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Lucknow Civil Hospital: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में अब गंभीर मरीजों को भी इलाज मिलेगा। यहां यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी के साथ अन्य कई सुपर स्पेशियलिटी विभाग खुलेंगे। आईसीयू, एनआईसीयू समेत सभी जरूरी जांच की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। सिविल अस्पताल की मौजूदा बेड क्षमता 400 से बढ़ाकर 700 की जाएगी। बलरामपुर अस्पताल के बाद सुपर स्पेशयलिटी सेवाएं देने वाला प्रदेश में सिविल अस्पताल दूसरा होगा। शासन ने 300 बेड के विस्तार और पुराने भवन को तोड़ने की मंजूरी दे दी है। अस्पताल से सटे सूचना विभाग में अस्पताल का विस्तार होगा। सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ. आनंद ओझा बताते हैं कि, यहां पर लखनऊ के अलावा आसपास के जिलों के गंभीर मरीज आते हैं। सुपर स्पेशियलिटी सुविधा न होने की वजह से इन्हें रेफर करना पड़ता है। यहां पर सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं शुरू होने से गंभीर मरीजों को बड़ी सहूलियत मिलेगी। मौजूदा समय में 400 बेड पर मरीजों का इलाज चल रहा है। 300 बेड का विस्तार होगा। साल भर में इसे शुरू करने की योजना है। बलरामपुर अस्पताल 776 बेड के साथ प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है। इसके बाद सिविल अस्पताल में 700 बेड होंगे। यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, इंडोक्राइनोलॉजी, पल्मोनरी मेडिसिन आदि सुपर स्पेशियलिटी विभाग शुरू होंगे। एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड व सभी तरह की पैथोलॉजी जांच की सुविधा होगी। उधर, लखनऊ स्थित बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में बेड की क्षमता दोगुना किए जाने के बाद भी संकट कम नहीं हो रहा। इसे देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने इमरजेंसी में फिर से 15 बेड बढ़ाए हैं। सीएमएस का कहना है कि, मौसमी बीमारियों की वजह से मरीजों की तादाद बढ़ी है। अस्पताल की इमरजेंसी में पहले 50 बेड की क्षमता थी। बीते दिनों एसएसवी ब्लॉक में इमरजेंसी के 50 बेड बढ़ाए थे। आजकल अस्पताल की इमरजेंसी में रोज 300 से अधिक मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। इसमें 150 से अधिक मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। ऐसे में डॉक्टरों को इमरजेंसी 24 घंटे में पांच से छह बार खाली करानी पड़ रही थी, ताकि नए मरीजों को भर्ती किया जा सके। इसे देखते हुए सीएमएस ने इमरजेंसी में 15 बेड और बढ़ाए हैं। अब इमरजेंसी की क्षमता 115 बेड हो गई है। सीएमएस डॉ. जोपी गुप्ता ने बताया कि, मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, ऐसे में बेड फिर से बढ़ाने पड़े हैं।
LUCKNOW: राजधानी में शनिवार को 256 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई और 344 मरीजों ने कोरोना को मात दी। वहीं 4 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। कोविड प्रोटोकाल के तहत शनिवार को 104 मरीजों को अस्पताल आवंटित किए गए और देर शाम तक 54 मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया। 50 मरीजों ने होम आइसोलेशन का अनुरोध किया। राजधानी में एक्टिव होम आइसोलेट मरीजों की संख्या अब 2,181 हो गई है जबकि 52,952 मरीज ठीक हो चुके हैं। सर्विलांस एवं कांटेक्ट ट्रेसिंग के आधार पर टीमों ने 11,338 लोगों के सैंपल लेकर जांच के लिए केजीएमयू भेजे। कोविड कंट्रोल रूम से होम आइसोलेशन के 2073 मरीजों से उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली गई है और हेलो डॉक्टर सेवा पर 97 मरीजों ने स्वास्थ्य संबंधी परामर्श लिया है। नोट- अन्य एरिया में भी कोरोना संक्रमित मिले हैं। डीएम अभिषेक प्रकाश ने कलेक्ट्रेट सभागार में कोविड नियंत्रण से संबंधित बैठक की, जिसमें उन्होंने हॉटस्पॉट क्षेत्रों में कैंप लगाकर टारगेट टेस्टिंग करने तथा मार्केट, गेस्ट हाउस, मैरिज हाल व धर्मस्थलों में सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन कराने के दिये निर्देश दिए। डीएम ने बैठक में शामिल संभ्रांत लोगों से अनुरोध किया कि मार्केट, धर्मस्थलों व मैरिज हाल आदि में कोविड प्रोटोकॉल व सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन कड़ाई से कराया जाए व मास्क पहनने को अनिवार्य किया जाए। डीएम ने यह भी निर्देश दिए कि कोविड 19 के बारे में जनता को भी जागरूक किया जाए और लाउडस्पीकर व एनाउंसमेंट के माध्यम से मास्क पहनने व सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करने के लिए प्रेरित भी किया जाए। डीएम ने बताया कि कोविड 19 के प्रसार को रोकने के लिए मार्केट, धर्मस्थलों, मॉल व मैरिज हाल आदि में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क व सेनेटाइजर का प्रयोग व कोविड हेल्पडेस्क का प्रयोग आवश्यक है। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी प्रभास कुमार, मुख्य चिकित्साधिकारी डा। संजय भटनागर, अपर जिलाधिकारी पूर्वी केपी सिंह आदि मौजूद रहे।
नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) क्लब केरला ब्लास्टर्स की रिसर्व टीम में शामिल आयूष अधिकारी संतोष ट्रॉफी के लिए होने वाले नॉर्थ जोन क्वालीफाइंग राउंड में भाग लेने वाली दिल्ली की टीम का हिस्सा हैं। दिल्ली ने रविवार को अपने 20 सदस्यीय टीम की घोषणा की है और अधिकारी इस बार शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम को जीत दिलाना चाहेंगे। क्वालीफाइंग राउंड 22 से 28 सितंबर तक उत्तराखंड के हल्दवानी में खेला जाएगा। पिछले सीजन टीम के उप-कप्तान रहे गोलकीपर आयूष राय को टीम का कप्तान चुना गया है। वह गढ़वाल हीरोज के लिए खेलते हैं। आधिकारी का प्रदर्शन पिछले सीजन दमदार रहा था और उन्होंने संतोष ट्रॉफी में कुल छह गोल दागे थे। उन्हें इस बार टीम का उपकप्तान चुना गया है। दिल्ली ने पिछली बार चार साल के बाद संतोष ट्रॉफी के लिए क्वालीफाई किया था। इस बार क्वालीफाइंग राउंड में उसका सामना उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ से होगा। टीम : सायक बराई, आयूष राय, नितिन रावत, राहुल अस्वाल, हरीश करकी, शैलेश मौर्य, सुभम राय, हिमांशु राय, मोहित सिंह, थांगमिनलिएन हाओकिप, गौरव चढ़ा, आयूष अधिकारी, शक्तिनाथ ओराओन, वनलाल झाहामवा, महिप अधिकारी, रिपुदमन पोखरियाल, अनुपम विश्वकर्मा, कुशांत चौहान, अमन थापा, आयूष बिष्ट।
नई दिल्ली। लोकसभा में आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत इस समय छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, हमारी अर्थव्यवस्था 2. 7 लाख करोड़ डॉलर की है। 5 साल पहले हमारा 11वां स्थान होता था। अगले पांच साल में हमने 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है और अगर ये पूरा होता है तो ये भारत के लिए बड़ी उपल्बधि होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत इस साल ही 3 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि 1 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में भारत को पांच साल लगे हैं और हमारी सरकार ने सिर्फ 5 साल में ही एक लाख करोड़ डॉलर की वृद्धि की है।
ब्लिंकिट के नए आउटडोर विज्ञापनों पर तो आपकी नजर जरूर गई होगी. हमारा मतलब यहां-वहां सड़कों पर लगे होर्डिंग और सार्वजनिक बसों पर लगे उन विज्ञापनों से है, जो बरबस ही अपनी ओर देखने और मुस्कुराने के लिए मजबूर कर रहे हैं. इनमें ऐसा कुछ नहीं है जो आपके होश उड़ा दे या आपको सोचने के लिए मजबूर कर दे. हां, ब्लिंकिट के ये विज्ञापन आपको कुछ ऐसी मजेदार लाइनों के साथ मिलेंगे, जिन्हें आप दिल से जानते हैं. इनकी सादगी ही इन विज्ञापनों की खूबसूरती है और लोगों के दिल जीतने की वजह भी. सिलसिलेवार ढंग से होर्डिंग पर सजे ब्लिंकिट के ये विज्ञापन लोकप्रिय बॉलीवुड गानों की तर्ज पर कुछ इस तरह से बनाए गए हैं कि वो निश्चित उत्पाद के बारे में पूरी जानकारी बड़ी आसानी से ग्राहकों तक पहुंचा देते हैं. वो प्रोडक्ट जिसे आप ऐप पर ऑर्डर कर सकते हैं. 'अंडा ये बिंदास है, अंडा ये बिंदास है' - 2001 का केके और अनु मलिक का गीत बंदा ये बिंदास है पर बना है तो वहीं कॉर्निटोस के लिए तैयार किया गया विज्ञापन 'बसंती नाआच-ओज' शोले (1975) फिल्म का एक लोकप्रिय डायलॉग है. ये सीधे लोगों के दिल से जुड़े हैं और उन्हें इस एप पर जाने के लिए मजबूर कर देते हैं. ब्लिंकिट मिनटों में 5,000 से ज्यादा उत्पाद डिलीवर करता है और यह उनके YouTube पर दिए जा रहे विज्ञापनों से आगे का कदम है. इन विज्ञापनों की खासियत ये है कि वे अपने द्वारा बेचे जा रहे उत्पाद के बारे में कोई कहानी नहीं कहते या झूठे वादे नहीं करते हैं. मतलब साफ है बिना लाग लपेट के अपने एप को लोगों के बीच पहुंचाना. हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें. इस तरह से वे 'स्पीड डिलीवरी', ब्लिंकिट की यूएसपी के बारे में बात करने से बचते हैं, जिसे डिलीवरी पार्टनर्स के प्रति असंवेदनशील होने के लिए बहुत अधिक आलोचना झेलनी पड़ी है. ब्लिंकिट अपने बारे में कुछ न बताते हुए भी उपयोगकर्ताओं का ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रहा है. ये विज्ञापन हमारे सामने आए बॉलीवुड गानों का सबसे अच्छा रीमिक्स हो सकते हैं. इसके और भी बहुत से विज्ञापन कुछ ऐसे ही जबान पर बने रहने वाले 'रैप' शब्दों से बने हैं. मसलन 'अपना लाइम आएगा' नींबू का विज्ञापन करता है, जबकि 'चकना मेरेया मेरेया' लेज़ की पब्लिसिटी करता है. इससे कॉर्निटोस नाचो चिप्स, एमटीआर और लेज़ काफी खुश हुए होंगे क्योंकि उन्हें ब्लिंकिट के लिए मुफ्त बिलबोर्ड टाईम जो मिल गया है. इसलिए हम कह सकते हैं कि उनके विज्ञापन का तरीका कोई नया नहीं है. यहां इस बात को ध्यान में रखना भी जरूरी है कि जोमैटो ने ब्लिंकिट का अधिग्रहण कर लिया है. प्रिंट विज्ञापनों के शानदार दिन निश्चित रूप से खत्म हो गए हैं, शब्दों की कोई कमी नहीं है. फॉक्सवैगन के 'थिंक स्मॉल' जैसे विज्ञापन शायद वापसी नहीं कर पाए. मैं यह बात ग्रे इंडिया द्वारा 2014 ड्यूरासेल के शानदार विज्ञापनों की प्रतिभा को स्वीकार करते हुए कह रहा हूं. स्वतंत्र विज्ञापन एजेंसी द मिनिमलिस्ट के इंस्टाग्राम विज्ञापन भी अपने उत्पादों की मार्केटिंग के लिए रचनात्मकता को सरलता के साथ पेश करने का एक अच्छा उदाहरण है. ब्लिंकिट के ये वन-लाइन ज़िंगर्स भले ही पुरस्कार न जीतें, लेकिन वे निश्चित रूप से दिल जीत रहे हैं. (इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. )
गंगाशहर एरिया में चैम्बर की चपेट में आने से एक युवक की मौत के मामले में शनिवार को पीबीएम अस्पताल की मोर्चरी पर जमकर हंगामा हुआ। परिजनों ने चैंबर दुरुस्त करवाने के साथ ही संबंधित कंपनी के ठेकेदार के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने और मृतक के परिजनों को पचास लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की। दरअसल, कुछ दिन पहले रोहित कच्छावा अपने मित्र के साथ गंगाशहर से जा रहा था कि रास्ते में सीवरेज लाइन के चेंबर की चपेट में आ गए। अंधेरा होने के कारण आधा फीट ऊंचा आया चैंबर नजर नहीं आया। ऐसे में युवकों की मोटर साइकिल अंधेरे में उससे जा टकराई। दोनों को गंभीर हालत में पीबीएम अस्पताल पहुंचाया गया। जहां इलाज के दौरान रोहित की मौत हो गई। उसका शव मोर्चरी में रखा गया था, जहां गंगाशहर से बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत और कांग्रेस नेता गोपाल गहलोत भी मौके पर पहुंचे। यहां काफी देर विरोध प्रदर्शन किया गया। मुख्य मांग उस ठेकेदार को गिरफ्तार करने की थी, जिसने ये चैंबर सड़क के इतनी उपर बना दिए। आरयूआईडीपी के माध्यम से हो रहे इस काम के लिए एक प्राइवेट कंपनी को ठेका दिया गया था। इसी कंपनी के खिलाफ अब गंगाशहर थाने में मामला दर्ज किया जा रहा है। शाम होने तक दोनों पक्षों में समझौता हो गया, जिसके बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। मुआवजा देने पर भी सहमति बनी है लेकिन कितना मुआवजा होगा? ये अभी तय नहीं है। पीड़ित पक्ष ने रोहित के घर से किसी को सरकारी नौकरी देने की मांग भी रखी थी। This website follows the DNPA Code of Ethics.
Herbal Tea's Recipe For Healthy Skin: हम सभी ने ये सुन रखा है कि हर्बल चाय पीने के ढेरों फायदे हैं. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं हर्बल टी की रेसिपी जिन्हें आप जरूर ट्राई करना पसंद करेंगे. Different Types Of Herbal Teas: चाय के शौकीन बहुत लोग होते हैं. कितने लोग तो ऐसे भी होते हैं जो दिन में कई बार चाय पीते हैं. वो इसलिए क्योंकि चाय पीने से वो ज्यादा Energetic महसूस करते हैं. चाय पीने के बाद वो किसी भी काम को ज्यादा अच्छे से कर पाते हैं. आपको यह तो पता होगा कि बहुत ज्यादा चाय पीना सेहत को नुकसान पहुंचाता है. इसी कारण से बहुत सारे लोग ऐसे भी आपको मिलेंगे जो बिल्कुल भी चाय नहीं पीते होंगे. लेकिन आज हम आपके लिए लेकर आए हैं हर्बल टी की एक ऐसी लिस्ट जो सेहत के लिए फायदेमंद तो है ही. साथ ही उसे पीने से स्किन और बाल भी हेल्दी रहते हैं. ग्रीन टी पीने के बहुत सारे फायदे हैं और ये अब ज्यादातर घरों में मिल ही जाती है. इसे बनाना बहुत आसान है. इसे बनाने के लिए आपको सबसे पहले एक पैन में पानी लेना है फिर उसमें ग्रीन टी डालकर अच्छे से उबालें. उबाल आने पर गैस को बंद कर दें. आपकी ग्रीन टी तैयार है. पुदीने की चाय का सेवन करने से स्किन हेल्दी रहती है. इसे पीने से त्वचा को ठंडक मिलती है. इसे बनाने के लिए आपको चाहिए 8-10 पुदीने की पत्तियां, काली मिर्च, काला नमक, 2 कप पानी. एक पैन में पानी उबलने के लिए रख दें और फिर उसमें पुदीने की पत्तियां, काली मिर्च, काला नमक को डालकर कुछ देर के लिए उबालें. आपकी पुदीने की चाय तैयार है. रोज टी पीने के बहुत सारे फायदे हो सकते हैं. इसे पीने से शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है और ये पाचन तंत्र के लिए भी बहुत फायदेमंद है. इसे बनाने के लिए आपको चाहिए थोड़ी सी ताजी कटी गुलाब की पंखुड़ियां, पानी और शहद. सबसे पहले गुलाब की पंखुड़ियों को पानी से अच्छी तरह धो लें. अब पैन में पानी गर्म करें और उसमें गुलाब की पंखुड़ियों को डाल दें. पर ध्यान दें कि ये उबले नहीं. थोड़ी देर बाद इसे एक कप में छान लें और इसमें शहद मिला कर सर्व करें.
नई दिल्लीः भारत के ज्यादातर हिस्सों में लगातार बादल छाए रहने से जगह-जगह बारिश देखने को मिली, जिससे तापमान काफी नीचे लुढ़क गया। दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर भारत के तमाम हिस्सों में सुबह से बादलों की लुकाछिपी का दौर जारी रहा, जिससे उमस भरी गर्मी से भी कुछ राहत रही। पूर्वोत्तर राज्यों के कई हिस्सों में सुबह बारिश होने से तापमान काफी नीचे लुढ़क गया, जिससे हर कोई काफी परेशान होता नजर आया। दक्षिण भारत के कई हिस्सों में हर सुबह और दोपहर बारिश होने से जगह-जगह किच-किच हो गई। इतना ही नहीं यहां सड़कों पर पानी भरने से लोगों का जीना हराम हो गया। इस बीच भारतीय मौसम विभाग(आईएमडी) ने देश के कई राज्यों में बादलों की गरज और चमक के साथ भारी बारिश होने की चेतावनी जारी कर दी है। आईएमडी के मुताबिक देश के कई इलाकों में भारी बारिश होने की संभावना जताई है। बिहार, झारखंड और सब हिमालयी में बिजली की चमक के साथ भारी बारिश होने की चेतावनी जारी कर दी है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और मेघालय में भी बिजली की गरज और चमक के साथ झमाझम बारिश का दौर जारी रह सकता है। इसके साथ ही मध्य महाराष्ट्र के घाट इलाकों, दक्षिणी गुजरात, कोंकण के तमाम हिस्सों में भी बिजली की चमक और गरज का अलर्ट जारी कर दिया गया है। वहीं, 25 सितंबर को अरुणाचल प्रदेश, असम में तेज बारिश होने की संभावना जताई है। दक्षिण भारत में तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, तेलंगाना, दक्षिणी इंटीरियर कर्नाटक और तमिलनाडु में झमाझम बारिश का दौर जारी रह सकते है। तेलंगाना, दक्षिणी इंटीरियर कर्नाटक, तमिलनाडु में भी भारी बारिश होने की उम्मीद जताई गई है। इससे जगह-जगह बारिश का दौर जारी रह सकता है। आईएमडी के अनुसार, दिल्ली से सटे हरियाणा, पंजाब में आगामी 12 घंटे तक तेज बारिश का दौर जारी रहने की उम्मीद जताई है। इसके अलावा पश्चिमी भारत में कोंकण, गोवा और मराठवाड़ा में बारिश लोगों की आफत बन सकती है। इसके साथ ही गुजरात में 28 सितंबर तक भारी बारिश होने की उम्मीद जताई है। - बेहद सस्ते में मिल रहा है सबसे यूनीक फोन, Flipkart या Amazon जानिए कहां से शॉपिंग करना है फायदेमंद?
अमरावती (महाराष्ट्र) (एएनआई): अमरावती के सांसद नवनीत राणा ने शनिवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष किया, जब चुनाव आयोग ने शुक्रवार को फैसला किया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट असली शिवसेना और प्रतीक है। शिंदे समूह द्वारा 'धनुष और तीर' को बरकरार रखा जाएगा। उन्होंने कहा, "जो राम का नहीं जो हनुमान का नहीं, वो किसी काम का नहीं और धनुष-बाण उनका नहीं. " उन्होंने पिछले साल हनुमान चालीसा पंक्ति का जिक्र करते हुए कहा, "उद्धव ठाकरे को भगवान शिव के प्रसाद के रूप में परिणाम मिला है। " उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र की जनता इसकी उम्मीद कर रही थी। पिछले ढाई साल में जनता, हम सभी और विधायकों के साथ जो क्रूर व्यवहार किया गया, उसका परिणाम यह हुआ है। चुनाव आयोग ने उन लोगों के पक्ष में परिणाम दिया है। सही विचारधाराओं के साथ," उसने जोड़ा। यह उल्लेख करना उचित है कि अमरावती के सांसद नवनीत राणा ने शिवसेना में हिंदुत्व की लौ को फिर से जगाने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर "हनुमान चालीसा" का जाप किया था (जब उद्धव ठाकरे महा विकास अघडी सरकार के दौरान सीएम थे)। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए लिखा कि वह शिवसेना में 'हिंदुत्व' की लौ को प्रज्वलित करना चाहती हैं, न कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर "हनुमान चालीसा" का जाप करके कोई धार्मिक तनाव पैदा करना। पत्र में राणा ने लिखा है, 'मैंने शिवसेना में हिंदुत्व की लौ को फिर से जगाने की सच्ची आशा के साथ घोषणा की थी कि मैं मुख्यमंत्री के आवास पर जाऊंगा और उनके आवास के बाहर हनुमान चालीसा का जाप करूंगा। इसका मतलब यह नहीं था। किसी भी धार्मिक तनाव को भड़काएं। " राणा ने कहा कि यह उनका "ईमानदार विश्वास" है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना स्पष्ट कारणों से अपने हिंदुत्व सिद्धांतों से पूरी तरह भटक गई। उन्होंने कहा, "यह मेरा ईमानदार और प्रामाणिक विश्वास है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना स्पष्ट कारणों से अपने हिंदुत्व सिद्धांतों से पूरी तरह से भटक गई क्योंकि वह जनता के जनादेश को धोखा देना चाहती थी और कांग्रेस-एनसीपी के साथ चुनाव के बाद गठबंधन करना चाहती थी। " दंपति को पहले 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया और बाद में स्थानीय मजिस्ट्रेट के आदेश पर नवनीत राणा को भायखला महिला जेल भेज दिया गया। एक महीने बाद विशेष अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी। जबकि शिंदे गुट ने असली शिवसेना के रूप में मान्यता दिए जाने के फैसले का स्वागत किया, उद्धव ठाकरे गुट ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। उद्धव ठाकरे के धड़े ने चुनाव आयोग पर जल्दबाजी का आरोप लगाया और कहा कि यह फैसला दिखाता है कि "यह बीजेपी एजेंट के रूप में काम करता है. " आयोग ने अपने आदेश में पाया कि शिवसेना पार्टी का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है और "बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए विकृत" किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस तरह की पार्टी संरचना विश्वास जगाने में विफल रहती है। पोल पैनल ने सभी राजनीतिक दलों को सलाह दी कि वे लोकतांत्रिक लोकाचार और आंतरिक पार्टी लोकतंत्र के सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करें और अपनी संबंधित वेबसाइटों पर नियमित रूप से अपनी आंतरिक पार्टी के कामकाज के पहलुओं का खुलासा करें, जैसे संगठनात्मक विवरण, चुनाव कराना, संविधान की प्रति और पदाधिकारियों की सूची . "राजनीतिक दलों के संविधान में पदाधिकारियों के पदों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव और आंतरिक विवादों के समाधान के लिए एक और स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रक्रिया प्रदान करनी चाहिए। इन प्रक्रियाओं में संशोधन करना मुश्किल होना चाहिए और केवल बाद में संशोधन योग्य होना चाहिए। " उसी के लिए संगठनात्मक सदस्यों का बड़ा समर्थन सुनिश्चित करना," ईसीआई ने कहा। पिछले महीने, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुटों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपने दावों के समर्थन में अपने लिखित बयान चुनाव आयोग को सौंपे थे। (एएनआई)
हैप्पी बर्थडे शक्ति कपूर (फोटो साभार इंस्टाग्राम @shaktikapoor) Happy Birthday Shakti Kapoor: शक्ति कपूर (Shakti Kapoor) बॉलीवुड के ऐसे अभिनेता हैं, जिन्हें नगेटिव किरदारों से ज्यादा लोकप्रियता मिली. हालांकि, उनके कॉमेडी किरदार भी दर्शकों को काफी पसंद है. इन दिनों शक्ति कपूर ने खुद को फिल्मी पर्दे से दूर रख रखा है, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए वह अपने फैंस से जुड़े रहते हैं. आपको बता दें कि शक्ति कपूर बॉलीवुड में अपने बॉडी हेयर के लिए काफी फेमस हैं. एक बार उनके मैनेजर ने खुद उनके बॉडी हेयर को उनका मजाक बना डाला था. जिसका खुलासा शक्ति कपूर ने एक वीडियो के जरिए किया था. बता दें कि इसी साल मार्च के महीने में शक्ति कपूर ने एक वीडियो अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया था. जो एक प्रमोशन एड का हिस्सा था. हालांकि इस वीडियो में उन्हें अपने रियल लाइफ में हेवी बॉडी हेयर को कैसे वो परेशान रहे. इस बारे में जिक्र किया था. इस वजह से उनका ये वीडियो काफी वायरल हुआ था. वीडियो को देख लोग हंस-हंस के लोट-पोट हो गए. शख्स की बात सुनकर शक्ति कपूर थोड़े नवर्स हो जाते हैं और वीडियो क्लिप में आगे वह कहते हैं "इंसान और बालों को हमेशा अपने जड़ों से जुड़े रहना चाहिए". एक बार एक समझदार शक्ति कपूर ने कहा था, "जिसकी छाती पर बाल नहीं, उससे डरो नहीं और जिसके पीठ पर बाल नहीं उसके पिछे चलो नहीं". इसके बाद वीडियो में शक्ति कपूर के मैनेजर की एंट्री होती हैं. वीडियो में उनका मैनेजर कहता है कि बालों को शक्ति सर बहुत पसंद थे, लोगों को इंडस्ट्री में आते हैं औऱ शक्ति सर के जाते हैं . . आज कल शक्ति सर के पीठ के बाल तो.... इसके बाद शक्ति कपूर कहते हैं कि इन बालों ने मुझे मीमी बना करना रख डाला है. वीडियो में आगे शक्ति कपूर के वायरल मीम को दिखाया है, जिसे देखने के बाद आप हंस हंस कर लोट पोट हो गए थे. शक्ति कपूर का जन्म 03 सितंबर 1952 को दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में हुआ था. उन्होंने दिल्ली के किरोड़ी मल कॉलेज से ही अपनी पढ़ाई पूरी की. शक्ति कपूर के पिता दिल्ली के कनॉट प्लेस इलाके में टेलर की दुकान चलाते थे. साल 1975 से अपने करियर की शुरुआत करने वाले शक्ति कपूर ने 700 से ज्यादा फिल्मों में काम किया हैं. इसमें राजा बाबू, कुली नंबर 1, अंदाज अपना अपना, छुप- छुप के, राजाजी, हीरो नंबर 1, सत्ते पे सत्ता, याराना और लाडला समेत तमाम फिल्में शामिल हैं. शक्ति की डेब्यू फिल्म फिल्म 'खेल खिलाड़ी का' है. .
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद से हिंदुस्तान व पाक के बीच जारी तनाव के बीच करतारपुर कॉरिडॉर को लेकर बैठख की समाचार है। विदेश मंत्रालय के हवाले से समाचार है कि करतारपुर कॉरिडोर को लेकर हिंदुस्तान व पाक के प्रतिनिधियों के बीच 4 सितंबर को मीटिंग होने वाली है। दोनों राष्ट्रों ने पुष्टि की है कि वह 4 सितंबर, बुधवार को करतारपुर गलियारे के अंतिम तौर-तरीकों को पूरा करने के लिए मिलेंगे। यह मीटिंग इस बार हिंदुस्तान में अटारी पर होने वाली है। मीटिंग का समय प्रातः काल 10. 30 बजे निर्धारित किया गया है। करतारपुर कॉरिडोर को लेकर नयी दिल्ली ने वार्ता का प्रस्ताव रखा था। हिंदुस्तान व पाक केप्रतिनिधिन करतारपुर कॉरिडोर को लेकर तीसरी बार वार्ता करने जा रहे है। करतारपुर कॉरिडॉर के बनने से लाखों तीर्थयात्रियों को पवित्र करतारपुर गुरुद्वारे में दर्शन कर सकेंगे। इस वर्ष अटारी में पहले चरण की मीटिंग हुई थी। इसके बाद वाघा में जुलाई में भी मीटिंग हुई थी। दूसरे चरण की वार्ता 14 जुलाई को पाक के वाघा में हुई थी। उस वक्त पाक ने पुरानी रावी क्रीक पर ब्रिज बनाने पर सहमति जाहीर की थी। जिससे की गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में सारे वर्ष तीर्थयात्रा करने की अनुमति होगी। करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तानी व भारतीय दोनों तरफ कार्य जोरों पर है। नवंबर 2018 में, भारत, पाक ने पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक को सिख धर्म के निर्माणकर्ता गुरु नानक के अंतिम विश्राम स्थल, करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब को जोड़ने वाली एक सीधी सीमा-पार स्थापना की घोषणा की। करतारपुर डेरा बाबा नानक से लगभग चार किमी दूर रावी नदी के पार पाक के नरोवाल जिले में स्थित है।
4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
निष्कण :299 २०- आज के उपन्यासों का कधीपक्थन शिल्प समृद्ध हो गया है। प्रारम्भिक उपन्यामी पाउपन्यासकार के दृष्टि से प्रभावित थ और आज के दिन्तु दृष्टिकोण की प्रधानता के कारण प्रारम्भिक उपन्यासों है क्योधन अतिरंजित, उस्तामाजिक तथा जव्यवहारिक थे । समस्त पात्र एक में करते थे जो उपन्यासकार का स्वरथा । उसलिए वह खलता था । बाज के उपन्यासों में उपन्यासकार का दृष्टिकोण पान में केन्द्रित हो गया है। इस विचारक atter में भी लात्मकता तथा सौन्दर्य अक्षुण्ण रहता है। बाबा टैसरनाथ : १९५४ः में बट गांधी जी की आलोचना कर रहा है। परन्त यह इतनी भावात्मक तथा सरस है कि इसन - शिल्प पर आघात नहीं होता। न पात्रों के स्तर के अकल होते हैं। इसीलिए उपन्यासों में लोकभाषा का भी प्रयोग हुआ है। गढ़कुंडार : १६२८ : मंसी की रानी लक्ष्मीबाई : १६४६ : मेलाजांचल : १६५४ः आदिकोश - शिल्प में लौकमाणा के कारण अभिनव सौन्दर्य दृष्टिगत होता है। किन्तु यहां यह भी आशंका रहती है कि कहीं लोकमाषाओं के कारण उपन्यास के कथोपकथन म्युजियम न बन जाय इन उपन्यासों में इनका प्रयोग कम हुआ है। `मैलांच इनकी : १९५४ः afte हुआ है। किन्तु यह भाषा ऐसी है जो दुरुह नहीं है। इसी कारण स्थान की स्वाभाविकता समाप्त नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त १चौरीचौरा कांड से गांधी जी बड़े दुखी हुए तौर उन्होंने सत्याग्रह तथा असहयोग की उस व्यापक लड़ाई को बिल्कुल स्थगित कर दिया। स्वयंसेवक के जुलस, सरकारविरोधी समाएं, दमन-वानों के खिलाफ संघर्ष *आन्दौलन एकदम ठप हो गया । "जनसंग्राम के प्रति महात्माजी का यह खिलवाड़ देश के लिए बहुत बड़ी दुर्घटना थी। गांधीजी के खास साथी जेल के अन्दर बन्द थे । यह समाचार पाकर है दःख के मारे वे पागल हो उठे। ब्रा उपतों के शिल्प से भिन्न होता है । प्रारंभिक उपन्यासों से । प्रारंभिम प्रसंगों की हाम हाथ की ध्वनि अथवा उपदेशाल्पकता से पूर्ण था। यह भावानुकूल तथा प्रसंगानुकूल हो गया है। एक उपन्यास के कधपन में एक ही भाषा का प्रयोग होते हुए भी एकरसता, तथा एक स्वरता नहीं दृष्टिगत होती उसमें विभिन्नता है। मनोरमा : १९२४ : तथा मंगल प्रभात : १६२६ः से कथोपकथन से पूर्ण थे परन्तु उनमें कृमिता दृष्टिगत होती कविपूर्ण है परन्तु अशावहारिक अस्सामाविक नहीं होते हैं। वधोपकथन - शिल्प का निरन्तर विकास होता है। नदी प्रस्तुतोवरण मैं नवीनता है। कंल १६२६ः में गाला की मां की जीवनी में लिखित संवादलते हैं। परन्तु इसमें रेखा कापी पर लिस्कर भुवन को देती है। भवन भी इसका उत्तर देता है। यह लिखित संवाद की पद्धति सन्दर तथा मौलिक है। artuper - शिल्प आज इतना सशक्त हो गया है कि इसके द्वारा क्यानक का वास होता है। पत्रिका प्रकाशक नहीं रह गया है प्रत्युत जटिल मानव के जटिल व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति का एकमात्र साधन है । देश-वाल तथा वातावरण की प्रतीति में इसका योगदान उल्लेखनीय है । २२ क्यानक तथा बरि-शिल्प को मांति ही कथोपकथन - शिल्प मौलिक है । इमे देखकर ऐसा अनुभव नहीं होता कि उपन्यासकारों ने इसका अनुवाद अथवा भाणानुवाद किया है । उपन्यासकार पाश्चात्य उपन्याती के पक्थन शिल्प से परिचितथे उसी से प्रेरणा ग्रहण की किन्तु इसका विकास उपन्यास की कथा तथा पात्रों के माध्यम हुवा है। इसी कारण इसमें स्वतः प्रवर्तित प्रवाह और गति है। १- अज्ञेय : नदी द्वीप : १९५९ दिल्ली, पृ० १५६-१६०
ईरानी टेलीविजन ने बताया कि ईरानी सेना ने मंगलवार को अमेरिकी हॉक प्रणाली पर आधारित एक नई वायु रक्षा प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। वायु रक्षा बलों के बड़े पैमाने पर अभ्यास के दूसरे दिन परीक्षण हुए। अभ्यास 850 हजार वर्ग मीटर को कवर करता है। ईरान के उत्तर-पूर्व, पूर्व और दक्षिण-पूर्व में किमी, देश के आधे क्षेत्र के लिए लेखांकन। अभ्यास के दौरान, विशेष रूप से, I ज़हरा एक्सएनयूएमएक्स और कादर मिसाइल सिस्टम कम-उड़ान वाली मिसाइलों के साथ-साथ सफाट तोपखाने प्रणाली के खिलाफ काम कर रहे थे। ईरानी सेना के अनुसार, कादर प्रणाली अत्यधिक मोबाइल है, और इसकी तैनाती का समय 30 मिनटों से भी कम है। Safat तोपखाने प्रणाली, बदले में, दुश्मन की खुफिया सूचना, इंटरफैक्स रिपोर्ट से किसी का ध्यान नहीं जा सकता है। जैसा कि बताया गया है कि सात दिनों तक चलने वाले इस अभ्यास में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के कर्मचारियों सहित फाइटर जेट्स, ड्रोन, एयर डिफेंस सिस्टम और 8 हजार सैनिक शामिल थे। जैसा कि ईरानी वायु रक्षा मुख्यालय के प्रमुख जनरल फ़र्ज़ाद एस्मली ने पहले कहा था, "दुनिया के कुछ हिस्सों में खतरों को ध्यान में रखते हुए अभ्यास के दौरान आधुनिक रणनीति के तत्वों पर काम किया जा रहा है। " हाल के महीनों में, ईरान ने परमाणु कार्यक्रम के बारे में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों से मौजूदा खतरों और आरोपों के मद्देनजर अभ्यास किया है, ईरानी टेलीविजन ने कहा।
- UPI एप की मदद से सिर्फ यूनीक आईडी के आधार पर किसी भी व्यक्ति को पैसे ट्रांसफर किए जा सकते हैं। - इस सिस्टम में 21 प्रमुख सरकार एवं निजी बैंक शामिल हैं, लेकिन देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई इससे बाहर है। - एप की मदद से कोई भी व्यक्ति 50 रुपए से लेकर 1 लाख रुपए तक का फंड ट्रांसफर सिर्फ एप की मदद से कर सकता है। - यूपीआई पिन के लिए आधार नंबर, ईमेल एड्रेस और मोबाइल नंबर होना जरूरी है, इसी से यूनीक आईडी जेनरेट होगा।
( 5 ) यदि कोई प्रोन्नत अधिकारी जो भारतीय वन सेवा में परि बीक्षाधीन व्यक्ति के रूप में नियुक्त किया जाता है, भारतीय वन सेवा में उसकी प्रोन्नति की तारीख से पूर्वतर किसी तारीख से परिवीक्षा की अवधि के दौरान उस राज्य वन सेवा के, जिसमें उसका धारणाधिकार है, उच्चतर वेतनमान में पुष्ट कर दिया जाता है और इस प्रकार राज्य वन सेवा के उसके वास्तविक वेतन में वृद्धि हो जाती है । तो भारतीय वन सेवा के ज्येष्ठ वेतनमान में उसके येतन को इस अनुभाग में उपवर्णित सिद्धान्तों के अनुसार, राज्य वन सेवा में उसके वृधित वेतन के आधार पर इस प्रकार पुनः गणना को आएगी मानो भारतीय वन सेवा में उसकी प्रोन्नति ऐसी वृद्धि की तारीख से हुई थी । ( 6 ) जहां कोई प्रोन्नत अधिकारी जो भारतीय वन सेवा में अपनी नियुक्ति की तारीख को राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार के अधीन या अन्यन्न सेवा में काडर पद से मिस्र कोई पद धारण कर रहा था या निरन्तर धारण कर रहा है और यह पद : ( क ) काडर पद के वेतनमान के समतुल्य वेतनमान वाला है, अथवा (ख) काडर पद के समतुल्य हैसियत और उत्तरदायित्व वाला है और सम्बद्ध राज्य सरकार केन्द्रीय सरकार को, उक्त अधिकारी को काडर पद से भिन्न पद पर उसकी नियुक्ति के तीन मास के भीतर अथवा उस तारीख के तोन माम के भीतर जिसकी उसके अगला कनिष्ठ चयन सूची अधिकारी काडर पद पर नियुक्त किया जाना है, इन दोनों तारीखों में से जो भी तारीख बाद की हो, यह प्रमाणपत्र देती है कि काडर पद से भिन पर्व पर :-- ( 1 ) खण्ड (क) के अधीन पद की बाबत एक वर्ग से अनधिक अवधि के लिए और केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन से दो वर्ष से अनधिक की अतिरिक्त अवधि के लिए, प्रथवा (2) खण्ड (ख) के अधीन पद की बागत, तीन वर्ष से अनधिक अवधि के लिए, यदि उसकी नियुक्ति न हुई होती तो वह भारतीय वन सेवा ( काडर ) नियम, 1966 के नियम 9 के अधीन काडर पद पर स्थानापत्र रूप से कार्य करता तो भारतीय वन सेवा के अपेष्ठ वेतनमान में खण्ड ( 1 ) के अनुसार नियत किया गया उसका प्रारंभिक वेतन उस वेतन से निम्न प्रक्रम पर नियत नहीं किया जाएगा जो उसने उक्त गैर काडर पद पर लिया था या ले रहा हैः परन्तु एक बार में जितने अधिकारियों की बाबत ऐसे प्रमाणपत्र प्रवृत्तमान होंगे, उनकी संख्या भारतीय वन सेवा ( प्रोन्नति द्वारा नियुक्ति) विनियम, 1966 के विनियम 5 के उप विनियम ( 1 ) धीन अनुज्ञेय चयन सूची की न्यूनतम संख्या के आधे से अधिक नहीं होगी तथा उसी क्रम के अनुसार होगी जिम क्रम में ऐसे अधिकारियों के नाम चयन सूची में है : परन्तु यह और कि ऐसा प्रमाणपत्र केवल तभी किया जाएगा जब गैर काडर पद पर नियुक्त किए गए चयन सूची में के प्रत्येक ऐसे ज्येष्ठ अधिकारी के स्थान पर, जिसकी बाबत प्रमाणपत्र दिया जाता है, भारतीय वन सेवा ( काडर ) नियम, 1966 के नियम 9 के अधीन ज्येष्ठ पत्र में स्थामापत्र रूप में कार्य करने वाला एक कनिष्ठ चयन सूची अधिकारी हो : परन्तु यह और भी, कि उन अधिकारियों की संख्या जिनकी बाबत प्रमाणपत्र दिया जाता है, भारतीय वन सेवा ( काडर संख्या का नियन) विनियम, 1966 को अनुसूची के अधीन मंजूर की गई प्रतिनियुक्ति के लिए आरक्षित संख्या से राज्य सरकार के नियंत्रण के प्रधोन गैर कार पत्रको धारणा करने वाले काडर अधिकारियों की संख्या है उतनी संख्या में पदों से अधिक नहीं होगी । प्रोन्नत अधिकारी का श्राधारी वेतन किसी भी दशा में ज्येष्ठ वेतनमान के न्यूनतम से कम पर नियत नहीं किया जाएगा । 8. इस अनुभाग में किसी खण्ड भारतीय वन सेवा वेतनमान में प्रोन्नत किसी बात के होते हुए भी, अधिकारी का आधारी वेतन-( 1 ) किसी भी समय उस आधारी वेतन से अधिक नहीं होगा जो उसने सीधे भर्ती किए गए व्यक्ति के रूप में उस तारीख की भारतीय वन सेवा वेतनगात में लिया होता, यदि वह उस तारीख को जिस तारीख को यह राज्य वन सेवा में नियुक्त किया गया था, भारतीय वन सेवा में नियुक्त किया गया होता । ( 2 ) आरंभिक गठन के प्रक्रम पर उसी काडर की सेवा के ज्येष्ठ वेतनमान में नियुक्त कनिष्ठतम अधिकारी के वेतन से ऊपर के प्रक्रम पर नियत नहीं किया जाएगा परन्तु यदि उसका वेतनमान सेवा के ऐसे वेतन के प्रक्रम पर नियत किया गया है जो राज्य वन सेवा में उसके वेतनमान के बराबर है तो यह उपबन्ध लागू नहीं होगा । 9. जहां किसी ऐसे अधिकारी का वास्तविक वेतन, जो सेवा के गठन की तारीख को पहले से हो यतपाल के रूप में या उपरोक्त राज्य मन सेवा में पुष्ट कर दिया जाता है। और जो भारतीय वन सेवा में किसी समतुल्य या उच्चतर पद पर भारतीय वन सेवा ( भर्ती) नियम, 1966 के नियम 8 के अधीन नियुक्त किया जाता है, अनुसूची 3 में उपदर्शित वेतनमान में सामान्य नियमों के अधीन अनुज्ञात किया जाएगा । यह वैयक्तिक वेतन ऐसे वेतन को भावी वृद्धियों में जिसके अन्तर्गत विशेष येतन, अतिरिक्त वेतन और अन्य प्रकार के वेतन भी हैं, सम्मिलित कर लिया जाएगा । 10. इस अनुभाग के किसी खण्ड में किसी बात के होते हुए भी, प्रोन्नत अधिकारी का वेतन, जिसका वेतन भारतीय वन सेवा (वेतन) तृतीय संशोधन नियम, 1978 के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से पूर्व भारतीय वन सेवा के ज्येष्ठ वेतनमान में, भारतीय वन सेवा (वेतन) नियम, 1968 के विद्यमान उपबन्धों के अनुसार, नियत किया गया है, भारतीय वन सेवा के पुनरीक्षित ज्येष्ठ वेतनमान में इस अनुभाग के अधीन उस क्रम से निम्नतर प्रक्रम पर, जितना कि पहले नियत किया गया है, नियत नहीं किया जाएगा । अनुभाग 2 : -- नियम 4 ( 5 ) के अन्तर्गत आने वाले प्रोन्नत अधिकारियों के प्रारंभिक वेतन का नियतन-( 1 ) ऐसे प्रोप्लस अधिकारी की दशा में जिसने सेवा में अपनी नियुक्ति के पूर्व किसी काडर पद में पहने ही स्थानापस रूप में कार्य किया है, और ऐसी स्थानापस सेवा को केन्द्रीय सरकार ने और जहां आवश्यक है वहां संघ लोक सेवा आयोग से परामर्श करके भारतीय वन सेवा ( काडर ) नियम, 1966 के नियम 9 के अनुसार की गई सेवा मान लिया है, उसका वेतन उस प्रकस पर नियत किया जाएगा जो उस वेतन से कम नहीं होगा जो उसने ऐसे किसी पद में अन्तिम बार स्थानापन्न रूप में कार्य करते समय भारतीय वन सेवा के ज्येष्ठ घेतनमान में लिया था । ( 2 ) ऐसे प्रोन्नत अधिकारी की दशा में जो भारतीय वन सेवा में परिवीक्षाधीन व्यक्ति के रूप में नियुक्त किया जाता है, राज्य वन सेवा में, जिसमें कि उसका धारणाधिकार है, उसके वास्तविक वेतन में कोई वृद्धि होने पर उस सेवा के निम्नतर येतनमान या उच्चतर वेतनमान में वेतनवृद्धि के परिणामस्वरूप या उच्चतर वेतनमान में पुष्टि की वशा में, वह अधिकारी परिवीक्षा की अवधि के दौरान, भारतीय वन सेवा में ज्येष्ठ वेतनमान में अपने वेतनमान को अनुभाग 1 में उपवर्णित सिद्धान्तों के अनुसार राज्य वन सेवा में अपने वधिस वेतन के आधार पर इस प्रकार
(www. arya-tv. com) ऑस्कर पुरस्कार विजेता संगीतकार और गायक ए आर रहमान की गिनती अभी तक संगीत जगत के उन लोगों में होती रही है, जिनका ये जमाना अनुसरण करता है। लेकिन, पिछले कुछ साल से उनका लीडर बनने का ये स्टाइल अब धीमा पड़ता दिख रहा है। कोरोना काल में घर बैठे लोगों के लिए बन रहे गीतों की सोशल मीडिया पर इन दिनों बाढ़ आई हुई है और इसी में शामिल हो गया है अब रहमान का एक गाना। इस गाने का निर्माण किया है उस एचडीएफसी बैंक ने जिसके शेयर खरीद का मामला सामने आने के बाद सरकार को अपनी निवेश नीति बदलनी पड़ी। रहमान का ये गाना भारत भर के जाने-माने गीतकारों और संगीतकारों के साथ मिलकर बना है। बैंक की ब्रांडिंग के लिए बने गीत 'हम हार नहीं मानेंगे' का उद्देश्य लोगों को कोरोना वायरस से लगातार लड़ते रहने के लिए प्रेरित करना है। यह गीत उन लोगों को भी सलाम करने की बात करता है जो दिन रात निस्वार्थ भावना से और पूरे साहस के साथ कोरोना वायरस से इस लड़ाई में लगातार करोड़ों भारतीयों के साथ खड़े हुए हैं।
बहुत से लोगों ने क़तर राज्य के अस्तित्व के बारे में तभी जाना जब अरब प्रायद्वीप के किनारे के इस छोटे से देश को 2022 में विश्व फुटबॉल चैम्पियनशिप की मेजबानी का अधिकार प्राप्त हुआ। केवल कुछ ही अब जानते हैं कि कतर कहां स्थित है, और केवल विशेषज्ञ और विशेष रूप से उन्नत जनता को पता है कि क्यों देश सऊदी अरब से एक नहर द्वारा अलग हो गया है और अरब पड़ोसियों द्वारा लगभग पूरी तरह से नाकाबंदी की शर्तों के तहत कई वर्षों से यह कैसे अस्तित्व में है। माना जाता है कि फारस की खाड़ी के दूसरी ओर कतर एक प्रकार का ईरानी समर्थक है। ईरान से उद्धार वास्तव में बहुत उच्च स्तर पर कतर में जीवन का समर्थन करता है, लेकिन साथ ही, इस राज्य को हमेशा क्षेत्र में लगभग सबसे विश्वसनीय और विश्वसनीय अमेरिकी सहयोगी माना गया है। कतर में रुचि को हाल के महीनों की घटनाओं से पुनर्जीवित किया गया था, जब एक बड़ी गैस सौदेबाजी सामने आई, नॉर्ड स्ट्रीम 2 की संभावनाओं से जुड़ी और तरलीकृत प्राकृतिक गैस की आपूर्ति न केवल अमीर यूरोप को, बल्कि दुनिया के सभी महाद्वीपों को भी हुई। दोहा (कतर राज्य की राजधानी) आज विश्व बाजार में अधिक से अधिक सक्रिय रूप से खेल रहा है, और रूस के खिलाफ सबसे ऊपर है। जैसा कि आप देख सकते हैं, यूरोपीय बाजार में बसने की संभावना बहुत अधिक लुभावना है, जहां किसी ने कतर को आमंत्रित करने के लिए नहीं सोचा था। 24 मई को QPG स्टेट ऑयल एंड गैस कंपनी साद अल-क़ाबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने क़तर की वेबसाइट में घोषणा कीः "कोरोनोवायरस महामारी और आर्थिक संकट के कारण कतर न केवल गैस की आपूर्ति कम करने का इरादा रखता है, बल्कि, इसके विपरीत, क्षमता में काफी वृद्धि करने का इरादा रखता है, भले ही इससे गैस की कीमतों में और गिरावट आए। " व्यवसायी ने यह कहकर अपने कथन की पुष्टि की कि "हम लागत के मामले में दुनिया के सबसे कुशल गैस उत्पादक हैं और इसलिए हम बाजार के झटकों को दूर कर सकते हैं। " श्री अल-क़ाबी ने यह भी कहा, रूस को लगता है कि "कई उत्पादक कम कीमतों के कारण उत्पादन को रोक देंगे, लेकिन कतर के लिए इस परिदृश्य को बाहर रखा गया है। " यह विशिष्ट है कि अगले दिन गज़प्रॉम ने अनिश्चित काल के लिए यमल-यूरोप पाइपलाइन (रूस - बेलारूस - पोलैंड - जर्मनी) के माध्यम से गैस के निर्यात पम्पिंग को निलंबित कर दिया, जिसकी यूरोपीय संघ को रूसी गैस की आपूर्ति में हिस्सेदारी 25% से कम नहीं है। 26 मई के आरएफ ऊर्जा सुरक्षा कोष के अनुसार, यह यूरोप में कीमतों में लगातार गिरावट और मुख्य रूप से पाइपलाइन गैस के लिए मांग के कारण है। मास्को के साथ कतर एक "गैस" टकराव की तैयारी कर रहा था, क्योंकि यह आधी सदी पहले निकला था। 29 मई, 1970 को, अरब प्रायद्वीप के पूर्वोत्तर में स्थित कतर में ब्रिटिश कमिश्रिएट ने अमीरात की पहली स्वायत्त सरकार की घोषणा की। दूर "गैस" दृष्टि के साथ, क्या कहा जाता है। 1915 वीं शताब्दी के बाद से, देश का नेतृत्व वंशवादी अल-थानी परिवार द्वारा किया गया है, जो पहले ओटोमन के संरक्षण में था, और फिर, XNUMX से, पहले से ही अंग्रेजों द्वारा। कतर की पहली स्वायत्त सरकार स्थापित की गई थी, हम आधी सदी पहले दोहराते हैं, जब ब्रिटिश फर्म अमीरात के तेल और गैस संसाधनों के पहले बड़े पैमाने पर अध्ययन में एक बिंदु निर्धारित करते हैं। पहले से ही विशाल गैस पैंट्री स्थापित किए गए थे, जिसका उपयोग पश्चिम में गैस की आपूर्ति के लिए बढ़ती मात्रा में किया जा सकता है। इसके अलावा, यह लंदन में ठीक था कि उन्होंने सक्रिय रूप से विरोध किया, खासकर 1970 के दशक में, यूएसएसआर से दीर्घकालिक गैस आपूर्ति के खिलाफ। कतर की पहली स्वायत्त सरकार के निर्माण के छह महीने बाद, ब्रिटिश व्यवसाय ने देश के पश्चिम और उत्तर-पूर्वी तट से 60 के दशक में खोजे गए प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार का विकास शुरू किया। 70 के दशक की शुरुआत से, ब्रिटिश और फिर अमेरिकी कंपनियों द्वारा भंडार की बढ़ती मात्रा का पता लगाया गया था। 1974 के वसंत के बाद से, कतर के तेल और गैस उद्योग और ये सभी कार्य अल-थानी राजवंश द्वारा नियंत्रित राज्य कंपनी कतर पेट्रोलियम-गैस (QPG) के नियंत्रण में आ गए हैं। मॉस्को क्षेत्र के आधे क्षेत्र और 80 के दशक में दो मिलियन की आबादी वाला यह देश वैश्विक गैस बाजार में सबसे बड़ा खिलाड़ी बन गया है। कतर में, एलएनजी को हमेशा तरलीकृत गैस पसंद किया गया है, क्योंकि पाइप बहुत दूर खींचे जाते हैं, और वे बहुत शांत क्षेत्रों से नहीं गुजरेंगे। जब तक वे चाहें टैंकरों को पाल सकते हैं - मुख्य बात यह है कि एलएनजी रिसेप्शन के लिए पर्याप्त क्षमता है। एलएनजी की वैश्विक मांग 70 के दशक की शुरुआत से कई गुना बढ़ी है, और आज यह पाइपलाइन गैस की मांग के साथ असफल हो रही है। ब्रिटिश, अमेरिकी और भी इतालवी और जापानी कंपनियों ने वास्तव में कतर से गैस उद्योग को खरोंच से बनाया है। इसी समय, वे निर्मित क्षमताओं में उच्च शेयरों का दावा भी नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि सोवियत और फिर रूसी गैस के साथ प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए कतरी अधिकारियों के साथ राजनीतिक हस्तक्षेप न किया जाए। आश्चर्य की बात नहीं, 70 के दशक के उत्तरार्ध के बाद से, लगभग सभी कतर और गैस और तेल और गैस के बुनियादी ढांचे के एक पूरे के रूप में अमेरिकी वायु सेना और अमेरिकी नौसेना के विशेष बलों के अधिकार क्षेत्र में बने हुए हैं। कतर वहां एक पूर्ण सहयोगी के मामूली भूमिका में कार्य करता है। कोई यह याद नहीं कर सकता है कि ग्रेट ब्रिटेन ने 3 सितंबर 1971 को कतर की स्वतंत्रता की घोषणा की, हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब के दबाव में। अमीरात की भौगोलिक स्थिति, जिसका शाब्दिक अर्थ फारस की खाड़ी के केंद्र में "wedges" है, और यहां तक कि गैस और तेल के बड़े भंडार के साथ, कतर के साथ "पार्टिंग" से लंदन को बहुत रोका। लेकिन 1956 से, स्वेज नहर पर मिस्र के साथ युद्ध में ब्रिटेन की हार के बाद, इस क्षेत्र में भू-राजनीतिक संरेखण लंदन के पक्ष में नहीं था। इसने 1961 में अंग्रेजों को इस क्षेत्र में अपने मुख्य तेल और गैस "बॉक्स" के लिए स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए मजबूर किया - कुवैत, 1967 में - दक्षिण यमन को। और 70 के दशक की शुरुआत में, कतर के साथ-साथ बहरीन, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात (तब ओमान की संधि) भी, जहां कतर की तुलना में बहुत कम तेल और गैस संसाधन नहीं हैं। सुरेन बलीव, यूएसएसआर के गैस उद्योग के उप मंत्री, और फिर तेल और गैस सूचना के लिए अकादमिक केंद्र के निदेशक, विख्यातः "उनके परिचालन विकास के दौरान कतर में प्राकृतिक गैस के भंडार का पता चलता है, यूएसएसआर से यूरोप तक बढ़ती गैस आपूर्ति के साथ भी प्रतिस्पर्धा कर सकता है। पहले से ही 70 के दशक की शुरुआत में। ग्रेट ब्रिटेन की पहल पर, पश्चिमी सरकारों और कंपनियों ने कतर और कुवैत की भागीदारी के साथ तुर्की से ग्रीस-यूगोस्लाविया, फिर पश्चिमी यूरोप तक कतर से एक ट्रांस-अरेबियन गैस पाइपलाइन बनाने की संभावना पर चर्चा की। यह पाइपलाइन कुवैत और इराक से अपने मार्ग से "एकत्रित" गैस की भूमिका निभा सकती है। भविष्य में, इस परियोजना को कथरी एलएनजी उत्पादन के विकास के पक्ष में, एस। बालीयेव ने उल्लेख किया था, लेकिन सोवियत गैस आपूर्ति पर पश्चिमी यूरोप की निर्भरता को कम करने के लिए कतरी, कुवैती और अल्जीरियाई एलएनजी के साथ-साथ एक ही परियोजना "भविष्य में बनी हुई है। " इस बीच, कतर में गैस का उत्पादन छलांग और सीमा से बढ़ गया। राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, कतर का औसत वार्षिक उत्पादन 5,5-1971 के लिए औसतन 1976 बिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़ा है। 20-1980 में 1985 बिलियन तक और 180 में 2019 बिलियन क्यूबिक मीटर तक। इस उद्योग में दुनिया भर में सबसे कम लागत में से एक - कोलोसल संसाधन आधार और उत्पादन की कम लागत के कारण झटका सफल रहा। यह दुनिया में चौथे स्थान पर है (संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और ईरान के बाद)। ओपेक और 2019-2020 के लिए अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, कतर में गैस भंडार (प्राकृतिक और गैस घनीभूत) की मात्रा दुनिया का लगभग 14% है। इसी समय, इनमें से कम से कम 65% भंडार विकसित और संसाधित किए जाते हैं। कतर में एलएनजी का उत्पादन क्षमता और मात्रा के मामले में एक रिकॉर्ड हैः यह 14 लाइनों पर 104,7 बिलियन क्यूबिक मीटर की कुल क्षमता के साथ निर्मित होता है। प्रति वर्ष मीटर, 80 के दशक में बनाया - संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, इटली और जापान में कंपनियों द्वारा 2010 के शुरू में। यह वैश्विक एलएनजी क्षमता (25) का लगभग 2019% प्रतिनिधित्व करता है। उनमें से लगभग सभी राज्य के स्वामित्व वाले हैंः राष्ट्रीय राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी (क्यूपीजी) में हिस्सेदारी 70-85% है। इसी समय, कतर के पास लंबे समय से एक विशाल राष्ट्रीय है बेड़ा टैंकरः 2019 के अनुसार, ये 55 तकनीकी रूप से उन्नत मध्यम और उच्च क्षमता वाले गैस वाहक हैं। उनमें से ज्यादातर दक्षिण कोरियाई निर्मित क्यू-अधिकतम वर्ग के साथ 270 हजार टन और क्यू-फ्लेक्स के साथ 166 टन के वजन के साथ हैं। इस तरह के जहाज चीन, जापान और 30 ईयू देशों सहित लगभग 10 देशों को पूरी तरह से कतरी एलएनजी की आपूर्ति करते हैं। और इस उत्पाद के निर्यात की मात्रा (110 में 2019 बिलियन क्यूबिक मीटर तक) के संदर्भ में, एलएनजी के वैश्विक निर्यात में कतर का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा है। और यह वही है जो 2000 के दशक की शुरुआत से है। ट्रांस-अरब गैस पाइपलाइन कतर-कुवैत-इराक-सऊदी अरब-तुर्की-यूरोप की उल्लेखित परियोजना को भुलाया नहीं गया है। संयुक्त अरब अमीरात और रूसी इंटरनेट संसाधन अराउंड गैस के राष्ट्रीय पोर्टल ने हाल ही में बताया कि 2011 से इस परियोजना को ब्रिटिश और अमेरिकी विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ एक कतरी-तुर्की विशेषज्ञ समूह द्वारा अंतिम रूप दिया गया है। यह समूह 2009 में तुर्की के राष्ट्रपति आर। एर्दोगन और कतर के अमीर हमद बिन खलीफा अल-थानी के संयुक्त निर्णय द्वारा बनाया गया था। जाने-माने राजनीतिक वैज्ञानिक और प्रचारक रॉबर्ट कैनेडी जूनियर, जो एक जाने-माने परिवार से आते हैं, सीनेटर रॉबर्ट कैनेडी के बेटे और राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के भतीजे, पूरी तरह से परियोजना के आर्थिक और भू-राजनीतिक लक्ष्यों की विशेषता है। फरवरी 2016 में वापस, उन्होंने अमेरिकी पत्रिका पोलिटिको (आर्लिंगटन) में लिखाः इसके अलावा, "कतर मध्य पूर्व में दो विशाल अमेरिकी सैन्य ठिकानों और अमेरिकी मध्य कमान के मुख्यालय की मेजबानी करता है। " "यह यूरोपीय संघ लाएगा, जहां गैस की खपत का एक तिहाई तक - रूसी संघ से आयात - व्लादिमीर पुतिन की तेज गैस रणनीति से राहत मिलती है। तुर्की, रूस का दूसरा सबसे बड़ा गैस उपभोक्ता, विशेष रूप से अपने दीर्घकालिक प्रतिद्वंद्वी पर इस निर्भरता को समाप्त करने और खुद को एक लाभदायक ऊर्जा केंद्र के रूप में स्थिति के बारे में चिंतित है। " "रूस, जो अपने गैस निर्यात का 70% यूरोप को बेचते हैं, कतर-तुर्की पाइपलाइन को एक अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं। वी। पुतिन के अनुसार, यह गैस पाइपलाइन यूरोपीय ऊर्जा बाजार में अपने उत्तोलन को खत्म करके रूसी अर्थव्यवस्था का गला घोंटने के उद्देश्य से एक नाटो की साजिश का प्रतिनिधित्व करती है। " एक शब्द में, कतरी गैस मॉस्को पर बहुपक्षीय राजनीतिक और आर्थिक दबाव के अलावा, आगे के लिए एक लीवर है। इसके अलावा, तरलीकृत गैस पहले से ही एक बहुत ही वास्तविक लीवर है, जो अमेरिकी एक के साथ युगल में भी आती है, और पाइपलाइन गैस अभी तक केवल संभावित है। और कतर, ईरान पर अपनी पूरी तरह से निर्भरता के साथ, पिछली सदी के 70 के दशक से इस भूमिका के लिए तैयार है। - लेखकः - इस्तेमाल की गई तस्वीरेंः
Patna : बुधवार को गंगा स्नान करने आयी दो महिला छठ व्रतियों को एसडीआरफ की टीम ने बचाया . प्रशासन ने छठ व्रतियों से विनती की है कि जिन गंगा घाटों को सुरक्षित पाकर गंगा स्नान की अनुमति दी गयी है वहीं जायें. घटना पटना के गायघाट इलाके की है. जहां ये महिलायें स्नान कर रही थी. इसी दौरान गहरे पानी में जाने के कारण दोनों डूबने लगी. मौके पर मौजूद एसडीआरफ के जवान संजीव कुमार और हिमांशू यादव ने फौरन ही गंगा में छलांग लगाकर दोनों को सुरक्षित बाहर निकाला.
।अबादीन ने 'जज़िया कर' हटाया और राज्य में गाय का वध निषिद्ध कर दिया। उसके प्रशासन में अनेक हिन्दुओं को ऊँचे पद प्राप्त थे। ।जैनुल अबादीन को कश्मीरी अभी भी 'बडशाह' (महान सुल्तान) के नाम से पुकारते हैं। वह 'कुतुब' उपनाम से फ़ारसी में कविताएँ भी लिखा करता था। ।अबादीन को उसके द्वारा किये गए जनपिय कार्यों के कारण कश्मीर का अकबर कहा जाता है। मूल्य नियंत्रण की पद्धति चलाने के कारण ही उसे कश्मीर का अलाउद्दीन ख़िलजी भी कहा गया है। जैनुल अबादीन (1420-1470 ई.) अलीशाह का भाई और कश्मीर का सुल्तान था। सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता का भाव रखने व अपने अच्छे कार्यों के कारण ही उसे 'कश्मीर का अकबर' कहा जाता है। अपने शासन के दौरान इसने हिन्दुओं को पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की थी। जैनुल अबादीन ने हिन्दुओं के टूटे हुए मंदिरों का पुनर्निर्माण, गायों की सुरक्षा और सती होने पर लगे प्रतिबन्ध को हटाया और राज्य में एक बेहतर शासन व्यवस्था लागू की। जैनुल अबादीन ने अन्य क्षेत्रों में भी सहिष्णुता की उदार नीति अपनाई। उसने जज़िया कर हटा दिया। गाय का वध निषिद्ध कर दिया, हिन्दुओं की भावनाओं का आदर करते हुए सती प्रथा पर से प्रतिबन्ध हटा लिया। उसके प्रशासन में अनेक हिन्दुओं को ऊँचे पद प्राप्त थे। श्रीय भट्ट उसका न्यायमंत्री और दरबारी चिकित्सक था। उसकी पहली दो रानियाँ हिन्दू थीं। ये दोनों जम्मू के राजा की कन्याएँ थीं। उसके चार पुत्र उन्हीं से थे। उसने उन दोनों की मृत्यु के पश्चात् तीसरी शादी की। सुल्तान स्वयं एक विद्वान् व्यक्ति था और कविता करता था। वह फ़ारसी, कश्मीरी, संस्कृत और तिब्बती भाषाएँ भली-भाँति जानता था। वह संस्कृत और फ़रसी विद्वानों को संरक्षण देता था। उसके संकेत पर महाभारत जैसे अनेक संस्कृत ग्रंथों का तथा कल्हण के 'कश्मीर के इतिहास' (राजतरंगिणी) का फ़ारसी में अनुवाद हुआ। वह संगीत प्रेमी था। ग्वालियर के राजा ने उसके संगीत प्रेम के विषय में सुनकर उसे दो दुर्लभ संस्कृत संगीत ग्रंथ भेंट में भेजे थे। सुल्तान ने कश्मीर की आर्थिक उन्नति पर भी ध्यान दिया। उसने दो आदमियों को काग़ज़ बनाने तथा जिल्दसाज़ी की कला सीखने के लिए समरकंद भेजा। उसने कश्मीर में कई कलाओं को प्रोत्साहन दिया। जैसे पत्थर तराशना और उस पर पालिश करना, बोतलें बनाना, स्वर्ण-पत्र बनाना इत्यादि। सम्भवतः उसी ने तिब्बत से शाल बनाने की कला का आयात किया, जिसके लिए कश्मीर आज तक प्रसिद्ध है। दस्ती बंदूक बनाने और आतिशबाज़ी बनाने की कला का भी वहाँ विकास हुआ। सुल्तान ने काफ़ी संख्या में बाँध और पुल बनवाकर कृषि को विकसित किया। वह उत्साही निर्माता था। उसकी सबसे बड़ी अभियात्रा की उपलब्धि जैना का लंका का निर्माण है, जो वुलर झील में नकली टापू के रूप में है। यहीं उसने अपना महल और मस्जिद बनवाई। जैनुल अबादीन को कश्मीरी अभी भी 'बडशाह' (महान सुल्तान) के नाम से पुकारते हैं। यद्यपि वह महान् योद्धा नहीं था, फिर भी उसने लद्दाख पर मंगोल आक्रमण को विफल किया था। उसने बालटिस्तान क्षेत्र (जिसे तिब्बत-ए-ख़ुर्द कहा जाता है) को विजित किया, तथा जम्मू और राजौरी पर अपना अधिकार बनाये रखा। इस प्रकार उसने कश्मीर राज्य को एकता के सूत्र में पिरोया। जैनुल अबादीन का यश दूर-दूर तक फैल गया था। उसने भारत के अन्य बड़े शासकों तथा एशिया के बड़े शासकों से सम्पर्क बनाये रखा। अबादीन ने अपने शासन काल में अनेक जनप्रिय कार्य किए थे। अपने इन्हीं कार्यों के कारण उसे 'कश्मीर का अकबर' कहा जाता है। मूल्य नियंत्रण की पद्धति चलाने के कारण ही उसे 'कश्मीर का अलाउद्दीन ख़िलजी' भी कहा गया है। अबादीन की 1470 ई. में मृत्यु हो गई। वह कश्मीरी, फ़ारसी, अरबी और संस्कृत भाषाओं का विद्वान् था। वह 'कुतुब उपनाम' से फ़ारसी में कविताएँ भी लिखा करता था।
गले में 'राधे-राधे' का दुपट्टा और मंगलसूत्र. हाथ में लाल चूड़ियां और माथे पर लाल बिंदी. दो कमरे के घर में चारों तरफ पत्रकारों, कैमरों और माइक से घिरीं सीमा हैदर बहुत आत्मविश्वास के साथ सवालों के जवाब दे रही हैं. पास में ही उनके प्रेमी सचिन मीणा भी कुर्सी पर बैठे हुए हैं. देश के बड़े न्यूज़ चैनलों के एंकर, रिपोर्टर से लेकर दर्जनों की तादाद में यू-ट्यूबर सीमा से बात करने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. घर में लगी भीड़ के बीच सीमा के चार बच्चों को आसानी से पहचाना जा सकता है. कुछ पत्रकार इन बच्चों से 'हिंदुस्तान जिंदाबाद' के नारे लगवा रहे हैं और ऐसा करते हुए बच्चों को अपने कैमरे में शूट कर रहे हैं. बीच-बीच में कस्बे की कुछ महिलाएं और कुछ हिंदूवादी संगठनों के लोग भी मिलने के लिए आ रहे हैं. ये लोग आशीर्वाद देते हुए सीमा के हाथ में कुछ पैसे पकड़ा रहे हैं और अपनी तस्वीरें खिंचवा रहे हैं. उमस भरे माहौल के बीच घर में 'जय श्री राम' के नारे भी सुनाई देते हैं, तो वहीं कुछ लोग सीमा से घर में लगी तुलसी में पानी देने को भी कहते हैं. ये दृश्य उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा स्थित सचिन मीणा के घर के हैं. दोनों को जमानत मिलने के बाद यहां आने जाने वालों की भीड़ लगी हुई है. सुबह से हो रही तेज बारिश के बीच बीबीसी हिंदी की टीम भी सीमा हैदर और सचिन मीणा से मिलने के लिए पहुंची. कुछ घंटों के इंतजार के बाद सीमा और सचिन से बात करने के लिए हमारा नंबर आया. करीब बीस मिनट की बातचीत में दोनों ने दोस्ती से शुरू हुए प्यार, अवैध तरीके से भारत में एंट्री, जासूसी के आरोप, शादी, हिंदू धर्म में शामिल होने से लेकर उन तमाम सवालों के जवाब दिए जो इस वक्त लोगों के मन में उठ रहे हैं. पाकिस्तान की सीमा हैदर की शादी साल 2014 में जकोबाबाद के रहने वाले गुलाम हैदर से हुई थी. इस शादी से उन्हें चार बच्चे हुए. बाद में दोनों कराची शिफ्ट हो गए और साल 2019 में गुलाम हैदर काम के सिलसिले से सऊदी अरब चले गए. यही वो समय था जब सीमा की बातचीत सचिन मीणा से शुरू हुई और इसका जरिए बनी एक ऑनलाइन गेम. सीमा बताती हैं, "हमारी प्रेम कहानी की शुरुआत पब्जी खेलने से शुरू हुई. सचिन पुराने प्लेयर थे और मैं नई. मेरा 'पब्जी' पर मारिया ख़ान नाम था. सचिन ने मुझे गेम खेलने की रिक्वेस्ट भेजी थी. " सीमा बताती हैं, "तीन चार महीने गेम खेलने के बाद हम दोस्त बन गए. मैं वीडियो कॉल पर इन्हें पाकिस्तान दिखाती थी ये मुझे भारत. ये खुश होता था कि पाकिस्तान देख रहा हूं और मैं खुश होती थी कि मैं भारत देख रही हूं. खुशी होती है न कि दूसरे देश का बंदा आपसे बात करे. " प्यार, परवान चढ़ा तो सीमा ने सचिन से मिलने का फैसला किया, लेकिन यह सीमा के लिए आसान नहीं था. सीमा हैदर कहती हैं, "ऐसा नहीं है कि मैं पाकिस्तान से नफरत करती हूं, मैं वहां रही हूं, वहां मेरा बचपन बीता. मेरे भाई-बहन, मम्मी-पापा सब वहीं के हैं. मेरे मां-बाप की कब्र वहीं पर है. " अपने प्यार से मिलने के लिए सीमा हैदर ने नेपाल को चुना, लेकिन इसे चुनने के पीछे एक खास वजह थी. मुलाकात का वक्त और जगह तय होने पर सीमा ने नेपाल का टूरिस्ट वीजा लिया और शारजाह होते हुए काठमांडू पहुंचीं. सीमा बताती हैं, "पहली बार मैं 10 मार्च, 2023 को पाकिस्तान से निकली और शाम को काठमांडू पहुंच गई. मैं पहली बार हवाई जहाज से जा रही थी. जहाज उड़ा, तो मैं बिल्कुल बहरी सी हो गई थी. " काठमांडू में सचिन पहले से सीमा का इंतजार कर रहा था. सचिन के मुताबिक उन्होंने न्यू बस पार्क इलाके के न्यू विनायक होटल में एक कमरा किराए पर लिया जिसके लिए वो होटल मालिक को हर रोज 500 रुपये देते थे. सीमा हैदर के इंस्टाग्राम पर इस दौरान के कई ऐसे वीडियो पड़े हैं जिसमें दोनों काठमांडू की सड़कों पर घूमते हुए नजर आ रहे हैं. इसी दौरान दोनों ने एक बड़ा फैसला किया. सीमा बताती हैं, "हमने 13 मार्च को काठमांडू में पशुपति नाथ मंदिर में शादी की. एक टैक्सी वाले भाई की मदद से हम लोग शादी कर पाए. हमारे पास वीडियो भी हैं...मैंने खुद हिंदू धर्म अपनाया है. मुझे किसी ने दबाव नहीं डाला. " शादी तो हुई, लेकिन सीमा भारत नहीं आ पाईं, क्योंकि चार बच्चे कराची में उसका इंतजार कर रहे थे. वह लाहौर में एक दरगाह पर जाने का बहाना बनाकर सचिन से मिलने नेपाल आई थी. सीमा वापस पाकिस्तान तो चली आईं लेकिन अब यहां उनका दिल नहीं लग रहा था. दो महीने का वक्त बीता और सीमा ने हमेशा के लिए अपने बच्चों के साथ पाकिस्तान छोड़ने का फैसला कर लिया. इस बार सीमा का इरादा नेपाल के रास्ते भारत में दाखिल होने का था. सफर के लिए सीमा ने फिर से 10 मई तारीख को ही चुना, क्योंकि उनका मानना था कि यह तारीख उनके लिए किस्मत वाली साबित होगी, क्योंकि 10 मार्च को ही वे पहली बार सचिन से नेपाल में मिली थीं. सीमा कहती हैं, "दूसरी बार आना आसान था, क्योंकि एंट्री, एग्जिट और कनेक्टिंग फ्लाइट का पहले से पता लग गया था. 10 मई को अपने बच्चों के साथ मैं वहां (पाकिस्तान) से चली और 11 मई की सुबह काठमांडू पहुंच गई, फिर वहां से पोखरा गई और रात भर वहीं रुकी. " यहां सचिन उनका इंतजार कर रहे थे, जिसके बाद वह उन्हें रबूपुरा स्थित कमरे पर ले आया. यह कमरा चार दिन पहले ही सचिन ने गिरजेश नाम के व्यक्ति से 2,500 रुपये प्रति महीने के हिसाब से किराए पर लिया था. पोखरा से हर सुबह दिल्ली के लिए बस चलती है. करीब 28 घंटे के इस सफर में भारत-नेपाल की सरहद पड़ती है, जहां सभी यात्रियों की चेकिंग होती है, लेकिन सीमा ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था को आसानी से भेद दिया. सीमा के पति गुलाम हैदर ने सऊदी अरब से अपील की है कि उनकी पत्नी और बच्चों को वापस पाकिस्तान भेज दिया जाए. वहीं सीमा का कहना है कि गुलाम हैदर से उनकी शादी जबरन करवाई गई थी और उन्होंने उसे तलाक दे दिया है, जबकि गुलाम हैदर का कहना है कि उनके बीच में तलाक नहीं हुआ है. वे बताती हैं, "पाकिस्तान में भी 18 साल की लड़की को इजाजत है कि कोई भी फैसला ले सकती है. मैं आज 27 साल की हूं. मैं अपनी जिंदगी का फैसला ले सकती हूं. ऐसा भी नहीं है कि मैं औरत हूं, तो आदमी से तलाक नहीं ले सकती. " बीबीसी उर्दू से बातचीत में सीमा के ससुर मीर जान जख़रानी ने आरोप लगाया कि वह घर से भागते हुए सात लाख रुपये और सात तोला सोना लेकर गई है. सीमा हैदर जिस तरीके से भारत में दाखिल हुईं, उसे देखने के बाद कई लोगों ने उन पर आरोप लगाए कि वे पाकिस्तान की जासूस हैं. पाकिस्तानी सेना में उनके भाई की नौकरी, उनके पास से चार मोबाइल फोन की बरामदगी ने भी लोगों के मन में शक को गहरा कर दिया. इन आरोपों पर बोलते हुए सीमा ने कहा, "मैं जासूस नहीं हूं. सचिन से प्यार के चक्कर में मैंने घर से बाहर घूमना शुरू किया. पासपोर्ट बनवाए. हमारे यहां घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती. " सीमा का कहना है कि अब वे भारत में ही रहना चाहती हैं और सचिन के साथ खुश हैं, लेकिन अपनी बहनों को याद कर उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं. फिलहाल जमानत मिलने के बाद सीमा और सचिन अब साथ-साथ हैं. धर्मों और देशों की सरहदों को पार करने वाली ये कहानी आगे कहां पहुंचती है, देखना दिलचस्प होगा. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं. )
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन एवं राष्ट्रीय पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, आज जरूरत इस बात की है कि सहकारी क्षेत्र को किसानों और ग्रामीणों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सक्षम बनाया जाए। इसके लिए हमें सहकारी बैंकों को राष्ट्रीयकृत बैंकों के समान ही मजबूत बनाने की जरूरत है। साथ ही इन बैंकों से उद्यानिकी और कैश क्रॉप के लिए भी ऋण देने की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, देश के सहकारिता आंदोलन का सबसे बड़ा उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का समर्थन मूल्य दिलाना होना चाहिए। ऐसी कोशिश होनी चाहिए कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल सके। कहा, अभी सहकारी आंदोलन को और अधिक संगठित कर मजबूत बनाने की आवश्यकता है। देश के विभिन्न राज्यों की सहकारी क्षेत्र की नीतियों की अच्छाइयों को स्वीकार कर और सहकारी क्षेत्र की कमियों को दूर कर आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि ऋण, खाद-बीज की उपलब्धता के साथ सहकारी क्षेत्र से और अधिक सरकारी योजनाओं को जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, लघुवनोंपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी, गौठानों में महिला समूह द्वारा तैयार वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय जैसी विभिन्न योजनाओं और गतिविधियों को सहकारी बैंकों से जोड़ा गया है। छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक (Apex Bank) और नेशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट कोआपरेटिव बैंक्स की ओर से रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित इस सम्मेलन में देश भर से प्रतिनिधि आए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सम्मेलन में देशभर की सहकारिता समितियों को अलग-अलग श्रेणी में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कृत किया। इस अवसर पर उन्होंने अपेक्स बैंक की स्मारिका और जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक रायपुर की ओर से प्रकाशित किसान किताब का विमोचन भी किया। सम्मेलन की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने की। वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा, संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा, पूर्व सांसद एवं कृभको के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव, नेशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट कोऑपरेटिव बैंक्स मुंबई के अध्यक्ष कोंडरू रविंदर राव, अध्यक्ष नाफेड एवं दिल्ली स्टेट को ऑपरेटिव बैंक डॉ विजेंद्र सिंह, बिहार स्टेट कोऑपरेटिव मार्केटिंग यूनियन के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार सिंह, छत्तीसगढ़ अपेक्स बैंक के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर आदि आयोजन में प्रमुखता से शामिल थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने वाले अन्नदाता किसानों को अब ऊर्जा दाता बनाने की जरूरत है। एफसीआई में देश की तीन वर्ष की जरूरत का अनाज जमा है। हमारी आवश्यकता से अधिक अनाज का उत्पादन हो रहा है। केन्द्र को अनाज से भी एथेनॉल उत्पादन की अनुमति देनी चाहिए। इसके लिए यह भी जरूरी है कि राज्य सरकार द्वारा किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई उपज का उपयोग एथेनॉल प्लांट में किया जाए। तभी किसानों को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा, एथेनॉल प्लांट लगने से रोजगार के अवसर निर्मित होंगे और पेट्रोलियम पदार्थाें पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की बचत होगी। देश आने वाले समय में पेट्रोलियम के मामले में आत्मनिर्भर बन सकेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, कृषि के क्षेत्र में मशीनीकरण और मवेशी बाजार बंद होने से किसानों और पशुपालकों के लिए आज पशुपालन अनार्थिक हो गया है। मवेशी इनके लिए बोझ बन गए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने दो रुपए किलो में गोबर खरीदी की गोधन न्याय योजना से इसका समाधान पेश किया। इस गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, दीये, गमला जैसे उत्पाद महिलाएं तैयार कर रही है। अब गोबर से प्राकृतिक पेंट और बिजली बनाने का काम भी शुरू किया गया है। गोबर बेचने के साथ-साथ उससे तैयार उत्पादों में लोगों को आय का जरिया मिला है। छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत अब तक 68 लाख क्विंटल गोबर खरीदा जा चुका है और गोबर विक्रेताओं को 136 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। इसको देखकर झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी इसकी शुरुआत हो रही है। This website follows the DNPA Code of Ethics.
शिवपुरी के करैरा में चोरों ने एटीएम को डायनामाइट लगाकर उड़ा दिया। धमाके के साथ एटीएम मशीन के परखच्चे उड़ गए और उसमें भरे सात लाख रुपये सड़क पर फैल गए। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस भी माैके पर पहुंच गई। शिवपुरी, जेएनएन। मध्य प्रदेश के शिवपूरी से चोरी की एक चौका देने वाली घटना सामने आई है। यहां बदमाशों ने एटीएम से पैसे चुराने के चक्कर में उसे डायनामाइट लगाकर ही उड़ा दिया। धमाका इतना जोरदार था कि एटीएम के परखच्चे उड़ गए और सारा पैसा जमिन पर बिखर गया। धामाके की आवाज सुनकर लोगों की भीड़ जुटने लगी, जिसे देखकर बदमाश सारा कैश छोड़कर भाग गए। एटीएम में इस तरह से चोरी का यह पहला मामला है। घटना शिवपुरी जिले के करैरा इलाके की है। यहां पुराना बस स्टैंड पर इंडिया नंबर वन का एटीएम लगा हुआ था। जानकारी के मुताबिक इस एटीएम पर सिक्युरिटी गार्ड नहीं था, जिसके कारण बदमाश एटीएम को उड़ाने में कामयाब हो गए। घटना मंगलवार-बुधवार रात करीब ढ़ाई बजे की है। सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और अज्ञात चोरों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है। मौके पर पहुंची पुलिस को घटना स्थल से करीब सात लाख रुपये बरामद हुए हैं। पुलिस को 6 लाख 72 हजार 500 रुपये के नोट सही सलामत मिले हैं। वहीं 28 हजार रुपये के कटे-फटे नोट मिले हैं। पुलिस ने एटीएम का संचालन करने वाली कंपनी से भी जानकारी मांगी है। कंपनी के कर्मचारियों के अनुसार सर्वर में देखने के बाद ही बताया जा सकेगा कि एटीएम में कुल कितने रुपये थे और इसमें से कितने रुपये बदमाश लेकर भागे हैं। वहीं, पुलिस आसपास के सभी सीसीटीवी फुटेज भी खंगालने में जुट गई है। इसके साथ ही पुलिस इस बात का भी पता लगाने में जुटी है कि बदमाशों को डायनामइट कहां से मिला था। बता दैं कि डायनामाइट से एटीएम में ब्लास्ट करने के लिए बदमाशों ने पास में ही मौजूद ट्रांसफार्मर से बिजली की सप्लाई ली थी। जैसे ही एटीएम मशीन में ब्लास्ट हुआ तो तारों की वजह से ट्रांसफार्मर में भी ब्लास्ट हो गया था। बता दें कि करीब एक साल पहले भी इसी तरह की घटना खनियांधाना में देखने को मिली थी। यहां चोरों ने एटीएम लूटने के लिए बारूद का इस्तेमाल किया था, लेकिन कामयाब नहीं हो सके थे। एटीएम में बड़ा ब्लास्ट नहीं हो पाया था। उस समय पास में ही रहने वाले खनियांधाना के तहसीलदार और चौकीदार ने घटना में रुपये लूटने से बचा लिए थे।
अपने विवादास्पद बयानों से सुर्खियों में रहने वाले त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब के एक नए बयान में फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उनके बयान से आम आदमी पार्टी इतनी नाराज है कि उसने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री का इस्तीफा ही मांग लिया है। कैलाश गहलोत ने बिप्लब देब के बयान पर नाराजगी जताई और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से पूछा है कि, 'क्या वह जाट नहीं हैं? अगर आप जाट हैं तो क्या आप मंदबुद्धि हैं, क्या आप पागल हैं? अगर आप पागल हैं, मंदबुद्धि हैं तो आप डिप्टी सीएम कैसे बने? अगर आप मंदबुद्धि नहीं है, पागल नहींं है तो बिप्लब देब का इस्तीफा मांगिए। पूरी आम आदमी पार्टी बिप्लब देब के इस्तीफे की मांग करती है कि अगर किसी सीएम की ऐसी सोच है तो उसे सीएम रहने का कोई हक नहीं है। मैं भाजपा की सीनियर लीडरशिप से भी पूछना चाहता हूं कि आपने बिप्लब देब के खिलाफ क्या कार्रवाई की है। ' दरअसल बिप्लब देब ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि, 'अगर हम पंजाब के लोगों की बात करें तो हम कहते हैं, वह एक पंजाबी हैं, एक सरदार हैं! सरदार किसी से नहीं डरता। वे बहुत मजबूत होते हैं लेकिन दिमाग कम होता है। कोई भी उन्हें ताकत से नहीं बल्कि प्यार और स्नेह के साथ जीत सकता है। ' उन्होंने आगे कहा था, 'मैं आपको हरियाणा के जाटों के बारे में बताता हूं। तो लोग जाटों के बारे में कैसे बात करते हैं. . . वे कहते हैं. . . जाट कम बुद्धिमान हैं, लेकिन शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। यदि आप एक जाट को चुनौती देते हैं, तो वह अपनी बंदूक अपने घर से बाहर ले आएगा। ' दोनों समुदायों से माफी मांगते हुए बिप्लब देब ने कहा कि, अगर मेरे बयान से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो उसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से क्षमाप्रार्थी हूं। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, 'अगरतला प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में मैंने अपने पंजाबी और जाट भाइयों के बारे मे कुछ लोगों की सोच का जिक्र किया था। मेरी धारणा किसी भी समाज को ठेस पहुंचाने की नहीं थी। मुझे पंजाबी और जाट दोनों ही समुदायों पर गर्व है। मैं खुद भी काफी समय तक इनके बीच रहा हूं। ' दोनों समुदाय से माफी मांगते हुए बिप्लब देब ने कहा, मेरे कई अभिन्न मित्र इसी समाज से आते हैं। अगर मेरे बयान से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो उसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से क्षमाप्रार्थी हूं। देश के स्वतंत्रता संग्राम में पंजाबी और जाट समुदाय के योगदान को मैं सदैव नमन करता हूं और भारत को आगे बढ़ाने में इन दोनों समुदायों ने जो भूमिका निभाई है उसपर प्रश्न खड़ा करने की कभी मैं सोच भी नहीं सकता हूं। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
अय्यर ने कहा है कि कोलकाता की टीम को आक्रामक क्रिकेट खेलना पसंद है और वो भी इसी अंदाज में खेलना पसंद करते हैं। वो चाहेंगे कि आईपीएल 2022 में उनकी टीम पहली गेंद से ही आक्रामक क्रिकेट खेले। कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान श्रेयस अय्यर ने आईपीएल 2022 की शुरुआत से पहले अपने प्लान को लेकर बात की है। उन्होंने बताया है कि उन्हें शुरुआत से ही आक्रामक क्रिकेट खेलना पसंद है और वो चाहेंगे कि उनकी टीम इस सीजन में इसी अंदाज में खेले। अय्यर इससे पहले दिल्ली की टीम के कप्तान रहे चुके हैं और उनकी अगुवाई में टीम फाइनल तक पहुंची थी। उन्होंने यह भी बताया कि टीम मैंनेजमेंट के साथ उन्होंने कई बार बैटिंग ऑर्डर को लेकर बात की है। हालांकि, उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि इस सीजन टीम का बैटिंग ऑर्डर क्या होगा और वेंकटेश अय्यर किस नंबर पर खेलेंगे। अय्यर को केकेआर ने नीलामी में 12. 25 करोड़ रुपये में खरीदा था। टीम का कप्तान बनाए जाने के बाद अपनी फ्रेंचाइजी की आधिकारिक वेबसाइट के लिए बातचीत में उन्होंने कहा "जब मैं केकेआर के खिलाफ खेला हूं, तो वे एक टीम के रूप में आक्रामक और निडर रहे हैं। पहली गेंद से ही, वे आपको बैकफुट पर रखना पसंद करते हैं। आपको ऐसी मानसिकता रखने की जरूरत है और एक बल्लेबाज के रूप में मेरी भी यही मानसिकता है। कप्तान के रूप में मैं टीम से यही सोच चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि हम वहां जाएं, जितना संभव हो सके अपना स्वाभाविक खेल खेलें, अगर हम सस्ते में आउट होते हैं तो बहुत पछतावा नहीं होता है। आप जो कुछ भी करते हैं वह टीम के लिए करते हैं और खुद को पीछे रखते हैं। " केकेआर के लिए पिछले साल शुभमन गिल और वेंकटेश अय्यर ने पारी की शुरुआत की थी। वेंकटेश ने 10 मैचों में 41. 11 के औसत के साथ 370 रन बनाए थे और टीम की सफलता में अहम योगदान दिया था। इस साल एलेक्स हेल्स के बाहर होने पर वेंकटेश के साथ रहाणे पारी की शुरुआत कर सकते हैं। इस पर श्रेयस ने कहा, "उनके बल्लेबाजी क्रम को लेकर हमने अभी कुछ तय नहीं किया है। मुझे कोच और प्रबंधन के साथ बातचीत करने की जरूरत है। " अय्यर ने आगे कहा "जब मैंने भारत के लिए खेलते हुए वेंकी के साथ ये बातचीत की थी, तो हम उसे जिस भी स्थान पर मौका मिलता है वह खेलने के लिए तैयार है। वह बहुत लचीला है। उसने केकेआर के लिए टॉप ऑर्डर में अच्छा प्रदर्शन किया है। वह एक टीम मैन है, मैंने उसे मैदान पर देखा है। जब भी मैंने उससे पूछा कि हम एक टीम के रूप में कैसे करेंगे, वह हमेशा सकारात्मक होता है और जीतने की बात करता है। " श्रेयस खुद भारत के लिए पांचवें नंबर पर खेलते हैं। हालांकि, कोलकाता के लिए वह अपने पसंदीदा स्थान तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करना पसंद करेंगे। उनका कहना है कि टीम को जहां भी उनकी जरूरत है, वहां खेलने में सहज हैं। उन्होंने कहा "आप मूल रूप से खुद को एक किसी एक काम के लिए तय नहीं कर सकते। यह बदल सकता है। एक दिन मैं पावर हिटर हो सकता हूं और दूसरे दिन पारी को संभालने का काम कर सकता हूं। भूमिकाएं परिस्थितियों के अनुसार बदल सकती हैं। आप पारी को एंकर करने के लिए एक विशेष खिलाड़ी पर भरोसा नहीं कर सकते। " श्रेयस ने कहा "मूल रूप से टीम के सभी खिलाड़ियों को जिम्मेदारी लेनी होती है। व्यक्तिगत रूप से, मुझे तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करना पसंद है और मुझे लगता है कि यह मेरे लिए सही जगह है क्योंकि मैं उस स्थान पर बहुत लंबे समय से बल्लेबाजी कर रहा हूं। हालांकि, मैं लचीला हूं और जहां भी मेरी टीम को मेरी जरूरत है वहां बल्लेबाजी करने में खुशी होती है। मैं इसके साथ सहज हूं। " हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा गठित तीन सदस्यीय जाँच पैनल ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। जाँच पैनल को सीजेआई रंजन गोगोई के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों का कोई सबूत नहीं मिला। इस पैनल का नेतृत्व जस्टिस एसए बोडबे कर रहे थे। उन्होंने बताया कि पैनल की रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश एवं दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को सबमिट कर दी गई है। चूँकि यह एक अनौपचारिक जाँच थी, इसीलिए इस जाँच की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। बता दें कि 20 अप्रैल को कई मीडिया पोर्टल्स द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट्स में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन शोषण के आरोप लगाने की बात कही गई थी। उक्त महिला कर्मचारी जस्टिस गोगोई के आवास स्थित दफ्तर में कार्यरत थीं। उस महिला द्वारा 22 जजों को दी गई एफिडेविट के आधार पर ये आरोप लगाए गए थे। उस एफिडेविट में महिला ने यौन शोषण की दो घटनाओं का जिक्र किया था। महिला का आरोप था कि जब उन्होंने यह सब करने से इनकार किया, तब उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। तीन जजों वाली इन-हाउस कमिटी ने कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी। इस कमिटी में जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस इंदु मल्होत्रा भी शामिल थीं।
हो जाएगा, यह लगभग नगण्य है। तो ऐसे मामले में प्रबल तापीय प्रतिरोध क्षेत्र 4 द्वारा होगा जिसे मैं अभी दिखाया। इसलिए अन्य सभी क्षेत्र के तापीय प्रतिरोध को नगण्य लेकर, किसी भी समय तापमान का वितरण नीचे की आकृति में दिखाया गया आकार लेता है। तो यहाँ मोल्ड मेटल इंटरफ़ेस या कास्टिंग सतह का तापमान 8 समय के साथ अचर माना जा सकता है, क्योंकि मोल्ड भी पानी से ठंडा है। इसलिए आपके पास एक पूरी तरह से पानी से ठंढा मोल्ड है, तो जाहिर है कि इस विशेष धातु की सतह का तापमान अचर होगा, तो हम मान लें कि तापमान 08 80 है, और हम हिमांक (freezing point) को 8 मान लेते हैं, जो कि पोरिंग तापमान से अलग नहीं है, तो e = 6 है। तो यह धातु के हिमांक को इंगित करता है और किसी समय t पर 8(t) ठोसीकरण के गहराई को इंगित करता है जैसा कि आप देख सकते हैं। यह ठोस तरल फ्रंट है और यह आगे dS (t) से बढ़ रहा है और 8 (t) उस शेल की तात्कालिक मोटाई है जो यहां विकसित किया जा रहा है ठोस शेल और प्रक्रिया को एक आयामी ऊष्मा हस्तांतरण (heat transfer) समस्या के रूप में बहुत कम त्रुटि के साथ आदर्श बनाया जा सकता है क्योंकि हमारे पास लगभग एक ऊष्मा अवशोषक (heat sink) है मोल्ड के रूप में क्योंकि यह पानी से ठंडा मोल्ड है और इसलिए ऊष्मा हस्तांतरण आम तौर पर एक आयामी होगा। अधिकतम तापीय प्रतिरोध जो इस तरल को दिया जाता है हिमांक पर वास्तव में साँचे का ठोस भाग होता है और इसका दूसरा सिरा वास्तव में एक अचर तापमान सतह या अचर कास्टिंग सतह तापमान 8 होता है। तो आइए हम इसे देखते हैं इस तरह की समस्या वास्तव में क्या होती है या कैसे होती है, ठोसीकरण समय का अनुमान क्या होगा । (स्लाइड समय 03:57 देखें ) तो आइए हम ठोसीकरण समय का अनुमान लगाते हैं, इसलिए हमें वास्तव में d8 (ts) = 2 मिलता है। हम यहाँ मोल्ड की मोटाई या कास्टिंग मोटाई h के बराबर मानते हैं, इसलिए कास्टिंग के दोनों ओर से ऊष्मा हस्तांतरण होता है इसलिए h/2 वास्तव में एक सतह है जिसके साथ दोनों तरफ से ठोसीकरण आगे बढ़ता है और रुकता है। तो तापमान का प्रोफ़ाइल रेंज X के भीतर 0 और 8 (1) के बीच 00. (2) होता है। मुझे लगता है कि पहले इस के बारे में बात की थी जब हमने रेत के सांचे में तापीय चालकता और तापमान वितरण का प्रश्न किया था। इसलिए मैं यह बताने नहीं जा रहा हूं कि यह समीकरण कैसे आया या आप पहले से ही जानते हैं कि यह एक सिमिलरिटी वैरिएबल विश्लेषण ( similarity variable analysis) और एक आयामी ऊष्मा हस्तांतरण समस्या से आया है जो हमने वास्तव में हल की थी रेत मोल्ड के मामले में । इसलिए इस मामले में मैं सिर्फ उल्लेख करूंगा कि 0 एक इंटेग्रेशन अचर है और हम इसके बारे में परेशान नहीं होंगे क्योंकि अंततः अपने लिए इस मान का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है गणना में, इसलिए यह एक इंटेग्रेशन अचर है यदि आप पूरी प्रक्रिया को याद करते हैं हल करने की, जहां कई ऐसे इंटेग्रल थे जिन्हें का वास्तविक मान का अनुमान लगाने के लिए तैयार किया गया था। एक Qs मूल रूप से सांचे की तापीय डिफ्यूजीविटी (thermal diffusivity) है जो वास्तव में मोल्ड की तापीय चालकता के प्रति इकाई घनत्व से दी जाती है। तो x = 8 (t) पर 8 = 8 है तो अगर इस मां को समीकरण में डालें तो Of Os है, जो आपको याद = a 2Vast Ocx - Os दिलाता है कि यह कास्टिंग सतह का तापमान है। तो आप यह मान रहे हैं कि मोल्ड पानी से ठंडा होता है और अवशोषक के रूप में कार्य करता है, इसलिए यह वास्तव में बदल नहीं सकता क्योंकि हिमांक और कास्टिंग की सतह का तापमान समान है और 0w और 0, इंटेग्रेशन अचर हैं और इसलिए यह वास्तव में एक अचर 1 है। आइए हम इसे अचर 1 कहते हैं, इसलिए अब हमारे पास है। (स्लाइड समय 07:20 देखें) अनुपात 5=1000 के रूप में परिभाषित किया गया है और दूसरे शब्दों में 8 (1) = 25 Var है है। मान लो x = 8(t) है। तो आगे हम मान लेते हैं कि एक अन्य और हमारे पास (८) = ^ है। एक बार फिर, हम पाते हैं कि ठोसीकरण की गहराई समय के वर्गमूल के रूप में बदलती है जैसा आप यहां देख सकते हैं। अब ठोसीकरण के समय का पता लगाने के लिए ६ का निर्धारण किया जाना चाहिए, इन दो समीकरणों के साथ। तो आइए हम ठोस, तरल इंटरफेस में ऊर्जा संतुलन (energy balance) या ऊर्जा प्रवाह की दर पर विचार करें। हमारे पास ks (2)x=8 = Pm LG है। यह है मोल्ड, यह ठोस हिस्सा है और यह मूल रूप से तरल हिस्सा है इसलिए हम इस_x = 8 के बारे में बात कर रहे हैं समय के फलन के रूप में। तो अगर वहाँ एक गहराई है तो ks (24)xs =PL होना चाहिए ।
- शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि नवाब मलिक का इस्तीफा नहीं लिया जाएगा और लड़ाई लड़ी जाएगी। - संजय राउत ने केंद्र सरकार पर बरसते हुए 'अफजल खान', 'कंस' और 'रावण' का जिक्र किया। मुंबईः प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री नवाब मलिक को बुधवार को भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों से जुड़े धन शोधन मामले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया। मलिक की गिरफ्तारी से महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक भूचाल आ गया और चारों तरफ से बयानबाजी होने लगी। इसी कड़ी में शिवसेना के नेता संजय राउत ने केंद्र सरकार पर बरसते हुए 'अफजल खान', 'कंस' और 'रावण' का जिक्र किया। राउत ने कहा कि नवाब मलिक का इस्तीफा नहीं लिया जाएगा और लड़ाई लड़ी जाएगी। राउत ने कहा, 'महा विकास आघाडी से जब सामने-सामने नहीं लड़ सके, तब पीठ पीछे अफजल खान की तरह वार किया है, करने दो। एक मंत्री को कपट से अंदर डालने का काम करके किसी को आनंद आ रहा है तो आने दीजिए। नवाब मलिक से हम इस्तीफा नहीं लेंगे, हम लड़ेंगे और जीतेंगे। कंस और रावण को भी मारा गया था। यही हिंदुत्व है। जय महाराष्ट्र। ' इससे पहले राउत ने कहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसियां 'माफिया' की तरह बीजेपी के उन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बना रही हैं जिन्होंने उनके झूठ को उजागर किया है। राउत ने कहा, 'यह महाराष्ट्र सरकार के लिए एक चुनौती है। केंद्रीय एजेंसियां माफिया की भांति बीजेपी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बना रही हैं जो उनके झूठ को उजागर करते हैं। लेकिन सच की जीत होगी और लड़ाई जारी रहेगी। यह 2024 तक जारी रहेगा और उसके बाद उन्हें नतीजा भुगतना होगा। मैंने महा विकास आघाडी सरकार के सभी वरिष्ठ नेताओं से बात की है। मैं जल्द ही केंद्रीय जांच एजेंसियों के बारे में खुलासा करूंगा। ' बता दें कि इससे पहले ईडी राउत के करीबियों के यहां भी छापे मार चुकी है और पीएमसी बैंक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी पत्नी वर्षा राउत से पूछताछ कर चुकी है।
यह विषय दुखी है, लेकिन उसे अपनी आंखें बंद करने के लिएअस्तित्व असंभव है। दुर्भाग्यवश, कई पिता जैविक अर्थ और औपचारिक रूप से ऐसे ही हैं। उनके लिए बच्चे, सबसे अच्छे से, कुछ भी मतलब नहीं है, बदतर में - वे बच्चे की कीमत पर अपनी दुर्भाग्य और आत्म-पुष्टि को हटाने का उद्देश्य हैं। और सभी मामलों में मां बच्चे के साथ तथाकथित पिता के संचार को सीमित कर सकती है। और किसी बिंदु पर, यह पिता की उपस्थिति है, न कि उनकी अनुपस्थिति, जो मुख्य परिवार की समस्याओं में से एक बन जाती है। यह भी अजीब बात है कि सामाजिक कार्यकर्ता अक्सरइस तरह के उत्साह माताओं कि अपने बच्चों के बहुत शौकीन हैं, लेकिन गरीब हैं, अगर यह पिता के माता पिता का अधिकार से वंचित है की माता पिता का अधिकार से वंचित करने के लिए अपील कर, बस स्थिति की अनदेखी के साथ। सीधे शब्दों में कहें, सामाजिक सुरक्षा मुख्य रूप से माता-पिता की वित्तीय स्थिति की ओर ध्यान खींचता है, और अगर यह बहुत मामूली है, यह अपने दम पर पहल लेता है। लेकिन अगर मां जिस स्थिति में यह एक लंबे समय के अदालतों के आसपास चलाने के लिए होगा और उनके मामले का बचाव करने के लिए एक बेकार पिता माता पिता का अधिकार, वंचित करने के लिए कोशिश कर रहा है। ऐसा क्यों होता है अस्पष्ट है, लेकिन तथ्यएक तथ्य बनी हुई है। अगर कोई महिला अपने माता-पिता के अधिकारों को वंचित करने के लिए ऐसा कदम उठाने का फैसला करती है, तो उसे इस तथ्य के लिए तैयार रहना होगा कि यह प्रक्रिया एक दिन नहीं हो सकती है। और कारणों को सम्मानित नहीं होना चाहिए, न केवल मामले जीतने के लिए, बल्कि यह भी क्योंकि यह आपके समय और नसों को बचाता है। सामान्य रूप से, इससे पहले कि आप कैसे वंचित रहेंपिता के माता-पिता के अधिकार, आपको कारणों के बारे में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है। अगर किसी मां के बारे में उसकी शिकायतें होती हैं, तो बच्चों के बारे में बहुत कम - उदाहरण के लिए, उसने बच्चे के जन्म से पहले गर्भपात पर जोर दिया - तो शायद, दावा व्यक्तिगत है और पूरी तरह से उचित नहीं है। एक बार गलती करने के बाद, एक आदमी अंततः सबकुछ महसूस कर सकता है, हम सभी गलतियां करते हैं। शायद भविष्य में एक बच्चा उसे माफ कर देगा और उसके साथ संवाद करना चाहता है। यह एक और बात है जब पिताजी उनकी मौजूदगी के साथया अस्तित्व कल्याण, स्वास्थ्य या यहां तक कि बच्चों के जीवन को भी धमकाता है। इन मामलों में, विशेष रूप से अंतिम दो, यह वास्तव में अपने आप को बचाने के लिए उपयुक्त है, इसमें अधिकतम प्रयास करना। जब स्थिति इतनी तेज हो जाती है, तो शायद अदालत में रिकॉर्ड का इस्तेमाल सबूत के रूप में करने के लिए एक छिपे हुए कैमरे को खोलने के लिए भी समझ में आता है। पिता के माता-पिता के अधिकारों की कमी के रूप में ऐसी प्रक्रिया का सहारा लेना वास्तव में संभव और आवश्यक कब है? न्याय इस तरह के कारणों की पहचान करता हैः 1. मां पिता के साथ नहीं रहती है, वह बच्चे के जीवन में रूचि नहीं दिखाता है, वित्तपोषण नहीं करता है या शायद ही उसे वित्त पोषित करता है। 2. वही (पी .1), लेकिन, इसके अलावा, मां पहले से ही किसी अन्य व्यक्ति के साथ रह रही है जिसके बच्चे हैं और उसे अपनाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास एक और पिता है। 3। अगर मेरी मां अपने निवास स्थान और विदेश जाने जा रही है, तो अपने पिता की अनुमति के बिना ऐसा करना असंभव है। किसी भी कारण से, किसी भी तर्क से रहित, पिता जो अपने बच्चों के जीवन में शामिल नहीं हैं, जिन्होंने उन्हें महीनों तक नहीं देखा है, अक्सर एक बच्चे को विदेश जाने से रोकते हैं। 4. पिता समाज के लिए खतरनाक हैः पागल, मानसिक रूप से बीमार। 5. एक आदमी दुर्भावनापूर्ण रूप से गुमनाम के भुगतान से बचता है। 6. पिता एक पुरानी शराब या नशे की लत है। उपर्युक्त कारणों के अलावा, प्राकृतिकअगर वह गंभीर रूप से बच्चे को मारता है तो पिता के माता-पिता के अधिकारों के वंचित होने के खिलाफ मुकदमा दायर कर रहा है। यहां साक्ष्य की आवश्यकता है, चोट पर्याप्त नहीं होगी। बच्चे की गंभीर उम्र में, उनकी गवाही सबूत माना जाएगा।
नई दिल्ली (एएनआई): मंगलवार को वर्चुअल प्रारूप में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अफगान धरती का इस्तेमाल अपने पड़ोस को अस्थिर करने के लिए करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। एससीओ प्रमुखों की शिखर बैठक में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मानवीय सहायता और काबुल में निर्वाचित सरकार स्थापित करना एससीओ की प्रमुख प्राथमिकताएं हैं. "अफगानिस्तान की स्थिति ने क्षेत्र की सुरक्षा को सीधे प्रभावित किया है। अफगानिस्तान के लिए भारत की चिंताएं और आकांक्षाएं अन्य एससीओ देशों के समान हैं। हमें अफगान लोगों के कल्याण के लिए सामूहिक रूप से काम करना होगा। अफगान नागरिकों को मानवीय सहायता, एक गठन निर्वाचित और समावेशी सरकार, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के खिलाफ लड़ना और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करना- ये सभी हमारी साझा प्राथमिकताएं हैं। " पीएम मोदी ने यह भी कहा कि सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण संरक्षण एससीओ के लिए भारत के दृष्टिकोण के स्तंभ हैं। शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित अन्य ने भाग लिया। भारत 2005 में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में एससीओ में शामिल हुआ और 2017 में अस्ताना शिखर सम्मेलन में समूह का पूर्ण सदस्य बन गया। सितंबर 2022 में समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन में, भारत ने पहली बार उज्बेकिस्तान से एससीओ की अध्यक्षता संभाली। (एएनआई)
यह ध्यान दिया जाता है कि प्रौद्योगिकी पहले से ही जमीन-आधारित संचार परिसर के हिस्से के रूप में आवश्यक परीक्षण से गुजर रही है। यूनाइटेड इंस्ट्रूमेंट मेकिंग कॉर्पोरेशन सर्गेई स्कोकोव के डिप्टी जनरल डायरेक्टर ने कहा कि नई तकनीक को डेटा ट्रांसफर स्पीड के मामले में सैटेलाइट से नहीं उपजना चाहिए। सर्गेई स्कोकोवः हमारी चिंता के विकास में, "तारामंडल", मौलिक रूप से नए दृष्टिकोण लागू किए गए हैं जो कई बार डेटा ट्रांसफर गति को बढ़ाने और तीन बार - उपकरण को हस्तक्षेप और सुनने से बचाने के लिए अनुमति देते हैं। अब सिस्टम का परीक्षण किया जा रहा है, समानांतर में, हम सॉफ्टवेयर को अंतिम रूप दे रहे हैं, जो उपकरण की गति और सीमा को और बढ़ाएगा। यह ध्यान दिया जाता है कि नई तकनीक प्राकृतिक और कृत्रिम रूप से बाधित दोनों की स्थितियों में सूचनाओं के आदान-प्रदान की अनुमति देती है। इसके अलावा, संचार की विश्वसनीयता एक नए ब्रॉडबैंड तरंग के उपयोग के कारण है, जो तथाकथित आवृत्ति ट्यूनिंग का उपयोग करता है। यह ऐसा रूप है जो आपको हस्तक्षेप पर ध्यान नहीं देने की अनुमति देता है। रेडियो स्टेशन स्वयं लघु तरंग दैर्ध्य रेंज में संचालित होता है, जिसे पारंपरिक रूप से अविश्वसनीय और खराब संरक्षित माना जाता है। नई तकनीक इस स्टीरियोटाइप को चुनौती देने की अनुमति देती है। 2017 वर्ष के लिए सभी आवश्यक परीक्षणों को पूरा करना निर्धारित है।
यह अध्ययन अर्थव्यवस्था के वित्त-तटस्थ आउटपुट अंतराल (एफएनओजी) का संदर्भ, औचित्य और विश्लेषणात्मक ढांचा उपलब्ध कराता है। पारंपरिक (मुद्रास्फीति-तटस्थ) उपाय में, मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था की स्थिति का मुख्य संकेतक है, अन्य शब्दों में इस उपाय में अर्थव्यवस्था में असंतुलन मुख्य रूप से उच्च या न्यून मुद्रास्फीति में प्रतिबिंबित होता है। तथापि, एफएनओजी में, आधिक्य क्रेडिट वृद्धि और असंधारणीय आस्ति बाजार प्रतिफल के रूप में वित्तीय चरों के उच्च स्तर मुद्रास्फीति की अपेक्षा असंतुलन के मुख्य स्रोत हैं। भारतीय संदर्भ में पारंपरिक आउटपुट अंतराल बनाम एफएनओजी दोनों के बीच उल्लेखनीय विचलन दर्शाता है। नवीनतम आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में एफएनओजी हाल की तिमाहियों में क्रेडिट वृद्धि में अभिवृद्धि और गतिशील आस्ति बाजार स्थितियों के कारण पारंपरिक आउटपुट अंतराल की तुलना में तेजी से बंद हुआ है। आउटपुट अंतराल "संभावित आउटपुट" से वास्तविक आउटपुट का विचलन दर्शाता है, संभावित आउटपुट को आर्थिक गतिविधि के अधिकतम स्तर के रूप में परिभाषित किया गया है जिसे पूरी क्षमता से परिचालित होने पर कोई अर्थव्यवस्था हासिल कर सकती है। आउटपुट अंतराल सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है तथा यह अर्थव्यवस्था की चक्रीय स्थिति बताता है। सकारात्मक आउटपुट जो वास्तविक आउटपुट के संभावित आउटपुट से ऊपर होने पर होता है, अर्थव्यवस्था में आधिक्य मांग दर्शाता है जो मुद्रास्फीतिकारी दबाव उत्पन्न कर सकता है। इसके विपरीत, नकारात्मक आउटपुट जो संभावित आउटपुट की तुलना में अंतराल-वास्तविक आउटपुट से कम होता है, उस समय उत्पन्न होता है जब अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों का पूरा उपयोग नहीं होता है और यह कम मांग दर्शाता है। आउटपुट अंतराल जो अर्थव्यवस्था में मांग स्थितियों का सारांश उपाय है, मेक्रो अर्थव्यवस्था की स्थिति का उपयोग संकेतक उपलब्ध कराता है और इसका मौद्रिक नीति के लिए महत्वपूर्ण इनपुट के रूप में उपयोग किया जाता है। पारंपरिक रूप से, मुद्रास्फीति को अर्थव्यवस्था में समष्टि-आर्थिक असंतुलन के मुख्य लक्षण के रूप में देखा गया है जिसे आउटपुट अंतराल के विभिन्न मापों में उतार-चढ़ावों द्वारा प्राप्ति किया गया है। तथापि, इतिहास में ऐसे उदाहरण देखे गए हैं जब मुद्रास्फीति कम और स्थायी थी, चाहे आउटपुट असंधारणीय रूप से बढ़ रहा था। वित्तीय असंतुलन के बड़े निर्माण का मामला था जैसाकि अगस्त 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी) से पहले आधिक्य क्रेडिट वृद्धि और उच्च आस्ति कीमतों में प्रदर्शित हुआ। बड़े क्रेडिट की वृद्धि से आवास और अन्य आस्तियों के लिए मांग बढ़ी, जिससे उनके मूल्य में बढ़ोतरी हो गई और घरेलू तथा फर्मों की आय में वृद्धि हुई। इसने बैंकों को अधिक निवेश का वित्तपोषण करने के लिए क्रेडिट प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित किया। नए क्षमता संवर्धन से आर्थिक विस्तार ने आपूर्ति प्रतिबंधों को सहज बनाया और कई अर्थव्यवस्थाओं में समग्र वृद्धि दर में बढ़ोतरी की। इसके अतिरिक्त, इस मजबूत वित्तीय उछाल के परिणामस्वरूप उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में बड़ी मात्रा में पूंजीगत प्रवाह हुआ जिसके कारण उनकी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि हुई। इन कारकों ने मुद्रास्फीति को उदार रखते हुए मूल्य पर नीचे की ओर दबाव डाला। पारंपरिक ज्ञान से, व्यक्ति अर्थ निकाल सकता है कि उदार मुद्रास्फीति से मिली हुई यह उच्च आर्थिक वृद्धि संधारणीय थी। तथापि, वित्तीय क्षेत्र के आंकड़ों पर निकट दृष्टि से पता चला कि यह तेज आर्थिक वृद्धि वित्तीय उछाल के कारण थी जिसका परिणाम संसाधनों के त्रुटिपूर्ण आबंटन और असंधारणीय आस्ति कीमतों के रूप में हुआ। संकट आने और वित्तीय स्थिति कठोर होने के बाद, समग्र मांग बदतर हो गई और इनमें से कई अर्थव्यवस्थाएं अंततः लंबी मंदी के दौर में चली गई। उपर्युक्त संदर्भित गतिविधियों ने नए आउटपुट अंतराल की माप को जन्म दिया जिसे लोकप्रिय रूप से वित्त-तटस्थ आउटपुट अंतराल या एफएनओजी के रूप में जाना जाता है जो मुद्रास्फीति की अपेक्षा बैंक क्रेडिट और आस्ति बाजारों में हुई हलचल से वित्तीय गतिविधियों पर आधारित आर्थिक वृद्धि की संधारणीयता का मूल्यांकन करता है। इस माप में, सकारात्मक आउटपुट अंतराल वित्तीय बाजार में अधिक गतिविधियों के कारण अर्थव्यवस्था में अति-उष्णता (ओवरहीटिंग) दर्शाता है जबकि नकारात्मक आउटपुट अंतराल दबावग्रस्त वित्तीय स्थितियों के चलते अर्थव्यवस्था में सुस्ती दर्शाता है। अग्रणी केंद्रीय बैंक जिसमें बैंक ऑफ इंग्लैंड, दि यूरोपीयन सेंट्रल बैंक, बैंको डी एसपाना आदि हैं, मौद्रिक नीति के लिए एफएनओजी का एक इनपुट के रूप में उपयोग करते हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), अंतरराष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआईएस) और एशियन विकास बैंक (एडीबी) ने भी मौद्रिक नीति के लिए एफएनओजी की उपयोगिता पर जोर डाला है। एफएनओजी का भारतीय संदर्भ में भी अनुमान लगाया गया है। इस अनुमान को अब अक्टूबर 2017 से रिज़र्व बैंक द्वारा अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में आउटपुट अंतराल के पारंपरिक उपायों के साथ सम्मिलित किया गया है। एफएनओजी का अनुमान लगाने के लिए पद्धति और भारतीय संदर्भ में अनुभनजन्य अनुमान नीचे दिए गए हैं। तकनीकी ब्यौरे अनुलग्नक में हैं। वास्तविक आउटपुट से भिन्न, संभावित आउटपुट का स्तर और इस प्रकार आउटपुट अंतराल सीधे नहीं देखा जा सकता और इसका अनुमान अन्य उपलब्ध समष्टि आर्थिक आंकड़ों से लगाया जाता है। संभावित आउटपुट का अनुमान लगाने के लिए विभिन्न पद्धतियों का उपयोग किया गया है, किंतु वे सभी मानती हैं कि आउटपुट को प्रवृत्ति (संभावित आउटपुट की माप) और चक्रीय संघटक (आउटपुट अंतराल की माप) में वर्गीकृत किया जा सकता है। संभावित आउटपुट और आउटपुट अंतराल का अनुमान लगाने का सबसे सामान्य सांख्यिकीय दृष्टिकोण एकल चरीय सांख्यिकीय फिल्टर जैसे होडरिक-प्रेसकॉट (एचपी) फिल्टर का उपयोग करना है जो देखे गए आउटपुट आंकड़ों (अनुलग्नक) से चक्र (आउटपुट अंतराल) और प्रवृत्ति (संभावित आउटपुट) निकालने में मददगार होता है। एकल चरीय दृष्टिकोण का लाभ है कि यह सरल है और इसे आउटपुट आंकड़ों अर्थात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिए सीधा उपयोग किया जा सकता है। तथापि, एकल चरीय फिल्टरों से आउटपुट अंतराल अनुमानों की अनेक सीमाएं हैं। वे स्वरूप में पूरी तरह से सांख्यिकीय हैं और किसी प्रकार की आर्थिक संरचना को सम्मिलित नहीं करते हैं तथा किसी संभावित आउटपुट या आउटपुट अंतराल का आर्थिक परिकल्पना के अनुरूप नहीं हो सकते। इसके अतिरिक्त, एकल चरीय सांख्यिकीय फिल्टर स्वाभाविक रूप से एंड-पॉइंट समस्या से ग्रस्त होते हैं जबकि प्रवृत्ति और चक्र के नवीनतम अनुमानों में नई सूचना के आने से काफी संशोधन होता है। इस प्रकार, वे नवीनतम अवधि के लिए कम सटीक अनुमान उपलब्ध करा सकते हैं जिनका नीति निर्माण में अधिक महत्व होता है। एकल चरीय दृष्टिकोणों के साथ जुड़ी उपर्युक्त संदर्भित समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए बहु-चरीय कॉलमैन फिल्टर (एमवीकेएफ) तकनीक का पालन किया जाता है जिसमें अन्य समष्टि-आर्थिक आंकड़ों का उपयोग होता है जो उल्लेखनीय हैं। एमवीकेएफ का उपयोग करते हुए पारंपरिक आउटपुट अंतराल की माप करने के लिए, अनुसंधानकर्ताओं ने मुद्रास्फीति को अतिरिक्त चर के रूप में शामिल किया है क्योंकि इसे असंधारणीयता का मुख्य स्रोत माना जाता है। इस प्रकार प्राप्त आउटपुट अंतराल को मुद्रास्फीति-तटस्थ आउटपुट अंतराल कहा जाता है। एमवीकेएफ के साथ मापे जाने वाले एफएनओजी में, अनुसंधानकर्ताओं ने मुद्रास्फीति की बजाय वित्तीय चरों के एक सेट का उपयोग किया है। उपयोग किए गए वित्तीय चर मुख्य रूप से बैंक क्रेडिट वृद्धि और रियल स्टॉक बाजार प्रतिफल (अनुलग्नक) हैं। इस प्रकार मुद्रास्फीति-तटस्थ माप के प्रति जो मुद्रास्फीति को असंधारणीयता के स्रोत के रूप में सम्मिलित करती है, एफएनओजी में वित्तीय चरों का उपयोग आउटपुट अंतराल का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है (अनुलग्नक)। सारणी 1 में प्रस्तुत अनुमानित परिणाम दर्शाते हैं कि वास्तविक नीति दर चार तिमाहियों के अंतराल के साथ एफएनओजी को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। वास्तविक क्रेडिट वृद्धि और वास्तविक स्टॉक बाजार प्रतिफल क्रमशः दो तिमाहियों और एक तिमाही के अंतराल के साथ एफएनओजी को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। ।तालिका 1: रिग्रेशन अनुमान - निर्भर चरः आउटपुट गैप (yt) yt : आउटपुट अंतर; rt: वास्तविक ब्याज दर; bct: असली बैंक क्रेडिट वृद्धि; स्रोतः भारतीय अर्थव्यवस्था पर डाटाबेस (डीबीआईई), आरबीआई और लेखकों की गणना। तालिका 1 में एफएनओजी अनुमानों की समयबद्ध योजना संकेत देती है कि पूर्व जीएफसी अवधि (क्यू 2: 2008-09 से पहले) में एफएनओजी सकारात्मक था - वास्तविक उत्पादन संभावित उत्पादन से ऊपर था जो वित्तीय क्षेत्र और अर्थव्यवस्था में कुछ असंतुलन का सूचक है। यह उल्लेखनीय है कि 2005-06 से क्यू 1: 2008-09 की अवधि के दौरान वास्तविक गैर-खाद्य ऋण और वास्तविक शेयर बाजार (बीएसई सेंसेक्स) प्रतिफल क्रमशः 23.8 प्रतिशत और 34.9 प्रतिशत की वार्षिक औसत दर से बढ़ा, जो औसत वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 9.3 प्रतिशत (चार्ट 2 ए और 2 बी) की तुलना में बहुत तेज है। जीएफसी के दौरान, एफओएनजी कुछ वर्षों तक सकारात्मक आउटपुट अंतर देखने के लिए उबरने के पहले मुख्य रूप से परिसंपत्तियों की कीमतों में तेज गिरावट के कारण नकारात्मक हो गया। हालांकि, 2013-14 के बाद, एफएनओजी कम क्रेडिट वृद्धि और निराशाजनक शेयर बाजार स्थितियों के कारण नकारात्मक बना रहा, यह 2017-18 से धीरे-धीरे सीमित हो गया। भारत के लिए एफएनओजी बनाम मुद्रास्फीति-तटस्थ आउटपुट अंतर की एक और विस्तृत तुलना से पता चलता है कि दोनों के बीच महत्वपूर्ण अंतर हैं जोकि तीन चरणों (चार्ट 3 और 4) से स्पष्ट हो जाता है। चरण I (क्यू 1: 2012-13 से क्यू 4: 2014-15) में, एफएनओजी मुद्रास्फीति-तटस्थ उत्पादन अंतर से अधिक था और अधिकतर सकारात्मक क्योंकि इस अवधि में उच्च क्रेडिट वृद्धि और वास्तविक शेयर बाजार प्रतिफल की घटनाएं देखी गई। हालांकि, मुद्रास्फीति-तटस्थ उत्पादन अंतर पूरी अवधि में नकारात्मक रहा। चरण II (क्यू 1: 2015-16 से क्यू 4: 2016-17) में, मुख्य रूप से बैंकों और निगमों की तनावग्रस्त बैलेंस शीट के साथ-साथ वास्तविक शेयर बाजार के नकारात्मक प्रतिफल के रूप में प्रतिबिंबित निराशाजनक शेयर बाजार के कारण कम क्रेडिट वृद्धि के रूप में कमजोर वित्तीय स्थितियों के कारण एफएनओजी नकारात्मक क्षेत्र में रहा और मुद्रास्फीति-तटस्थ उत्पादन अंतर से काफी कम रहा। चरण III (2017-18) में, एफएनओजी नकारात्मक रहा लेकिन क्रेडिट वृद्धि और उत्साहजनक शेयर बाजार स्थितियों के पुनरुत्थान को दर्शाते हुए,समाप्ति के करीब रहा। इस चरण के दौरान, मुद्रास्फीति-तटस्थ उत्पादन अंतराल भी नकारात्मक रहा और समाप्त होने के लिए प्रतिबद्ध रहा, लेकिन एफएनओजी की तुलना में धीमी गति से। एफएनओजी को समझाने में वित्तीय चर की भूमिका एफएनजीजी के ऐतिहासिक परिवर्तनीय विश्लेषण से भी स्पष्ट है,जो इसके विकास (चार्ट 5) पर विभिन्न कारकों के योगदान को दर्शाती है। उदाहरण के लिए, क्रेडिट वृद्धि और शेयर बाजार प्रतिफल ने चरण II (Q1: 2015-16 से Q4: 2016-17) में एफएनओजी के विकास के लिए नकारात्मक योगदान दिया। हालांकि, चरण III (2017-18) में, वित्तीय बाजार चरों ने एफएनजीजी को सकारात्मक योगदान दिया है। वित्तीय बाजार की जानकारी को शामिल करने वाले आउटपुट अंतर के आकलन ने हाल के वर्षों में लोकप्रियता हासिल की है। एफएनओजी उपाय, जो वित्तीय बाजार संकेतकों को शामिल करता है, नीति उद्देश्यों के लिए अर्थव्यवस्था की स्थिति का आकलन करने के लिए उपयोग किए गए संकेतकों के सेट के लिए उपयोगी जानकारी प्रदान करता है। मुद्रास्फीति-तटस्थ आउटपुट अंतर माप मुद्रास्फीति पर अर्थव्यवस्था में असंतुलन के स्रोत के रूप में निर्भर है। तथापि, यह उपाय प्री-जीएफसी अवधि में उच्च क्रेडिट वृद्धि और परिसंपत्ति बाजार रिटर्न से उत्पन्न असंतुलन को पकड़ने में असफल रहा। एफएनओजी आउटपुट अंतर का आकलन करने के लिए एफएनओजी वित्तीय क्षेत्र के संकेतकों को ध्यान में रखता है, जैसे कि क्रेडिट और परिसंपत्ति बाजार चर । भारतीय परिपेक्ष्य में ति1:2006-07 से ति3: 2017-18 की अवधि के लिए अनुमानित एफएनओजी उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, खासकर उच्च / निम्न क्रेडिट वृद्धि और शेयर बाजार रिटर्न की अवधि में, जो कि पारंपरिक उपाय नहीं प्रदान करते। एफओएनजी ति3: 2014:15 के बाद से नकारात्मक रहा, लेकिन ति2: 2017:18 तक लगभग बंद हुआ। मुद्रास्फीति-तटस्थ आउटपुट अंतर के साथ एफएनओजी की तुलना से पता चलता है कि ति1: 2012-13 से ति4: 2014-15 के दौरान, एफएनओजी मुद्रास्फीति-तटस्थ आउटपुट अंतर से ऊपर रहा। तथापि, ति1:2015-16 से ति4:2016-17 के दौरान, एफएनओजी मुद्रास्फीति-तटस्थ आउटपुट अंतर से काफी नीचे रहा, जो ज्यादातर कम क्रेडिट वृद्धि के कारण था। ति1:2017-18 से, दोनों मुद्रास्फीति-तटस्थ आउटपुट अंतर और एफएनओजी नकारात्मक बने रहे लेकिन धीरे-धीरे बंद होने की तरफ झुके। हालांकि, एफएनओजी मुद्रास्फीति-तटस्थ आउटपुट अंतर के मुकाबले तेजी से बंद हो गया। संभावित आउटपुट और आउटपुट अंतर दोनों के अनुमान असुरक्षित चर हैं, और उनके अनुमान चयनित दृष्टिकोण के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं। इसलिए, आरबीआई स्टाफ, वैकल्पिक अनुमान दृष्टिकोण का उपयोग करके, विभिन्न सर्वेक्षणों और अन्य समष्टि आर्थिक चर से प्राप्त जानकारी के पूरक, कारोबार चक्र के चरण पर अधिक मजबूत संदर्भ आकर्षित करने के लिए आउटपुट अंतराल का मूल्यांकन करता है। सी. बोरियो. पी. डिसयाटैट और एम. जुसेलियस, "रिथिंकिंग पोटेंशियल आउटपुटः एमबेडिंग इनफॉर्मेशन एबाउट द फाइनेंशियल साइकल," बीआईएस वर्किंग पेपर, 404, (फरवरी 2013)। ए ओकुन, "पोटेंशियल जीएनपीः इट्स मेजेरमेंट एण्ड सिगनिफिकेंट," बिजनेस और इकॉनामिक स्टेटिस्टिक्स सेक्शन, वाशिंगटनःअमेरिकन स्टेटिकल एसोशिएसन, (1962), पीपी 98-104। डी.पी. रथ, पी. मित्रा, और जे. जॉन, "ए मेजर ऑफ फाइनेंस-न्यूट्रल आउटपुट गैप फॉर इंडिया", आरबीआई वर्किंग पेपर सीरीज़, डब्ल्यूपीएस (डीईपीआर), मार्च (2017)। यह तकनीकी अनुबंध आउटपुट अंतर के यूनिवेरिएट स्टेटिकल फ़िल्टर, मुद्रास्फीति-तटस्थ और वित्त-तटस्थ उपायों के विश्लेषणात्मक सेटअप का विवरण देता है। होड्रिक-प्रेस्कॉट (एचपी) फ़िल्टर आउटपुट अंतर का आकलन करने के लिए सबसे लोकप्रिय रूप से उपयोग किया जानेवाला यूनिवेरिएट स्टेटिकल फ़िल्टर में से एक है। यह फ़िल्टर पर्यवेक्षण के भारित चल औसत पर आधारित है जो नमूना अवधि की शुरुआत और अंत के करीब पर्यवेक्षण पर अधिक भार डालता है। यह विधि निम्न फ़ंक्शन को कम करके संभावित आउटपुट (Ȳt) प्राप्त करती है, पहला शब्द प्रवृत्ति से Yt के वर्ग विचलन का योग है, अर्थात संभावित उत्पादन (Ȳt), जो चक्रीय घटक को दंडित करता है। दूसरा शब्द संभावित आउटपुट (Ȳt) के दूसरे अंतर के वर्गों के योग के एकाधिक λ है। दूसरा शब्द संभावित आउटपुट (Ȳt) की वृद्धि दर में परिवर्तन को दंडित करता है। पॉजिटिव पैरामीटर λ जितना बड़ा होगा, उतना अधिक जुर्माना और परिणामस्वरूप संभावित अनुमान बराबर होगा। इसलिए, सीमित मामले में अगर λ = 0 तब नरमी के लिए कोई दंड नहीं है, फिल्टर इस श्रृंखला के रूप में ही झुकाव उत्पन्न करता है। दूसरी तरफ, यदि λ बहुत उंचाई पर है, तो नरमी के लिए वहां एक उच्च वेटेज होगा और झुकाव एक सीधी रेखा होगी। आउटपुट अंतर (yt) को लॉग टर्म (Yt) में वास्तविक आउटपुट4 के विचलन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो इसके संभावित स्तर (Ȳt) से होता है। समीकरणों (2) और (3) के अतिरिक्त, आउटपुट अंतर को निम्नानुसार एक ऑटो रेग्रेसिव प्रक्रिया के रूप में मॉडलिंग किया गया है : मुद्रास्फीति-तटस्थ दृष्टिकोण में, आउटपुट के टिकाऊ स्तर को संगत आउटपुट के स्तर के रूप में कम और स्थिर मुद्रास्फीति (ओकुन, 1962) के साथ परिभाषित किया गया है। इसलिए, मुद्रास्फीति-तटस्थ आउटपुट अंतर माप का अनुमान लगाने के लिए, मुद्रास्फीति के लिए फिलिप्स कर्व इक्वेशन को शामिल किया गया, जो निम्नलिखित प्रक्रिया के अनुसार मुद्रास्फीति (πt) पर देखने योग्य डेटा के आउटपुट अंतर के विकास को जोड़ता है। इस ढांचे से अनुमानित आउटपुट अंतर (समीकरण 2 से 5 का उपयोग करके) मुद्रास्फीति स्तर के अनुरूप है और मुद्रास्फीति-तटस्थ आउटपुट अंतर के रूप में जाना जाता है। इस ढांचे में, वास्तविक ब्याज दर के साथ वित्तीय चर (वास्तविक बैंक क्रेडिट वृद्धि और वास्तविक शेयर बाजार वापसी) आउटपुट अंतर के लिए विवरणात्मक चर के रूप में उपयोग किया जाता है। इन चरों को शामिल करने के बाद संशोधित आउटपुट अंतर समीकरण नीचे दिया गया हैः जहां Xt = (rt, bct, sensext) ; rt : वास्तविक पोलिसी रेट; bct : वास्तविक बैंक क्रेडिट वृद्धि; sensext : बीएसई सेंसेक्स द्वारा वास्तविक स्टॉक मार्केट रिटर्न प्रॉक्सी। इस ढांचे से अनुमानित आउटपुट अंतर (समीकरण 2, 3 और 6 का उपयोग करके) वित्त-तटस्थ आउटपुट अंतर के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह माप वित्तीय चर में गतिविधि के लिए नियंत्रण करता है। बहुविकल्पीय कलमैन फ़िल्टर लागू करके राज्य स्पेस ढांचे में क्वासी मैक्सिमम लाइकलीहुड (क्यूएमएल) मैथड का उपयोग करके समीकरणों की प्रणाली का अनुमान लगाया जाता है। रूडोल्फ ई. काल्मन के नाम पर रखा गया कलमैन फ़िल्टरिंग, एक एल्गोरिथम है जो समय के साथ देखे गए माप चर की एक श्रृंखला का उपयोग करता है, जिसमें सांख्यिकीय नॉइज़ और अन्य त्रुटियां होती हैं, और अप्रत्यक्ष चर के अनुमान उत्पन्न करती हैं।
स्टार वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में कमाल का प्रदर्शन करते हुए दो पदक जीते। इस बीच कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG) के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट वेटलिफ्टर गुरदीप सिंह ने काफी निराश किया। वह अपनी स्पर्धा में 21वें जगह पर रहे। यह राष्ट्रमंडल खेलों में उनके प्रदर्शन से भी काफी खराब है। हिंदुस्तान को इस प्रतियोगिता में दोनों पदक मीराबाई चानू ने दिलाए। राष्ट्रमंडल खेलों के कांस्य पदक विजेता भारोत्तोलक गुरदीप सिंह ने बोगोटा में विश्व चैंपियनशिप में निराशाजनक प्रदर्शन करते हुए मर्दों के 109 किग्रा से अधिक के भार वर्ग में 21वां जगह हासिल किया। ग्रुप-सी में प्रतिस्पर्धा पेश करते हुए हिंदुस्तान के इस वेटलिफ्टर ने 350 किग्रा (145 किग्रा और 205 किग्रा) वजन उठाया जो इस वर्ष के प्रारम्भ में राष्ट्रमंडल खेलों में दिखाए गए प्रदर्शन से 40 किग्रा कम है। भारत ने इस प्रतियोगिता में सिर्फ दो पदक जीते। उसे यह दोनों पदक स्टार भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने दिलाए। चानू ने पिछले हफ्ते स्त्रियों के 49 किग्रा भार वर्ग में दो रजत पदक जीते। इनमें से एक पदक उन्होंने क्लीन एवं जर्क वर्ग में जबकि दूसरा पदक कुल भार में हासिल किया। महाद्वीपीय और विश्व चैंपियनशिप में स्नैच, क्लीन एवं जर्क तथा कुल भार में भिन्न भिन्न पदक दिए जाते हैं। ओलंपिक में सिर्फ कुल भार के लिए पदक दिए जाते हैं।
उत्तराखंड में विधानसभा उप चुनाव की तैयारी चल रही है। उप चुनाव में सीएम पुष्कर सिंह धामी चंपावत सीट ने मैदान में उतरेंगे। जीत पुख्ता करने के लिए पार्टी समेत केंद्रीय नेतृत्व ने भी कोशिश शुरु कर दी है। वहीं पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि इस बार पुष्कर सिंह धामी भारी मतों से चुनाव में जीत हासिल करेंगे।
तोक्योः क्या आपने कभी सोचा है कि कोई मछली किंग कोबरा से भी ज्यादा जहरीली हो सकती है? जी हां, सामान्य तौर पर जापान, चीन, फिलीपींस और मेक्सिको में पाई जाने वाली 'पफरफिश' के जहर का कोई तोड़ नहीं। किंग कोबरा के जहर से इंसान एक बार बच भी जाए, लेकिन पफरफिश के जहर से बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। यूं तो पफरफिश देखने में काफी सुंदर होती है, लेकिन इस मछली के अंदर साइनाइड से भी खतरनाक जहर होता है। पफरफिश को 'ब्लोफिश' के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि लगभग सारी पफरफिश में टेट्रोडॉटोक्सिन नाम का खतरनाक जहर होता है। यह जहर सायनाइड से भी 1,200 गुना ज्यादा खतरनाक होता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि एक छोटी सी पफरफिश में भी इतना जहर होता है जिससे 30 वयस्क मनुष्यों की जान चली जाए। और हां, आज तक इसके जहर की काट नहीं खोजी जा सकी है। . . . लेकिन इंसान इसे खाते भी हैंपफरफिश के साथ एक और खास बात जुड़ी है। कहा जाता है कि इस जहरीली मछली को सिर्फ 2 ही प्राणी खा सकते हैं, एक तो शार्क, और दूसरा है इंसान। जी हां, जापान में पाई जाने वाली फुगु नाम की पफरफिश का मांस बेहद स्वादिष्ट समझा जाता है। लेकिन इसे बनाने के लिए लाइसेंसधारी शेफ की जरूरत पड़ती है, क्योंकि इसको बनाने में जरा सी गलती हुई नहीं कि ग्राहक अपनी जान से हाथ धो बैठेगा। और हर साल इस मछली को खाने से जानें जाती भी हैं। पूरी दुनिया में पफरफिश की 120 प्रजातियां हैं। पफरफिश की लंबाई 1 इंच से लेकर 2 फीट तक हो सकती है। ये मछलियां आमतौर पर फंफूंद खाती हैं, लेकिन कई मछलियां मरे हुए जीवों का मांस भी खाती हैं। समझा जाता है कि मरे हुए जीवों का मांस खाने से जो बैक्टिरिया इन मछलियों के अंदर आते हैं वे इसके जहर का स्त्रोत हैं।
डीएनए अणु - गुणसूत्र संरचना में स्थित है। एक गुणसूत्र एक भी दो स्ट्रैंड से मिलकर अणु होते हैं। डीएनए के दोहराव - एक से दूसरे अणु से धागे की आत्म प्रजनन के बाद सूचना के हस्तांतरण है। यह दोनों डीएनए और आरएनए में निहित है। यह लेख डीएनए प्रतिकृति प्रक्रिया पर चर्चा। ऐसा नहीं है कि अणु में मुड़ यार्न जाना जाता है। हालांकि, जब डीएनए प्रतिकृति की प्रक्रिया शुरू होती है, वे dispiralized, फिर अलग कदम है, और प्रत्येक नई प्रतिलिपि पर संश्लेषित होता है। पूरा होने पर दो पूरी तरह से समान अणु, एक माता पिता और एक बच्चे धागा है, जिनमें से प्रत्येक देखते हैं। इस संश्लेषण अर्द्ध रूढ़िवादी कहा जाता है। डीएनए अणु ले जाया जाता है, एक भी गुणसूत्रबिंदु में रहते हुए, और अंत में केवल वितरित हो जाते हैं जब इस गुणसूत्रबिंदु विभाजन प्रक्रिया शुरू होती है। अन्य प्रकार विरोहक संश्लेषण कहा जाता है। उन्होंने कहा कि, पिछले के विपरीत, वह किसी भी कोशिका चरण से संबद्ध नहीं है, लेकिन डीएनए की क्षति की स्थिति में शुरू होता है। वे भी व्यापक रहे हैं, तो प्रकृति, सेल अंत में मर जाता है। हालांकि, अगर क्षति स्थानीय है, तो आप उन्हें बहाल कर सकते हैं। समस्या के आधार पर बहाल या एक ही बार में डीएनए के दो किस्में अलग किया जाना है। यह, के रूप में यह कहा जाता है, अनिर्धारित संश्लेषण में लंबा समय लग नहीं करता है और ऊर्जा का एक बहुत आवश्यकता नहीं है। लेकिन जब वहाँ डीएनए के एक दोहराव है, तो ऊर्जा, सामग्री का एक बहुत खर्च, अपनी घड़ी की लंबाई फैला हुआ था। दोहराव तीन अवधियों में विभाजित किया गया हैः - दीक्षा; - बढ़ाव; - समाप्ति। हमें डीएनए प्रतिकृति के अनुक्रम पर विचार करें। मानव डीएनए में - आधार जोड़े के लाखों लोगों की कुछ दसियों (जानवरों वे केवल एक सौ नौ)। डीएनए दोहराव कई स्थानों में निम्नलिखित कारणों के लिए श्रृंखला शुरू होता है। एक ही समय शाही सेना में प्रतिलेखन होता है के आसपास, लेकिन डीएनए के संश्लेषण में चयनित स्थानों में से कुछ में निलंबित कर दिया है। इसलिए, पदार्थ की पर्याप्त मात्रा से पहले इस तरह के एक प्रक्रिया के क्रम जीन अभिव्यक्ति और सेलुलर गतिविधि है कि टूट नहीं किया गया समर्थन करने के लिए कोशिकाओं की कोशिका द्रव्य में जम जाता है। इसे देखते हुए, इस प्रक्रिया को जितना जल्दी संभव हो जाने चाहिए। इस अवधि के दौरान प्रसारण किया जाता है, और प्रतिलेखन आयोजित नहीं है। अध्ययनों से पता चला है कि डीएनए दोहराव कई हजार अंक में एक बार होता है है - एक विशिष्ट न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम के साथ छोटे क्षेत्रों। वे विशेष सर्जक प्रोटीन, जो बारी में डीएनए प्रतिकृति के अन्य एंजाइमों से जुड़े हुए है द्वारा शामिल हो गए हैं। डीएनए टुकड़ा जो संश्लेषित एक replicon कहा जाता है। यह शुरू से ही शुरू होता है और समाप्त होता है जब एंजाइम प्रतिकृति समाप्त हो जाता है। Replicon स्वायत्त है, और यह भी अपने स्वयं के सॉफ्टवेयर की पूरी प्रक्रिया आपूर्ति करती है। प्रक्रिया सभी बिंदुओं से एक ही बार में शुरू नहीं हो सकता है, कहीं न कहीं यह पहले शुरू होता है, कहीं न कहीं - बाद में; यह एक या दो विपरीत दिशाओं में जगह ले सकते हैं। घटनाओं निम्न क्रम जब छवि में जगह लेः - प्रतिकृति कांटे; - शाही सेना प्राइमर। यह हिस्सा एक प्रक्रिया है जिसमें कट यार्न में डीएनए डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक तंतु संश्लेषित कर रहे हैं प्रस्तुत करता है। इस प्रकार प्रतिकृति के तथाकथित आंख के रूप में प्लग। प्रक्रिया कार्यों के एक नंबर से पहले किया जाता हैः - एक nucleosome में हिस्टोन के सिलसिले से जारी - इस तरह के एक डीएनए प्रतिकृति मेथिलिकरण, एसिटिलीकरण, और फास्फारिलीकरण के रूप में एंजाइमों रासायनिक प्रतिक्रियाओं है कि प्रोटीन में परिणाम उनके सकारात्मक चार्ज कि उनकी रिहाई की सुविधा खो उत्पादन; - despiralization - तनाव मुक्त है, जो धागे की आगे मुक्ति के लिए आवश्यक है; - डीएनए strands के बीच हाइड्रोजन बांड को तोड़ने; - अणु के विभिन्न पक्षों में अपने विचलन; - निर्धारण एसएसबी प्रोटीन का उपयोग कर से होने वाली। संश्लेषण एक एंजाइम डीएनए पोलीमरेज़ बुलाया जाता है। हालांकि, अपने ही वह नहीं कर सकते हैं शुरू करने के लिए है, तो अन्य एंजाइमों करते हैं - आरएनए पोलीमरेज़, जो भी शाही सेना प्राइमरों कहा जाता है। वे पर डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक के समानांतर किस्में में संश्लेषित कर रहे हैं संपूरकता के सिद्धांत। इस प्रकार, दोनों सिरों, दो प्राइमरों के आरएनए संश्लेषण की दीक्षा और डीएनए strands फाड़ चला गया। इस अवधि में न्यूक्लियोटाइड अलावा और 3 'शाही सेना प्राइमर, पहले ही उल्लेख किया डीएनए पोलीमरेज़ किया जाता है जो के अंत से शुरू होता है। यह पहली बार दूसरा, तीसरा न्यूक्लियोटाइड, और इतने पर जोड़ा जाता है। नई धागा आधार माता पिता श्रृंखला से जुड़े हैं हाइड्रोजन बांड द्वारा। माना जाता है कि यार्न के संश्लेषण 5 में है '- 3'। यह कहाँ प्रतिकृति कांटा के पक्ष में होता है संश्लेषण लगातार और एक ही समय लंबा पर होता है। इसलिए, इस सूत्र प्रमुख या प्रमुख कहा जाता है। वह प्राइमर नहीं रह बनाई है आरएनए। हालांकि, माता-पिता के विपरीत किनारा पर डीएनए न्यूक्लियोटाइड आरएनए प्राइमर शामिल होने के लिए जारी है, और डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक श्रृंखला प्रतिकृति कांटा से विपरीत दिशा में संश्लेषित होता है। इस मामले में, यह देरी या चल कहा जाता है। ठंड कतरा संश्लेषण टुकड़े में होता है जिसमें संश्लेषण के एक छोर भाग है कि एक ही शाही सेना प्राइमर का उपयोग करने के पास किसी अन्य स्थान पर शुरू होता है पर। इस प्रकार, वहाँ दो देरी श्रृंखला टुकड़ा डीएनए और आरएनए शामिल हो गए हैं कर रहे हैं। वे Okazaki टुकड़े कहा जाता है। तब सब कुछ दोहराया है। तब पक्षों के लिए हेलिक्स, हाइड्रोजन फट संचार धागे की एक और बारी spliced, अग्रणी ठंड टुकड़ा आरएनए प्राइमर, जिस निम्नलिखित संश्लेषित पर लम्बे श्रृंखला - Okazaki टुकड़ा। इसके बाद, एक देरी भूग्रस्त शाही सेना में प्राइमरों नष्ट कर रहे हैं और डीएनए टुकड़े से एक में शामिल हो गए हैं। तो यह सर्किट एक ही समय में जगह लेता हैः - Okazaki टुकड़े के संश्लेषण; - आरएनए प्राइमरों के विनाश; - एक भी सर्किट में मिले। प्रक्रिया के रूप में लंबे समय से जारी है दो प्रतिकृति कांटा को पूरा नहीं करते के रूप में, या उनमें से एक अणु के समाप्त हो जाएगा। बैठक के बाद कांटे डीएनए बेटी किस्में एंजाइम द्वारा शामिल हो गए हैं। मामले में, अगर प्लग अणु के अंत में ले जाया जाता है, डीएनए दोहराव विशेष एंजाइमों का उपयोग कर समाप्त। इस प्रक्रिया में, एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रतिकृति के नियंत्रण (या सुधार) को सौंपा गया है। संश्लेषण न्यूक्लियोटाइड सभी चार प्रकार के प्राप्त करता है, और डीएनए पोलीमरेज़ जोड़ी द्वारा जांच उन है कि आवश्यक हैं का चयन करता है रखने के लिए। वांछित न्यूक्लियोटाइड हाइड्रोजन बांड के साथ-साथ टेम्पलेट डीएनए किनारा पर समान न्यूक्लियोटाइड बनाने में सक्षम हो सकते हैं। इसके अलावा, चीनी फॉस्फेट रीढ़ के बीच दो अड्डों में तीन छल्ले के लिए इसी एक निश्चित लगातार दूरी होनी चाहिए। न्यूक्लियोटाइड इन आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है, कनेक्शन घटित नहीं होगा। नियंत्रण किया जाता से पहले यह सर्किट में और बाद में न्यूक्लियोटाइड चालू करने से पहले शामिल किया गया है है। उसके बाद, रीढ़ की हड्डी saharofosfata के लिए कनेक्शन। डीएनए प्रतिकृति की व्यवस्था, सटीकता के उच्च प्रतिशत के बावजूद हमेशा तंतु, जो ज्यादातर कहा जाता है में गड़बड़ी है "जीन म्यूटेशन। " एक हजार आधार जोड़े के बारे में, वहाँ एक गलती है कि दोहराव कहा जाता konvariantnaya है। यह अलग कारणों से होता है। उदाहरण के लिए, साइटोसिन के न्यूक्लियोटाइड deamination, दोनों के संश्लेषण में उत्परिवर्तजन की उपस्थिति के अधिक या बहुत कम मात्रा में। कुछ मामलों में, त्रुटि मरम्मत की प्रक्रिया द्वारा किया जा सकता में अन्य सुधार असंभव हो जाता है। क्षति प्रभावित हैं नींद अंतरिक्ष, एक त्रुटि गंभीर परिणाम जब वहाँ डीएनए प्रतिकृति प्रक्रिया नहीं होगी। एक जीन के nucleotide अनुक्रम संभोग त्रुटि के साथ हो सकता है। तो फिर यह मामला नहीं है, और एक नकारात्मक परिणाम सेल की मौत, और पूरे जीव के साथ मरने के हो सकता है। यह भी है कि मन में वहन किया जाना चाहिए जीन म्यूटेशन उत्परिवर्तनीय परिवर्तनशीलता, जो plasticity के जीन पूल में आता है पर आधारित हैं। समय संश्लेषण के भीतर या तुरंत बाद यह मेथिलिकरण चेन होता है पर। यह माना जाता है कि इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक है एक व्यक्ति गुणसूत्रों फार्म और जीन प्रतिलेखन को विनियमित करने के लिए। इस प्रक्रिया में डीएनए के बैक्टीरिया एंजाइमों काटने के खिलाफ अपनी सुरक्षा कार्य करता है।
नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया को ईडी (Ed) की तरफ से एक और झटका लगा है। ईडी ने शुक्रवार को मनीष सिसोदिया उनकी पत्नी और अन्य की 52 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की है। मालूम हो कि सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था। ईडी के अनुसार, इस 52 करोड़ की चल अचल संपत्ति में 7 करोड़ 29 लाख रुपये की 2 प्रॉपर्टी मनीष सिसोदिया, उनकी पत्नी सीमा सिसोदिया साथ ही राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा के लैंड और फ्लैट शामिल हैं। इस अटैचमेंट में 44 करोड़ 29 लाख रुपये की कैश और चल संपत्ति है। मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के अलावा अमनदीप सिंह ढल्ल, राजेश जोशी, गौतम मल्होत्रा सहित अन्य आरोपियों की भी संपत्ति है। ईडी ने आबकारी नीति में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में अभी तक 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें 13वें आरोपी की गिरफ्तारी गुरुवार रात (6 जुलाई) व्यवसायी दिनेश अरोड़ा की हुई। दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को ईडी केस में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सिसोदिया (Sisodia) को सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद है। सीबीआई मामले में न्यायिक हिरासत के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सिसोदिया से पूछताछ की थी और पर नौ मार्च को गिरफ्तार किया था। बाद में विशेष अदालत ने ईडी की याचिका पर सिसोदिया को उसकी हिरासत में भेजा दिया था। सिसोदिया की ईडी की हिरासत खत्म होने के बाद इस मामले में भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। सीबीआई ने 17 अक्टूबर 2022 को सिसोदिया से पूछताछ की थी और उनके तथा अन्य 14 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
लोग जो मरने के बाद भी कम रहे है - हम सभी जानते हैं कि हर सेलिब्रिटी अपने जीते जी लाखों-करोडों कमाते हैं लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि कई एक्टर और खिलाडी और यहां तक कि कई वैज्ञानिक तक अपने मरने के बाद भी कई जीवित सुपरस्टार से ज्यादा कमाई कर रहे हैं। इन सबकी कमाई इनके पुराने बिजनेस, पुराने एल्बम या इनके घर को देखने पर लगने वाले टिकट से हो रही है। लोग जो मरने के बाद भी कम रहे है -: 87 साल की उम्र में मृत्यु होने के बाद भी गोल्फ किंग अर्नाल्ड पॉल्मर की कमाई नहीं थमी है। पॉल्मर का देहांत पिछले ही महीने हुआ था, उनकी इस साल की कमाई 4 करोड़ डॉलर है। पॉप किंग माइकल जैक्सन की मृत्यु को अब काफी समय हो चुका है। जैक्सन की कमाई लेकिन अभी भी जारी है। इस साल उन्होंने करीबन 551 करोड़ रूपए कमाए हैं जो कि शाहरुख खान की पिछले साल की कमाई से दो गुना ज्यादा है। अपने जमाने के मशहूर कार्टूनिस्ट चार्ल्स शूल्ज की मृत्यु सन् 2000 में हुई थी। चार्ल्स की इस साल की कमाई 321 करोड़ रूपए है, यह कमाई भी देश के सबसे अमीर सुपरस्टार शाहरुख खान से कई गुना ज्यादा है। किंग ऑफ रॉक के नाम से जाने जाने वाले एल्विस प्रेस्ले की मौत सन् 1977 में हुई थी। लेकिन प्रेस्ले की कमाई आज तक नहीं रुकी है। आकंडों की मानें तो उनकी इस साल की कमाई तकरीबन 180 करोड़ रुपए रही है। इतिहास के सबसे बड़े वैज्ञानिक एल्बर्ट आइंस्टाईन की मौत को 66 साल हो चुके हैं लेकिन फिर भी उनकी कमाई अभी तक कम नहीं हुई। अपनी मृत्यू के इतने साल बाद भी उनकी कमाई इस साल 76 करोड़ रुपए रही। तो दोस्तों, ये है वो लोग जो मरने के बाद भी कम रहे है - यह थे इतिहास में दर्ज कुछ ऐसे नाम जिन्हें आज तक दुनिया ने नहीं भुलाया है। यहां तक कि उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी लोकप्रियता ने उन्हें करोड़पति बनाए रखा है।
जासं, रुद्रपुरः नैनीताल-यूएस नगर संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस पर्यवेक्षक व राजस्थान के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र यादव ने कहा कि टिकट की दावेदारी करने वालों में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। एक बार का सर्वें हो चुका है। दोबारा सर्वे चल रहा है। टिकट वितरण में युवाओं व महिलाओं को पूरा सम्मान दिया जाएगा। यह निर्णय पार्टी हाईकमान ने लिया है। पर्यवेक्षक राजेंद्र यादव ने बुधवार को नैनीताल रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों को बताया कि जिले के सभी विधानसभा सीटों पर टिकट की दावेदारी के लिए इच्छुक कार्यकर्ताओं से बुधवार को रायशुमारी की गई है। उनका बायडाटा लिया गया है और अलग अलग समस्याओं पर चर्चा की गई है। बाहरी व्यक्ति को टिकट न देने की मांग को लेकर धरना देने वाले किच्छा के सात दावेदारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। अपनी बात कहने का सभी को अधिकार है। अभी किच्छा का नंबर नहीं आया है। जब नंबर आएगा तो वह अपनी बात व पीड़ा रायशुमारी के दौरान कह सकते हैं। जिसे हाईकमान तक पहुंचा दिया जाएगा। वह रायशुमारी करने आए हैं, इसलिए रायशुमारी कर रिपोर्ट हाईकमान को सौंप देंगे। टिकट वितरण के मामले में हाईकमान को फैसला लेना है। टिकट के लिए बाहर भीतर का सवाल नहीं है, टिकट मांगने का सभी कार्यकर्ता का अधिकार है। पार्टी में कोई अंदुरुनी कलह नहीं है। इस मौके पर प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री तिलकराज बेहड़, भुवन चंद्र कापड़ी, पूर्व सांसद महेंद्र पाल, शिल्पी अरोरा, कार्यकारी जिलाध्यक्ष हिमांशु गाबा आदि मौजूद थे।
श्रीलंका के पूर्व कप्तान एंजेलो मैथ्यूज का मानना है कि विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन करना है तो टीम को प्रेशर कंडीशन से निपटना सीखना होगा। श्रीलंका की टीम ने पिछले साल जनवरी से अब तक 22 वनडे में से केवल छह मुकाबलों में ही जीत दर्ज की है। वनडे टीम के लिए दिमुथ करुणारत्ने को कप्तानी की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने पिछले दो साल से कोई वनडे मुकाबला तक नहीं खेला है। इसी सप्ताह वर्ल्ड कप के वार्मअप मैच में उन्होंने लंबे अंतराल के बाद वनडे मैच खेला।
कश्मीर और अरुणाचल पर चीन की निगाह लंबे वक्त से है. तिब्बत पर उसने कैसे कब्जा किया सभी जानते हैं. पाकिस्तान को भी वह मदद मुहैया करा रहा है और उसका OROB (वन रोड वन बेल्ट) प्रोजेक्ट भी भारत के लिए चिंता का विषय है. लेकिन एक और विषय भी है जिसको लेकर भारत सशंकित है और अपनी चिंताएं बीजिंग को बता चुका है, यह मामला ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ा है. चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर कई बांध बना चुका है यह बात तो हम जानते हैं लेकिन अब चीन वह काम करने जा रहा है जो भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है. वह ब्रह्मपुत्र नदी को मोड़ने जा रहा है और उसके लिए वो 1000 किलोमीटर लंबी सुरंग बना रहा है. इस सुरंग के बन जाने से चीन का एक रेगिस्तान आबाद हो जाएगा लेकिन भारत के उन हिस्सों में पानी की बेहद कमी हो सकती है जहां वर्तमान में ब्रह्मपुत्र नदी से पानी पहुंचता है. हॉन्गकॉन्ग के एक अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर पर भरोसा करें तो चीन के इस कदम से शिनजियांग नाम का प्रांत कैलिफोर्निया में तब्दील हो जाएगा. लेकिन चीन के इस विकास की कीमत भारत को चुकानी पड़ सकती है. साथ ही प्रर्यावरणविद इस बात से भी परेशान हैं कि हिमालय को इससे खतरा हो सकता है. उनका मानना है कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ ठीक नहीं और यह कदम इस हिमालयी क्षेत्र के लिए काफी भारी पड़ सकता है. 100 से अधिक चीनी वैज्ञानिक इस काम में लगे हैं. चीन लंबे वक्त से भारत और बांग्लादेश को भरोसा दिलाता रहा है कि उसके द्वारा बांध बनाए जाने से इन देशों के पानी पर फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन पर्यावरणविद इसे हकीकत नहीं मानते. चीन की ये नई योजना कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि वह नदी के बीच में एक आईलैंड भी बनाना चाहता है जहां कई तरह के प्रयोग किए जाएंगे साथ ही सुरंग संबंधी काम भी किया जाएगा. ब्रह्मपुत्र नदी करीब 2900 किलोमीटर लंबी है. यह हिमालय के कैलाश पर्वत के पास से निकलती है और चीन से होती हुई भारत में प्रवेश करती है, इसके बाद यह बांग्लादेश होती हुई समंदर में मिलती है. भारत में यह 900 किलोमीटर से अधिक लंबी है और बेहद अहम भी है. माना जाता है कि पिछले दिनों उत्तराखंड में जो आपदा आई थी उसका कारण चीन द्वारा इस हिमालयी क्षेत्र में की गई छेड़छाड़ ही था. चीन विकास कर रहा है लेकिन उस विकास की कीमत भारत के उन इलाकों को चुकानी पड़ रही है जो बॉर्डर के हैं. लेकिन इस बार ब्रह्मपुत्र नदी के बहाव को यदि मोड़ा गया तो अंजाम बेहद गंभीर हो सकते हैं.
Posted On: सार्जेंट शशिधर पी प्रसाद भारतीय वायु सेना (गरुड़) ऑपरेशन रक्षक में तैनात थे। 10 अक्टूबर, 2017 को सांय 4.00 बजे एक घर में आतंकवादियों के छुपे होने की विशिष्ट सूचना की प्राप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा जिले के रख हजीन गांव के बूंद मौहल्ला में गरुड़ टीम एवं सेना इकाइयों द्वारा संयुक्त रूप से एक ऑपरेशन आरंभ किया गया। गरुड़ टीम को आतंकवादियों को भागने से रोकने के लिए टारगेट घर के ईद-गिर्द आंतरिक घेरा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। सार्जेंट शशिधर ने घेरा बनाने में असाधारण स्थितिगत जागरूकता एवं टीम वर्क का परिचय दिया, जिससे आतंकवादियों के भागने के सारे रास्ते बंद हो गए। 11 अक्टूबर, 2017 को सांय 4.40 में घेरा तोड़ने और भागने की मंशा से बैरल ग्रेनेड लांचर के तहत गोली चलाते हुए, हैंड ग्रेनेड फेंकते हुए तथा गरुड़ टीम के नेतृत्व में घेरे पर फायरिंग करते हुए 6 से 7 आतंकवादी घर से बाहर निकले। सार्जेंट शशिधर ने इस अवसर पर असाधारण साहस का परिचय दिया और लगातार गोली चलाते हुए 'ए' श्रेणी के दो आतंकवादियों को मार गिराया। असाधारण बहादुरी के इस कार्य के लिए सार्जेंट शशिधर पी प्रसाद को वायु सेना पदक (बहादुरी) से सम्मानित किया जाता है।
नई दिल्लीः DU FMS Admissions 2019: दिल्ली के जाने-माने बिजनेस स्कूल 'फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज़' में दो वर्षीय एमबीए और पीएचडी कोर्स में एडमिशन के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है. कॉलेज प्रशासन की ओर से दाखिले के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है. दोनों ही प्रोगामों के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 20 नवंबर, 2018 है. कॉलेज की वेबसाइट www. fms. edu पर जाकर आप एडमिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. एमबीए में दाखिले के लिए इच्छुक उम्मीदवारों के कैट स्कोर और इंटरव्यू के आधार पर उनको चयनित किया जाएगा. इस साल भारतीय प्रबंधन संस्थान (कोलकाता) कैट की परीक्षा संचालित कराएगा. देश के 147 शहरों में 25 नवंबर, 2018 को होने वाली परीक्षा दो पालियों में आयोजित कराई जाएगी. 24 अक्टूबर को एडमिट कार्ड जारी किए जाएंगे. उम्मीदवार इसकी वेबसाइट iimcat. ac. in से एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं. इस प्रोग्राम (एमबीए) के लिए आवेदकों का किसी भी विषय में किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ ग्रेजुएट होना जरूरी है. एससी, एसटी, ओबीसी और पीडब्ल्यूडी के लिए यह 45 फीसदी है. उम्मीदवारों का कैट 2018 की परीक्षा देना अनिवार्य है. ग्रेजुएशन अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे छात्र भी एडमिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. एमबीए के लिए प्रवेश व्यापक भाषण, व्यक्तिगत साक्षात्कार और कैट 2018 स्कोर पर आधारित होगा. वहीं पीएचडी के लिए उम्मीदवारों का चयन शैक्षणिक प्रदर्शन, निबंध लेखन और व्यक्तिगत साक्षात्कार पर आधारित होगा. उम्मीदवार 20 नवंबर, 2018 को या उससे पहले कॉलेज की आधिकारिक वेबसाइट www. fmsadmissions. com के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. 8 अक्टूबर, 2018 से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. विदेश मूल के छात्रों के लिएआवेदन की अंतिम तिथि 28 फरवरी, 2019 है. दाखिले के संबंध में अगर किसी तरह की समस्या आती है तो उम्मीदवार admissions@fms. edu पर अपनी दुविधा को लेकर मेल कर सकते हैं या फिर परीक्षार्थी 011-27666387 पर फोन कर सकते हैं.
आस-पास के घरों को सुरक्षा के लिए लिहाज से खाली करने की कारवाई चल रही हैं। इससे पूर्व बुधवार को श्याम नगर,जनपथ स्थित बहुमंजिला इमारत के ई-ब्लॉक के 18 फ्लैट्स के हिस्से को नियंत्रित विस्फोटक तकनीक से उड़ाने के लिए इंदौर से आए विशेषज्ञ एस.बी. सरवटे और जेडीए टीम बुधवार को दिनभर जुटी रही। कर विस्फोटक भरा जाएगा। बुधवार शाम को टेस्टिंग ब्लास्ट में कुछ कमी रह जाने के बाद छेद संख्या बढ़ाने का निर्णय किया गया। पहले पहली मंजिल केहिस्से में ही विस्फोट किया जाएगा। पहली मंजिल के पिलर ध्वस्त होने के कारण इमारत थोड़ी कमजोर हो जाएगी, लेकिन गिरेगी नहीं, क्योंकि भूतल और ऊपरी मंजिल के पिलर की पकड़ बनी रहेगी। इसके बाद भूतल और दूसरी मंजिल को ध्वस्त किया जाएगा, जिससे पूरी इमारत धाराशायी हो जाएगी। विस्फोट में इम्पलोजन (अन्तः विस्फोट) और आइसोलेशन इंजीनियरिंग का उपयोग होगा। इससे विस्फोट के समय अधिकतम 100 मीटर दायरे तक ही इसका असर होगा। पिलरों में विस्फोटक इस तरह से भरा जाएगा, जिससे इमारत का हिस्सा सीधे नाले की तरफ गिरे। जेडीए ने कोटपूतली से पचास किलो विस्फोटक मंगाया है। जेडीए अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई अमानीशाह नाले की 210 फीट चौड़ाई के आधार पर हो रही और सेन्टर लाइन से 105 फीट दायरे में बी, ई, एफ तीन ब्लॉक का बड़ा हिस्सा आ रहा है। जिसमें करीब 63 फ्लैट शामिल हैं। हांलाकि, जेडीए ने मंगलवार को इस जमीन की 90 बी व लीज डीड निरस्त कर दी, जिसके बाद जमीन पर निर्मित सभी निर्माण अवैध हो गया। ई ब्लॉक का आधा हिस्सा ही सेन्टर लाइन से 105 फीट के दायरे में आ रहा है। ऎसे में प्रभावित हिस्से को दूसरे हिस्से से अलग करना होगा, जिससे दूसरा हिस्सा नहीं टूटे। इसके लिए आइसोलेशन तकनीक अपनाई जाएगी। इसमें दोनों हिस्सों के बीच बने बीम को काटकर विस्फोटक भरा जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद इम्पलोशन तकनीक का इस्तेमाल होगा। इसमें इमारत के भूतल सहित दो मंजिला में लगे सभी पिलर किए गए छेद में 100 से 150 ग्राम तक विस्फोटक भरकर एक-दूसरे को इलेक्ट्रॉनिक वायरिंग से कनेक्ट किया जाएगा और रिमोट कंट्रोल से उड़ाया जाएगा। इस तकनीक से बिल्डिंग के गिरते समय कंक्रीट-पत्थर, लोहा व अन्य सामान बाहर की तरफ नहीं फैलकर अंदर की ओर ही रहेंगे। विशेषज्ञ सरवटे ने बताया कि बी ब्लॉक लम्बाई में है, जिसके चलते इसके आधे हिस्से को पूरी से काटना पड़ेगा। इसमें काफी समय लगेगा और कई तकनीकी उलझन भी हैं। उन्होंने बताया कि जेडीए अधिकारियों से बातचीत करने के बाद ही इन ब्लॉक्स को ध्वस्त करने की कार्रवाई होगी। बहुमंजिला इमारत को विस्फोटक से उड़ाने की खबर शहर में आग की तरह फैल गई और लोग इस संबंध में एक-दूसरे से जानकारी लेते रहे। मौके पर भी लोगों का जमघट लगा रहा और कौतूहलवश कई लोग तो इमारत के अंदर ही घुस आए, जिन्हें पुलिसकर्मियों ने बाहर निकाला। इस बीच आस-पास के लोग घर की छतों पर डटे रहे। इमारत को उड़ाने से पहले उसके 100 मीटर दायरे के हिस्से को खाली कराया जाएगा। दक्षिण हिस्से की तरफ ही एक कॉलोनी है, जिनके एक दर्जन से अधिक घर इस दायरे में आ रहे हैं। पुलिस प्रशासन विस्फोट से एक घंटे पहले यह काम करेगा। जेडीए प्रबंधन ने लोगों से अपील की है कि विस्फोट के समय इमारत या नजदीकी घरों में न रहें। इस बहुमंजिला अपार्टमेंट की भूमि की 90 बी व लीजडीड निरस्त करने के खिलाफ संबंधित फर्म मानसरोवर हैरिटेज इन प्राइवेट लिमिटेड को जेडीए अपीलीय अधिकरण से राहत नहीं मिली। फर्म की ओर से स्थगन आदेश के लिए अधिकरण में अपील की गई थी। इमारत- 9 मंजिला (भूमिगत 2 मंजिला अतिरिक्त)
नवांशहर : थाना औड़ की पुलिस ने झाड़ियों में हेरोइन का नशा ले रहे 4 युवकों को 5 ग्राम हेरोइन तथा नशा लेने के लिए प्रयुक्त उपकरणों सहित गिरफ्तार किया है। मामले संबंधी जानकारी देते हुए ए. एस. आई. मनोहर लाल ने बताया कि एस. एस. पी. भागीरथ सिंह मीना के दिशा-निर्देशों पर नशा तस्करों के खिलाफ चलाई जा रही विशेष मुहिम के तहत उनकी पुलिस पार्टी दौराने गश्त संदिग्ध लोगों तथा वाहनों की तलाश में गांव औड़ से गुडपुड की ओर जा रही थी कि मार्ग में पुलिस को झाड़ियों के बीच में कुछ हरकत होती दिखाई दी। पुलिस ने कर्मचारियों की मदद से घेराबंदी करके जब उक्त स्थान की जांच की तो वहां 22 से 25 वर्ष के 3 तथा 38 वर्ष की आयु का एक युवक स्मोकिंग करते हुए दिखाई दिए। ए. एस. आई. ने बताया कि उक्त युवकों को काबू करके उनके कब्जे से एक लाइटर, प्लास्टिक की खाली बोतल, पाइप नुमा 10 रुपए का नोट तथा 5 ग्राम हेरोइन बरामद हुई। थानेदार ने बताया कि गिरफ्तार युवकों की पहचान सुखजिन्दर सिंह उर्फ काका निवासी मल्लपुर, दीपक उर्फ दीपू निवासी गांव भूता, गगनदीप कुमार उर्फ लभू निवासी झिंगडा तथा जसकरन राम उर्फ जस्सी निवासी झिंगडा के तौर पर हुई है। थानेदार ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ एन. डी. पी. एस. तहत मामला दर्ज करके आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
दुकान में घुसकर पति-पत्नी से मारपीट करने के मामले में रैगर समाज के लोगों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। चित्तौड़गढ़ प्रधान और डगला का खेड़ा सरपंच के बेटे सहित 30 जनों पर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। समाज के लोगों का कहना है कि विकलांग आदमी पर झूठे आरोप लगाकर जेल भेज दिया और मारपीट भी की। ग्रामीणों ने एसपी और कलेक्टर के सामने अपनी बात रखी। मेवाड़ रेगर समाज सुधार समिति के जिलाध्यक्ष अंबालाल ने बताया कि 12 अप्रैल महीने को विकलांग नारूलाल की किराने की दुकान पर 9 साल की एक बच्ची सामान खरीदने गई थी। उसने बच्ची को उधार सामान देने से मना कर दिया था। इस बात पर प्रधान देवेंद्र कवर और सरपंच रणजीत सिंह भाटी के बेटे इंद्रजीत सिंह भाटी ने अपने 30 साथियों के साथ नारूलाल रेगर की दुकान में तोड़फोड़ की थी। नगदी भी चुराकर ले गए थे। नारूलाल पर पॉक्सो का फर्जी मामला भी दर्ज कर जेल भेज दिया। जैसे इस बात की जानकारी गांव वालों को हुई तो सभी भड़क गए। नारूलाल रेगर की पत्नी रमाबाई ने भी कहा कि नारूलाल पर गलत केस लगाया गया। उस दिन घर पर आकर मारपीट और लूटपाट की गई थी। गुस्साए ग्रामीण और रेगर समाज के लोग सोमवार को कलेक्ट्रेट में एकत्रित हुए और जमकर नारेबाजी की। कलेक्ट्रेट में मानव श्रंखला बनाकर जमकर प्रदर्शन किया। कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल और एसपी राजन दुष्यंत के सामने अपनी बात रखी और निष्पक्ष जांच करने की मांग की। रमाबाई ने दोनों से ही उनके पति के साथ मारपीट करने वाले और लूटपाट करने वाले के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। This website follows the DNPA Code of Ethics.
भारत सरकार पर मुसलमानों को सताने के झूठे आरोप लगाने वाले पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को अपने देश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार दिखाई नहीं दे रहे। पाकिस्तान में हिंदुओं का जीना दूभर हो गया। हिंदू मंदिरों और जमीनों पर स्थानीय मुसलमानों ने कब्जा कर लिया है या फिर उन्हें भ्रष्ट और अशुद्ध कर दिया है। ऐसी ही एक खबर पाकिस्तान के दक्षिण-पूर्वी सिंध से आई है। खबर के मुताबिक, इस घटना को मुहम्मद इस्माइल नाम के एक शख्स ने अंजाम दिया। स्थानीय थाने में शिकायतकर्ता अशोक कुमार की तहरीर के मुताबिक कि बादिन जिले में अस्थायी मंदिर में रखी मूर्तियों को तोड़ दिया गया और आरोपी धमकी देते हुए घटनास्थल से फरार हो गये। बादिन पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि मुहम्मद इस्माइल को गिरफ्तार कर लिया गया। पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय होने के बावजूद हिंदुओं को अक्सर भेदभाव और धमकियों का सामना करना पड़ता है। इस्लामी कट्टरपंथी हिंदू समुदाय के लोगों को आसानी से निशाना बनाते हैं। बीते कुछ सालों में वहां दर्जनों मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आयी हैं। हाल ही में एक कट्टरपंथी ग्रुप ने इस्लामाबाद में एक हिंदू मंदिर के निर्माण कार्य को अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए रुकवा दिया था। वहीं, हिंदू लड़कियां भी इन कट्टरपंथियों के निशाने पर रहती हैं और पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान में जबरन धर्म-परिवर्तन और निकाह की कई घटनाएं सामने आई हैं। .
गौतम ने किसी का नाम लिये बिना आरोप लगाया कि जो लोग पार्टी के मामले देख रहे हैं उन्होंने हाल में एक प्रमुख नेता से हाथ मिला लिया है जिसके खिलाफ जजपा ने चुनाव लड़ा था। जजपा ने गत अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में गौतम को भाजपा के कैप्टन अभिमन्यु के खिलाफ उतारा था। जजपा के भाजपा के साथ गठबंधन के बाद मंत्री पद की दौड़ में शामिल गौतम ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाले कैबिनेट में उन्हें मंत्री नहीं बनाये जाने का कोई असंतोष नहीं है। गौतम ने कहा, "मैं जजपा के टिकट का आकांक्षी भी नहीं था। यद्यपि दुष्यंत और उनके पिता अजय चौटाला की इच्छा थी कि मुझे उनके साथ आना चाहिए। उन्हें पता था कि मैं ही भाजपा के विधायक कैप्टन अभिमन्यु को हरा सकता हूं। " यद्यपि दुष्यंत पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री ने 11 विभाग अपने पास रखे हैं जबकि पार्टी के मात्र एक विधायक को एक कनिष्ठ मंत्री बनाया गया है जिसे एक "छोटा" प्रभार दिया गया है।
4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
दिल्ली में मौजूद भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने अपने हॉस्टल की 10वीं मंजिल से कुदकर आत्महत्या कर ली। डॉक्टर की उम्र 25 साल थी। डॉक्टर आत्महत्या क्यों किया वजहों का पता अभी नहीं चल पाया है। शुरूआती जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार की शाम जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने हॉस्टल के 10वीं मंजिल से छलांग लगा दी। घटना के समय वहां मौजूद लोगों ने उसे एम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया। हालांकि, उसे बचाया नहीं जा सका और उसकी मौत हो गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है। मृतक की पहचान अनुराग के रूप में हुई है। वह मनोविज्ञान विभाग में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अनुराग डॉक्टर छात्रावास में रहते थे और कथित तौर पर शाम 5 बजे के आसपास उन्होंने छात्रावास की 10वीं मंजिल से छलांग लगा दी। He was under treatment for severe depression for sometime now & took away his own life. पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अतुल कुमार ठाकुर ने बताया, "उसे एम्स कैजुअल्टी ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।" बताया जा रहा है कि डॉक्टर अवसाद में चल रहे थे।
आपको बता दें कि पहले योगेश ताम्रकार भाजपा उपाध्यक्ष थे, लेकिन नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी ने उन्हें सतना जिले से मेयर की सीट दी थी। सतना जिले का मेयर बनने के बाद अटकलें लगाई जा रही थी कि उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष के पद से हटाया जाएगा। योगेश ताम्रकार की जगह अब ललिता यादव को संगठन में जिम्मेदारी दी गई है। उपाध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया है। बता दें कि ललिता यादव 2018 में छतरपुर जिले की बड़ामलहरा विधानसभा सीट से अपना चुनाव हार गईं थी। ललिता यादव को कांग्रेस उम्मीदवार प्रद्युम्न सिंह लोधी ने हराया था। बाद में प्रद्युम्न सिंह लोधी बीजेपी में शामिल हो गए थे। जिसके बाद से ललिता यादव नाराज बताई जा रही थी। बीजेपी की मीडिया टीम के प्रवक्ता के तौर पर वर्तमान में मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया, हितेश वाजपेई, राजपाल सिंह सिसोदिया, शशिकांत शुक्ला, दुर्गेश केसरवानी, प्रहलाद कुशवाहा, पंकज चतुर्वेदी, सनव्वर पटेल, दिव्या राम डांगोरे, राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी, सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी, केपी यादव, पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस, नरेंद्र सलूजा और नेहा बग्गा हैं। संभावना जताई जा रही है कि नए प्रवक्ताओं की भी नई नियुक्तियां भी जल्द शुरू हो जाएगी। भाजपा के सू़त्रों ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम को बताया कि प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा संगठन में और भी बड़े बदलाव करने जा रहे हैं। वर्तमान मीडिया टीम में अभी प्रशांत तिवारी, अनिल पटेल, नरेंद्र शिवाजी पटेल, जवाहर प्रजापति, सचिन सक्सेना, आशीष तिवारी, विवेक तिवारी, दीपक जैन, जुगल किशोर शर्मा सह मीडिया प्रभारी हैं। जल्द ही इस टीम में भी बदलाव हो सकता है।
व्लादिमीर नोस्क, एक अभिनेता, मॉस्को में एक साधारण माध्यमिक विद्यालय के 9वीं कक्षा से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। फिर मैंने टर्नर और लॉकस्मिथ के पेशे को पेश करने का फैसला किया। इसके लिए मैंने राजधानी के व्यावसायिक स्कूलों में से एक में प्रवेश किया। फिर भविष्य के अभिनेता व्लादिमीर नोसिक, जिसका फोटोसामग्री में देखा जा सकता है, मंच पर खेलने का फैसला किया इस में उन्हें उनके बड़े भाई द्वारा सहायता प्रदान की गई थी, जो उस समय के सुंदर कौशल मिखाइल रोम के प्रसिद्ध प्रशिक्षक के पाठ्यक्रम पर स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ सिनेमैटोग्राफी में अध्ययन किया था। इस समय से, लड़के युवा कलाकारों के मंडलियों में नियमित रूप से दिखाई देने लगे। जल्द ही व्लादिमीर, उसके भाई के बाद, प्रवेश कियासंस्थान। भविष्य के कलाकार भाग्यशाली थे। वह प्रसिद्ध थिएटर मास्टर बोरिस बाबोककीन के पाठ्यक्रम पर मिल गया, जो उनके प्रयासों में एक संरक्षक बन गया। लड़के को सीखना आसान नहीं था। पहले वर्ष के अंत तक, व्लादिमीर को लगभग संस्थान से निष्कासित कर दिया गया था। कारण अध्ययन में असंतोषजनक प्रगति थी हालांकि, बाबोककिन की सहायता के कारण, युवा अभी भी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में रहे। व्लादिमीर नोसिक, एक अभिनेता, 1970 में संस्थान से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। रिहा होने के बाद उसे माली थिएटर की कलात्मक मंडली में जगह दी गई। युवा अभिनेता को मंच पर छोटे, माध्यमिक भूमिकाओं के साथ शुरू करना था। बाद में दृढ़ता और असाधारण प्रतिभा ने व्लादिमीर को "द पावर ऑफ डार्कनेस" और "थ्री बोस्टर्स" के नाम से प्रसिद्ध प्रस्तुतियों में जगह दी, जहां उन्होंने प्रमुख पात्रों की छवियों में दिखाई दिया। सिनेमा में, अभिनेता व्लादिमीर नोसिक, पहले शॉट किया गया था1 9 66 साल इस समय उन्हें इगोर डोब्रोल्यूबोव द्वारा निर्देशित फिल्म में एक छोटी भूमिका की पेशकश की गई थी "मैं देखने जा रहा हूं"। स्क्रीन पर, युवा कलाकार एक साधारण अच्छे प्रकृति वाले देश के लड़के की छवि में दिखाई दिए। हालांकि भूमिका व्लादिमीर के लिए हस्ताक्षर नहीं किए, सेट वह कर सकता है पर अच्छी तरह से जॉर्ज Zhzhenov, लेव् Durov प्योत्र Shcherbakov के रूप में सोवियत सिनेमा के इस तरह के सितारों के साथ razznakomitsya। बाद में इन संपर्कों के कलाकार के करियर विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। सबसे पहले, अभिनेता व्लादिमीर नोसिक ने भूमिकाएं प्राप्त कींनकारात्मक पात्र Scoundrel युवा अभिनेता पेंटिंग की एक पूरी श्रृंखला में तुरंत खेला। उदाहरण के लिए, फिल्मों मेंः "हत्या का आरोप", "खतरनाक दोस्त", "जैक"। हालांकि, दर्शकों को बाद में अभिनेता द्वारा याद किया गया था, सबसे पहले, "छोटे", मीठे व्यक्ति की छवि में। वर्तमान में, 160 से अधिक फिल्मों में शामिल कलाकार के कंधों पर। फिल्म में, व्लादिमीर नोसिक 2015 तक वापस लेना जारी रखा। ऑल-यूनियन मान्यता कलाकार व्लादिमीर नोसिकसफल फिल्म "डेब्यूट" में शूटिंग के लिए धन्यवाद जीता, जो 1 9 78 में एक विस्तृत स्क्रीन पर आया था। यहां अभिनेता को सफलतापूर्वक ग्रिष्का नाम के एक लड़के की छवि के लिए उपयोग किया गया। आलोचकों ने उच्चतम प्रशंसा के योग्य व्लादिमीर के खेल को मान्यता दी है। जैसा कि बाद में अभिनेता ने अपनी भूमिका में, अपने आप को समझने के कारणों के लिए याद किया, पहले कदमों से विलय करना संभव था, जिसके बाद चरित्र के एक जटिल, गहरे मनोवैज्ञानिक चित्र के प्रकटीकरण में योगदान दिया गया। व्लादिमीर नोसिक का विला एलेना नाम की एक महिला से विवाह हुआ हैजिसे उन्होंने छायांकन में कैरियर के विकास की शुरुआत में मुलाकात की। जोड़े के तीन बच्चे हैं। तीमुथियुस नाम का सबसे बड़ा बेटा अपने पिता के पदों पर पीछा करता था, जिसने राज्य संस्थान ऑफ सिनेमैटोग्राफी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। एक समय में, उन्हें कई "उच्च प्रोफ़ाइल" परियोजनाओं के निर्माण में निर्माता के रूप में जाना जाता था। विशेष रूप से, टिमोफी नोसिक ने फिल्म "बूमर" के निर्माण में हिस्सा लिया, रूसी टेलीविजन पर कई विज्ञापन "द्वि -2" समूह के संगीत वीडियो शूट करने के लिए ज़िम्मेदार थे।
RGCB पात्र उम्मीदवारों को Junior Research Fellow के पद के लिए 1 रिक्तियों को भरने के लिए Thiruvananthapuram पर आमंत्रित कर रहा है। इच्छुक उम्मीदवार आधिकारिक अधिसूचना की जांच कर सकते हैं और पात्रता मानदंड, आवश्यक दस्तावेज, अंतिम तिथि और चयन प्रक्रिया के बारे में विवरण प्राप्त कर सकते हैं। RGCB Junior Research Fellow भर्ती 2023 से संबंधित आवेदन लिंक नीचे दिया गया है। RGCB Junior Research Fellow भर्ती 2023 के लिए शैक्षिक योग्यता नीचे दी गई है। RGCB भर्ती 2023 शैक्षिक योग्यता है M. Sc. RGCB भर्ती 2023 के लिए Junior Research Fellow के लिए रिक्ति गणना 1 है। आवेदन करने के इच्छुक उम्मीदवार यहां RGCB Junior Research Fellow विवरण देख सकते हैं। उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा / व्यक्तिगत साक्षात्कार / चिकित्सा परीक्षण / वॉकिन साक्षात्कार के आधार पर किया जाएगा। एक बार एक उम्मीदवार का चयन हो जाने के बाद उन्हें RGCB में Junior Research Fellow के रूप में रखा जाएगा। यदि आपको Junior Research Fellow की भूमिका के लिए RGCB में रखा गया है, तो आपका वेतनमान Rs. 31,000 - Rs. 31,000 Per Month होगा। Junior Research Fellow के लिए RGCB 2023 पर नौकरी रिक्ति Thiruvananthapuram पर उपलब्ध है। उम्मीदवार अंतिम तिथि से पहले आधिकारिक वेबसाइट पर RGCB Junior Research Fellow भर्ती 2023 के लिए आवेदन कर सकते हैं। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार RGCB भर्ती 2023 के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 15/06/2023 है। नियत तारीख के बाद भेजे गए आवेदनों को कंपनी द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा। How to apply for RGCB Recruitment 2023? चरण 1: पर जाएं आधिकारिक वेबसाइट rgcb. res. in .
सरकार नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों सहित प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की समय-समय पर समीक्षा करती है। सितम्बर 2012 में 6 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों के प्रत्येक मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में 50 छात्रों को प्रवेश दिया गया। इस प्रकार इनकी कुल संख्या 300 हो गयी। इसी प्रकार अगस्त 2013 में प्रत्येक नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में 100 छात्रों को प्रवेश दिया गया, जिसके तहत उनकी कुल संख्या 600 हो गयी। अगस्त 2013 में ही 6 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों के प्रत्येक नर्सिंग कालेजों में स्नातक पाठ्यक्रम में 60 छात्रों को प्रवेश दिया गया, जिसके तहत उनकी कुल संख्या 360 हो गयी। इन सभी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों में ओपीडी सेवाएं काम कर रही हैं। सभी संस्थानों के लिए केन्द्र सरकार ने 4089 पदों को मंजूरी दी है। चिकित्सकों और पराचिकित्सकीय स्टाफ की नियुक्ति चरणबद्ध तरीके से की जाती है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
गद्गद् वाणी से यही कहा है, हे प्यारे उद्धब गोपियो का मन नित्य निरन्तर मुझ में हो लगा रहता है । उनके प्राण उनका जीवन उनका सर्वस्व में ही हूँ। मेरे लिए उन्होंने अपने पति पुत्रादि सभी सगे सम्बन्धियों को छोड़ दिया है। उन्होने बुद्धि से भी मुझको अपना प्यारा, अपना प्रियतम तथा अपना यात्मा मान रकवा है। मेरा यही त है कि जो लोग मेरे लिए लौकिक और पारलौकिक वर्मा को छोड़ देते है उनका भरण-पोषण मैं स्वय करता हूँ । वास्तव मे गोपियों का ऐसा ही अनन्य प्रेम था। मथुरा की कुलानाम्रो गोपियों की दशा को इसी प्रकार से वर्णन किया है, 'ब्रज को गोपियाँ धन्य है जो निरन्तर श्रीकृष्ण में ही चित्त लगा रहने के कारण प्रेम भरे हृदय से गद्गद् कण्ठ से भगवान् की हो लीलाओ का गान करनी है। वे दूध दुहते दही मथते, धान कूटने घर लोपते, वालाओ को झूला झुलाते रोते हुए बालकों को चुप कराते, उन्हें नहलाते धुलाते घरो को भाडते बुहारते हर समय श्रीकृष्ण के गुणों के गाल से ही मस्त रहती है । भागवत को गोपियाँ नारद जी के २२वे सूत्र में भी पूरी उतरती है, जिसका अर्थ कि भक्त परमावस्था में भी भागवन के माहात्म्य ज्ञान को नही भूलता, गोपियाँ भी इसमे अपवाद नही । भागवत की गोपियों कृष्ण को साक्षात् पुष्पोत्तम भगवान् जानती हुई अपना प्रियतम समझती थी। जैसा कि दशम स्कन्ध के २६३ अध्याय के ३१ से ४१ तक के श्लोको से स्पष्ट प्रकट होता है। इसी स्कन्ध के गोनिका-गीन मे गोतियाँ कहती है, "हे कृष्ण ! तुम केवल यचोदानन्दन ही नहीं हो, समस्त शरीर धारियों के हृदय में रहते वाले साक्षी हो, अन्तर्यामी हो । सखे । ब्रह्मा जी की प्रार्थना से विश्व की रक्षा करने के लिए यदुवश मे अवती हुए हो 13 माहात्म्य ज्ञान पिना किए हुए प्रेम को नारद जी ने जारी का सा प्रेम बताया है । 'तद्विहीन जाराणामित्र' --- २३ । इसके अनन्तर नारद जी ने प्रेम रूपा भक्ति को कर्म ज्ञान और योग से भी श्रेष्ठतर बताया है और उसी को फलस्वरूप कहा है। श्रीमद्भागवत में कई स्थानों पर भक्ति का महत्त्व प्रदर्शित किया है जिसका विवेचन हम पीछे कर चुके है। ग्यारहवे स्कन्ध मे भगवान् कहते हैं; न साधयति मां योगो न सांख्य धर्म उद्धव । न स्वाध्यायस्तपस्यागी यथा भक्तिर्ममोजिता । भक्त्याहनेकया ग्राह्य श्रद्धयात्म त्रिय सताम् । भक्ति पुनाति मन्निष्ठा श्वपाकानपि सम्भवात् । अर्थात् योग ज्ञान धर्म स्वाध्याय तर और त्याग मुझे उतना प्रसन्न नहीं कर सकते जितना मेरी दृढ भक्ति मुझे प्रसन्न करती है । सन्तो का प्रिय आत्मा रूप नै केवल श्रद्धायुक्त भक्ति के द्वारा ही वश में हो सकता हूँ। मेरी भक्ति चाण्डाल आदि को भी पवित्र कर देती है । भगवद्गीता में भी भगवान् कृष्ण ने अर्जुन मे इसी प्रकार कहा है; भागवन १० ३१ ४ नाह वेदने तपसा न दानेन न वेज्यया शक्य एव विधो द्रष्टु दृष्टवानसि मां यथा ॥ ग्रहमवविधोऽर्जुन । जातु द्रष्टु च तत्त्वेन प्रवेष्टु च परंतप ।। १ अर्थानु- हे अर्जुन ! जैसा तुमने मुझे देखा है ऐसा मैं वेद तप दान यज्ञ श्रादि से भी नहीं देखा जा सकता । हे अर्जुन । अनन्य भक्ति के द्वारा ही मेरा इस प्रकार देखा जाना, मुझे तत्त्व से जानना और मुझमे प्रवेश पाना संभव है। इस प्रकार गीता और भागवत दोनो में ही भक्ति को साध्यरूपा माना है। भक्ति ही सावन भक्ति ही साध्य है । भक्त गण भक्ति के लिए ही भक्ति करते है। इसी लिए भागवत में कहा है । लव्धवत. साधो. किमन्यदवशिष्यते । ब्रह्मण्यानन्दानुभवात्मनि २ अर्थात् भगवान कहते है कि मुझ अनन्त गुण सम्पन्न सच्चिदानन्द स्वरूप ब्रह्म मे भक्ति हो जाने पर फिर उस साधु पुरुष को कौनसी वस्तु प्राप्त करनी बाकी रह जाती है । इसके अन्तर भक्ति सूत्र में प्रेमरूपा भक्ति के साधनों का उल्लेख है जिनका विवेचन हम पीछे कर चुके हैं। परन्तु प्रेम भक्ति की प्राप्ति का मुख्य साधन महापुरुषों की कृपा अथवा भगवत कृपा को ही बताया है । सत्सग की महिमा श्रीमद्भागवत में भी स्थान स्थान पर गाई गई है । भागवत के प्रथम स्कन्ध मे आया है, "भगवत सगी प्रेमियों के निमेष मात्र की तुलना स्वर्गादि को तो बात ही क्या पुनर्जन्म का नाश करने वाली मुक्ति के साथ भी नहीं की जा सकती। फिर मलोक के राज्यादि सम्पत्ति की तो बात ही क्या है 13 गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस' में भी कहते है । भागवत के ग्यारह वे स्क्न्ध मे स्वयं भगवान् उद्धव जी से कहते है, "प्रिय उद्धव ! जगद की जितनी आसक्तियाँ है, उन्हें सन्मग नष्ट कर देता है। यही कारण है कि सत्मम जिम प्रकार मुझे वश ने कर लेता है वैना साधन न योग है न साख्य, धर्म पालन और न स्वाध्याय । तपस्या त्याग इष्टापूर्त और दक्षिणा से भी मैं वैसा प्रसन्न नहीं होता । कहाँ तक कहूँ- व्रत, वेद तीर्थ, और यम-नियम भी मत्सग के समान मुझे वश में करने में समर्थ नही हैं। इस सत्सग की प्राप्ति भगवान् कृपा से ही होती है और भगवानु और भगवान के भक्त में कोई भेद नहीं है जैसा कि भागवतकार ने कहा है । ने तात स्वर्ग अपवर्ग सुख, धरिय तुला एक अग तूल न ताहि सकल मिलि, जो सुख लव सतसंग ।। ४ मागनत ६ ४६८ साववो हृदय मह्य साधूना हृदय त्वहम् । मदन्यत् ते न जानन्ति नाह तेभ्यो मनागपि
Redmi 6A, Redmi 6, Redmi 6 Pro Price in India, Specifications and Features: शियोमी रेडमी ने भारत में आज अपने 3 नए स्मार्टफोन लॉन्च कर दिए हैं। खास बात ये है कि इन नए स्मार्टफोन्स के साथ नई सीरिज भी लॉन्च हो गई है। यह स्मार्टफोन Redmi 6A, Redmi 6, Redmi 6 Pro हैं। यह तीनों ही स्मार्टफोन 4G वोल्ट नेटवर्क सपोर्ट के साथ आए हैं। इनमें से दो स्मार्टफोन अमेजन एक्सक्लूसिव हैं वहीं एक स्मार्टफोन फ्लिपकार्ट एक्सक्लूसिव है। रेडमी अपने इन स्मार्टफोन्स को चीन में पहले ही लॉन्च कर चुकी है। इन स्मार्टफोन्स की शुरूआती कीमत 5,999 रुपए है। Redmi 6 Pro में iphone X जैसी डिस्प्ले दी गई है। इसमें दो सिम और मैमोरी कार्ड के लिए अलग अलग स्लट दिए गए हैं। मतलब कुल 3 स्लॉट मिलेंगे। redmi 6 Pro में सिक्योरिटी के लिए फेस अनलॉक, स्मार्ट अनलॉक, फिंगरप्रिंट स्कैनर और Mi बैंड अनलॉक फीचर दिए गए हैं। इसे खरीदने पर कवर केस फ्री मिलेगा।
० आप एक उद्योगपति हंै, साथ ही आप शिक्षा व्यवसाय से भी सम्बद्ध हैं, आपकी विशेष रुचि किधर है ? रखता है । कई बार मुझपर यह आरोप लगता रहा है कि अरे यह तो व्यापारी है शिक्षा को भी व्यापार बना देगा । मेरा मानना यह है कि एक सफल व्यवसायी की निगाह और सोच काफी दूर तक जाती है वह समय और बाजार दोनों को समझता है और उसकी महत्ता को भी पहचानता है । वो यह जानता है कि समय की माँग क्या है और गुणस्तरीय उत्पादन ही बाजार में जगह पा सकता है । इसलिए मैं यह मानता हूँ कि एक सफल व्यवसायी शिक्षा के क्षेत्र की भी जरुरत को समझता है, उसकी बारीकियों को समझता है और उसके अनुसार ही छात्रों की जरुरत को पूरा करता है, उसे सफलता के मूलमंत्र के साथ तैयार होने का वातावरण देता है । ताकि वह एक गुणस्तरीय शिक्षा को प्राप्त कर के स्कूल से निकले और अपने भविष्य का निर्माण कर सके । स्कूल व्यवसाय भी उद्योग के अन्तर्गत ही आता है । दुनिया में व्यवसाय के अन्तर्गत ही इसको मान्यता प्राप्त है हाँ नेपाल में इसकी परिभाषा थोड़ी अलग जरुर है, पर आप जहाँ भी देखें तो बड़े बड़े व्यवसायी शिक्षा व्यवसाय से भी जुड़े हुए हैं और स्कूल कालेज संचालन कर रहे हैं और सफलता के साथ कर रहे हैं । जहाँ तक मेरी विशेष रुचि का सवाल है तो शिक्षा के प्रति मेरा ज्यादा झुकाव है । क्योंकि यहाँ से जुड़ने के पश्चात् एक बौद्धिक वातावरण मुझे मिलता है, यह शिक्षा का क्षेत्र है तो यहाँ जो भी कार्यरत हैं, उनका बौद्धिक स्तर ऊँचा होता है और मैं इनके संसर्ग में अच्छा महसूस करता हूँ । दूसरी बात यह है कि बच्चे समाज और देश का भविष्य होते हैं, माता पिता की उम्मीद होते हैं । इस क्षेत्र में जाने का एक कारण यह भी है कि मुझे लगता है कि मेरी संस्था एक अच्छे नागरिक का निर्माण कर रही है जो सुसंस्कृत है, सभ्य है और अनुशासनशील है और इस तरह हम एक परिवार को, एक समाज को और एक देश को, एक सही व्यक्ति दे रहे हैं । यह एक महत् कार्य है जिसे करने में मुझे संतुष्टि मिलती है । ० शिक्षा के क्षेत्र में आपका कितना योगदान है ? इस क्षेत्र में कठिनाई क्या है ? हम अपनी संस्था से शत प्रतिशत कामयाब छात्रों को बाहर भेजते हैं । आज के समय में सिर्फ पास होना महत्व नहीं रखता है । छात्रों को विशेषांक के साथ उत्तीर्ण होना पड़ता है । लोग सोचते हैं कि हम सिर्फ पैसा कमाने के लिए स्कूल या कालेज चला रहे हैं । ऐसी बात नहीं है । मैंने पहले भी कहा कि हम एक सही व्यक्ति के निर्माण पर जोर देते हैं जो अपने क्षेत्र में एक उदाहरण बन सके । वह किसी भी क्षेत्र में जाए चाहे वह डाक्टर बने, इंजीनियर बने, व्यवसायी बने तकनीशियन बने सफल बने । हमारी संस्था यही चाहती है और ऐसी ही शिक्षा प्रदान करती है । हम शुद्ध आचरण और अनुशासन पर बल देते हैं और उसे छात्रों के अन्दर पैदा करने की कोशिश करते हैं ताकि उसका सही चरित्र निर्माण हो सके । जहाँ तक कठिनाइयों का सवाल है तो यह देश ऐसा है कि यहाँ कठिनाइयाँ हीं कठिनाइयाँ हैं । इसके बिना तो कोई काम हो ही नहीं सकता । सरकार की मानसिकता ऐसी है कि वो निजी क्षेत्र को या व्यवसाय को अजीब सी मानसिकता के साथ देखते हैं । कभी कभी तो ऐसा लगता है कि हम इस ग्रह के हैं ही नहीं, यहाँ के नागरिक भी नहीं हैं । यह हमें झेलना पड़ता है । दूसरी बात कि नेपाल में जितना टैक्स लिया जाता है उतना विश्व के किसी भी देश में मेरी जानकारी में नहीं लिया जाता होगा । तो टैक्स की मार को भी हम झेलते हैं । हम जिस तरह काम कर रहें हैं या शिक्षा के क्षेत्र में जो योगदान दे रहे हैं उसे नजरअंदाज किया जाता है । सबकी सोच यह होती है कि हम छात्रों का या अभिभावक का आर्थिक शोषण करते हैं । हमें शिक्षा माफिया के तहत जोड़कर देखा जाता है । सबकी नजरों में एक हिकारत होती है । यह सब हमें सहन करना पड़ता है । ० नई शिक्षा नीति में क्या सुधार होनी चाहिए ? - मैंने जिन कठिनाइयों की बात कही अगर सरकार उस पर ध्यान दे दे तो सुधार स्वयं हो जाएगा । हमारे काम को महत्व दिया जाय । टैक्स सरकार अगर कम लेती है तो छात्रों पर आर्थिक दबाव कम पड़ेगा और हमारी जो आमदनी होगी उसे हम छात्रों के ऊपर खर्च कर सकेंगे जिसका प्रत्यक्ष फायदा उसे मिलेगा । हमें अच्छे माहौल में काम करने दिया जाय । शिक्षा के क्षेत्र को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाया जाय । एसी नीति बनाई जाय कि बच्चे अपने ही देश में शिक्षा प्राप्त करें । यहाँ से बच्चे बाहर जाते हैं तो पैसा भी तो बाहर जाता है । अगर वो पैसा देश में ही रहे तो शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर सुधार हो सकता है । सरकार का ध्यान इस ओर जाना चाहिए और देश के पैसे को देश में ही रहने की नीति का निर्माण करना चाहिए । अगर देश में ही गुणस्तरीय शिक्षा मिलेगी तो छात्र बाहर क्यों जाएँगे । इस ओर सार्थक कदम उठाने की आवश्यकता है । ० भूकम्प के बाद शिक्षा पर क्या असर पड़ा है ? - भूकम्प के बाद जो डर था वह धीरे धीरे अब खत्म हो चुका है । जो बच्चे यहाँ से चले गए थे वो भी वापस आने लगे हैं । डर से निकालना है तो काम करना होगा । आप उसमें व्यस्त हो जाते हैं तो मन से डर निकल जाता है । ० संस्था से जुड़ी उच्च शिक्षा के विषय में कुछ कहना चाहेंगे ? - हम चाहते हैं कि हम बेहतर से बेहतर शिक्षा दें किन्तु इस क्षेत्र में हमारे सामने एक और समस्या आती है कि जो उच्च शिक्षा से जुड़ी हुई है । यहाँ सरकारी निकायों में यह कानून बना दिया जाता है कि जो प्राफेसर वहाँ कार्यरत हैं वो कहीं निजी संस्थान में नहीं पढाÞ सकते, यह सही नहीं है । उनको अपनी शिक्षा का उपयोग करने का अवसर देना चाहिए ताकि दूसरे उससे ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित हो सकें । जब आप निजी संस्थान को अध्यापन कराने के लिए मान्यता देते हैं तो उसे विषय से सम्बन्धित विज्ञ की आवश्यकता होती है और अगर आप प्रोफेसर को अनुमति नहीं देंगे तो हमें शिक्षक कहाँ से मिलेंगे । इसलिए इस ओर भी समुचित ध्यान देने की आवश्यकता है । गाँवों में प्लस टू तक की पढ़ाई तो सही है किन्तु उसके बाद तो बच्चे शहर ही आते हैं । नेपाल में बच्चे या तो काठमान्डू आते हैं या बाहर जाते हैं । अगर देश में ही सुविधा मिल जाय तो बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी । भारत में अधिकांश बच्चे वहीं अध्ययन करते हैं जबकि हमारे यहाँ के अधिकतर बच्चे बाहर जाते हैं । ० आपके और भी क्या क्या उद्योग हैं ? - हमारी दो कम्पनियाँ हैं । यती कार्पेट को मैं चलाता हूँ । जब मैं बम्बई से आया तो बाबू जी ने इसकी जिम्मेदारी मुझे दी । मैंने इस बन्द कम्पनी को फिर से शुरु किया । मेरा मानना है कि अगर आप सही तरीके से काम करेंगे अपने कर्मचारियों को खुश रखेंगे तो आप कामयाब होंगे । मैंने चार चार बन्द कम्पनियों को चलाया जिसमें यती फैब्रिक्स, यती कार्पेट, सीताराम दूध आदि कम्पनियाँ हैं और आज ये सभी अच्छी तरह से चल रही हैं । ० वत्र्तमान परिस्थिति से आप कितना सन्तुष्ट हैं ? - जिस देश में हर ओर समस्याएँ हों वहाँ कोई संतुष्ट कैसे रह सकता है ? आज विश्व विकास की बातें करता है और उस ओर तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है किन्तु हम बातें करते हैं ः बिजली की , पानी की, जाति की, संघीयता की, बन्द की, नदी साफ करने की तो ऐसे में हमारी संतुष्टि का तो सवाल ही नहीं उठता । हम अभी भी बहुत पिछड़े हुए हैं । हमें बन्दी झेलने की आदत हो गई है, लोड सेडिंग में रहने की आदत हो गई है अब तो हालत यह है कि जिस दिन चौबीस घन्टे बिजली रह गई तो वह अजीब लगता है । तो अभी की हालत में संतुष्टि का तो सवाल ही नहीं उठता । ० आपका कोई संदेश ? - नई पीढ़ी को आगे आने की जरुरत है जिनकी सोच नई हो, जो नए तकनीकि को लागु करना जानते हों, वक्त के साथ अपनी सोच को बदलना जानते हों उन्हें आगे आना चाहिए । युवा पीढ़ी ही देश को विकास की राह पर ले जा सकती है । यह बातें हमारे नेताओं को भी समझना चाहिए और युवाओं को आगे बढ़ने देना चाहिए तभी नए नेपाल का निर्माण हो सकता है । हिमालिनी को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद । आपने यह अवसर दिया इसके लिए आप का भी आभार ।
नई दिल्लीः हॉलीवुड की पॉप सिंगर ब्रिटनी स्पीयर्स (Britney Spears) ने अपने 28 साल के मंगेतर सैम असगारी (Sam Asghari) से शादी कर ली है. कपल ने कैलिफोर्निया के लॉस एंजलिस में एक इंटिमेट सेरेमनी (Britney Spears and Sam Asghari Wedding) में शादी की. अभी इस सेरेमनी के फोटोज सोशल मीडिया पर नहीं आए हैं, लेकिन शादी से जुड़ा ड्रामा जरूर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. बताया जा रहा है कि ब्रिटनी स्पीयर्स के एक्स हसबैंड जेसन एलेग्जेंडर (Jason Alexander) ने उनकी शादी में जबरदस्ती घुसने की कोशिश की थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेसन एलेग्जेंडर ने ब्रिटनी और सैम की शादी में जबरदस्ती घुसने की थी. वह शादी की प्रॉपर्टी में घुस में आए थे और एक सिक्योरिटी गार्ड से बचकर निकल गए थे. बताया यह भी जा रहा है कि ब्रिटनी की शादी में अपनी घुसपैठ को जेसन ने इंस्टाग्राम पर लाइव स्ट्रीम किया था. वीडियो में उन्हें कहते सुना जा सकता है कि 'ब्रिटनी कहां है? ' इसके अलावा उन्होंने कहा था, 'मैं बताता हूं इस वाहियात शादी में क्या हो रहा है. ' एंटरटेनमेंट वेबसाइट TMZ के मुताबिक, पुलिस को मौके पर बुलाया गया था. इस मामले में वेंतूरा काउंटी शेरिफ के ऑफिस ने बताया है कि अफसरों को किसी के घुसपैठ करने की खबरें मिली थीं. इसके बाद उन्हें पता चला कि जेसन एलेग्जेंडर के खिलाफ किसी और मामले में एक वारंट भी निकला हुआ है. ऐसे में उन्हें अरेस्ट कर लिया गया. ब्रिटनी स्पीयर्स लंबे समय से अपनी कंजर्वेटरशिप को लेकर चर्चा में बनी हुई थीं. लगभग सात महीने पहले ही उनकी कंजर्वेटरशिप का अंत हुआ है. ब्रिटनी और उनके मंगेतर सैम ने सोशल मीडिया पर सितम्बर 2021 में अपनी सगाई का ऐलान किया था. हालांकि दोनों ने शादी की डेट नहीं बताई थी. अप्रैल 2022 में ब्रिटनी ने ऐलान किया था कि वह प्रेग्नेंट हैं. हालांकि एक महीने बाद ही उनका मिसकैरिज हो गया था. सैम असगारी से पहले ब्रिटनी स्पीयर्स ने दो बार शादी की थी. ब्रिटनी ने 2004 में अमेरिकन सिंगर Kevin Federline से शादी की थी. यह शादी साल 2007 में खत्म हो गई थी. इस शादी से उनके दो बेटे Sean Preston Federline और Jayden James Federline हैं. 2004 में ही कुछ समय के लिए ब्रिटनी और जेसन एलेग्जेंडर की भी शादी हुई थी, जो ज्यादा समय नहीं चली थी.
।प्रबुद्धा (Prabuddha) कन्या राशि के प्रबुद्धा नाम के लड़के बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। मान्यता है कि कन्या राशि के आराध्य देव कुबेर जी होते हैं। इन प्रबुद्धा नाम के लड़कों का पाचन तंत्र अकसर सही नहीं रहता जिस कारण प्रबुद्धा नाम के लड़कों में पेट से सम्बंधित बीमारियां बनी रहती हैं। इस राशि के प्रबुद्धा नाम के लड़के अगर स्वास्थ्य के साथ असावधानी बरतते हैं और कब्ज और अल्सर जैसे रोगों का शिकार हो सकते हैं। इन प्रबुद्धा नाम के लड़कों को पेट से जुड़े रोग और सेक्शुअल बीमारियां होने का खतरा होता है। प्रबुद्धा नाम के लड़के सन्तोषी, परोपकारी और खुशमिजाज होते हैं। प्रबुद्धा नाम के लड़के दिमाग को आराम नहीं लेने देते। हमेशा कुछ न कुछ सोचते विचारते रहते हैं। प्रबुद्धा नाम का मतलब जागृत, भगवान बुद्ध होता है। अपने बच्चे को प्रबुद्धा नाम देने से पहले उसका अर्थ जान लेंगे तो इस से आपके शिशु का जीवन संवर सकता है। अपनी संतान को प्रबुद्धा नाम देकर आप उसके जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं। इस वजह से भी बच्चे का नाम प्रबुद्धा रखने से पहले उसका अर्थ पता होना चाहिए। प्रबुद्धा नाम रखने से आपका बच्चा भी वो गुण ले लेता है जो इसके अर्थ में समाहित होता है। प्रबुद्धा नाम वाले व्यक्ति बिलकुल अपने नाम के मतलब की तरह यानी जागृत, भगवान बुद्ध होते हैं। आगे प्रबुद्धा नाम की राशि, प्रबुद्धा का लकी नंबर व इस नाम के जागृत, भगवान बुद्ध के बारे में संक्षेप में बताया है। प्रबुद्धा नाम का ग्रह स्वामी बुध है और इस नाम का शुभ अंक 5 होता है। स्वभाव से लापरवाह होने के बावजूद प्रबुद्धा नाम के लोग बिना योजना के सफल हो जाते हैं। 5 अंक वाले स्वयं अपना लक्ष्य बनाते हैं और उस पर अमल करते हैं। इन्हें दूसरों की बातें सुनना पसंद नहीं होता है। इस अंक वाले लोगों का स्वभाव बहुत अच्छा होता है और मानसिक रूप से ये काफी तेज होते हैं। लकी नंबर 5 वाले लोग हर जगह से ज्ञान प्राप्त करना पसंद करते हैं। आप हर काम पूरे जोश के साथ करते हैं। किसी नई शुरुआत से आप हिचकिचाते भी नहीं हैं। जिनका नाम प्रबुद्धा है, उनकी राशि कन्या होती है। इस राशि के लोग बहुत व्यवस्थित होते हैं और उन्हें हर चीज़ सही चाहिए होती है। इनके स्वभाव में दो रूप नज़र आते हैं। करियर के मामलों में प्रबुद्धा नाम के लोग लेखन, संगीत, मीडिया और संचार आदि के क्षेत्रों को पसंद करते हैं। इन लोगों की जो चाह होती है, उसे पाकर ही दम लेते हैं। हालांकि, उन्हें इस प्रक्रिया में समय लगता है। कन्या राशि के लोगों को चटकीले रंग के कपड़े पहनना अच्छा लगता हैं। साथ ही इन्हें नए तरह के कपड़े खूब भाते हैं।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप कैसे अपने नवजात शिशु का आधार कार्ड बनवा सकती हैं और यह आधार कार्ड बनवाते समय किन बातों का ध्यान रखना होगा। आधार कार्ड सभी के लिए आज के समय में एक बेहद जरूरी डॉक्यूमेंट बन चुका है। हमारे देश के हर नागरिक के पास आधार कार्ड अवश्य होना चाहिए क्योंकि आधार कार्ड की जरूरत अब कई सरकारी और प्राइवेट कामों में सबसे अधिक लगती है। भारत में बुजुर्ग से लेकर नवजात शिशु तक सभी का आधार कार्ड उनकी भारतीय पहचान को भी दर्शाता है। आपको बता दें कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने अब बच्चों के लिए भी आधार कार्ड को बनवाना अनिवार्य कर दिया है अगर आप भी अपने बच्चे के लिए आधार कार्ड बनवाना चाहती हैं तो यह लेख जरूर पढ़ें। कैसे बनवा सकती हैं नवजात शिशु के लिए आधार कार्ड? आपको बता दें कि आप अपने नवजात शिशु के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से अप्लाई कर सकती हैं। आपको अप्लाई करने के लिए सबसे पहले यूआईडीएआई की वेबसाइट पर जाना होगा और फिर आपको रजिस्टर करना होगा। इसके बाद आपको होम पेज पर दिए गए आधार कार्ड के फॉर्म में सारी जानकारी को भरना होता है। आपको अपने बच्चे का नाम फिर माता पिता का फोन नंबर और ईमेल आईडी की जानकारी को भरना होता है। इसके बाद आपको फिक्स अपॉइंटमेंट पर क्लिक करके एक डेट को सेलेक्ट करना होगा और फिर आपको अपने नजदीकी आधार नामांकन केंद्र में जाकर वेरिफिकेशन करवाना होता है। Everyone can enrol for #Aadhaar, even a newborn child. All you need is the child's birth certificate, Aadhaar Number and the biometrics of the parents. अगर आपको अपने नवजात शिशु का आधार कार्ड अपडेट करवाना भी होता है। आपको बता दें कि बच्चों के आधार कार्ड के बायोमेट्रिक डाटा को 5 साल और 15 साल की उम्र होने पर अपडेट कराना जरूरी होता है इसके लिए आपसे अलग से कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। अगर आप 5 साल से कम उम्र में अपने बच्चे का आधार कार्ड बनवाती हैं तो आपको ब्लू कलर का आधार कार्ड मिलता है। इस आधार कार्ड को बाल आधार कार्ड कहते हैं। इसके साथ ही आपको फॉर्म भरते वक्त सारी जानकारी को सही से भरना चाहिए क्योंकि नवजात शिशु के आधार कार्ड में अगर बर्थ डेट में कोई गलती होती है तो वह सिर्फ एक बार ही सही की जा सकती है यानी सिर्फ एक बार ही उसे अपडेट किया जा सकेगा। आपको अपने बच्चे के आधार कार्ड को उसे 5 साल के बाद जरूर अपडेट करवाना चाहिए क्योंकि उस समय में ही बायोमेट्रिक डाटा से रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इन बातों का ध्यान रखकर आपको अपने नवजात शिशु का आधार कार्ड बनवाना चाहिए। उम्मीद है कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें कमेंट कर जरूर बताएं और जुड़े रहें हमारी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ। आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia. com पर हमसे संपर्क करें।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत लोकसभा चुनाव 2019 में जोधपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और उनकी पत्नी हिमांशी भी उनके साथ मंदिर-मंदिर भगवान से जीत की प्रार्थनाएं कर रही हैं. हिमांशी की वैभव से 2005 में शादी हुई थी. यानी करीब 14 साल पहले हिमांशी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पुत्रवधू बनीं. हिमांशी ने राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत से राजनीति तो नहीं सीखी लेकिन जो सीखा उसके बारे में खुलकर कहती है. हिमांशी कहती हैं कि, 'मैंने पापाजी से 3 बातें सीखी हैं. जीवन में सब्र रखना, इंतजार करना और शांति बनाए रखना. ' वो कहती हैं कि यदि इन तीन बातों को जीवन में उतार लिया जाए तो ईश्वर हमेशा मेहरबान रहते हैं. हाल ही हिमांशी कैंसर के ट्रीटमेंट के चलते अपने बाल गंवा चुकी लड़कियों के लिए हेयर डोनेशन कैंपेन के चलते चर्चा में रहीं. पिछले साल ये तस्वीर हिमांशी ने फेसबुक पर शेयर करते हुए लिखा था कि कैसे उन्होंने जाल में फंसे दो पक्षियों को बचाया. टिकट मिलने के बाद पहली बार जोधपुर पहुंचे वैभव गहलोत के साथ गणपति के दरबार उनके साथ पहुंची हिमांशी और काश्विनी.
दावोसः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वाशिंगटन कश्मीर मामले को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच घटनाक्रम पर करीबी नज़र बनाए है. साथ ही उन्होंने एक बार फिर दोनों पड़ोसी देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने में मदद करने की पेशकश की. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ निजी बैठक से पहले पत्रकारों से कहा कि व्यापार और सीमा विवाद दोनों ही चर्चा के महत्वपूर्ण बिंदु हैं. जबकि खान ने कहा कि उनके लिए, अफगानिस्तान सर्वोच्च प्राथमिकता है. ट्रम्प ने खान से कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मौजूदा कश्मीर मुद्दे पर बातचीत करेंगे. ट्रम्प के आगामी सप्ताह में भारत दौरे पर आने की संभावना है. राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा होगी. हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें. 'मेरे दोस्त' का संबोधन उन्होंने इमरान खान के लिए दिया. गौरतलब है कि पांच अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने और उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा की थी. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव कायम है. भारत ने जम्मू-कश्मीर को अपना अभिन्न हिस्सा बताते हुए अमेरिका या संयुक्त राष्ट्र सहित किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की बात को लगातार सिरे से खारिज किया है. उसका कहना है कि यह पाकिस्तान और उसका द्विपक्षीय मामला है. वहीं पाकिस्तान लगातार तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की मांग करता रहा है. एक संवाददाता ने ट्रम्प से पूछा कि क्या भारत दौरे के समय वह पाकिस्तान भी जाना चाहेंगे. इस पर ट्रम्प ने कहा कि वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से दावोस में मिल रहे हैं.
(प्रतापगढ़ा में 12वीं में टॉप करने वाला रवि प्रकाश) UP Board 12th Result 2022: यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में प्रतापगढ़ (Pratapgarh) जिले में टॉप करने वाले रवि प्रकाश मिश्रा (Ravi Kumar Mishra) ने राज्य के भी टॉपरों में स्थान हासिल किया है. रवि प्रकाश ने संयुक्त रूप से 92. 60 प्रतिशत अंकों के साथ 8वीं रैंक हासिल की है. रवि प्रकाश पट्टी इलाके के सुल्तानपुर बॉर्डर के बींद में स्थित वीणा पाणि शिक्षा मंदिर इंटर कॉलेज का छात्र है. रवि प्रकाश और ग्रामीण परिवेश में रहने वाले दूसरे छात्रों ने भी पूरे प्रदेश में जिले का नाम रोशन किया है. रिजल्ट आने के बाद कॉलेज से लेकर पूरे इलाके से रवि को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. यही नहीं कालेज में जश्न का माहौल है. इस कॉलेज के लिए ये कोई पहला मौका नहीं है, जब किसी छात्र ने टॉप किया है. इससे पहले साल 2020 में भी इसी कॉलेज के इंटर के छात्र रोशन चौरसिया ने उत्तर प्रदेश के टॉप टेन जगह बनाई थी और 9वीं रैक के साथ जिले में टॉपर रहा था. टॉपर रवि प्रकाश को कॉलेज संचालक सतीश सिंह ने बुलाया और प्राचार्य रणजीत सिंह के साथ मिलकर मिठाई खिलाई. साथ ही कॉलेज के स्टाफ ने भी बधाई दी. गौरतलब है कि टॉपर रवि प्रकाश इसी कॉलेज में शिक्षक सतीश कुमार मिश्रा का बेटा है. रवि अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, शिक्षकों को देते हुए बताया कि वह इंजीनियर बनना चाहता है. दूसरी तरफ शहर के साकेत गर्ल्स इंटर कॉलेज की आस्था सिंह ने 92. 40 प्रतिशत अंक हासिल करके उत्तर प्रदेश में 9वीं रैंक हासिल की है. आस्था मेडिकल की पढ़ाई करके कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहती है, क्योंकि उसके नाना की मौत हार्ट अटैक से हुई थी. आस्था का कहना है कि देश मे कार्डियोलॉजी के डॉक्टरों की काफी कमी है और वह नहीं चाहती कि लोग कार्डियक डिजीज से मौत के शिकार बने. आस्था दो बहन और एक भाई में सबसे बड़ी है. पिता योगेंद्र प्रताप सिंह पेशे से डॉक्टर हैं और खुद की पैथोलॉजी चलाते हैं. वहीं आस्था की मां ग्रेजुएट है और गृहिणी है, जिनके मार्गदर्शन में आस्था की मेधा परवान चढ़ी. आस्था ने हाईस्कूल में 85 प्रतिशत अंक हासिल की थी, जिसके बाद उसने अपनी मेहनत और ज्यादा बढ़ा दी. उसने इंटर की परीक्षा में उत्तर प्रदेश के टॉपरों में शामिल होकर जिले का गौरव बढ़ाया है.
आलम ने एफआईआर में कहा कि उनके साथ ये घटना तब हुई जब वे सदर बाजार में एक मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद लौट रहे थे। बरकत आलम बिहार के रहने वाले हैं। देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम में 25 साल के एक मुस्लिम युवक के टोपी पहनने पर कुछ लोगों द्वारा उसके साथ मारपीट करने का मामला सामने आया है। आरोपों के अनुसार इन लोगों ने मोहम्मद बरकत आलम के साथ न केवल मारपीट की बल्कि उनसे उनकी टोपी उतारने को कहा। यही नहीं, इन लोगों ने आलम से 'जय श्री राम' और 'भारत माता की जय' के नारे लगाने को भी कहा। आलम बिहार के रहने वाले हैं और गुरुगाम के जैकबपुरा क्षेत्र में रहते हैं। आलम ने पुलिस के सामने दर्ज कराई गई FIR में कहा, 'आरोपियों ने मुझे डराया-धमकाया और कहा कि इस इलाके में टोपी पहनना मना है। उन्होंने मेरी टोपी हटा दी और मुझे थप्पड़ मारा। साथ ही उन्होंने भारत माता की जय बोलने को कहा। मैंने उनकी बात मानी और भारत माता की जय कहा। इसके बाद उन्होंने मुझसे जय श्री राम कहने को कहा। मैंने इससे मना किया तो उन्होंने सड़क किनारे पड़े एक डंडे को उठाया और मुझे बेरहमी से पीटने लगे। उन्होंने मेरे पैरों और पीठ पर वार किया। ' आलम ने एफआईआर में कहा कि उनके साथ ये घटना तब हुई जब वे सदर बाजार में एक मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद लौट रहे थे। आलम ने बताया कि घटना के दौरान उन्होंने मदद के लिए आवाज लगाई। इसके बाद कुछ लोग आगे बढ़े, जिसे देखकर आरोपी भाग खड़े हुए। पुलिस ने कहा है कि शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस के अनुसार आरोपी कथित तौर पर नशे में थे और यह एक मामूली झड़प थी। वहीं, आलम मे कहा है कि इस घटना को अंजाम देने में 5 से 6 लोग शामिल थे। सिटी एसीपी राजीव कुमार ने बताया कि पीड़ित व्यक्ति की मेडिकल जांच कराई गई है और साथ ही आरोपियों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला जा रहा है।
- पताः एबरक्रॉम्बी स्ट्रीट, स्पेन का बंदरगाह, त्रिनिदाद और टोबैगो; त्रिनिदाद और टोबैगो का द्वीप गणराज्य एक अनूठा राज्य है, जिसमें कई रोचक और असामान्य चीजें हैं। सभी ऐतिहासिक और स्थापत्य गौरव में रेड हाउस खड़ा है। ग्रीक पुनरुत्थान की एक अनूठी शैली में निर्मित यह सुंदर संरचना, पोर्ट ऑफ स्पेन की राजधानी की एक वास्तविक सजावट है, जिसमें यह स्थित है। वास्तुकला की विशेषता को देखते हुए, संरचना त्रिनिदाद और टोबैगो के ऐतिहासिक स्मारकों के रजिस्टर में दर्ज की गई थी। लेकिन न केवल यह अन्य इमारतों के बीच उल्लेखनीय बनाता है - गणराज्य की संसद लाल सदन में बैठी है। संसद का वर्तमान सदन 150 से अधिक साल पहले बनाया जाना शुरू हुआ - 1844 के दूर के वर्ष में। पहले पत्थर के बिछाने के चार साल बाद, दक्षिणी पंख का निर्माण पूरा हो गया था। यह उल्लेखनीय है कि कुछ सजावटी सामग्री सीधे यूके से वितरित की गई थी, जिसका अधीनता त्रिनिदाद और टोबैगो के लिए थी। डिकर्स को इतालवी द्वारा इकट्ठा किया गया था। विशेष रूप से यह घर के कॉलम को ध्यान देने योग्य है - वे बैंगनी लकड़ी से बने होते हैं, लेकिन पीले रंग के होते हैं। रेड हाउस की वास्तव में अनूठी विशेषता इमारत के अंदर स्थित फव्वारा है - यह एक वेंटिलेशन और शीतलन प्रणाली की भूमिका निभाता है। वैसे, इमारत को केवल 18 9 7 में अपना वर्तमान नाम प्राप्त हुआ, निर्माण शुरू होने के बाद आधा शताब्दी से अधिक - उस वर्ष उन्होंने रानी विक्टोरिया की सालगिरह मनाईः इस इमारत के इस मुखौटे को लाल रंग दिया गया था और तब से रंग नहीं बदला गया है। 1 9 03 में, रेड हाउस को गंभीर नुकसान हुआ, जिससे बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण हुआ। इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप, संरचना ने अपना वर्तमान रूप हासिल कर लिया है। तब से, इमारत अभी भी संसद का सदन है। शानदार वास्तुकला के टुकड़े और इसके असामान्य रंग का आनंद लेने के लिए हर साल हजारों पर्यटक यहां आते हैं। वहां कैसे पहुंचे? संसद का सदन त्रिनिदाद और टोबैगो की राजधानी में स्थित है , जो एबरक्रंबी स्ट्रीट पर पोर्ट ऑफ स्पेन है । गणराज्य के अधिकारियों के आश्रय के विपरीत वुडफोर्ड स्क्वायर है।
PATNA : पटना में एक बार फिर से अपराधियों का बेखौफ चेहरा सामने आया है। बेखौफ अपराधियों ने दिनदहाड़े भाजपा नेता की मां से पिस्टल कि नोक पर डेढ़ लाख के गहने लूट ले गए। इस बावत पाटलीपुत्रा थाने में मामला दर्ज कराया गया है। घटना के संबंध में बताया गया है कि भाजपा नेता नीरज दुबे की मां शीला देवी कुर्जी अस्पताल जा रही थी। उन्होंने दीघा पॉलिटेक्निक के पास से ऑटो पकड़ा था। बताया जा रहा है कि ऑटो पर पहले से ही तीन युवक बैठे थे। कुर्जी मोड़ के समीप पहुंचते ही ऑटो चालक और उस पर सवार 3 अपराधियों ने उनपर पिस्टल तान दिया और गले की चेन और कान की बाली पिस्टल के बल पर उतरवा कर ऑटो से उतार कर दानापुर की ओर फरार हो गए। पीड़िता शीला देवी ने पाटलिपुत्र थाना में मामला दर्ज कराया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
उपभोक्ता फोरम ने मेडिकल क्लेम पर बड़ा आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि कोई व्यक्ति भले ही 24 घंटे से कम समय तक अस्पताल में भर्ती रहा हो, वह बीमा का दावा कर सकता है। वड़ोदरा के कंज्यूमर फोरम ने एक आदेश में बीमा कंपनी को बीमा की राशि भुगतान करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि नई तकनीक आने के चलते कभी-कभी रोगियों का इलाज कम समय में या अस्पताल में भर्ती हुए बिना भी किया जाता है। उपभोक्ता फोरम ने ये आदेश वड़ोदरा निवासी रमेश चंद्र जोशी की याचिका पर दिया है। जोशी ने 2017 में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। कंपनी ने उनका बीमा क्लेम देने से इनकार कर दिया था। जोशी की पत्नी को बीमारी के बाद वड़ोदरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अगले दिन इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। इलाज के बाद जोशी ने 44,468 रुपये का मेडिकल क्लेम दायर किया लेकिन बीमा कंपनी ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि मरीज को नियम के तहत 24 घंटे तक भर्ती नहीं कराया गया था। जोशी ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज की और दस्तावेज पेश कर बताया कि उनकी पत्नी को 24 नवंबर, 2016 को शाम 5। 38 बजे भर्ती कराया गया था और 25 नवंबर को अगले दिन शाम 6। 30 बजे डिस्चार्ज किया गया। इस तरह वह 24 घंटे से ज्यादा अस्पताल में थी। फोरम ने यह भी कहा कि एक बीमा कंपनी यह तय नहीं कर सकती है कि रोगी को अस्पताल में भर्ती करना आवश्यक है या नहीं। यह फैसला केवल डॉक्टर ही रोगी की स्थिति के आधार पर ले सकते हैं। फोरम ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह दावा खारिज होने की तारीख से 9% ब्याज के साथ जोशी को 44,468 रुपये का भुगतान करे।
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा को उम्मीद है कि देश में आगामी एकदिवसीय विश्व कप अत्यधिक प्रतिस्पर्धी होगा। उनकी मानें तो इस खेल की गति काफी बढ़ गई है। खेल के ताबड़तोड़ प्रारूप टी20 क्रिकेट ने सभी प्रारूपों को प्रभावित किया है। इससे पारंपरिक पांच दिवसीय प्रारूप भी अछूता नहीं है। अब टेस्ट मैच में भी बल्लेबाज आक्रामक शॉट लगाने से गुरेज नहीं करते हैं। भारत विश्व कप में आठ अक्टूबर को चेन्नई में पांच बार के चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना अभियान शुरू करेगा। उसका लक्ष्य अपना तीसरा और घरेलू मैदान पर दूसरा खिताब जीतना होगा। भारत को लीग चरण के अपने नौ मैचों को कोलकाता, मुंबई, नई दिल्ली, लखनऊ और बेंगलुरु सहित विभिन्न स्थानों पर खेलना है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच के बाद भारतीय टीम दिल्ली में 11 अक्टूबर को अफगानिस्तान का सामना करेगी। भारत और चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के बीच खेला जाना वाला बहुचर्चित मुकाबला 15 अक्टूबर को अहमदाबाद में होगा। राजनयिक तनाव के कारण दोनों पड़ोसी अब केवल आईसीसी और एसीसी (एशियाई क्रिकेट परिषद) आयोजनों में एक-दूसरे के खिलाफ खेलते हैं। दोनों देशों के बीच पिछला मुकाबला साल 2022 में ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के दौरान हुआ था। भारत और पाकिस्तान ने वनडे विश्व कप में सात बार (1992, 1996, 1999, 2003, 2011, 2015 और 2019) एक दूसरे का सामना किया है। हर बार भारतीय टीम विजेता रही है। दोनों टीमों ने 50 ओवर के प्रारूप के विश्व कप में 1987 और 2007 में एक दूसरे का सामना नहीं किया था। साल 2007 में दोनों टीमें ग्रुप चरण से आगे नहीं बढ़ पाईं थीं, जबकि 1987 में दोनों अलग-अलग ग्रुप में थीं। तब दोनों ही टीमों को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। भारत के अन्य बड़े मुकाबलों में न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ क्रमशः 22 और 29 अक्टूबर को धर्मशाला और लखनऊ में होने वाले मैच शामिल हैं। टूर्नामेंट में पिछली बार के राउंड-रॉबिन प्रारूप को बरकरार रखा गया है। इसमें सभी टीमें कुल 45 लीग मैचों के दौरान एक-दूसरे के खिलाफ खेलेंगी। टूर्नामेंट में छह मुकाबले दिन (सुबह 10:30 से शुरू) के होंगे, जबकि बाकी के मैच दिन-रात्रि (दोपहर दो बजे से) में खेले जाएंगे। नॉकआउट मुकाबले भी दिन-रात्रि के होंगे। शीर्ष चार टीमें 15 नवंबर को मुंबई और 16 नवंबर को कोलकाता में खेले जाने वाले क्रमशः पहले और दूसरे सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करेंगी। सेमीफाइनल मुकाबलों और फाइनल मैच के लिए आरक्षित दिन भी है। भारत अगर सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करता है, तो वह अपना मैच मुंबई में खेलेगा।
खीर किसे पसंद नहीं होता. हर कोई खीर का दीवाना होता है. इसे खाने के लिए लोग किसी भी हद तक चले जाते हैं और अगर बात हेरीज वाली खीर का हो तो कहने ही क्या. हर शाम कुछ जायके वाली चीज खाने की इच्छा होती है और हर सुबह कुछ मीठा खाने की. खाने के बाद अक्सर मीठा खाने की इच्छा होती है लेकिन क्या खाएं और क्या झटपट बनाएं ये समझ नहीं आथा जिसकी वजह से हम कुछ भी तय कर पाने में असमर्थ होते हैं. मीठे की तो बात ही निराली होती है और जब बात खीर की हो तो भई कहने ही क्या? खीर का नाम जुबान पर आते ही उसके मीठे जायके का अहसास होने लगता है. और उसे खाने की कोशिश में न जाने हम क्या-क्या करने लगते हैं और वही खीर अगर हमें नहीं मिलता तो हम बेहद निराश हो जाते हैं. खास तौर पर जब बात त्योहारों की हो और खीर खाने को न मिले तो निराशा ही हाथ लगती है. लेकिन अगर आपको ये पता चले कि खीर की एक शानदार रेसिपी है जिसमें कुछ एक्स्ट्रा फैक्टर्स एड होते हैं और वो बनाने में बेहद आसान है तो आपकी क्रेविंग क्या कहेगी? यही न कि जल्द से जल्द इस रेसिपी को बना लें और अपने टेस्ट बड्स को शांत करें. मोटी मलाईदार खीर के बिना भारतीय त्योहारों और अवसरों को मनाना असंभव है. लेकिन क्या होगा अगर हम आपको बता दें कि ये फ्यूजन खीर देसी मिठाइयों के लिए आपके प्यार को बदल देगी. जी हां, ये हेल्दी और स्वादिष्ट बेरी खीर आपके फेस्टिव मेन्यू में एक बढ़िया एक्स्ट्रा होगी. बस कुछ दूध, क्रीम, चीनी/गुड़ और ढेर सारी बेरीज लें और आनंद लें. इस झटपट खीर रेसिपी को बनाने के लिए, बासमती चावल को 2-3 घंटे के लिए भिगो दें. इस बीच, एक पैन लें और उसमें दूध डालें और चलाते रहें. दूध के आधा रह जाने पर आंच धीमी कर दें और चावल, व्हीप्ड क्रीम चीनी के साथ डालें, हिलाएं और खीर को 2-3 मिनट तक उबलने दें और सूखे क्रैनबेरी डालें. एक बार खीर पक गई दिखाई दे. आंच बंद कर दें और सर्विंग बाउल में डालें और ताजी रसभरी और ब्लूबेरी से सजाएं. थोड़े से भुने हुए कद्दू के बीज डालें और ठंडा-ठंडा परोसें और आनंद लें. इसे और स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें कंडेंस्ड मिल्क मिलाएं. इसे और स्वादिष्ट बनाने के लिए आप इसमें कुछ नट्स और ट्राई फ्रूट्स मिला सकते हैं. आप चीनी को स्टीविया/शहद/गुड़ से बदल सकते हैं.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़ते ही उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं. एमपी-एमएलए कोर्ट ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. कोर्ट ने उनको आगामी 24 जनवरी तक पेश होने का आदेश दिया है. यहां क्लिक करके पढ़ें पूरी खबर. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि हमने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को उत्तर प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प लिया है. सपा नीत गठबंधन के उम्मीदवारों की लिस्ट चरणबद्ध तरीके से जारी की जाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि मेरी पार्टी पहले और दूसरे चरण में चुनाव नहीं लड़ेगी. स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी छोड़ने की बड़ी वजह दलितों की उपेक्षा बताई थी. हालांकि, बीजेपी ने इन आरोपों पर पलटवार किया है. योगी सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, 'सपा या बसपा के मुकाबले बीजेपी ने दलितों के लिए ज्यादा काम किया है. स्वामी प्रसाद मौर्य 5 सालों तक योगी सरकार की तारीफ करते रहे. अब वह पार्टी छोड़ रहे हैं. बीजेपी पर इसका कोई असर पड़ने नहीं जा रहा. उत्तर प्रदेश में कमल खिलकर रहेगा, कोई इसे रोक नहीं सकता. ' स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी तो छोड़ दी है, लेकिन सपा में जाने के सवाल पर उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. उन्होंने कहा है कि 14 जनवरी को वह आखिरी फैसला करेंगे. मौर्य के इस रुख के बाद एक बार फिर राजनीतिक अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को मौर्य के साथ तस्वीर ट्वीट कर उनके सपा में आने की बात कही थी. इससे ठीक पहले, मौर्य ने योगी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. मौर्य ने कहा, "14 जनवरी को वह घड़ी आएगी जब अंतिम धमाका होगा. जो भी निर्णय होगा, वो बीजेपी सरकार की ताबूत में आखिरी कील होगा. " सपा प्रमुख अखिलेश यादव के उनके साथ फोटो ट्वीट करने पर मौर्य ने कहा, "अगर किसी ने मुझे ट्वीट कर धन्यवाद किया है तो मैं धन्यवाद करता हूं, लेकिन मुझे जाना कहां है, यह निर्णय कार्यकर्ताओं से मिलकर होगा. अंतिम निर्णय कल शाम तक आ जाएगा, जिसे मैं 14 जनवरी को सुना दूंगा. " इमरान मसूद के बाद एक और कांग्रेस विधायक सपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं. इनका नाम है मसूद अख्तर. मसूद ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस में रहते हुए सपा से गठबंधन की मांग की थी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. उनके मुताबिक, इस बार चुनाव में सपा और बीजेपी में सीधी लड़ाई है, इस वजह से उन्होंने और इमरान मसूद ने सपा में जाने का फैसला किया. मसूद अख्तर के मुताबिक, उन्होंने आज सपा जॉइन के लिए अखिलेश यादव से वक्त मांगा है. यूपी विधानसभा चुनाव से ऐन पहले सत्ताधारी बीजेपी को बड़ा झटका तब लगा जब कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थामने का ऐलान कर दिया. राजनीतिक जानकार इसे बीजेपी के लिए बड़ा नुकसान मान रहे हैं. आखिर क्या है इसकी वजह, जानने के लिए यहां क्लिक करें. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के एक बयान ने सूबे की सियासत में गर्माहट ला दी है. योगी के मुताबिक, इस बार का चुनाव 80 फीसदी बनाम 20 फीसदी के बीच होगा. राजनीतिक जानकार और विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों की ओर इशारा बता रहे हैं. इस बयान को लेकर योगी जहां विपक्ष के निशाने पर हैं, वहीं कुछ राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस बयान से बीजेपी को ध्रुवीकरण का फायदा मिल सकता है. पूरे सियासी समीकरण को समझने के लिए देखें यह वीडियो. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा कर दी है, मगर अब तक बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड के बीच साझा रूप से चुनाव लड़ने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है जिसको लेकर जनता दल यूनाइटेड में नाराजगी बढ़ती जा रही है. जेडीयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड के बीच अब तक गठबंधन नहीं हो पाने को लेकर अपनी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा, "हमारे पार्टी के नेता आरसीपी सिंह बीजेपी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर लगातार बातचीत कर रहे हैं मगर अब तक इसको लेकर कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है. अब तो उत्तर प्रदेश में चुनाव की घोषणा भी हो गई है. यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर गठबंधन कब तक होगा. " यूपी में बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड के बीच किसी प्रकार के गठबंधन की संभावना पर सवाल खड़े हो गए जब पार्टी के वरिष्ठ नेता और जदयू के उत्तर प्रदेश प्रभारी केसी त्यागी ने यूपी चुनाव अकेले लड़ने के संकेत दे दिए और कहा कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. (रिपोर्ट- रोहित कुमार सिंह) UP Election 2022: यूपी चुनाव को लेकर सपा ने कई दलों से गठबंधन किया है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज दोपहर 12 बजे सपा मुख्यालय पर बैठक बुलाई है. उन्होंने सहयोगी दलों की मीटिंग बुलाई है, जिसमें आरएलडी को छोड़कर अन्य सभी दल शामिल होंगे. सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग पर चर्चा होगी. इस बैठक में कृष्णा पटेल, ओपी राजभर, संजय चौहान, केशव देव मौर्य मौजूद रहेंगे. (इनपुट- कुमार अभिषेक) Swami Prasad Maurya News: बीजेपी के किसी बड़े नेता ने या केंद्रीय नेतृत्व ने स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ संपर्क नहीं किया है. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी को स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी छोड़ने की भनक पहले से थी, इसलिए उनके इस्तीफे के बाद भी कोई संपर्क नहीं साधा गया है. (इनपुट- कुमार अभिषेक)
बस्तर। अवैध गांजा के तस्करी पर बस्तर पुलिस ने आज बड़ी कार्यवाही की है. जानकारी के मुताबिक पुलिस को मुखबिर के जरिए लगातार सूचना मिल रही थी, कि इस रास्ते से गांजा की तस्करी की जा रही है. जिस पर पुलिस ने टीम गठित कर नाकेबंदी किया। नाकेबंदी के दौरान वाहनों की जांच पड़ताल की गई. चेकिंग के दौरान पुलिस ने छत्तीसगढ-उडीसा सीमा पर कार से 60 किलो अवैध गांजा बरामद किया है. जिसकी अनुमानित कीमत 3 लाख बताई जा रही है. साथ ही 2 तस्करों को गिरफ्तार किया है. दोनों से पूछताछ जारी है. बता दें कि सीएम भूपेश बघेल के निर्देश के बाद पुलिस लगातार अवैध तस्करों के खिलाफ कर रही है.
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को बीते दिनों IRCTC मामले में जमानत मिली लेकिन अभी भी उनकी मुश्किलें बरकरार है. फिलहाल लालू यादव रांची के रिम्स अस्पताल में इलाज़रत है और झारखण्ड हाईकोर्ट से चारा घोटाले में फिलहाल उन्हें कोई राहत मिलती नज़र नही आ रही है. इधर लोकसभा चुनाव भी करीब आ गया है और हर चुनावों में एक्टिव रहने वाले लालू की कमी भी उनकी पार्टी को खल रही है. यह ट्वीट लालू यादव का एक इशारा है जो उन्होंने अपनी सजा और आने वाले लोकसभा के मद्देनज़र किया है. इस ट्वीट के साथ लालू यादव ने एक मैगज़ीन का कवर फोटो भी शेयर किया है जो किसी बुक स्टाल पर नज़र आ रही है. आउटलुक की कवर पेज पर लालू यादव को किंगमेकर बताते हुए उनकी फोटो छपी है और उसपे सवाल के रूप में लिखा है Absentee Kingmaker? तो दोस्तों, हर ख़बरों और उनसे जुड़े अपडेट के लिए हमारे साथ जुड़े रहिये क्यूंकि हम रखते है ख़बरों पर पैनी नज़र, और हाँ बिहारी न्यूज़ का youtube channel रूबरू बिहार को subscribe करना न भूले. लिंक नीचे दिया गया है.
मैने क्षमा प्रार्थनापूर्वक विश्वास दिलाया, 'मैं सुन रहा हूँ, सुन रहा हूँ।' ' सुन रहे हैं तो सुनिए' वह बोले, ' हमारे माथेमे आँखें हैं । हमारे बाहुओ बल है । आपकी तरह की मौनकी प्रतीक्षा ही हमारा काम नहीं है । प्रकृतिका जितना वैभव है, हमारे लिए है । उसमें जो गुप्त है इसलिए है कि हम उसे उद्घाटित करें। धरतीमें छिपा जल है तो इसलिए कि हम उस धरतीको छेद डालें और कुए खोदकर पानी खीच ले । धरतीके भीतर सोना-चाँदी दबा है और कोयला बंद है, - अब हम है कि धरतीको पोला करके उसके भीतरसे सब कुछ उगलवा ले । आप कहिए कि कुछ हमारे लिए नहीं है तो बेशक कुछ भी आपके लिए न होगा। पर मै कहता हूँ कि सब-कुछ हमारे लिए है; और तब, कुछ भी हमारी मुट्ठी में आये बिना नहीं रह सकता । ' वह विद्वान् पुरुष देखनेसे अभी पकी आयुके नहीं जान पड़ते । उनकी देह दुर्बल है, पर चेहरेपर प्रतिभा दीखती है। ऊपरकी बात कहते हुए उनका मुख जो पीला है, रक्ताभ हो आया है। मैने पूछा भाई, आप कौन हो ? काफी साहस आपने प्राप्त किया है । ' ' जी हाँ, साहस हमारा हक है । मै युवक हूँ । मै वही हूँ जो स्रष्टा होते हैं । मानवका उपकार किसने किया है ? उसने जिसने कि निर्माण किया है । उसने जिसने कि साहस किया है। निर्माता साहसी होता है। वह आत्म-विश्वासी होता है। मैं वही युवक हूँ। मै वृद्ध नहीं होना चाहता।' कहते कहते युवक मानो कॉप आये। उनकी आवाज़ काफी तेज हो गई थी। मानो किसीको चुनौती दे रहे हों। मुझे नही प्रतीत हुआ कि यह युवक वृद्ध होनेमें सचमुच देर लगाएँगे । बाल उनके अब भी जहाँ-तहाँसे पक चले है । उनका स्वास्थ्य हर्षप्रद नहीं है और उनकी इंद्रियाँ बिना बाहरी सहायताके मानो काम करनेसे अब भी इन्कार करना चाहती है । मैने कहा, ' भाई, मान भी लिया कि सब कुछ हमारे लिए है । तब फिर हम किसके लिए है ? ' युवकने उद्दीप्त भावसे कहा, 'हम किसके लिए है ? हम किसीके लिए नहीं है। हम अपने लिए हैं । मनुष्य सचराचर विश्वमें मूर्धन्य है । वह विश्वका भोता है । सब उसके लिए साधन है । वह स्वयं अपने आपमें साध्य है । मनुष्य अपने लिए है । बाकी और सब-कुछ मनुष्य के लिए है ---- मैने देखा कि युवकका उद्दीपन इस भाँति अधिक न हो जाय । मानव-प्राणीकी श्रेष्ठतासे मानो उनका मस्तक चहक रहा है। मानों वह श्रेष्ठता उनसे झिल नही रही है, उनमें समा नहीं रही है । श्रेष्ठता तो अच्छी ही चीज़ है, पर वह बोझ बन जाय यह ठीक नहीं है । मैने कहा, 'भाई, मैने जल-पानको पूछा ही नहीं । ठहरो, कुछ जल-पान मँगाता हूँ।' युवकने कहा, 'नहीं - नहीं, ' और वह कुछ अस्थिर हो गया। मैने उनका संकोच देखकर हठ नहीं की। कहा, ' देखो भाई, हम अपने आपमे पूरे नहीं है । ऐसा होता तो किसी चीज़की ज़रूरत न होती । पूरे होनेके रास्ते में ज़रूरतें होती है। पूरे हो जानेका लक्षण ही यह है कि हम कहें यह ज़रूरत नहीं रह गई। कोई वस्तु उपयोगी है, इसका अर्थ यही है कि हमारे भीतर उसकी उपयोगिता के लिए जगह खाली है । सब-कुछ हमे चाहिए, इसका मतलब यह है कि अपने भीतर हम बिल्कुल खाली है । सब कुछ हमारा हो, - इस हविसकी जड़मे तथ्य यह है कि हम अपने नही है । सबपर अगर हम कुब्ज़ा करना चाहते है तो आशय है कि हमपर हमारा ही काबू नहीं है, हम पदार्थोंके गुलाम है। क्यों भाई, आप गुलाम होना पसंद करते हो ? युवकका चेहरा तमतमा आया। उन्होंने कहा, 'गुलाम । मैं सबका मालिक हूँ । मै पुरुष हूँ । पुरुषकी कौन बराबरी कर सकता । है ? सब प्राणी और सब पदार्थ उसके चाकर है । है, वह स्वामी है । मै गुलाम ? मै पुरुष हूँ, मै गुलाम !.... ' आवेशमे आकर युवक खड़े हो गये । देखा कि इस बार उनको रोकना कठिन हो जायगा । बढ़कर मैने उनके कंधेपर हाथ रक्खा और प्रेमके अधिकारसे कहा, 'जो दूसरेको पकड़ता है, वह खुद पकड़ा जाता है। जो दूसरेको बाँधता है वह खुदको बाँधता है । जो दूसरेको खोलता है वह खुद भी खुलता है। अपने प्रयोजनके घेरेमे किसी पदार्थको या प्राणीको घेरना खुद अपने चारों ओर घेरा डाल लेना है । इस प्रकार स्वामी बनना दूसरे अर्थो में दास बनना है । इसीलिए, मैं कहता हूँ कि कुछ हमारे लिए नहीं है। इस तरह सबको आजाद करके अपनानेसे हम सच्चे अर्थोमे उन्हें 'अपना' बना सकते हैं। अनुरक्तिमे हम क्षुद्र बनते है, विरक्त होकर हम ही विस्तृत हो जाते हैं। हाथमे कुंडी बगलमे सोटा, चारो दिसि जागीरीमे- भाई, चारों दिशाओको अपनी जागीर बनानेकी राह है तो यह है । - ' अब तक युवक धैर्यपूर्वक सुनते रहे थे । अब उन्होने मेरा हाथ अपने कंधेपरसे भटक दिया और बोले, 'आपकी बुद्धि बहक गई है । मै आपकी प्रशंसा सुनकर आया था। आप कुछ कर्तृत्वका उपदेश न देकर यह मीठी बहककी बाते सुनाते है । मै उनमें फॅसनेवाला नहीं हूँ । प्रकृतिसे युद्धकी आवश्यकता है । निरंतर युद्ध, अविराम युद्ध । प्रकृतिने मनुष्यको हीन बनाया है । यह मनुष्यका काम है कि उसपर विजय पाये और उसे चेरी बनाकर छोड़े। मै कभी यह नहीं सुनूँगा कि मनुष्य प्रारब्धका दास है --- मैंने कहा, ' ठीक तो है । लेकिन भाई - ' पर मुझे युवकने बीचहीमें तोड़ दिया। कहा, 'जी नहीं, मैं कुछ नहीं सुन सकता। देश हमारा रसातलको जा रहा है । और उसके लिए आप जैसे लोग जिम्मेदार हैं- ' मैं एक इकेला-सा आदमी कैसे इस भारी देशको रसातल जितनी दूर भेजनेका श्रेय पा सकता हूँ, यह कुछ मेरी समझमे नही आया कहना चाहा, 'सुनो तो भाई - ' लेकिन युवकने कहा, 'जी नही, माफ़ कीजिए।' यह कहकर वह युवक मुझे वहीं छोड़ तेज़ चालसे चले गये । असल इतनी बात बढ़नेपर में पूछना चाहता था कि भाई, तुम्हारी शादी हुई या नहीं? कोई बाल-बच्चा है? कुछ नौकरी चाकरीका ठीक-ठाक है, या कि क्या ? गुज़ारा कैसे चलता है :मैं उनसे कहना चाहता था कि भाई, यह दुनिया अजव जगह है; सो तुम्हें जब ज़रूरत हो और मै जिस योग्य समझा जाऊँ, उसे कहनेमे मुझसे हिचकनेकी आवश्यकता नहीं है । तुम विद्वान् हो, कुछ करना चाहते हो । मैं इसके लिए तुम्हारा कृतज्ञ हूँ। मुझे तुम अपना ही जानो । देखो भाई, संकोच न करना । - पर उन युवकने यह कहनेका मुझे अवसर नहीं दिया, रोष भावसे मुझे परे हटाकर चलते चले गये । उन युवककी एक भी बात मुझे नामुनासिब नहीं मालूम हुई । सब बातें युवकोचित थीं । पर उन बातोंको लेकर अधीर होनेकी आवश्यकता मेरी समझ में नही आई । मुझे जान पड़ता है कि सब कुछका स्वामी बनने से पहले खुद अपना मालिक बननेका प्रयत्न वह करे तो ज्यादा कार्यकारी हो । युवककी योग्यता असंदिग्ध है, पर दृष्टि उनकी कही सदोष भी न हो ! उनके ऐनक लगी थी, इससे शायद निगाह निर्दोष पूरी तरह न रही होगी । पर वह युवक तो मुझे छोड़ ही गये है । तब यह अनुचित होगा कि मैं उन्हें न छोहूँ । इससे आइए, उन युवकके प्रति अपनी मंगल कामनाओंका देय देकर इस अपनी बातचीतके सूत्रको सँभालें । प्रश्न यह है कि अपनेको समस्तका केंद्र मानकर क्या हम यथार्थ सत्यको समझ सकते अथवा पा सकते है ? निस्संदेह सहज हमारे लिए यही है कि केंद्र हम अपनेको मानें और शेष विश्वको उसी अपेक्षा ग्रहण करें । जिस जगह हम खड़े हैं, दुनिया उसी स्थलको मध्य बिंदु मानकर वृत्ताकार फैली हुई दीख पड़ती है। जान पड़ता है, धरती चपटी है, थालीकी भाँति गोल है और स्थिर है। सूरज उसके चारों ओर घूमता है । स्थूल आँखोंसे और स्थूल वुद्धिसे यह बात इतनी सहज सत्य मालूम होती है कि जैसे अन्यथा कुछ हो ही नहीं सकता। अगर कुछ प्रत्यक्ष सत्य है तो यह ही है । पर आज हम जानते हैं कि यह वात यथार्थ नहीं है। जो यथार्थ है उसे हम तभी पा सकते हैं जब अपनेको विश्वके केंद्र माननेसे हम ऊँचे उठे । - अपनेको मानकर भी किसी भाँति अपनेको न मानना आरंभ करें । सृष्टि हमारे निमित्त है, यह धारणा अप्राकृतिक नहीं है। पर उस धारणापर अटक कर कल्पनाहीन प्राणी ही रह सकता है । मानव अन्य प्राणियोंकी भाँति कल्पनाशून्य प्राणी नहीं है । - मानवको तो यह जानना ही होगा कि सृष्टिका हेतु हममें निहित नहीं है । हम स्वयं सृष्टिका भाग हैं । हम नहीं थे, पर सृष्टि थी । हम नहीं रहेंगे, पर सृष्टि रहेगी । सृष्टिके साथ और सृष्टिके पदार्थोंके साथ हमारा सच्चा संबंध क्या है ? क्या हो ? मेरी प्रतीति है कि प्रयोजन और ' युटिलिटी' शब्दसे जिस संबंधका बोध होता है वह सच्चा नहीं है । वह काम चलाऊ भर है वह परिमित है, कृत्रिम है और वंधनकारक है। उससे कोई किसीको पा नहीं सकता । सच्चा संबंध प्रेमका, भ्रातृत्वका और आनन्दका है। इसी संबंध में पूर्णता है, उपलब्धि है और आह्लाद है; न यहाँ किसीको किसीकी अपेक्षा है, न उपेक्षा है । यह प्रसन्न, उदात्त, समभावका संबंध है पानी हमारे पीनेके लिए बना है, हवा जीनेके लिए, यदि
आज क्रिसमस डे है। प्रभु यीशु मसीह के जन्मोत्सव के लिए चर्च रंग-बिरंगी लाइट से सज चुके हैं। सत्य, प्रेम, करुणा और दया के पालनहार प्रभु यीशु के अवतरण का कार्यक्रम शनिवार रात 10 बजे से ही शुरू हो गया। लोगों ने चर्च में पहुंच कैंडल्स जलाईं। रविवार पूरा दिन गिरिजाघरों में कार्यक्रम होंगे। अमृतसर की सभी चर्चों में मां मरियम की गोद में यीशु की प्रतिमा को सजाया गया है। चर्च के आसपास के एरिया में भी काफी अधिक रौनक रही। गिरिजाघरों में रात 10 बजे के करीब लोगों की भीड़ इकट्ठी होना शुरू हो गई। अमृतसर की कोर्ट रोड स्थित सेंट पॉल चर्च और रामबाग स्थित चर्च में बड़े आयोजन किए गए। रात 12 बजते ही खुशी का माहौल छा गया। कैरल्स गाए गए और लोगों ने एक दूसरे को भगवान यीशु मसीह के जन्म दिवस की शुभकामनाएं दी गई। लोगों ने एक दूसरे को मिठाइयां व केक देकर इस दिन की शुभकामनाएं दी। पंजाब में बीते कुछ समय से निहंग जत्थेबंदियों और ईसाई समुदाय के बीच तनाव चल रहा है। इसी के मद्देनजर गिरिजाघरों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। मेटल डिटेक्टर इन्स्टॉल किए गए और आने-जाने वाले हर व्यक्ति की जांच के बाद ही चर्च जाने दिया गया। चर्च में नन्हें बच्चे सांता बनकर पहुंचे। लाल रंग के कपड़ों में बच्चे खूबसूरत लग रहे थे। सांता बने बच्चे अपने थैले में रखी टॉफियां बांट रहे हैं। इतना ही नहीं शहर के मॉल भी क्रिसमस सेलिब्रेशन के लिए सज चुके हैं। शुक्रवार से ही सड़कों पर भी लोग सांता बन बच्चों को मिठाई और टॉफियां बांट रहे हैं। This website follows the DNPA Code of Ethics.
FD Interest Rate: आज हम आपको उन प्राइवेट बैंकों के बारे में बताएंगे जो 5 साल की जमा पूंजी पर सबसे ज्यादा ब्याज देते हैं। ब्याज दर 4. 40 प्रतिशत से 6. 50 प्रतिशत तक है। इन निजी बैंकों में डीसीबी बैंक, इंडसइंड बैंक, आरबीएल बैंक, यस बैंक शामिल हैं। निवेश को सुरक्षित रखने के लिए लोग सरकारी बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट FD स्कीम शुरू करते हैं। लेकिन जब रिटर्न की बात आती है तो छोटे बचत बैंक या गैर-वित्तीय संस्थान अधिक लाभ देते हैं। एफडी ब्याज दर में कटौती क्योंः रिजर्व बैंक ने तब से रेपो दर को अपरिवर्तित 4 प्रतिशत पर तय कर दिया है। इसके बाद से बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें घटा दी हैं। रेपो रेट पिछले एक साल से 4 फीसदी पर अटका हुआ है. इसका बड़ा असर एफडी की ब्याज दर पर देखने को मिल रहा है। जब से एफडी रिटर्न पूरी तरह से कर योग्य हो गया है, तब से एफडी आय में और भी गिरावट आ रही है। इससे निवेशक अपनी जमा पूंजी और रिटर्न को लेकर चिंतित हैं. इनमें देश के कई प्राइवेट बैंक ऐसे हैं जो रेपो रेट के असर की चिंता किए बिना निवेशकों को अच्छा रिटर्न दे रहे हैं। FD पर ऐसे कमाएं मोटा रिटर्नः FD पर निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिलाने में स्मॉल फाइनेंस बैंक अच्छी भूमिका निभा रहे हैं. ये बैंक और संस्थान औसत से ज्यादा ब्याज दर दे रहे हैं। निवेशक चाहे तो अपनी जमा पूंजी का कुछ हिस्सा इन निजी बैंकों की एफडी में जमा करा सकता है। यह योजना सरकारी बैंकों की नहीं है और निजी बैंकों द्वारा चलाई जाती है। इसलिए इसमें जोखिम की संभावना है लेकिन आप इसका इस्तेमाल अच्छा रिटर्न पाने के लिए कर सकते हैं। अगर निवेशक जोखिम से बचना चाहता है तो इसका भी एक उपाय है। यह बैंक दे रहा ज्यादा ब्याजः अगर आप एफडी में निवेश करना चाहते हैं तो नीचे दिखाए गए 10 निजी बैंकों में निवेश कर सकते हैं। इन बैंकों में यस बैंक, एक्सिस बैंक, आरबीएल बैंक और डीसीबी बैंक शामिल हैं। ये बैंक एफडी पर अच्छा ब्याज देते हैं। जिसमें आप 5 साल के लिए एफडी करवा सकते हैं और 4. 40 फीसदी से लेकर 6. 50 फीसदी तक का रिटर्न पा सकते हैं। ध्यान दें कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50 आधार अंकों का रिटर्न और भी अधिक है। यह नियम सभी बैंकों में लागू है। आइए जानते हैं इन 10 प्राइवेट बैंकों की एफडी दरों के बारे में। नंबर 1 पर डीसीबी बैंकः मुथूट फाइनेंस दे रहा है 8 फीसदी ब्याजः छोटे बैंकों या गैर-वित्तीय संस्थानों की बात करें तो मुथूट फाइनेंस एफडी में 1 साल के लिए 8 फीसदी ब्याज मिलता है। उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक 1 साल की एफडी पर 6. 75 फीसदी ब्याज दे रहा है। सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक 3 साल से 5 साल की एफडी पर 6. 75% रिटर्न देता है। जना बैंक 3 साल 1 दिन से 5 साल तक की एफडी पर 6. 75 फीसदी ब्याज देता है। एसबीएम बैंक 1 साल से 1 साल 1 दिन की एफडी योजनाओं पर 6. 5 फीसदी ब्याज देता है। आरबीएल बैंक 5 साल की एफडी पर 6. 50 फीसदी ब्याज दे रहा है।
बस खाना है दूध जलेबी (Photo Credit: sanjanafeast) New Delhi: जलेबी एक ऐसी स्वीट डिश है जिसे किसी ख़ास मौके पर या नाश्ते में खाया जाता है. गर्मागर्म जलेबी (Jalebi Recipe) को कई लोग दूध, दही और रबड़ी के साथ खाना पसंद करते हैं. तो हम आपको बता दें कि दूध जलेबी (Health Benefits Of Doodh Jalebi) न केवल स्वाद बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. दूध जलेबी (Doodh Jalebi Khane Ke Fayde) खाने से पाचन को बेहतर रखा जा सकता है. ख़ास कर दूध जलेबी वजन बढ़ने के लिए भी बहुत कारागार है. दूध जलेबी खाने के फायदेः (Doodh Jalebi Khane Ke Fayde) 1. वजन बढ़ाने में मददगारः जलेबी को स्वाद ही नहीं वजन बढ़ाने के लिए भी खा सकते हैं. जलेबी में कैलोरी की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है, जो वजन को बढ़ाने में मदद कर सकती है. 2. स्ट्रेस में मददगारः दूध जलेबी को साथ में खाने से स्ट्रेस भी कम होता है. कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक दूध जलेबी खाने से मेमोरी पावर बूस्ट किया जा सकता है. 3. माइग्रेन में मददगारः माइग्रेन की समस्या लगभग आजकल हर किसी युवा को है. ये समस्या ज्यादातर युवाओं में ज्यादा देखने को मिल रही है. जब भी आपको माइग्रेन की समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इसके अलावा माइग्रेन वालों को दूध जलेबी भी खाना चाहिए. ये दिमाग को शांत करता है.
दो बाइकों की आमने-सामने भिड़ंत में 2 युवकों की मौत हो गई, तीन गंभीर घायलों का इलाज जारी है। शुक्रवार को अलवर दिल्ली मेगा हाईवे पर स्थित रामगढ़ क्षेत्र के अंतर्गत करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम चौकी बास में कस्बा निवासी तीन युवकों की अलवर की ओर से आ रही मोटरसाइकिल पर सवार दो युवकों से भयंकर भिड़ंत हो गई। जिसमें रामगढ़ कस्बा निवासी एडवोकेट जयंत अलग की मृत्यु हो गई एवं उसके साथी आकाश जैन एवं प्रिंस दुआ गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं दूसरी ओर शानू सिंह पुत्र अवतार सिंह निवासी अलगाना क्षेत्र गोविंदगढ़ की भी इस सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई है। जबकि उसका साथी माखन पुत्र रणजीत सिंह गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती है। शुक्रवार को शाम करीब 5 बजे रामगढ़ कस्बे से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चौकी बास में हुई इस भयानक सड़क दुर्घटना की खबर मिलते ही पुलिस प्रशासन फौरन मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों के सहयोग से घायल पांचों युवकों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां से अलवर रेफर कर दिया। This website follows the DNPA Code of Ethics.
आज हम आपके लिए जो ऑप्टिकल इल्यूजन टेस्ट लेकर आए हैं, वो एक आदमी का स्केच है. इस स्केच में ही कहीं उसकी 3 बेटियों के चेहरे भी छिपे हुए हैं. आपको 20 सेकंड के भीतर बताना है कि वो कहां हैं? सोशल मीडिया पर 'दिमाग का दही' कर देने वाली एक और तस्वीर सामने आई है, जो कि एक आदमी का स्केच है. लेकिन इस स्केच में ही कहीं उसकी बेटियों के चेहरे भी छिपे हुए हैं. आपको 20 सेकंड के अंदर बताना है कि आखिर वो चेहरेकहां है? वैसे, तस्वीर के साथ यह भी दावा किया जा रहा है कि जिनकी नजर बाज जैसी तेज होगी, वो ही इस ऑप्टिकल इल्यूजन को सुलझा पाएंगे. तो आइए देखते हैं कि आपकी ऑब्जर्वेशन स्किल कितनी अच्छी है और क्या आप तय समय के भीतर बेटियों को ढूंढ पाते हैं या नहीं. आइए पहले जानते हैं कि ये ऑप्टिकल इल्यूजन आखिर होता क्या है. दरअसल, ये एक तरह की फोटो पहेली होती है, वो आपके दिमाग की अच्छी तरह से कसरत करवाती है. मसलन, दिखने में भले ही आपको ये आसान लगेंगे, लेकिन जब आप तस्वीर की गहराई में झांकने की कोशिश करेंगे, तब आपको पता चलेगा कि आपने क्या पंगा लिया है. यूं कहें कि जो तुर्रम खां तेज नजर होने का दावा करते हैं, वो भी इस पहेली के आगे पानी मांगने लगेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं आज का ऑप्टिकल इल्यूजन टेस्ट. अब जरा नीचे वाली तस्वीर को गौर से देखिए. आपको एक शख्स का स्केच दिखेगा. इसी में कहीं उसकी तीन बेटियों के चेहरे भी हैं. तो आपका समय शुरू होता है अब. क्या आपको दिखे बेटियों के चेहरे? आपको बता दें कि आर्टिस्ट ने इस ऑप्टिकल इल्यूजन को ऐसे बनाया है कि शख्स की बेटियों के चेहरे ढूंढने में नेटिजन्स के पसीने छूट रहे हैं. अगर आप खुद को जीनियस समझते हैं, तो 20 सेकंड के भीतर चेहरे को खोजकर बताएं. वैसे, हमें यकीन है कि आप इस टेस्ट को आसानी से पार पा लेंगे. और अगर आप अभी तक बेटियों को ढूंढ ही रहे हैं, तो कोई बात नहीं. हम आपकी थोड़ी मदद कर देते हैं. शख्स के चेहरे को निहारने के बाद उसकी दाढ़ी और गर्दन को गौर से देखिए. आपको उसके इर्द-गिर्द चेहरा जरूर नजर आएगा. अब शायद आपने चेहरों को सेकंडों में देख लिया होगा. फिर भी नहीं दिखे, तो नीचे लाल घेरे में हम बता रहे हैं कि आखिर बेटियों के चेहरे कहां हैं?
कार की बेकाबू रफ्तार ने दो युवकों की जान ले ली। आधी रात को लखनऊ से रायबरेली पहुंची कार सड़क किनारे खड़े ट्रेलर में घुस गई। इस भीषण हादसे में कार सवार समेत लखनऊ के दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, रविवार की रात लगभग 12 बजे कबरई से गिट्टी लादकर अयोध्या जा रहा ट्रेलर लालगंज-बछरांवा मुख्य मार्ग पर तहसील के सामने अचानक खराब हो गया। चालक जयकरन तथा खलासी योगेंद्र नीचे उतरकर पहियों के आगे-पीछे ईंट लगा रहे थे, तभी लालगंज की तरफ से आ रही तेज रफ्तार कार ट्रेलर में भिड़ गई। टक्कर इतनी तेज थी कि कार का अगला हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। कार सवार दोनों युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने घायलों को किसी प्रकार कार से बाहर निकालकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। मृतकों की पहचान सत्येंद्र पुत्र चंद्रपाल सिंह व सीमान सिंह पुत्र कृष्णपालसिंह निवासी आईमामऊ,अर्जुनगंज, लखनऊ के रूप में हुई है। कोतवाल इंद्रपाल सिंह ने बताया कि शवो को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। ट्रेलर के चालक व परिचालक को पकड़ा गया है। खड़े वाहन में कार के भिड़ने की वजह से दुर्घटना हुई है। उल्लेखनीय है कि लालगंज-फतेहपुर मुख्य मार्ग पर ढाबों के निकट भी सड़क के दोनों तरफ मौरंग,गिट्टी लादे व खाली ट्रक चौबीसों घंटे खड़े रहते हैं जो दुर्घटनाओं का सबब बनते रहते हैं। इनकी चपेट में आने वालों को जान गंवानी पड़ती है, लेकिन पुलिस और परिवहन विभाग बेफिक्र है।
नई दिल्ली, 7 फरवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को विपक्षी पार्टी के नेताओं से आयुष्मान भारत योजना पर सुझाव देने को कहा। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, मैंने सुना है कि सांसद आयुष्मान भारत के बारे में बात करते हैं और इनमें से कुछ इस योजना की तुलना अमेरिका और ब्रिटेन की योजना से कर रहे हैं। मुझे लगता है कि हर देश की अपनी विशिष्ट परिस्थितियां होती हैं। आयुष्मान भारत परियोजना का उद्देश्य बुनियादी स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करना है। साथ ही परिजन के बीमार होने और लंबे इलाज की स्थिति में परिवारों को वित्तीय सहायता मुहैया कराना है। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं जिस बात के लिए निश्चित हूं कि हम सहमत होंगे की स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने विपक्षी पार्टियों को आयुष्मान भारत योजना में बेहतरी के लिए सलाह देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, हम आयुष्मान भारत योजना लाए हैं और मैं सहमत हूं कि इसमें कमी हो सकती है। इसलिए मैं विपक्षी पार्टी के नेताओं को इस योजना की बेहतरी के लिए सुझाव देने का निमंत्रण देता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं विपक्षी पार्टियों से आग्रह करता हूं कि वे इन सुझावों पर विचार के लिए अपना-अपना कार्यबल बनाएं। मोदी ने कहा, सरकार हमेशा सलाह, फीडबैक लेने के लिए तैयार रहती है। आखिर, हम देश और गरीबों के लिए काम कर रहे हैं।
उत्तर कोरिया में तानाशाह किम जोंग उन की बेटी 'जू एई' जैसा नाम रखने वाली महिलाओं पर सख्ती की जा रही है। उनको नाम बदलने का वक्त दिया गया है। किम जोंग उन की बेटी की उम्र करीब 10 साल बताई जा रही है। रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, जिन महिलाओं के नाम 'जू एई' रखे गए हैं उनको स्थानीय प्रशासन ने जन्म प्रमाण पत्र बदलने के आदेश दिए हैं।
नरगिस. . एक ऐसी अदाकारा जिन्होंने अपने अभिनय के दम पर एक ऐसा मुकाम हासिल किया जिसे मिटाया नहीं जा सकता. आज नरगिस की 93वीं जयंती है और इस खास मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास तथ्य बताने जा रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते. नरगिस दत्त का असली नाम फातिमा राशिद था. उन्होंने 1935 में फिल्म 'तलाश-ए-हक' से एक बाल कलाकार के रूप में अभिनय की शुरुआत की. इसे उनकी मां जद्दनबाई ने प्रोड्यूस किया था. यह तब था जब फिल्म क्रेडिट में उनका नाम बेबी नरगिस रखा गया था और फिर ये हमेशा के लिए रह गया. नरगिस केवल 28 वर्ष की थीं जब उन्होंने अकादमी-पुरस्कार नामांकित फिल्म 'मदर इंडिया' में राधा के रूप में शानदार प्रदर्शन किया. यह प्रतिष्ठित सम्मान के लिए नामांकित होने वाली पहली भारतीय फिल्म थी. 1958 में, उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता. कथित तौर पर, सुनील दत्त के साथ उनका रिश्ता तब शुरू हुआ जब उनकी 'मदर इंडिया' के सह-कलाकार ने उन्हें फिल्म के सेट पर एक आग दुर्घटना से बचाया. नरगिस स्पास्टिक्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की पहली संरक्षक थीं. उन्हें स्पास्टिक्स के बच्चों के लिए उनके काम और संगठन के लिए उनके सामाजिक और धर्मार्थ कार्यों के लिए पहचान मिली. नरगिस दत्त को राज कपूर फिल्म्स के प्रतीक चिन्ह में अमर कर दिया गया है. प्रतीक में राज कपूर और नरगिस दत्त की फिल्म 'बरसात' का प्रतिष्ठित दृश्य है, जहां अभिनेता एक हाथ में नरगिस और दूसरे में वायलिन पकड़े हुए दिखाई देते हैं. नरगिस दत्त ने अपने पति सुनील दत्त के साथ अजंता कला सांस्कृतिक मंडली का गठन किया, जिसमें उस समय के कई प्रमुख अभिनेता और गायक शामिल थे, जिन्होंने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्टेज शो किए. नरगिस दत्त ने अपने पति सुनील दत्त के साथ अजंता कला सांस्कृतिक मंडली का गठन किया, जिसमें उस समय के कई प्रमुख अभिनेता और गायक शामिल थे, जिन्होंने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्टेज शो किए. नरगिस को चैटिंग बहुत पसंद थी और वह एक इंसान थीं. एक रिपोर्ट में, उनकी बेटी नम्रता ने कहा कि जब नरगिस मालिश के लिए लेट जाएगी, तो फोन उनके पास लाया जाएगा. उन्होंने आगे खुलासा किया कि उनके पिता सुनील दत्त उनके निधन के बाद भी मजाक करेंगे कि अगर उनके पास मोबाइल फोन होता, तो वे टूट जाते. सुनील दत्त से शादी के बाद, नरगिस ने अपने करियर के चरम पर अभिनय छोड़ दिया और एक गृहिणी और अपने तीन बच्चों के लिए एक प्यारी मां के रूप में अपनी नई भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया. सफेद साड़ियों को पसंद करने के कारण नरगिस को लेडी इन व्हाइट कहा जाता था. अभिनेत्री को अग्नाशय के कैंसर का पता चला था और उन्होंने न्यूयॉर्क में इसका इलाज कराया था. जब वह भारत लौटीं, तो उनकी तबीयत और बिगड़ गई और वह कोमा में चली गईं. एक दिन बाद 3 मई 1981 को नरगिस का निधन हो गया. संजय दत्त की डेब्यू फिल्म 'रॉकी' की रिलीज से कुछ दिन पहले नरगिस का निधन हो गया. फिल्म के प्रीमियर पर नरगिस की एक सीट कथित तौर पर खाली रखी गई थी.
- Movies बिन ब्रा साड़ी पहनकर ऐसे मचलीं सोफिया अंसारी, वीडियो प्ले करते ही एक जगह पर अटक जाएगी नजर! - Travel भक्ति की अनुठी कहानी सुनाता है कर्नाटक का कोटिलिंगेश्वर मंदिर, कहां से आते हैं मंदिर में इतने शिवलिंग? क्या आप अपने पुराने कंप्यूटर कीबोर्ड से बोर हो चुके हैं। तो आप भी कुछ ऐसी चीजों से एक नया की बोर्ड बना सकते हैं जिसके बारे में आपने कभी सोंचा नहीं होगा। एमआईटी कालेज में पढ़ने वालें सेकेंड इयर के पीएचडी स्टूडेंट्स ने कुछ ऐसे की बोर्ड बनाएं है जिनके बारे में आप सोंच भी नहीं सकते हैं। ये कीबोर्ड आपकी लाइफ में गैजेट को प्रयोग करने का तरीका ही बदल देंगे। इन स्टूडेंट ने मेकी मेकी नाम की एक ऐसी किट तैयार की है जिसमें किसी भी चीज के द्वारा की बोर्ड बनाने का तरीका दिया गया है। अपने प्रोजेक्ट के लिए दोनों स्टूडेंट ने फंड भी सेव किया है। अभी तक इनके पास 358,379 डॉलर का फंड सेव हो चुका है। इस प्रोजेक्ट के सद्स्यों में से एक रफी ने केले को कीबोर्ड की तरह प्रयोग किया है। इसके अलावा कई दूसरी चीजों पर भी इन्होंने एक्पेरिमेंट किए हैं। Read more about:
प्रीलिम्स के लियेः मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? हाल ही में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency- BEE) ने अपने स्थापना दिवस पर डीप फ्रीज़र और लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनर (Deep Freezer and Light Commercial Air Conditioners- LCAC) हेतु स्टार रेटिंग कार्यक्रम शुरू किया है। मुख्य बिंदुः - केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Power) के अंतर्गत स्थापित BEE ने अपने 19वें स्थापना दिवस के अवसर पर ऊर्जा कुशल भारत के निर्माण के लिये एक दृष्टिकोण विकसित करने हेतु कार्यक्रम का आयोजन किया। - इस अवसर पर ऊर्जा दक्षता इनफॉर्मेशन टूल (Urja Dakshata Information Tool- UDIT) की भी शुरुआत की गई। - BEE द्वारा 'वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट' (World Resources Institute-WRI) के सहयोग से बनाए गए इस पोर्टल के ज़रिये विभिन्न क्षेत्रों में चलाए जा रहे ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों के बारे में जानकारी और आँकड़े हासिल किये जा सकेंगे। - उदित एक उपयोगकर्त्ता अनुकूलित मंच है जो उद्योग, उपकरण, भवन, परिवहन, नगरपालिका और कृषि क्षेत्रों में भारत के ऊर्जा दक्षता परिदृश्य की व्याख्या करता है। - उदित, ऊर्जा दक्षता क्षेत्र में वृद्धि के लिये सरकार द्वारा उठाए गए क्षमता निर्माण संबंधी नई पहलों की भी प्रदर्शित करेगा। क्या है डीप फ्रीज़र और लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनर हेतु स्टार रेटिंग कार्यक्रम? - स्टार लेबलिंग कार्यक्रम ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत एक अधिदेश के रूप में BEE द्वारा प्रारंभ किया गया है। - इस कार्यक्रम के माध्यम से डीप फ्रीज़र और लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनर को स्टार लेबलिंग अर्थात् स्टार रेटिंग कार्यक्रम के दायरे में लाया गया है। स्टार लेबलिंगः - स्टार लेबलिंग के माध्यम से उपकरण विनिर्माता यह बताता है कि उसका कोई उपकरण बिजली खर्च के हिसाब से कितना किफायती है। - डीप फ्रीज़र के लिये स्टार लेबलिंग कार्यक्रम स्वैच्छिक आधार पर शुरू किया गया है और ऊर्जा खपत मानदंड 31 दिसंबर, 2021 तक प्रभावी होगा। वहीं हल्के वाणिज्यिक एयर कंडीशनर के लिये यह 2 मार्च, 2020 से 31 दिसंबर, 2021 तक स्वैच्छिक होगा। डीप फ्रीज़र तथा लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनरः - डीप फ्रीज़र का उपयोग खाने-पीने का सामान, फल, सब्जी जैसे पदार्थों को लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिये होता है। वहीं हल्के वाणिज्यिक एयर कंडीशनर के तहत 3 टन से 5 टन तक की क्षमता के एसी आते हैं। - इस कार्यक्रम के तहत BEE ने अब तक 24 उपकरणों को कवर किया है, जिसमें 10 उपकरण अनिवार्य स्टार लेबलिंग के अधीन हैं। - स्वैच्छिक स्टार लेबलिंग के तहत इन दो नए उपकरणों के लॉन्च होने से अब इस कार्यक्रम में 26 उपकरण शामिल हो गए हैं। - डीप फ्रीज़र्स की वार्षिक ऊर्जा खपत का ऊर्जा खपत मानक (किलोवाट.घंटा/वर्ष) पर आधारित है। - डीप फ्रीज़र्स का उपयोग मुख्य रूप से वाणिज्यिक प्रशीतन क्षेत्र में किया जाता है और अगले दशक तक इनके 2 गुना हो जाने की संभावना है जिससे बिजली की खपत के बढ़ने की भी संभावना है। - वित्तीय वर्ष 2017-18 में चेस्ट और अपराइट डीप फ्रीज़र सेगमेंट (Chest and Upright type Deep Freezer Segment) के कुल संगठित बाज़ार का आकार लगभग 5-6 लाख यूनिट था। इसका बाज़ार पिछले 3 वर्षों में 28% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ दोगुना से अधिक हो गया है तथा इसके और बढ़ने की भी उम्मीद है। चेस्ट प्रकार के फ्रीजर का हिस्सा बाज़ार में लगभग 99% है, जबकि अपराइट प्रकार के फ्रीज़र्स का बाज़ार में हिस्सा लगभग 1% है। - लगभग 3.72 लाख डीप फ्रीज़र यूनिटस का विदेश से आयात किया गया है जबकि शेष स्वदेशी तौर पर निर्मित हैं। - डीप फ्रीज़र को स्टार रेटिंग कार्यक्रम में लाने से वर्ष 2030 तक 6.2 अरब यूनिट बिजली की बचत होगी जो कार्बन डाइऑक्साइड के 5.3 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैस की कमी के बराबर है। वहीं लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनर के मामले में 2.8 अरब यूनिट बिजली बचत का अनुमान है अर्थात् कुल मिलाकर इससे 9 अरब यूनिट बिजली की बचत होगी जो कार्बन डाइऑक्साइड के 2.4 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैस की कमी के बराबर है। ऊर्जा कुशल भारत के विकास के लिये हितधारकों के साथ परामर्शः - भारत के ऊर्जा क्षेत्र का निर्धारण सरकार की विभिन्न विकास संबंधी महत्त्वाकांक्षाओं से निर्धारित होगा, जैसे- वर्ष 2022 तक अक्षय ऊर्जा की 175 गीगावाट क्षमता स्थापित करना, सभी के लिये 24X7 पॉवर, सभी के लिये वर्ष 2022 तक आवास, 100 स्मार्ट सिटी मिशन, ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देना, रेलवे सेक्टर का विद्युतीकरण, घरों का 100% विद्युतीकरण, कृषि पंप सेटों का सोलराइजेशन, और खाना पकाने की स्वच्छ विधियों को बढ़ावा देना। - भारत महत्त्वाकांक्षी ऊर्जा दक्षता नीतियों के कार्यान्वयन से वर्ष 2040 तक 300 GW बिजली की बचत होगी। - वर्ष 2017-18के दौरान ऊर्जा दक्षता उपायों के सफल कार्यान्वयन से देश की कुल बिजली खपत में 7.14% की बचत और 108.28 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन में कमी आई है। ऊर्जा दक्षता ब्यूरोः - भारत सरकार ने इसकी स्थापना ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के उपबंधों के अंतर्गत 1 मार्च, 2002 को की थी। - ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के समग्र ढाँचे के अंदर स्व-विनियम और बाज़ार सिद्धांतों पर महत्त्व देते हुए ऐसी नीतियों और रणनीतियों का विकास करने में सहायता प्रदान करना है जिनका प्रमुख उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की गहनता को कम करना है। प्रीलिम्स के लियेः मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने 2 मार्च, 2020 को राज्यसभा में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 पेश किया। मुख्य बिंदुः - इस विधेयक को 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था तथा अगले दिन इसे पारित किया गया। - इस विधेयक का उद्देश्य भारत के तीन डीम्ड विश्वविद्यालयों को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में बदलना है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में परिवर्तित किये जाने वाले डीम्ड विश्वविद्यालयः - राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (नई दिल्ली) - लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ (नई दिल्ली) - राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ (तिरुपति) - प्रस्तावित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों के कार्यः - संस्कृत भाषा के ज्ञान का प्रसार करना और संस्कृत भाषा को और उन्नत बनाना। - मानविकी, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान के एकीकृत पाठ्यक्रम के लिये विशेष प्रावधान करना। - संस्कृत भाषा और उससे संबद्ध विषयों के समग्र विकास और संरक्षण के लिये लोगों को प्रशिक्षित करना। - शक्तियाँः - अध्ययन के पाठ्यक्रम का वर्णन करना और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना। - डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाण पत्र प्रदान करना। - दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से सुविधाएँ प्रदान करना। - एक कॉलेज या संस्थान को स्वायत्त स्थिति प्रदान करना। - संस्कृत और संबद्ध विषयों में शिक्षा हेतु निर्देश प्रदान करना। - विश्वविद्यालय के प्राधिकारः - एक न्यायालय के रूप मेंः - यह विश्वविद्यालय की नीतियों की समीक्षा करेगा और इसके विकास के लिये उपाय सुझाएगा। - कार्यकारी परिषदः - यह विश्वद्यालय का एक मुख्य कार्यकारी निकाय होगा। - केंद्र द्वारा नियुक्त इस 15-सदस्यीय परिषद में कुलपति को भी शामिल किया जाएगा, जो इस बोर्ड का अध्यक्ष होगा। - इस समिति में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव, और संस्कृत या संबद्ध विषयों के क्षेत्र से दो प्रतिष्ठित शिक्षाविद् शामिल होंगे। - यह परिषद शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति का प्रावधान करेगी और विश्वविद्यालय के राजस्व और संपत्ति का प्रबंधन करेगी। - एक अकादमिक और गतिविधि परिषद (Academic and Activity Council) होगी जो अकादमिक नीतियों की निगरानी करेगी। - एक 'बोर्ड ऑफ स्टडीज़' होगा जो शोध के लिये विषयों को मंज़ूरी देगा और शिक्षण के मानकों में सुधार के उपायों की सिफारिश करेगा। - एक न्यायालय के रूप मेंः (Visitor of the universities): - भारत का राष्ट्रपति सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों का विज़िटर होगा। - वह विश्वविद्यालय के कामकाज की समीक्षा और निरीक्षण करने के लिये व्यक्तियों को नियुक्त कर सकता है। - निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर कार्यकारी परिषद कार्रवाई कर सकती है। प्रीलिम्स के लियेः मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की अध्यक्षता में नई दिल्ली में भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (Land Ports Authority of India-LPAI) के 8वें स्थापना दिवस का आयोजन किया गया। - केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीमा पार व्यापार की सुविधा हेतु सीमावर्ती बुनियादी ढाँचे के निर्माण और भारत की भूमि सीमाओं पर यात्रा हेतु किये गए उत्कृष्ट कार्य के लिये LPAI की सराहना की। - ज्ञात हो कि भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर में यात्री टर्मिनल भवन के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित है और पाकिस्तान में भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 3-4 किमी. दूर है। यह भारत के गुरदासपुर ज़िले में डेरा बाबा नानक से लगभग 4 किमी. दूर है और पाकिस्तान के लाहौर से लगभग 120 किमी. उत्तर-पूर्व में है। कहा जाता है कि सिख समुदाय के पहले गुरु ने अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण वर्ष यहाँ गुज़ारे जिसके कारण यह स्थान सिख धर्म के अनुयायियों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिये करतारपुर साहिब की ओर जाने वाले गलियारे को खोलने की मांग भारत द्वारा कई अवसरों पर उठाई जाती रही है। इसके पश्चात् नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में भारतीय केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2019 में गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती मनाने का प्रस्ताव पारित किया और साथ ही गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर गलियारे के निर्माण और विकास को मंज़ूरी दी गई। - इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भूमि पत्तन से संबंधित विभिन्न पहलुओं जैसे- यात्रा और क्षेत्रीय संपर्क, एकीकृत चेक पोस्ट (ICPs) पर कार्गो संचालन में चुनौतियाँ और एकीकृत चेक पोस्ट के बुनियादी ढाँचे संबंधी आवश्यकताएँ आदि पर चर्चा की गई। (Land Ports Authority of India) - भारत की अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, म्याँमार, नेपाल और पाकिस्तान के साथ लगभग 15000 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है। सीमा क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर व्यक्तियों, माल और वाहनों के आवागमन के लिये कई निर्दिष्ट प्रवेश और निकास स्थान हैं। - इस संबंध में विभिन्न सरकारी कार्यों जैसे- सुरक्षा, आव्रजन और सीमा शुल्क आदि के समन्वय तथा नियंत्रण हेतु 1 मार्च, 2012 को भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) की स्थापना की गई थी। - भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) सीमा प्रबंधन विभाग, गृह मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक निकाय है। - भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 11 के तहत LPAI को भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों में निर्दिष्ट बिंदुओं पर यात्रियों और सामानों की सीमा पार आवाजाही के लिये सुविधाओं को विकसित एवं प्रबंधित करने की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। वर्ष 2003 में व्यक्तियों, वाहनों और सामानों की सीमा पार आवाजाही के लिये अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे पर चिंता व्यक्त करते हुए सचिव स्तर की एक समिति ने भारत की भूमि सीमाओं के प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर एकीकृत चेक पोस्ट (ICPs) स्थापित करने की सिफारिश की। इसके पश्चात् इस कार्य को करने के लिये एक स्वायत्त एजेंसी की संरचना की सिफारिश करने हेतु एक अंतर-मंत्रालयी कार्यदल का गठन किया गया। अंतर-मंत्रालयी कार्यदल ने विभिन्न विकल्पों पर विचार कर ICPs के निर्माण, प्रबंधन और रखरखाव के लिये एजेंसी हेतु सबसे उपयुक्त मॉडल के रूप में एक सांविधिक निकाय की सिफारिश की। इस प्रकार भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) का गठन किया गया। भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 11 की उप-धारा (2) में भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण के विभिन्न कार्यों का उल्लेख किया गया हैः - एकीकृत चेक पोस्ट पर राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और रेलवे के अतिरिक्त सड़कों, टर्मिनलों एवं सहायक भवनों की योजना, निर्माण तथा रखरखाव करना; - एकीकृत चेक पोस्ट पर संचार, सुरक्षा, माल की हैंडलिंग और स्कैनिंग उपकरणों को खरीदना, स्थापित करना और उनका रखरखाव करना; - एकीकृत चेक पोस्ट पर नियुक्त कर्मचारियों के लिये आवास की व्यवस्था करना; - प्राधिकरण को सौंपे गए किसी भी कार्य के निर्वहन के लिये संयुक्त उपक्रम स्थापित करना। प्रीलिम्स के लियेः मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? केंद्र सरकार ने 11-12 अप्रैल को नई दिल्ली में 'सामाजिक सशक्तीकरण के लिये उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता-2020' (Responsible AI for Social Empowerment-2020) यानी रेज़-2020 (RAISE 2020) नामक एक वृहद् आयोजन की घोषणा की है। - रेज़-2020 सरकार द्वारा उद्योग और शिक्षा क्षेत्र के साथ साझेदारी में आयोजित किया जाने वाला भारत का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) शिखर सम्मेलन है। - इस शिखर सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में सामाजिक सशक्तीकरण, समावेशन एवं परिवर्तन के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का इस्तेमाल करने के साथ-साथ एक पाठ्यक्रम की तैयारी हेतु विश्व भर के विशेषज्ञों द्वारा विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा। - इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। - केंद्र द्वारा घोषित इस शिखर सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य एक बेहतर भविष्य के लिये सामाजिक परिदृश्य को बदलने हेतु उत्तरदायी AI की क्षमता का उपयोग करने हेतु भारत के विज़न को रेखांकित करना है। - यह शिखर सम्मेलन डिजिटल युग में AI को नैतिक रूप से विकसित करने की आवश्यकता को लेकर व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिये विचारों के सुचारु आदान-प्रदान को सक्षम करेगा। - रेज़-2020 कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर भारत के विज़न और उत्तरदायी AI के माध्यम से सामाजिक सशक्तीकरण, समावेशन और परिवर्तन के लिये रोडमैप बनाने के उद्देश्य से अपनी तरह की पहली वैश्विक बैठक है। - यह आयोजन एक स्टार्टअप चैलेंज - पिचफेस्ट के साथ शुरू होगा। - भारत सरकार द्वारा आयोजित इस दो-दिवसीय शिखर सम्मेलन में इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ विश्व भर की औद्योगिक हस्तियाँ, प्रमुख चिंतक, सरकार के प्रतिनिधि और शिक्षाविद् भाग लेंगे। - नीति आयोग के अनुमान के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को अपनाने एवं बढ़ावा देने से वर्ष 2035 तक भारत की GDP में 957 बिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ ही भारत की वार्षिक वृद्धि दर 1.3 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। - कृषि में अनुप्रयोग से यह किसानों की आय तथा कृषि उत्पादकता बढ़ाने और अपव्यय को कम करने में योगदान कर सकता है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस लक्ष्य की प्राप्ति में AI महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। - कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुँच को बढ़ा सकता है। इसकी मदद से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है एवं शिक्षा तक लोगों की पहुँच को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही प्रशासन में दक्षता को बढ़ाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त व्यापार एवं वाणिज्य में इसका लाभ सिद्ध है। (Artificial Intelligence) - कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जो कंप्यूटर के इंसानों की तरह व्यवहार करने की धारणा पर आधारित है। - सरलतम शब्दों में कहें तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अर्थ है एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप माना जाता है। - कृत्रिम बुद्धिमत्ता का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था, लेकिन इसकी महत्ता को पहली बार 1970 के दशक में पहचान मिली। जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की थी। इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी। - इसके पश्चात् अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया। ब्रिटेन ने इसके लिये 'एल्वी' नाम से एक परियोजना की शुरुआत की। यूरोपीय संघ के देशों ने भी 'एस्प्रिट' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। प्रीलिम्स के लियेः ब्लैक कार्बन, समतुल्य ब्लैक कार्बन (EBC) मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? वैज्ञानिक पत्रिका 'ऐटमोस्पियरिक एनवायरनमेंट' (Atmospheric Environment) में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, कृषि अपशिष्ट दहन और वनाग्नि से उत्पन्न 'ब्लैक कार्बन' (Black carbon) के कारण 'गंगोत्री हिमनद' के पिघलने की दर में वृद्धि हो सकती है। मुख्य बिंदुः - यह अध्ययन वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology- WIHG) के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया था। WIHG संस्थान विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology- DST) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है। - यह अध्ययन वर्ष 2016 में गंगोत्री हिमनद के पास चिरबासा स्टेशन पर किया गया था। - पर्वतीय ढालों से घाटियों में रैखिक प्रवाह में बहते हिम संहति को हिमनद कहते हैं। भारत में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश में ऐसे हिमनद पाए जाते हैं। गंगोत्री हिमनदः - भागीरथी नदी का उद्गम गंगोत्री हिमनद से है, जबकि अलकनंदा का उद्गम अलकनंदा हिमनद से है, देवप्रयाग के निकट दोनों के मिलने के बाद इन्हें गंगा के रूप में जाना जाता है। शोध के मुख्य निष्कर्षः - ग्रीष्मकाल में गंगोत्री हिमनद क्षेत्र में ब्लैक कार्बन की सांद्रता में 400 गुना तक वृद्धि हो जाती है। 'समतुल्य ब्लैक कार्बन' (Equivalent Black Carbon- EBC) की मासिक औसत सांद्रता अगस्त माह में न्यूनतम और मई माह में अधिकतम पाई गई। - EBC की मौसमी माध्य सांद्रता में मैसमी बदलाव आता है, जिससे यहाँ प्राचीन हिमनद स्रोत (Pristine Glacial Source) की उपस्थिति तथा क्षेत्र में EBC स्रोतों की अनुपस्थिति का पता चलता है। - शोध के अनुसार, ब्लैक कार्बन की मौसमी चक्रीय परिवर्तनीयता के उत्तरदायी कारकों में कृषि अपशिष्ट दहन (देश के पश्चिमी भाग में) तथा ग्रीष्मकालीन वनाग्नि (हिमालय के कगारों पर) प्रमुख थे। ब्लैक कार्बन (Black Carbon): - ब्लैक कार्बन जीवाश्म एवं अन्य जैव ईंधनों के अपूर्ण दहन, ऑटोमोबाइल तथा कोयला आधारित ऊर्जा सयंत्रों से निकलने वाला एक पार्टिकुलेट मैटर है। - यह एक अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक है जो उत्सर्जन के बाद कुछ दिनों से लेकर कई सप्ताह तक वायुमंडल में बना रहता है। समतुल्य ब्लैक कार्बन (EBC): - ब्लैक कार्बन अपने उत्पति स्रोत के आधार पर अलग-अलग प्रकार के होते हैं तथा वे प्रकाश के विशिष्ट तरंगदैर्ध्य का अवशोषण या परावर्तन करते हैं। इसका मापन ऐथेलोमीटर (Aethalometers) उपकरण द्वारा किया जाता है। - ब्लैक कार्बन के इन मौलिक कणों को द्रव्यमान (Mass) इकाई में बदलने के लिये, इन उपकरणों का उपयोग किया जाता है तथा परिणाम को समतुल्य ब्लैक कार्बन (EBC) नाम दिया जाता है। यथा- यातायात के ब्लैक कार्बन द्रव्यमान को EBC-TR लिखा जाएगा। ब्लैक कार्बन के स्रोतः ब्लैक कार्बन के प्रभावः - वायुमंडल में इसके अल्प स्थायित्व के बावजूद यह जलवायु, हिमनदों, कृषि, मानव स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव डालता है। - वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा समतापमंडल (stratosphere) में 18 किमी. की ऊँचाई तक इन कणों के उपस्थित होने के साक्ष्य मौजूद हैं। इसका प्रभाव यह होता है कि ये ब्लैक कार्बन कण लंबे समय तक वातावरण में उपस्थित रहते हैं तथा 'ओज़ोन परत को नुकसान' पहुँचाने वाली अन्य रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिये एक बेहतर स्थिति प्रदान करते हैं। - ब्लैक कार्बन जैसे वायु प्रदूषक में गर्भवती माँ के फेफड़ों के माध्यम से प्लेसेंटा में स्थापित होने की क्षमता होती है जिसके 'शिशु पर गंभीर स्वास्थ्य परिणाम' प्रदर्शित होते हैं। हिमनद व परमाफ्रास्ट (Permafrost) पर प्रभावः - वर्ष 2005 में प्रकाशित लारेंस रिपोर्ट के अनुसार, आर्कटिक क्षेत्र में समस्त मृदा का लगभग 30% ब्लैक कार्बन भंडार है। वैश्विक तापन के कारण हिमनद तथा परमाफ्रास्ट लगातार पिघल रहा है तथा इसमें दबा हुआ ब्लैक कार्बन और मीथेन बाहर आ रही है जिससे जलवायु तापन में और तेज़ी आएगी। - ब्लैक कार्बन के कारण 'हिमालयी ग्लेशियरों' पिघलने की गति भी बढ़ गई है। आगे की राहः - वनाग्नि को जलवायु परिवर्तन का एक महत्त्वपूर्ण आयाम मानते हुए इससे निपटने के लिये हमें वैश्विक स्तर पर नीति निर्माण की आवश्यकता है, जो 'वनाग्नि और उससे संबंधित पहलुओं' को संबोधित करती हो। - कृषि अपशिष्टों यथा- 'पराली' आदि का व्यावसायीकरण किया जाना चाहिये ताकि इनके दहन में कमी आ सके। प्रीलिम्स के लियेः इरावदी डॉल्फिन, चिल्का झील, भीतरकनिका व गहिरमाथा अभयारण्य (इनके अध्ययन के लिये मैप का उपयोग कीजिये) मेन्स के लियेः जलवायु परिवर्तन का जीवों पर प्रभाव, जीव संरक्षण व पर्यावरण प्रभाव आकलन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर-लेखन में इस प्रकार के बिंदुओं को संदर्भ अथवा उदाहरण (आवश्यकता) के तौर पर उपयोग किया जा सकता है। चर्चा में क्यों? 19 जनवरी, 2020 को ओडिशा राज्य के वन विभाग द्वारा राज्य में भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान तथा उसमें स्थित गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में एक दिवसीय डॉल्फिन जनगणना का आयोजन किया गया जिसमें पिछली जनगणना के मुकाबले इस वर्ष डॉल्फिन की संख्या में कमी देखने को मिली। मुख्य बिंदुः - 24 फरवरी, 2020 को प्रकाशित डॉल्फिन जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में डॉल्फिन की कुल संख्या वर्ष 2020 में 233 दर्ज की गई, जबकि वर्ष 2019 यह संख्या 259 तथा वर्ष 2015 में 270 थी। - वर्ष 2020 में हुई डॉल्फिन जनगणना में केवल 62 डॉल्फिन्स को ही गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में देखा गया। - वर्ष 2019 में गहिरमाथा में संपन्न डॉल्फिन जनगणना में जहाँ इनकी संख्या 126 आँकी गई थी, वहीं वर्ष 2015 की जनगणना में यह संख्या 307 थी। - गहिरमाथा में हुई डॉल्फिन जनगणना में 60 इरावदी डॉल्फिन (Irrawaddy Dolphins) तथा 2 बोटल नोज़ डॉल्फिन (Bottle-nose Dolphins) ही गहिरमाथा में देखी गई हैं। जबकि वर्ष 2019 में हुई डॉल्फिन जनगणना में 14 इरावदी डॉल्फिन, 14 बोटल नोज़ डॉल्फिन तथा 98 हंपबैक डॉल्फिन (Humpback Dolphins) देखी गई। - गहिरमाथा में प्रथम डॉल्फिन जनगणना वर्ष 2015 में संपन्न हुई जिसमें 58 इरावदी डाॅल्फिन, 23 बोटल नोज़ डॉल्फिन्स,123 सूसा चिनेंसिस डॉल्फिन (Sousa Chinensis Dolphins), 50 सोसा प्ल्म्बेरा डॉल्फिन (Sousa plumbera dolphins),15 पेनट्रोपिक स्पॉटेड डॉल्फिन (Pantropical Spotted Dolphins), 1 फिनलेस प्रपोईस डॉल्फिन (Finless Porpoise Dolphin) यानी वर्ष 2015 में डॉल्फिन की कुल संख्या 270 पाई गई थी। - हालाँकि प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कुल डॉल्फिन की संख्या में गिरावट के बावजूद चिल्का झील में डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि देखी गई है जो वर्ष 2019 के 130 की तुलना में वर्ष 2020 में बढ़कर 146 हो गई हैं। - वर्ष 2020 की गहिरमाथा डॉल्फिन जनगणना इस क्रम की चौथी डॉल्फिन जनगणना है। - सर्वप्रथम गहिरमाथा में डॉल्फिन जनगणना वर्ष 2015 में संपन्न कराई गई उसके बाद वर्ष 2018 और वर्ष 2019 की जनगणना संपन्न की गई। डॉल्फिन की संख्या में गिरावट के कारणः - जलवायु परिवर्तन, प्रतिकूल मौसम, अवैध शिकार आदि कुछ मुख्य कारण हैं जिनके चलते राज्य में डॉल्फिन की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। - इसके अलावा शिकार के दौरान जाल में फँसकर या फिर मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर से टकराकर भी इनकी मृत्यु हो जाती है जिसके चलते इनकी संख्या में कमी दर्ज की गई है। - जलवायु परिवर्तन एवं अत्यधिक वर्षा के कारण जल की लवणता कम होने की वजह से इस वर्ष कई इरावदी डॉल्फिन ने गहिरमाथा से चिल्का झील की तरफ तथा हंपबैक डॉल्फिन ने समुद्र की तरफ प्रवास किया है जिस कारण गहिरमाथा में इस वर्ष जनगणना के दौरान एक भी हमबैक डॉल्फिन को नहीं देखा गया। - गहिरमाथा में डॉल्फिन की संख्या में हुई कमी स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का सूचक नहीं है, यह गहिरमाथा में हुए पारिस्थितिकी बदलाव की तरफ इशारा करता है। गहिरमाथा समुद्री अभयारण्यः - गहिरमाथा ओडिशा के केंद्रपाड़ा ज़िले में भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित है। - यह ओडिशा का एकमात्र समुद्री अभयारण्य है। - गहिरमाथा का समुद्री तट ओलिव रिडले कछुओं (Olive Ridleys Turtuls) का विश्व में सबसे बड़ा प्रजनन स्थल है। चिल्का झील : - यह ओडिशा राज्य के पूर्वी तट पर स्थित है जो पुरी (Puri), खुर्दा (Khurda), गंजम (Ganjam) ज़िलों में विस्तारित है। - यह एशिया की सबसे बड़ी आंतरिक खारे पानी की लैगून झील है। - वर्ष 1971 में इसे रामसर अभिसमय के तहत आर्द्रभूमि स्थल के रूप में शामिल किया गया है। - यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों के लिये सबसे बड़ा शीतकालीन मैदान है। - चिल्का झील के दक्षिण में स्थित सतपद (Satapada) इरावदी डॉल्फिन के लिये प्रसिद्ध है। - विश्व में इरावदी डॉल्फिन की सर्वाधिक आबादी चिल्का झील में ही देखी जाती है। - डॉल्फिन को भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनयम 1972 की अनुसूची 1 में शामिल किया गया है। - यह लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अभिसमय (Convention on International Trade in Endangered Species) के अनुबंध 1 तथा प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (Convention on Migratory Species) के अनुबंध II में शामिल है। - प्रकृति संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for the Conservation of Nature- IUCN) की रेड लिस्ट में डाॅल्फिन को संकटग्रस्त जीवों की श्रेणी में शामिल किया गया है। 3 मार्च, 2020 को दुनिया भर में विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जा रहा है। यह दिवस वन्यजीवों के संरक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता के प्रसार हेतु प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को मनाया जाता है। 20 दिसंबर, 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मार्च को विश्व वन्य जीव दिवस के रूप में मानने का निर्णय लिया था। ज्ञात हो कि 3 मार्च, 1973 में वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) को अंगीकृत किया गया था। वर्ष 2020 के लिये विश्व वन्यजीव दिवस की थीम "धरती पर सभी जीवों का संरक्षण (Sustaining all life on Earth) है। वर्ष 2020 को जैव विविधता का वर्ष माना गया है। भारत के लिये यह वर्ष मुख्य रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी वर्ष भारत ने जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध कार्रवाई के लिये संगठन CoP-13 की अध्यक्षता प्राप्त की है। इस अवसर पर देश में जागरूकता शिविर, फोटो प्रदर्शनी तथा छात्रों और आम जनता को वन्यजीवों के संरक्षण का महत्त्व बताने के लिये कई कार्यक्रम आयोजित किये गए हैं। श्रम एवं रोज़गार मंत्री संतोष गंगवार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीजल की डोरस्टेप डिलीवरी के लिये 'हमसफर' मोबाइल एप लॉन्च किया है। इस एप की सहायता से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में होटल, अस्पताल और हाउसिंग सोसाइटी अपने घर पर डीज़ल की डिलीवरी की जाएगी। अभी यह सुविधा गुरुग्राम, गाज़ियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद, हापुड, कुंडली, माणेसर और बहादुरगढ़ में उपलब्ध होगी। हमसफर के पास अभी 12 टैंकर हैं। इनकी क्षमता 4000 से 6000 लीटर की है। इन टैंकरों के अलावा हमसफर के पास 35 लोगों की एक अनुभवी टीम भी है। देश भर में 1 मार्च से 7 मार्च, 2020 तक जन औषधि सप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्य जाँच शिविर, जन औषधि परिचर्चा और "जन औषधि का साथ" जैसी विभिन्न गतिविधियाँ चलाई जा रही हैं। सप्ताह के दौरान जन औषधि केंद्रों के माध्यम से देश भर में रक्तचाप, मधुमेह की जाँच, डाॅक्टरों द्वारा निशुल्क चिकित्सा जाँच और दवाओं का मुफ्त वितरण किया जा रहा है। स्वास्थ्य शिविरों में आने वाले लोगों को जन औषधि केंद्रों में बेची जा रही रही दवाओं की गुणवत्ता और उनकी कम कीमतों के बारे में जानकारी दी जा रही है। पूर्व हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह कुलार का 28 फरवरी, 2020 को निधन हो गया। हॉकी खिलाड़ी बलवीर सिंह का जन्म वर्ष 1942 में पंजाब के संसारपुर गाँव में हुआ था। बलबीर सिंह कुलार ने हॉकी की शुरुआत स्कूल में पढ़ाई के दौरान की थी। पढ़ाई के साथ-साथ अच्छा खेलने के कारण उन्हें पंजाब की हॉकी टीम में स्थान मिला। वर्ष 1962 में बलबीर सिंह कुलार को पंजाब सरकार ने पंजाब पुलिस में ASI के तौर पर नियुक्त किया। बलवीर सिंह कुलार ने वर्ष 1963 में भारतीय टीम की तरफ से अपना पहला इंटरनेशनल हॉकी मैच फ्रांँस में खेला था। ध्यातव्य है कि कुलार वर्ष 1966 में बैंकॉक एशियाई गेम्स में स्वर्ण पदक, वर्ष 1968 में मैक्सिको ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थे। बलबीर सिंह कुलार को वर्ष 1999 में अर्जुन अवार्ड और 2009 में पद्मश्री पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।
थायस ने स्वाधीन, लेकिन निर्धन और मूर्तिपूजक मातापिता के घर जन्म लिया था। जब वह बहुत छोटीसी लड़की थी तो उसका बाप एक सराय का भटियारा था। उस सराय में परायः मल्लाह बहुत आते थे। बाल्यकाल की अशृंखल, किन्तु सजीव स्मृतियां उसके मन में अब भी संचित थीं। उसे अपने बाप की याद आती थी जो पैर पर पैर रखे अंगीठी के सामने बैठा रहता था। लम्बा, भारीभरकम, शान्त परकृति का मनुष्य था, उन फिर ऊनों की भांति जिनकी कीर्ति सड़क के नुक्कड़ों पर भाटों के मुख से नित्य अमर होती रहती थी। उसे अपनी दुर्बल माता की भी याद आती थी जो भूखी बिल्ली की भांति घर में चारों ओर चक्कर लगाती रहती थी। सारा घर उसके तीक्ष्ण कंठ स्वर में गूंजता और उसके उद्दीप्त नेत्रों की ज्योति से चमकता रहता था। पड़ोस वाले कहते थे, यह डायन है, रात को उल्लू बन जाती है और अपने परेमियों के पास उड़ जाती है। यह अफीमचियों की गप थी। थामस अपनी मां से भलीभांति परिचित थी और जानती थी कि वह जादूटोना नहीं करती। हां, उसे लोभ का रोग था और दिन की कमाई को रातभर गिनती रहती थी। असली पिता और लोभिनी माता थायस के लालनपालन की ओर विशेष ध्यान न देते थे। वह किसी जंगली पौधे के समान अपनी बा़ से ब़ती जाती थी। वह मतवाले मल्लाहों के कमरबन्द से एकएक करके पैसे निकालने में निपुण हो गयी। वह अपने अश्लील वाक्यों और बाजारी गीतों से उनका मनोरंजन करती थी, यद्यपि वह स्वयं इनका आशय न जानती थी। घर शराब की महक से भरा रहता था। जहांतहां शराब के चमड़े के पीपे रखे रहते थे और वह मल्लाहों की गोद में बैठती फिरती थी। तब मुंह में शराब का लसका लगाये वह पैसे लेकर घर से निकलती और एक बुयि से गुलगुले लेकर खाती। नित्यपरति एक ही अभिनय होता रहता था। मल्लाह अपनी जानजोखिम यात्राओं की कथा कहते, तब चौसर खेलते, देवताओं को गालियां देते और उन्मत्त होकर 'शराब, शराब, सबसे उत्तम शराब !' की रट लगाते। नित्यपरति रात को मल्लाहों के हुल्लड़ से बालिका की नींद उचट जाती थी। एकदूसरे को वे घोंघे फेंककर मारते जिससे मांस कट जाता था और भयंकर कोलाहल मचता था। कभी तलवारें भी निकल पड़ती थीं और रक्तपात हो जाता था। थायस को यह याद करके बहुत दुःख होता था कि बाल्यावस्था में यदि किसी को मुझसे स्नेह था तो वह सरल, सहृदय अहमद था। अहमद इस घर का हब्शी गुलाम था, तवे से भी ज्यादा काला, लेकिन बड़ा सज्जन, बहुत नेक जैसे रात की मीठी नींद। वह बहुधा थामस को घुटनों पर बैठा लेता और पुराने जमाने के तहखानों की अद्भुत कहानियां सुनाता जो धनलोलुप राजेमहाराजे बनवाते थे और बनवाकर शिल्पियों और कारीगरों का वध कर डालते थे कि किसी को बता न दें। कभीकभी ऐसे चतुर चोरों की कहानियां सुनाता जिन्होंने राजाओं की कन्या से विवाह किया और मीनार बनवाये। बालिका थायस के लिए अहमद बाप भी था, मां भी था, दाई था और कुत्ता भी था। वह अहमद के पीछेपीछे फिरा करती; जहां वह जाता, परछाईं की तरह साथ लगी रहती। अहमद भी उस पर जान देता था। बहुत रात को अपने पुआल के गद्दे पर सोने के बदले बैठा हुआ वह उसके लिए कागज के गुब्बारे और नौकाएं बनाया करता। अहमद के साथ उसके स्वामियों ने घोर निर्दयता का बर्ताव किया था। एक कान कटा हुआ था और देह पर कोड़ों के दागही-दाग थे। किन्तु उसके मुख पर नित्य सुखमय शान्ति खेला करती थी और कोई उससे न पूछता था कि इस आत्मा की शान्ति और हृदय के सन्टोष का स्त्रोत कहां था। वह बालक की तरह भोला था। काम करतेकरते थक जाता तो अपने भद्दे स्वर में धार्मिक भजन गाने लगता जिन्हें सुनकर बालिका कांप उठती और वही बातें स्वप्न में भी देखती। 'हमसे बात मेरी बेटी, तू कहां गयी थी और क्या देखा था ?' 'मैंने कफन और सफेद कपड़े देखे। स्वर्गदूत कबर पर बैठे हुए थे और मैंने परभु मसीह की ज्योति देखी। थायस उससे पूछती-'दादा, तुम कबर में बैठै हुए दूतों का भजन क्यों गाते हो।' अहमद जवाब देता-'मेरी आंखों की नन्ही पुतली, मैं स्वर्गदूतों के भजन इसलिए गाता हूं कि हमारे परभु मसीह स्वर्गलोक को उड़ गये हैं।' अहमद ईसाई था। उसकी यथोचित रीति से दीक्षा हो चुकी थी और ईसाइयों के समाज में उसका नाम भी थियोडोर परसिद्ध था। वह रातों को छिपकर अपने सोने के समय में उनकी संगीतों में शामिल हुआ करता था। उस समय ईसाई धर्म पर विपत्ति की घटाएं छाई हुई थीं। रूस के बादशाह की आज्ञा से ईसाइयों के गिरजे खोदकर फेंक दिये गये थे, पवित्र पुस्तकें जला डाली गयी थीं और पूजा की सामगिरयां लूट ली गयी थीं। ईसाइयों के सम्मानपद छीन लिये गये थे और चारों ओर उन्हें मौतही-मौत दिखाई देती थी। इस्कन्द्रिया में रहने वाले समस्त ईसाई समाज के लोग संकट में थे। जिसके विषय में ईसावलम्बी होने का जरा भी सन्देह होता, उसे तुरन्त कैद में डाल दिया जाता था। सारे देश में इन खबरों से हाहाकार मचा हुआ था कि स्याम, अरब, ईरान आदि स्थानों में ईसाई बिशपों और वरतधारिणी कुमारियों को कोड़े मारे गये हैं, सूली दी गयी हैं और जंगल के जानवरों के समान डाल दिया गया है। इस दारुण विपत्ति के समय जब ऐसा निश्चय हो रहा था कि ईसाइयों का नाम निशान भी न रहेगा; एन्थोनी ने अपने एकान्तवास से निकलकर मानो मुरझाये हुए धान में पानी डाल दिया। एन्थोनी मिस्त्रनिवासी ईसाइयों का नेता, विद्वान्, सिद्धपुरुष था, जिसके अलौकिक कृत्यों की खबरें दूरदूर तक फैली हुई थीं। वहआत्मज्ञानी और तपस्वी था। उसने समस्त देश में भरमण करके ईसाई सम्परदाय मात्र को श्रद्घा और धमोर्त्साह से प्लावित कर दिया। विधर्मियों से गुप्त रहकर वह एक समय में ईसाइयों की समस्त सभाओं में पहुंच जाता था, और सभी में उस शक्ति और विचारशीलता का संचार कर देता था जो उसके रोमरोम में व्याप्त थी। गुलामों के साथ असाधारण कठोरता का व्यवहार किया गया था। इससे भयभीत होकर कितने ही धर्मविमुख हो गये, और अधिकांश जंगल को भाग गये। वहां या तो वे साधु हो जायेंगे या डाके मारकर निवार्ह करेंगे। लेकिन अहमद पूर्ववत इन सभाओं में सम्मिलित होता, कैदियों से भेंट करता, आहत पुरुषों का क्रियाकर्म करता और निर्भय होकर ईसाई धर्म की घोषणा करता था। परतिभाशाली एन्थोनी अहमद की यह दृ़ता और निश्चलता देखकर इतना परसन्न हुआ कि चलते समय उसे छाती से लगा लिया और बड़े परेम से आशीवार्द दिया। जब थायस सात वर्ष की हुई तो अहमद ने उसे ईश्वरचचार करनी शुरू की। उसकी कथा सत्य और असत्य का विचित्र मिश्रण लेकिन बाल्यहृदय के अनुकूल थी। ईश्वर फिरऊन की भांति स्वर्ग में, अपने हरम के खेमों और अपने बाग के वृक्षों की छांह में रहता है। वह बहुत पराचीन काल से वहां रहता है, और दुनिया से भी पुराना है। उसके केवल एक ही बेटा है, जिसका नाम परभु ईसू है। वह स्वर्ग के दूतों से और रमणी युवतियों से भी सुन्दर है। ईश्वर उसे हृदय से प्यार करता है। उसने एक दिन परभु मसीह से कहा-'मेरे भवन और हरम, मेरे छुहारे के वृक्षों और मीठे पानी की नदियों को छोड़कर पृथ्वी पर जाओ और दीनदुःखी पराणियों का कल्याण करो ! वहां तुझे छोटे बालक की भांति रहना होगा। वहां दुःख हो तेरा भोजन होगा और तुझे इतना रोना होगा कि तुझे आंसुओं से नदियां बह निकलें, जिनमें दीनदुःखी जन नहाकर अपनी थकन को भूल जाएं। जाओ प्यारे पुत्र !' परभु मसीह ने अपने पूज्य पिता की आज्ञा मान ली और आकर बेथलेहम नगर में अवतार लिया। वह खेतों और जंगलों में फिरते थे और अपने साथियों से कहते थे-मुबारक हैं वे लोग जो भूखे रहते हैं, क्योंकि मैं उन्हें अपने पिता की मेज पर खाना खिलाऊंगा। मुबारक हैं वे लोग जो प्यासे रहते हैं, क्योंकि वह स्वर्ग की निर्मल नदियों का जल पियेंगे और मुबारक हैं वे जो रोते हैं, क्योंकि मैं अपने दामन से उनके आंसू पोंछूंगा। यही कारण है कि दीनहीन पराणी उन्हें प्यार करते हैं और उन पर विश्वास करते हैं। लेकिन धनी लोग उनसे डरते हैं कि कहीं यह गरीबों को उनसे ज्यादा धनी न बना दें। उस समय क्लियोपेट्रा और सीजर पृथ्वी पर सबसे बलवान थे। वे दोनों ही मसीह से जलते थे, इसीलिए पुजारियों और न्यायाधीशों को हुक्म दिया कि परभु मसीह को मार डालो। उनकी आज्ञा से लोगों ने एक सलीब खड़ी की और परभु को सूली पर च़ा दिया। किन्तु परभु मसीह ने कबर के द्वार को तोड़ डाला और फिर अपने पिता ईश्वर के पास चले गये। उसी समय से परभु मसीह के भक्त स्वर्ग को जाते हैं। ईश्वर परेम से उनका स्वागत करता है और उनसे कहता है-'आओ, मैं तुम्हारा स्वागत करता हूं क्योंकि तुम मेरे बेटे को प्यार करते हो। हाथ धोकर मेज पर बैठ जाओ।' तब स्वर्ग अप्सराएं गाती हैं और जब तक मेहमान लोग भोजन करते हैं, नाच होता रहता है। उन्हें ईश्वर अपनी आंखों की ज्योति से अधिक प्यार करता है, क्योंकि वे उसके मेहमान होते हैं और उनके विश्राम के लिए अपने भवन के गलीचे और उनके स्वादन के लिए अपने बाग का अनार परदान करता है। अहमद इस परकार थायस से ईश्वर चचार करता था। वह विस्मित होकर कहती थी-'मुझे ईश्वर के बाग के अनार मिलें तो खूब खाऊं।' अहमद कहता था-'स्वर्ग के फल वही पराणी खा सकते हैं जो बपतिस्मा ले लेते हैं।' तब थायस ने बपतिस्मा लेने की आकांक्षा परकट की। परभु मसीह में उसकी भक्ति देखकर अहमद ने उसे और भी धर्मकथाएं सुनानी शुरू कीं। इस परकार एक वर्ष तक बीत गया। ईस्टर का शुभ सप्ताह आया और ईसाइयों ने धमोर्त्सव मनाने की तैयारी की। इसी सप्ताह में एक रात को थायस नींद से चौंकी तो देखा कि अहमद उसे गोद में उठा रहा है। उसकी आंखों में इस समय अद्भुत चमक थी। वह और दिनों की भांति फटे हुए पाजामे नहीं, बल्कि एक श्वेत लम्बा ीला चोगा पहने हुए था। उसके थायस को उसी चोगे में छिपा लिया और उसके कान में बोला-'आ, मेरी आंखों की पुतली, आ। और बपतिस्मा के पवित्र वस्त्र धारण कर।' वह लड़की को छाती से लगाये हुए चला। थायस कुछ डरी, किन्तु उत्सुक भी थी। उसने सिर चोगे से बाहर निकाल लिया और अपने दोनों हाथ अहमद की मर्दन में डाल दिये। अहमद उसे लिये वेग से दौड़ा चला जाता था। वह एक तंग अंधेरी गली से होकर गुजरा; तब यहूदियों के मुहल्ले को पार किया, फिर एक कबिरस्तान के गिर्द में घूमते हुए एक खुले मैदान में पहुंचा जहां, ईसाई, धमार्हतों की लाशें सलीबों पर लटकी हुई थीं। थायस ने अपना सिर चोगे में छिपा लिया और फिर रास्ते भर उसे मुंह बाहर निकालने का साहस न हुआ। उसे शीघर ज्ञात हो गया कि हम लोग किसी तहखाने में चले जा रहे हैं। जब उसने फिर आंखें खोलीं तो अपने को एक तंग खोह में पाया। राल की मशालें जल रही थीं। खोह की दीवारों पर ईसाई सिद्ध महात्माओं के चित्र बने हुए थे जो मशालों के अस्थिर परकाश में चलतेफिरते, सजीव मालूम होते थे। उनके हाथों में खजूर की डालें थीं और उनके इर्दगिर्द मेमने, कबूतर, फाखते और अंगूर की बेलें चित्रित थीं। इन्हीं चित्रों में थायस ने ईसू को पहचाना, जिसके पैरों के पास फूलों का ेर लगा हुआ था। खोह के मध्य में, एक पत्थर के जलकुण्ड के पास, एक वृद्ध पुरुष लाल रंग का ीला कुरता पहने खड़ा था। यद्यपि उसके वस्त्र बहुमूल्य थे, पर वह अत्यन्त दीन और सरल जान पड़ता था। उसका नाम बिशप जीवन था, जिसे बादशाह ने देश से निकाल दिया था। अब वह भेड़ का ऊन कातकर अपना निवार्ह करता था। उसके समीप दो लड़के खड़े थे। निकट ही एक बुयि हब्शिन एक छोटासा सफेद कपड़ा लिये खड़ी थी। अहमद ने थायस को जमीन पर बैठा दिया और बिशप के सामने घुटनों के बल बैठकर बोला-'पूज्य पिता, यही वह छोटी लड़की है जिसे मैं पराणों से भी अधिक चाहता हूं। मैं उसे आपकी सेवा में लाया हूं कि आप अपने वचनानुसार, यदि इच्छा हो तो, उसे बपतिस्मा परदान कीजिए।' यह सुनकर बिशप ने हाथ फैलाया। उनकी उंगलियों के नाखून उखाड़ लिये गये थे क्योंकि आपत्ति के दिनों में वह राजाज्ञा की परवाह न करके अपने धर्म पर आऱु रहे थे। थायस डर गयी और अहमद की गोद में छिप गयी, किन्तु बिशप के इन स्नेहमय शब्दों ने उस आश्वस्त कर दिया-'पिरय पुत्री, डरो मत। अहमद तेरा धर्मपिता है जिसे हम लोग थियोडोरा कहते हैं, और यह वृद्घा स्त्री तेरी माता है जिसने अपने हाथों से तेरे लिए एक सफेद वस्त्र तैयार किया। इसका नाम नीतिदा है। यह इस जन्म में गुलाम है; पर स्वर्ग में यह परभु मसीह की परेयसी बनेगी।' तब उसने थायस से पूछा-'थायस, क्या तू ईश्वर पर, जो हम सबों का परम पिता है, उसके इकलौते पुत्र परभु मसीह पर जिसने हमारी मुक्ति के लिए पराण अर्पण किये, और मसीह के शिष्यों पर विश्वास करती हैं ?' हब्शी और हब्शिन ने एक स्वर से कहा-'हां।' तब बिशप के आदेश से नीतिदा ने थायस के कपड़े उतारे। वह नग्न हो गयी। उसके गले में केवल एक यन्त्र था। विशप ने उसे तीन बार जलकुण्ड में गोता दिया, और तब नीतिदा ने देह का पानी पोंछकर अपना सफेद वस्त्र पहना दिया। इस परकार वह बालिका ईसा शरण में आयी जो कितनी परीक्षाओं और परलोभनों के बाद अमर जीवन पराप्त करने वाली थी। जब यह संस्कार समाप्त हो गया और सब लोग खोह के बाहर निकले तो अहमद ने बिशप से कहा-'पूज्य पिता, हमें आज आनन्द मनाना चाहिए; क्योंकि हमने एक आत्मा को परभु मसीह के चरणों पर समर्पित किया। आज्ञा हो तो हम आपके शुभस्थान पर चलें और शेष रात्रि उत्सव मनाने में काटें।' बिशप ने परसन्नता से इस परस्ताव को स्वीकार किया। लोग बिशप के घर आये। इसमें केवल एक कमरा था। दो चरखे रखे हुए थे और एक फटी हुई दरी बिछी थी। जब यह लोग अन्दर पहुंचे तो बिशप ने नीतिदा से कहा-'चूल्हा और तेल की बोतल लाओ। भोजन बनायें।' यह कहकर उसने कुछ मछलियां निकालीं, उन्हें तेल में भूना, तब सबके-सब फर्श पर बैठकर भोजन करने लगे। बिशप ने अपनी यन्त्रणाओं का वृत्तान्त कहा और ईसाइयों की विजय पर विश्वास परकट किया। उसकी भाषा बहुत ही पेचदार, अलंकृत, उलझी हुई थी। तत्त्व कम, शब्दाडम्बर बहुत था। थायस मंत्रमुग्ध-सी बैठी सुनती रही। भोजन समाप्त हो जाने का बिशप ने मेहमानों को थोड़ीसी शराब पिलाई। नशा च़ा तो वे बहकबहककर बातें करने लगे। एक क्षण के बाद अहमद और नीतिदा ने नाचना शुरू किया। यह परेतनृत्य था। दोनों हाथ हिलाहिलाकर कभी एकदूसरे की तरफ लपकते, कभी दूर हट जाते। जब सेवा होने में थोड़ी देर रह गयी तो अहमद ने थायस को फिर गोद में उठाया और घर चला आया। अन्य बालकों की भांति थायस भी आमोदपिरय थी। दिनभर वह गलियों में बालकों के साथ नाचतीगाती रहती थी। रात को घर आती तब भी वह गीत गाया करती, जिनका सिरपैर कुछ न होता। अब उसे अहमद जैसे शान्त, सीधेसीधे आदमी की अपेक्षा लड़केलड़कियों की संगति अधिक रुचिकर मालूम होती ! अहमद भी उसके साथ कम दिखाई देता। ईसाइयों पर अब बादशाह की क्रुर दृष्टि न थी, इसलिए वह अबाधरूप से धर्म संभाएं करने लगे थे। धर्मनिष्ठ अहमद इन सभाओं में सम्मिलित होने से कभी न चूकता। उसका धमोर्त्साह दिनोंदिन ब़ने लगा। कभीकभी वह बाजार में ईसाइयों को जमा करके उन्हें आने वाले सुखों की शुभ सूचना देता। उसकी सूरत देखते ही शहर के भिखारी, मजदूर, गुलाम, जिनका कोई आश्रय न था, जो रातों में सड़क पर सोते थे, एकत्र हो जाते और वह उनसे कहता-'गुलामों के मुक्त होने के बदन निकट हैं, न्याय जल्द आने वाला है, धन के मतवाले चैन की नींद न सो सकेंगे। ईश्वर के राज्य में गुलामों को ताजा शराब और स्वादिष्ट फल खाने को मिलेंगे, और धनी लोग कुत्ते की भांति दुबके हुए मेज के नीचे बैठे रहेंगे और उनका जूठन खायेंगे।' यह शुभसन्देश शहर के कोनेकोने में गूंजने लगता और धनी स्वामियों को शंका होती कि कहीं उनके गुलाम उत्तेजित होकर बगावत न कर बैठें। थायस का पिता भी उससे जला करता था। वह कुत्सित भावों को गुप्त रखता। एक दिन चांदी का एक नमकदान जो देवताओं के यज्ञ के लिए अलग रखा हुआ था, चोरी हो गया। अहमद ही अपराधी ठहराया गया। अवश्य अपने स्वामी को हानि पहुंचाने और देवताओं का अपमान करने के लिए उसने यह अधर्म किया है ! चोरी को साबित करने के लिए कोई परमाण न था और अहमद पुकारपुकारकर कहता था-मुझ पर व्यर्थ ही यह दोषारोपण किया जाता है। तिस पर भी वह अदालत में खड़ा किया गया। थायस के पिता ने कहा-'यह कभी मन लगाकर काम नहीं करता।' न्यायाधीश ने उसे पराणदण्ड का हुक्म दे दिया। जब अहमद अदालत से चलने लगा तो न्यायधीश ने कहा-'तुमने अपने हाथों से अच्छी तरह काम नहीं लिया इसलिए अब यह सलीब में ठोंक दिये जायेंगे !' अहमद ने शान्तिपूर्वक फैसला सुना, दीनता से न्यायाधीश को परणाम किया और तब कारागार में बन्द कर दिया गया। उसके जीवन के केवल तीन दिन और थे और तीनों दिनों दिन यह कैदियों को उपदेश देता रहा। कहते हैं उसके उपदेशों का ऐसा असर पड़ा कि सारे कैदी और जेल के कर्मचारी मसीह की शरण में आ गये। यह उसके अविचल धमार्नुराग का फल था। चौथे दिन वह उसी स्थान पर पहुंचाया गया जहां से दो साल पहले, थायस को गोद में लिये वह बड़े आनन्द से निकला था। जब उसके हाथ सलीब पर ठोंक दिये गये, तो उसने 'उफ' तक न किया, और एक भी अपशब्द उसके मुंह से न निकला ! अन्त में बोला-'मैं प्यासा हूं ! 'वह स्वर्ग के दूत तुझे लेने को आ रहे हैं। उनका मुख कितना तेजस्वी है। वह अपने साथ फल और शराब लिये आते हैं। उनके परों से कैसी निर्मल, सुखद वायु चल रही है।' और यह कहतेकहते उसका पराणान्त हो गया। मरने पर भी उसका मुखमंडल आत्मोल्लास से उद्दीप्त हो रहा था। यहां तक कि वे सिपाही भी जो सलीब की रक्षा कर रहे थे, विस्मत हो गये। बिशप जीवन ने आकर शव का मृतकसंस्कार किया और ईसाई समुदाय ने महात्मा थियोडोर की कीर्ति को परमाज्ज्वल अक्षरों में अंकित किया। वह छोटी ही उमर में बादशाह के युवकों के साथ क्रीड़ा करने लगी। संध्या समय वह बू़े आदमियों के पीछे लग जाती और उनसे कुछन-कुछ ले मरती थी। इस भांति जो कुछ मिलता उससे मिठाइयां और खिलौने मोल लेती। पर उसकी लोभिनी माता चाहती थी कि वह जो कुछ पाये वह मुझे दे। थायस इसे न मानती थी। इसलिए उसकी माता उसे मारापीटा करती थी। माता की मार से बचने के लिए वह बहुधा घर से भाग जाती और शहरपनाह की दीवार की दरारों में वन्य जन्तुओं के साथ छिपी रहती। एक दिन उसकी माता ने इतनी निर्दयता से उसे पीटा कि वह घर से भागी और शहर के फाटक के पास चुपचाप पड़ी सिसक रही थी कि एक बुयि उसके सामने जाकर खड़ी हो गयी। वह थोड़ी देर तक मुग्धभाव से उसकी ओर ताकती रही और तब बोली-'ओ मेरी गुलाब, मेरी गुलाब, मेरी फूलसी बच्ची ! धन्य है तेरा पिता जिसने तुझे पैदा किया और धन्य है तेरी माता जिसने तुझे पाला।' थायस चुपचाप बैठी जमीन की ओर देखती रही। उसकी आंखें लाल थीं, वह रो रही थी। बुयि ने फिर कहा-'मेरी आंखों की पुतली, मुन्नी, क्या तेरी माता तुझजैसी देवकन्या को पालपोसकर आनन्द से फूल नहीं जाती, और तेरा पिता तुझे देखकर गौरव से उन्मत्त नहीं हो जाता ?' थायस ने इस तरह भुनभुनाकर उत्तर दिया, मानो मन ही में कह रही है-मेरा बाप शराब से फूला हुआ पीपा है और माता रक्त चूसने वाली जोंक है। बुयि ने दायेंबायें देखा कि कोई सुन तो नहीं रहा है, तब निस्संक होकर अत्यन्त मृदु कंठ से बोली-'अरे मेरी प्यारी आंखों की ज्योति, ओ मेरी खिली हुई गुलाब की कली, मेरे साथ चलो। क्यों इतना कष्ट सहती हो ? ऐसे मांबाप की झाड़ मारो। मेरे यहां तुम्हें नाचने और हंसने के सिवाय और कुछ न करना पड़ेगा। मैं तुम्हें शहद के रसगुल्ले खिलाऊंगी, और मेरा बेटा तुम्हें आंखों की पुतली बनाकर रखेगा। वह बड़ा सुन्दर सजीला जबान है, उसकी दा़ी पर अभी बाल भी नहीं निकले, गोरे रंग का कोमल स्वभाव का प्यारा लड़का है।' थायस ने कहा-'मैं शौक से तुम्हें साथ चलूंगी।' और उठकर बुयि के पीछे शहर के बाहर चली गयी। बुयि का नाम मीरा था। उसके पास कई लड़केलड़कियों की एक मंडली थी। उन्हें उसने नाचना, गाना, नकलें करना सिखाया था। इस मंडली को लेकर वह नगरनगर घूमती थी, और अमीरों के जलसों में उनका नाचगाना कराके अच्छा पुरस्कार लिया करती थी। उसकी चतुर आंखों ने देख लिया कि यह कोई साधारण लड़की नहीं है। उसका उठान कहे देता था कि आगे चलकर वह अत्यन्त रूपवती रमणी होगी। उसने उसे कोड़े मारकर संगीत और पिंगल की शिक्षा दी। जब सितार के तालों के साथ उसके पैर न उठते तो वह उसकी कोमल पिंडलियों में चमड़े के तस्में से मारती। उसका पुत्र जो हिजड़ा था, थायस से द्वेष रखता था, जो उसे स्त्री मात्र से था। पर वह नाचने में, नकल करने में, मनोगत भावों को संकेत, सैन, आकृति द्वारा व्यक्त करने में, परेम की घातों के दर्शाने में, अत्यन्त कुशल था। हिजड़ों में यह गुण परायः ईश्वरदत्त होते हैं। उसने थायस को यह विद्या सिखाई, खुशी से नहीं, बल्कि इसलिए कि इस तरकीब से वह जी भरकर थायस को गालियां दे सकता था। जब उसने देखा कि थायस नाचनेगाने में निपुण होती जाती है और रसिक लोग उसके नृत्यगान से जितने मुग्ध होते हैं उतना मेरे नृत्यकौशल से नहीं होते तो उसकी छाती पर सांप काटने लगा। वह उसके गालों को नोच लेता, उसके हाथपैर में चुटकियां काटता। पर उसकी जलन से थायस को लेशमात्र भी दुःख न होता था। निर्दय व्यवहार का उसे अभ्यास हो गया था। अन्तियोकस उस समय बहुत आबाद शहर था। मीरा जब इस शहर में आयी तो उसने रईसों से थायस की खूब परशंसा की। थायस का रूपलावण्य देखकर लोगों ने बड़े चाव से उसे अपनी रागरंग की मजलिसों में निमन्त्रित किया, और उसके नृत्यगान पर मोहित हो गये। शनैःशनैः यही उसका नित्य का काम हो गया! नृत्यगान समाप्त होने पर वह परायः सेठसाहूकारों के साथ नदी के किनारे, घने कुञ्जों में विहार करती। उस समय तक उसे परेम के मूल्य का ज्ञान न था, जो कोई बुलाता उसके पास जाती, मानो कोई जौहरी का लड़का धनराशि को कौड़ियों की भांति लुटा रहा हो। उसका एकएक कटाक्ष हृदय को कितना उद्विग्न कर देता है, उसका एकएक कर स्पर्श कितना रोमांचकारी होता है, यह उसके अज्ञात यौवन को विदित न था। थायस, यह मेरा परम सौभाग्य होता यदि तेरे अलकों में गुंथी हुई पुष्पमाला या तेरे कोमल शरीर का आभूषण, अथवा तेरे चरणों की पादुका मैं होता। यह मेरी परम लालसा है कि पादुका की भांति तेरे सुन्दर चरणों से कुचला जाता, मेरा परेमालिंगन तेरे सुकोमल शरीर का आभूषण और तेरी अलकराशि का पुष्प होता। सुन्दरी रमणी, मैं पराणों को हाथ में लिये तेरी भेंट करने को उत्सुक हो रहा हूं। मेरे साथ चल और हम दोनों परेम में मग्न होकर संसार को भूल जायें।' जब तक वह बोलता रहा, थायस उसकी ओर विस्मित होकर ताकती रही। उसे ज्ञात हुआ कि उसका रूप मनोहर है। अकस्मात उसे अपने माथे पर ठंडा पसीना बहता हुआ जान पड़ा। वह हरी घास की भांति आर्द्र हो गयी। उसके सिर में चक्कर आने लगे, आंखों के सामने मेघघटासी उठती हुई जान पड़ी। युवक ने फिर वही परेमाकांक्षा परकट की, लेकिन थायस ने फिर इनकार किया। उसके आतुर नेत्र, उसकी परेमयाचना बस निष्फल हुई, और जब उसने अधीर होकर उसे अपनी गोद में ले लिया और बलात खींच ले जाना चाहा तो उसने निष्ठुरता से उसे हटा दिया। तब वह उसके सामने बैठकर रोने लगा। पर उसके हृदय में एक नवीन, अज्ञात और अलक्षित चैतन्यता उदित हो गयी थी। वह अब भी दुरागरह करती रही। मेहमानों ने सुना तो बोले-'यह कैसी पगली है ? लोलस कुलीन, रूपवान, धनी है, और यह नाचने वाली युवती उसका अपमान करती हैं !' लोलस का रात घर लौटा तो परेममद तो मतवाला हो रहा था। परातःकाल वह फिर थायस के घर आया, तो उसका मुख विवर्ण और आंखें लाल थीं। उसने थायस के द्वार पर फूलों की माला च़ाई। लेकिन थायस भयभीत और अशान्त थी, और लोलस से मुंह छिपाती रहती थी। फिर भी लोलस की स्मृति एक क्षण के लिए भी उसकी आंखों से न उतरती। उसे वेदना होती थी पर वह इसका कारण न जानती थी। उसे आश्चर्य होता था कि मैं इतनी खिन्न और अन्यमनस्क क्यों हो गयी हूं। यह अन्य सब परेमियों से दूर भागती थी। उनसे उसे घृणा होती थी। उसे दिन का परकाश अच्छा न लगता, सारे दिन अकेले बिछावन पर पड़ी, तकिये में मुंह छिपाये रोया करती। लोलस कई बार किसीन-किसी युक्ति से उसके पास पहुंचा, पर उसका परेमागरह, रोनाधोना, एक भी उसे न पिघला सका। उसके सामने वह ताक न सकती, केवल यही कहती-'नहीं, नहीं।' लेकिन एक पक्ष के बाद उसकी जिद्द जाती रही। उसे ज्ञात हुआ कि मैं लोलस के परेमपाश में फंस गयी हूं। वह उसके घर गयी और उसके साथ रहने लगी। अब उनके आनन्द की सीमा न थी। दिन भर एकदूसरे से आंखें मिलाये बैठे परेमलाप किया करते। संध्या को नदी के नीरव निर्जन तट पर हाथमें-हाथ डाले टहलते। कभीकभी अरुणोदय के समय उठकर पहाड़ियों पर सम्बुल के फूल बटोरने चले जाते। उनकी थाली एक थी। प्याला एक था, मेज एक थी। लोलस उसके मुंह के अंगूर निकालकर अपने मुंह में खा जाता। तब मीरा लोलस के पास आकर रोनेपीटने लगी कि मेरी थायस को छोड़ दो। वह मेरी बेटी है, मेरी आंखों की पुतली ! मैंने इसी उदर से उसे निकाल, इस गोद में उसका लालनपालन किया और अब तू उसे मेरी गोद से छीन लेना चाहता है। लोलस ने उसे परचुर धन देकर विदा किया, लेकिन जब वह धनतृष्णा से लोलुप होकर फिर आयी तो लोलस ने उसे कैद करा दिया। न्यायाधिकारियों को ज्ञात हुआ कि वह कुटनी है, भोली लड़कियों को बहका ले जाना ही उसका उद्यम है तो उसे पराणदण्ड दे दिया और वह जंगली जानवरों के सामने फेंक दी गई। लोलस अपनी अखंड, सम्पूर्ण कामना से थायस को प्यार करता था। उसकी परेम कल्पना ने विराट रूप धारण कर लिया था, जिससे उसकी किशोर चेतना सशंक हो जाती थी। थायस अन्तःकरण से कहती-'मैंने तुम्हारे सिवाय और किसी से परेम नहीं किया।' लोलस जवाब देता-'तुम संसार में अद्वितीय हो।' दोनों पर छः महीने तक यह नशा सवार रहा। अन्त में टूट गया। थायस को ऐसा जान पड़ता कि मेरा हृदय शून्य और निर्जन है। वहां से कोई चीज गायब हो गयी है। लोलस उसकी दृष्टि में कुछ और मालूम होता था। वह सोचती-मुझमें सहसा यह अन्तर क्यों हो गया ? यह क्या बात है कि लोलस अब और मनुष्यों कासा हो गया है, अपनासा नहीं रहा ? मुझे क्या हो गया है ? यह दशा उसे असह्य परतीत होने लगी। अखण्ड परेम के आस्वादन के बाद अब यह नीरस, शुष्क व्यापार उसकी तृष्णा को तृप्त न कर सका। वह अपने खोये हुए लोलस को किसी अन्य पराणी में खोजने की गुप्त इच्छा को हृदय में छिपाये हुए, लोलस के पास से चली गयी। उसने सोचा परेम रहने पर भी किसी पुरुष के साथ रहना। उस आदमी के साथ रहने से कहीं सुखकर है जिससे अब परेम नहीं रहा। वह फिर नगर के विषयभोगियों के साथ उन धमोर्त्सवों में जाने लगी जहां वस्त्रहीन युवतियां मन्दिरों में नृत्य किया करती थीं, या जहां वेश्याओं के गोलके-गोल नदी में तैरा करते थे। वह उस विलासपिरय और रंगीले नगर के रागरंग में दिल खोलकर भाग लेने लगी। वह नित्य रंगशालाओं में आती जहां चतुर गवैये और नर्तक देशदेशान्तरों से आकर अपने करतब दिखाते थे और उत्तेजना के भूखे दर्शकवृन्द वाहवाह की ध्वनि से आसमान सिर पर उठा लेते थे। थायस गायकों, अभिनेताओं, विशेषतः उन स्त्रियों के चालाल को बड़े ध्यान से देखा करती थी जो दुःखान्त नाटकों में मनुष्य से परेम करने वाली देवियों या देवताओं से परेम करने वाली स्त्रियों का अभिनय करती थीं। शीघर ही उसे वह लटके मालूम हो गये, जिनके द्वारा वह पात्राएं दर्शकों का मन हर लेती थीं, और उसने सोचा, क्या मैं जो उन सबों से रूपवती हूं, ऐसा ही अभिनय करके दर्शकों को परसन्न नहीं कर सकती? वह रंगशाला व्यवस्थापक के पास गयी और उससे कहा कि मुझे भी इस नाट्यमंडली में सम्मिलित कर लीजिए। उसके सौन्दर्य ने उसकी पूर्वशिक्षा के साथ मिलकर उसकी सिफारिश की। व्यवस्थापक ने उसकी परार्थना स्वीकार कर ली। और वह पहली बार रंगमंच पर आयी। पहले दर्शकों ने उसका बहुत आशाजनक स्वागत न किया। एक तो वह इस काम में अभ्यस्त न थी, दूसरे उसकी परशंसा के पुल बांधकर जनता को पहले ही से उत्सुक न बनाया गया था। लेकिन कुछ दिनों तक गौण चरित्रों का पार्ट खेलने के बाद उसके यौवन ने वह हाथपांव निकाले कि सारा नगर लोटपोट हो गया। रंगशाला में कहीं तिल रखने भर की जगह न बचती। नगर के बड़ेबड़े हाकिम, रईस, अमीर, लोकमत के परभाव से रंगशाला में आने पर मजबूर हुए। शहर के चौकीदार, पल्लेदार, मेहतर, घाट के मजदूर, दिनदिन भर उपवास करते थे कि अपनी जगह सुरक्षित करा लें। कविजन उसकी परशंसा में कवित्त कहते। लम्बी दायिों वाले विज्ञानशास्त्री व्यायामशालाओं में उसकी निन्दा और उपेक्षा करते। जब उसका तामझाम सड़क पर से निकलता तो ईसाई पादरी मुंह फेर लेते थे। उसके द्वार की चौखट पुष्पमालाओं से की रहती थी। अपने परेमियों से उसे इतना अतुल धन मिलता कि उसे गिनना मुश्किल था। तराजू पर तौल लिया जाता था। कृपण बू़ों की संगरह की हुई समस्त सम्पत्ति उसके ऊपर कौड़ियों की भांति लुटाई जाती थी। पर उसे गर्व न था। ऐंठ न थी। देवताओं की कृपादृष्टि और जनता की परशंसाध्वनि से उसके हृदय को गौरवयुक्त आनन्द होता था। सबकी प्यारी बनकर वह अपने को प्यार करने लगी थी। कई वर्ष तक ऐन्टिओकवासियों के परेम और परशंसा का सुख उठाने के बाद उसके मन में परबल उत्कंठा हुई कि इस्कन्द्रिया चलूं और उस नगर में अपना ठाटबाट दिखाऊं, जहां बचपन में मैं नंगी और भूखी, दरिद्र और दुर्बल, सड़कों पर मारीमारी फिरती थी और गलियों की खाक छानती थी। इस्कन्द्रियां आंखें बिछाये उसकी राह देखता था। उसने बड़े हर्ष से उसका स्वागत किया और उस पर मोती बरसाये। वह क्रीड़ाभूमि में आती तो धूम मच जाती। परेमियों और विलासियों के मारे उसे सांस न मिलती, पर वह किसी को मुंह न लगाती। दूसरा, लोलस उसे जब न मिला तो उसने उसकी चिन्ता ही छोड़ दी। उस स्वर्गसुख की अब उसे आशा न थी। उसके अन्य परेमियों में तत्त्वज्ञानी निसियास भी था जो विरक्त होने का दावा करने पर भी उसके परेम का इच्छुक था। वह धनवान था पर अन्य धनपतियों की भांति अभिमानी और मन्दबुद्धि न था। उसके स्वभाव में विनय और सौहार्द की आभा झलकती थी, किन्तु उसका मधुरहास्य और मृदुकल्पनाएं उसे रिझाने में सफल न होतीं। उसे निसियास से परेम न था, कभीकभी उसके सुभाषितों से उसे चि होती थी। उसके शंकावाद से उसका चित्त व्यगर हो जाता था, क्योंकि निसियास की श्रद्घा किसी पर न थी और थायस की श्रद्घा सभी पर थी। वह ईश्वर पर, भूतपरेतों पर जादूटोने पर, जन्त्रमन्त्र पर पूरा विश्वास करती थी। उसकी भक्ति परभु मसीह पर भी थी, स्याम वालों की पुनीता देवी पर भी उसे विश्वास था कि रात को जब अमुक परेत गलियों में निकलता है तो कुतियां भूंकती हैं। मारण, उच्चाटन, वशीकरण के विधानों पर और शक्ति पर उसे अटल विश्वास था। उसका चित्त अज्ञात न लिए उत्सुक रहता था। वह देवताओं की मनौतियां करती थी और सदैव शुभाशाओं में मग्न रहती थी भविष्य से यह शंका रहती थी, फिर भी उसे जानना चाहती थी। उसके यहां, ओझे, सयाने, तांत्रिक, मन्त्र जगाने वाले, हाथ देखने वाले जमा रहते थे। वह उनके हाथों नित्य धोखा खाती पर सतर्क न होती थी। वह मौत से डरती थी और उससे सतर्क रहती थी। सुखभोग के समय भी उसे भय होता था कि कोई निर्दय कठोर हाथ उसका गला दबाने के लिए ब़ा आता है और वह चिल्ला उठती थी। निसियास कहता था-'पिरये, एक ही बात है, चाहे हम रुग्ण और जर्जर होकर महारात्रि की गोद में समा जायें, अथवा यहीं बैठे, आनन्दभोग करते, हंसतेखेलते, संसार से परस्थान कर जायें। जीवन का उद्देश्य सुखभोग है। आओ जीवन की बाहार लूटें। परेम से हमारा जीवन सफल हो जायेगा। इन्द्रियों द्वारा पराप्त ज्ञान ही यथार्थ ज्ञान है। इसके सिवाय सब मिथ्या के लिए अपने जीवन सुख में क्यों बाधा डालें ?' थायस सरोष होकर उत्तर देती-'तुम जैसे मनुष्यों से भगवान बचाये, जिन्हें कोई आशा नहीं, कोई भय नहीं। मैं परकाश चाहती हूं, जिससे मेरा अन्तःकरण चमक उठे।' जीवन के रहस्य को समझने के लिए उसे दर्शनगरन्थों को पॄना शुरू किया, पर वह उसकी समझ में न आये। ज्योंज्यों बाल्यावस्था उससे दूर होती जाती थी, त्योंत्यों उसकी याद उसे विकल करती थी। उसे रातों को भेष बदलकर उन सड़कों, गलियों, चौराहों पर घूमना बहुत पिरय मालूम होता जहां उसका बचपन इतने दुःख से कटा था। उसे अपने मातापिता के मरने का दुःख होता था, इस कारण और भी कि वह उन्हें प्यार न कर सकी थी। जब किसी ईसाई पूजक से उसकी भेंट हो जाती तो उसे अपना बपतिस्मा याद आता और चित्त अशान्त हो जाता। एक रात को वह एक लम्बा लबादा ओ़े, सुन्दर केशों को एक काले टोप से छिपाये, शहर के बाहर विचर रही थी कि सहसा वह एक गिरजाघर के सामने पहुंच गयी। उसे याद आया, मैंने इसे पहले भी देखा है। कुछ लोग अन्दर गा रहे थे और दीवार की दरारों से उज्ज्वल परकाशरेखाएं बाहर झांक रही थीं। इसमें कोई नवीन बात न थी, क्योंकि इधर लगभग बीस वर्षों से ईसाईधर्म में को विघ्नबाधा न थी, ईसाई लोग निरापद रूप से अपने धमोर्त्सव करते थे। लेकिन इन भजनों में इतनी अनुरक्ति, करुण स्वर्गध्वनि थी, जो मर्मस्थल में चुटकियां लेती हुई जान पड़ती थीं। थायस अन्तःकरण के वशीभूत होकर इस तरह द्वार, खोलकर भीतर घुस गयी मानो किसी ने उसे बुलाया है। वहां उसे बाल, वृद्ध, नरनारियों का एक बड़ा समूह एक समाधि के सामने सिजदा करता हुआ दिखाई दिया। यह कबर केवल पत्थर की एक ताबूत थी, जिस पर अंगूर के गुच्छों और बेलों के आकार बने हुए थे। पर उस पर लोगों की असीम श्रद्घा थी। वह खजूर की टहनियों और गुलाब की पुष्पमालाओं से की हुई थी। चारों तरफ दीपक जल रहे थे और उसके मलिन परकाश में लोबान, ऊद आदि का धुआं स्वर्गदूतों के वस्त्रों की तहोंसा दीखता था, और दीवार के चित्र स्वर्ग के दृश्यों केसे। कई श्वेत वस्त्रधारी पादरी कबर के पैरों पर पेट के बल पड़े हुए थे। उनके भजन दुःख के आनन्द को परकट करते थे और अपने शोकोल्लास में दुःख और सुख, हर्ष और शोक का ऐसा समावेश कर रहे थे कि थायस को उनके सुनने से जीवन के सुख और मृत्यु के भय, एक साथ ही किसी जलस्त्रोत की भांति अपनी सचिन्तस्नायुओं में बहते हुए जान पड़े। जब गाना बन्द हुआ तो भक्तजन उठे और एक कतार मंें कबर के पास जाकर उसे चूमा। यह सामान्य पराणी थे; जो मजूरी करके निवार्ह करते थे। क्या ही धीरेधीरे पग उठाते, आंखों में आंसू भरे, सिर झुकाये, वे आगे ब़ते और बारीबारी से कबर की परिक्रमा करते थे। स्त्रियों ने अपने बालकों को गोद में उठाकर कबर पर उनके होंठ रख दिये। थायस ने विस्मित और चिन्तित होकर एक पादरी से पूछा-'पूज्य पिता, यह कैसा समारोह है ?' पादरी ने उत्तर दिया-'क्या तुम्हें नहीं मालूम कि हम आज सन्त थियोडोर की जयन्ती मना रहे हैं ? उनका जीवन पवित्र था। उन्होंने अपने को धर्म की बलिवेदी पर च़ा दिया, और इसीलिए हम श्वेत वस्त्र पहनकर उनकी समाधि पर लाल गुलाब के फूल च़ाने आये हैं।' यह सुनते ही थायस घुटनों के बल बैठ गयी और जोर से रो पड़ी। अहमद की अर्धविस्मृत स्मृतियां जागरत हो गयीं। उस दीन, दुखी, अभागे पराणी की कीर्ति कितनी उज्ज्वल है ! उसके नाम पर दीपक जलते हैं, गुलाब की लपटें आती हैं, हवन के सुगन्धित धुएं उठते हैं, मीठे स्वरों का नाद होता है और पवित्र आत्माएं मस्तक झुकाती हैं। थायस ने सोचा-अपने जीवन में वह पुष्यात्मा था, पर अब वह पूज्य और उपास्य हो गया हैं ! वह अन्य पराणियों की अपेक्षा क्यों इतना श्रद्घास्पद है ? वह कौनसी अज्ञात वस्तु है जो धन और भोग से भी बहुमूल्य है ? वह आहिस्ता से उठी और उस सन्त की समाधि की ओर चली जिसने उसे गोद में खेलाया था। उसकी अपूर्व आंखों में भरे हुए अश्रुबिन्दु दीपक के आलोक में चमक रहे थे। तब वह सिर झुकाकर, दीनभाव से कबर के पास गयी और उस पर अपने अधरों से अपनी हार्दिक श्रद्घा अंकित कर दी-उन्हीं अधरों से जो अगणित तृष्णाओं का क्रीड़ाक्षेत्र थे ! जब वह घर आयी तो निसियास को बाल संवारे, वस्त्रों मंें सुगन्ध मले, कबा के बन्द खोले बैठे देखा। वह उसके इन्तजार में समय काटने के लिए एक नीतिगरंथ पॄ रहा था। उसे देखते ही वह बांहें खोले उसकी ब़ा और मृदुहास्य से बोला-'कहां गयी थीं, चंचला देवी ? तुम जानती हो तुम्हारे इन्तजार में बैठा हुआ, मैं इस नीतिगरंथ में क्या पॄ रहा था?' नीति के वाक्य और शुद्घाचरण के उपदेश ?' 'कदापि नहीं। गरंथ के पन्नों पर अक्षरों की जगह अगणित छोटीछोटी थायसें नृत्य कर रही थीं। उनमें से एक भी मेरी उंगली से बड़ी न थी, पर उनकी छवि अपार थी और सब एक ही थायस का परतिबिम्ब थीं। कोई तो रत्नजड़ित वस्त्र पहने अकड़ती हुई चलती थी, कोई श्वेत मेघसमूह के सदृश्य स्वच्छ आवरण धारण किये हुए थी; कोई ऐसी भी थीं जिनकी नग्नता हृदय में वासना का संचार करती थी। सबके पीछे दो, एक ही रंगरूप की थीं। इतनी अनुरूप कि उनमें भेद करना कठिन था। दोनों हाथमें-हाथ मिलाये हुए थीं, दोनों ही हंसती थीं। पहली कहती थी-मैं परेम हूं। दूसरी कहती थी-मैं नृत्य हूं।' यह कहकर निसियास ने थायस को अपने करपाश में खींच लिया। थायस की आंखें झुकी हुई थीं। निसियास को यह ज्ञान न हो सका कि उनमें कितना रोष भरा हुआ है। वह इसी भांति सूक्तियों की वर्षा करता रहा, इस बात से बेखबर कि थायस का ध्यान ही इधर नहीं है। वह कह रहा था-'जब मेरी आंखों के सामने यह शब्द आये-अपनी आत्मशुद्धि के मार्ग में कोई बाधा मत आने दो, तो मैंने पॄा 'थायस के अधरस्पर्श अग्नि से दाहक और मधु से मधुर हैं।' इसी भांति एक पण्डित दूसरे पण्डितों के विचारों को उलटपलट देता है; और यह तुम्हारा ही दोष है। यह सर्वथा सत्य है कि जब तक हम वही हैं जो हैं, तब तक हम दूसरों के विचारों में अपने ही विचारों की झलक देखते रहेंगे।' वह अब भी इधर मुखातिब न हुई। उसकी आत्मा अभी तक हब्शी की कबर के सामने झुकी हुई थी। सहसा उसे आह भरते देखकर उसने उसकी गर्दन का चुम्बन कर लिया और बोला-'पिरये, संसार में सुख नहीं है जब तक हम संसार को भूल न जायें। आओ, हम संसार से छल करें, छल करके उससे सुख लें-परेम में सबकुछ भूल जायें।' लेकिन उसने उसे पीछे हटा दिया और व्यथित होकर बोली-'तुम परेम का मर्म नहीं जानते ! तुमने कभी किसी से परेम नहीं किया। मैं तुम्हें नहीं चाहती, जरा भी नहीं चाहती। यहां से चले जाओ, मुझे तुमसे घृणा होती है। अभी चले जाओ, मुझे तुम्हारी सूरत से नफरत है। मुझे उन सब पराणियों से घृणा है, धनी है, आनन्दभोगी हैं। जाओ, जाओ। दया और परेम उन्हीं में है जो अभागे हैं। जब मैं छोटी थी तो मेरे यहां एक हब्शी था जिसने सलीब पर जान दी। वह सज्जन था, वह जीवन के रहस्यों को जानता था। तुम उसके चरण धोने योग्य भी नहीं हो। चले जाओ। तुम्हारा स्त्रियों कासा शृंगार मुझे एक आंख नहीं भाता। फिर मुझे अपनी सूरत मत दिखाना।' यह कहतेकहते वह फर्श पर मुंह के बल गिर पड़ी और सारी रात रोकर काटी। उसने संकल्प किया कि मैं सन्त थियोडोर की भांति और दरिद्र दशा में जीवन व्यतीत करुंगी। दूसरे दिन वह फिर उन्हीं वासनाओं में लिप्त हो गयी जिनकी उसे चाट पड़ गयी थी। वह जानती थी कि उसकी रूपशोभा अभी पूरे तेज पर है, पर स्थायी नहीं इसीलिए इसके द्वारा जितना सुख और जितनी ख्याति पराप्त हो सकती थी उसे पराप्त करने के लिए वह अधीर हो उठी। थियेटर में वह पहले की अपेक्षा और देर तक बैठकर पुस्तकावलोकन किया करती। वह कवियों, मूर्तिकारों और चित्रकारों की कल्पनाओं को सजीव बना देती थी, विद्वानों और तत्त्वज्ञानियों को उसकी गति, अगंविन्यास और उस पराकृतिक माधुर्य की झलक नजर आती थी जो समस्त संसार में व्यापक है और उनके विचार में ऐसी अर्पूव शोभा स्वयं एक पवित्र वस्तु थी। दीन, दरिद्र, मूर्ख लोग उसे एक स्वगीर्य पदार्थ समझते थे। कोई किसी रूप में उसकी उपासना करता था, कोई किसी रूप में। कोई उसे भोग्य समझता था, कोई स्तुत्य और कोई पूज्य। किन्तु इस परेम, भक्ति और श्रद्घा की पात्रा होकर भी वह दुःखी थी, मृत्यु की शंका उसे अब और भी अधिक होने लगी। किसी वस्तु से उसे इस शंका से निवृत्ति न होती। उसका विशाल भवन और उपवन भी, जिनकी शोभा अकथनीय थी और जो समस्त नगर में जनश्रुति बने हुए थे, उसे आश्वस्त करने में असफल थे। इस उपवन में ईरान और हिन्दुस्तान के वृक्ष थे, जिनके लाने और पालने में अपरिमित धन व्यय हुआ था। उनकी सिंचाई के लिए एक निर्मल जल धारा बहायी गयी थी। समीप ही एक झील बनी हुई थी। जिसमें एक कुशल कलाकार के हाथों सजाये हुए स्तम्भचिह्नों और कृत्रिम पहाड़ियों तक तट पर की सुन्दर मूर्तियों का परतिबिम्ब दिखाई देता था। उपवन के मध्य में 'परियों का कुंज' था। यह नाम इसलिए पड़ा था कि उस भवन के द्वार पर तीन पूरे कद की स्त्रियों की मूर्तियां खड़ी थीं। वह सशंक होकर पीछे ताक रही थीं कि कोई देखता न हो। मूर्तिकार ने उनकी चितवनों द्वारा मूर्तियों में जान डाल दी थी। भवन में जो परकाश आता था वह पानी की पतली चादरों से छनकर मद्धिम और रंगीन हो जाता था। दीवारों पर भांतिभांति की झालरें, मालाएं और चित्र लटके हुए थे। बीच में एक हाथीदांत की परम मनोहर मूर्ति थी जो निसियास ने भेंट की थी। एक तिपाई पर एक काले ष्पााण की बकरी की मूर्ति थी, जिसकी आंखें नीलम की बनी हुई थीं। उसके थनों को घेरे हुए छः चीनी के बच्चे खड़े थे, लेकिन बकरी अपने फटे हुए खुर उठाकर ऊपर की पहाड़ी पर उचक जाना चाहती थी। फर्श पर ईरानी कालीनें बिछी हुई थीं, मसनदों पर कैथे के बने हुए सुनहरे बेलबूटे थे। सोने के धूपदान से सुगन्धित धुएं उठ रहे थे, और बड़ेबड़े चीनी गमलों में फूलों से लदे हुए पौधे सजाये हुए थे। सिरे पर, ऊदी छाया में, एक बड़े हिन्दुस्तानी कछुए के सुनहरे नख चमक रहे थे जो पेट के बल उलट दिया गया था। यही थायस का शयनागार था। इसी कछुए के पेट पर लेटी हुई वह इस सुगन्ध और सजावट और सुषमा का आनन्द उठाती थी, मित्रों से बातचीत करती थी और या तो अभिनयकला का मनन करती थी, या बीते हुए दिनों का। तीसरा पहर था। थायस परियों के कुंज में शयन कर रही थी। उसने आईने में अपने सौन्दर्य की अवनति के परथम चिह्न देखे थे, और उसे इस विचार से पीड़ा हो रही थी कि झुर्रियों और श्वेत बालों का आक्रमण होने वाला है उसने इस विचार से अपने को आश्वासन देने की विफल चेष्टा की कि मैं जड़ीबूटियों के हवन करके मंत्रों द्वारा अपने वर्ण की कोमलता को फिर से पराप्त कर लूंगी। उसके कानों में इन शब्दों की निर्दय ध्वनि आयी-'थायस, तू बुयि हो जायेगी !' भय से उसके माथे पर ठण्डाठण्डा पसीना आ गया। तब उसने पुनः अपने को संभालकर आईने में देखा और उसे ज्ञात हुआ कि मैं अब भी परम सुन्दरी और परेयसी बनने के योग्य हूं। उसने पुलकित मन से मुस्कराकर मन में कहा-आज भी इस्कन्द्रिया में काई ऐसी रमणी नहीं है जो अंगों की चपलता और लचक में मुझसे टक्कर ले सके। मेरी बांहों की शोभा अब भी हृदय को खींच सकती है, यथार्थ में यही परेम का पाश है ! वह इसी विचार में मग्न थी कि उसने एक अपरिचित मनुष्य को अपने सामने आते देखा। उसकी आंखों में ज्वाला थी, दा़ी ब़ी हुई थी और वस्त्र बहुमूल्य थे। उसके हाथ में आईना छूटकर गिर पड़ा और वह भय से चीख उठी। पापनाशी स्तम्भित हो गया। उसका अपूर्व सौन्दर्य देखकर उसने शुद्ध अन्तःकरण से परार्थना की-भगवान मुझे ऐसी शक्ति दीजिए कि इस स्त्री का मुख मुझे लुब्ध न करे, वरन तेरे इस दास की परतिज्ञा को और भी दृ़ करे। तब अपने को संभालकर वह बोला-'थायस, मैं एक दूर देश में रहता हूं, तेरे सौन्दर्य की परशंसा सुनकर तेरे पास आया हूं। मैंने सुना था तुमसे चतुर अभिनेत्री और तुमसे मुग्धकर स्त्री संसार में नहीं है। तुम्हारे परेमरहस्यों और तुम्हारे धन के विषय में जो कुछ कहा जाता है वह आश्चर्यजनक है, और उससे 'रोडोप' की कथा याद आती है, जिसकी कीर्ति को नील के मांझी नित्य गाया करते हैं। इसलिए मुझे भी तुम्हारे दर्शनों की अभिलाषा हुई और अब मैं देखता हूं कि परत्यक्ष सुनीसुनाई बातों से कहीं ब़कर है। जितना मशहूर है उससे तुम हजार गुना चतुर और मोहिनी हो। वास्तव में तुम्हारे सामने बिना मतवालों की भांति डगमगाये आना असम्भव है।' यह शब्द कृत्रिम थे, किन्तु योगी ने पवित्र भक्ति से परभावित होकर सच्चे जोश से उनका उच्चारण किया। थायस ने परसन्न होकर इस विचित्र पराणी की ओर ताका जिससे वह पहले भयभीत हो गयी थी। उसके अभद्र और उद्दण्ड वेश ने उसे विस्मित कर दिया। उसे अब तक जितने मनुष्य मिले थे, यह उन सबों से निराला था। उसके मन में ऐसे अद्भुत पराणी के जीवनवृत्तान्त जानने की परबल उत्कंठा हुई। उसने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा-'महाशय, आप परेमपरदर्शन में बड़े कुशल मालूम होते हैं। होशियार रहियेगा कि मेरी चितबनें आपके हृदय के पार न हो जायें। मेरे परेम के मैदान में जरा संभलकर कदम रखियेगा।' पापनाशी बोला-'थामस, मुझे तुमसे अगाध परेम है। तुम मुझे जीवन और आत्मा से भी पिरय हो। तुम्हारे लिए मैंने अपना वन्यजीवन छोड़ा है, तुम्हारे लिए मेरे होंठों से, जिन्होंने मौनवरत धारण किया था, अपवित्र शब्द निकले हैं। तुम्हारे लिए मैंने वह देखा जो न देखना चाहिए था, वह सुना है जो मेरे लिए वर्जित था। तुम्हारे लिए मेरी आत्मा तड़प रही है, मेरा हृदय अधीर हो रहा है और जलस्त्रोत की भांति विचार की धाराएं परवाहित हो रही हैं। तुम्हारे लिए मैं अपने नंगे पैर सर्पों और बिच्छुओं पर रखते हुए भी नहीं हिचका हूं। अब तुम्हें मालूम हो गया होगा कि मुझे तुमसे कितना परेम है। लेकिन मेरा परेम उन मनुष्यों कासा नहीं है जो वासना की अग्नि से जलते हुए तुम्हारे पास जीवभक्षी व्याघरों की, और उन्मत्त सांड़ों की भांति दौड़े आते हैं। उनका वही परेम होता है जो सिंह को मृगशावक से। उनकी पाशविक कामलिप्सा तुम्हारी आत्मा को भी भस्मीभूत कर डालेगी। मेरा परेम पवित्र है, अनन्त है, स्थायी है। मैं तुमसे ईश्वर के नाम पर, सत्य के नाम पर परेम करता हूं। मेरा हृदय पतितोद्घार और ईश्वरीय दया के भाव से परिपूर्ण है। मैं तुम्हें फलों से की हुई शराब की मस्ती से और एक अल्परात्रि के सुखस्वप्न से कहीं उत्तम पदार्थों का वचन देने आया हूं। मैं तुम्हें महापरसाद और सुधारसपान का निमन्त्रण देने आया हूं। मैं तुम्हें उस आनन्द का सुखसंवाद सुनाने आया हूं जो नित्य, अमर, अखण्ड है। मृत्युलोक के पराणी यदि उसको देख लें तो आश्चर्य से भर जायें।' थायस ने कुटिल हास्य करके उत्तर दिया-'मित्र, यदि वह ऐसा अद्भुत परेम है तो तुरन्त दिखा दो। एक क्षण भी विलम्ब न करो। लम्बीलम्बी वक्तृताओं से मेरे सौन्दर्य का अपमान होगा। मैं आनन्द का स्वाद उठाने के लिए रो रही हूं। किन्तु जो मेरे दिल की बात पूछो, तो मुझे इस कोरी परशंसा के सिवा और कुछ हाथ न आयेगा। वादे करना आसान है; उन्हें पूरा करना मुश्किल है। सभी मनष्यों में कोईन-कोई गुण विशेष होता है। ऐसा मालूम होता है कि तुम वाणी में निपुण हो। तुम एक अज्ञात परेम का वचन देते हो। मुझे यह व्यापार करते इतने दिन हो गये और उसका इतना अनुभव हो गया है कि अब उसमें किसी नवीनता की किसी रहस्य की आशा नहीं रही। इस विषय का ज्ञान परेमियों को दार्शनिकों से अधिक होता है।' 'थायस, दिल्लगी की बात नहीं है, मैं तुम्हारे लिए अछूता परेम लाया हूं।' 'मित्र, तुम बहुत देर में आये। मैं सभी परकार के परेमों का स्वाद ले चुकी हूं।' 'मैं जो परेम लाया हूं, वह उज्ज्वल है, श्रेय है! तुम्हें जिस परेम का अनुभव हुआ है वह निंद्य और त्याज्य है।' थायस ने गर्व से गर्दन उठाकर कहा-'मित्र, तुम मुंहफट जान पड़ते हो। तुम्हें गृहस्वामिनी के परति मुख से ऐसे शब्द निकालने में जरा भी संकोच नहीं होता ? मेरी ओर आंख उठाकर देखो और तब बताओ कि मेरा स्वरूप निन्दित और पतित पराणियों ही कासा है। नहीं, मैं अपने कृत्यों पर लज्जित नहीं हूं। अन्य स्त्रियां भी, जिनका जीवन मेरे ही जैसा है, अपने को नीच और पतित नहीं समझतीं, यद्यपि, उनके पास न इतना धन है और न इतना रूप। सुख मेरे पैरों के नीचे आंखें बिछाये रहता है, इसे सारा जगत जानता है। मैं संसार के मुकुटधारियों को पैर की धूलि समझती हूं। उन सबों ने इन्हीं पैरों पर शीश नवाये हैं। आंखें उठाओ। मेरे पैरों की ओर देखो। लाखों पराणी उनका चुम्बन करने के लिए अपने पराण भेंट कर देंगे। मेरा डीलडौल बहुत बड़ा नहीं है, मेरे लिए पृथ्वी पर बहुत स्थान की जरूरत नहीं। जो लोग मुझे देवमन्दिर के शिखर पर से देखते हैं, उन्हें मैं बालू के कण के समान दीखती हूं, पर इस कण ने मनुष्यों में जितनी ईष्यार्, जितना द्वेष, जितनी निराशा, जितनी अभिलाषा और जितने पापों का संचार किया है उनके बोझ से अटल पर्वत भी दब जायेगा। जब मेरी कीर्ति समस्त संसार में परसारित हो रही है तो तुम्हारी लज्जा और निद्रा की बात करना पागलपन नहीं तो और क्या है ?' पापनाशी ने अविचलित भाव से उत्तर दिया-'सुन्दरी, यह तुम्हारी भूल है। मनुष्य जिस बात की सराहना करते हैं वह ईश्वर की दृष्टि में पाप है। हमने इतने भिन्नभिन्न देशों में जन्म लिया है कि यदि हमारी भाषा और विचार अनुरूप न हों तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। लेकिन मैं ईश्वर को साक्षी देकर कहता हूं कि मैं तुम्हारे पास से जाना नहीं चाहता। कौन मेरे मुख में ऐसे आग्नेय शब्दों को परेरित करेगा जो तुम्हें मोम की भांति पिघला दें कि मेरी उंगलियां तुम्हें अपनी इच्छा के अनुसार रूप दे सकें ? ओ नारीरत्न ! यह कौनसी शक्ति है जो तुम्हें मेरे हाथों में सौंप देगी कि मेरे अन्तःकरण में निहित सद्परेरणा तुम्हारा पुनसरंस्कार करके तुम्हें ऐसा नया और परिष्कृत सौन्दर्य परदान करे कि तुम आनन्द से विह्वल हो पुकार उठो, मेरा फिर से नया संस्कार हुआ ? कौन मेरे हृदय में उस सुधास्त्रोत को परवाहित करेगा कि तुम उसमें नहाकर फिर अपनी मौलिक पवित्रता लाभ कर सको ? कौन मुझे मर्दन की निर्मल धारा में परिवर्तित कर देगा जिसकी लहरों का स्पर्श तुम्हें अनन्त सौन्दर्य से विभूषित कर दे ?' थायस का क्रोध शान्त हो गया। उसने सोचा-यह पुरुष अनन्त जीवन के रहस्यों में परिचित है, और जो कुछ वह कह सकता है उसमें ऋषिवाक्यों कीसी परतिभा है। यह अवश्य कोई कीमियागर है और ऐसे गुप्तमन्त्र जानता है जो जीर्णावस्था का निवारण कर सकते हैं। उसने अपनी देह को उसकी इच्छाओं को समर्पित करने का निश्चय कर लिया। वह एक सशंक पक्षी की भांति कई कदम पीछे हट गयी और अपने पलंग पट्टी पर बैठकर उसकी परतीक्षा करने लगी। उसकी आंखें झुकी हुई थीं और लम्बी पलकों की मलिन छाया कपालों पर पड़ रही थी। ऐसा जान पड़ता था कि कोई बालक नदी के किनारे बैठा हुआ किसी विचार में मग्न है। किन्तु पापनाशी केवल उसकी ओर टकटकी लगाये ताकता रहा, अपनी जगह से जौ भर भी न हिला। उसके घुटने थरथरा रहे थे और मालूम होता था कि वे उसे संभाल न सकेंगे। उसका तालू सूख गया था, कानों में तीवर भनभनाहट की आवाज आने लगी। अकस्मात उसकी आंखों के सामने अन्धकार छा गया, मानो समस्त भवन मेघाच्छादित हो गया है। उसे ऐसा भाषित हुआ कि परभु मसीह ने इस स्त्री को छिपाने के निमित्त उसकी आंखों पर परदा डाल दिया है। इस गुप्त करावलम्ब से आश्वस्त और सशक्त होकर उसने ऐसे गम्भीर भाव से कहा जो किसी वृद्ध तपस्वी के यथायोग्य था-क्या तुम समझती हो कि तुम्हारा यह आत्महनन ईश्वर की निगाहों से छिपा हुआ है ?' उसने सिर हिलाकर कहा-'ईश्वर ? ईश्वर से कौन कहता है कि सदैव परियों के कुंज पर आंखें जमाये रखे ? यदि हमारे काम उसे नहीं भाते तो वह यहां से चला क्यों नहीं जाता ? लेकिन हमारे कर्म उसे बुरे लगते ही क्यों हैं ? उसी ने हमारी सृष्टि की है। जैसा उसने बनाया है वैसे ही हम हैं। जैसी वृत्तियां उसने हमें दी हैं उसी के अनुसार हम आचरण करते हैं ! फिर उसे हमसे रुष्ट होने का, अथवा विस्मित होने का क्या अधिकार है ? उसकी तरफ से लोग बहुतसी मनग़न्त बातें किया करते हैं और उसको ऐसेऐसे विचारों का श्रेय देते हैं जो उसके मन में कभी न थे। तुमको उसके मन की बातें जानने का दावा है। तुमको उसके चरित्र का यथार्थ ज्ञान है। तुम कौन हो कि उसके वकील बनकर मुझे ऐसीऐसी आशाएं दिलाते हो ?' पापनाशी ने मंगनी के बहुमूल्य वस्त्र उतारकर नीचे का मोटा कुरता दिखाते हुए कहा-'मैं धमार्श्रम का योगी हूं। मेरा नाम पापनाशी है। मैं उसी पवित्र तपोभूमि से आ रहा हूं। ईश्वर की आज्ञा से मैं एकान्तसेवन करता हूं। मैंने संसार से और संसार के पराणियों से मुंह मोड़ लिया था। इस पापमय संसार में निर्लिप्त रहना ही मेरा उद्दिष्ट मार्ग है। लेकिन तेरी मूर्ति मेरी शान्तिकुटीर में आकर मेरे सम्मुख खड़ी हुई और मैंने देखा कि तू पाप और वासना में लिप्त है, मृत्यु तुझे अपना गरास बनाने को खड़ी है। मेरी दया जागृत हो गयी और तेरा उद्घार करने के लिए आ उपस्थित हुआ हूं। मैं तुझे पुकारकर कहता हूं-थायस, उठ, अब समय नहीं है।' योगी के यह शब्द सुनकर थायस भय से थरथर कांपने लगी। उसका मुख श्रीहीन हो गया, वह केश छिटकाये, दोनों हाथ जोड़े रोती और विलाप करती हुई उसके पैरों पर गिर पड़ी और बोली-'महात्मा जी, ईश्वर के लिए मुझ पर दया कीजिए। आप यहां क्यों आये हैं ? आपकी क्या इच्छा है ? मेरा सर्वनाश न कीजिए। मैं जानता हूं कि तपोभूमि के ऋषिगण हम जैसी स्त्रियों से घृणा करते हैं, जिनका जन्म ही दूसरों को परसन्न रखने के लिए होता है। मुझे भय हो रहा है कि आप मुझसे घृणा करते हैं और मेरा सर्वनाश करने पर उद्यत हैं। कृपया यहां से सिधारिए। मैं आपकी शक्ति और सिद्धि के सामने सिर झुकाती हूं। लेकिन आपका मुझ पर कोप करना उचित नहीं है, क्योंकि मैं अन्य मनुष्यों की भांति आप लोगों की भिक्षावृत्ति और संयम की निन्दा नहीं करती। आप भी मेरे भोगविलास को पाप न समझिए। मैं रूपवती हूं और अभिनय करने में चतुर हूं। मेरा काबू न अपनी दशा पर है, और न अपनी परकृति पर। मैं जिस काम के योग्य बनायी गयी हूं वही करती हूं। मनुष्यों की मुग्ध करने ही के निमित्त मेरी सृष्टि हुई है। आप भी तो अभी कह रहे थे कि मैं तुम्हें प्यार करता हूं। अपनी सिद्धियों से मेरा अनुपकार न कीजिए। ऐसा मन्त्र न चलाइए कि मेरा सौन्दर्य नष्ट हो जाय, या मैं पत्थर तथा नमक की मूर्ति बन जाऊं। मुझे भयभीत न कीजिए। मेरे तो पहले ही से पराण सूखे हुए हैं। मुझे मौत का मुंह न दिखाइए, मुझे मौत से बहुत डर लगता है।' पापनाशी ने उसे उठने का इशारा किया और बोला-'बच्चा, डर मत। तेरे परति अपमान या घृणा का शब्द भी मेरे मुंह से न निकलेगा। मैं उस महान पुरुष की ओर से आया हूं, जो पापियों को गले लगाता था, वेश्याओं के घर भोजन करता था, हत्यारों से परेम करता था, पतितों को सान्त्वना देता था। मैं स्वयं पापमुक्त नहीं हूं कि दूसरों पर पत्थर फेंकूं। मैंने कितनी ही बार उस विभूति का दुरुपयोग किया है जो ईश्वर ने मुझे परदान की है। क्रोध ने मुझे यहां आने पर उत्साहित नहीं किया। मैं दया के वशीभूत होकर आया हूं। मैं निष्कपट भाव से परेम के शब्दों में तुझे आश्वासन दे सकता हूं, क्योंकि मेरा पवित्र धर्मस्नेह ही मुझे यहां लाया है। मेरे हृदय में वात्सल्य की अग्नि परज्वलित हो रही है और यदि तेरी आंखें जो विषय के स्थूल, अपवित्र दृश्यों के वशीभूत हो रही हैं, वस्तुओं को उनके आध्यात्मिक रूप में देखतीं तो तुझे विदित होता कि मैं उस जलती हुई झाड़ी का एक पल्लव हूं जो ईश्वर ने अपने परेम का परिचय देने के लिए मूसा को पर्वत पर दिखाई थी-जो समस्त संसार में व्याप्त है, और जो वस्तुओं को भस्म कर देने के बदले, जिस वस्तु में परवेश करती है उसे सदा के लिए निर्मल और सुगन्धमय बना देती है।' थायस ने आश्वस्त होकर कहा-'महात्मा जी, अब मुझे आप पर विश्वास हो गया है। मुझे आपसे किसी अनिष्ट या अमंगल की आशंका नहीं है। मैंने धमार्श्रम के तपस्वियों की बहुत चचार सुनी है। ऐण्तोनी और पॉल के विषय में बड़ी अद्भुत कथाएं सुनने में आयी हैं। आपके नाम से भी मैं अपरिचित नहीं हूं और मैंने लोगों को कहते सुना है कि यद्यपि आपकी उमर अभी कम है, आप धर्मनिष्ठा में उन तपस्वियों से भी श्रेष्ठ हैं जिन्होंने अपना समस्त जीवन ईश्वर आराधना में व्यतीत किया। यद्यपि मेरा अपसे परिचय न था, किन्तु आपको देखते ही मैं समझ गयी कि आप कोई साधारण पुरुष नहीं हैं। बताइये, आप मुझे वह वस्तु परदान कर सकते हैं जो सारे संसार के सिद्ध और साधु, ओझे और सयाने, कापालिक और वैतालिक नहीं कर सके ? आपके पास मौत की दवा है ? आप मुझे अमर जीवन दे सकते हैं ? यही सांसारिक इच्छाओं का सप्तम स्वर्ग है।' पापनाशी ने उत्तर दिया-'कामिनी, अमर जीवन लाभ करना परत्येक पराणी की इच्छा के अधीन है। विषयवासनाओं को त्याग दे, जो तेरी आत्मा का सर्वनाश कर रहे हैं। उस शरीर को पिशाचों के पंजे से छुड़ा ले जिसे ईश्वर ने अपने मुंह के पानी से साना और अपने श्वास से जिलाया, अन्यथा परेत और पिशाच उसे बड़ी क्रुरता से जलायेंगे। नित्य के विलास से तेरे जीवन का स्त्रोत क्षीण हो गया है। आ, और एकान्त के पवित्र सागर में उसे फिर परवाहित कर दे। आ, और मरुभूमि में छिपे हुए सोतों का जल सेवन कर जिनका उफान स्वर्ग तक पहुंचता है। ओ चिन्ताओं में डूबी हुई आत्मा ! आ, अपनी इच्छित वस्तु को पराप्त कर ! जो आनन्द की भूखी स्त्री ! आ, और सच्चे आनन्द का आस्वादन कर। दरिद्रता का, विराग का, त्याग कर, ईश्वर के चरणों में आत्मसमर्पण कर ! आ, ओ स्त्री, जो आज परभु मसीह की द्रोहिणी है, लेकिन कल उसको परेयसी होगी। आ, उसका दर्शन कर, उसे देखते ही तू पुकार उठेगी-मुझे परेमधन मिल गया !' थामस भविष्यचिन्तन में खोयी हुई थी। बोली-'महात्मा, अगर मैं जीवन के सुखों को त्याग दूं और कठिन तपस्या करुं तो क्या यह सत्य है कि मैं फिर जन्म लूंगी और मेरे सौन्दर्य को आंच न आयेगी ?' पापनाशी ने कहा-'थायस, मैं तेरे लिए अनन्तजीवन का सन्देश लाया हूं। विश्वास कर, मैं जो कुछ कहता हूं, सर्वथा सत्य है।' थायस-'मुझे उसकी सत्यता पर विश्वास क्योंकर आये ?' पापनाशी-'दाऊद और अन्य नबी उसकी साक्षी देंगे, तुझे अलौकिक दृश्य दिखाई देंगे, वह इसका समर्थन करेंगे।' थायस-'योगी जी, आपकी बातों से मुझे बहुत संष्तोा हो रहा है, क्योंकि वास्तव में मुझे इस संसार में सुख नहीं मिला। मैं किसी रानी से कम नहीं हूं, किन्तु फिर भी मेरी दुराशाओं और चिन्ताओं का अन्त नहीं है। मैं जीने से उकता गयी हूं। अन्य स्त्रियां मुझ पर ईष्यार करती हैं, पर मैं कभीकभी उस दुःख की मारी, पोपली बुयि पर ईष्यार करती हूं जो शहर के फाटक की छांह में बैठी तलाशे बेचा करती है। कितनी ही बार मेरे मन में आया है कि गरीब ही सुखी, सज्जन और सच्चे होते हैं, और दीन, हीन, निष्परभ रहने में चित्त को बड़ी शान्ति मिलती है। आपने मेरी आत्मा में एक तूफानसा पैदा कर दिया है और जो नीचे दबी पड़ी थी उसे ऊपर कर दिया है। हां ! मैं किसका विश्वास करुं ? मेरे जीवन का क्या अन्त होगा-जीवन ही क्या है ?' पापनाशी ने उसे उठने का इशारा किया और बोला-'बच्चा, डर मत। तेरे परति अपमान या घृणा का शब्द भी मेरे मुंह से न निकलेगा। मैं उस महान पुरुष की ओर से आया हूं, जो पापियों को गले लगाता था, वेश्याओं के घर भोजन करता था, हत्यारों से परेम करता था, पतितों को सान्त्वना देता था। मैं स्वयं पापमुक्त नहीं हूं कि दूसरों पर पत्थर फेंकूं। मैंने कितनी ही बार उस विभूति का दुरुपयोग किया है जो ईश्वर ने मुझे परदान की है। क्रोध ने मुझे यहां आने पर उत्साहित नहीं किया। मैं दया के वशीभूत होकर आया हूं। मैं निष्कपट भाव से परेम के शब्दों में तुझे आश्वासन दे सकता हूं, क्योंकि मेरा पवित्र धर्मस्नेह ही मुझे यहां लाया है। मेरे हृदय में वात्सल्य की अग्नि परज्वलित हो रही है और यदि तेरी आंखें जो विषय के स्थूल, अपवित्र दृश्यों के वशीभूत हो रही हैं, वस्तुओं को उनके आध्यात्मिक रूप में देखतीं तो तुझे विदित होता कि मैं उस जलती हुई झाड़ी का एक पल्लव हूं जो ईश्वर ने अपने परेम का परिचय देने के लिए मूसा को पर्वत पर दिखाई थी-जो समस्त संसार में व्याप्त है, और जो वस्तुओं को भस्म कर देने के बदले, जिस वस्तु में परवेश करती है उसे सदा के लिए निर्मल और सुगन्धमय बना देती है।' थायस ने आश्वस्त होकर कहा-'महात्मा जी, अब मुझे आप पर विश्वास हो गया है। मुझे आपसे किसी अनिष्ट या अमंगल की आशंका नहीं है। मैंने धमार्श्रम के तपस्वियों की बहुत चचार सुनी है। ऐण्तोनी और पॉल के विषय में बड़ी अद्भुत कथाएं सुनने में आयी हैं। आपके नाम से भी मैं अपरिचित नहीं हूं और मैंने लोगों को कहते सुना है कि यद्यपि आपकी उमर अभी कम है, आप धर्मनिष्ठा में उन तपस्वियों से भी श्रेष्ठ हैं जिन्होंने अपना समस्त जीवन ईश्वर आराधना में व्यतीत किया। यद्यपि मेरा अपसे परिचय न था, किन्तु आपको देखते ही मैं समझ गयी कि आप कोई साधारण पुरुष नहीं हैं। बताइये, आप मुझे वह वस्तु परदान कर सकते हैं जो सारे संसार के सिद्ध और साधु, ओझे और सयाने, कापालिक और वैतालिक नहीं कर सके ? आपके पास मौत की दवा है ? आप मुझे अमर जीवन दे सकते हैं ? यही सांसारिक इच्छाओं का सप्तम स्वर्ग है।' पापनाशी ने उत्तर दिया-'कामिनी, अमर जीवन लाभ करना परत्येक पराणी की इच्छा के अधीन है। विषयवासनाओं को त्याग दे, जो तेरी आत्मा का सर्वनाश कर रहे हैं। उस शरीर को पिशाचों के पंजे से छुड़ा ले जिसे ईश्वर ने अपने मुंह के पानी से साना और अपने श्वास से जिलाया, अन्यथा परेत और पिशाच उसे बड़ी क्रुरता से जलायेंगे। नित्य के विलास से तेरे जीवन का स्त्रोत क्षीण हो गया है। आ, और एकान्त के पवित्र सागर में उसे फिर परवाहित कर दे। आ, और मरुभूमि में छिपे हुए सोतों का जल सेवन कर जिनका उफान स्वर्ग तक पहुंचता है। ओ चिन्ताओं में डूबी हुई आत्मा ! आ, अपनी इच्छित वस्तु को पराप्त कर ! जो आनन्द की भूखी स्त्री ! आ, और सच्चे आनन्द का आस्वादन कर। दरिद्रता का, विराग का, त्याग कर, ईश्वर के चरणों में आत्मसमर्पण कर ! आ, ओ स्त्री, जो आज परभु मसीह की द्रोहिणी है, लेकिन कल उसको परेयसी होगी। आ, उसका दर्शन कर, उसे देखते ही तू पुकार उठेगी-मुझे परेमधन मिल गया !' थामस भविष्यचिन्तन में खोयी हुई थी। बोली-'महात्मा, अगर मैं जीवन के सुखों को त्याग दूं और कठिन तपस्या करुं तो क्या यह सत्य है कि मैं फिर जन्म लूंगी और मेरे सौन्दर्य को आंच न आयेगी ?' पापनाशी ने कहा-'थायस, मैं तेरे लिए अनन्तजीवन का सन्देश लाया हूं। विश्वास कर, मैं जो कुछ कहता हूं, सर्वथा सत्य है।' थायस-'मुझे उसकी सत्यता पर विश्वास क्योंकर आये ?' पापनाशी-'दाऊद और अन्य नबी उसकी साक्षी देंगे, तुझे अलौकिक दृश्य दिखाई देंगे, वह इसका समर्थन करेंगे।' थायस-'योगी जी, आपकी बातों से मुझे बहुत संष्तोा हो रहा है, क्योंकि वास्तव में मुझे इस संसार में सुख नहीं मिला। मैं किसी रानी से कम नहीं हूं, किन्तु फिर भी मेरी दुराशाओं और चिन्ताओं का अन्त नहीं है। मैं जीने से उकता गयी हूं। अन्य स्त्रियां मुझ पर ईष्यार करती हैं, पर मैं कभीकभी उस दुःख की मारी, पोपली बुयि पर ईष्यार करती हूं जो शहर के फाटक की छांह में बैठी तलाशे बेचा करती है। कितनी ही बार मेरे मन में आया है कि गरीब ही सुखी, सज्जन और सच्चे होते हैं, और दीन, हीन, निष्परभ रहने में चित्त को बड़ी शान्ति मिलती है। आपने मेरी आत्मा में एक तूफानसा पैदा कर दिया है और जो नीचे दबी पड़ी थी उसे ऊपर कर दिया है। हां ! मैं किसका विश्वास करुं ? मेरे जीवन का क्या अन्त होगा-जीवन ही क्या है ?' वह यह बातें कर रही थी कि पापनाशी के मुख पर तेज छा गया, सारा मुखमंडल आदि ज्योति से चमक उठा, उसके मुंह से यह परतिभाशाली वाक्य निकले-'कामिनी, सुन, मैंने जब इस घर में कदम रखा तो मैं अकेला न था। मेरे साथ कोई और भी था और वह अब भी मेरे बगल में खड़ा है। तू अभी उसे नहीं देख सकती, क्योंकि तेरी आंखों में इतनी शक्ति नहीं है। लेकिन शीघर ही स्वगीर्य परतिभा से तू उसे आलोकित देखेगी और तेरे मुंह से आपही-आप निकल पड़ेगा-यही मेरा आराध्य देव है। तूने अभी उसकी आलौकिक शक्ति देखी ! अगर उसने मेरी आंखों के सामने अपने दयालु हाथ न फैला दिये होते तो अब तक मैं तेरे साथ पापाचरण कर चुका होता; क्योंकि स्वतः मैं अत्यन्त दुर्बल और पापी हूं। लेकिन उसने हम दोनों की रक्षा की। वह जितना ही शक्तिशाली है उतना ही दयालु है और उसका नाम है मुक्तिदाता। दाऊद और अन्य नबियों ने उसके आने की खबर दी थी, चरवाहों और ज्योतिषियों ने हिंडोले में उसके सामने शीश झुकाया था। फरीसियों ने उसे सलीब पर च़ाया, फिर वह उठकर स्वर्ग को चला गया। तुझे मृत्यु से इतना सशंक देखकर वह स्वयं तेरे घर आया है कि तुझे मृत्यु से बचा ले। परभु मसीह ! क्या इस समय तुम यहां उपस्थित नहीं हो, उसी रूप में जो तुमने गैलिली के निवासियों को दिखाया था। कितना विचित्र समय था बैतुलहम के बालक तारागण को हाथ में लेकर खेलते थे जो उस समय धरती के निकट ही स्थित थे। परभु मसीह, क्या यह सत्य नहीं है कि तुम इस समय यहां उपस्थित हो और मैं तुम्हारी पवित्र देह को परत्यक्ष देख रहा हूं ? क्या तेरी दयालु कोमल मुखारबिन्द यहां नहीं है ? और क्या वह आंसू जो तेरे गालों पर बह रहे हैं, परत्यक्ष आंसू नहीं हैं ? हां, ईश्वरीय न्याय का कर्त्ता उन मोतियों के लिए हाथ रोपे खड़ा है और उन्हीं मोतियों से थायस की आत्मा की मुक्ति होगी। परभु मसीह, क्या तू बोलने के लिए होंठ नहीं खोले हुए है ? बोल, मैं सुन रहा हूं ! और थायस, सुलक्षण थायस सुन, परभु मसीह तुझसे क्या कह रहे हैं-ऐ मेरी भटकी हुई मेषसुन्दरी, मैं बहुत दिनों से तेरी खोज में हूं। अन्त में मैं तुझे पा गया। अब फिर मेरे पास से न भागना। आ, मैं तेरा हाथ पकड़ लूं और अपने कन्धों पर बिठाकर स्वर्ग के बाड़े में ले चलूं। आ मेरी थायस, मेरी पिरयतमा, आ ! और मेरे साथ रो।' यह कहतेकहते पापनाशी भक्ति से विह्वल होकर जमीन पर घुटनों के बल बैठ गया। उसकी आंखों से आत्मोल्लास की ज्योतिरेखाएं निकलने लगीं। और थायस को उसके चेहरे पर जीतेजागते मसीह का स्वरूप दिखाई दिया। वह करुण क्रंदन करती हुई बोली-'ओ मेरी बीती हुई बाल्यावस्था, ओ मेरे दयालु पिता अहमद ! ओ सन्त थियोडोर, मैं क्यों न तेरी गोद में उसी समय मर गयी जब तू अरुणोदय के समय मुझे अपनी चादर में लपेटे लिये आता था और मेरे शरीर से वपतिस्मा के पवित्र जल की बूंदें टपक रही थीं।' पापनाशी यह सुनकर चौंक पड़ा मानो कोई अलौकिक घटना हो गयी है और दोनों हाथ फैलाये हुए थायस की ओर यह कहते हुए ब़ा-'भगवान्, तेरी महिमा अपार है। क्या तू बपतिस्मा के जल से प्लावित हो चुकी है ? हे परमपिता, भक्तवत्सल परभु, ओ बुद्धि के अगाध सागर ! अब मुझे मालूम हुआ कि वह कौनसी शक्ति थी जो मुझे तेरे पास खींचकर लायी। अब मुझे ज्ञात हुआ कि वह कौनसा रहस्य था जिसने तुझे मेरी दृष्टि में इतना सुन्दर, इतना चित्ताकर्षक बना दिया था। अब मुझे मालूम हुआ कि मैं तेरे परेमपाश में क्यों इस भांति जकड़ गया था कि अपना शान्तिवास छोड़ने पर विवश हुआ। इसी बपतिस्माजल की महिमा थी जिसने मुझे ईश्वर के द्वार को छुड़ाकर मुझे खोजने के लिए इस विषाक्त वायु से भरे हुए संसार में आने पर बाध्य किया जहां मायामोह में फंसे हुए लोग अपना कलुषित जीवन व्यतीत करते हैं। उस पवित्र जल की एक बूंद-केवल एक ही बूंद मेरे मुख पर छिड़क दी गयी है जिसमें तूने स्नान किया था। आ, मेरी प्यारी बहिन, आ, और अपने भाई के गले लग जा जिसका हृदय तेरा अभिवादन करने के लिए तड़प रहा है।' यह कहकर पापनाशी ने बारांगना के सुन्दर ललाट को अपने होंठों से स्पर्श किया। इसके बाद वह चुप हो गया कि ईश्वर स्वयं मधुर, सांत्वनापरद शब्दों में थायस को अपनी दयालुता का विश्वास दिलाये। और 'परियों के रमणीक कुंज' में थायस की सिसकियों के सिवा, जो जलधारा की कलकल ध्वनि से मिल गयी थीं, और कुछ न सुनाई दिया। वह इसी भांति देर तक रोती रही। अश्रुपरवाह को रोकने का परयत्न उसने न किया। यहां तक कि उसके हब्शी गुलाम सुन्दर वस्त्र; फूलों के हार और भांतिभांति के इत्र लिये आ पहुंचे। उसने मुस्कराने की चेष्टा करके कहा-'अरे रोने का समय बिल्कुल नहीं रहा। आंसुओं से आंखें लाल हो जाती हैं, और उनमें चित्त को विकल करने वाला पुष्प विकास नहीं रहता, चेहरे का रंग फीका पड़ जाता है, वर्ण की कोमलता नष्ट हो जाती है। मुझे आज कई रसिक मित्रों के साथ भोजन करना है। मैं चाहती हूं कि मेरी मुखचन्द्र सोलहों कला से चमके, क्योंकि वहां कई ऐसी स्त्रियां आयेंगी जो मेरे मुख पर चिन्ता या ग्लानि के चिह्न को तुरन्त भांप जायेंगी और मन में परसन्न होंगी कि अब इनका सौन्दर्य थोड़े ही दिनों का और मेहमान है, नायिका अब परौ़ा हुआ चाहती है। ये गुलाम मेरा शृंगार करने आये हैं। पूज्य पिता आप कृपया दूसरे कमरे में जा बैठिए और इन दोनों को अपना काम करने दीजिए। यह अपने काम में बड़े परवीण और कुशल हैं। मैं उन्हें यथेष्ट पुरस्कार देती हूं। वह जो सोने की अंगूठियां पहने हैं और जिनके मोती केसे दांत चमक रहे हैं, उसे मैंने परधानमन्त्री की पत्नी से लिया है।' पापनाशी की पहले तो यह इच्छा हुई कि थायस को इस भोज में सम्मिलित होने से यथाशक्ति रोके। पर पुनः विचार किया तो विदित हुआ कि यह उतावली का समय नहीं है। वर्षों का जमा हुआ मनोमालिन्य एक रगड़ से नहीं दूर हो सकता। रोग का मूलनाश शनैःशनैः, क्रमक्रम से ही होगा। इसलिए उसने धमोर्त्साह के बदले बुद्धिमत्ता से काम लेने का निश्चय किया और पूछा-वाह किनकिन मनुष्यों से भेंट होगी ? उसने उत्तर दिया-'पहले तो वयोवृद्ध कोटा से भेंट होगी जो यहां के जलसेना के सेनापति हैं। उन्हीं ने यह दावत दी है। निसियास और अन्य दार्शनिक भी आयेंगे जिन्हें किसी विषय की मीमांसा करने ही में सबसे अधिक आनन्द पराप्त होता है। इनके अतिरिक्त कविसमाजभूषण कलिक्रान्त, और देवमन्दिर के अध्यक्ष भी आयेंगे। कई युवक होंगे जिनको घोड़े निकालने ही में परम आनन्द आता है और कई स्त्रियां मिलेंगी जिनके विषय में इसके सिवाय और कुछ नहीं कहा जा सकता कि वे युवतियां हैं।' पापनाशी ने ऐसी उत्सुकता से जाने की सम्मति दी मानो उसे आकाशवाणी हुई है। बोला-'तो अवश्य जाओ थायस, अवश्य जाओ। मैं तुम्हें सहर्ष आज्ञा देता हूं। लेकिन मैं तेरा साथ न छोडूंगा। मैं भी इस दावत में तुम्हारे साथ चलूंगा। इतना जानता हूं कि कहां बोलना और कहां चुप रहना चाहिए। मेरे साथ रहने से तुम्हें कोई असुविधा अथवा झेंप न होगी।' दोनों गुलाम अभी उसको आभूषण पहना ही रहे थे कि थायस खिलखिलाकर हंस पड़ी और बोली-'वह धमार्श्रम के एक तपस्वी को मेरे परेमियों में देखकर कहेंगे ?'
।ग्राम क्रमांक : ।ग्राम का नाम : ।तहसील : ।जनपद : ।फसली वर्ष : ।भाग : ।प्रत्येक गाटे का क्षेत्रफल (हे.) ।1 - ऐसी भूमि, जिसमें सरकार अथवा गाँवसभा या अन्य स्थानीय अधिकारिकी जिसे1950 ई. के उ. प्र. ज. वि.एवं भू. व्य. अधि.की धारा 117 - क के अधीन भूमि का प्रबन्ध सौंपा गया हो , खेती करता हो । ( नदारद ) ।1क(क) - रिक्त ( नदारद ) ।1-ख - ऐसी भूमि जो गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट केअन्तर्गत व्यक्तियों के पास हो । ( नदारद ) ।2 - भूमि जो असंक्रमणीय भूमिधरो केअधिकार में हो। ( नदारद ) ।3 - भूमि जो असामियों के अध्यासन या अधिकारमें हो। ( नदारद ) ।4 - भूमि जो उस दशा में बिना आगम केअध्यासीनों के अधिकार में हो जब खसरेके स्तम्भ 4 में पहले से ही किसी व्यक्तिका नाम अभिलिखित न हो। ( नदारद ) ।4-क - उ.प्र. अधिकतम जोत सीमा आरोपण.अधि.अन्तर्गत अर्जित की गई अतिरिक्त भूमि -(क)जो उ.प्र.जोत सी.आ.अ.के उपबन्धो केअधीन किसी अन्तरिम अवधि के लिये किसी पट्टेदार द्वारा रखी गयी हो । ( नदारद ) ।4-क(ख) - अन्य भूमि । ( नदारद ) ।5-1 - कृषि योग्य भूमि - नई परती (परतीजदीद) ।5-2 - कृषि योग्य भूमि - पुरानी परती (परतीकदीम) ( नदारद ) ।5-3-क - कृषि योग्य बंजर - इमारती लकड़ी केवन। ।5-3-ख - कृषि योग्य बंजर - ऐसे वन जिसमें अन्यप्रकर के वृक्ष,झाडि़यों के झुन्ड,झाडि़याँ इत्यादि हों। ( नदारद ) ।5-3-ग - कृषि योग्य बंजर - स्थाई पशुचर भूमि तथा अन्य चराई की भूमियाँ । ।5-3-घ - कृषि योग्य बंजर - छप्पर छाने की घास तथा बाँस की कोठियाँ । ( नदारद ) ।5-3-ङ - अन्य कृषि योग्य बंजर भूमि। ( नदारद ) ।5-क (क) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - कृषि हेतु ( नदारद ) ।5-क (ख) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - आबादी हेतु ( नदारद ) ।5-क (ग) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - सामुदायिक वनाधिकार हेतु ( नदारद ) ।6-1 - अकृषिक भूमि - जलमग्न भूमि । ।6-2 - अकृषिक भूमि - स्थल, सड़कें, रेलवे,भवन और ऐसी दूसरी भूमियां जोअकृषित उपयोगों के काम में लायी जाती हो। ।6-3 - कब्रिस्तान और श्मशान (मरघट) , ऐसेकब्रस्तानों और श्मशानों को छोड़ करजो खातेदारों की भूमि या आबादी क्षेत्र में स्थित हो। ।6-4 - जो अन्य कारणों से अकृषित हो । ।यह खतौनी इलेक्ट्रोनिक डिलीवरी सिस्टम द्वारा तैयार की गयी है तथा डाटा डिजीटल हस्ताक्षर द्वारा हस्ताक्षरित है।
पंजाबी-कैनेडियन रैपर शुभ का स्टिल रोलिन इंडिया दौरे पर रिएक्शनः भारत का विकृत नक्शा शेयर कर निशाने पर आए खालिस्तान के कथित समर्थक पंजाबी-कैनेडियन रैपर शुभनीत सिंह के सुर अब भारी विरोध के बाद बदलते दिख रहे हैं . भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद के बीच अपने विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर भारी आलोचना का सामना कर रहे पंजाबी-कनाडाई रैपर शुभनीत सिंह ने गुरुवार को कहा कि वह अपना भारत दौरा रद्द होने से बहुत निराश हैं। खालिस्तान मुद्दे पर समर्थन के कारण रैपर का स्टिल रोलिन इंडिया दौरा पहले ही रद्द कर दिया गया है। व्यक्त करते हुए इंस्टाग्राम पर साझा की गई एक पोस्ट में शुभनीत सिंह ने कहा कि पिछले दो महीनों से मैं भारत दौरे के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था और सार्वजनिक रूप से अपने प्रदर्शन को लेकर बहुत उत्साहित था। इंस्टाग्राम पर अपने पेज पर रैपर ने पोस्ट किया कि पंजाब के एक युवा रैपर गायक के रूप में, अपने संगीत को एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखना मेरे जीवन का सपना था। लेकिन हाल की घटनाओं ने मेरी मेहनत और प्रगति को प्रभावित किया है. मैं अपनी निराशा और दुःख व्यक्त करने के लिए कुछ शब्द कहना चाहता था। शुभनीत ने अपने विवादित पोस्ट पर सफाई देते हुए लिखा कि उनका इरादा पंजाब के लिए प्रार्थना करने का था क्योंकि राज्य में बिजली कटौती की खबर थी। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था. अपना शो रद्द होने से निराश रैपर ने कहा कि उन पर लगे आरोपों ने उन्हें काफी प्रभावित किया है. खालिस्तान समर्थक शुभनीत सिंह को होस्ट करने के लिए टिकट बुकिंग ऐप को सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा। इससे पहले बुधवार को एक्स पर #UninstallBookMyShow ट्रेंड करने लगा था और कुछ यूजर्स ने इसे शुभ खालिस्तानी कहा था। रैपर्ट ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर भारत का एक विकृत नक्शा साझा किया। जिसका कैप्शन उन्होंने 'पंजाब के लिए प्रार्थना' लिखा है। इस घटना के बाद, भारत के शीर्ष क्रिकेटर विराट कोहली ने कथित तौर पर शुभनीत को इंस्टाग्राम पर अनफॉलो कर दिया।
सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट्स ने एक ऐसे फिशिंग स्कैम का पता लगाया है, जिसकी मदद से हैकर्स ने बहुत से Gmail यूजर्स के यूजरनेम और पासवर्ड पता कर लिए हैं। जिस तरीके को हैकर इस्तेमाल कर रहे हैं, वह इतना इफेक्टिव है कि अनुभवी टेक्निकल यूजर्स भी गलती कर रहे हैं। फिशिंग वह तरीका है, जिसमें हैकर्स किसी असली वेबसाइट की हू-ब-हू नकल तैयार कर देते हैं। यूजर्स असली और नकली का फर्क नहीं कर पाते और अपना यूजरनेम और पासवर्ड नकली वेबपेज में एंटर कर देते हैं। ऐसा करते ही यूजरनेम और पासवर्ड का ऐक्सेस हैकर्स को मिल जाता है और वे असली अकाउंट को हैक कर लेते हैं। ब्लॉग वेबसाइट WordPress के लिए सिक्यॉरिटी टूल बनाने वाली टीम WordFence के रिसर्चर्स ने एक ब्लॉग पोस्ट के जरिए चेताया है कि इस फिशिंग स्कैम के जरिए बहुत सारे यूजर्स का जीमेल पासवर्ड हासिल करके उनका डेटा चुराया जा रहा है। ब्लॉग में लिखा गया है कि इस स्कैम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अनुभवी टेक्निकल यूजर्स भी फंस जा हे हैं। क्या है हैकिंग का तरीका? हैकर्स ट्रस्टेड कॉन्टैक्स के तौर पर टारगेट यूजर को ईमेल भेजते हैं। इस ईमेल के साथ एक अटैचमेंट लगा होता है, जो आमतौर पर पीडीएफ फाइल के तौर पर दिखता है। देखने में यह ईमेल एक सामान्य ईमेल की तरह दिखता है । मगर इसके साथ आया अटैचमेंट दरअसल एक एम्बेडेड इमेज है, जिसे ऐसे तैयार किया गया है कि पीडीएफ फाइल की तरह नजर आए। इस इमेज पर क्लिक करने पर वैसे तो इमेज प्रिव्यू खुलना चाहिए, मगर गूगल का लॉगइन पेज खुल जाता है। दरअसल हैकर्स ने इस इमेज को फेक गूगल लॉगइन पेज से लिंक किया हुआ है। ऐसे में यूजर को लगता है कि उसका अकाउंट साइन आउट हो गया। यहीं से असली खेल शुरू हो जाता है। इस साइन-इन पेज पर सब कुछ सामान्य लगता है। गूगल का लोगो, यूजरनेम और पासवर्ड की फील्ड्स, टैग लाइन और अन्य इंडिकेशन भी ऐसे नजर आते हैं, मानो यह गूगल का असली लॉगइन पेज है। ब्राउजर की अड्रेस बार पर जो अड्रेस आता है, बस वही संदिग्ध होता है। मगर सभी यूजर्स कुछ भी लॉगइन करने से पहले अड्रेस बार पर यह नहीं देखते कि क्या URL वहां आ रहा है। कोई एक नजर में देखे तो उसे बीच में "https://accounts. google. com," भी लिखा नजर आता है, जो एकदम गूगल का असली यूआरएल नजर आता है। मगर इससे ठीक पहले "data:text/html" लिखा रहता है, जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। दरअसल टेक्स्ट बार पर दिखने वाला यह अड्रेस किसी वेबसाइट का यूआरएल नहीं, बल्कि Data URL है। URL दिखाता है कि वेबपेज इंटरनेट पर किस लोकेशन पर मौजूद है, मगर Data URL में एक फाइल एंबेड की गई होती है। अगर अड्रेस बार को जूमआउट करें तो यहां पर एक स्क्रिप्ट नजर आती है, जो फाइल को जीमेल के लॉगइन पेज की तरह दिखने के लिए तैयार की गई है। जैसे ही यूजर इस पेज पर दिख रही फील्ड्स में अपना यूजरनेम और पासवर्ड डालता है, वह सीधे हैकर्स के पास पहुंच जाता है। इसके बाद हैकर्स तुरंत यूजर के अकाउंट से लॉगइन करते हैं और गूगल अकाउंट से जुड़ी बहुत सी सर्विसेज का भी ऐक्सेस हासिल कर लेते हैं। यही नहीं, अगले चरण में वे उस यूजर की ईमेल आईडी से उसके अन्य कॉन्टैक्ट्स को मेल भेजकर जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। कैसे बचें? अगर आप गूगल क्रोम इस्तेमाल करते हैं तो अड्रेस बार को चेक कर सकते हैं। इसमें ग्रीन कलर का लॉक नजर आता है तो इसका मतलब है कि साइट सिक्यॉर है। इसलिए पर्सनल डीटेल्स एंटर करने से पहले इस ग्रीन लॉक को चेक कर लिया करें। मगर ध्यान रहे कि स्कैमर अब HTTPS-प्रॉटेक्टेड फिशिंग साइट्स बनाने लगे हैं और उनमें भी ऐसा ग्रीन लॉक नजर आता है। इसलिए यूआरएल को चेक करना भी न भूलें। मामला सिक्यॉरिटी का है, इसलिए कुछ सेकंड एक्स्ट्रा टाइम आप लगा सकते हैं। इसके अलावा आपको हमेशा टू-स्टेप वेरिफिकेशन अपनानी चाहिए। इससे आप अपने अकाउंट को और सिक्यॉर बना सकते हैं और कोई हैक नहीं कर सकता। 2-स्टेप वेरिफिकेशन में आप यह सेटिंग कर सकते हैं कि पासवर्ड डालने के साथ-साथ आपके स्मार्टफोन पर एक वन टाइम पासवर्ड (OTP) आए और उसे एंटर करने के बाद ही लॉगइन हो।
शिमला - हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले दिव्यांग छात्रों के लिए तय नियमों को दरकिनार कर दिया है। विश्वविद्यालय के नियमों को पूरा न करने से दिव्यांग छात्रों को उनके लिए निर्धारित आरक्षण का लाभ प्रदेश विश्वविद्यालय में नहीं मिल पा रहा है। विश्वविद्यालय की ओर से नियमों की अनदेखी करने और दिव्यांग छात्रों के तय आरक्षण न देने को लेकर हिमाचल डिसेबल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने राज्यपाल को ज्ञापन दिया है। डिसेबल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन के संयोजक एवं पीएचडी शोधार्थी सतीश ठाकुर ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत को सौंपे गए ज्ञापन में यह बात उठाई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय दिव्यांग छात्रों को पांच फीसदी आरक्षण नियमों के तहत नहीं दे रहा है। उन्होंने मांग उठाई है कि विकलांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों के अंतर्गत विकलांग विद्यार्थियों को एमए, एमफिल व पीचडी समेत सभी कोर्सेज और होस्टलों में पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। डीएसए के संयोजक एवं पीएचडी शोधार्थी सतीश ठाकुर ने राज्यपाल को भेजे पत्र में कहा कि विकलांगजन अधिकार अधिनियम की धारा 32 में स्पष्ट कहा गया है कि सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थानों में विकलांग विद्यार्थियों को पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाना अनिवार्य है, लेकिन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इसे लागू न करके विकलांग विद्यार्थियों के साथ अन्याय कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि चंबा के दूरदराज क्षेत्र की दृष्टिहीन छात्रा इंदु कुमारी को एमए राजनीति विज्ञान में और सिरमौर की शिलाई तहसील के शारीरिक विकलांग छात्र रविंद्र ठाकुर को एमए अर्थशास्त्र में आरक्षण के अंतर्गत प्रवेश देने से विश्वविद्यालय ने इनकार किया है। विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !
4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगणापुर गांव स्थित प्रसिद्ध शनि मंदिर में एक दिया। इसे लेकर मंदिर समिति ने सात सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया है। हालांकि ग्रामीणों ने रविवार को शुद्धिकरण अनुष्ठान किया। महिला कल सुरक्षा बेरिकेड तोड़ कर चौठारा (मंच) पर चढ़ गई जहां मूर्ति स्थापित है। वहां उसने पूजा की और बाद में वह भीड़ में गुम हो गई। महिलाओं को शनि प्रतिमा की पूजा करने से रोकने वाली सदियों पुरानी प्रथा टूटने से मंदिर समिति हैरत में है। समिति आज हरकत में आई और उसने सात सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया। ग्रामीणों ने मूर्ति का दूध से अभिषेक किया और घटना के विरोध में सुबह बंद का आह्वान किया। इस महिला के कदम की कई महिला एवं सामाजिक संगठनों सहित विभिन्न क्षेत्र के लोगों ने प्रशंसा की है। सोलापुर से कांग्रेस विधायक प्रणीति शिंदे ने कहा, 'महिला ने जो यह किया है उसके लिए उसका सम्मान किया जाएगा। ' पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की पुत्री प्रणीति ने कहा, 'मैं इस मुद्दे को विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में उठाऊंगी। ' महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निरमूलन समिति की अहमदनगर जिला इकाई अध्यक्ष रंजनन गवांदे ने कहा, 'हम पूजा करने में महिला की ओर से दिखाए गए साहस का स्वागत करते हैं। यह घटना क्रांतिकारी है। चौठारे को महिलाओं के लिए खोला जाना चाहिए। ' सामाजिक कार्यकर्ता मंगल खिनवासरा ने कहा, 'हाल में संविधान दिवस मनाया गया और पूजा अर्पित करने के लिए सुरक्षा दीवार तोड़ने वाली महिला ने केवल संविधान की भावना पेश की है जो लैंगिक समानता सुनिश्चित करता है। ' है। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगणापुर गांव स्थित प्रसिद्ध शनि मंदिर में एक दिया। इसे लेकर मंदिर समिति ने सात सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया है। हालांकि ग्रामीणों ने रविवार को शुद्धिकरण अनुष्ठान किया। महिला कल सुरक्षा बेरिकेड तोड़ कर चौठारा (मंच) पर चढ़ गई जहां मूर्ति स्थापित है। वहां उसने पूजा की और बाद में वह भीड़ में गुम हो गई।
अल बगदादी की गुलाम बनाने के लिए अगवा की गई यजीदी महिला आईएस के चंगुल से छूटकर शरर्णाथी कैंप में पहुंची युवती ने बताया है कि अमेरिकी महिला केल्या मुलर को गुलाम बनने के लिए राजी करने के लिए उसके सारे नाखून उखाड़ लिए गए थे। वैसे तो केल्या मुलर बगदादी के साथ ही एक हमले में मारी जा चुकी है लेकिन इससे पहले उसे आईएस के मुखिया अल बगदादी का गुलाम बनाने के लिए तो यातनाएं दी गई वह बहुत ही दर्दनांक हैं। आईएस के चंगुल से छुटी 16 वर्षीय मुना ने बताया कि बगदादी मुलर को अपनी बीवी बनाना चाहता था। बगदादी ने एक बार मुलर से कहा था कि वह जबरन उसे अपनी बीवी बनाएगा। लेकिन वह तैयार नहीं तो बगदादी के गुर्गों ने रोज उसके साथ अत्याचार करना शुरू कर दिया था। मुना ने बताया कि बाद में मुलर को बगदादी के सहयोगी अबु सयाफ के घर में उसे कैद कर दिया गया। यहां उससे रोज कई-कई लोग बलात्कार करते थे। डेली मेल के अनुसार, शरणाथियों की सहयता करने सीरिया पहुंची मुलर को बगदादी ने चुपचाप तरीके से अपहरण करा लिया था ताकि वह मुलर को अपनी बीवी बना सके।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि आरोपी शिकायतकर्ता से जिरह करने के अधिकार का दावा कर सकता है, भले ही उसने अंतरिम क्षतिपूर्ति जमा नहीं कर आदेश का उल्लंघन किया हो। उच्च न्यायालय ने कहा, जिरह का अधिकार एक महत्वपूर्ण अधिकार है। Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
मधुरिमा का दिल मानो बल्लियों उछलने लगा। उसने कभी नहीं सोचा था कि ज़िन्दगी में कभी ऐसे दिन भी आयेंगे। रंग भरे उमंग भरे! किसने सोचा था कि जापान के तमाम बड़े शहरों से दूर निहायत ही अलग- थलग पड़ा ये छोटा सा कस्बा, और उसके किनारे पर बिल्कुल ग्रामीण इलाकों की तरह फ़ैला- बिखरा उसका ये फार्महाउस कभी इस तरह गुलज़ार भी होगा। लेकिन तेन की मिलनसारिता और मेहनत के बदौलत ऐसे दिनों ने भी उसकी ज़िन्दगी के द्वार पर दस्तक दी जिनकी संभावित ख़ुशबू से ही उसके आने वाले दिन महक गए। अपनी मां और पापा को ख़ुश देख कर नन्ही परी तनिष्मा भी इतराई सी फिरने लगी। उसे उसकी मम्मी ने बताया कि तेरी नानी, मामा, मामी, चाचा सब यहां आयेंगे। अब वो बेचारी क्या जाने कि नानी किसे कहते हैं? उससे मिलने तो उसकी दादियां ही कभी- कभी आया करती थीं। हां, नानी से वो भारत में मिली ज़रूर थी मगर तब की पुरानी बात उसे भला कब तक याद रहती? बच्चे तो वैसे भी तोता- चश्म होते हैं, जो कुछ सामने रहे बस उसी को अपनी दुनिया समझते हैं। और मामा- मामी - चाचा की परिभाषा तो वो इतनी ही समझी कि बहुत सारे लोग... ऐसे अंकल और आंटी का जमावड़ा जिन्हें मम्मा बहुत लाइक करती हैं और पापा बहुत रिस्पेक्ट करते हैं। साथ ही वो ये भी समझ गई कि ये ग्रुप ऑफ़ पर्सन्स आते समय भी बहुत से गिफ्ट्स लाता है और जाते समय भी जिसके लोग बहुत सारी मनी देकर जाते हैं। मधुरिमा ने दुगने उत्साह से घर को सजाना - संवारना शुरू किया। तरह - तरह के फूल, पौधे नर्सरी की मदद से लाती और उन्हें खुद रोपती, सींचती। अपने बतख़, मुर्गाबियों, बटेरों के झुंड को ध्यान से देखती और सोचती कि इन उम्दा नस्ल के बेहतरीन पंछियों को देख कर उसके मेहमान कितने हर्षाएंगे! उसने समय निकाल कर बाज़ार से शॉपिंग भी कर छोड़ी थी कि किसे क्या तोहफ़ा देना है, ताकि सबके आने से पहले ही वो सब तैयारी कर के रख सके। ये मौक़ा बार - बार थोड़े ही आता है। जापान के सुदूर दक्षिण के इस इलाक़े में तो भारत के इन सैलानियों का आना "वन्स इन अ लाइफ टाइम" जैसा ही था। ये संयोग ही तो था कि मनन और मान्या की शादी अभी- अभी हुई थी और हनीमून ट्रिप के नाम पर वे लोग भी यहां आ रहे थे। वैसे उनके आने की असली वजह तो आगोश की मम्मी को कंपनी देने की ही रही। और आगोश की मम्मी भी वैसे कहां आ पातीं। ये तो तेन ने ही ज़ोर देकर उन्हें बताया कि आगोश की जिस तरह की मूर्ति वो बनवाना चाहती हैं वो चाइना में ही नहीं, बल्कि जापान और कोरिया में भी ख़ूब बनने लगी है। बस, चटपट उन लोगों का कार्यक्रम बन गया। एक बात सोच- सोच कर मधुरिमा बहुत शर्माती थी। उसका यह प्यारा सा घर उसके दोस्तों का हनीमून डेस्टिनेशन बनता जा रहा था किंतु वो ख़ुद? वो तो हनीमून के लिए यहां अब तक तरसती ही रही थी। नहीं - नहीं, उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए। तेन उसके साथ है और उसे भरपूर प्यार करता है। उसकी हर इच्छा पूरी करता है, उसके आगे- पीछे फिरता है। दौलत का अंबार लगा है यहां। उसके पति तेन ने उसे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी। अब अपने शरीर का कोई क्या करे? इस तकनीक संपन्न देश को वैसे भी वर्कॉलिक युवाओं का देश कहा जाता है। अपने काम के तनाव में डूबे यहां के लोग शरीर सुख के लिए तरह- तरह की दवाओं, तेलों और एक्सरसाइज पर ही निर्भर रहते हैं। ये लोग स्लिमफिट रहने और परिवार की जनसंख्या को लेकर भी बेहद सख़्त अनुशासन में रहना पसंद करते हैं। तेन ही उसका सब कुछ है। अब और कुछ उसे सोचना भी नहीं चाहिए। मधुरिमा के भीतर कोई लहर सी उठती और उसे सराबोर कर के निकल जाती। मधुरिमा के तन- मन का जैसे स्नान हो जाता। हां! इस बार एक बात और थी। वह बिना कहे नहीं रहेगी मधुरिमा! आर्यन ने उसे बताया था कि इस बार वह लंबे समय तक यहां रहने वाला है। उसकी एक फ़िल्म का क्लाइमैक्स शूट यहां जापान में ही होना था जिसके लिए ख़ुद तेन ने ही आगे बढ़ कर सारी व्यवस्था करवाई थी। इतना ही नहीं, बल्कि तेन ने शूटिंग के लिए नज़दीक के उस टापू पर अपनी खरीदी हुई जगह भी उपलब्ध कराई थी। तेन ने दौड़ - भाग करके सब ज़रूरी परमीशन लेने का कष्ट भी उठाया था और आर्यन के प्रोड्यूसर को हर तरह का सहयोग देने का वादा भी किया था। इसी भरोसे पर आर्यन यहां आ रहा था। शुरू के कुछ दिन आर्यन जयपुर से आने वाले दल, अर्थात आंटी, मान्या और मनन के साथ भी वहां रहने वाला था। मधुरिमा ने बेटी को उसका परिचय चाचा कह कर ही करवाया था। मधुरिमा ये तय नहीं कर पा रही थी कि आर्यन के इतने लंबे स्टे से वो वास्तव में खुश थी या नहीं। आर्यन इस फ़िल्म को अपने दिवंगत दोस्त आगोश को समर्पित करने की तैयारी कर चुका था। आगोश की मम्मी का यहां शूटिंग देखने और आर्यन के साथ कुछ समय बिताने का कार्यक्रम इसी आधार पर बना था। काश, मधुरिमा अपनी मम्मी से भी कह पाती कि इस समय आंटी के साथ कुछ समय के लिए यहां आने का कार्यक्रम वो भी बना लें। लेकिन वो जानती थी कि मम्मी वहां घर अकेला छोड़ कर नहीं आएंगी। कितना अंतर था भारत में और दूसरे उन्नत देशों में। भारत में लोग अपने घरों को सुख- सुविधा का गोदाम बना लेते हैं, फ़िर उसे अकेले छोड़ कर बाहर निकलने में डरते हैं। जबकि दूसरे देशों में लोग घर में केवल ज़रूरत का न्यूनतम सामान रखते हैं। कीमती चीज़ें बैंक आदि में रखते हैं। मधुरिमा को शुरू- शुरू में यहां ये देख कर बड़ा अजीब सा लगता था कि लोग कुछ भी नया लाते ही पुराने को तुरंत दूसरे ज़रूरतमंद आदमी को दे देते हैं। वहां संग्रह वृत्ति नहीं होती। भारत में यदि किसी घर में आठ- दस पैन रखे हों तो हो सकता है कि उनमें से दो- तीन ही चलते हों। लोग बल्ब या बैटरी बदलते हैं तो पुरानी बैटरी या फ्यूज्ड बल्ब को भी घर में ही रख लेते हैं। प्रायः घरों में ऐसा सामान पाया जाता है जो दो- दो साल तक कोई काम नहीं आता, पर फेंका नहीं जाता। ढीली ढेबरियां या बचा हुआ पेंट तक घर में सालों- साल रखा हुआ देखा जा सकता है। घरों की गहरी सफ़ाई साल में एक बार उन भगवान के नाम पर होती है जो चौदह साल के लिए जंगल में जाते समय भी अपनी खड़ाऊं तक घर में ही छोड़ गए थे। घर की साज- सज्जा ने मधुरिमा के दिन किसी उड़ते पंछी की भांति तेज़ी से निकाल दिए। वह एक - एक दिन गिन रही थी। उस दिन मधुरिमा हैरान रह गई जब उसने देखा कि तेन फ़ोन पर किसी से एक घंटे से भी ज्यादा समय से बातों में उलझा हुआ है। नपा तुला बोलने वाला तेन किससे बात कर रहा था? ओह! मुंबई से आर्यन का फ़ोन आया हुआ था। आर्यन ने उसे बताया कि मुंबई पुलिस ने आगोश की मूर्ति चोरी का प्रकरण सुलझा लिया है। मूर्ति बनाने वाले वहीद मियां का ही बड़ा बेटा ख़ुद चोर निकला जिसने तैयार मूर्ति कुछ तस्करों के हाथ बेच डाली और बाद में मूर्ति चोरी जाने का नाटक रच कर अपने बाप तक को मूर्ख बना दिया। सारी बात सुन कर तेन ने भी दांतों तले अंगुली दबा ली। संगमरमर के पत्थर से बनी इस मूर्ति का सौदा तस्करों ने पहले से ही कर लिया था। विचित्र बात ये थी कि इस मूर्ति में कुछ ख़ुफ़िया परिवर्तन इसे बनाने वाले कारीगर ने ख़ुद ही कर लिए। मूर्ति के मुंह से लेकर पेट के दूसरे छोर तक आर- पार एक बेहद पतली खोखली नली बनाई गई थी। होठों और कमर के पिछले नीचे के भाग के बीच में खोखले भाग की बनावट ऐसी बनाई गई थी जिसमें भीतर अवैध सामान आसानी से छिपाया जा सके। ये कीमती ड्रग्स अथवा हीरों आदि के लिए निरापद कैरियर बन गई थी। इस मूर्ति के मिलते ही तस्करों के खुफिया इरादे जाहिर हो गए थे। वो इसका इस्तेमाल स्मगलिंग में करने की तैयारी में थे। वहीद मियां का बेटा सलाखों के पीछे था। किंतु इसे खरीदने की कोशिश करने वाले तस्कर अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए थे।
भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत और बॉलीवुड अभिनेत्री उर्वशी रौतेला के बीच विवाद सामने आया है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें उर्वशी एक इंटरव्यू में दिख रही हैं। इतना ही नहीं इंटरव्यू में उर्वशी ने किसी 'मिस्टर RP (आरपी)' के नाम का जिक्र किया है और रिश्ते टूटने को लेकर पूरी कहानी बताई है। इसके बाद सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि पंत ने सोशल मीडिया पर स्टोरी लगाकर रौतेला को जवाब भी दिया है। दरअसल, साल 2018 में ऐसे कयास लगाए गए थे कि पंत और उर्वशी रौतेला रिलेशनशिप में हैं। दोनों कई बार लंच-डेट पर दिख जाते थे। इनकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं। हालांकि, कुछ समय बाद सोशल मीडिया पर यह खबर उड़ी कि पंत ने उर्वशी को व्हाट्सएप पर ब्लॉक कर दिया है। हालांकि, बाद में यह बताया गया कि दोनों ने आपसी सहमति से एक-दूसरे को ब्लॉक किया है। अब एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में उर्वशी ने कुछ ऐसा कहा है, जिसे लोग पंत से जोड़कर देख रहे हैं। इसके बाद पंत ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर किए गए पोस्ट ने फैन्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या जिस 'मिस्टर आरपी' का जिक्र कर रही हैं, वह उर्वशी ही हैं। उर्वशी ने इंटरव्यू में एक कहानी बताई। उन्होंने कहा- मैं एक बार वाराणसी से दिल्ली शूटिंग के लिए आई थी, तब 'मिस्टर RP' मिलने के लिए आए थे। वह लॉबी में इंतजार कर रहे थे, लेकिन मैं सो गई थी। वाराणसी में दिन भर शूट करने के बाद दिल्ली में रात में मुझे शूट करना था। मैं मेकअप वगैरह में लगी हुई थी। इसके बाद शूट के बाद मैं सो गई। इसमें 10 घंटे बीत गए। मिस्टर RP मुझे कॉल करते रहे। इसका पता मुझे बाद में चला। मेरे फोन में 17 मिस्ड कॉल थीं। मैंने उनसे कहा भी कि जब आप मुंबई आओगे, तो मिल लेंगे। फिर हम मुंबई में मिले भी, लेकिन तब तक मीडिया में चीजें आ चुकी थीं। हालांकि, इसके बाद सबकुछ बिगड़ चुका था। इस दौरान एंकर उर्वशी से यह भी पूछता है कि मिस्टर RP कौन हैं? इस पर उर्वशी ने नाम बताने से इंकार कर दिया। इंटरव्यू के वायरल होने के बाद पंत और उर्वशी को लेकर विवाद एकबार फिर बढ़ गया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया गया है। इसमें पंत की इंस्टाग्राम स्टोरी दिखाई गई है। सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि पंत ने इस स्टोरी के जरिये उर्वशी को जवाब दिया है। इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा है- कैसे कुछ लोग इंटरव्यू में सिर्फ नाम, फेम, पॉपुलैरिटी और हेडलाइन में आने के लिए झूठ बोल देते हैं। यह देखकर दुख होता है कि लोग कैसे नाम और फेम के इतने भूखे हैं। भगवान उनका भला करे। पंत ने साथ ही में स्टोरी में यह भी लिखा है कि मेरा पीछा छोड़ो बहन, झूठ की भी कोई सीमा होती है। हालांकि, सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि पंत ने कुछ देर बाद यह स्टोरी डिलीट कर ली। अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज फिर मन की बात में मधुमक्खी पालन करके शहद का उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती के साथ ही नये विकल्पों को अपनाना जरूरी है। मधुमक्खी पालन भी ऐसा ही एक विकल्प बन कर उभर रहा है। बहुत संख्या में किसान इससे जुड़ रहे हैं। ऐसे ही हरियाणा के यमुनानगर में एक किसान सुभाष कंबोज शहद से हर साल अच्छी कमाई कर रहा है। देश में ऐसे कई किसान मधुमक्खी पालन कर रहे हैं, जिससे देश में हर साल सवा लाख टन से अधिsक शहद का उत्पादन हो रहा है। प्रधानमंत्री ने पिछले साल 28 मार्च को भी मन की बात कार्यक्रम में यमुनानगर के सुभाष कंबोज का मधु पालन के लिए जिक्र किया था। जिला के गांव हाफिजपुर में पेशे से किसान और लम्बे समय से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय कर रहे सुभाष कंबोज अन्य युवाओं को मधुमक्खी पालन की जानकारी व प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलम्बी बना रहे हैं। सुभाष कंबोज ने बताया कि उन्होंने 6 बॉक्स से मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया था और आज उनके पास हजार से अधिक बॉक्स हैं। उन्होंने बताया कि वे युवाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देकर स्वावलम्बी बनाने का काम कर रहे हैं। हरियाणा सरकार मधुमक्खी पालन पर 40+45 प्रतिशत उद्यान विभाग के माध्यम से सब्सिडी उपलब्ध करवाती है। सुभाष काम्बोज ने बताया कि वैसे तो मधुमक्खी पालन के लिए कई प्रजातियों की मक्खी होती है, लेकिन बॉक्स में एपिसमिलाफैरा मधुमक्खी पाली जाती है, जो कि ज्यादा मात्रा में शहद का उत्पादन करती है। जबकि पेड़ पर लगने वाला मधुमक्खी का छत्ता एपिस डोरसेट लगाती है। इस के अतिरिक्त एपिस सैरेना इण्डिका, एपिस फलोरिया इण्डिका तथा डंक न मारने वाली डम्भर (एपिस मेलिपोना) मधुमक्खी शहद एकत्रित करने का काम करती है। पीएस ने बताया पहले तो एक ही प्रकार का शहद एकत्रित होता था लेकिन अब हम लोग मक्खियों के बॉक्सों को हरियाणा से राजस्थान, जम्मू कश्मीर, हरियाणा से लेह लद्दाख तक लेकर जाते है, जिस कारण सरसों के खेत में मधुमक्खी का बॉक्स रखने से सरसों का शहद, जामुन का शहद, तुलसी का शहद, नीम का शहद, सफेदा शहद, सौंफ का शहद, अजवाइन का शहद, लीची का शहद, कीकर का शहद जैसे अन्य कई प्रकार के शहद बॉक्स में पनप रही मधुमक्खी के माध्यम से मिलता है। प्रधानमंत्री द्वारा सुभाष कंबोज के जिक्र किए जाने के बाद गांव हाफिजपुर ही नहीं आसपास के गांव के इलाके के लोग भी आकर सुभाष कंबोज को बधाइयां दे रहे हैं।
बहेड़ी में चल रहे 164 साल पुराने मेला श्री रामलीला में बुधवार को दशहरा मनाने की तैयारियां चल रही थी। इसी बीच उस वक्त दहशत फैल गई, जब लोगों की नजर मेले में बुर्का पहनकर घूम रहे एक संदिग्ध पर पड़ी। लोगों का आरोप है कि संदिग्ध मेले में रेकी करने के अंदाज में घूम रहा था, इसके अलावा मेले में चल रही गतिविधियों पर पैनी नजर भी बनाये हुए था। शक होने पर कुछ युवाओं ने उससे पूछने की कोशिश की तो वह भागने लगी। जिस पर लोगों ने दौड़ाकर उसे पकड़ लिया। उसका बुर्का उतारा तो वह महिला ना होकर एक डाड़ी वाला मुस्लिम युवक निकला। गुस्साए लोगो ने उसकी पिटाई शुरू कर दी पर इससे पहले ही मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे भीड़ से बचाकर रामलीला मेले की धर्मशाला में बंद कर लिया। पुलिस द्वारा काफी पूछने के बाद भी उसने अपना नाम-पता नही बताया। बार-बार कहता रहा कि अल्लाह की मर्जी से वह यहां आया है और अल्लाह अगर चाहेंगे तो उसे सजा मिलेगी और मेरे रब की मर्जी नही होगी तो दुनिया में किसी की हिम्मत नही कि मुझे सजा दे सके। बुर्का पहनकर पूरे मेले में रेकी कर रहे संदिग्ध युवक पर पुलिस के पकड़े जाने पर तनिक भी खौफ नही दिखा। जब थाने के लिए उसे ई-रिक्शा पर बैठने को कहा गया तो बोला कि मै पैदल ही जाऊंगा।और तो और, चीता सिपाही की बाइक को चलाने के लिए सिपाही से ऐंठ दिखाने लगा। संदिग्ध के पकड़े जाने पर मेला देखने आए दूर-दराज के लोगो में दहशत व्याप्त हो गई। लोगों का कहना था कि इतनी पुलिस व्यवस्था के बाद भी अगर इस तरह की घटनाएं हो रही हैं तो मेले में श्रद्वालुओं की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। उन्होने युवक से कड़ी पूछताछ कर उसके इरादे जानने की मांग की।
यहाँ तक कि असतकी दुर्गम उत्तुंगता तक भी चले जांय, किन्तु तो भी यह अभियान व्यर्थ हो जायगा यदि हम अपने आधारको भूल जांब । निम्नतरको अपने आपके भरोसे छोड देना नहीं, परन् हम जिस उच्चतर लोक तक पहुंच गये हैं, उसकी ज्योति के द्वारा उसे रूपान्तरित करना, यही है दिव्य प्रकृतिका स्वधर्म । ब्रह्म है अखंड समग्रता से पूर्णस्वरूप उनमें है बहु विचित्र चेतनाका युगपत् समन्वय, अतएव ब्राह्मी प्रकृतिको अभिव्यक्त करने में हमें भी अखड सम्यक, सर्वाधार एवं सर्वावगाही होना होगा । " वैदिक धर्मः अप्रैल १९५२ इन प्रेरणा देनेवाले शब्दों में श्री भरविन्द अपना संदेश देते हैं, जीवनमें पूर्ण ब्रह्मकी पूर्ण सिद्धिका और रूपान्तरित मानव प्रकृति में उनकी विशुद्ध अभिव्यक्तिका । यह संदेश हमें तुरन्त ही वेदों तथा उपनिषदोंको गौरवमयी संस्कृति की व्यापक दृष्टि तथा शक्तिशालिनी प्राणशक्तिकी ओर के जाता है और भारतके ही नहीं वरन् सारे संसारके भविष्य के किये असीम आशा से प्रज्वलित कर देता है, क्योंकि भारतका अतीत मिश्र, यूनान या रोमके अतीतकी भांति मृत नहीं हुआ है। धडकते हुए वर्त्तमान में वह अत्यन्त सजीवन तथा क्रियाशील है और महत्तर भविष्य के निर्माण के लिये अपना योगदान दे रहा । इस पाश्चात्य विचारका खंडन करते हुए कि भारतको आध्यात्मिकता दुर्बल, रक्तद्दीन, अव्यावहारिक और पारलौ किक रही है, और विचार तथा जीवनके क्षेत्र में भारतकी संस्कृति कोई बडा कार्य नहीं कर सकी है, श्री अरविन्द लिखते हैं; " जब हम भारतके अतीतकी मोर दृष्टि देते हैं तब जो चीज हमारा ध्यान आकर्षित करती है... वह है उसकी विपुल प्राणशक्ति, जीवनकी और जीवन के आनन्दकी उसकी अशेष शक्ति, उसकी प्रायः अकल्पनीय जैसी बहुप्रसूत्रती सृजनकारिता । तीन हजार वर्षों से - वास्तव में इससे बहुत अधिक समय से भारत प्रचुर और अनवरत रूपसे, बहुलतासे एक अशेष बहुमुखीनता के साथ रचना करता रहा है प्रजातंत्रों, राज्यों और साम्राज्योंकी, दर्शन शाख, जगतकी उत्पत्ति के सिद्धांत, विज्ञानों, मत कलाओं और काव्योंकी, सब प्रकारके स्मृतियों, महलों, मंदिरों और सार्वजनीन उपयोगी इमारतोंकी, सम्प्रदाय, समाजों और धार्मिक आश्रमकी, नियमों, विधानों और अनुष्ठानों की भौतिक विज्ञान और आध्यात्मिक विज्ञानकी, योगकी और राजनीति और शासनकी प्रणालियोंकी बाध्यात्मिक फलामांकी और सांसारिक कलाओंकी, व्यापारों व्यवसायें और सूक्ष्म कारीगिरीकी, सूचीका अन्त नहीं, और प्रत्येक क्षेत्र में क्रियाशीलता की अतिरिक्तता जैसी चीज है। भारत रचना करता है और करता जाता है और थकता नहीं, उसके लिये इसका अन्त नहीं माता... वह अपनी भौगोलिक सीमाओं को पार करता हुआ अपना विस्तार करता है, उसके जद्दाज सागरको पार करते हैं और उसके वैभवकीधारा जूडिया मिश्र और शेमतक फैल जाती है। उसके उप निवेश उसकी कलाओंका, उसके काव्यों सिद्धांतों का प्रसार आर्चिपेलागो ( यूनान और एशिया माइनरके बीचका प्रदेश ) में करते हैं, उसके चिन्ह मेसोपोटामियाको बालुओं में पाये जाते हैं, उसके धर्म चीन और जापानको जीतते हैं और पश्चिममें फिलिस्तीन और अलेक्जेंड्रियाकी जितनी दूरी तक प्रसारित होते हैं, और उपनिषदोंके शब्द और बौद्धों वाक्य ईसामसीह की जिह्वा पर प्रतिध्वनित हो उठते हैं। हर जगह, जैसे उसकी भूमिमें, वैसे ही उसके कार्यों में, जीवनकी असिबहुल शक्तिकी अतिप्रचुरता है।" (भारतका नवजन्म) तो, ऐसा था अतीतका भारत, आत्माके वैभवमें महान् और विचार तथा कर्मके क्षेत्रों में भी उतना ही महान्, समृद्ध तथा शक्तिमान् तथा सृजनकारी। फिर जिस अव नतिका आरंभ हुआ, उसका कारण यदि एकमात्र नहीं, क्योंकि अन्य कारण भी थे, तो भी प्रधानत बौद्ध शून्यवाद और शकरके मायावादका विनाशकारी प्रभाव था । मायाने राष्ट्रको जीवन के उत्साह से विहीन कर दिया, रचनाका सत्साह और मानन्द बुझा दिया, और स्वयं उस प्राणशक्तिको सुखा डाला जिसने कि अतीत में उसे इतना महान् बनाया था। इसके अंतिम पतनका मार्ग इसने प्रशस्त कर दिया । भारतकी फिरसे उठती हुई श्राध्यात्मिकता समस्त सप्ताकी एकता और सृष्टिके अन्दर भगवानकी इच्छा देखनेवाली पुरातन दृष्टिको फिरसे पानेकी राहपुर अच्छी प्रगति कर चुकी है। मनुष्यको दिव्य बनाने और भौतिक जगत के अन्दर भगवानकी अभिव्यक्ति होनेके श्रीबरविन्दके संदेशने सदाके लिये माया के कुइरेको छितरा दिया है । जीवनको उसके सारे मूल्यों और क्रियाओं के साथ फिरसे अपनाया जा रहा है और सर्वागीण रूपसे अववरित होती हुई ज्योतिकी और उसका मोढा जा रहा है। आज जातिकी सुप्त, विधीत प्राणशक्तिको जगानेके लिये और पृथ्वी पर " देव जाति " के पुरातन वैदिक द्रष्टाओंका स्वप्न पूरा करने के लिये एक तेजस्विनी सर्व आलिंगनकारिणी, सर्व-रूपान्तरकारिणी आध्यात्मिकता उठ रही है।
' इसीलिए समझता हूँ कि तुम्हारा इतना आकर्षण है ! सब धर्मावलम्बियों को तुम परम आत्मीय समझकर आलिंगन करते हो ! तुम्हारी भक्ति है । तुम सिर्फ देखते हो - अन्दर ईश्वर की भक्ति और प्रेम है या नहीं ? यदि ऐसा हो तो वह व्यक्ति तुम्हारा परम आत्मीय है - भक्तिमान यदि दिखाई पड़े तो वह जैसे तुम्हारा आत्मीय है । मुसलमान को भी यदि अल्लाह के ऊपर प्रेम हो, तो वह भी तुम्हारा अपना आदमी होगा; ईसाई को यदि ईसू के ऊपर भक्ति हो, तो वह तुम्हारा परम आत्मीय होगा । तुम कहते हो कि सब नदियाँ भिन्न-भिन्न दिशाओं से बहकर समुद्र में गिरती हैं। सब का गन्तव्य स्थान एक समुद्र ही है । सुना है, यह जगत् ब्रह्माण्ड महा चिदाकाश में आविर्भूत होता है, फिर कुछ समय के बाद उसी में लय हो जाता है - महा समुद्र में लहर उठती है फिर समय पाकर लय हो जाती है। आनन्द सिन्धु के जल में अनन्त-लीला तरंगें हैं। इन लीलाओं का आरम्भ कहाँ है ? अन्त कहाँ है ? उसे मुँह से कहने का अवसर नहीं है -- मन में सोचने का अवसर नहीं है। मनुष्य की क्या हकीकत - उसकी बुद्धि की ही क्या हकीकत ? सुनते हैं, महापुरुष समाधिस्थ होकर उसी नित्य परम पुरुष का दर्शन करते हैं - नित्य लीलामय हरि का साक्षात्कार करते हैं। अवश्य ही करते हैं, कारण, श्रीरामकृष्ण देव ऐसा कहते हैं । किन्तु चर्मचक्षुओं से नहीं - मालूम पड़ता है, दिव्य चक्षु जिसे कहते हैं उसके द्वारा, जिन नेत्रों को पाकर अर्जुन ने विश्व रूप का दर्शन किया था, जिन नेत्रों से ऋषियों ने आत्मा का साक्षात्कार किया था, जिस दिव्य चक्षु से ईस् अपने स्वर्गीय पिता का बराबर दर्शन करते थे ! वे नेत्र किसे होते हैं? श्रीरामकृष्ण देव के मुँह से सुना था, वह व्याकुलता के द्वारा होता है ! इस समय वह व्याकुलता किस प्रकार हो सकती है ? क्या संसार का त्याग करना होगा ? ऐसा भी तो उन्होंने आज नहीं कहा ! " परिच्छेद ३० श्रीरामकृष्ण तथा ज्ञानयोग (१) सन्यासी तथा संचय । पूर्ण ज्ञान तथा प्रेम के लक्षण । श्रीरामकृष्ण दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में विराजमान हैं। अपने कमरे में छोटी खाट पर पूर्व की ओर मुँह किए हुए बैठे हैं। भक्तगण फरी पर बैठे हैं। आज कार्तिक की कृष्णा सप्तमी है, ९ नवम्बर, १८८४ । दोपहर का समय है। श्रीयुत मास्टर आए, दूसरे भक्त भी धीरेधीरे आ रहे हैं। श्रीयुत विजयकृष्ण गोस्वामी के साथ कई ब्रह्म भक्त आए हुए हैं। पुजारी रामचक्रवर्ती भी आए हैं । क्रमशः महिमाचरण, नारायण और किशोरी भी आये । कुछ देर बाद और भी कई भक्त आए । जाड़ा पड़ने लगा है। श्रीरामकृष्ण को कुर्ते की ज़रूरत है । मास्टर से ले आने के लिए कहा था । वे नैनगिलाट के कुर्तों के सिवा एक और जीन का कुर्ता भी ले आए हैं; परन्तु इसके लिए श्रीरामकृष्ण ने नहीं कहा था । श्रीरामकृष्ण ( मास्टर से ) - तुम बल्कि इसे लेते जाओ । तुम्हीं पहनना । इसमें दोष नहीं है। अच्छा, तुमसे मैंने किस तरह के कुर्ती के लिए कहा था ? भा. २ श्री. व. ३७ मास्टर - जी, आपने सादे सधे कुर्ती की बात कही थी । ज़ीन का कुर्ता ले आने के लिए नहीं कहा था । श्रीरामकृष्ण - तो जीन वाले को ही लौटा ले जाओ। ( विजय आदि से ) " देखो, द्वारका बाबू ने बनात दी थी, और पश्चिमी ढंङ्ग का कपड़ा भी ले आए थे। मैंने नहीं लिया । ( श्रीरामकृष्ण और भी कड़ना चाहते थे, उसी समय विजय बोल उठे । ) विजय - जी हाँ, ठीक तो है । जो कुछ चाहिए और जितना चाहिए, उतना ही ले लिया जाता है। किसी एक को तो देना ही होगा। आदमी को छोड़ और देगा भी कौन ? श्रीरामकृष्ण - देने वाले वही ईश्वर हैं । सास ने कहा, बहू, सब की सेवा करने के लिए आदमी हैं, परन्तु तुम्हारे पैर दबाने वाला कोई नहीं है। कोई होता तो अच्छा होता । बहू ने कहा, अम्मा, मेरे पैर भगवान दबाएँगे, मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है। उसने भक्तिपूर्वक यह बात कही थी । एक फकीर अकबरशाह के पास कुछ भेंट लेने गया था । बादशाह उस समय नमाज पढ़ रहा था और कह रहा था, ऐ खुदा, मुझे दौलतमन्द कर दे। फकीर ने जब बादशाह की याचनाएँ सुनीं तो उठकर वापस जाना चाहा। परन्तु अकबर शाह ने उससे बैठने के लिए इशारा किया । नमाज खतम होने पर उन्होंने पूछा, तुम क्यों वापस जा रहे थे ? उसने कहा, आप खुद ही याचना कर रहे हैं, ऐ खुदा, मुझे दौलतमन्द कर दे । इसीलिए मैंने सोचा, अगर माँगना ही है तो भिक्षुक से क्यों माँगू, खुदा से ही क्यों न माँगू ? " विजय - गया में मैंने एक साधु देखा था। वह स्वयं कुछ प्रयत्न नहीं करते थे । एक दिन इच्छा हुई, भक्तों को खिलाऊँ । देखा न जान कहाँ से मैदा और घी आ गया । फलं भी आए । श्रीरामकृष्ण ( विजय आदि से ) - - - साधुओं के तीन दर्जे हैं, उत्तम, मध्यम और अधम । जो उत्तम हैं, वे भोजन की खोज में नहीं फिरते । मध्यम और अधम इण्डियों की तरह के होते हैं । मध्यम जो हैं, वे नमोनारायण करके खड़े हो जाते हैं । जो अधम हैं वे न देने पर तकरार करते हैं । ( सच हँसे । ) उत्तम श्रेणी के साधु अजगर वृत्ति के होते हैं। उन्हें बैठे हुए ही आहार मिलता है । अजगर हिलता डुलता नहीं । एक छोकरा साधु था - बाल ब्रह्मचारी । वह कहीं भिक्षा लेने के लिए गया । एक लड़की ने आकर भिक्षा दी । उसके स्तन देखकर उसने सोचा, इसकी छाती पर फोड़ा हुआ है । जब उसने पूछा तो घर की पुरखिन ने आकर उसे समझाया । इसके पेट में बच्चा होगा, उसके पीने के लिए ईश्वर इनमें दूध भर दिया करेंगे, इसीलिए पहले से इसका बन्दोबस्त कर रखा से है । यह बात सुनकर उस साधु को बड़ा आश्चर्य हुआ । तब उसने. कहा, तो अब मुझे भिक्षा माँगने की क्या ज़रूरत है ? ईश्वर मेरे लिए भी भोजन तैयार कर दिया करेंगे । कुछ भक्त मन में सोचते हैं कि तब तो हम लोग भी यदि चेष्टा न करें, तो चल सकता है । " जिसके मन में यह है कि चेष्टा करनी चाहिए, उसे चेष्टाः करनी होगी ।" विजय - भक्तमाल में एक बड़ी अच्छी कहानी है । श्रीरामकृष्ण - कहो, ज़रा सुनें तो । विजय -- आप कहिए । श्रीरामकृष्ण - नहीं, तुम्हीं कहो, मुझे पूरी याद नहीं है। पहले पहल सुनना चाहिए, इसीलिए मैं सुना करता था । "मेरी अब वह अवस्था नहीं है। हनुमान ने कहा था, बार, तिथि, नक्षत्र, इतना सब मैं नहीं जानता, मैं तो बस श्रीरामचन्द्र जी की चिन्ता किया करता हूँ । चातक को बस स्वाति के जल की चाह रहती है। मारे प्यास के जी निकल रहा है, परन्तु गला उठाए वह आकाश की बूँदों की ही प्रतीक्षा करता है । गङ्गा यमुना और सातों समुद्र इधर भरे हुए हैं, परन्तु वह पृथ्वी का पानी नहीं पीत। । राम और लक्ष्मण जब पंपा सरोवर पर गए तत्र लक्ष्मण ने देखा, एक कौआ व्याकुल होकर बार बार पानी पीने के लिए जा रहा था, परन्तु पीता न था । राम से पूछने पर उन्होंने कहा, भाई, यह कौआ, परम भक्त है। दिन रात यह रामनाम जब रहा है। इधर मारेः स के छाती फटी जा रही है, परन्तु पानी पी नहीं सकता । सोचता है, पानी पीने लगूंगा तो जप छुट जायगा । मैंने पूर्णिमा के दिन हलधर से पूछा, दादा, आज क्या अमावस है ? ( सहास्य ) " हाँ यह सत्य है । ज्ञानी पुरुष की पहचान यह है कि पूर्णिमा और अमावस में भेद नहीं पाता । परन्तु हलधारी को इस विषय में कौन विश्वास दिला सकता है। उसने कहा, यह निश्चय ही कलिकाल है । वे ( श्री रामकृष्ण ) पूर्णिमा और अमावस में भेद नहीं जानते और फिर भी लोग उनका आइर करते हैं ! " ( इसी समय -महिमाचरण आगए । ) श्रीरामकृष्ण ( संभ्रम पूर्वक ) - आइए, आइए, बैठिए । (विजय आदि से ) इस अवस्था में दिन और तिथि का ख्याल नहीं रहता । उस दिन वेणीपाल के बगीचे में उत्सव था, - मुझे दिन भूल गया । ' अमुक दिन संक्रान्ति है, अच्छी तरह ईश्वर का नाम लूँगा,' यह अब याद नहीं रहता । ( कुछ देर विचार करने के बाद ) परन्तु अगर कोई आने को होता है तो उसकी याद रहती है । ईश्वर पर सोलहों आने मन जाने पर यह अवस्था होती है । राम ने पूछा, हनुमान, तुम सीता की खबर तो ले आए, अच्छा, तो उन्हें कैसा देखा; कहो, मेरी सुनने की इच्छा है। हनुमान ने कहा, राम, मैंने देखा, सीता का शरीर मात्र पड़ा हुआ है। उसमें मन, प्राण नहीं हैं । आपके ही पादपद्मों में उन्होंने वे समर्पण कर दिए हैं। इसलिए केवल शरीर ही पड़ा हुआ है । और काल ( यमराज ) आ. रहा है; परन्तु वह करे क्या ? वहाँ तो शरीर ही है, मन और प्राण तो हैं ही नहीं । 'जिसकी चिन्ता की जाती है, उसकी सत्ता आ जाती है। दिन रात ईश्वर की चिन्ता करते रहने पर ईश्वर की सत्ता आ जाती है क नमक का पुतला समुद्र की थाह लेने गया तो गलकर खुद वही हो गया । पुस्तकों या शास्त्रों का उद्देश क्या है ? ईश्वर लाभ । साधु की पोथी को एक को एक ने खोलकर देखा, उसमें सिर्फ राम नाम लिखा हुआ था, और कुछ भी नहीं । "ईश्वर पर प्रीति होने पर थोड़े ही में उद्दीपन हुआ करता है । तब एक बार रामनाम करने पर कोटि सन्ध्योपासन का फल होता है। " मेघ देखकर मयूर को उद्दपिन होता है । आनन्द से पंख फैला - कर नृत्य करता है । श्रीमती राधा को भी ऐसा ही हुआ करता था । मेघ देखकर उन्हें कृष्ण की याद आती थी । " चैतन्यदेव मेड़गांव के पास ही से जा रहे थे। उन्होंने सुन इस गांव की मिट्टी से ढोल बनती है । बस भावावेश में विह्वल हो गए, - क्योंकि संकीर्तन के समय ढोल का ही वाय होता है। उद्दपिन किसे होता है ? जिसकी विषय बुद्धि दूर हो गई हैं, जिसका विषयरस सूख जाता है, उसे ही थोड़े में उद्दीपन होता है । • दियासलाई भीगी हुई हो तो चाहे कितना ही क्यों न घिसो, वह जल
भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। भारतीय संगीत का जादू दुनियाभर में फैला हुआ है। बॉलीवुड ने इसे और विस्तार दिया है। लोग देश और भाषा की सीमा भूलकर इस संगीत की मधुरता में खो जाते हैं। फिर भला पाकिस्तानी कलाकार कैसे इसके तिलिस्म से बचे रह सकते हैं। मखमली आवाज वाली पाकिस्तानी सिंगर शाए गिल (Shae gill) की गायकी इन दिनों जलवा अफरोज़ है। कोक स्टूडियो सीजन 14 (Coke Studio season 14) में अली सेठी (Ali Sethi) और शाए गिल के गीत पसूरी (pasoori) की धूम अब तक बरकरार है। इस बीच शाए गिल अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर गीत ग़ज़ल नज़्म शेयर करती रहती हैं। इनमें बॉलीवुड के भी कई सॉन्ग होते हैं। आज हम आपको उनकी आवाज में सुनाने जा रहे हैं 'ये वादा रहा' फिल्म का मशहूर गीत 'तू तू है वही दिल ने जिसे अपना कहा। ' शाए गिल ने इस गीत को अपनी मस्तीभरे अंदाज में गाया है और हमें यकीन है ये आपको भी झूमने पर मजबूर कर देगा।