. हम उनके नाम पर चुनाव लड़ते हैं और हमें उनके ही नाम पर वोट पड़ता है. हम उनका नाम इस्तेमाल करके गारंटी देंगे और हम उनके नाम पर ही वोट लेंगे. केजरीवाल के नाम बार-बार लेने के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि वो हमारे राजनीतिक गुरू हैं और मैं उनका चेला हूं. केजरीवाल की ही उंगली पकड़कर मैंने राजनीति में चलना सीखा है. वो मेरे हीरो हैं और मैं उनका फैन हूं. केजरीवाल तक राजनीतिक सीमित होने के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि हम लोग कौन है. हम चार्टेड अकाउंट हैं. हम किसी राजनीतिक परिवार से नहीं आते हैं. हमारे घर में हमसे पहले कोई राजनीति में नहीं था और न ही हमारे बाद कोई राजनीति में आएगा. हम पढ़े लिखे युवा हैं, जिसके दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत है. इसी मिशन को लेकर केजरीवाल चल रहे हैं. आम आदमी पार्टी के विचार से हम लोग जुड़े हैं. राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली और पंजाब में जिस तरह से बिजली-पानी के क्षेत्र में क्रांति हुई है, उसे गुजरात भी लोग चाहते हैं. बीजेपी हमारे वोटों को काटने के लिए सारी पार्टियां स्पोंसर करती है. कभी किसानों की पार्टी बना देती है. पंजाब में पानी, बिजली के क्षेत्र में क्रांति आई है. एक ही नेता है, जो कहता है, वो करके दिखाता है. एक ही शख्स है जो ईमानदार है. पंजाब के बारे में कहा जाता था कि वहां कर्ज है, कैसे वादे पूरे करेंगे. हम केजरीवाल के नाम पर चुनाव लड़ते हैं. उन्होंने दीवार फिल्म का डायलॉग सुनाया. कहा- बीजेपी वाले आते हैं और कहते हैं कि हमारे पास ईडी है, सीबीआई, पुलिस, पावर, आईटी है तो हम कहते हैं कि हमारे पास केजरीवाल हैं. जिन्हें भगवान कृष्ण का आशीर्वाद है. चड्ढा ने आगे कहा कि वो आंदोलन में केजरीवाल से जुड़ गए. गोपाल पेशे से कांस्टेबल थे. हम पढ़े लिखे वो युवा हैं, जिनमें देश के लिए कर गुजरने की भावना है. देश की राजनीति को कीचड़ से निकालना है. पंजाब में 50 साल से अकाली दल तो कभी कांग्रेस की सरकारें हुआ करती थीं. म्यूजिकल चेयर चलती थी. पंजाब के लोगों ने 50 साल के शासन को उखाड़ फेंका और आप को मौका दिया. इसी तरह तरह गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस की सरकारें रही हैं. गुजरात का निर्माण 1960 में हुआ था. 2022 तक 35 साल कांग्रेस, 27 साल बीजेपी की सरकार रही है. इसके बाद भी लोग बिजली, पानी और सड़कों की मांग कर रहे हैं. ये लोग बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दे पाए. अपने पुरानी पार्टियों को हटाकर पढ़ी लिखी ईमानदार पार्टी को मौका दे रहे हैं. केजरीवाल को चुन रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये धारणा है कि हम उन्हीं राज्यों में अच्छा करते हैं, जहां कांग्रेस से टक्कर होती है. ये गलत है. 2015 का दिल्ली चुनाव सबसे बड़ा चुनाव था. तब कांग्रेस मैदान में नहीं थी. बीजेपी बनाम आप का चुनाव था. बीजेपी को हम वहां 32 सीटों से 3 सीटों पर ले आए. हम बीजेपी के सामने कमजोर नहीं पड़ते. ना घुटने टेकते हैं. आज देश में सिर्फ एक ही पार्टी है- वो आप है. कांग्रेस तो दूर तक नहीं है. हिमाचल में हम बहुत अच्छा करेंगे. देश की राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा बनाम आप के बीच चुनाव होने वाले हैं. आप को वोट कटुआ पार्टी कहे जाने के सवाल पर कहा कि हमें बीजेपी, कांग्रेस के परंपरागत और साइलेंट वोट भी समर्थन दे रहे हैं. वोट दे रहे हैं. उन्होंने सर्वे के आंकड़े भी गिनाए. कहा- हम सबका वोट ले रहे हैं. आज कांग्रेस पार्टी की 2022 के चुनाव में 5 सीटों से ज्यादा नहीं आ रही हैं. कांग्रेस एनजीओ बन गई है. ये सिर्फ चुनाव में दिखते हैं.
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में रहना ही बतलाया गया है। और इस कारण महात्मा प्रायः वन मे ही रहते हैं। मैं अपनी यावश्यकता पूर्ति के लिए ही नगर में जाता हूँ।' भगवान् महावीर के पधारने का जहाँ कहीं वर्णन किया गया है, वहां यही कथन है कि भगवान् अमुक बाग में पधारे। श्रेणिक और श्रनाथी मुनि की मुलाकात भी वन में हुई थी । इस प्रकार विवेकवान् को वन में जैसा लाभ होता है, नगर में नहीं होता । मुनि ने गंगकुमार से कहा- 'हे वत्स ! तू मेरे पास है, इसलिए मै तुझे दो शब्द सुनाता हूँ । तू मेरे शब्दों को ध्यान से सुन ।' जो ज्ञान का पात्र होता है वही ज्ञान का झेल सकता है । कुपात्र ज्ञान को पचा नहीं सकता । यहाँ पात्र और उपदेशक दोनों ही योग्य थे । पात्र गंगकुमार है और उपदेशक आकाश में उड़ने की शक्ति रखने वाले चारण मुनि ! यह किसी प्रकार के बंधन में नहीं रहते। लेकिन उनकी शक्ति केवल उन्हीं के लिए नहीं होती। वे अपनी समस्त शक्तियाँ आत्मकल्याण के साथ जगत् के कल्याण में व्यय करते हैं । उन मुनि में किसी प्रकार का कल्पित पक्ष नहीं था और न वन में ही किसी प्रकार का पक्ष था । वन की बात जाने भी दीजिए और जिस मकान में आप बैठे हैं, उसी मकान की बात- सोचिए । यह मकान पक्ष नहीं करता कि मै को नहीं बैठने दूँगा । जब मकान ऐसा पक्ष नहीं करता तो यह किसका माना जय ? ऐसी स्थिति में यही कहा जा सकता है कि मकान किसी का नहीं है, कुदरत के नियम का है। ऐसा होते हुए भी अगर कोई मनुष्य मकान के लिए अभिमान करता है तो उसका अभिमान मिथ्या है । जो वस्तु अभिमान त्यागने का बोध देती है उसी को अभिमान का कारण बना लेना कितना अनुचित है ? कान भी फिर भी सनुष्य उसे सिर्फ अपना मानकर घमण्ड करता है ! स्त्रियाँ भोजन बनाकर अभिमान करती हैं कि हमने बनाया है। लेकिन यह अभिमान क्यों ? आटा, आग, पानी और लकड़ी यह अभिमान नहीं कर सकते ? क्या इनके बिना भोजन वन सकता है ? फिर भी जब यह लव वस्तुएँ अहकार नहीं करतीं तो वहिनें क्यों अभिमान करती है ? अगर भोजन बनाने वाली बहिनें ऐसा विचार करें तो बहुत लाभ हो सकता है । 'हाय मेरे माथे पर कितना भार है - घर भर का काम मुझे ही करना पड़ता है, प्रकार अहकारमिश्रित दुःख प्रकट करने से हानि ही होती है। कई स्त्रियों घड़ी भर सामायिक में बैठने में तो ग्रानन्द मानती हैं, लेकिन किसी बीमार की सेवा करनी पढ़े तो बढ़ी फटिनाई और मुसीवत समझती हैं। वह कहने मेरा दिन तो मल-मूत्र उठाने में ही जाता है !
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गाँव का रामू - क्या हाल है रानी ? लड़की - कौन बद्तमीज़ बोल रहा है ? रामू - क्या री ? अपने आशिक को नहीं पहचानती ,, लड़की (गुस्से में)- मेरा नम्बर कहाँ से मिला ? लाजो का गोलू रोज ऑफिस से लेट आता था, में किसी और से चक्कर है, नौकरानी - नहीं , ऐसा नहीं हो सकता, लाजो - क्यों ? . . . . . . . . . . . . . . गोलू की गर्लफ्रेंड उसे किस कर रही थी, गोलू - शादी से पहले कुछ मत करो जानू, भगवान नाराज हो जायेंगे, लड़की - कैसे? गोलू - तुमको पता है कि भगवान को गुस्सा कब आता है? लड़की - कब? . . . . . . . . . जब लड़की शादी से पहले प्रेग्नेंट हो जाये, गोलू अपने 2 बेटों के साथ ट्रेन(train) में जा रहा था, चादर डाल दी कुर्सी पे बैठ गया , टीटी - टिकट(Ticket) दिखाओ, गोलू - ये लो , टीटी - ये तो आधा टिकट है, गोलू - आधा मतलब , टीटी - आधा मतलब एक बटा दो , एक ऊपर दो नीचे , आधार कार्ड का ऑफिस बंद था , कार्ड बनवाने के लिए लम्बी लाइन लगी हुई थी , गोलू बार बार लाइन में आगे जाने की कोशिश कर रहा था , लोग बार उसे पीछे पकड़ कर खीच देते थे , उसने 4-5 बार कोशिश की , लगे रहो लाइन में सालो , झाँक रही थी, दुबला पतला कालू गली से गुजरा, I Love You,, बेबी, तू पहले खुद को देख और अपने शरीर को देख, उसके बाद मुझे और मेरे शरीर को देख, कालू बुरी तरह बीमार हो गया, डॉक्टर से दवाई लेकर घर आया, बीवी - क्या बताया डॉक्टर ने? सोते समय टेंशन साथ लेके मत सोया करो, बीवी - मतलब? कालू - मतलब कमबख्त,
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रूस गुरुवार को यूक्रेन में पहला हमला कर चुका है। इसके बाद अब वह दूसरे हमले की तैयारी में है। जिसे लेकर हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि आने वाले कुछ घंटों में रूस, राजधानी कीएव पर हमला कर देगा। ऐसे में यहां पर फंसे हजारों भारतीयों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। रूस और भारत के आपसी संबंध अच्छे माने जाते हैं। बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई हमले को लेकर बातचीत की खबरे भी आई थी। जिसमें मुख्य रुप से पीएम मोदी ने वहां फंसे भारतीयों के सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया था। इसी बीच यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच भारत सरकार अपने नागरिकों को यूक्रेन से बाहर निकालने में जुटी हुई है। इस अभियान के तहत 470 भारतीय छात्रों का पहला जत्था यूक्रेन से बाहर निकलकर रोमानिया की सीमा में पहुंच चुका है। कीएव में भारत के दूतावास की तरफ़ से बताया गया है कि भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से सुरक्षित निकालने की ये प्रक्रिया रोमानिया, हंगरी और पोलैंड के भारतीय दूतावासों के संयुक्त प्रयासों से की जा रही है। वहीं, भारतीय छात्रों को पोलैंड में प्रवेश की अनुमति मिल सके इसलिए पोलैंड-यूक्रेन सीमा पर भी तैयारियां तेज़ कर दी गई हैं। भारत के दूतावास ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि आज दोपहर 470 से अधिक छात्र यूक्रेन से बाहर निकलेंगे और पोरबने-साइरेट सीमा के माध्यम से रोमानिया में प्रवेश करेंगे। हम सीमा पर स्थित भारतीयों को आगे की निकासी के लिए पड़ोसी देशों में ले जा रहे हैं। भीतरी इलाकों से आने वाले भारतीयों को स्थानांतरित करने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस से दो तरह के विचार सामने आए हैं। एक पक्ष का कहना है कि सरकार को संतुलन बनाए रखना चाहिए तो दूसरा पक्ष ये कह रहा है कि रूस की कार्रवाई की निंदा होनी चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश राज्य मंत्री आनंद शर्मा ने सरकार द्वारा उठाए कदमों पर ही ज़ोर दिया है। वहीं कांग्रेस के ही दूसरे वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी का तर्क है कि सरकार को इस मामले में स्पष्ट रुख़ रखना चाहिए और रूस को बताना चाहिए कि ये हमला गलत है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि भारत को रूस की कार्रवाई की निंदा करनी चाहिए, क्योंकि ये अंतरराष्ट्रीय नियमों और यूएन चार्टर का उल्लंघन है।
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नई दिल्ली। चर्चित जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा उर्फ सिद्धार्थ शर्मा को सोमवार को दिल्ली के तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया. 17 साल से सजा काट रहे मनु शर्मा के साथ 22 अन्य आरोपियों को तिहाड़ जेल से रिहा किया गया है. हरियाणा के पूर्व मंत्री विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा को दिसंबर 2006 में दिल्ली हाईकोर्ट ने 1999 में जेसिका लाल की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. पिछले महीने सेेंटेंस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर मनु शर्मा सहित उम्र कैद के 22 दोषियों की रिहाई तिहाड़ जेल से की गई है. सेंटेंस रिव्यू बोर्ड को उम्र कैद के मामले में 14 साल की सजा पूरी होने के बाद रिव्यू करने का अधिकार होता है. बता दें कि मॉडल जेसिका लाल की 29 अप्रैल 1999 की रात को टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में मनु शर्मा ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जेसिका लाल रेस्टोरेंट की एक प्राइवेट पार्टी में एक बार टेंडर का काम कर रही थीं, जहां रात 12 बजे के बाद शराब परोसना बंद हो गया था. पार्टी में शामिल मनु शर्मा ने शराब मांगी, जिस पर जेसिका लाल के मना करने पर मनु शर्मा ने हजार रुपये देने की पेशकश की थी, इस पर जेसिका ने जो झिकड़ी दी, जो नशे में धुत मनु को बुरी लगी और जेसिका को गोली मार दी.
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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पंजाब के सीएम भगवंत मान के बाद अब उनके मंत्रियों ने भी शपथ ले ली है. शनिवार 19 मार्च को भगवंत मान के 10 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली. चंडीगढ़ में हुए इस कार्यक्रम में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने सभी नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई. मंत्री पद की शपथ लेने के बाद सभी नेताओं ने सीएम भगवंत मान के साथ मुलाकात की. वहीं, आज (शनिवार) दोपहर दो बजे कैबिनेट के पहली बैठक होगी. साथ ही खबरें सामने आ रही हैं कि, कैबिनेट की पहली बैठक में ही सरकार की तरफ से कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है. किन विधायकों को बनाया मंत्री? आम आदमी पार्टी ने दूसरी बार विधायक बने सिर्फ दो ही नेताओं को कैबिनेट मंत्री बनाया है. चीमा और मीत हेयर दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए हैं, जबकि बाकी आठ विधायक पहली बार चुने गए हैं. इन 10 मंत्रियों में 5 मालवा, 4 माझा और 1 दोआबा से हैं. हालांकि, अभी मंत्रियों को दिए जाने वाले विभाग का घोषणा नहीं की है. हरपाल चीमा (दिरबा) डॉ बलजीत कौर (मलौत) हरभजन सिंह ईटीओ (जंडियाला) डॉ विजय सिंगला (मनसा) लाल चंद कटारुचक (भोआ) गुरमीत सिंह मीत हेयर (बरनाला) कुलदीप सिंह धालीवाल (अजनाला) लालजीत सिंह भुल्लर (पट्टी) ब्रह्म शंकर (होशियारपुर) हरजोत सिंह बैंस (आनंदपुर साहिब) बता दें कि, पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी. 117 विधानसभा सीटों में आम आदमी पार्टी ने 92 पर अपना कब्जा जमाया था. पंजाब के इतिहास में ये पहला मौका है जब विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को इतनी सीटें मिली हों.
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वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज कंपनी का असर देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर भी दिखाई देने लगा है। जेट एयरवेज कंपनी ने देहरादून एयरपोर्ट पर मुंबई और गुवाहाटी की हवाई सेवा पांच मई तक के लिए स्थगित कर दी है। फ्लाइट स्थगित होने से शनिवार को हवाई यात्रियों को परेशानी से दो चार होना पड़ा। शनिवार को मुंबई और गुवाहाटी जाने के लिए जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे कई हवाई यात्रियों को वापस लौटने और दूसरे माध्यमों से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मौजूदा समय में देहरादून से सिर्फ जेट एयरवेज ही मुंबई के लिए अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। राज्य के पर्यटन और तीर्थाटन के लिए आने वाले लोगों को हवाई सेवा उपलब्ध नहीं होने से आगे भी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। मुंबई के लिए जेट एयरवेज काफी लंबे समय से अपनी हवाई सेवा उपलब्ध कराता आ रहा है। मुंबई जैसे मुख्य शहर से भारी संख्या में पर्यटक उत्तराखंड घूमने के लिए आते हैं। सेवा स्थगित होने से ऐसे हवाई यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। यदि ऐसा ही रहा तो दिल्ली जैसे शहरों की उड़ानों पर भी असर पड़ना स्वाभाविक है। विमानन कपंनी के अधिकारियों के अनुसार दिल्ली की उड़ानें अभी सामान्य है। मई महीने से चारधाम यात्रा भी शुरू होने जा रही है। ऐसे में मुंबई और गुवाहाटी की हवाई सेवा अचानक स्थगित होने के कारण उन श्रद्धालुओं को परेशानी उठानी पड़ सकती है, जिन्होंने हवाई यात्रा से जौलीग्रांट तक पहुंचने की योजना बनाई हुई थी।
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नई दिल्लीः अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा, जिन्होंने हाल ही में भाजपा से कांग्रेस ज्वाइन किया है उन्होंने शनिवार को पूछा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के बाद कौन "पप्पू" है और कौन असली "फेकू" है? सिन्हा ने दावा किया कि पीएम मोदी झूठे वादे करने के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने कहा कि वह 2022, 2024, 2029 के लिए ऐसा करते रहे, भले ही वह उस समय पीएम बनने नहीं जा रहे हों। सिन्हा ने कांग्रेस प्रमुख की प्रशंसा की और उन्हें "तेजतर्रार, गतिशील और निश्चित रूप से आकर्षक" बताया। उन्होंने कहा कि वह टीएमसी, सपा, बसपा जैसी अन्य पार्टियों से निमंत्रण के बावजूद कांग्रेस में शामिल हुए, क्योंकि पार्टी महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और अन्य लोगों द्वारा स्थापित की गई पुरानी पार्टी है। सिन्हा ने दावा किया कि नोटबंदी और जीएसटी ने लाखों युवाओं को बेरोजगार कर दिया, छोटे और मझोले व्यापारियों को तबाह कर दिया और कारखाने के उत्पादन में 50 फीसदी की कमी लाई। "मैं राफेल सौदे, विमुद्रीकरण और जीएसटी जैसे मुद्दों पर नरेंद्र मोदी का लगातार आलोचक हूं क्योंकि एक अभिमानी पीएम ने इन मुद्दों पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कैबिनेट मंत्रियों से परामर्श नहीं किया। यही कारण है कि मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गया। उन्होंने भविष्यवाणी की कि 2019 लोकसभा जीतना मोदी के लिए "असंभव" होगा।
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Jamshedpur : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 71वें जन्मदिन पर भाजपा जमशेदपुर महानगर ने 'सेवा ही समर्पण' के तहत अस्पतालों में फल वितरण, स्वच्छता अभियान, महाआरती समेत जनहित के कई सेवा कार्यों को किया. शुक्रवार को इसी कड़ी में साकची स्थित भाजपा जिला कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन को दर्शाती एक भव्य प्रदर्शनी लगाई गई. समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी का जीवन अभावों एवं संघर्षों में बीता. उनकी मानव सेवा करने के संकल्प ने उन्हें इतना मजबूत बना दिया कि आज वे देश की सभी बड़ी चुनौतियों का सामना कर उसका समाधान कर रहे हैं. भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसा कोई नेता नहीं होगा, जिन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए 12-12 घंटे सीबीआई की जांच में थाना में बैठकर सहयोग किया. पूरी कांग्रेस पार्टी समेत विपक्षी दल उन्हें बदनाम करने की निरंतर साजिश की, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी का सामना करते हुए देश के प्रधानसेवक का सफर तय किया. युवा पीढ़ी को उनके जीवन से सीख लेने की आवश्यकता है. प्रदर्शनी का उद्घाटन भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, सांसद विद्युत वरण महतो, प्रदेश मंत्री रीता मिश्रा एवं महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव समेत अन्य नेताओं ने संयुक्त रूप से किया. नरेंद्र मोदी के बचपन से लेकर वर्तमान स्थिति को दर्शाती हुई प्रदर्शनी में अलग-अलग चित्र के जरिए उनके संघर्षों और राजनीतिक उपलब्धियों को दिखाया गया. पीएम के जन्मदिन पर महानगर अंतर्गत सभी मंडलों में मंडल अध्यक्ष के नेतृत्व में मंदिरों में महाआरती की गई. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने पीएम मोदी के उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु की कामना की. सांसद विद्युत वरण महतो ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत पुनः विश्व गुरु बनने की राह पर अग्रसर है. महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव ने कहा कि प्रदर्शनी में प्रधानमंत्री मोदी के बचपन, युवावस्था और राजनीतिक जीवन की छोटी सी झलकियों को दर्शाया गया है. कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन महामंत्री राकेश सिंह और धन्यवाद ज्ञापन मंत्री पप्पू सिंह ने किया. इस अवसर पर रीता मिश्रा, चंद्रशेखर मिश्रा, रामबाबू तिवारी, नंदजी प्रसाद, दिनेश कुमार, कल्याणी शरण, राजेश शुक्ल, मिथिलेश सिंह यादव, बबुआ सिंह, संजीव सिन्हा, राकेश सिंह, पप्पू सिंह, जितेंद्र राय, मंजीत सिंह, राजीव सिंह, बोलटू सरकार, प्रेम झा आदि उपस्थित थे.
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जयपुर. जयपुर ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Greater Municipal Corporation) के पार्षदों के सपनों पर राज्य सरकार ने पानी फेर दिया हैं. पार्षदों के भत्ते में बढ़ोत्तरी की फाइल को राज्य सरकार ने नामंजूर कर दिया हैं, लेकिन इसी बीच निगम की कार्यवाहक मेयर ने अगली साधारण सभा में फिर से भत्ते बढ़ाने का प्रस्ताव पारित कर सरकार को मंजूरी के लिए भेजने का ऐलान किया है. दरअसल, जयपुर ग्रेटर नगर निगम के पहले बोर्ड की पहली साधारण सभा की बैठक बीते 28 जनवरी को हुई थी. इस दौरान पार्षदों को रिझाने के लिए भी कई प्रस्ताव पारित किये गए थे. पार्षदों को लैपटाँप देने से लेकर भत्ता बढ़ाने का प्रस्ताव भी पारित हुआ, लेकिन राज्य सरकार ने पार्षदों का भत्ता 3750 रुपये से बढ़ाकर 11 हजार रूपए करने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया. अब पार्षदों को भत्ते के तौर पर वही 3750 रूपए मिलते रहेंगे. ग्रेटर नगर निगम की कार्यवाहक मेयर शील धाभाई के मुताबिक अभी तो पार्षदों को 3750 रुपये मासिक के लिहाज से बीते महिनों का भत्ता एक मुश्त दिया जा रहा हैं. लेकिन अब अधिकारियों को ताकीद किया गया हैं कि अब ये भत्ता हर माह 1 से 5 तारीख के बीच दिया जाए. हालांकि, कार्यवाहक मेयर शील धाभाई खुद तर्क गिना रही हैं कि पार्षदों को मिलने वाला ये भत्ता बेहद कम है. लिहाजा अब अगली साधारण सभा की बैठक में पार्षदों का भत्ता 3750 रुपये से बढ़ाकर 15 हजार रुपये मासिक करने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा और सरकार को फिर से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. बहरहाल, पार्षदों को रिझाने या उन्हें साधने के लिए मेयर भले ही एक बार फिर भत्ते बढ़ाने का प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को भेजने का दावा करें, लेकिन हकीकत ये है कि जब सरकार ने भत्ता 3750 से बढ़ाकर 11 हजार करने का प्रस्ताव ही नामंजूर कर दिया तो फिर 15 हजार की मांग को हरी झंडी कैसे दी जा सकती है. .
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बबन कुंअर सेवा समिति द्वारा सारण जिला में मांझी प्रखंड के इनायतपुर पंचायत के बालोखरा गांव में डाबर इंडिया द्वारा प्रदत्त ग्लूकोज एवम जूस का वितरण किया गया । लगभग में 100 से अधिक महिलाओं के बीच वितरण का कार्य हुआ । संस्था के सचिव श्री अमित कुमार सिंह एवम संस्था के कोषाध्यक्ष पवन कुमार सक्रिय सदस्य सूरज कुमार आदि लोग उपस्थित रहे । लोगो के बीच महिला सशक्तिकरण को लेकर भी महिलाओं को संस्था के सचिव अमित कुमार ने बताया । बिहार सरकार और भारत सरकार द्वारा किए जा रहे । कार्यों को भी महिलाओं को बताया गया महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहा है। बिहार में महिला सशक्तिकरण को लेकर युवाओं ने एक बेहतर संगठन बनाया है जिसका नाम है बबन कुंवर सेवा समिति दूधैला सारण जिसकी स्थापना 13 सितंबर 2021 को हुई है इस संगठन का मुख्य मकसद महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है जिसमें शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार उत्पीड़न डिजिटल क्रांति का प्रचार प्रसार करना है इस संगठन के अध्यक्ष हैं विनायक कुमार झा जबकि सचिव है अमित कुमार सिंह कोषाध्यक्ष है पवन कुमार संयोजक है अविनाश कुमार संगठन के सक्रिय सदस्यों में आनंद कृष्णा पवन कुमार सौरभ कुमार और रवि कुमार शामिल है। बिहार में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में जो काम होना चाहिए वह नहीं हुआ है जितने भी संगठन है वह अपना पेट भरने में ही लगे रहते हैं महिला सशक्तिकरण की बातें तो होती है पर यह संचिका ओं से निकलकर जमीन पर नजर नहीं आती है महिलाओं के साथ उत्पीड़न हो या उनके शिक्षा की या स्वास्थ्य की बात कोई उनकी आवाज को नहीं उठाता है इसी सब विषयों को लेकर उन्होंने इस संगठन की स्थापना की है तथा ग्रास रूट लेवल पर काम कर रहे हैं लोगों का सहयोग भी मिल रहा है उन्होंने बताया कि संगठन के सचिव अमित कुमार सिंह सारण में काफी बेहतर काम कर रहे हैं जबकि पवन कुमार अविनाश कुमार और बाकी टीम के सदस्य पटना में ग्रास रूट लेवल तक जाकर लोगों की सहायता कर रहे हैं समाज के विभिन्न तबकों का सहयोग भी उनके संगठन को मिल रहा है।
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- पांच राज्यों के चुनाव में सबसे बड़ा दांव भारतीय जनता पार्टी का है। क्योंकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा की सरकार है। - तीसरे मोर्चे का भविष्य और ममता-शरद पवार और केसीआर की उम्मीदें भी नतीजों पर टिकी हैं। - नवजोत सिंह सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक करियर के लिए यह चुनाव बेहद अहम है। Assembly Elections 2022: अब वो घड़ी बेहद नजदीक है, जब 5 राज्यों के चुनावी नतीजों से भारतीय राजनीति की अगले दो साल की दिशा तय होने वाली है। 10 मार्च को उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। इन नतीजों से यह तय होगा कि भाजपा मजबूत होती है, या फिर विपक्ष को 2024 के लिए नई संजीवनी मिलेगी। क्योंकि इसी के आधार पर अगले दो साल में कई राजनीतिक समीकरण बनते-बिगड़ते नजर आएंगे। पांच राज्यों के चुनाव में सबसे बड़ा दांव भारतीय जनता पार्टी का है। क्योंकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा की सरकार है। ऐसे में उसके लिए इन राज्यों में फिर से जीत हासिल करना बेहद जरूरी है। उसमें भी उत्तर प्रदेश में सत्ता में वापसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। क्योंकि अगर पार्टी इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करती है, तो उसके लिए 2024 में (लोकसभा चुनाव) बेहद आत्मविश्वास के साथ लड़ना आसान होगा। वहीं अगर पार्टी खराब प्रदर्शन करती है, तो उसके लिए एनडीए कुनबे को बचाकर रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी। इन 5 राज्यों में कांग्रेस के लिए पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में सत्ता में फिर से वापसी की चुनौती है। अगर वह जीतती है तो राहुल गांधी के नेतृत्व को मजबूती मिलेगी और भाजपा के खिलाफ विपक्ष की लड़ाई में कांग्रेस, स्थिति मजबूती से रख सकेगी। और अगर हार होती है तो कांग्रेस से दूरी बना रहे राजनीतिक दलों के लिए 2024 में कांग्रेस के बिना गठबंधन बनाने का रास्ता मिल जाएगा। साथ ही पार्टी का कई बड़े नेता साथ छोड़ सकते हैं। आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब का चुनाव बेहद अहम है। अगर वह सरकार बनाती है तो राष्ट्रीय राजनीति में उसका कद बढ़ेगा। और वह 2024 के लिए विपक्षी दल उसे नकार नहीं सकेंगे। समाजवादी पार्टी अगर उत्तर प्रदेश में भाजपा को सत्ता से दूर कर देती है तो अखिलेश यादव का कद, ममता बनर्जी की तरह राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ जाएगा। और वह 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य की अगुआई करते दिखेंगे। जिसका उन्हें 2024 की लड़ाई में फायदा मिलेगा। लेकिन अगर हार होगी तो यह संदेश भी जाएगा कि उनमें चुनाव जीतकर सरकार बनाने की क्षमता नहीं है। इन चुनावों में बसपा प्रमुख मायावती और उनकी पार्टी की साख भी दांव पर है। अगर पार्टी खराब प्रदर्शन करती है तो मायावती के राजनीतिक करियर पर सवाल उठने लगेंगे। और दलित राजनीति के नए नेतृत्व की बात भी उठेगी। लेकिन अगर वह 2017 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करती हैं तो उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता पर सवाल उठाने वालों के मुंह बंद हो जाएंगे। इसी तरह पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक करियर के लिए यह चुनाव बेहद अहम है। क्योंकि नतीजों से यह तय हो जाएगा कि राज्य की राजनीति में इन तीनों की प्रासंगिकता कितनी कायम रहेगी। देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव, जुलाई 2022 में होना है। और 5 राज्यों के नतीजों से राज्यसभा के सीटों से लेकर विधानसभा सीटों पर सीधा असर होगा। जिनका राष्ट्रपति चुनाव में असर दिखेगा। अगर भाजपा इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसके लिए अपने उम्मीदवार को जिताना कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा। इसके अलावा अगस्त तक 65 से ज्यादा सीटों पर राज्यसभा के चुनाव होने वाले हैं। अगर भाजपा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करती है तो वह राज्य सभा में अपनी संख्या मजबूत करेगी। लेकिन अगर उसका 2017 के मुकाबले प्रदर्शन खराब रहता है तो उसके लिए राज्यसभा का समीकरण थोड़ा मुश्किल हो जाएगा। पिछले कुछ महीनों से तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार से लेकर टीआरएस प्रमुख कें. चंद्रशेखर राव लगातार तीसरे मोर्चे की कवायद कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि गैर भाजपाई दलों को एक-जुट कर भाजपा के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाया जाय। इस कवायद में वह कांग्रेस के बिना विकल्प बनने की तलाश में भी हैं। अगर 5 राज्यों के चुनावी नतीजे भाजपा के खिलाफ जाते हैं, तो तीसरे मोर्चे को संजीवनी मिलेगी और कई राजनीतिक दल उनके साथ जुट सकते हैं। जिस तरह 5 राज्यों के चुनाव को देखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून को वापस लेने का फैसला किया, वह ब्रांड मोदी के लिए झटका था। क्योंकि नरेंद्र मोदी की छवि आर्थिक सुधारों के लिए सख्त कदम उठाने के लिए जाना जाता रहा है। ऐसे में अगर नतीजे भाजपा के लिए अनुकूल आते हैं, तो आने वाले वाले दिनों में श्रम सुधार से लेकर जीएसटी कर ढांचे में कई अहम सुधार किए जा सकते हैं। लेकिन अगर भाजपा को हार मिलती है, तो नए आर्थिक सुधारों जैसे नेशनल मोनेटजाइजेशन पाइपलाइन आदि की रफ्तार भी धीमी हो सकती है।
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धड़क एक बॉलीवुड ड्रामा फिल्म है, जिसे शशांक खेतान द्वारा निर्देशित किया गया है। फिल्म धड़क में बॉलीवुड की बेहतरीन दिवंगत अदाकारा श्रीदेवी की बड़ी बेटी जाह्नवी कपूर और शाहिद कपूर के छोटे भाई ईशान खट्टर मुख्य भूमिका में हैं। धड़क, मराठी फिल्म सैराट का रीमेक है, जिसमे रिंकू राजगुरु और आकाश थॉसर मुख्य भूमिका में नजर आये थे। सैराट मराठी सिनेमा की पहली फिल्म थी, जिसने बॉक्स-ऑफिस पर करीबन 100करोड़ की कमाई का आंकड़ा पार किया था, और यह फिल्म सिनेमाघरों में करीबन 100 दिनों तक चली थी। hindi.filmibeat.comधड़क बेशक अच्छी फिल्म है लेकिन ये फिल्म कई जगहों पर महज अमीर लड़की-गरीब लड़के के प्यार की कहानी लगने लगती है। शशांक क्लाइमैक्स से पहले फिल्म के ज्यादातर टाइम में सिर्फ ऊंच-नीच जाति के मुद्दे को दिखाते रहते हैं। इस जगह धड़क सैराट से मात खा जाती है। Dhadak: Jhanvi Kapoor & Ishaan Khatter shares 'Pehli Baar' song MEMORIES ! अरबाज खान के दुल्हा बनते ही मलाइका अरोड़ा ने किया शादी का ऐलान? बोलीं- मैं जरूर शादी करूंगी.. Seema Haider कैमरे के सामने फूट-फूटकर रोईं, कहा- 'मेरा कोई नहीं है, अगर वो मुझे पसंद करता है तो...' पार्टी से निकलीं जान्हवी कपूर की हालत देख चौंके यूजर्स, ट्रोल करते हुए बोले- 'फुल पीकर टाइट है' Ayodhya प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पहुंचेंगे ये बॉलीवुड और साउथ के सितारे? चौकाने वाली लिस्ट वायरल! Dhadak: Jhanvi Kapoor & Ishaan Khatter shares \'Pehli Baar\' song MEMORIES !
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कांग्रेस की युवा शाखा ने धमकी दी है कि अगर पांच दिनों के भीतर बंदियों को रिहा नहीं किया गया तो राज्य सरकार के खिलाफ जनवादी आंदोलन शुरू किया जाएगा। ईटानगरः अरुणाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस (APYC) ने हाल ही में 72 घंटे के राज्यव्यापी बंद के दौरान अरुणाचल प्रदेश गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (APUAPA), 2014 के तहत हिरासत में लिए गए 36 लोगों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की है. कांग्रेस की युवा शाखा ने धमकी दी है कि अगर पांच दिनों के भीतर बंदियों को रिहा नहीं किया गया तो राज्य सरकार के खिलाफ जनवादी आंदोलन शुरू किया जाएगा। सोमवार को राज्य के गृह मंत्री बामांग फेलिक्स को सौंपे गए एक प्रतिनिधित्व में, APYC ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (APPSC) के पेपर लीक मामले सहित राज्य के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। प्रतिनिधित्व में कहा गया है कि 72 घंटे के बंद के दौरान सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने के कारण राज्य में तनाव बढ़ रहा है। एपीवाईसी ने इस बात पर जोर दिया कि "ये हिरासतें पैन अरुणाचल संयुक्त संचालन समिति (पीएजेएससी) द्वारा प्रस्तुत मांगों के 13-सूत्रीय चार्टर को पूरा करने में राज्य सरकार की विफलता का परिणाम थीं, जिसका वादा खुद मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने फरवरी में एक बैठक के दौरान किया था। 18। प्रतिनिधित्व के अनुसार, एपीपीएससी पेपर लीक के संबंध में सरकार की त्वरित कार्रवाई और पारदर्शी जांच की कमी ने कार्यकर्ताओं को इस तरह के कड़े उपायों का सहारा लेने के लिए प्रेरित किया है। इसने आगे बताया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण भ्रष्ट अधिकारियों और अधिकारियों की पुनर्नियुक्ति ने जनता के बीच चिंता बढ़ा दी है। "36 व्यक्तियों की हिरासत और APUAPA के तहत उनके खिलाफ 12 मामलों के पंजीकरण ने कड़ी आलोचना की है, यह देखते हुए कि वे पहले से ही मजिस्ट्रेट रिमांड में थे। उनके रिमांड को 12 से बढ़ाकर 30 दिनों तक करना अमानवीय माना गया है क्योंकि वे अपराधी नहीं हैं, बल्कि एक भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ लड़ने वाले कार्यकर्ता हैं और संविधान के अनुच्छेद 16 (1) में निहित व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का लक्ष्य रखते हैं। कांग्रेस ने कहा। APYC के अध्यक्ष तार जॉनी ने प्रतिनिधित्व में इन बिंदुओं पर जोर दिया, जिसमें कहा गया कि ये व्यक्ति भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों में सरकार की सहायता कर रहे हैं। प्रतिनिधित्व ने यह भी चिंता व्यक्त की कि आलोचना को चुप कराने और विफलताओं को छिपाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करना शासन की विफलता को दर्शाता है। APYC ने पांच दिनों के भीतर सभी बंदियों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्री के हस्तक्षेप का आह्वान किया है।
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JEE Main Result 2023 :कोटा। देश के सबसे बड़े इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम JEE-main 2023 का रिजल्ट जारी हो गया है। जिसमें कोटा के कोचिंग इंस्टिट्यूट के 3 छात्रों ने टॉप 5 में बाजी मारी है। परीक्षार्थी अपना रिजल्ट अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं। कोटा की जिस कोचिंग के तीन स्टूडेंट टॉप 5 में आए हैं। उनके नाम श्रीकांत वैरागडे(AIR-3), मलय केडिया(AIR-4) और कौशल विजयवर्गीय(AIR-5) हैं। श्रीकांत वैरागडे ने 300 में 300 अंक प्राप्त किए। मलय केडिया ने भी 300 में 300 अंक और कौशल विजयवर्गीय ने भी 300 में 300 अंक प्राप्त करके टॉप 5 में अपनी जगह पक्की कर ली है। बता दें कि इस परीक्षा में 11 लाख 12 हजार अभ्यर्थियों ने पार्टिसिपेट किया था। जिसमें 2,50000 शीर्ष रैंक पाने वाले छात्र अब जेईई एडवांस में आवेदन करेंगे। रिजल्ट के साथ ही टॉपर्स के भी नाम जारी कर दिए गए हैं। साथ में ऑल इंडिया रैंक को भी मेंशन किया गया है। इस वर्ष परीक्षा (JEE Main Result 2023) में शामिल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने के कारण ही कटऑफ भी बढ़ी। जेईई-मेन के आधार पर शीर्ष सभी कैटेगरी मिलाकर 2. 5 लाख विद्यार्थियों को एडवांस्ड परीक्षा देने के लिए क्वालीफाई किया जाता है। इसमें ओपन कैटेगरी से 1 लाख एक हजार 250, ईडब्ल्यूएस से 25 हजार, ओबीसी के 67 हजार 500, एससी के 37500 तथा एसटी कैटेगरी के 18750 स्टूडेंट्स क्वालीफाई किया जाता है। इस वर्ष सामान्य श्रेणी की कटऑफ 90. 7788642, ईडब्ल्यूएस की कटऑफ 75. 6229025, ओबीसी की कटऑफ 73. 6114227, एससी की कटऑफ 51. 9776027, एसटी की कटऑफ 37. 2348772 रही। वहीं गत वर्ष इन्हीं कैटेगरी की कटऑफ ओपन कैटेगरी में कटऑफ 88. 41, ईडब्ल्यूएस की 63. 11, ओबीसी की 67. 00, एससी 43. 08, एसटी की 26. 73 कटऑफ रही थी। इस वर्ष ओपन की एडवांस्ड परीक्षा के लिए क्वालीफाई कटऑफ 2. 3, ईडब्ल्यूएस की 12, ओबीसी की 6, एससी की 8 व एसटी की 11 पर्सेन्टाइल कटऑफ में बढ़ोतरी हुई। अमित आहूजा ने बताया कि इस वर्ष पहली बार विद्यार्थियों के हायर एनटीए स्कोर में टाइ लगने पर रैंक के निर्धारण के लिए 9 मापदण्ड निर्धारित किए गए हैं, जिसमें यदि दो विद्यार्थियों के टोटल एनटीए स्कोर समान आते हैं तो ऑल इंडिया रैंक निर्धारण में सर्वप्रथम मैथेमेटिक्स का एनटीए स्कोर देखा जाता है। यह समान होने पर फिजिक्स, इसके बाद कैमेस्ट्री का एनटीए स्कोर, फिर सही और गलत उत्तरों की संख्या का अनुपात देखा जाता है। इस स्थिति में टाइ लगने पर विषयवार मैथेमेटिक्स के सही व गलत उत्तरों की संख्या का अनुपात, यहां भी टाइ लगने पर फिजिक्स के सही और गलत उत्तरों की संख्या का अनुपात, उसमें टाइ लगने पर कैमेस्ट्री के सही एवं गलत उत्तरों की संख्या का अनुपात देखा जाता है। उपरोक्त सभी मापदण्डों में भी टाइ लगने की स्थिति में जिस विद्यार्थी की आयु ज्यादा होगी, उसे आल इंडिया रैंक में प्राथमिकता दी जाती है। आयु के मापदण्ड के स्तर पर ही भी यदि टाइ की स्थिति बनती है आवेदन क्रमांक के आरोही क्रम को प्राथमिकता दी देते हैं। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के कॅरियर काउंसलिंग एक्सपर्ट अमित आहूजा ने बताया कि विद्यार्थी जिनकी एआईआर 5 हजार से कम रहेगी उन्हें टॉप 5 एनआईटी तिरछी, वारंगल, सूरतकल, इलाहाबाद, जयपुर ट्रिपलआईटी इलाहाबाद की कोर ब्रांच मिलने की संभावना होगी। विद्यार्थी जिनकी आल इंडिया रैंक 5 से 10 हजार के मध्य रहेगी, उन्हें उपरोक्त टॉप 5 एनआईटी की अन्य ब्रांचों के अतिरिक्त कालीकट, सूरत, नागपुर,भोपाल,कुरूक्षेत्र, राउरकेला जैसे एनआईटी में कोर ब्रांच मिलने की संभावना है। ऐसे विद्यार्थी जिनकी एआईआर 10 से 20 हजार के मध्य आने की संभावना है, उन्हें जालंधर,जमशेदपुर, दिल्ली, गोवा,अगरतला, हमीरपुर, दुर्गापुर जैसे एनआईटी में कोर ब्रांच के साथ-साथ ट्रिपलआईटी ग्वालियर, जबलपुर, गुवाहाटी,लखनऊ, पेक चंडीगढ़, बिट्स मिसरा आईआईईएसटी शिवपुर, जेएनयू, हैदराबाद यूनिवर्सिटी में कोर ब्रांच मिलने की संभावना रहेगी। विद्यार्थी जिनकी ऑल इंडिया रैंक 20 से 30 हजार के मध्य रहती है उन्हें टॉप 10 एनआईटी की अन्य ब्रांचों के अतिरिक्त पटना, रायपुर, सिल्चर, उत्तराखंड, श्रीनगर, आंध्रप्रदेश, अरूणाचल प्रदेश जैसे एनआईटी की कोर ब्रांचों के साथ-साथ नए ट्रिपलआईटी जैसे तिरछी, नागपुर, पूणे, सूरत, भोपाल, वडोदरा, , रांची, आदि मिलने की संभावनाएं बन सकती है। साथ ही 30 से 60 हजार ऑल इंडिया रैंक वाले विद्यार्थियों को टॉप 20 एनआईटी की कोर ब्रांचों के अलावा अन्य ब्रांचों व नोर्थ ईस्ट के एनआईटी जैसे सिक्किम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम में कोर ब्रांचों के साथ साथ नए ट्रिपलआईटी रांची, धारवाड़ ,कल्याणी, कुर्नूल, चित्तूर ,नया रायपुर, मणिपुर ऊना, कोटयम व जीएफटीआई में प्रवेश मिलने की संभावना बन सकती है। यह दी गयी एआईआर पर कॉलेज मिलने की संभावनाएं कैटेगिरी अनुसार सामान्य, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, एससी-एसटी के विद्यार्थियों के लिए बदल सकती है। ( इनपुट- योगेश जोशी )
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के निष्कर्ष सिद्धांत है। अनुकरण काव्य का घनिष्ठ संबंध सदा से काव्य-महाकाव्य के साथ रहता आया है। यह व्यापार देवताओं के साथ करने के बराबर है :" अनुकरणाधिकृत विषयों के संबंध में यही कहा गया है कि धार्मिक काग्यों भथवा इदय के गंभीर मार्मिक भावों ( Sentiments ) का अनुकरण करना सवैधा धनुपयुक्त है। दृष्टांततः अँगरेज़ी-साहित्य में लार्ड टेनिसन की अंतिम कविता "Crossing the Bar" को अनुकरणतिर्गत विषयों से बाहर गिनाया है। इसी प्रकार हमारी समझ में; कालिदास के घुवश और कुमारसंभव, जगन्नाथ पंडितराज की गंगारी रवींद्र की गोतांजलि और साधनन, तुलसीदासजी की रामायण, सूरदासजी के प्रेमपावर और प्राधुनिक हिंदी कवियों में 'हरिऔध'जो के मियप्रवासांतर्गत गंभीर मार्मिक और धर्मविषयक भावों का उपहासात्मक अनुकरण करना सवैया धनुपयुक्त और वृथा है । [व] पश्न यह होता है कि ऐसे पवित्र और आदर्श साहित्य को परिपूरित करने का अधिकारी जेखक कौन हो सकता है १ स्वाभाविकतः उत्तर यही है कि वही जिसके हृदय में साहित्य-सेवा की सघी, स्वर्गीय ह धारणा विद्यमान है। जो मूल-लेखक के काव्य से पूर्णतया अवगत है और जिसे साहित्य के सच्चे हिताहित की शान है। यह अनुकरण-काव्य की कत्रा को शान सकता है। यही विवेचन कर सकता है की रचना का प्रशंसा गर्मित अनुकरण करके उसकी ख्याति प्रसारित करनी चाहिए और कौनसे का दमन । अनुकरण-काव्य के प्रकार, भेद अँगरेजी में अनुकाल काम्प के सीन अंग माने गए हैं। या
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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल स्व० एच० मी० मुखर्जी एवं लोकसभा के अध्यक्ष स्व० अनन्त शायनम आयगर के साथ श्री सीतारामजी उन्होंने विश्वविद्यालय में शिक्षा नही पाई, फिर भी बगाल की तेजस्विता के बीच अपने को प्रतिष्ठित किया है और मुक्ति आन्दोलन के महान् कर्णधारो का अजस्र स्नेह पाया है। जिस समय राजनीति का अर्थ सेवा था, उस समय वे सब से आगे थे । आज राजनीति भोग-नीति है, इसलिए उनमे न पद के लिए होड है, न सम्मान के प्रति आसक्ति अपनी जीवन सध्या में भी वे जन-कल्याण के लिए, साहित्य और कला के लिए समर्पित है। इस आयु मे भी श्री शिक्षायतन जैसी संस्थाए उनकी क्रियात्मक शक्तियो के केन्द्र उन्होंने अपनी गलतियो का बोझ कभी नही ढोया है । उनका प्रयोग ऊपर चढने के लिए सीढी के रूप में ही किया है । गाधीवाद मे जो सर्वोत्तम है, उसका वे प्रतीक है । वे 'माँ' का रूप हैं, 'माँ', जो बस प्यार ही कर सकती है -- जिसके लिए सार्थक होने का अर्थ ही समर्पित होना है । समर्पण की इसी चमत्कारी प्राभा से मण्डित हे सौम्य-मूर्ति सेकसरियाजी का सम्पूर्ण जीवन । बगला के ख्याति प्राप्त नाट्यकार, कहानीकार और उपन्यास लेखक श्री तरुण राय मरूद्यान का यह मानव ! मुझे मरुभूमि का कोई अनुभव नहीं है क्योकि वहाँ जाने का कभी मौका ही नही मिला । हाँ, मरुभूमि की तस्वीर देखी है, वर्णन पढा है । पच्चीस साल पहले जब कालेज से निकला ही था, रोजगार के लिये दलाली का जुआ कधे पर रख डलहौजी स्क्वायर मे जाने लगा था। यह क्षेत्र एक बडा फैला हुआ रेगिस्तान ही है - रस रूप हीन सूखा खखाड । मै साहित्य का विद्यार्थी था, नाटक करना मुझे अच्छा लगता था, लेकिन इन सब की बातें करने के लिये इन आफिसो के वातावरण मे कही कोई नहीं था । वहा तो फाटका बाजार की चिल्लाहट, शेयर के ऊँचेनीचे भाव, पाट के दाम, चट की दरें, जहाज का किराया, -- इन्ही सब की कच कच थी । सुना है कि ऊँट मरुस्थल मे काटेदार वृक्षो की डालियाँ चवाना पसन्द करता है । मुह से खून निकलता है, फिर भी उसी मे उसे । मै भी यदि डलहौजी स्क्वायर की मरुभूमि का ऊँट वन पाता तो, हो सकता है, औरो की तरह रुपये के कँटीले पौधे चबा कर आनन्द पाता किन्तु दुर्भा यवश वैसा मैं नहीं बन पाया । इमलिये इस मरुभूमि में एक स्निग्ध-शीतल मरुद्यान की खोज करता रहता था । आखिर मरुद्यान मिल गया । मेरे परम मित्र श्री बी० एम० सिंधी के माध्यम से एक दिन मुझे मनचाहा मरुद्यान मिल गया । वह था 'नया समाज' नामक प्रगतिवादी हिन्दी मासिक पत्रिका का दफ्तर जिस दफ्तर मे सिंघीजी काम करते थे, उसी के एक कोने मे उस पत्रिका का दफ्तर था और उन्ही की देखरेख में उसका सचालन था । सम्पादक थे श्री मोहनसिंह सेंगर, जो दुर्भाग्य से आज जीवित नही है । वे समर्थ लेखक तो थे ही, किन्तु उससे भी बडे वे मानव थे । भारतीय संस्कृति का पूर्ण विकास मैने उनमे पाया था । इसीलिये मरुभूमि की बालू की गर्मी मे तप्त होते ही भाग कर मै प्राश्रय लेता था "नया समाज" के इस मरुद्यान मे । मन खोल कर सेगरजी से बाते करता - साहित्य, कला, नाटक आदि के बारे मे । हमारी इन बैठको मे और एक व्यक्ति प्राय उपस्थित रहता था - सौम्य - कान्ति, लम्बा, गोरा, खादी का सफेद कुर्ता-धोती पहने और माथे पर गांधी टोपी लगाये । मुह पर अशेप हँसी । विनयी, नम्र, धीर, स्थिर । मुस्कराते हुए हमारी बातें सुनता,
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अयोध्या. राम जन्मभूमि (Ram Janambhoomi) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आने के बाद अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार द्वारा गठित होने वाले राम मंदिर ट्रस्ट (Ram Mandir Trust) पर हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार राम मंदिर ट्रस्ट का गठन तीन महीने के भीतर करना है. सूत्रों से मिल रही खबर के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ट्रस्ट की रूपरेखा तैयार कर ली है और 30 जनवरी तक इसकी घोषणा हो सकती है. मिल रही जानकारी के अनुसार इस ट्रस्ट में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े साधु-संत, विश्व हिंदू परिषद (VHP) और आरएसएस से जुड़े लोगों को जगह मिल सकती है. उधर राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पद के लिए अयोध्या के संतों ने रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के नाम पर सहमति जताई है. वीएचपी भी महंत नृत्य गोपाल दास के नाम पर अपनी सहमति जता चुका है. सूत्रों के मुताबिक इस ट्रस्ट में अयोध्या से करीब 11 सदस्य हो सकते हैं, जिसमें श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, निर्माेही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास और दिगंबर निर्वाणी अखाड़ा के महंत सुरेश दास शामली हो सकते हैं. इसके अलावा ट्रस्ट में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और अयोध्या के जिलाधिकारी (डीएम) को भी जगह मिल सकती है. बता दें कि राम मंदिर के पक्ष में नौ नवंबर को आए फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट गठन की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी थीं. जिसके लिए तीन माह का समय भी दिया था. ट्रस्ट गठन का समय पूरा होने के साथ ही मंदिर निर्माण की कार्रवाई भी पूरी होती नजर आ रही है. राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या के संतों का मत भी एक हो चुका है. सभी संत और धर्माचार्य, विश्व हिंदू परिषद भी महंत नृत्य गोपाल दास के नेतृत्व में मंदिर निर्माण कार्य के लिए आगे आना चाह रहे हैं. यही वजह है कि केंद्र सरकार द्वारा उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. अब महंत नृत्य गोपाल दास को जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई है. अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने बताया कि राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण शीघ्र शुरू होने जा रहा है. केंद्र सरकार मंदिर निर्माण को लेकर जो भी फैसला करेगा हम सभी संत उसके समर्थन में हैं. यदि महंत नृत्य गोपाल दास नए ट्रस्ट के अध्यक्ष बनते हैं तो अयोध्या के संतों में बड़ा उत्साह होगा. अयोध्या के सभी संत चाहते हैं कि महंत नृत्य गोपाल दास के नेतृत्व में मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो. उन्होंने बताया कि इसी माह में ट्रस्ट की घोषणा होने जा रही है और आगामी 25 मार्च के बाद से मंदिर का निर्माण कार्य भी शुरू हो जाएगा. रामजन्मभूमि पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी महंत नृत्य गोपाल दास के नाम पर समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि अयोध्या के संतों का एक ही मत है कि अयोध्या में भव्य रामलला का मंदिर बने और जल्द से जल्द तिरपाल से हटकर भव्य दिव्य मंदिर में भगवान राम विराजमान हों. आज देश भर के सभी रामभक्त राम मंदिर निर्माण के इंतजार में हैं. विश्व हिंदू परिषद ने भी महंत नृत्य गोपाल दास को नेतृत्वकर्ता बताते हुए कहा कि जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन को दिशा देने का कार्य किया, ऐसे संतों के नेतृत्व में ही हम सभी चलेंगे. वीएचपी के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि बनने वाले ट्रस्ट में कौन-कौन से लोग शामिल होंगे, इसकी घोषणा गृह मंत्रालय द्वारा ही की जाएगी. महंत नृत्य गोपाल दास जी वैष्णव संप्रदाय के विशिष्ट संत हैं, जिनका आदर पूरा देश करता है. साथ ही वो वर्तमान में रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष भी हैं और हम सभी चाहेंगे कि उनके कद के अनुसार ट्रस्ट में उन्हें जगह मिले. ये भी पढ़ेंः .
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पहले कैराना उपचुनाव में जयंत चौधरी को यहां उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा थी, मगर तीन दिन चली गहरी चर्चा के बाद सपा विधायक नाहिद हसन की मां तबस्सुम हसन को आरएलडी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ाना तय हुआ। कैराना से 84 किमी दूर मीरापुर के जाटों वाले मोहल्ले में हुक्का गुड़गुड़ाते हुए कुछ जाट सड़क के किनारे चारपाई पर बैठकर कैराना चुनाव की चर्चा में मशगूल है। कैराना की बेचैनी को इनके चेहरे पर पढ़ा जा सकता है। कैराना में वे वोट नही कर सकते, मगर कैराना पर इनकी पल-पल की नजर है। इसकी अपनी वजह है। यहां बैठे 81 साल के चौधरी मल्लू सिंह की इसका खुलासा करते हैं। वे कहते हैं, "जाटों का नेता खत्म हो जाएगा। इन बीजेपी वालों ने तो उसका घर भी छीन लिया और अब हमारा वजूद भी छीनना चाहते हैं। उन्हें जाटों की राजनीति से जलन हो रही है। जयंत हमारा बच्चा है, उसमें अपने दादा वाली बात है। यह चुनाव तब्बसुम हसन नही लड़ रही हैं, जाट लड़ रहे हैं। यह जाटों के मान-सम्मान की बात है। रालोद हमारी पार्टी है। किसानों की बात करती है। बीजेपी तो पूंजीपतियों का दल है। " इस चुनाव को चौधरी अजित सिंह ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। इससे पहले कभी उन्होंने इतनी मेहनत नही की है। वे बुधवार को जलालाबाद के आरएलडी नेता अशरफ अली खान के घर पहुंचे। उन्होंने कहा, "अब मेरी जिंदगी का एक ही मक़सद है। जाटों और मुसलमानों में पहले जैसी मोहब्बत पैदा करना। " अशरफ अली खान के पिता गय्यूर अली खान कैराना से सांसद रहे हैं और वे अजित सिंह के पिता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के करीबी मित्र के तौर पर जाने जाते थे। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद यहां जाटों और मुसलमानों के बीच गहरी खाई पैदा हो गई थी। आरएलडी सुप्रीमो पिछले तीन महीने से यहां दंगा प्रभावित इलाकों में घूमकर दिलों को करीब लाने की कोशिश कर रहे हैं। पहले कैराना उपचुनाव में जयंत चौधरी को यहां उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा थी, मगर तीन दिन चली गहरी चर्चा के बाद सपा विधायक नाहिद हसन की मां तबस्सुम हसन को आरएलडी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ाना तय हुआ। सहारनपुर के जिला पंचायत अध्यक्ष रहे सपा नेता इरशाद चौधरी कहते हैं कि सेकुलर दलो में बेहतरीन समन्वय के लिए यह एक सुलझा हुआ फैसला है। कैराना लोकसभा में लगभग डेढ़ लाख जाट हैं, जबकि मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 14 लाख है। इनमें 5 लाख सिर्फ मुसलमान हैं, मगर फिर भी चर्चा के केंद्र में सिर्फ जाट आ गए हैं क्योंकि उनकी स्थिति निर्णायक बन गई है। 2013 के दंगों में सबसे ज्यादा प्रभावित गांव लांक, बहावड़ी और लिसाढ़ भी इसी क्षेत्र में आते हैं। बीजेपी कैराना परिणाम का मतलब अच्छी तरह समझ रही है, इसलिए इन्हीं जाट बहुल जगहों का 28 मंत्री लगातार दौरा कर रहे हैं और घर-घर जा रहे हैं। यह अलग बात है कि जाटों को वे लुभा नही पा रहे हैं। जाट इस चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आरएलडी सुप्रीमो अजित सिंह आपसी मतभेद भुलाकर भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर पहुंचे तो उनके परिवार ने उनका जोरदार स्वागत किया। दिवंगत महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र नरेश टिकैत ने अपने पिता के बाद उन्हें अपना संरक्षक बताया। चौधरी अजित सिंह ने टिकैत परिवार के साथ घंटो बात की और वहां कैराना चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा हुई।
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प्रधानमंत्री मोदी गांधीनगर के महात्मा मंदिर में तीन दिवसीय वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन 2022 के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। गांधीनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को चिकित्सा पर्यटन या इलाज के लिए भारत आने वाले पर्यटकों के लिए एक विशेष श्रेणी के आयुष वीजा शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की पहचान करने और उन्हें मान्यता देने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा आयुष उत्पादों के लिए एक विशेष हॉलमार्क प्रकार की ब्रांडिंग शुरू की जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी गांधीनगर के महात्मा मंदिर में तीन दिवसीय वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन 2022 के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, भारत चिकित्सा पर्यटन के लिए एक बहुत ही आकर्षक गंतव्य है। हम इसके चिकित्सा उद्योग के कारण केरल के पर्यटन में वृद्धि के साक्षी रहे हैं। इस मॉडल को पूरे देश में भी दोहराया जा सकता है, जहां आयुर्वेद, युनानी, पारंपरिक चिकित्सा के सिद्ध रूप और स्वास्थ्य केंद्र बहुत लोकप्रिय हो सकते हैं। हमारी सरकार ने भारत में चिकित्सा उपचार प्राप्त करने के इच्छुक विदेशी यात्रियों और चिकित्सा पर्यटकों के लिए वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए विशेष वीजा श्रेणी स्थापित करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी घोषणा की है कि बीएसआई और आईएसआई चिह्नें की तरह, उच्चतम गुणवत्ता वाले आयुष उत्पादों को चिह्न्ति करने के लिए एक विशेष आयुष चिह्न् बनाया जाएगा। पीएम मोदी ने कहा, यह वैश्विक उपभोक्ताओं को एक मान्यता प्राप्त और उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित आयुष उत्पाद देगा। उन्होंने एक आयुष पार्क की स्थापना की भी घोषणा की जहां इसके उत्पादों का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा, यह पार्क भारत में आयुष उत्पादों के निर्माण को एक नई दिशा देगा। शिखर सम्मेलन के उद्घाटन में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. ट्रेडोस घेब्रेयसस और मॉरीशस गणराज्य के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने भी भाग लिया। प्रधानमंत्री ने आयुष उत्पादों और सेवाओं से संबंधित विभिन्न सेवाओं और एप्लिकेशंस का भी उद्घाटन किया। इस दौरान इसके अनुसंधान और विकास के लिए कई समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए।
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भूतविद्या क्या है? अध्यात्मवाद की बात करें तो ज्यादातर लोगयह भावना कॉल, दिवंगत रिश्तेदारों और प्रसिद्ध लोगों के साथ संचार प्रस्तुत करता है जिन्हें रहस्यमय फिल्मों में देखा गया है। इस लेख में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि वास्तव में आध्यात्मिकता क्या है, इसकी उत्पत्ति कहां और कब हुई, भविष्य में इसका विकास कैसे हुआ। "अध्यात्मवाद" शब्द लैटिन स्पिरिटस से बना था, जिसका अर्थ है "आत्मा, आत्मा," और इसका अर्थ है धार्मिक और दार्शनिक सिद्धांत। एक शिक्षण के रूप में आध्यात्मिकताः यह क्या है? अध्यात्मवाद की रहस्यमय शिक्षाओं का सार हो सकता हैइस धारणा के रूप में सूत्रबद्ध करें कि किसी व्यक्ति का आध्यात्मिक अंग शरीर की शारीरिक मृत्यु के बाद भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है। इसके अलावा, यह एक नियम के रूप में, एक मध्यस्थ के माध्यम से रहने वाले के साथ संवाद करने में सक्षम है। इस सिद्धांत के अनुयायियों का दावा है कि आत्माएं प्राकृतिक घटनाओं और संपूर्ण भौतिक सार को नियंत्रित करती हैं। बुरी आत्माओं की सहायता से किए जाने वाले जादू के टोटकों को जादू टोना कहा जाता है। बाइबल और, तदनुसार, चर्च स्पष्ट रूप से आध्यात्मिकता के सभी रूपों की निंदा करता है। इस प्रवृत्ति के शोधकर्ताओं का दावा है कि उनकेइतिहास हजारों साल लंबा है। यह प्राचीन यूनानियों और रोमनों द्वारा अभ्यास किया गया था, अध्यात्मवाद का विचार मध्य युग में जाना जाता था, हालांकि इसके लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। आधुनिक के अध्यात्मवाद का इतिहास 1848 से गिना जाता है। प्राचीन शिक्षाओं को ग्वाड्सविले (न्यूयॉर्क) शहर में पुनर्जीवित किया गया था। इस समय, एक निश्चित जॉन फॉक्स ने एक घर किराए पर लिया, जिसमें जल्द ही अजीब खटखटाहट सुनाई देने लगी, जिसकी उत्पत्ति घर के निवासियों के लिए स्पष्ट नहीं थी। मार्गरेट, फॉक्स की बेटी, वापस दस्तक दी औरकिसी अज्ञात बल के संपर्क में आया। लड़की एक पूरी वर्णमाला बनाने में कामयाब रही, जिसके माध्यम से उसने रहस्यमय मेहमानों के साथ संवाद किया और उन सवालों के जवाब प्राप्त किए जो उसे सबसे ज्यादा चिंतित करते थे। संभवतः, हमारे कई पाठक इस घटना को साधारण की संख्या तक सीमित कर देंगेः एक अतिरंजित लड़की ने अपनी कल्पनाओं और संवेदनाओं को वास्तविकता के रूप में लिया, बस। और हम इससे सहमत हो सकते हैं यदिकुछ समय बाद आध्यात्मिक चमत्कारों ने संयुक्त राज्य अमेरिका और बाद में पूरी दुनिया को पीछे नहीं छोड़ा। एक छोटे से अमेरिकी घर में एक दस्तक "पहुंच" और दूर के देशों, जिनमें से कई ने आध्यात्मवाद के अध्ययन के लिए विशेष संस्थान और स्कूल बनाए थे, जो भविष्य के माध्यमों के प्रशिक्षण में लगे थे। वैसे, दुनिया भर में आज उनकी संख्या एक मिलियन से अधिक है। और ये केवल "प्रमाणित" विशेषज्ञ हैं। 1850 में, अपसामान्य घटना किएक नीचता पर हुआ, एलन कारडेक का अध्ययन करना शुरू किया। उन्हें एक दोस्त की बेटियों द्वारा मदद की गई थी, जिन्होंने माध्यम के रूप में काम किया। अगले मौके पर, उन्हें अपने "मिशन" के बारे में बताया गया, जो यह था कि उन्हें दुनिया की संरचना के बारे में नए विचारों से मानव जाति को परिचित कराना चाहिए। कारडेक को तुरंत अपने चुनाव पर विश्वास था औरअध्यात्मवादी संवादों के आधार पर उनके "पवित्रशास्त्र" को बनाने के बारे में, "आत्माओं" से सवाल पूछना और उत्तर को व्यवस्थित रूप से रिकॉर्ड करना उन्हें ताली या नॉक (एक पारंपरिक कोड का इस्तेमाल किया गया था) या एक आध्यात्मिक बोर्ड के अनुसार तैयार किया गया था। दो साल बाद, कार्दक को विश्वास था कि उसे प्राप्त हुआ थामानव जाति के उद्देश्य और नियति को "ब्रह्मांड का एक नया सिद्धांत" बनाने के लिए आवश्यक मात्रा में जानकारी। इस प्रकार, उनकी पुस्तकें प्रकाशित हुईंः "द बुक ऑफ़ स्पिरिट्स" (1856), "द बुक ऑफ़ मीडियम" (1861), "द गस्पेल इन द इंटरप्रिटेशन ऑफ स्प्रिट्स" (1864), और कुछ अन्य। हालांकि, यह माना जाना चाहिए कि एलन कारडेक के विचारों को पादरी की कठोर आलोचना के अधीन किया गया था, और यहां तक कि आध्यात्मिकता के प्रशंसक भी उनके साथ पूरी तरह से सहमत नहीं थे। अध्यात्मवाद के विचार ने विशेष लोकप्रियता प्राप्त कीअत्यधिक विकसित देश - इंग्लैंड, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली में, मुख्य रूप से उच्च समाज और बुद्धिजीवियों में। इसलिए, यह दावा किया जाता है कि समाज के पिछड़े वर्गों के माध्यमों पर विश्वास किया जाता है। अध्यात्मवादी दावा करते हैं किः - मृत्यु के बाद मानव आत्मा का अस्तित्व बना रहता है, यह अमर है। - एक अनुभवी माध्यम की मदद से कोई भी कर सकता हैमृतक रिश्तेदार या किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की आत्मा को बुलाना सीखें, और उससे संपर्क करें, उससे आवश्यक सलाह, मदद या अपने भविष्य को जानें। - मृतकों पर कोई दैवीय निर्णय नहीं है, सभी लोग, चाहे वे जीवन कैसे भी हों, मृत्यु के बाद आत्मा की अमरता को पा लेंगे। कार्दकोवसोगो आध्यात्म का विचार यही थायह आध्यात्मिक विकास पुनर्जन्म (पुनर्जन्म) के कारण है। सांसारिक मांस में "कपड़े पहने", आत्माओं को शुद्ध किया जाता है और सुधार किया जाता है, इस दुनिया में लौटकर, फिर से सांसारिक परीक्षणों को सहन करता है। एक आत्मा जो पुनर्जन्म के सभी चरणों से गुजरी है, "शुद्ध" बन जाती है और अनन्त जीवन प्राप्त करती है। सांसारिक जीवन में उसके द्वारा अधिग्रहित सब कुछ (कार्देक के अनुसार) नहीं खोया है। कार्देक ने दावा किया कि उन्होंने स्वयं "आत्माओं" की रिपोर्टों के आधार पर इस अवधारणा का गठन किया। अध्यात्मवाद एक प्रकार का धर्म हैअपने अनुयायियों से पूर्ण आज्ञाकारिता की मांग करता है, बदले में अमरता का वादा करता है। यह मूल रूप से यीशु मसीह की शिक्षाओं के विपरीत है। इसलिए, यह तर्क दिया जा सकता है कि अध्यात्मवाद अपने मुख्य सिद्धांतों के साथ मसीह और ईसाई धर्म का खंडन है। इसका श्रेय काले शैतानी दर्शन को दिया जा सकता है। अध्यात्मवाद सत्र कैसा है? इस अनुष्ठान और विशेष की स्पष्ट सादगीशानदारता ने ऐसे सत्रों को उन लोगों के बीच बड़ी लोकप्रियता दिलाई जो अज्ञात में रुचि रखते हैं। अध्यात्मवाद आमतौर पर कई लोगों द्वारा संचालित किया जाता है। वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए, यह आवश्यक है कि प्रतिभागियों में से कोई एक माध्यम हो या कम से कम उपयुक्त योग्यता और इस तरह के सत्र के संचालन में कुछ अनुभव हो। संस्कार रात के बारह बजे शुरू होता है औरसुबह चार बजे तक रहता है। उनके सांसारिक जीवन (उदाहरण के लिए, जन्मदिन या मृत्यु) के दौरान कुछ दिनों के बाद आत्मा की आत्माओं को कॉल करना उचित है। आत्माओं का आह्वान, माध्यमों के अनुसार, पूर्णिमा का पक्षधर है, जो माध्यम की अलौकिक क्षमताओं को बढ़ाता है। सत्र के लिए चयनित मंद कमरा है, के साथमोमबत्तियों और धूप की बहुतायत। परंपरा से, सत्र में भाग लेने वाले खिड़की या दरवाज़े को छोड़ देते हैं, ताकि कुछ भी कमरे में प्रवेश करने से आत्मा को रोक न सके। यह वांछनीय है कि आइटम हैं जो विकसित आत्मा से जुड़े हैंः तस्वीरें, तावीज़, चित्र, मोमबत्तियों के अलावा, धूप, विभिन्न वस्तुओं,मृत व्यक्ति के साथ, अध्यात्मवाद के लिए एक बोर्ड, या Ouija, जिसे बहुत से लोग रहस्यवादी फिल्मों से जानते हैं, आवश्यक है इसमें वर्णमाला के अक्षर, दस प्रथम संख्याएँ और शब्द "हाँ" और "नहीं" हैं। इसके अलावा, इसमें एक तीर है। इसके साथ, आत्माएं सवालों के जवाब देती हैं। इस बोर्ड का आविष्कार इतने समय पहले नहीं हुआ था। पहला ओइजु एक साधारण घर के खेल के रूप में एलिजा बॉन्ड के साथ आया था। लेकिन उस समय मनोगत के लिए एक बहुत ही सामान्य जुनून था। बॉन्ड के साथी ने सुझाव दिया कि तथाकथित टॉकिंग बोर्ड को एक प्राचीन मिस्र के खेल के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिसके साथ पुजारियों ने कथित तौर पर भविष्य की भविष्यवाणी की थी। उसी समय, उसे नाम दिया गया था। "औइजा" मिस्र से "सौभाग्य" के रूप में अनुवादित। खेल पूरी दुनिया में तेजी से फैल गया हैयूरोप को एक "मनोग्रंथ" के रूप में पेटेंट किया गया है, जो लोगों को मन पढ़ने में मदद करता है। थोड़ी देर बाद, फ्रांस के एलन कारडेक ने इसे आत्माओं के साथ संवाद करने के लिए डिज़ाइन किया गया उपकरण बताया। इसलिए, होम एंटरटेनमेंट से, व्हिगी एक आध्यात्मिक उपकरण बन गया है। हालांकि अमेरिकी आविष्कारक और रहस्यमयइसका आविष्कार, प्राचीन मिस्र में पहले से मौजूद कुछ ऐसा था, जहां मृतकों की दुनिया का पंथ बहुत विकसित थाः पुजारी नियमित रूप से इसके साथ "संचार" का अभ्यास करते थे, इस पर नक्काशी वाले जादुई प्रतीकों के साथ एक गोल मेज का उपयोग करते थे। सोने की एक अंगूठी को एक लंबे तार पर लटका दिया गया था। जब आत्मा से एक सवाल पूछा गया, तो अंगूठी लहरा रही थी, जैसा कि माध्यमों ने दावा किया, भगवान सेठ की मदद से, और चित्रलिपि की ओर इशारा किया। पुजारी केवल सेट की बातों की व्याख्या कर सकते थे। यह ज्ञात है कि ऐसे तख्तों को, जो देवताओं के साथ संवाद करने के लिए परोसा जाता था, प्राचीन यूनानियों, चीनी और भारतीयों द्वारा उपयोग किया जाता था। वाडजी की मदद से आधुनिक माध्यम मृत लोगों की आत्माओं के साथ संवाद करते हैं, न कि बुतपरस्त देवताओं के साथ। सबसे लोकप्रिय बोर्ड वाजजी हैं20 वीं शताब्दी की शुरुआत, जब, दो युद्धों के बाद, लोगों ने अपने लाखों प्रियजनों को खो दिया। वे रुचि रखते थे कि मृतक रिश्तेदार की आत्मा को कैसे उकसाया जाए, किसी तरह से उसकी आत्मा के संपर्क में आए। इस समय, बोर्डों का उत्पादन विकसित होता है और बहुत जल्द प्रत्येक माध्यम अपने स्वयं के बोर्ड का अधिग्रहण करता है। यह माना जाता था कि उसके साथ संचार के बाएं निशान पर आत्माओं के साथ संवाद करने के बाद। वडजी किसी भी प्रजाति की लकड़ी से बनाया जाता है। बोर्ड के चारों ओर आसान आंदोलन के लिए एक सूचक अक्सर तीन लकड़ी की गेंदों से सुसज्जित होता है। आधुनिक सत्रों में इसे अक्सर तश्तरी से बदल दिया जाता है। यह एक खाली खिड़की या एक तेज अंत के साथ अक्षरों और संख्याओं को इंगित करता है। एक सत्र में एक माध्यम या कई प्रतिभागी आसानी से तश्तरी की उंगलियों को छू सकते हैं और आत्माओं के हित के सवाल पर सभी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। समय के साथ, वे महसूस करने लगते हैं कि सूचक स्वतंत्र रूप से पत्र से पत्र की ओर बढ़ता है, लगातार उन्हें चिह्नित करता है और इस प्रकार एक उत्तर बनाता है। एक शपथ का संचालन कैसे किया जा रहा है? अनुष्ठान प्रतिभागी मेज पर, चारों ओर बैठते हैंअध्यात्मवाद के लिए बोर्ड फिट बैठता है, मोमबत्तियों की व्यवस्था की जाती है। एक सूचक के रूप में सबसे अधिक बार उपयोग किया जाता है चीनी मिट्टी के बरतन तश्तरी, जो एक तीर खींचता है। फिर इसे एक मोमबत्ती की लौ के ऊपर थोड़ा गर्म किया जाता है और आध्यात्मिक सर्कल के केंद्र में रखा जाता है। आत्माओं ने एक तश्तरी पर उंगलियां रखीं, बमुश्किलउसे छूना। प्रतिभागियों की उंगलियों को अपने निकटतम पड़ोसी की उंगलियों को छूना चाहिए। इस प्रकार, चक्र बंद हो जाता है। इसके बाद, सत्र में भाग लेने वाले लोग आत्मा को बुलाना शुरू करते हैं, इसे नाम से बुलाते हैं, प्रकट होने के लिए। कॉल को लंबे समय तक दोहराया जाता है, कभी-कभी इस प्रक्रिया में एक घंटे से अधिक समय लग सकता है। ऐसा होता है कि एक आध्यात्मिक भावना बिल्कुल नहीं है। तश्तरी की उपस्थिति इसकी उपस्थिति का संकेत देगीः दर्शकों के किसी भी प्रयास के बिना, यह मुड़ना शुरू कर देता है और यहां तक कि तालिका के ऊपर भी बढ़ सकता है। यह आत्मा से सवाल पूछने का समय है। आमतौर पर वे माध्यम से निर्धारित होते हैं। पहला प्रश्न अधिमानतः मोनोसाइलेबिक से पूछा जाता है, जिसका अर्थ है कि उत्तर "हाँ" या "नहीं।" अनुभवी माध्यम चेतावनी देते हैं, अध्यात्मवाद नहीं हैखेल। केवल वे लोग जो हर चीज पर गहराई से विश्वास करते हैं, जो ऐसा कर सकते हैं। आत्माओं बहुत दुष्ट हैंः वे अक्सर कसम खाते हैं और झूठ बोलते हैं। यदि सत्र का संचालन शौकीनों द्वारा किया जाता है, तो सत्यता पर भरोसा करना काफी कठिन है। यह जाँचने के लिए कि क्या आप भाग्य-विद्या से सत्य हैं, उनसे कुछ प्रश्न पूछें, जिनके उत्तर उन लोगों में से किसी एक को अच्छी तरह से ज्ञात हैं। मृत्यु से संबंधित प्रश्न न करें,हमारी सच्चाई के बाहर आत्मा और आत्मा का जीवन। सत्र के अंत से पहले, विनम्रता से भावना का धन्यवाद करें, तश्तरी को पलट दें और तीन बार मेज पर दस्तक दें, आपको सूचित करते हुए कि आप आत्मा को मुक्त कर रहे हैं। सत्र के दौरान निषिद्ध हैः - आत्माओं के साथ दिन में एक घंटे से अधिक संवाद करें, हालांकि अनुष्ठान स्वयं समय में सीमित नहीं है; - एक सत्र में तीन से अधिक आत्माओं को बुलाना; - एक सत्र से पहले बड़ी मात्रा में वसायुक्त और मसालेदार भोजन और शराब लें। अज्ञात के साथ संचार के अधिकांश प्रशंसकबलों का मानना है कि आध्यात्म का आधिपत्य खतरनाक नहीं है। उनका मानना है कि वास्तव में उन लोगों की आत्माएं जिन्हें वे कहते हैं, वे उनके पास हैं और उन्हें भविष्य के बारे में सवालों के विश्वसनीय जवाब देते हैं। लेकिन यह मुख्य गलत धारणाओं में से एक है। आध्यात्मिकता एक खतरनाक व्यवसाय है, और वे इसके लायक नहीं हैं।बेकार जिज्ञासा के लिए अध्ययन। आध्यात्मिक अध्ययन काफी हानिरहित दिखते हैं, लेकिन केवल पहली नज़र में। अक्सर, नहीं उन आत्माओं सत्र प्रतिभागियों के फोन पर आते हैं। कॉल किसे आता है? अगर आप थोड़ा रिसर्च करते हैंयह निर्धारित करने के लिए कि कौन अधिक बार भाग लेने वाले लोगों द्वारा एक नीचता में परेशान है, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह प्रतिभा ए पुश्किन की भावना है। किसी कारण के लिए, हमारे देश में वे आत्माओं कवियों को बहुत पसंद करते हैंः अख्तमातोवा, यसिनिन, वायसोस्की और लेर्मोंटोव में आत्मा की भावनाएं। खैर, इस सूची में अलेक्जेंडर सर्गेइविच अग्रणी हैं। ऐसे सत्रों में हिस्सा लेते लोगआश्वस्त हैं कि वे प्रसिद्ध लोगों या उनके प्रियजनों और प्रिय लोगों की आत्माओं से मिलते हैं। हालाँकि, यह भ्रामक है। चर्च के लोगों का दावा है कि इस तरह के अनुष्ठानों के दौरान, निचली सूक्ष्म परतों में रहने वाले अंधेरे संस्थान लोगों के पास आते हैं। वे भविष्य की भविष्यवाणी करने में सक्षम नहीं हैं। वे हमारी वास्तविकता में दिखाई देते हैं, न कि उन लोगों के आह्वान पर जो एक नीचता के लिए इकट्ठे हुए हैं। अध्यात्मवाद का मुख्य खतरा यही हैकि सत्र के अंत में कमरे में बुलाया इकाई रहेगी। आधिकारिक तौर पर, ऐसे मामले होते हैं जब घर में आध्यात्मिक प्रवचन आयोजित करने के बाद एक पॉलीगेटिस्ट उसमें बस जाता है। अध्यात्मवाद के प्रत्येक सत्र के बाद, एक पुजारी को पवित्र करने और कमरे को साफ करने, पोषित सार को बाहर निकालने के लिए आमंत्रित करना आवश्यक है। 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में, आध्यात्मिकतावादी पत्रिका के प्रकाशक,और वह उन दिनों के इस लोकप्रिय प्रकाशन के प्रधान संपादक हैं, वी। पी। ब्यकोव, जो बाद में अध्यात्म से मोहभंग हो गए, उन्होंने कई मामलों का वर्णन किया जिसमें अन्य शक्तिशाली ताकतों के साथ संचार में बेहद निराशाजनक परिणाम हुए। उदाहरण के लिए, 1910 में उन्होंने साइनाइड पोटेशियम, वी। ई। युकुन्चेव को स्वीकार करते हुए आत्महत्या कर ली, जो मॉस्को के चुडोव मठ में एक नौसिखिया था। एक समय वह कई आध्यात्मिक हलकों का सदस्य था। 1911 में एक छात्र ने मरने की कोशिश कीमास्को विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले Tymoshenko। कई वर्षों तक वे अध्यात्म में लगे रहे। उसी समय के आसपास, मॉस्को के सबसे प्रसिद्ध अध्यात्मविदों में से एक, वोरिबीव का निधन हो गया, जिसने एक गंभीर बीमारी के साथ, इलाज से इनकार कर दिया। वह अपने निधन में तेजी लाने के लिए लग रहा था। बुल्स अपनी यादों में बहुत कुछ लेकर आता हैऐसे मामले जब आध्यात्मिकता के प्रेमियों को समय से पहले मरने की उम्मीद की जाती थी, कभी-कभी रहस्यमय परिस्थितियों में, माध्यमों की भागीदारी के साथ शरारत सत्र के बाद कई दुर्भाग्य के साथ पीड़ित थे। उन्नीसवीं शताब्दी के सत्तर के दशक में दिमित्रीइवानोविच मेंडेलीव ने "कमीशन फॉर द स्टडी ऑफ मीडियम फेनोमेना" बनाया। इसमें कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक शामिल हैं। आयोग का निष्कर्ष असंदिग्ध थाः आध्यात्मिक घटना अचेतन आंदोलनों से आती है या एक सचेत धोखा है। समिति के सदस्यों के अनुसार, अध्यात्म एक अंधविश्वास है। यह निष्कर्ष मेंडेलीव के ब्रोशर में प्रस्तुत किया गया था "आध्यात्मिकता पर निर्णय के लिए सामग्री।"
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भावनाहीन को मे समान सुख नहीं और भावनानीत कोदा के समान कोई दुख नहीं। उसके लिए भावना ही जीवन के है--उसमें निहित हो उसे जोवन के साथ खलाबद्ध करती है। इस दावे नष्ट होते ही वह प्रधा बन जाता है। जड़ हो जाना है--फिर उसे मृत्यु के प्रतिषित दूसरा रास्ता दिखाई नहीं देता। आइस्क्या मृत्यु से भयभीत नहीं हुप्रा पर पिता के पविश्वास के कपाल से यह दुखी रहने लगा। गौवाजी उसके स्पक्ष वा अनुभव करने से कठिन सपश्चर्या द्वारा प्राण त्यागने के लिए तयार हो जाता है । श्रद्धा के सुधार से घवराये हुए सुदर्शन का मस्तिष्क ठिकाने नही रहा उसका शरीर पसीने-पसीने हो गया। उसको भाँखें देख रही थों पर उसे कुछ दिखाई न देता था। परिचित रास्ते से उसके पर उसे कादावाडी ले गये। वह चान को सीडियो पर चढ़ा। उसके ब अन्तर से निराशा की शप-उसके प्राण साथ सेकर--बाहर निकलने की सवारी करने लगी । उसके पर रुके प्रवासाल की कोठरी को देहली पर दोवन पर बठी हुई पनी को उसने सूरत से प्रकाशित होने वाले पत्र वारिस बड़े पढ़ते हुए देखा उसको गर्दन एक अद्भुत छटास कृषी हुई पो उसने मुख पर तेश-जैसे देवी हो ऐसा-दोप्त हो रहा था । पनो वहिन ! क्या कर रही हो ? दास पढ़ रही हूँ । सुदान घोडी देर सड़ा रहा, फिर जसे उसके हृदय का सार टूट रहा हो इस प्रकार निराधा भरे स्वर में उसने पूछा धनी वहिन । मां स्वतन्त्र होगी ? " घनी ने कर देखा तो सुनको घराहट की दशा में पाया । स्त्री हृदय को स्वामायिक समझ से उसने सुदशन की ओर सहानुभूति से देखा और उठकर पास थाई । 'मदुमाई । क्या पूछ रहे हो? क्या होगा ? यह 'माँ' को स्व
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Amitabh Bachchan: बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक अजनबी का आभार व्यक्त किया, जिसने उन्हें ट्रैफिक को मात देने और फिल्म की शूटिंग के स्थान पर समय पर पहुंचने में मदद की. टोपी, शॉर्ट्स और पीले रंग की टी-शर्ट पहने दयालु अजनबी की एक तस्वीर साझा करते हुए, दिग्गज अभिनेता ने उन्हें लिफ्ट देने और मुंबई के ट्रैफिक जाम से बचने में मदद करने के लिए धन्यवाद दिया. उस व्यक्ति को न जानने के बावजूद, अमिताभ बच्चन अजनबी के दयालु भाव की सराहना करते दिखे. देखें तस्वीरः (SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं. )
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माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता के सवालों से भाग रहे हैं। सरकार युवकों को ठग रही है। किसान छले गये और गरीब उजाड़े जा रहे हैं। लिहाजा एक मार्च को युवा, तीन को गरीब और 18 मार्च को किसान बिहार विधानसभा के सामने प्रदर्शन करेंगे। पार्टी कार्यालय में बुधवार को प्रेसवार्ता में उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की तर्ज पर आज बिहार में तानाशाही का विस्तार हो रहा है। सोशल मीडिया को प्रतिबंधित करने के फरमान की बात कर लें अथवा आंदोलनों में शामिल होने पर नौकरी न देने का आदेश, ये चीजें दिखती हैं कि सरकार तानाशाह की भाषा बोलने लगी है। स्वरोजगार के लिए कर्ज देने को रोजगार बताया जा रहा है। इस मसले पर युवा एक मार्च को विधानसभा घेरेंगे। जल-जीवन हरियाली के नाम पर गांवों में गरीबों के घर उजाड़े जा रहे हैं। राज्यभर के गरीब तीन को पटना आएंगे और विधानसभा घेरेंगे। श्री भट्टाचार्य ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन व्यापक स्वरूप ग्रहण कर चुका है। 18 मार्च को विधानसभा मार्च की योजना है, जिस पर महागठबंधन के दलों से बातचीत चल रही है। संवाददाता सम्मेलन में माले राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा व राजाराम सिंह भी शामिल थे।
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उनके अनुसार बुद्धिका जीवन अथवा नियमनिष्ठ जीवन ही योग्य जीवन है। यह लोकरीतियों और प्रचलनोंका विरोधी नहीं है क्योंकि मानवसमाजमें स्थापित नियमों और रीतियोंके रूप में ही सामान्य बुद्धि मूर्तिमान् होती है। मनुष्यका कर्त्तव्य उनके अनुरूप कर्म करना है, न कि उनके विपरीत । मानव-जीवन नियमसे मुक्त नहीं है । सच्चे नियमको समझना और उसका पालन करना ही मनुष्यका ध्येय है । स्टोइक्स यथार्थवाद और आदर्शवाद दोनों को ही अपना लेते हैं । यथार्थ ही को बौद्धिक भी मानते हुए वे कहते हैं कि भाग्यकी घटनाओंके प्रति उदासीन रहना चाहिये । परिवर्तनशील परिस्थितियोंसे प्रभावित न होकर दृढ़ एवं कठोर बने रहना चाहिये । किन्तु साथ ही वे यह भी मानते हैं कि सब वस्तुएँ मिलजुलकर शुभके लिए काम करती हैं । व्यक्ति विश्वका अङ्ग है, उसे जीवनकी घटनाओंको स्वीकार करना चाहिये ; क्योंकि व्यक्तिपर जो कुछ भी बीतता है वह विश्व के लिए शुभ है । वास्तवमें सुकरातके सभी अनुयायियोंने किसी न किसी रूपमें यह माना कि विश्वकी धारणा दिव्य विचारसे संघटित और व्यवस्थित है । कुछ दार्शनिक इस परिणामपर भी पहुँचे कि दिव्य विचार ही विश्वकी एकमात्र सत्य सत्ता है। यह सर्वेश्वरवाद है । स्टोइक्सके सिद्धान्तमें यह विचार मानव-शुभकी धारणासे युक्त हो गया है। वे कहते हैं कि विश्व ज़ैउस्से विकसित हुआ है और अन्तमें यह फिर उसीमें लीन हो जायगा । अपने मूलरूपमें दैवी होने के कारण विश्व पूर्ण है। उसके अङ्गों में जो त्रुटियाँ या खोट दिखाई पड़ते हैं उनका कारण यह है कि हम उन्हें समग्रतासे अलग करके देखते हैं । समग्रताके दृष्टिकोण से विश्व पूर्ण तथा शुभ है । भौतिक विश्व सम्बन्धी इस प्रकार के ईश्वरज्ञानने स्टोइक्सको यह बतलाया कि लौकिक सत्यके अनुसार विवेक मानव-कल्याण के लिए पूर्ण रूपसे पर्याप्त है । सार्वभौम लोग 'स और भगवान् एक ही हैं । अतः लोग स या बुद्धिके अनुरूप कर्म करना अन्तःस्थित भगवान्के अनुरूप कर्म करना है । जिस बुद्धिको उन्होंने सर्वोच्च कहा वह जेउसकी बुद्धि है, साथ ही देवताओं,
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वर्तनाम युग में ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, टैरो कार्ड, योग, अध्यात्म की तरह फेंगशुई को भी जनमानस ने अपनाना शुरू कर दिया है। चीनी वास्तु शास्त्र के अनुसार, ऊर्जा के प्रवाह को जल सीमा रोकती हुई वायु के प्रभाव को नष्ट कर देती है। ये दोनों प्रकार के प्राकृतिक प्रभाव वाले पदार्थ प्राणियों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। जल बिना मानव जीवन की संभावना नहीं हो सकती, अतः ये दोनों ऊर्जा तत्व चीनी शास्त्र में फेंगशुई के नाम से जाने जाते हैं। फेंगशुई का शाब्दिक अर्थ होता है हवा एवं पानी। फेंगशुई में भवन, आवास, कार्यालय, फैक्टरी आदि के अंदर एवं बाहर के वास्तु दोषों को दूर करने के अनेक उपाय उपलब्ध हैं। फेंगशुई में सिसाडा को अमर बनाने वाला माना जाता है। इसे बुरे समय या भाग्य को बदलने वाला कीट कहते हैं। फेंगशुई विशेषज्ञों के मुताबिक इसे अपने घर में आगे की दो टांगों के जरिए लाल रिबन के माध्यम से लटकाना शुभ है। सिसाडा को खुशी और युवावस्था का सिंबल माना जाता है। युवाओं को सलाह है कि वे इसे अपने कार्यस्थल के पास जरूर रखें। 2. पुराने ग्रंथों के अनुसार पूर्वी चीन में स्थित क्यूआई की रानी मृत्यु के बाद सिसाडा में तब्दील हो गई थी। इसके बाद से ही सिसाडा को 'द गर्ल क्यू आई' के नाम से जाना जाता है। इसको घर में रखने पर स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार कम से कम 7 सेंटीमीटर के आकार के सिसाडा को ही घर में लटकाना चाहिए। फेंगशुई में हाथी संतान संबंधी एवं मंगलकारी होते हैं। वैसे देखा जाए तो हिंदू धर्म में गणेशजी का मुंह हाथी का है और वे मंगलकारी हैं, अतः जो दंपति निःसंतान की स्थिति में हैं, वे हाथियों का जोड़ा बेडरूम में बिस्तर के पास रख सकते हैं। वैसे यह जोड़ा सुख-समृद्धि का भी प्रतीक है। इसे घर में रखने से सुख-समृद्धि आती है।
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फिल्म अभिनेता नील नितिन मुकेश का आज 37वां जन्मदिन है। उनका जन्म 15 जनवरी 1982 को मुंबई में हुआ था। वह पार्श्व गायक मुकेश के पोते और नितिन मुकेश के बेटे हैं। नितिन का फिल्मी करियर ज्यादा खास नहीं रहा है। नितिन शादीशुदा हैं और उन्होंने रुकमनी माथुर से साल 2017 में शादी रचाई थी। गौरतलब है कि नितिन का प्रियंका भाटिया के साथ अफेयर रहा था लेकिन उनकी शादी नहीं हो पाई. . . . आइए जानते हैं आखिर क्या रही उनकी रिलेशनशिप टूटने की वजह. . शुरुआती दौर में नितिन ने प्रियंका को लेकर अफेयर की बातें छिपाकर ही रखी थी। वह मीडिया में अपनी रिलेशनशिप के बारे में खुलकर नहीं बोला करते थे। इसके बाद साल 2009 में फिल्म 'जेल' आई जिसकी प्रमोशन के दौरान ये बात पूरी तरह से सामने आ गई कि नितिन और प्रियंका भाटी रिलेशनशिप में हैं। उस दौरान नील ने कहा था 'प्रियंका मेरे परिवार का अभिन्न हिस्सा है और हम दोनों एक-दूजे को लेकर काफी सहज हैं। ' उन्होंने आगे बताया था कि 'मेरे और प्रियंका के माता-पिता केवल एक-दूसरे को जानते ही नहीं हैं बल्कि घर भी आना-जाना लगा रहता है, लेकिन एक प्रेमी जोड़े से ज्यादा प्रियंका और मुझमें एक दोस्ती का रिश्ता है। ' नील ने आगे बताया था कि 'हम एक दूजे से कुछ भी नहीं छिपाते हैं, हम खुलेतौर पर एक-दूजे से मिलते हैं और हम दोनों को खुद पर गर्व भी है। ' लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि दो साल बाद ही नील और प्रियंका को प्यार इतनी आसानी से मिट गया। पहले आपको बता दें कि प्रियंका एक फैशन डिजाइनर हैं और नील की फिल्मों के लिए वह उनके कॉस्ट्यूम भी डिजाइन किया करती थीं , लेकिन बताया जाता है कि जब नील बॉलीवुड में फेमस होने लगे तो उन्होंने प्रियंका को धीरे-धीरे नजरअंदाज करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनों में कब दरार पड़ गई किसी को पता ही नहीं चला। लेकिन इसकी वजह बॉलीवुड की पद्मावती दीपिका पादुकोण को माना जाता है। बता दें कि साल 2010 में फिल्म परिंदे आई थी जिसके बाद नील और दीपिका को लेकर अफेयर की चर्चा चलने लगी थी। आखिर में बात करें नील के वर्क फ्रंट की तो बता दें कि वह अपनी अपकमिंग फिल्म साहो में नजर आने वाले हैं। फिल्म में बाहुबली फेम एक्टर प्रभास मुख्य भूमिका हैं। बताया जा रहा है कि फिल्म में मुकेश एक खलनायक के किरदार में नजर आएंगे। फिल्म का बजट 300 करोड़ है और इस साल 15 अगस्त ( स्वतंत्रता दिवस) के मौके पर रिलीज होनी है।
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बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अक्षय और इमरान हाशमी इन दिनों अपनी फिल्म 'सेल्फी' के प्रोमोशंस में काफी व्यस्त चल रहे हैं। जिसके चलते हाल ही में दोनों अभिनेताओं को मुंबई मेट्रो की सवारी करते हुए भी स्पॉट किया गया। सोशल मीडिया पर इनका यूँ मुंबई मेट्रो के दर्शन वाला वीडियो काफी तेज़ी से हो रहा हैं। जिसमे इमरान हाशमी और अक्षय कुमार भागते हुए मुंबई मेट्रो पहुंचते नज़र आते हैं। एक ओर जहां खिलाडी कुमार स्पोर्ट्स आउटफिट में नजर आ रहे हैं। वहीं, इमरान हाशमी जींस और टी-शर्ट साथ ही जैकेट में नजर आए। बता दे कि इस सवारी के दौरान अक्षय और इमरान मास्क लगाते हुए चुपचाप मेट्रो में एंट्री लेते हैं जिसकी भनक तक भी आम जनता को नहीं लग पाती हैं की उनके बीच बॉलीवुड के ये दो बड़े स्टार्स भी मौजूद हैं। लेकिन, जैसे ही फैंस को पता चलता है तो सभी सुपस्टार्स के साथ सेल्फी लेने को बस टूट पड़ते हैं। मेट्रो में सवारी करते हुए अभिनेता अक्षय कुमार और इमरान हाशमी ने फैंस के साथ मुलाकात की और उनके साथ 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी' गाने पर जमकर डांस भी किया जिस दौरान उनके फैंस अपने फेवरेट अभिनेता संग बेहद खुश नज़र आ रहे थे। अक्षय और इमरान को साथ में मेट्रो के अंदर यूँ डांस करते हुए देखना हर किसी के लिए एक बड़ा ही सर्प्रीज़िंग मोमेंट था। दोनों स्टार्स को पास खड़ा देखकर उनके संग सेल्फी लेने वालों की तो मनो लाइन ही लग गई हर कोई बस अक्षय और इमरान के साथ सेल्फी लेने को बेकरार था। खेर खिलाडी कुमार तो हमेशा ही अपनी फिल्मों का प्रमोशन कुछ अलग अंदाज में करने के लिए जाने जाते हैं उनके प्रोमोशंस बाकि सभी अभिनेताओं से काफी हटकर और जुदा होते हैं, और इस बार भी उन्होंने अपने इसी तरीके को चुना। कब सिनेमघरो में उतरेगी 'सेल्फी' अब अभिनेताओं के प्रशंसकों को बस अपने सुपर स्टार को परदे पर देखने का इंतज़ार हो रहा हैं तो बता दें कि, फिल्म 'सेल्फी' 24 फरवरी को सिनेमघरो में उतरेगी। इस फिल्म का ट्रेलर भी रिलीज हो चुका है, जो काफी पसंद किया गया। एक ओर फिल्म में जहां अक्षय कुमार एक सुपरस्टार हैं, तो वहीं इमरान हाशमी एक जबरा फैन के रोल में नजर आएंगे जिनकी एक्टिंग देखना दिलचस्प होगा कि यह फिल्म सिनेमाघरों में कैसे अपना जादू बिखेरती है।
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नई दिल्ली (एजेंसी). कोरोना वायरस (Covid-19 In India) : के खिलाफ लड़ाई में पीएम मोदी ने देश के शीर्ष खिलाड़ियों से वीडियो कॉल के जरिए बात की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, कोहली समेत देश के दिग्गज खिलाड़ियों से सहयोग मांगा है. इसके साथ ही टीम इंडिया की पूर्व ओपनिंग जोड़ी सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली ने पीएम को भरोसा दिलाया है कि कोरोना वायरस के खिलाफ जीत दिलाने में वह पूरा सहयोग देंगे. सचिन तेंदुलकर ने कहा कि टीम इंडिया के लिए मैं नंबर चार पर बल्लेबाजी करता था और पीएम मोदी ने भी मुझे नंबर चार पर बात करने का मौका दिया. उन्होंने बताया, "आज पीएम से बात करते हुए मेरा बैटिंग ऑर्डर चार था. कोरोना वायरस के खलिाफ मैंने नंबर चार पर बल्लेबाजी की है. टीम इंडिया के लिए भी नंबर चार पर ही बल्लेबाजी करता था. " वहीं बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने पीएम मोदी की सभी खिलाड़ियों से बात करने की पहल पर खुशी जााहिर की है. सौरव गांगुली ने पीएम से कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में पूरे देशभर में पुलिस बेहतरीन काम कर रही है और हम इस लड़ाई में जीत हासिल करेंगे. सूत्रों के मुताबिक सचिन तेंदुलकर ने पीएम से कहा है कि लॉकडाउन के बाद भी लोगों को कोरोना वायरस को गंभीरता से लेना चाहिए. सचिन ने कहा है कि लॉकडाउन के बाद भी इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता. इसके साथ ही सचिन-सौरव ने पीएम को भरोसा दिलाया है कि वह देश के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. इसके साथ ही पीएम मोदी ने अब तक खिलाड़ियों के कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में दिए गए सहयोग की सराहना की है. पीएम मोदी के साथ इस वीडियो कॉल में खेल मंत्री किरन रिजिजू और 49 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. इनमें तेंदुलकर, गांगुली और कोहली के अलावा विश्व कप विजेता पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा, पूर्व तेज गेंदबाज जहीर खान, युवराज सिंह और केएल राहुल का नाम भी हैं.
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मिती का स्वप्न - चीन में भारतीय धर्म - चिन वंश - कुमारजीव और उसके साथी - प्रतिक्रिया - प्रतिक्रिया का उत्तर - गुरुवर्मन् और उसके साथी - दो धर्मं का समृद्धिकाल - भिक्षु परमार्थ - याती-ठी शताब्दी के दौद्धरण्डितधाळू वंश - भारत में हन्―रसाहू और इंच - चिङ्- चीन में भारतीय तिथिकाम-प्रतिक्रिया का अन्त - तृतीय प्रतिक्रिया - गुरू वंश का अभ्युदय - भारतीय परितो का अन्तिम जत्था - मङ्गोल सरदारों का बौद्धधर्म के प्रति प्रेम-मिठू बंश - मंचू शासन - प्रजातन्त्र की स्थापना - वर्तमानकाल में बौद्धधर्म की दशा - मन्दिर और विहार - प्रवच्चाउपसम्पदा - भिक्षुओं का रहन सहन - पूजाविधि - प्राचीन चौक अवशेष- ताछ्यान् सुसु विहार- चिकू लुङ् - बिहार - हुई था-सुविहार सहसपाले गुहा मन्दिर - लहू-तुङ् गुहामन्दिर गुहा- सुदू-मैन गुहायें - शिन्यु-गु गुहायें - उपसंहार । पहिले कहा जा चुका है कि महात्मा बुद्ध के जीवनकाल में चौद्धशिक्षायें सुदूर देशों में प्रचलित न हुई थीं। उस समय तो वे सम्पूर्ण भारत में भी न फैल सकी थीं। अजातशत्रु आदि कई राजा बुद्ध के अनुयायी बन चुके थे परन्तु चौद्ध प्रचारकों द्वारा विदेशों में बौद्धधर्म का प्रचार मौर्न्यसम्राट् अशोक से पूर्व न हुआ था। अशोक द्वारा राजकीय सहायता मिलने से चौद्धधर्म भारत की प्राकृ तिक सीमाओं को पार कर एशिया, चोरुप और समीरा नीनों महा मिती का द्वीपों में फैल गया । तदनन्तर कुशान राजा कनिष्क ने वौद्धधर्म के प्रचारार्थ भारी प्रयत्न किया । इसी के समय पेशावर में चतुर्थ बौद्धमें सभा बुलाई गई । जिस समय पश्चिम भारत में कुशान राजा राज्य कर रहे थे उस समय तक चीन में बौद्धधर्म का प्रचार प्रारम्भ हो चुका था । चीन में बौद्धधर्म किस समय और किस प्रकार प्रविष्ट हुआ, इस पर अनेक विद्वानों ने भिन्न भिन्न तरीके से विचार किया है। परन्तु इस ग्रन्थ में चीनी इतिहास का आधार चीनी विवरणों को ही बनाया गया है। चीनी पुस्तक 'को- वैन्- फिड्- चौ' से ज्ञात होता है कि चीन के 'हान' वंशीय राजा मिङ्ती ने ६५ ई० में १८ व्यक्तियों का एक दूतमण्डल भारत भेजा जो लौटते हुए अपने साथ बहुत से बौद्ध ग्रन्थ तथा दो भिक्षु ले गया । इस प्रकार चीनी विवरण के अनुसार मिङ्ती के शासनकाल में ही चीन में प्रथम बार वौद्धधर्म प्रविष्ट हुआ । परन्तु प्रश्न पैदा होता है कि यह दूतमण्डल भेजा क्यों गया ? इसका उत्तर चीनी पुस्तकें इस प्रकार देती हैं - "हान वंशीय राजा मिङ्ती ने अपने शासन के चौथे वर्ष स्वप्न में १२३ फीट ऊंचे एक स्वर्गीय पुरुप को देखा । उसके सिर से सूर्य की भांति तीव्र प्रकाश निकल रहा था । राजा की ओर आता हुआ वह दिव्य पुरुप महल में प्रविष्ट हुआ । स्वप्न से बहुत अधिक प्रभावित होकर राजा ने मंत्री से इस स्वप्न का रहस्य पूछा । मंत्री ने उत्तर दिया- आप जानते हैं कि भारतवर्ष में एक बहुत विद्वान् पुरुष रहता है जिसे बुद्ध कहा जाता है । यह पुरुप निश्चय से वही था । यह सुनकर राजा ने १. देखिये, Edkin's Chinese Budhism, Page 88 २. मंत्री के उत्तर से ज्ञात होता है कि उसे महात्मा बुद्ध के विषय में पहले से ही शान था, क्योंकि इसने उस दिव्य पुरुष को पहिचान लिया साथ ही उसका पता भी बताया ।
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धर्मपरायण विचक्षण नवाब अपने प्रभु के पादेशको अन्यथा करना नहीं चाहते हैं। फोर्थ - तो क्या गुवराज के प्रतिवादी होनेने ईरा इण्डिया कम्पनी को पत्र वङ्गालमें वाणिज्य अधिकार नहीं मिलेगा महतात्र - यह बात में नहीं कह सकता हूँ। जिसका राज्य है, जो दण्ड-मण्डका कर्त्ता है, उसके रहते में क्या का मकता हूँ? विशेष करके उनको इच्छा के विरुद्ध किन्तु तोभी में नवाब दरवारमै ययामाध्य उमी वातका यत्र करूँगा, कि जिसमें आप लोगों को प्रापका वाणिज्य अधिकार फिर से मिल फोर्थ-बम, इतना ही बहुत है। चापको महायता होने से हमारे कार्यको सिद्धि अवश्य होगो । हम लोग आपके गरणागत है और आप भी गरणागतके रथक ४ मे हमारा उदार कोजिये ● मह-महाशय ! मुझको बहुत बातें करनी नहीं धा। मैंने नयाव बहादुरमे कभी किसी बातका अनुरोध नहीं किया है। इस बार पाप मोर्गकि लिये यह भी करूँगा । अच्छा हो, चाप दरवारमै उपस्थित रहकर मेरे कार्य देख जायें । मेसे यही इच्छा है कि पापको बाणिज्य परिकार फिरमे मिस प्राय । परन्तु एक बात भापने पूछता हूँ कि यदि नयाव बहादुर बहाब्रेकि मुटेका पानीबात पर और देकर, पाप कि ऊपर पर्यदक बङ्गालका भन्तिम नवाब । करना चाहें, तो क्या आप उस अर्थदण्डको देने के लिये तय्यार हे ? " डाकर फोर्थ बोले, "हम लोगोंपर चाशा है कि बहुत भारी वोझ नहीं रक्खा जायगा, क्योंकि आपको सब हाल मालूम है कि हम लोग इस मामले में नितान्त हो निरपराध हैं - यह मिथ्या दोषारोपण हुया है।" मह० -- यह वात नवाब बहादुरको इच्छा पर निर्भर है। रुपये का लोभ दिखाकर भले ही राज़ी कर सको तो कर सको, वातोसे तो कुछ भी नहीं होगा । फोर्थ - मैं आप ही के ऊपर सब भार अर्पण करता हूँ । आप जो कुछ ठीक समकें वही कीजियेगा। मह -- मेरे ऊपर वोझ डालकर आप नियिन्त रहें, ऐसे काम नहीं चलेगा। चाप लोगोंको भी नवाव दरवारमें उपस्थित रहना पड़ेगा। फोर्थ - जबकि मैं सब ही बोझ आपके ऊपर रखता हूँ, फिर हम लोगोंके वहीं उपस्थित रहने को क्या श्रावश्यकता है ? फोर्थ आपको यह युक्ति बहुत ठोक है ' " मह० - उपस्थित रहनेमे लाभके अतिरिक्त हानि तो कुछ नहीं है। आपको दो चार खुशामद की बातों से कुछ न कुछ उपकार हो होगा और एक के दूसरे के सामने होने से आँखों को लब्जा भी होती है ।
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बच्चों के माता-पिता को बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र में लिंग वाली जगह को ख़ाली छोड़ने की अनुमति होगी, इस तरह से 'अनिश्चित लिंग' की एक नई श्रेणी बनेगी. यह पहल बच्चों के माता-पिता के ऊपर बच्चों के लिंग निर्धारण पर तुरंत निर्णय लेने के दबाव को कम करने के उद्देश्य से की गई है. यहां 2,000 बच्चों में से एक बच्चे में उभयलिंगी विशेषताएं होती हैं. ऐसे लोगों को 'इंटरसेक्स' के नाम से जाना जाता है क्योंकि उनमें पुरुष और महिला दोनों गुणसूत्रों का मिश्रण होता है, यहां तक कि उनके जननांगों में दोनों लिगों की विशेषताएं होती हैं. बर्लिन में बीबीसी के संवाददाता स्टीव इवांस ने बताया, "नवजात बच्चों के अधिकारियों के समक्ष पंजीकरण के समय माता-पिता को अक्सर कठिनाई का सामना करना पड़ता है. " उन्होंने कहा कि शारीरिक विशेषताओं में बदलाव के लिए कभी-कभी ऑपरेशन भी किए जाते हैं ताकि उनको एक संभावित दिशा दी जा सके. "मैं न तो एक पुरुष हूं और न एक महिला. मैं हमेशा डॉक्टरों की पैबंदकारी के कारण आघात और खरोंच से उपजे दागदार निशानों को ढोता रहूंगा. " जर्मनी के क़ानून में कुछ मामलों पर फिर से विचार किया जा रहा है, जिसके कारण कई लोगों को दुःखद स्थिति से गुज़रना पड़ा था. एक मामले में, एक व्यक्ति को लिंग निर्धारण की अनिश्चितता वाली स्थिति में ऑपरेशन से गुज़रना पड़ा था. उस व्यक्ति का सालों बाद कहना है, "मैं न तो एक पुरुष हूं और न एक महिला. मैं हमेशा डॉक्टरों की पैबंदकारी के कारण आघात और खरोंच से उपजे दाग़दार निशानों को ढोता रहूंगा. " जर्मनी के गृह मंत्रालय के मुताबिक़, "जर्मनी के पासपोर्ट पर पुरुष के लिए एम और महिला के एफ़ अक्षरों के संकेत का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसमें जल्दी ही एक नई श्रेणी तीसरे लिंग के लिए भी बनेगी, जिसका प्रतीक 'एक्स' होगा. " अभी यह अस्पष्ट है कि जर्मनी में इस बदलाव का शादी और रिश्तों से संबंधित क़ानून पर क्या असर होगा? अभी के क़ानून शादी को महिला और पुरुष के बीच संबंध के रूप में मान्यता देते हैं और नागरिक भागीदारी में समान लिंग वाले जोड़ों के लिए यही बात लागू होती है.
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Rama Ekadashi 2022:हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार 21 अक्टूबर, शुक्रवार को रमा एकादशी का व्रत किया जाएगा। दीपावली से ठीक पहले आने से ये तिथि बहुत खास है। रमा एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जाप विधि-विधान से करें। मंत्र जाप के लिए तुलसी की माला का उपयोग करें। इस मंत्र के प्रभाव से आपको धन लाभ के योग बनने लगेंगे। मंत्र- ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नमः रमा एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी का अभिषेक भी करना चाहिए। इस दिन गाय के दूध में केसर मिलाकर इसे दक्षिणावर्ती शंख में भर लें और इसी के माध्यम से अभिषेक करते रहें। इस दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप भी करते रहें। इससे आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी। वृंदा, वृन्दावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी। एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम। एकादशी पर पहले भगवान को पीले फल जैसे केले, आम आदि का अधिक से अधिक संख्या में भोग लगाएं और बाद में इसे जरूरतमंदों को बांट दें। इससे गुरु ग्रह से संबंधित शुभ फल आपको मिल सकते हैं, साथ ही वैवाहिक जीवन भी सुखमय बना रह सकता है। आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्। माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्। । कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्। एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्। । अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्णःदामोदरं वासुदेवं हरे। श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे। ।
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लखनऊ। यूपी में सातवें चरण के मतदान से 24 घंटे पहले बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया, जिसके बाद से प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई। वहीं सातवें चरण के मतदान के बीच मयंक ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी में परिवारवाद का पैमाना एक छलावा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी में परिवारवाद की अलग ही परिभाषा है। इस पार्टी में राजनाथ सिंह के बेटे को टिकट मिल सकता है। फागू चौहान के बेटे को टिकट मिल सकता है लेकिन रीता बहुगुणा जोशी के बेटे को नहीं मिल सकता। उन्होंने कहा सपा सबसे प्रोगे्रसिव पार्टी है। बता दें कि 22 फरवरी को मयंक जोशी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। तब सोशल मीडिया पर अखिलेश ने इसे सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात का नाम दिया था, लेकिन तभी से मयंक के सपा में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। मयंक के सपा में शामिल होने पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आईं और उनको पूरा सम्मान मिला। विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़वाया। अगर मयंक जोशी सुशासन को छोड़कर कुशासन में जाना चाहते हैं, तो ये उनका अपना फैसला है। मयंक ने ये भी दावा किया कि उनकी मां 73 साल की हो चुकी हैं और उन्होंने लगभग राजनीति से संन्यास ले लिया है। उन्होंने आगे कहा कि उनकी मां ने कई बार कहा भी है कि वे अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी। राजनीति से संन्यास लेने के बाद वो किताबें और संस्मरण लिखेंगी। मयंक ने आगे कहा कि ऐसा होता है कि एक ही परिवार के लोग एक पार्टी में हों और उसी परिवार के कुछ लोग दूसरी पार्टी में। इससे पहले कई बार रीता बहुगुणा जोशी बेटे मयंक को पार्टी से टिकट दिलाने की कोशिश कर चुकी हैं, उन्होंने यहां तक कहा कि अगर मयंक को लखनऊ की कैंट सीट से टिकट मिल जाता है, तो वो सांसद पद छोड़ देंगी। बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के मीडिया प्रभारी अभिषेक शुक्ला ने बताया कि सांसद त्रिपुरा में आयोजित संसदीय भाषा उप-समिति बैठक में भाग लेने गई हैं। उन्होंने कहा बेटे मयंक ने सपा क्यों ज्वाइन की उस बारे में मैं भी कोई टिप्पणी नहीं करूंगी। मेरा स्टैंड पहले से ही क्लियर है। मैं भाजपा में हूं और भाजपा में ही रहूंगी। मयंक जोशी ने बीजेपी हमला करते हुए कहा मैंने 13 साल भाजपा में लगाएं हैं लेकिन पार्टी ने कुछ नहीं दिया। अच्छा हुआ पार्टी ने मुझे टिकट नहीं दिया। अब मैं संतुष्ट हूं और मुझे लगता है कि समाजवादी पार्टी में युवाओं का भविष्य है और वह पार्टी सबसे प्रोग्रेसिव पार्टी है इसलिए मैं समाजवादी पार्टी में आकर खुश हूं। लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान में चुनाव प्रचार की समाप्ति से पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी पर जोरदार हमला बोला। ओमप्रकाश राजभर ने अपने को भगवान का बिरादर होने का दावा किया है। राजभर ने सैदपुर की एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह हनुमान जी के बिरादर हैं। जैसे हनुमान ने अशोक वाटिका उजाड़ी थी, वैसे ही उन्होंने बीजेपी की अशोक वाटिका उजाड़ दी और स्वामी प्रसाद मौर्य दारा सिंह चौहान को अपने साथ ले आए। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी की लंका जल रही है। राजभर ने दावा किया कि इस चुनाव में गाजीपुर, बलिया, मऊ में बीजेपी का खाता तक नहीं खुलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव के रोड शो में बनारस के लोगों ने शिरकत की। वहीं पीएम मोदी की रोड शो के लिए गुजरात, हरियाणा और अन्य जगहों से लोग लाए गए थे। लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि यूपी में उपेक्षित लोग प्रदेश की तस्वीर बदल सकते हैं। उन्होंने ट्वीट किया कि यूपी के नौ जिलों की 54 सीटों पर अंतिम चरण में आज हो रहे मतदान में गरीबी और बेरोजगारी के सताए हुए उपेक्षित लोग अपने वोट की ताकत से अपनी और प्रदेश की तकदीर बदल सकते हैं। इसके लिए बीएसपी की सरकार बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह जग जाहिर है कि विरोधी पार्टियों के लुभावने वादे वादा खिलाफी साबित हुए हैं। इनकी सरकारों में यूपी के लोगों की हालत बिगड़ती चली गई। इसलिए अब इनके बहकावे में नहीं आना ही होशियारी है। विरोधी पार्टियों ने धनबल सहित सभी हथकंडों को अपनाकर यूपी के चुनाव को अपने पक्ष में करने का खूब जतन किया, लेकिन महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी जैसे बुनियादी मुद्दों पर जनता डटी है। लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की 10 मार्च को होने वाली मतगणना को लेकर समाजवादी पार्टी चौकस हो गई है। पार्टी ने मतगणना स्थल पर कानूनी सलाह के लिए 2-2 वकीलों को तैनात करने का फैसला लिया है। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने सभी जिला और महानगर अध्यक्षों को निर्देश दिए हैं। पार्टी के मुताबिक मतगणना के दौरान किसी कानूनी परामर्श के लिए वकील उपलब्ध रहेंगे। सपा के सभी जिला और महानगर अध्यक्षों को 9 मार्च तक अधिवक्ताओं के नाम देने के लिए कहा है। सूबे के पार्टी अध्यक्ष ने पत्र में लिखा है कि विधानसभा चुनाव की मतगणना हर विधानसभा में 10 मार्च को होनी है। मतगणना के समय हर काउंटिंग बूथ पर दो दो अधिववक्ता कानूनी सलाह के लिए रहने चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर आप उनका उपयोग कर सकें। इसलिए दोनों अधिवक्ताओं के नाम और मोबाइल नंबर पार्टी प्रदेश कार्यालय में 9 मार्च तक जरूर उपलब्ध कराने का कष्ट करें। बता दें कि यूपी में के सभी 75 जिलों की सभी 403 विधानसभाओं में वोटो की गिनती 10 मार्च को होने जा रही है। राज्य में 7 चरणों में मतदान होना तय हुआ था, जिसमें आज आखिरी चरण के लिए वोट डाले जा रहे हैं।
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इंदौर के लाॅ कालेज की लाइब्रेरी में रखी गई विवादित पुस्तक की लेखिका डा. फरहत खान की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पुस्तक की महिला प्रकाशक उमा छेत्रपाल को भी गिरफ्तार कर लिया है। उमा की गिरफ्तारी उसके घर से हुई है। पांच साल पहले इस किताब को प्रकाशित किया गया था और किताब के विवादित हिस्से की शिकायत के बाद किताब प्रतिबंधित हो गई थी। बाद में उस हिस्से को हटाकर नई किताब प्रकाशित कर दी गई थी, लेकिन प्रतिबंधित संस्करण की किताब लाॅ काॅलेज की लाइब्रेरी में मिली थी। जिसे आधार बनाते हुए पुलिस ने काॅलेज प्राचार्य, प्रोफेसर, लेखिका व प्रकाशक केे खिलाफ केस दर्ज किया था। किताब इंदौर की जिला कोर्ट के सामने अमर लाॅ पब्लिकेशन ने प्रकाशित की थी। पुलिस को किताब की लेखिका डाॅ. फरहत खान को पुणे से गिरफ्तार किया था, वह पुणे के एक अस्पताल में भर्ती मिली थी। डाॅ. फरहत की दोनो किडनियां फेल है। वह इलाज के लिए भर्ती है। अब पुलिस ने किताब की लेखिका उमा छेत्रपाल को भी गिरफ्तार कर लिया है। उधर पुलिस ने लाइब्रेरी में किताब रखने के मामले में काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. रहमान को आरोपी बनाया है,लेकिन वे भी तबीयत खराब होने के कारण वे एक निजी अस्पताल में भर्ती हो गए। जिला कोर्ट ने उनका अग्रिम जमानत आवेदन भी खारिज कर दिया है। इस पूरेे मामले की जांच के लिए उच्च शिक्षा मंत्री ने जांच के लिए कमेेटी गठित की थी। उसकी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने प्राचार्य और तीन प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया है। अापको बता देें कि डा. फरहत खान ने सामूहिक हिंसा और दांडिक न्याय पद्धति किताब लिखी थी। जिसमें आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद के बारे में भड़काने वाली बातें लिखी गई थी। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने तीन साल पहले किताब के विवादित हिस्सों को लेकर शिकायत की थी। इसके बाद किताब प्रतिबंधित कर दी गई थी। वह किताब काॅलेज की लाइब्रेरी मेें मिली थी। इसके बाद भंवरकुआ पुलिस ने लेखिका, प्रकाशक, प्राचार्य और एक प्रोफेसर के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। इस मामले में पहली गिरफ्तारी लेखिका की हुई है,जबकि दूसरी गिरफ्तारी प्रकाशक की हुई हैै। Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में महाराष्ट्र में कांग्रेस के सभी सहयोगी दलों के नेता शामिल हो रहे है। शुक्रवार को शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने राहुल गांधी के साथ पदयात्रा की है। एक दिन पहले एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और जितेंद्र आव्हाण ने पदयात्रा में हिस्सा लिया। Bharat Jodo Yatra joined by Aaditya Thackeray: राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रहे भारत जोड़ो यात्रा ने शुक्रवार को 65वें दिन में प्रवेश किया। दो महीना से अधिक समय हो गए इस यात्रा ने बीते दिनों महाराष्ट्र में प्रवेश किया था। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने भी शुक्रवार को 'भारत जोड़ो यात्रा' में शामिल होकर पदयात्रा किया। ठाकरे, हिंगोली के कलामनुरी में पदयात्रा के दौरान पहुंचे। भारत जोड़ो यात्रा, शुक्रवार को नांदेड़ जिला से हिंगोली में प्रवेश किया। हिंगोली के कलामनुरी पहुंचने पर शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे भी पहुंचे। यहां राहुल गांधी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेता आत्मीय ढंग से गले मिले। बातचीत के साथ साथ यात्रा भी चलती रही। इस पदयात्रा में आदित्य ठाकरे के सहयोगी शिवसेना नेता अंबादास दानवे, पूर्व विधायक सचिन अहीर भी शामिल हुए। दानवे, विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे काफी देर तक एक साथ यात्रा में साथ साथ चले। दोनों नेता पहली बार एक साथ पदयात्रा कर रहे हैं। दोनों नेताओं को देखकर लोगों और समर्थकों में भी भारी उत्साह देखने को मिला। सड़क के दोनों ओर भारी भीड़ दोनों नेताओं का हाथ हिलाकर अभिवादन कर रही थी। दोनों से हाथ मिला रही थी और जमकर नारेबाजी होती रही। नांदेड़ के अर्धपुर तालुका के सेनी गांव में भारत जोड़ो यात्रा के पहुंचते ही फूल बरसाए गए। यात्रा ने चोरम्बा फाटा में हिंगोली जिले में प्रवेश किया है। यहां बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चों ने स्वागत किया और फूल मालाओं से नेताओं को लाद दिया। स्वागत में हाथी को सजाकर लाया गया था। हिंगोली में पूर्व सैनिकों का समूह भी राहुल गांधी से मिलने पहुंचा था। 22 की संख्या में पूर्व सैनिकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी से 'वन रैंक वन पेंशन' (ओआरओ) को लागू करने संबंधी अपनी मांगपत्र को सौंपा। पूर्व सैनिक साहेबराव ने कहा कि हमें लगता है कि कांग्रेस इस मांग (ओआरओपी) को पूरा कर सकती है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में महाराष्ट्र में कांग्रेस के सभी सहयोगी दलों के नेता शामिल हो रहे है। शुक्रवार को शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने राहुल गांधी के साथ पदयात्रा की है। एक दिन पहले एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और जितेंद्र आव्हाण ने पदयात्रा में हिस्सा लिया। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार स्वास्थ्य कारणों से भारत जोड़ो हिस्सा में नहीं पहुंच सके हैं। पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे भी शामिल हो सकते हैं। यह भी पढ़ेंः
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यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Adarsh Vijay Mudgil, MD1कोजिक एसिड (kojic acid) के साथ मेलानिन (melanin) को कम करेंः कोजिक एसिड सभी तरह की त्वचा संबंधी समस्याओं में मदद कर सकता है, जिसमें पिग्मेंटेशन (pigmentation) भी शामिल है। इस्तेमाल करने और अपनी त्वचा को हल्का करने के लिए इस इंग्रेडिएंट वाली एक क्रीम खरीद लाएँ।[१] X विश्वसनीय स्त्रोत Science Direct स्त्रोत (source) पर जायें ये प्रॉडक्ट प्रिस्क्रिप्शन के बिना उपलब्ध होने चाहिए। - डर्मेटाइटिस (dermatitis) और त्वचा में इरिटेशन कोजिक एसिड के सबसे मुख्य साइड इफेक्ट हैं। - अगर कोई भी इंग्रेडिएंट कैलोमेल (calomel), सिनाबारिस (cinnabaris), हाइड्रारगिरि ऑक्सीडम रूब्रम (hydrargyri oxydum rubrum), या क्विकसिल्वर (quicksilver) हैं, तो प्रॉडक्ट में मर्करी है। - अगर उस पर ऐसा कोई वॉर्निंग साइन है, जो कहता है कि क्रीम का संपर्क चांदी, सोना, एल्युमिनियम और गहनों और एक्सेसरीज़ के साथ नहीं होना चाहिए, तो उसमें मर्करी है। - अगर आपको कोई भी रिएक्शन हो रही है, तो आप इस क्रीम का इंतज़ार न करें। - फिर चाहे आप एक कॉटन स्वेब भी इस्तेमाल करते हैं, लेकिन तब भी अच्छा होगा कि आप अपने हाथों को भी धो लें, कहीं गलती से आपको पता चले बिना लोशन आपके हाथ पर न लग गया हो। - अगर प्रॉडक्ट पर और कोई दूसरे इन्सट्रक्शन दिए हैं, तो उन्हें फॉलो करें। संभावित घरेलू उपचार (Potential Home Remedies) ऑनलाइन आपको आपकी त्वचा को हल्का करने के लिए न जाने कितनी ही होम रेमेडीज या घरेलू उपचार मिल जाएंगे। लेकिन, इनमें से ज़्यादातर उपाय काम नहीं करेंगे। घर पर अगर आप कुछ कर सकते हैं, तो वो ये कि आप अपनी त्वचा को डार्क होने से रोकने के लिए अपने धूप के सामने जाने के टाइम को लिमिट करें। इसके अलावा, अपने डर्मेटॉलॉजिस्ट से बात करना भी करने योग्य सबसे अच्छा काम है। - अगर इस समय के दौरान आपको बाहर जाना भी पड़े, तो ज्यादा से ज्यादा समय छाँव में बिताने की कोशिश करें। {"smallUrl":"https:\/\/www1अपनी स्किन को लाइट करने के बारे में किसी डर्मेटॉलॉजिस्ट के पास जाएँः स्किन लाइटनिंग ट्रीटमेंट्स, जिनमें लेजर ट्रीटमेंट भी शामिल हैं, को डर्मेटॉलॉजिस्ट के ऑफिस में कराया जाता है। एक अपोइंटमेंट लें और आपके लिए एक सही प्रोसीजर के बारे में बात करें। - डर्मेटॉलॉजिस्ट पहले एक हल्के स्किन टेस्ट को करके ये सुनिश्चित करेंगे कि आप कहीं लेजर्स को लेकर सेंसिटिव तो नहीं। वो आपकी त्वचा के एक छोटे हिस्से को लेजर के सामने लाएँगे और फिर कुछ हफ्ते इंतज़ार करके देखेंगे कि इससे आपको कोई रिएक्शन तो नहीं हो रही है। अगर नहीं, तो ये ट्रीटमेंट आपके लिए सेफ होगा। - आप चाहें तो असहूलियत को कम करने में मदद के लिए दर्द निवारक (pain relievers) भी ले सकते हैं। - बाद की देखभाल के लिए हमेशा आपके डर्मेटॉलॉजिस्ट के द्वारा दिए खास निर्देशों का पालन करें। अगर आप अपनी त्वचा को हल्का करने के प्राकृतिक तरीकों की तलाश में हैं, तो ऐसे आप अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो ऐसा कर रहे हैं। लेकिन ऐसा कोई घरेलू उपचार नहीं है, जिसे गोरी त्वचा पाने के लिए इस्तेमाल किया जा सके। अच्छी बात ये है कि अगर आप अपनी त्वचा को हल्का करना चाहते हैं, तो आपके पास ऐसा करने के और भी कई सारे दूसरे विकल्प हैं। अगर आप ठीक से इस्तेमाल करें और पहले अपने डर्मेटॉलॉजिस्ट से पूछ लें, तो कुछ OTC (ओवर-द-काउंटर) लाइटनिंग क्रीम भी काम कर सकती हैं। अगर इनसे कोई फायदा न मिले, तो आपके डर्मेटॉलॉजिस्ट द्वारा बताएं कुछ इलाज से आपको अपना मकसद पूरा करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, खुद को बदलने की कोशिश करने की बजाय, आप अपनी स्किन टोन को स्वीकार करना और आप जैसे हैं, उसमें ही खुद को अपनाना सीखने की भी कोशिश कर सकते हैं।
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Nupur Joshi Became A Victim Of Cyber Fraud: इस डिजिटल जमाने में आए दिन लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होते रहते हैं। आम जनता के साथ बॉलीवुड और टीवी सेलेब्स भी फ्रॉड करने वालों के निशाने पर रहते हैं। हाल ही में यह खबर आई है कि ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) फेम नूपुर जोशी (Nupur Joshi) के साथ भी साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) हुआ है। दरअसल अदाकारा अपना सोशल मीडिया अकाउंट वेरीफाई करवाना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने अपने आईडेंटिटी प्रूफ भी दे दिए थे। लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि उनके साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी हुई है और अब वह काफी डरी हुई हैं (Nupur Joshi Became A Victim Of Cyber Fraud)। नूपुर जोशी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक पोस्ट शेयर करते हुए यह बताया कि वह अपना इंस्टाग्राम अकाउंट वेरीफाई करवाना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने अपने गवर्नमेंट आईडेंटिटी प्रूफ भी दे दिए थे। बाद में उन्हें यह पता चला कि वह ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो गई हैं। यह पोस्ट शेयर करते हुए अदाकारा ने लिखा 'हाल ही में मैंने इंस्टाग्राम को रिक्वेस्ट भेजा था जिसे हम दोनों के बीच में गोपनीय रहना था। लेकिन मुझे लगा कि यह इंस्टाग्राम टीम है जो असल में हैकर थे। उन्होंने मुझे ईमेल भेजा और मेरा गवर्नमेंट आईडेंटिटी प्रूफ मांगा। मेरे साथ धोखा हुआ है और अब मुझे डर लग रहा है क्योंकि मुझे नहीं पता भविष्य में क्या होगा। ' इसके बाद उन्होंने लिखा कि उन्हें एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काम करते हुए एक दशक हो गया है। लेकिन वह कभी भी ब्लू टिक को लेकर उत्साहित नहीं थीं। लेकिन कुछ फैंस और दोस्तों ने उन्हें बताया कि यह काफी महत्वपूर्ण है। नूपुर जोशी ने कहा कि वह फेक अकाउंट से ऐसा बचने के लिए कर रही थीं लेकिन खुद ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो गई हैं। Times Now Navbharat पर पढ़ें Entertainment News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।
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नवरात्रि एक बहुप्रतीक्षित त्योहार है और इसकी शुरूआत इस साल 21 सितंबर से हो रही है। नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान देवी शक्ति के नवरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि उपवास, शरीर को आंतरिक रूप से साफ करने और आने वाले ठंड के मौसम के लिये शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का समय होता है। इस दौरान ज्यादातर लोग अनाज, दालें और मांस-मछली नहीं खाते। हालांकि, उपवास के दौरान भूख मिटाने के लिये वे ऐसी चीजों का सेवन करते हैं, जिनसे सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। इंडस हेल्थ प्लस की प्रीवेंटिव हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट कंचन नायकवाड़ी ने कहा, "लोगों को ऐसा लगता है कि नवरात्रि के दौरान उपवास करने से उनकी फिटनेस और सेहतमंद होने का लक्ष्य पूरा हो सकता है। लेकिन सच तो यह है कि तली-भुनी और चिकनाई युक्त चीजें खाकर उपवास करने से शरीर को नुकसान पहुंचता है। इसलिये, मौसम में बदलाव का ध्यान रखते हुये अच्छा और सेहतमंद आहार लेना आवश्यक होता है और इसमें नवरात्रि अहम भूमिका निभाती है। " यहां पर विशेषज्ञों के कुछ टिप्स दिये गये हैं, जो आपको उपवास के दौरान सेहतमंद बनाये रखेंगे.... नियमित अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाना अच्छा रहता है, इससे ब्लड ग्लूकोज के स्तर को बनाये रखने में मदद मिलती है और पूरे दिन आपको काम करने की स्फूर्ति मिलती है। हमेशा ही शरीर को हाइड्रेटेड बनाये रखने की सलाह दी जाती है। पानी के अलावा अन्य तरल पदार्थों को इस सूची में शामिल किया जा सकता है, जैसे नारियल पानी, ग्री टी, छाछ और नींबू पानी भी काफी अच्छे होते हैं। वैसे उपवास में खाई जानी वाली ज्यादातर चीजें तली-भुनी होती हैं, लेकिन उनकी जगह बेक की हुई, रोस्ट की गई या फिर ग्रिल की हुई सब्जियां भोजन को सेहतमंद बनाती हैं। कार्बोहाइड्रेट और फाइबरयुक्त खाद्य पदार्थों के मिश्रित रूप वाला भोजन सेहतमंद विकल्प हो सकता है। आलू और साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट काफी अधिक मात्रा में होता है, जिन्हें शिमला मिर्च, टमाटर, पालक और गोभी जैसी सब्जियों के साथ मिलाकर खाया जा सकता है। नवरात्रि के दौरान आमतौर पर खाया जाने वाला कुट्टू का आटा भी कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का बेहतरीन मिश्रण होता है। अमरनाथ प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत होता है, जिन्हें उपवास के दौरान खाया जा सकता है। आप अमरनाथ का बना दलिया दूध के साथ तैयार कर सकते हैं या फिर ढेर सारी सब्जियों के साथ चटपटा दलिया बना सकते हैं। ऊर्जा के संकेंद्रित स्रोत जैसे नट्स और मेवे खाने से पूरे दिन ऊर्जा का स्तर बना रहता हैै। साबुत फल खाना, हमेशा ही जूस लेने से बेहतर माना जाता है, क्योंकि इससे आपको जरूरी फाइबर मिलते हैं और आप दिनभर पेट भरा हुआ महसूस करते हैं। अपने भोजन में डेयरी प्रोडक्ट्स की मात्रा बढ़ाएं खासकर दही और काॅटेज चीज के रूप में छाछ या लस्सी लें। भोजन में सामा के चावल को शामिल करने से वो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पचने में भी आसान होते हैं। मीठे के शौकीन सामा के चावल की खीर को फलों के साथ लेकर संतुष्टि पा सकते हैं। नवरात्रि के दौरान खासतौर से लिया जाने वाला सेंधा नमक, सेहत के लिये बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि यह पोषक तत्वों को ग्रहण करने में मदद करता है। शक्कर की जगह उसके सेहतमंद विकल्प गुड़ या शहद को शामिल करें। उपवास के दौरान भी व्यायाम करना जरूरी होता है। सुबह के समय योग और शाम में 40-50 मिनट की ब्रिस्क वाॅक करने से स्वस्थ रहने में मदद मिलती है और आलस दूर भागता है।
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गाय घाट रिमांड होम की सुपरिटेंडेंट और महिला थाना में दर्ज रेप के दो केस की मुख्य आरोपी वंदना गुप्ता को गुरुवार को भी राहत नहीं मिली। पटना सिविल कोर्ट में उनकी एंटी सिपेट्री बेल की याचिका पर सुनवाई थी। उन्हें और उनके वकील को उम्मीद थी की आज कोर्ट से जमानत मिल जाएगी। पर ऐसा हुआ नहीं। दरअसल, इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने SIT से केस डायरी मांगी थी। पर आज हुई सुनवाई से पहले तक कोर्ट को केस डायरी मिली ही नहीं। दोनों रेप केस में पीड़िता की वकील मीनू कुमारी भी कोर्ट में मौजूद थीं। वो वंदना गुप्ता को मिलने वाली जमानत का विरोध करने गई थीं। इस बारे में मीनू ने बताया कि आज ADJ-1 की कोर्ट में वंदना गुप्ता के बेल पर सुनवाई थी। जो केस डायरी नहीं आने की वजह से पूरी नहीं हुई। इस कारण वंदना गुप्ता को बेल नहीं मिली। कोर्ट केस डायरी को पढ़ना चाहती है। इसका अवलोकन करना चाहती है। लेकिन, यहां पर SIT पूरी तरह से फेल साबित हो रही है। जांच टीम ने अब तक केस डायरी कोर्ट में सबमिट नहीं की। जितनी बड़ी बातें जांच के दरम्यान SIT ने की थी कि CCTV खंगाला गया, उसका DVR है। इन सब बातों को केस डायरी के जरिए सामने लाना चाहिए था। मगर, अब तक ऐसा हुआ नहीं। इस केस में SIT ने कितना काम किया? यह सब दिखने लगा है। यहां पर पूरी तरह से SIT का फेल्योरेंस सामने आया है। वंदना गुप्ता की जमानत को लेकर आज चौथी बार सुनवाई हुई थी। कोर्ट में केस डायरी सबमिट क्यों नहीं किया गया? इसका क्या कारण हो सकता है? इस सवाल पर वकील मीनू कुमारी ने गंभीर आरोप लगाया और कहा कि बिहार पुलिस के तरफ से गाय घाट रिमांड होम की सुपरिटेंडेंट वंदना गुप्ता को बचाने का अभियान चल रहा है। हाल ही में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी गाय घाट रिमांड होम की जांच को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी। गाय घाट रिमांड होम के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। सारी बातों इनके सामने रखा जाएगा। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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सफेद चाय; चूंकि इसमें चाय की किस्मों जैसे कि काली या हरी चाय का मूल है, इसलिए यह अन्य किस्मों के साथ कई सामान्य विशेषताएं साझा करती है। सफेद चाय के मुख्य गुणों में से एक; यह पॉलीफेनोल्स में समृद्ध है, एक एंटीऑक्सिडेंट जो मुक्त कणों को बेअसर करता है, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और सेलुलर उम्र बढ़ने को धीमा कर देता है। इसकी रासायनिक संरचना को ध्यान में रखते हुए, सफेद चाय, जो कि ग्रीन टी के समान है, इसकी पॉलीफेनोल और ऑक्सीडेंट की उच्च सामग्री की विशेषता है, लेकिन कम कैफीन एकाग्रता। एंटीऑक्सिडेंट शरीर को मुक्त कणों से बचाने में मदद करते हैं जो हमारे चयापचय को स्वतंत्र रूप से उत्पन्न करते हैं और डीएनए की क्षति और सेलुलर उम्र बढ़ने जैसी कई हानिकारक प्रक्रियाओं का कारण बनते हैं। एंटीऑक्सिडेंट टाइप II मधुमेह जैसी बीमारियों से हमें बचाने में भी महत्वपूर्ण हैं। सफेद चाय एंटीऑक्सिडेंट जैसे कैटेचिन और पॉलीफेनोल्स से भरपूर होती है। इसके ऑक्सीडेंट गुणों के कारण, त्वचा की उम्र बढ़ने से रोकने के लिए सफेद चाय फायदेमंद हो सकती है। त्वचा में कोलेजन के संतुलन का समर्थन करने के लिए विटामिन ई और सी से भरपूर व्हाइट टी का सेवन किया जा सकता है। आपकी त्वचा के लिए कोलेजन पूरक आप उन उत्पादों को खरीद सकते हैं जिन्हें आप ढूंढ रहे हैं दिन2दिनतुम इसमें पा सकते हो। विभिन्न प्रकार की चाय में एक प्रभाव होता है जो विभिन्न प्रकार के जीवाणुओं के खिलाफ कीटाणुरहित करने में मदद करता है, विशेष रूप से आंत और त्वचा या श्लेष्मा झिल्ली में पाए जाने वाले कुछ रोगजनकों। पॉलीफेनॉल्स भी इस प्रभाव के लिए जिम्मेदार हैं, और सफेद चाय उच्चतम पॉलीफेनोल एकाग्रता के साथ चाय में से एक है। दंत पट्टिका के कारण खराब सांस का मुकाबला करने में पॉलीफेनोल भी बहुत उपयोगी हो सकता है। वजन कम करने के लिए डाइटिंग करते समय अक्सर सभी चाय का उपयोग किया जाता है। चाय शरीर की तरल जरूरतों को पूरा करती है और मूत्रवर्धक की मदद कर सकती है। इस कारण से, वे चयापचय को उत्तेजित करके हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करते हैं। वजन कम करने के लिए मेटाबॉलिज्म का स्टिम्युलेशन महत्वपूर्ण है। इस संबंध में सफेद चाय की एक और विशेषता यह है कि यह तृप्ति प्रदान करती है और कैलोरी में कम है। कई स्वस्थ फलों और सब्जियों की तरह, सफेद चाय फ्लेवोनॉयड्स से भरपूर होती है जो उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करती है। सफेद चाय; रक्तचाप को कम करके विभिन्न हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करना फायदेमंद है।
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बॉक्स ऑफिस पर 18 मई को फिल्म-When Obama Loved osama रिलीज़ होगी. यह फिल्म मुख्यतः एक अमन ओसामा नाम के लड़के और मैग्गी ओबामा नाम की एक लड़की की प्रेम कहानी पर बनी कॉमेडी लव स्टोरी फिल्म है. फिल्म का विषय असाधारण रूप से दिलचस्प है. फिल्म में लड़का उस लड़की से प्यार करने लगता है और अपने प्यार को पाने के रास्ते पर कुछ बाधाओं को पार करने की दिलचस्प कहानी है. यह फिल्म एक मुसलमान लड़के और एक ईसाई लड़की की प्रेम कहानी है. फिल्म में मुख्य किरदार के रूप में मौसम शर्मा, स्वाति बक्शी, राहुल अवाना, अमृता आचार्य,मोहित बघेल, विकास गिरी, कीमती आनंद,मुश्ताक़ खान,मनोज बक्शी,हीना पांचाल,हेमंत पांडेय,हिमानी शिवपुरी आदि अभिनय करते दिखाई देंगे. फिल्म का निर्देशन सुधीर कुमार शर्मा के द्वारा किया गया है. फिल्म को जयविन्दर सिंह भाटी और चमन गुप्ता ने प्रोड्यूस किया है और इस फिल्म की स्क्रीनप्ले और पटकथा वैभव बिष्ट और सुधीर कुमार शर्मा ने संयुक्त रूप से किया है. फिल्म की पोस्ट प्रोडक्शन और एडिटिंग का कार्य अनिल रे के द्वारा किया गया है. फिल्म में कोई बड़ा बॉलीवुड चेहरा ना होने के कारण अभी तक कुछ खास रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है. बॉक्स ऑफिस पर दर्शको की तरफ से इसे कैसा रिस्पॉन्स मिलेगा यह तो 18 मई को ही पता चल पायेगा. 30 साल बाद फिर सिनेमाघरों में लगेगी फिल्म 'क़यामत से क़यामत'
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घोने चली जाती और वही सफ़द क छुट्टी के दिन पहनती थी, वह ताजगी गुलाबी कपोल और गीले केश लिये वापस लौट आती। और फिर वे सिनेमा, सर्कस या पार्क की सैर के लिए चले जाते । वे वहां जाते है, इससे अलेक्मेई के लिए कोई अंतर नही पड़ता था। वह मिनेमा के पर्दे को, सर्कस के रिंग को या इधर-उधर घूमते हुए लोगो को न देख पाता, वह सिर्फ उसी की तरफ़ निहारता और उसी की ओर देखना हुआ सोचता रह जाता, "बस, आज की रात घर की तरफ लोटते समय राह में ही मुझे प्रस्ताव रख देना चाहिए।" लेकिन राह भी में ख़त्म हो जाती और वह साहम न जुटा पाता । एक रविवार की सुबह वे वोल्गा के दूसरे किनारे के उपवन मे संर करने के लिए निकले। वह जब उसके घर उसे लेने गया तो वह अपनी जैसी सफेद पतलून और खुले कालर की कमीज पहने था, जो उसकी मा के बथनानुसार उसके ताम्रवर्ण, चौडे चेहरे के साथ खूब फबती थी। जब वह पहुंचा तो ओल्या तैयार थी। उसने एक रूमाल में लिपटा पार्सल मई को थमा दिया और वे दोनो नदी को भोर चल दिये। चूहे, पर-विहीन मल्लाह ने पहले विश्वयुद्ध का पंगू वीर, भड़ोस-पडोम के - बच्चों का परमप्रिय, जिसने अलेक्सेई को बचपन में निखाया था कि छि छने पानी में मछली कैसे पकड़ी जाती है - लकड़ी के ठूटो के बल पुस्ते हुए भारी नाव को धकेला और पतवार को हल्की-हल्की चोटो से खेने लगा। धारा को तिरछे काटती हुई, इन्वे-से हिचकोले खातो हुई नाव ने दूसरी तरफ़ स्थित निचले साफ हरे रंग के किनारे तक पहुंचने के लिए गहन नदी पार करना शुरू किया। लड़की नाव के किनारे पर हाथ रखे, चिन्तन मे लोन, जड़-सी बंटी थी और अपनी उगलियों पर से पानी को बह जाने दे रही थी। चाचा भरकादी, क्या तुम्हें हमारी याद नहीं ? " पलेक्सेई ने छ । महनाह ने इन युवा बेहरो की और उपेक्षा से देखा और बहाः "नही तो!" "गयों, यह क्या बात ? मैं हूई मेरेस्येव तुमने मुझे लिखायादा छिटले पानी में से महीने हैं।" शायद सिवाया हो। तुम जैसे यहां बहुत से टोकरे खेलने-फिरते थे। मैं उन सबतो नहीं याद रख सकता।"
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बोकारो में एक बुजुर्ग शख्स ने अधिकारियों के पास पहुंचा और बोली साहब मैं जिंदा हूं और मुझे मरा बताकर मेरी वृद्धा पेंशन को रोक दिया गया है. जिसकी वजह से मैं काफी परेशान हूं. झारखंड के बोकारो जिले में एक बुजुर्ग शख्स अधिकारियों के पास वृद्धा पेंशन दिलाने की गुहार लगाने पहुंचा. इस दौरान बुजुर्ग शख्स ने कहा कि साहब मैं जिंदा हूं, मुझे मरा हुआ बताकर मेरा पेंशन क्यों रोक दिया . दरअसल, जिले के होसिर मध्य विद्यालय मैदान में पंचायत के ग्रामीणों के लिए "आप की योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम" में हॉटस्पॉट ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान अधिकारियों द्वारा किया जा रहा था . इसी बीच अचानक सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही उसे मृत घोषित 64 साल के बुजुर्ग घमु प्रजापति अधिकारियों के सामने खुद को जिंदा होने का सबूत देने लगे. जहां सरकारी बाबू की लापरवाही के शिकार हुए घमु प्रजापति अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहने लगे कि " साहब मैं तो जिंदा हूं , मुझे मरा हुआ बताकर मेरा पेंशन क्यों रोक दी. जानिए क्या है मामला? वहीं, कार्यक्रम के दौरान मौजूद अधिकारियों के सामने जैसे ही यह मामला सामने आया सभी अधिकारी हक्के बक्के रह गए. अधिकारियों ने घमु प्रजापति को आश्वासन देते हुए कहा कि आप नए सिरे से पेंशन के लिए आवेदन दे दें. आपका पेंशन चालू हो जाएगा. बुजुर्ग शख्स ने कहा कि पेंशन के चलते वह अधिकारियों के चक्कर काट-काट कर थक चुके है.इस दौरान अधिकारियों ने आश्वासन दिया जिस किसी ने भी जीवित व्यक्ति घमु प्रजापति को बिना जांच किए मृत घोषित कर पेंशन बंद कर दिया है. उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी.साथ ही मामले की जांच की जा रही है. बता दें कि, बोकारो जिला के गोमिया ब्लॉक के हौसिर पश्चिमी पंचायत के रहने वाले घमु प्रजापति (64) को मिलने वाले वृद्धावस्था पेंशन पिछले कुछ महीनों से बंद हो गया था. इस बारे में जब बुजुर्ग घमु प्रजापति ने जानकारी हासिल की तो सच्चाई जानकर उस उनके होश उड़ गए. दरअसल सरकारी दस्तावेजों में 64 साल के बुजुर्ग घमु प्रजापति को मृत घोषित कर उनका पेंशन बंद कर दिया गया था. इसी बीच स्थानीय लोगों ने घमों प्रजापति को जानकारी दी कि गोमिया ब्लॉक के हुसीर मध्य विद्यालय में आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम लगाया जा रहा है, जिसमें पदाधिकारियों के द्वारा ग्रामीणों की समस्याओं का ऑन स्पॉट समाधान किया जाएगा, जिसके बाद 64 वर्षीय वृद्ध घमु प्रजापति भी इस शिविर में गए और उन्होंने अधिकारियों के सामने खुद को जिंदा होने का साबित सबूत देने लगे. वहीं, इस पूरे मामले पर बोकारो जिला के गोमिया विधानसभा क्षेत्र से आजसू विधायक डॉक्टर लंबोदर महतो ने कहा कि प्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों के लापरवाही के ऐसे हजारों मामले पूरे प्रदेश में मिलेंगे. यह कोई पहला मामला नहीं है , उन्होंने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से मांग की है कि जो भी ऐसी गलतियांं हुई है उन कर्मचारियों पर कार्रवाई करते हुए तत्काल गलतियों को बदलाव कर लाचार और जरूरतमंद लोगों की पेंशन चालू कर दी जाए. गोमिया विधायक डॉक्टर लंबोदर महतो ने कहा कि झारखंड विधानसभा सत्र के दौरान में भी वह इस मामले को उठाएंगे.
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Akanksha Dubey - Pawan Singh Last Song: भोजपुरी इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेस में शुमार आकांक्षा दुबे (Akanksha Dubey) ने वाराणसी के होटल में आत्महत्या कर ली है। खबरों की मानें तो एक्ट्रेस ने पंखे से लटकर अपनी जान दी है। वाराणसी के सारनाथ स्थित एक होटल में रुकी हुई थीं। आकांक्षा काफी खुशमिजाज एक्ट्रेस थी। एक्ट्रेस अपनी खूबसूरती और एक्टिंग के लिए जानी जाती थी। भोजपुरी इंडस्ट्री के सुपरस्टार पवन सिंह और खेसारी लाल यादव के साथ कई गानों में भी नजर आ चुकी थी। आज ही उनका एक नया गाना रिलीज हुआ है। पवन सिंह का गाना 'ये अराह कभी हारा नहीं' (Ye Arrah Kabhi Hara Nahi Hai) इस समय यूट्यूब पर ट्रेंड कर रहा है। गाने में एक्ट्रेस का काफी बिंदास अंदाज देखने को मिल रहा है। गाने में आकांक्षा दुबे भोजपुरी के सुपरस्टार पवन सिंह के साथ ठुमके लगाती हुईं नजर आ रही हैं। एक्ट्रेस रेड आउटफिट में बेहद ही खूसबूरत भी नजर आ रही हैं। इस गाने को आकांक्षा दुबे और पवन सिंह पर फिल्माया गया है। आकांक्षा दुबे ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली है। आकांक्षा वाराणसी के सारनाथ स्थित एक होटल में मृत पाई गई हैं। आकांक्षा दुबे (Akanksha Dubey) की मौत की खबर सुनने के बाद दर्शकों के लिए विश्वास करना मुश्किल हो गया है। उनके बिंदास अंदाज को देखकर लोगों का यही कहना है कि वो अपनी खुद की जान नहीं ले सकती हैं। पवन सिंह के गाने 'ये आरा कभी हारा नहीं' रिलीज होने के बाद ही धमाल मचाना शुरू कर दिया है। गाने को महज 9 घंटे में 1,000,338 से अधिक बार देखा जा चुका है। इस गाने को पवन सिंह और शिल्पी राज ने आवाज दी है। गाने के बोल Jahid Akhtar, Imamuddin ने लिखा है, जबकि गाने को म्यूजिक Priyanshu Singh ने दिया है। गाने को Music Tone नाम के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया है।
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Lamborghini Aventador की जगह लेने एक नई कार Lamborghini Revuelto आ रही है। ये एक प्लग- इन हाइब्रिड है। आपको बता दें इस कार में आपको 6. 5 लीटर इंजन तीन इलेक्ट्रिक मोटर मिलता है। केबिन के अंदर कुल तीन स्क्रीन हैं। (जागरण फोटो) नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Lamborghini Aventador वाहन निर्माता कंपनी की हाल के दिनों में सबसे अधिक पहचाने जाने वाली नाम में से एक है। इस कार को दुनियाभर में सबकी सपनो की कार भी कह सकते हैं। लेकिन, कहते हैं बदलाव ही संसार का नियम है, तो कुछ ऐसा ही हुआ इस कार के साथ आपको बता दें, अब 12 सालों के बाद लेम्बोर्गिनी इसकी जगह लेने के लिए एक नई कार ला रही है जिसका नाम Revuelto है। जिस तरह एवेंटाडोर ने मर्सिएलेगो की जगह ली, उसी तरह रेव्यूएल्टो एवेंटाडोर की जगह लेगी। ये एक प्लग- इन हाइब्रिड है लेकिन फिर भी, लेम्बोर्गिनी ने एस्पिरेटेड V12 को इसमें बरकरार रखा है। इस कार में आपको 6. 5 लीटर इंजन तीन इलेक्ट्रिक मोटर मिलता है। जिसमें से दो फ्रंट ई-एक्सल और एक गियरबॉक्स मिलता है। लेम्बोर्गिनी ने पिछले पहियों को देने पावर के लिए V12 का इस्तेमाल करने का फैसला किया है, जबकि दो इलेक्ट्रिक मोटर्स में फ्रंट व्हील मिलता है। तीसरी मोटर जरूरत पड़ने पर पिछले पहियों को अतिरिक्त पावर दे सकता है। इसमें एक नया 8-स्पीड ड्यूल-क्लच ट्रांसमिशन है। यह केवल 2. 5 सेकंड में 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार और 7 सेकंड में 200 किमी प्रति घंटे की स्पीड से पहुंच सकती है। ये 350 किमी प्रति घंटे से चलती है। हाइब्रिड कार होने का मतलब है कि लेम्बोर्गिनी रेव्यूएल्टो को चार-पहिया ड्राइव के साथ पूरी तरह से इलेक्ट्रिक पावर पर चलाया जा सकता है। इसका मतलब है कि आप बिना किसी उत्सर्जन के ड्राइव कर सकते हैं। ड्राइविंग मोड्स की बात करें तो, हाइब्रिड पावरट्रेन के साथ, Revuelot को रिचार्ज, हाइब्रिड या परफॉर्मेंस मोड में चलाया जा सकता है। इनमें से प्रत्येक मोड को पारंपरिक Cità (सिटी), स्ट्राडा, स्पोर्ट और कोर्सा मोड के साथ जोड़ा जा सकता है। इसमें कुल 13 ड्राइव मोड़ मिलते हैं। नई लेम्बोर्गिनी बीस्पोक ब्रिजस्टोन स्पोर्ट टायर पर चलती है। आपको बता दें, पहियों के भीतर 10-पिस्टन फ्रंट कैलिपर्स और 4-पिस्टन रियर कैलिपर्स के साथ कार्बन सिरेमिक ब्रेक हैं। केबिन के अंदर कुल तीन स्क्रीन हैं। जिनमें 12. 3 इंच का इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर, 8. 4 इंच का सेंट्रल डिस्प्ले और 9. 1 इंच का अतिरिक्त डिस्प्ले शामिल है। यात्रियों के पास अधिक लेगरूम (84 मिमी) होगा जो कुछ सामान रखने के लिए सीटों के पीछे अतिरिक्त जगह प्रदान करता है। कंपनी ने इस कार का डिजाइन काफी बोल्ड बनाया है। फ्रंट में Y-शेप के LED DRLs हैं और टेल लाइट्स में भी Y-शेप मोटिफ है। कार के पिछले हिस्से में दो बड़े एग्जॉस्ट पोर्ट और एक बड़ा डिफ्यूजर मिलता है। इसमें सिग्नेचर सिजर डोर्स भी हैं और गाड़ी के साइड में शार्प लाइन्स और एंगुलर पैनल लगे हैं।
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चीन ने अपने देश में एप्पल (Apple) कम्पनी के स्टोर से कुरान एप हटवा दिया है। एप्पल ने यह एक्शन चीन सरकार द्वारा किए गए निवेदन के बाद लिया। कुरान एप (Quran apps) दुनिया भर के मुस्लिमों में चर्चित है। वर्तमान में इस एप पर लगभग डेढ़ लाख रिव्यू हैं। हटाए जाने के समय इस ऐप के चीन में 1 मिलियन से अधिक यूजर हो चुके थे। मीडिया रिपोर्ट्स से मिल रही जानकारी के अनुसार कुरान एप पर यह एक्शन अवैध धार्मिक सामग्री के चलते लिया गया है। एक आँकड़े के अनुसार, चीन में हटाए गए ऐप कुरान मजीद के वर्तमान समय में दुनिया भर में लगभग 35 मिलियन यूजर हैं। इस कार्रवाई की जानकारी सबसे पहले एप्पल सेंसरशिप नाम की वेबसाइट ने दी थी। यह वेबसाइट ऐप स्टोर में मौजूद ऐप की निगरानी करती है और उनकी गतिविधियों के बारे में अपडेट साझा करती है। चीन में रहने वाले मुस्लिमों के मानवाधिकार हनन की शिकायतें अक्सर सामने आती रहती हैं। इसी वर्ष शिनजियांग प्रान्त में उईगर इमामों पर चीनी सरकार के अत्याचारों की खबर सुर्खियाँ बनी थीं। इतना ही नहीं, वहाँ मुस्लिमों के नरसंहार और उन्हें जेल में डालने जैसी घटनाओं पर पहले भी कई देश आपत्ति जता चुके हैं।
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नई दिल्ली। टी-20 वर्ल्ड कप के दूसरे सेमीफाइनल में इंग्लैंड द्वारा मिली शिकस्त के बाद जहाँ भारतीय क्रिकेट टीम के प्रशंसक कड़ी आलोचनाएं करते नज़र आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर रोहित शर्मा की कप्तानी में भी उंगली उठती हुई नज़र आ रही है। इसी दौरान भारत के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर ने भी आपनी राय सामने रखी है। उनकी यह राय भारतीय टीम के नए कप्तान को लेकर है। क्या कहा गावस्कर ने? टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद रोहित शर्मा एवं के एल राहुल को मुख्य रूप से निशाना बनाया जा रहा है। कई पूर्व खिलाड़ी जहाँ भारतीय टीम का बचाव करते नज़र आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सुनील गावस्कर ने भी अपनी राय एक स्पोर्टस चैनल के माध्यम से जनता के समक्ष प्रस्तुत की है। उन्होने कहा है कि रोहित शर्मा के बाद भारतीय टीम की कप्तानी कौन संभालेगा यह बड़ा सवाल है,लेकिन इस सवाल का जवाब टीम में ही मौजूद है। गावस्कर का यह बयान कहीं न कहीं रोहित शर्मा की कप्तानी पर उंगली उठाता हुआ नज़र आ रहा है। गावस्कर ने भले ही अपनी सलाह दी है, लेकिन उनकी यह राय भारतीय टीम के इस खिलाड़ी के लिए किसी तोहफे से कम नहीं हैं उन्होने अगले कप्तान को लेकर हार्दिक पांड्या का नाम आगे रखा। उन्होने कहा कि, जिस तरह आईपीएल में नई टीम गुजरात का नेतृत्व करते हुए पांड्या ने अपनी टीम को जीत दिलाई वह काबिले तारीफ थी। उन्होने कहा कि, पांड्या में सफल कप्तानों वाले सभी गुण हैं। आईसीसी की सभी अहम ट्रॉफियों में रोहित शर्मा बतौर कप्तान सफलता हासिल नहीं कर पाए। इससे पहले एशिया कप में भी रोहित शर्मा अपने नेतृत्व में टीम को फाइनल तक नहीं पहुंचा सके, जिसके चलते रोहित शर्मा की कप्तानी पर लगातार उंगली उठ रही हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा था कि,रोहित शर्मा मैदान में हाइपर एवं निराश हो जाते हैं इसके उलट धोनी के रवैये से कभी भी विपक्षी टीम यह नहीं भांप पाती थी कि, टीम के मस्तिष्क में क्या चल रहा है।
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Weight Loss Tips : वजन घटाना इतना आसान से नहीं होता है. हेल्दी डाइट और कसरत के साथ कई अन्य चीजों का ध्यान भी रखना पड़ता है. इस दौरान कुछ रोजमर्रा की आदतों से वजन कम करने में मदद मिल सकती है. वजन कम (Weight Loss) करना इतना आसान नहीं है. इस दौरान हमें अपने फिजिकल एक्टिविटी से लेकर हेल्दी डाइट (Healthy Diet) और कई अन्य चीजों का ध्यान रखना पड़ता है. जब हम जिम जाते हैं तो हमें कुछ बातों का एहसास नहीं होता है कि रोजमर्रा की बहुत सारी आदतें हैं जो हमारे वजन पर बहुत प्रभाव डालती हैं. वजन कम करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए आपको अपने डाइट और कसरत के साथ-साथ अपनी रोजमर्रा की आदतों का भी ध्यान रखना होगा. इस दौरान आप ये कुछ टिप्स फॉलो (Weight Loss Tips) कर सकते हैं. इसमें हाइड्रेटेड रहना और खाने को अच्छे से चबा कर खाना आदि जैसी कई चीजें शामिल हैं. ये वजन कम करने में आपकी मदद करेंगी. आपका पानी का सेवन वजन घटाने में अहम भूमिका निभाता है. पानी आपके द्वारा बर्न की जाने वाली कैलोरी की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है. कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि अधिक पानी पीने से आपको अपने मेटाबॉलिज्म दर को बढ़ाने में मदद मिलती है. इसके अलावा, कुछ रिपोर्टें बताती हैं कि पानी आपको भरा हुआ महसूस कराता है और आपको बार-बार भूख नहीं लगती है. ये अनहेल्दी फूड्स की ओर रुख करने के सबसे आम कारणों में से एक है. अपने दिन की शुरुआत एक या दो गिलास पानी से करें और दिन भर में ढेर सारा पानी पिएं और ये वजन घटाने में बहुत मददगार होगा. जब भी आप खाना खाने बैठें तो अपना भोजन धीरे-धीरे चबाकर करें. इससे आपको एहसास होगा कि आप कितना खाते हैं और आप कम खाना भी खाएंगे. साथ ही धीरे-धीरे खाने से आपको उस भोजन को ठीक से पचाने में मदद मिलती है. सुनिश्चित करें कि जब आप भोजन कर रहे हों, तो आप टीवी न देख रहे हों, क्योंकि कई वजह से आप आवश्यकता से अधिक भोजन कर लेते हैं. अधिक घंटों तक सोने से आपको बहुत अधिक वजन कम करने में मदद मिल सकती है. बहुत सारे अध्ययनों से पता चलता है कि जब कोई व्यक्ति अच्छी नींद नहीं ले पाता है, तो वो अधिक खाना खाता है. इससे कैलोरी की अधिक खपत होती है. कम नींद लेने से अनियमित भूख लगती है जो हमारे वजन को बढ़ाती है. अगर आप औसतन 8 घंटे या उससे अधिक की नींद लेते हैं तो आप अपने द्वारा ग्रहण की जाने वाली सभी अनावश्यक कैलोरी को कम कर सकते हैं. हम में से कई लोग खुद का वजन मापने से डरते हैं. हालांकि ये अपना वजन कम करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है. हर दिन खुद का वजन मापने से आपको वजन कम करने के लिए प्रेरित रहने में मदद मिलती है. ये भोजन पर आपके नियंत्रण को बेहतर बनाने में भी मदद करता है. एक अध्ययन के अनुसार जो लोग नियमित रूप से अपना वजन मापते हैं, उनका वजन नहीं करने वालों की तुलना में अधिक वजन कम होता है.
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स्टारप्लस के शो 'फालतू' की कहानी हमेशा अपनी प्रेरणादायक और आकर्षक कहानी के लिए चर्चा में रही है जो अनचाही बालिकाओं के संबंध में एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करती है। अपनी रिलीज के बाद से ही इस शो को हर तरफ से शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है और इसने टॉप टीआरपी बटोरी है। 'फालतू' की कहानी ने दर्शकों के दिलों में गहरी जगह बना ली है जहां वे 'फालतू' की मासूमियत को पसंद कर रहे हैं और कई तरह से उससे जुड़ रहे हैं। हाल ही इस पर शो की लीड निहारिका चौकसी ने अपनी निजी जिंदगी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया है। निहारिका चौकसी ने कहा, फालतू जैसा ही अनुभव मुझे तब हुआ जब मैंने अपने माता-पिता से कहा कि मैं एक्टिंग लाइन में अपना करियर बनाना चाहती हूं। वे सपोर्टिव थे लेकिन मेरे रिश्तेदार नहीं थे। वे ऐसे थे जैसे लड़कियों को इस फील्ड में काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह स्पष्ट रूप से इस बारे में उनके ज्ञान की कमी को दर्शाता है और वे कितने भेदभावपूर्ण हैं। वे इस तरह से प्रतिक्रिया नहीं करते अगर मेरा भाई ऐसा करना चाहता था, इसलिए जैसा कि हम देख सकते हैं कि हम सभी अपने डेली लाइफ में इस तरह के भेदभाव का सामना करते हैं और हमें पता भी नहीं चलता। इस तरह के मुद्दों को सामने लाने में सबसे आगे होने के नाते, स्टार प्लस का नया शो फालतू एक प्रेरणादायक कहानी होने का वादा करता है, जो एक लड़की की ताकत के बारे में समाज के लिए एक बहुत ही मजबूत संदेश पेश करता है। दर्शकों को इस शो की कहानी बेहद पसंद आ रही है। जहां यह शो टॉप ट्रेंडिंग में से एक है, वहीं दर्शक हमेशा यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि आगे के एपिसोड में शो क्या नया मोड़ लेने जा रहा है।
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केंद्र में एनडीए सरकार ने गुरुवार (26 मई) को अपने दो साल पूरे कर लिए। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में रैली को संबोधित किया। बता दें कि इसके बाद वे ओडिशा के बालासोर, एक राजस्थान, एक कर्नाटक और एक मेघालय में भी रैली को संबोधित करेंगे। -केंद्र और राज्य सरकार के डॉक्टरों की रिटायरमेंट उम्र 65 साल होगी। -बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ सभी जातियों और समुदायों के लिए है। -बेटियां कम पैदा होती हैं क्योंकि उन्हें मां के गर्भ में ही मार दिया जाता है। -दो साल पहले के अखबार, टीवी याद करिए। आए दिन एक नए भ्रष्टाचार की खबर, बड़े-बड़े लोगों के भ्रष्टाचार में होने की चर्चा होती थी। -हमारे विरोधियों ने कभी आरोप लगाया है? दो साल पहले किसी की हिम्मत नहीं थी कि लाखों लोगों के बीच खड़ा होकर अपना हिसाब दे सके। -मेरी सरकार गरीबों के लिए काम करने को लेकर प्रतिबद्ध है। मैं यहां अपने दो साल के काम का हिसाब देने आया हूं। -देश बदल रहा है लेकिन कुछ लोगों का दिमाग नहीं बदल रहा। -सरकारें आती हैं, जाती हैं, चुनाव होते हैं... लेकिन सरकार बनती है जन सामान्य के सपनों को पूरा करने के लिए। -मैं यूपी वाला हूं, यूपी का सांसद हूं, इसके नाते मेरा स्वभाविक मन करता है आपका आशीर्वाद प्राप्त करने का।
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रूस-यूक्रेन के बीच पिछले 7 महीने से चल रहा युद्ध अब खतरनाक होता जा रहा है। पहले की तुलना में रूस के ज्यादा उग्र होने की एक वजह पुतिन के सबसे भरोसेमंद कमांडर सर्गेई सुरोविकिन भी हैं। आखिर कौन हैं सुरोविकिन और क्यों उन्हें कहा जाता है सबसे निर्दयी कमांडर, आइए जानते हैं। Russian Commonder Sergey Surovikin: रूस-यूक्रेन के बीच पिछले 7 महीने से चल रहा युद्ध अब खतरनाक होता जा रहा है। क्रीमिया ब्रिज पर हमले के बाद से ही रूस बुरी तरह बौखलाया हुआ है और यही वजह है कि उसने एक ही दिन में यूक्रेन की राजधानी कीव पर 83 मिसाइलें दागीं। पहले की तुलना में रूस के ज्यादा उग्र होने की एक वजह पुतिन के सबसे भरोसेमंद कमांडर सर्गेई सुरोविकिन भी हैं। सर्गेई सुरोविकिन वही हैं, जिन्होंने सीरिया में लड़ाकू मिशन पर काम करते हुए लाशों की झड़ी लगा दी थी। उन्हें दुनिया का सबसे क्रूर कमांडर भी कहा जाता है। महीनेभर पहले ही बने ओवरऑल कमांडर : सर्गेई सुरोविकिन को रूसी रक्षा मंत्रालय ने 8 सितंबर को रूसी सेना के ओवरऑल कमांडर के रूप में नियुक्त किया है। 55 साल के जनरल सर्गेई सुरोविकिन ओवरऑल कमांडर बनने से पहले रूसी एयरफोर्स की कमान संभाल रहे थे। पुतिन ने नए जनरल को ऐसे समय में नियुक्त किया है, जब यूक्रेनी सेनाएं रूस पर भारी पड़ती नजर आ रही थीं। कौन हैं सर्गेई सुरोविकिन? सुरोविकिन का जन्म 11 अक्टूबर 1966 को साइबेरिया के नोवोसिबिर्स्क शहर में हुआ था। सुरोविकिन की पैदाइश उस वक्त हुई, जब रूस सोवियत संघ कहलाता था। 1987 में सुरोविकिन सोवियत सेना में शामिल हुए। सुरोविकिन 2004 में चेचेन्या में इस्लामिक अलगाववादियों के खिलाफ रूसी सैन्य कार्रवाई में भी शामिल थे। 2013 से 2017 के दौरान सुरोविकिन ईस्टर्न मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर थे। क्यों निर्दयी कमांडर कहलाते हैं सुरोविकिन? - 2017 में सर्गेई सुरोविकिन सीरिया के तानाशाह बशर अल असद की मदद के लिए चलाए गए रूसी सैन्य अभियान का हिस्सा थे। इस दौरान उन्होंने सीरिया में असद के विद्रोहियों की लाशों के ढेर लगा दिए थे। - सीरियाई विद्रोहियों के खिलाफ चलाए गए रूसी सेना के ऑपरेशन में सुरोविकिन ने असद के दुश्मनों को नाको चने चबवा दिए थे। यही वजह थी कि उन्हें 2017 में हीरो ऑफ द रशियन फेडरेन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। - 2017 में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की मदद के लिए रूसी सेना की कमान संभालने वाले सुरोविकिन ने न सिर्फ विद्रोही गुटों को ठिकाने लगाया बल्कि आम जनता को भी नहीं बख्शा। - सुरोविकिन ने सीरिया के अलेप्पो में इतने बम गिराए कि पूरा शहर खंडहर में बदल गया। 2019 में भी सुरोविकिन ने सीरिया के इदलिब शहर पर जमकर बमबारी की, जिसमें बेगुनाह लोगों की लाशों के ढेर लग गए थे। इंसानी जानों की जरा भी परवाह नहीं : सर्गेई सुरोविकिन के साथ काम कर चुके रूसी रक्षा मंत्रालय के एक पूर्व ऑफिसर के मुताबिक, 10 अक्टूबर को यूक्रेन की राजधानी कीव में हुए मिसाइल हमले से वो जरा भी हैरत में नहीं हैं, क्योंकि सुरोविकिन इंसानी जानों की जरा भी परवाह नहीं करते हैं। अब उन्हें इस बात का भी डर है कि सुरोविकिन के हाथ कहीं पूरी तरह यूक्रेन की बेगुनाह जनता के खून से न सन जाएं। ये भी देखें : क्या है क्रीमिया ब्रिज जिसकी वजह से बौखलाया रूस, क्यों समझा जा रहा पुतिन की शान पर हमला?
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शिमला। बीजेपी (BJP) हाल ही में संपन्न हुए विधान सभा चुनावों को लेकर समीक्षा बैठक करेगी। इस बैठक में विधान सभा चुनावों के सभी प्रत्याशियों (Candidates) से फीडबैक लिया जाएगा। यह बात बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप (Suresh Kashyap) ने कही। उन्होंने कहा कि पार्टी पूर्ण रूप से आश्वस्त है कि इस बार प्रदेश में रिवाज बदलेगा और बीजेपी इन चुनावों में पिछली बार से अधिक सीटें जीतकर नया रिवाज बनाएगी और प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की सरकार स्थापित होगी। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि इस बार प्रदेश में बंपर मतदान (Voting) हुआ है और जनता के रूझान एवं उत्साह से साफ जाहिर है कि प्रदेश की जनता ने इस बार प्रदेश में हुए विकास के नाम पर मुहर लगाई है। सुरेश कश्यप ने कहा कि कुछ दिन पूर्व बीजेपी की विधान सभा चुनावों के लिए गठित विभिन्न समितियों की बैठक परवाणू में संपन्न हुई थी, जिसमें समितियों द्वारा किए गए चुनावी कार्यों के लिए उनका आभार प्रकट किया गया था और उनसे सुझाव आमंत्रित किए गए थे। उन्होनें कहा कि कुछ समितियों ने चुनाव से संबंधित सुझाव प्रकट किए थे जिन पर पार्टी ने अमल करने आश्वासन दिया है और जो कुछ कमियां रह गई है, उन्हें भी दूर किया जाएगा। सुरेश कश्यप ने कहा कि कांग्रेस (Congress) पार्टी जनता के बीच अपना अस्तित्व खो चुकी है। आजकल कांग्रेस के सभी नेता दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाकर अपनी-अपनी वरिष्ठता को साबित करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह दिल्ली दौड़ किसी काम नहीं आएगी और हिमाचल में एक बार फिर बीजेपी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ स्थापित होगी। कश्यप ने कहा कि बीजेपी हिमाचल प्रदेश में रिवाज बदलने जा रही हैं और इसी के साथ साथ बीजेपी गुजरात एवं नगर निगम दिल्ली में भी जीत हासिल करने की ओर अग्रसर है।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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केन्द्रीय विद्युत, कोयला, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा खान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल कल 07 अप्रैल, 2017 को नई दिल्ली के कंस्टीटयूशन क्लब में प्रत्यक्ष भू-विज्ञानी क्षमता (ओजीपी) पर वायु भू-भौतिकी सर्वेक्षण का उद्घाटन विडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करेंगे। वायु भू-भौतिकी डाटा संग्रह के लिए न्यूजीलैंड से मंगाये गये भू-भौतिकी संसरो से लैस दो विमान डॉक्टर बाबा साहेब आम्बेडकर हवाई अड्डा, नागपुर से लॉच किए जाएंगे। यह विमान सेवा प्रदाताओं के कंसोर्टियम के हैं और इन्हें ईआंएन जियो साइंसेज कंपनी कनाडा तथा किवी एयर लिमिटेड न्यूजीलैंड की साझेदारी में मेसर्स मेक्फॉर इंटरनेशनल (भारत) द्वारा प्रदान किये गये हैं। चुनी गई दो एजेंसियां हेलिका (इटली) की साझेदारी वाली मेसर्स साइंटिफिक प्रोडेक्शन सैंटर जियो केन्द्र लिमिटेड लाइबिल्टी पार्टनरसिप (कजाकिस्तान) और सिकोन प्राइवेट लिमिटेड (भारत) और मैसर्स आईआईसी टेक्नॉलोजिज लिमिटेड (भारत) कनाडा की जियो फिजिक जीपीआर इंटरनेशनल और कनाडा की ही गोल्ड डेक एयर कार्न सर्वे के साथ अप्रैल 2017 के तीसरे सप्ताह में अपना संचालन शुरू करेंगी। खान मंत्री प्रत्यक्ष भू-विज्ञानी क्षमता और पास पडोस के क्षेत्रों पर बहुसंवेदी वायु भू-भौतिकी सर्वेक्षण पर जीएसआई की विवरणिका का लोकार्पण भी करेंगे। कठोर चट्टानी क्षेत्रों में खनन की पारंपरिक भू-विज्ञानी तरीकों के भरपूर उपयोग के बाद भू-विज्ञानी, भू-रसायन, भू-भौतिकी तथा दूरसंवेदी डाटा एकत्रित करने के लिए नये तरीके अपनाने की आवश्यकता हुई। क्षेत्रीय बहु संवेदी वायु भू-भौतिकीय सर्वेक्षण को कम समय में छुपी हुई खान सामग्री क्षेत्र को उजागर करने का महत्वपूर्ण तरीका माना गया है। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे देशों के अतिरिक्त विश्व के अनेक हिस्सों में गुणवत्ता सम्पन्न वायु भू-भौतिकी डाटा उपलब्ध हैं और इसके परिणामस्वरूप उन क्षेत्रों की पहचान में मदद मिली है जहां बड़ी मात्रा में खान सामग्री छिपी है। भारत के भू-गर्वीय सर्वेक्षण 1965 से विभिन्न भू-गर्भीय मैदानों में बहुसंवेदी वायु भूभौतिकी सर्वेक्षण करता रहा है। विभिन्न सर्वेक्षणों में लगभग 42 लाख किलोमीटर क्षेत्र 15 लाख लाइन किलोमीटर के साथ कवर किये गये हैं। वायु भूभौतिकीय अध्ययन के परिणामस्वरूप कयार (जेडएनडब्ल्यूपीबी, 9.2 मिलियन टन), अलादहली (विशाल सलफाइड, 4.5 मिलियन टन) कर्नाटक में और गोलाप्पले (पीपी-जेडएन,14 मिलियन टन) आंध्र प्रदेश में मिले हैं। इसके अतिरिक्त सर्वेक्षण ने आंध्र प्रदेश के नलगोंडा में यूरेनियम विसंगति को भी रेखांकित किया है।
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शिमला, 8 सितंबर (निस) हिमाचल प्रदेश में आत्महत्या की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। बीते तीन साल में राज्य में 1946 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें से 481 आत्महत्याएं अकेले इसी साल पहली जनवरी से 31 जुलाई के बीच हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री के एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आत्महत्या करने वाले इन लोगों के 1196 पुरुष और 749 महिलाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस साल पहली जनवरी से 31 जुलाई तक हुई आत्महत्याएं पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कुछ ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अधिकतर आत्महत्याएं घरेलू समस्याओं, लम्बे समय से बीमारी के कारण, मानसिक संतुलन खो देने, तनाव, पारिवारिक कलह, आधुनिक जीवन शैली, नशे की बढ़ती प्रवृत्ति, प्रेमी-प्रेमिका के संबंधों में तनाव, आर्थिक स्थिति और सहनशीलता की कमी के कारण हो रही हैं। लंबित हैं। विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू के एक सवाल के लिखित जवाब में स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी से पहले प्रदेश के आंचलिक, क्षेत्रीय और नागरिक अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 135 वेंटिलेटर उपलब्ध थे। कोरोना महामारी के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र के अस्पतालों में प्रदेश में 610 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। सुक्खू के ही एक अन्य सवाल के लिखित उत्तर में मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि हिमाचल में 14 सुरंगों का निर्माण प्रस्तावित है। इनमें से केवल दो सुरंगों के लिए धनराशि का प्रावधान किया गया है। विधायक आशीष बुटेल के सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में राष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग स्कूल स्थापित करने की कोई योजना नहीं है। विधायक आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर, मोहन लाल ब्राक्टा, किशोरी लाल, धनीराम शांडिल, कमलेश कुमारी, हीरालाल, पवन नैयर, इंद्रदत लखनपाल, नंदलाल, जगत सिंह नेगी, राजेंद्र राणा और नरेंद्र ठाकुर ने भी अपने-अपने क्षेत्र से जुड़े सवाल पूछे। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में आज विपक्ष ने कोरोना महामारी पर चल रही बहस के दौरान स्थगन प्रस्ताव पर कांग्रेस सदस्यों को बोलने का मौका न दिए जाने से खफा होकर सदन से वॉकआउट किया। सदन में विपक्षी सदस्यों की मांग थी कि स्वास्थ्य मंत्री से पहले कांग्रेस के सदस्यों को बोलने का मौका दिया जाए, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी यह बात नहीं मानी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल को अपनी बात रखने के लिए कह दिया। इससे खफा विपक्ष ने सदन में नारेबाजी की। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सदन का समय बढ़ाया जाए और उनके सदस्यों को बोलने का मौका दिया जाए, लेकिन इस पर भी बात नहीं बनी और फिर विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चला गया। सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने पूछा कि ऐसी क्या जल्दी थी कि सदन की कार्यवाही पांच बजे ही समाप्त करनी थी। उन्होंने कहा कि सदन का समय बढ़ाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि मंत्री कल जवाब दे सकते थे और आज उनके चार सदस्यों को बोलने का मौका देना चाहिए था। प्रदेश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मामले पर नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों से इस्तीफे की मांग की। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने विपक्ष के वॉकआउट के बाद कहा कि विपक्ष इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर चर्चा से भाग रहा है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए दावा किया कि हिमाचल कोरोना महामारी से सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस संक्रमण से लड़ने के लिए छह सूत्रीय रणनीति अपनाई है और इसके बूते प्रसार को काफी हद तक रोका है।
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पूर्वांचल के कई बड़े ब्राह्मण चेहरे आज समाजवादी पार्टी का दामन थामेंगे। पूर्वी उत्तर-प्रदेश के लगभग हर जिले से ब्राह्मण नेता सपा की साइकिल पर सवार होंगे। इसमें पूर्वांचल की सियासत में ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के परिवार के अलावा संतकबीरनगर-खलीलाबाद से भाजपा विधायक दिग्विजय नारायण चौबे उर्फ जय चौबे भी है। यूपी का चुनावी इतिहास उठाकर देखें तो जातीय समीकरण के गुणा-भाग को अपने पक्ष में किए बिना कोई दल सरकार नहीं बना पाता। पिछड़ों और दलितों के दम पर एसपी और बीएसपी अब तक यूपी में कई बार सरकार बनाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन इस बार यूपी की आबादी में 13% ब्राह्मण भी चुनावी मुद्दा बन गए हैं। हरिशंकर तिवारी के परिवार और जय चौबे के जरिए अखिलेश यादव प्रदेश के ब्राह्मण समाज को संदेश देने की कोशिश कर रहें है। माना जा रहा है कि यूपी के विधानसभा चुनाव में विपक्षी दल योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी के तौर पर स्थापित करने में जुटा है। ब्राह्म्ण बनाम ठाकुर की राजनीति के बीच हरिशंकर तिवारी परिवार का सपा में जाने से पूर्वांचल के समीकरण बदल सकते हैं। यह इलाका ब्राह्मण बहुल माना जाता है और हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल में ब्राह्मण के बड़े चेहरे माने जाते है। उत्तर प्रदेश की सियासी जंग में पूर्वांचल और जातीय समीकरण एक बड़ा फैक्टर बन गए हैं और सियासी दलों के लिए सबसे बड़ी सिरदर्दी भी। सत्ताधारी बीजेपी के लिए यहां पर चुनौतियां कहीं ज्यादा बड़ी हैं। जिस दौर में भाजपा लहर चल रही थी, उस लहर में पूर्वांचल समाजवादी पार्टी के साथ था। अब एक बार फिर पूर्वांचल में सपा ब्राह्मण वोट साधने में जुट गई है। कहा जा रहा है कि आज से समाजवादी पार्टी में ब्राह्मण समाज की एंट्री शुरु हुई है। जल्द ही पश्चिमी यूपी के भी कुछ बड़े ब्राह्मण चेहरे सपा में शामिल होंगे। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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पाकिस्तान सरकार ने सेना अध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा को सेवा विस्तार के मामले में गुरुवार को एकबार फिर याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से 28 नवंबर के फैसले पर स्थगन आदेश देने का आग्रह किया है। इस हाई प्रोफाइल केस में सरकार की तरफ से दूसरी बार ऐसी याचिका दायर की गई है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि 'न्याय के हित' में वह 28 नवंबर 2०19 के अपने फैसले पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी करे। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय देते समय कई अहम सांविधानिक और कानूनी बिंदुओं का संज्ञान नहीं लिया है। साथ ही यह भी दलील दी गई है कि सेना प्रमुख के सेवा विस्तार मामले पर विचार करते समय शीर्ष अदालत ने जजों का कार्यकाल बढ़ाए जाने से जुड़े अपने ही फैसले को आधार नहीं बनाया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 28 नवंबर को जनरल बाजवा को छह महीने का सेवा विस्तार दिया था। यह विस्तार इस शर्त के साथ दिया गया था कि सरकार छह माह की अवधि में सेना प्रमुख को सेवा विस्तार या पुनर्नियुक्ति देने के लिए संसद में एक कानून पारित कराएगी। यह फैसला उस समय दिया गया था, जब जनरल बाजवा 28 नवंबर की आधी रात को ही सेवानिवृत्त होने वाले थे। इससे पहले पाकिस्तान सरकार ने अगस्त में जनरल बाजवा को अगले तीन साल के लिए सेवा विस्तार दे दिया था, जिसे 26 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। आज दायर की गई याचिका में कहा गया है, 'जब तक इस सिविल पुनरीक्षण याचिका के बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब तक सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर रोक लगानी चाहिए। अगर इस पर कोई रोक नहीं लगाई जाती है तो याचिकाकताओं को गंभीर नुकसान होगा और मुख्य न्यायाधीश को पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के लिए पांच न्यायधीशों की एक पीठ का गठन करनी चाहिए। इससे पहली याचिका में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने पूरी कार्यवाही कैमरे के सामने कराए जाने का आग्रह किया था। इसमें कहा गया था कि अपने फैसले में 'अहम संवैधानिक और कानूनी' बिंदुओं को शामिल नहीं किया था और सुप्रीम कोर्ट अतिरिक्त और तदर्थ न्यायधीशों को स्वयं ही सेवा विस्तार दे रहा है और यह इस मामले में सरकार अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर सकती है। गौरतलब है कि संघीय मंत्रिमंडल की आपातकालीन बैठक में सेना कानून में संशोधन को मंजूरी दी गई थी, जिसमें कहा गया है कि सभी सेना प्रमुखों के कार्यकाल में विस्तार की शक्ति प्रधानमंत्री के पास होगी। इस संबंध में संशोधन के लिए राष्ट्रीय असेम्बली में शुक्रवार को एक विधेयक पेश किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर को अपने एक संक्षिप्त फैसले में संघीय सरकार को सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को छह माह का सेवा विस्तार करने की अनुमति दी थी और 16 दिसंबर को सेवा विस्तार मामले में विस्तृत फैसला सुनाया था।
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जी20 प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों के कुंभलगढ दोरे को लेकर जिला मजिस्ट्रेट नीलाभ सक्सेना ने आदेश जारी कर आयोजन के लिए कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए अधिकारियों को नियुक्त किए हैं। आदेशानुसार मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद राजसमंद उत्साह चौधरी व विकास अधिकारी ओमप्रकाश काबरा को उदयपुर जिले से राजसमंद जिले में प्रवेश द्वार से आवागमन क्षेत्र की संपूर्ण सामान्य व्यवस्थाओं के लिए, मुख्य निष्पादन अधिकारी मंदिर मंडल नाथद्वारा जितेंद्र ओझा व तहसीलदार देवगढ़ मुकन सिंह शेखावत को होटल महुआ बाग के लिए, उप वन संरक्षक वन्य जीव राजसमंद एन. के. गुप्ता को संपूर्ण यात्रा के दौरान वन्य क्षेत्र में आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए नियुक्त किया गया है। इसी प्रकार उपखंड मजिस्ट्रेट आमेट निशा सहारण व तहसीलदार गढ़बोर दिनेश आचार्य को कुंभलगढ़ दुर्ग क्षेत्र के लिए, उपखंड मजिस्ट्रेट कुंभलगढ़ जयपाल सिंह राठौड़ व तहसीलदार कुंभलगढ़ रणजीत सिंह को कुंभलगढ़ संपूर्ण यात्रा के दौरान के लिए, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी जिला परिषद राजसमंद भुवनेश्वर सिंह चौहान व विकास अधिकारी देलवाड़ा सविता को कुंभलगढ़ दुर्ग क्षेत्र विजिट के दौरान रास्तों पर सफाई व्यवस्था और आवारा पशुओं के आगमन को रुकने के लिए नियुक्त किया गया है। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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कोलकाता, 18 सितम्बर (CRICKETNMORE)। धन की कमी के कारण जम्मू एवं कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) के सचिव इकबाल शाह द्वारा रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट से बाहर होने की आशंका जताए जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित- प्रशासकों की समिति (सीओए) कोलकाता, 18 सितम्बर (CRICKETNMORE)। धन की कमी के कारण जम्मू एवं कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) के सचिव इकबाल शाह द्वारा रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट से बाहर होने की आशंका जताए जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित- प्रशासकों की समिति (सीओए) ने सभी राज्य संघों को एक पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि संघों को धन की कमी नहीं होगी। इसके साथ सीओए ने यह भी कहा कि क्रिकेट परिचालन से जुड़ी तीसरी पार्टी को सीधे तौर पर भुगतान किया जाएगा और इसके लिए फंड में किसी प्रकार की कमी नहीं होगी। अपने फैसले में सीओए ने कहा कि छह अप्रैल, 2017 को निर्देशित किए गए मार्गदर्शन के तहत ही भुगतान के लिए नियमित अनुमोदन प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि जेकेसीए के सचिव शाह ने कहा था कि बीसीसीआई द्वारा सालाना अनुदान को बंद किए जाने के बाद से रणजी ट्रॉफी के लिए टीम का निर्माण मुश्किल हो जाएगा।
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'घटत्व', 'पटत्व' आदि अम॑स्य मामान्यों को भी समझना चाहिए । सामान्य को अतिरिक्त स्वतन्त्र पदार्थ न मानने के पक्ष में जो यह कहा गया द्रव्य, गुण और किया इन तीनों के समान 'सामान्य', जनता के किसी उपयोग में नहीं आता है, वह मो ठीक नहीं। क्योंकि उपयोग में न आने का अर्थ क्या है ? यदि यह कहा जाय कि आदान-प्रदान आदि किसी प्रकार को किया सामान्य को नहीं होती, यही उसका 'उपयोग में न आना' है। तो गुण और क्रिया का भी तो आदानप्रदान नहीं किया जा सकता, उनमें भो तो किसी प्रकार की क्रिया नहीं होती। फिर वे कैसे स्वतन्त्र पदार्थ हो सकेंगे ? द्रव्यों के अन्दर भो तो पृथ्वी, जल, तेज, वायु और मन इन पांचों में हो कोई क्रिया होती है आकाश आदि व्यापक द्रव्यों में नहीं, यह बात विस्तृत रूप से पहले ही बतलायी जा चुकी है। ऐसी परिस्थिति में वे व्य द्रव्य भो पदार्थ नहीं हो सकेंगे। क्योंकि आदान-प्रदानादि उनका भी नहीं हो पाता। अव्यापक पृथ्वी आदि सव द्रव्य भी सब के लेने देने में नहीं आते, फिर वे भी सबके लिए पदार्थ कैसे बन पायेंगे ? अतः जनता के उपयोग में आने का अर्थ अवश्य यही करना होगा कि जनता जिसे अग्रान्त रूप से समझती हो एवं दूसरों को स के लिए जिसे बरावर किसी शब्द से कहती आती हो वह अवश्य पदार्थ होगा। सार अर्थ यह कि किसी भी वस्तु को यथार्थ रूप से समझना एवं औरों को समझाने के लिए तद्वाचक शब्द का प्रयोग करना यही है उसको अपने उपयोग में लाना । ऐसी परि स्थिति में सामान्य' को पदार्थ मानना ही होगा। क्योंकि यथार्थ ज्ञान और तद्वा चक शब्द का प्रयोग सामान्य के सम्बन्ध में भी होता ही है। प्रत्येक फूल में रूप, रस, गंध आदि गुण, पार्थिव रेणुस्वरूप उपादान, एवं अवयव सन्निवेशस्वरूप आकृति, इनके अलग अलग होने पर भी सारी आपामर साधारण जनता "यह फूल है" इस प्रकार सभी फूलों को एक रूप से समझती है एवं वाक्य प्रयोग करती है । द्रव्यारमक पुष्प व्यक्तिओं को उक्त ज्ञान का विषय एवं प्रयुक्त 'पुष्प' शब्द का वाच्य अर्य कमी नहीं माना जा सकता। क्योंकि सारी जनता जव कि प्रत्यक्षरूप से पुष्प व्यक्तियों एवं उनको आकृतियों को असंख्य समझती है तब 'पुष्पत्व' सामान्य को विषय किये बिना, वह अनुगत रूप से "यह पुष्प है" इस प्रकार सारे फूलों को कैसे समझ पायेगी ? एवं कैसे एक अनुगत पुष्प शब्द से कह सकेगी ? अतः सारी जनता के उक्त ज्ञान एवं वाक्यप्रयोग के आधार पर पुष्पत्व आदिजातियाँ अवश्य माननी होंगी। पुष्पत्व और पुष्प इन दोनों के विश्लेषण में, पार्थक्य-प्रवचन में अतिमूढ जनता भले ही असमर्थ हो परन्तु 'पुष्पत्व' से वह अपरिचित है यह नहीं कहा जा सकता । अन्यथा उक्त सार्वजनीन ज्ञान एवं वाक्यप्रयोग कभी नही हो सकता । यह तो सभी विषयों हुआ करता है कि अधिकतर लोग अनुमयमान वस्तुओं का भो ठोक में प्रवचन नहीं कर पाते, उन्हें वे अपने दैनंदिन प्रयोगों में नहीं ला पाते। किन्तु इगोलिए उम अनुभूयमान वस्तु की मान्यता नहीं घोषित की जा सकती। अन्यथा, गूंगा निर्वाचन नही कर पाता इसलिए उसने आम्यादित गुड़-माथुर्य मी अमान्य हूँ। बँटेगा । अत पुष्प से अलगपन सम्बन्धी शब्द प्रयोग आपामर-माधारण में होने पर भी उसका एवं उसके सम्बन्ध में होने वाले सार्वजनीन अनुभव का अपलाप नहीं किया जा यदि यह कहा जाय कि पुष्पत्य आदि सामान्य को मानने में तो कोई आपत्ति नहीं है, किन्तु उसे एक स्वतन्त्र सतिया पदार्थ क्यों माना जाय? तो इस पर यह पछा चाहिए कि उस पुष्पत्य आदि सामान्य को द्रव्य माना जायगा या गुण माना जायगा या कर्म, विशेष, समवाय, अनाथ इनमें से कोई एक माना जायगा 'द्रव्य उसे इसलिए नहीं माना जा सकता कि द्रव्यय, गुगत्व, कर्मत्व आदि सामान्य व्यापक द्रव्य, गुण, कर्म मे भी रहते हैं किन्तु कोई द्रव्य उनमें नहीं रहता। अत द्रव्य, गुण, कर्म के स्वभाव का उल्न करने वाले सामान्य को द्रव्य, गुणया कर्म कमी नहीं कहा जा सकता । सामान्य को विशेष नामक पदार्थ इसलिए नहीं कहा जा सकता कि विशेष केवल नित्य द्रव्य में रहा करते हैं। मामान्य तीजन्य द्रव्य, गुण और कर्म इनमें भी रहता है। सामा न्य को विशेष इसलिए भी नहीं कह सकते कि विशेष एक ही आश्रय में रहते है और सामान्य कमी एक आश्रयमात्र में नहीं रहता। इस प्रकार सामान्य और विशेष के स्वभाव में महान् अन्तर होने के कारण सामान्य को विशेष पदार्थ कभी नहीं कहा जा सकता । सामान्य को समवाय इसलिए नहीं कहा जा सकता कि समवाय किमी मे किसी का हुआ करता है, किन्तु प्रकृत सामान्य किसी में किसी का नहीं हुआ करता । इसलिए भी सामान्य को समवाय नहीं कहा जा सकता कि सामान्य समयाय को सम्बन्ध बनाकर उसके सहारे अपने आश्रय में रहा करता है। कहने का अभिप्राय यह है कि सामान्य को सम्बन्ध रूप में समवाय की अपेक्षा होती है किन्तु समवाय को अपने आश्रय में रहने के लिए अन्य समवाय की अपेक्षा नहीं होती। अत सामान्य और समवाय के स्वभावों में महान् अन्तर होने के कारण सामान्य को समवाय नहीं कहा जा सकता । अमाव के आश्रय अन्य सभी पदार्थ हुआ करते है किन्तु सामान्य केवल द्रव्य गुण और कर्म इन्हीं तीन पदार्थों में रहता है । अभाव "नही है" इत्यादि निषेधज्ञान एवं निषेध-व्यवहार का विषय होने के कारण निषेधात्मक होता है। किन्तु सामान्य ठीक इसके अतिविपरीत "है" इस प्रकार केज्ञान एवं व्यवहार का विषय होने के कारण अनिषेधात्मक भाव रूप है । सुतरां सामान्य को अभाव नहीं कहा जा सकता ।
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Nia Sharma Bikini Looks: निया शर्मा टेलीविजन की सबसे हॉट एक्ट्रेसेस में से एक हैं. वह अपनी बोल्डनेस से सबके छक्के छुड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं. कभी वह बिकिनी तो कभी ऐसे कट वाले आउटफिट्स पहन सबके सामने आती हैं जिनकी चर्चा होने लगती है. निया इस बिकिनी में बेहद हॉट दिख रही हैं. निया अपना क्लीवेज दिखाने में भी परहेज नहीं करती हैं और उनके फिगर पर सबकी नजरें टिक जाती हैं. निया को एक्सपोज करने के सारे हथकंडे पता हैं. वो जानबूझकर ऐसा करती हैं या नहीं ये तो वही जानें लेकिन उनका ड्रेसिंग सेंस हमेशा से सुर्ख़ियों में रहा है. निया दुनिया की सबसे सेक्सी एक्ट्रेसेस की लिस्ट में भी अपनी जगह बना चुकी हैं. उनके डस्की लुक्स और कातिलाना फिगर ही उन्हें फैन्स का फेवरेट बनाते हैं.2020 में निया को द टाइम्स मोस्ट डिज़ायरेबल वुमेन ऑन टीवी 2020 में नंबर 2 पर स्थान दिया गया था. निया ने टीवी सीरियल जमाई राजा से काफी पॉपुलैरिटी हासिल की थी. इसके अलावा भी उन्हें काफी टीवी शोज में देखा जा चुका है. नागिन 4 से भी उन्हें काफी पॉपुलैरिटी मिली थी. निया ओटीटी पर भी अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं. उन्होंने वेब सीरीज ट्विस्टेड में काम किया था जिसमें उन्होंने काफी बोल्ड सीन्स देकर सुर्खियां बटोरी थी.
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'सभी भूमि गोपाल की' दूसरी है राजनैतिक आज़ादी। यह भी भारतीय होनी चाहिए। यह यूरोपीय नमूने की न हो, ब्रिटिश पार्लमेण्ट था सोवियट रूस या इटली का नमूना मैं कैसे लूँ ? मैं किसका अनुकरण करूँ ? मेरी राजनैतिक इस प्रकार की नहीं होगी, वह तो भारत भूमि की रचि की होगी ? हसारे यहाॅ स्टेट तो होगी, पर कारवार किस प्रकार का होगा, यह मैं श्राज नहीं बता सकता । गोलमेज़ कान्फ्रेंस मे मैंने यह कहने की धृष्टता की धीकको हिन्दुस्तान के लिए राजकीय विधान का नमूना चाहिए तो कॉग्रेस का विधान ले लीजिए। इसे मेरी घृष्टता भले ही कहें। पर मेरी कल्पना के अनुसार तो ग़रीब और अमीर दोनों एक झंडे की सलामी करते है। पंच कहे सो परमेश्वर ! इसलिए हमारे यहाँ के भलेमानस हिन्दुस्तान को जानने वाले करोडों मनुष्य जैसा तन्त्र चाहते हों वैसे की हमे जरूरत है। यह राजनैतिक है। इसमें एक आदमी के नहीं, बल्कि लव का राज्य होगा। मैं समाजवादी भाइयो से कहूँगा कि हमारे यहाँ तो - सभी भूमि गोपाल की, बा मे अटक कहाँ ? जाके मन मे अटक है, नोई अटक रहा । इस सूत्र को युगों से मान रहे है। इसलिए यह भूमि ज़मींदार की नहीं, मिल-मालिक की नहीं, या ग़रीब की नहीं, यह तो गोपाल की है - जो गायों का पालन करता है उसकी है। गोपाल तो ईश्वर का नाम है, इसलिए यह भूमि तो उसकी है। हमारी तो कही ही नहीं जा सकती। यह न ज़मींदार की है और न मेरे जैसे लंगोटिये की। यह शरीर भी हमारा नहीं, ऐसा साधु-सन्तों ने कहा है। यह शरीर नाशगन् है, केवल एक आत्म हो रहनेवाली हैं। यह सञ्चा] समाजवाद है। इसपर हम अमल करने लग जायँ, तो हमे सब-कुछ मिल गया । इस सिद्धान्त का अनुकरण करनेवाला आज कोई ढीख नहीं रहा है, तो इसमें सिद्धान्त का दोष नहीं, दोप हमारा है। मैं इसकी व्यावहारिकता बिल्कुल शक्य मानता हूँ ।
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एखिल टेंडन टखने के पीछे एक बड़ा कण्डरा है। यह बड़ी बछड़े की मांसपेशियों (गैस्ट्रोनेमियस और सोलेस) को हील हड्डी (कैल्केनस) से जोड़ता है। यह कण्डरा अत्यधिक उपयोग के साथ-साथ कई सहायक कारकों के माध्यम से सूजन हो सकता है। यह अनुमान लगाया गया है कि सभी चल रही चोटों में से 11% एचिलीस टेंडिनाइटिस के कारण हो सकते हैं। Achilles tendon में एक खराब रक्त आपूर्ति है, यही कारण है कि इसे ठीक करने में धीमा है। Achilles tendinitis तीव्र या पुरानी हो सकती है। तीव्र टेंडिनाइटिस अत्यधिक उपयोग या अत्यधिक प्रशिक्षण के परिणामस्वरूप बहुत अधिक होगा, विशेष रूप से कठिन सतहों या पहाड़ियों पर। यदि आपके पैर चलते हैं या ओवरप्रोनेट करते हैं तो यह एचिलीस कंधे पर तनाव बढ़ा सकता है क्योंकि पैर रोल के रूप में टेंडन मोड़ जाता है। यदि एचिलीस टेंडिनाइटिस के चेतावनी संकेतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है या इसे ठीक से ठीक करने की अनुमति नहीं है तो चोट पुरानी हो सकती है। क्रोनिक एचिल्स टेंडिनाइटिस इलाज के लिए एक कठिन स्थिति है। चोट के तीव्र चरण के दौरान अनुभव किए गए दर्द गर्म होने के बाद गायब हो जाते हैं लेकिन प्रशिक्षण बंद होने पर वापस आते हैं। आखिरकार जब तक दौड़ना असंभव नहीं होता तब तक चोट खराब और बदतर हो जाती है। Achilles कंधे की तीव्र सूजन के लक्षण हैंः - अभ्यास के दौरान कंधे पर दर्द। - Achilles कंधे पर सूजन। - जब आप अपनी अंगुलियों को कंधे में दबाते हैं और पैर को ले जाते हैं तो आप कभी-कभी क्रैकिंग महसूस कर सकते हैं। क्रोनिक एचिलीस टेंडिनाइटिस के लक्षण तीव्र टेंडिनाइटिस के समान हैंः - विशेष रूप से सुबह में Achilles कंधे में दर्द और कठोरता। - विशेष रूप से पहाड़ी या सीढ़ियों पर चलते समय कंधे में दर्द। - क्रोनिक टेंडिनाइटिस तीव्र टेंडिनाइटिस से अलग है जिसमें यह एक दीर्घकालिक निरंतर समस्या है। एथलीट क्या कर सकता है? - आराम करें और ठंडा चिकित्सा या बर्फ लागू करें (सीधे त्वचा पर नहीं)। - एड़ी बढ़ाने के लिए एक एड़ी पैड पहनें और एचिल्स टेंडन से कुछ तनाव लें। - एक स्पोर्ट्स चोट पेशेवर देखें जो उपचार और पुनर्वास पर सलाह दे सकता है। स्पोर्ट्स इंजेरी थेरेपिस्ट या डॉक्टर क्या कर सकते हैं? - विरोधी भड़काऊ दवा लिखो। - कारणों की पहचान करें और ऑर्थोटिक्स निर्धारित करें या प्रशिक्षण विधियों में बदलाव करें। - कंधे का समर्थन करने के लिए पैर के पीछे टेप टेप करें। - यदि यह वास्तव में बुरा है तो प्लास्टर कास्ट लागू करें। - अल्ट्रासाउंड उपचार का प्रयोग करें। - खेल मालिश तकनीक लागू करें। - एक पुनर्वास कार्यक्रम निर्धारित करें। - कुछ स्टेरॉयड इंजेक्शन दे सकते हैं हालांकि सीधे टेंडन में इंजेक्शन की सिफारिश नहीं की जाती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह कुल टूटने का जोखिम बढ़ा सकता है। - एमआरआई या अल्ट्रासाउंड के साथ स्कैन करें - अधिक जानकारी के लिए नवीनतम शोध देखें। यदि आप इस चोट की जल्दी देखभाल करते हैं तो आपको अच्छी वसूली करनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि आप इसे ठीक होने के बाद कंधे को ठीक से पुनर्वास करें या चोट वापस आ जाएगी। यदि आप प्रारंभिक चेतावनी संकेतों को अनदेखा करते हैं और इस चोट की देखभाल नहीं करते हैं तो यह पुरानी हो सकती है जो इलाज करना बहुत मुश्किल है। समान / संबंधित चोटेंः अन्य पैर / टखने की चोटेंः
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शिक्षामंत्री ने कहा कि दिशानिर्देर्शों में छात्रों को लैंगिक भेदभाव, समाज में सभी को एक मानने का भाव, आपसी प्रतिस्पर्धा, शारीरिक रूप से सक्षम बनाने आदि के भाव को शामिल करने पर जोर होगा। शिक्षण संस्थानों को अब छात्रों के मानसिक सेहत का ख्याल रखना होगा जरूरी होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सोमवार को इस मुद्दे पर आयोजित उच्चस्तरीय समिति की समीक्षा बैठक में कहा कि शिक्षा मंत्रालय जल्द से जल्द मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करें, ताकि शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी तय की जाए। इसके लिए शिक्षण संस्थानों को शिकायत प्रकोष्ठ बनाने होंगे और अधिकारी की जिम्मेदारी तय की गयी है। दरअसल, शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को मानसिक तनाव से उबारने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का मसौदा तैयार कर लिया है। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री ने बैठक में छात्रों को मानसिक तनाव से बचाने और शिक्षण संस्थानों में भेदभाव बर्दाश्त न करने की नीति को लेकर मंथन किया गया। बैठक में स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग, सीबीएसई, एआईसीटीई, यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि एक प्रभावी शिकायत प्रकोष्ठ बनाया जाए, जिसमें अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो। इसका मतलब है कि यदि कोई इन विषयों पर शिकायत करता है तो उस पर तत्काल कार्रवाई करने के साथ छात्रों को न्याय सुनिश्चित हो। इसमें उन्होंने ऑनलाइन सुझाव भी आमंत्रित किये हैं, ताकि नीति बनाने से पहले उसमें समय की मांग के तहत सभी पहुलओं को शामिल किया जा सके। शिक्षामंत्री ने कहा कि दिशानिर्देर्शों में छात्रों को लैंगिक भेदभाव, समाज में सभी को एक मानने का भाव, आपसी प्रतिस्पर्धा, शारीरिक रूप से सक्षम बनाने आदि के भाव को शामिल करने पर जोर होगा। उन्होंने कहा कि फ्रेमवर्क में छात्रों को किसी भी तरह के खतरे या हमले, सामाजिक भेदभाव, छात्रों के बीच आत्मविनाशाकारी प्रवृत्ति रोकने के उपाय किये जाएंगे। शिक्षा मंत्रालय छात्रों की शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने शैक्षणिक तनाव को कम करने के लिए समय-समय पर कई कदम उठाए हैं। इनमें सहपाठियों की सहायता से सीखना, क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की शुरुआत, छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए मनोदर्पण पहल, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की रोकथाम, पहचान और उपचारात्मक उपायों पर दिशानिर्देश आदि शामिल हैं। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
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नई दिल्लीः पाकिस्तान टीम के टी-20 वर्ल्ड कप के खिताबी मुकाबले में इंग्लैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। मेलबर्न में खेले गए मैच में पाकिस्तानी टीम की शुरुआत काफी धीमी रही है, जिससे बड़ा स्कोर बनाने में नाकाम साबित हुई। आसान से लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड ने 5 विकेट और 6 गेंद से मुकाबला जीत लिया। इस पूरे टूर्नामेंट में पाकिस्तानी कप्तान बाबर आजम अपनी निराशाजनक बल्लेबाजी को लेकर काफी सुर्खियों में रहे हैं। बाबर ने पूरे टूर्नामेंट में महज एक ही अर्धशतक लगाया। अब हार के बाद बाबर आजम ने एक एक ऐसा बयान दिया, जिससे सबका दिल जीत लिया। खिताबी मुकाबले में हार के बाद पाकिस्तान कप्तान ने बड़ी बात कही हैं, जिससे सबका दिल जीत लिया है। आजम ने सबसे पहले जीत के लिए इंग्लैंड को बधाई दी और वह चैंपियन बनने लायक हैं, जो टूर्नामेंट मे अच्छी तरस से खेले। उन्होंने कहा कि हमें ऑस्ट्रेलिया की जमी पर खेलते हुए घर जैसा महसूस हुआ। हर वेन्यू पर अच्छा समर्थन मिला। आपके समर्थन के लिए धन्यवाद। हां, हम पहले दो गेम हारे लेकिन आखिरी चार गेम में हम जिस तरह से पहुंचे वह अविश्वसनीय था। आगे बाबर आजम ने कहा कि मैंने लड़कों को अपना स्वाभाविक खेल खेलने के लिए कहा, लेकिन हम 20 रन से कम हो गए और लड़कों ने गेंद से अच्छा कमाल का प्रदर्शन किया। हमारी गेंदबाजी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आक्रमणों में से एक मानी जाती है। दुर्भाग्यवश शाहीन अफरीदी की चोट ने हमें निराशा दी। फिर भी यह खेल का हिस्सा है। आखिरी मुकाबले में इंग्लैंड की ओर से महत्वपूर्ण प्रदर्शन करने वाले तेज गेंदबाज सैम करेन को टी20 विश्वकप 2022 का टूर्नामेंट के बेस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। चोट से उबरने के बाद वापसी करने वाले करेन को फाइनल में मैन ऑफ द मैच भी चुन लिया गया है। इस मुकाबले में उन्होंने चार ओवर में 12 रन देकर तीन विकेट लिए। करेन ने टूर्नामेंट में 13 विकेट लिए।
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भोपालः मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 'ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन-समाधान की ओर' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 21 और 22 नवंबर को होने जा रही है। इस संगोष्ठी में देशभर के लगभग छह सौ पर्यावरण विशेषज्ञ हिस्सा लेगें। राज्य की धार्मिक नगरी उज्जैन में अगले वर्ष होने वाले सिंहस्थ से पहले विभिन्न विषयों पर संवादों और मंथन का दौर जारी है। इसी क्रम में राजधानी भोपाल में यह दो दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। इस संगोष्ठी का मकसद विश्व को पर्यावरण की समस्या से निपटने का संदेश देना है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक संगोष्ठी में देश की प्रमुख संस्थाओं के करीब 579 वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और शोधार्थी भाग लेंगे। इसके अलावा विभिन्न राज्य सरकारों के जलवायु परिवर्तन नोडल अधिकारी, केन्द्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और महिला सरपंच हिस्सा लेंगे। बताया गया है कि संगोष्ठी में दो दिन में विभिन्न विषयों पर 15 सत्र होंगे। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि आर्ट ऑफ लिंविग के रविशंकर होंगे। संगोष्ठी स्थल पर चार प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी। ये प्रदर्शनियां सिंहस्थ, जलवायु परिवर्तन, मध्यप्रदेश के विकास और मध्यप्रदेश के पर्यटन पर केंद्रित होंगी।
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मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? सर्वोच्च न्यायालय ने भारत में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currencies-VC) के व्यापार पर लगे प्रतिबंध को समाप्त कर दिया है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा अप्रैल 2018 में एक आदेश के माध्यम से अधिरोपित किया गया था। - न्यायालय ने अपने आदेश में वर्चुअल करेंसी (VC) पर लगे प्रतिबंध को असंगत बताते हुए कहा कि RBI ने स्वयं वर्चुअल करेंसी (VC) के व्यापार के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव या नुकसान को स्पष्ट नहीं किया है। - ध्यातव्य है कि अप्रैल 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक परिपत्र जारी किया था, जिसके माध्यम से सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर वर्चुअल करेंसी (जिसमें क्रिप्टोकरेंसी भी शामिल है) से संबंधित व्यापार सुविधाएँ प्रदान करने पर रोक लगा दी गई थीं। - RBI ने अपने आदेश के माध्यम से भारत में सभी वर्चुअल करेंसी के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके पश्चात् इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने RBI के इस आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की थी। क्या था RBI का आदेश? - RBI ने 2018 के अपने आदेश में कहा था कि रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित सभी इकाइयाँ वर्चुअल करेंसी में लेन-देन नहीं करेंगी तथा किसी व्यक्ति या इकाई को वर्चुअल करेंसी में लेन-देन के लिये भी सुविधा प्रदान नहीं करेंगी। - RBI ने आदेश में कहा था कि वर्चुअल करेंसी के व्यापार में शामिल सभी विनियमित संस्थाओं को परिपत्र की तारीख से तीन महीने के भीतर सभी कार्य समाप्त करने होंगे। - वर्चुअल करेंसी से संबंधित विशेषज्ञों ने सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत किया है। हालाँकि यह विषय अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है, क्योंकि अभी विधायी कार्यवाही शेष है। - विदित हो कि सरकार ने बीते वर्ष क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा नियमन विधेयक, 2019 का मसौदा तैयार किया था। यह विधेयक क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार को पूर्णतः प्रतिबंधित करता है। - जब तक क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंध करने वाले मसौदे को इसके मौजूदा स्वरूप से नहीं बदला जाएगा तब तक देश में क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से व्यापार को शुरू नहीं किया जा सकेगा। - साधारण शब्दों में कहें तो वर्चुअल करेंसी एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा होती है। ध्यातव्य है कि वर्चुअल करेंसी एक वैध मुद्रा नहीं होती है, जिसका अर्थ है कि यह देश के केंद्रीय बैंक (भारत की स्थिति में भारतीय रिज़र्व बैंक) द्वारा समर्थित नहीं होती है। - क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) वर्चुअल करेंसी का एक रूप है जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा संरक्षित है। क्रिप्टोग्राफी मूल रूप से एक ग्रीक शब्द है, जो 'गुप्त' और 'लिखावट' का मिला-जुला अर्थ रूप है। यह एक प्रकार का कूट-लेखन (Encode) है, जिसमें भेजे गए संदेश या जानकारी को सांकेतिक शब्दों में बदल दिया जाता है। इसे भेजने वाला या पाने वाला ही पढ़ सकता या खोल सकता है। - क्रिप्टोग्राफी का संबंध डेटा की सुरक्षा और उससे संबंधित विषयों, विशेषकर एनक्रिप्शन से होता है। - बिटकॉइन और एथेरम जैसी डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर निर्भर करती हैं। - जिस प्रकार हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर इंटरनेट का आविष्कार हुआ, ठीक उसी प्रकार डेटा ब्लॉकों (आँकड़ों) की लंबी श्रृंखला को जोड़कर उसे ब्लॉकचेन नाम दिया गया है। - ब्लॉकचेन तकनीक में तीन अलग-अलग तकनीकों का समायोजन है, जिसमें इंटरनेट, पर्सनल 'की' (निजी कुंजी) की क्रिप्टोग्राफी अर्थात् जानकारी को गुप्त रखना और प्रोटोकॉल पर नियंत्रण रखना शामिल है। - ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिससे बिटकॉइन तथा अन्य क्रिप्टो-करेंसियों का संचालन होता है। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक डिजिटल 'सार्वजनिक बही-खाता' (Public Ledger) है, जिसमें प्रत्येक लेन-देन का रिकॉर्ड दर्ज़ होता है। - ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन के दर्ज होने पर इसे न तो वहाँ से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है। - ब्लॉकचेन के कारण लेन-देन के लिये एक विश्वसनीय तीसरी पार्टी जैसे-बैंक की आवश्यकता नहीं पड़ती। - नेटवर्क से जुड़े उपकरणों (मुख्यतः कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) द्वारा सत्यापित होने के बाद इसके अंतर्गत किया गया प्रत्येक लेन-देन का विवरण बही-खाते में रिकॉर्ड होता है। - क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिये लेन-देन के दौरान छद्म नाम (Pseudonym) एवं पहचान बताई जाती है। ऐसे में अपनी निजता को लेकर अत्यधिक संवेदनशील व्यक्तियों को यह माध्यम सर्वाधिक उपयुक्त जान पड़ता है। - क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन संबंधी लागत अत्यंत ही कम होती है। घरेलू हो या अंतर्राष्ट्रीय किसी भी लेन-देन की लागत एक समान ही होती है। - क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिये होने वाले लेन-देन में 'थर्ड-पार्टी सर्टिफिकेशन' (Third Party Certification) की आवश्यकता नहीं होती। अतः धन एवं समय दोनों की बचत होती है। - क्रिप्टोकरेंसी की संपूर्ण व्यवस्था ऑनलाइन होने के कारण इसकी सुरक्षा कमज़ोर हो जाती है और इसके हैक होने का खतरा बना रहता है। - क्रिप्टोकरेंसी की सबसे बड़ी समस्या है इसका ऑनलाइन होना और यही कारण है कि क्रिप्टोकरेंसी को एक असुरक्षित मुद्रा माना जा रहा है। - गौरतलब है कि प्रत्येक बिटकॉइन लेन-देन के लिये लगभग 237 किलोवाट बिजली की खपत होती है और इससे प्रतिघंटा लगभग 92 किलो कार्बन उत्सर्जन होता है। मुद्रा के आविष्कार से पूर्व वस्तु विनिमय प्रणाली के ज़रिये वस्तुओं का लेन-देन किया जाता था किंतु जैसे-जैसे तकनीक उन्नत होती गई व्यापार के तरीकों में भी बदलाव आता गया। वर्चुअल करेंसी का लगातार बढ़ रहा प्रचलन 21वीं सदी के सबसे महत्त्वपूर्ण बदलावों में से एक है। न्यायालय के हालिया निर्देश से भारत ने भी इस ओर एक कदम बढ़ा दिया है। हालाँकि डिजिटल मुद्रा को लेकर अभी भी कई चिंताएँ मौजूद हैं, जिनका समाधान जल्द-से-जल्द किया जाया जाना आवश्यक है।
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औरंगाबाद : छत्रपति शाहू महाराज शिक्षण संस्थान (Chhatrapati Shahu Maharaj Educational Institute), औरंगाबाद द्वारा संचालित छत्रपति शाहू इंजीनियरिंग कॉलेज (Chhatrapati Shahu Engineering College) के छात्रों ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन- 2022 (Smart India Hackathon- 2022) राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया और देश में पहला स्थान हासिल किया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में महाविद्यालय के कम्प्यूटर साईन्स एंड इंजीनियरिंग विभाग के तृतिय वर्ष की छात्रों ने जिनिअस नूबस इस टीम के अंतर्गत ओडिशा के जीआईईटी, विश्वविद्यालय गुणुपुर में हिस्सा लिया। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन भारत सरकार, मंत्रालय, विभिन्न विभागों, उद्योगों और अन्य संगठनों की समस्याओं को हल करने के लिए छात्रों को एक मंच प्रदान करने के लिए शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल की एक राष्ट्रव्यापी पहल है। इस प्रतियोगिता में देश भर के विभिन्न कॉलेजों की 2033 टीमों ने भाग लिया। "जिनिअस नूबस " टीम ने "साइबर सुरक्षा" विषय के तहत सॉफ्टवेयर "नेटवर्क ट्रैफिक एनालाइजर" विकसित किया। छात्रों ने दिन-रात काम किया और लगातार 36 घंटे तक कोड किया और तीन राउंड में हुई इस प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया। सॉफ्टवेयर बनाने वाली टीम में शिवराज पाटिल (टीम लीडर), आशीष सोलंकी, सुमेध पवार, समृद्धि कुलकर्णी, विशाल मुरहाड़े, विजय कागड़े इन 6 छात्रों के अलावा प्रो. वैशाली गायकवाड, प्रा. मिनाक्षी पाचपाटिल यह दो फैकल्टी मैटार ने परिश्रम किया। जिनिअस नूबस इस टीम की सफलता पर छत्रपति शाहू महाराज शिक्षण संस्था के सचिव पदमाकर मुले, अध्यक्ष रणजीत मुले, प्रशासकीय अधिकारी डॉ. श्रीकांत देशमुख, छत्रपति शाहू महाराज इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. उल्हास शिंदे, कम्प्यूटर साईन्स एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डॉ. संदिप अभंग ने बधाई दी और सराहना की।
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कोलकाताः पश्चिम बंगाल में कोलकाता के वीआईपी रोड पर सोमवार तड़के दो बाइक सवारों को कुचलने के बाद कॉम्पैक्ट स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) के एक ट्रक से टकरा जाने से चार लोगों की मौत हो गई टक्कर इतनी जोरदार थी कि एसयूवी की अगली सीट पर बैठी महिला की निर्जीव लाश शीशा तोड़कर बोनट पर जा गिरी। कार सवारों में से किसी ने सीटबेल्ट नहीं पहना था और एयरबैग समय पर सक्रिय नहीं हुए, जिससे चालक - हीरालाल जैसवारा (46) - और आगे की सीट पर बैठे यात्री - पूजा सिंह (30) की मौत हो गई। कार की पिछली सीट पर दो अन्य रहने वाले - चचेरे भाई कुंदन और राजेश मुलिक (दोनों अपने शुरुआती 20 के दशक में) - आरजी कर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में अपने जीवन के लिए लड़ रहे हैं। बाइक सवार रोहित कुमार (23) और पीछे बैठे उसके दोस्त बाबू कुंडू (25) को भी अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया। "प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा है कि कार बहुत तेज गति से वीआईपी रोड पर कोलकाता हवाई अड्डे की ओर जा रही थी, घूम रही थी और खतरनाक तरीके से घूम रही थी। दम दम पार्क क्रॉसिंग पर, एक ट्रक लाल सिग्नल पर खड़ा था और उसके पीछे मोटरसाइकिल भी थी। कार पहले ट्रक से टकराने से पहले बाइक को टक्कर मारी," बिधाननगर सिटी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।
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इंदौर। मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर देश का तीसरा ऐसा शहर बन गया है, जहां बीते दो वर्षो में अंगदान में बढ़ोत्तरी हुई है। सोसाइटी फार आर्गनडोनेशन की संभागायुक्त संजय दुबे की उपस्थिति में रविवार को हुई संभागीय कार्यशाला में बताया गया कि मुम्बई और नई दिल्ली के बाद इंदौर देश का तीसरा शहर है, जहां पर सर्वाधिक अंगदान हुआ है। पिछले दो साल में इंदौर के 26 लोगों ने अंगदान किया है जिससे 80 से अधिक लोगों की जान बची है। इसी वर्ष नवम्बर से इंदौर के एमवाय अस्पताल में बोनमैरो ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया शुरू होगी। दान में मिलने वाला शरीर यहां पर चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रों के अध्ययन में काम आएगा। कार्यशाला में बताया गया कि भारत में हर वर्ष दो लाख किडनी की आवश्यकता रहती है लेकिन मात्र 25 प्रतिशत ही मिल पाती है। अंगदान के क्षेत्र में सबसे अच्छा काम स्पेन में चल रहा है। कार्यशाला में संभागायुक्त दुबे ने बताया कि इंदौर में अंगदान के क्षेत्र में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। अंगदान करने वाले और दान लेने वाले की आनलाइन पंजीयन की व्यवस्था है। पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर अंगदान दिए जाने की व्यवस्था है। अंगदाता परिवार की सहमति के बाद मृत व्यक्ति का 24 घंटे में पोस्टमार्टम किया जाता है। उस समय सरकारी डाक्टर मौजूद रहता है। अंगदाता परिवार के दो सदस्यों को आजीवन स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाता है। इसके साथ परिवार के दो सदस्यों का आजीवन मुफ्त इलाज होता है। दान किए गए अंगों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल या हवाई अड्डे तक ले जाने के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनाया जाता है, इसका आशय है कि उस दौरान संबंधित सड़क पर एंबुलेंस के अलावा अन्य सभी वाहनों का परिवहन बंद रहता है। पुलिस महानिदेशक अजय कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले दो वर्ष में इंदौर में 26 बार ग्रीन करीडोर बनाया गया जिसमें इंदौर ट्रफिक पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कार्यशाला में स्त्री रोग विशेषज्ञ डा़ रचना दुबे ने बताया कि कोई भी व्यक्ति जिसे कैंसर, डायबिटिज जैसी घातक बीमारी नहीं है, वह अंगदान कर सकता है। अभी पिछले माह केरल में एक तीन वर्षीय बच्ची का अंगदान हुआ। अंगदान से किडनी, लीवर, त्वचा, छोटी आंत पुनः काम में ली जाती है। भारत में किडनी की सर्वाधिक मांग है।
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नईदुनिया ब्यूरो, जयपुर। राजस्थान में स्कूली शिक्षा प्राइवेट स्कूलों के भरोसे होती जा रही है। पिछले छह वर्ष में निजी स्कूलों में 18 लाख बच्चे बढ़े हैं जबकि सरकारी स्कूलों में 21 लाख बच्चे कम हो गए। पूरे प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। राजधानी जयपुर में तो पिछले दो वर्ष में प्राइवेट स्कूलों की संख्या देश के किसी भी शहर से ज्यादा तेजी से बढ़े हैं। राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद की ओर से जारी एक सरकारी रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो साल में 1235 नए प्राइवेट स्कूल खुले हैं। जयपुर जिले में कुल 4524 प्राइवेट स्कूल हो गए हैं। हालांकि इनकी संख्या सरकारी स्कूलों से अभी कुछ कम है, लेकिन बच्चों की संख्या की बात की जाए तो प्राइवेट स्कूलों में सरकारी स्कूलों के मुकाबले लगभग दो गुने ज्यादा बच्चे पढ रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों में जहां करीब पौने आठ लाख बच्चे पढ़ रहे है, वहीं सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या सिर्फ साढ़े तीन लाख है। शिक्षकों की संख्या भी निजी स्कूलों में ही ज्यादा है। पूरे राजस्थान की बात करें तो निजी स्कूलों में जहां करीब तीन लाख शिक्षक और कर्मचारी काम कर रहे हैं, वहीं सरकारी स्कूलों में पौने तीन लाख शिक्षक कर्मचारी काम कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में निजी स्कूलों की संख्या और प्रभाव पिछले कई वर्षों से लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2006 से 2012 के बीच दस हजार से ज्यादा नए निजी स्कूल खुले, वहीं सरकारी स्कूल सिर्फ करीब डेढ़ हजार ही खुल पाए। इसी तरह निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या 38 से बढ़कर 56 लाख हो गई, वहीं सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या 86 लाख से घटकर 65 लाख रह गई। स्कूलों में बच्चे सामान्य ढंग से पढ़-लिख भी नहीं पा रहे हैं। राजस्थान में निजी गैर अनुदानित स्कूलों की संस्था सोसायटी फॉर अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स के अध्यक्ष दामोदर गोयल कहते है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर के कारण यह स्थिति बनी है। खुद सरकार ने संभागों के अपने दौरों में इस बात पर चिंता जाहिर की है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक अपना काम ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश की शिक्षा में निजी स्कूल बड़ी भूमिका निभा रहे हैं और सरकार को इन्हें पूरा सहयोग देना चाहिए। हमारे रिजल्ट और प्रदर्शन हर तरह से बेहतर हैं, लेकिन सरकार से हमें सहयोग नहीं मिलता।
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