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निजी संवाददाता-नारकंडा-जिला शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में सोमवार को सीजन का पहला हिमपात होने से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है। कई दशकों बाद नवंबर माह में दीपावली पर्व के दौरान बर्फबारी होने से जहां किसान बागबान खुश हंै। वहीं पर इतनी जल्द बर्फ गिरने से हैरान भी है। सोमवार सुबह स्नो सिटी नारकंडा बर्फ की सफेद चादर में लिपटी नजर आई। नारकंडा की हाटु पीक और मतियाना की कमलोड़ी पीक पर लगभग आधा फुट बर्फ और नारकंडा मतियाना में एनएच पांच पर दो ईंच बर्फ दर्ज की गई। मौसम के बदले मिजाज से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है। निचले इलाकों में जहां बारिश हुई, वहीं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीजन का पहला हिमपात हुआ है। मौसम के बदले मिजाज ने लोगो को गर्म कपडे़ पहनने पर मजबूर कर लिया है। नारकंडा में समय रहते हिमपात होने से स्की स्लोप धोमड़ी में भी इस बार जल्द ही स्कींग शुरू होने की आस है। पर्यटक नगरी नारकंडा में पर्यटकों की आवाजाही भी बढ़ने वाली है। नारकंडा में इस सर्दी का यह पहला हिमपात है। हालांकि इस हिमपात से यातायात पर कोई असर नही पड़ा है। वहीं नंवबर माह में हुइ बारिश और बर्फबारी से क्षेत्र के बागबान और किसान गदगद हुए हैं। कई माह से बारिश न होने से बागबान निराश थे। मौसम न बरसने से सेब के पौधों में कैकर रोग का भी खतरा पैदा हो रहा था। वहीं बगीचों में भी सूखे के कारण कोई कार्य नहीं हो पा रहा था, ऐसे में यह बारिश किसी वरदान से कम नहीं है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो लंबे समय से खुश्क पड़ी धरा पर हुइ बारिश और बर्फबारी संजीवनी का काम करेगी और आने वाली सर्दियों के लिए भी अच्छे संकेत दिखाई दे रहे है।
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इससे इतना अवश्य स्पष्ट हो जाता है कि नाटक की उत्पत्तिौर उसके विकास के साथ-साथ रंगमंच की उत्पत्ति और उसका विकास हुआ है। रंगमंच की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक मत और विचारणीय है और वह है अनुमान के आधार पर । मानव सभ्यता की उत्तरोत्तर उन्नति में विश्वास करनेवाले विकासवादियों का कहना है कि नाटक की उत्पत्ति नृत्य से हुई है। उस समय जब मानव की वाक्-शक्ति का विकास नहीं हुआ था तब मुख के श्रावेग को उसने नृत्य द्वारा ही व्यक्त किया होगा। आगे चलकर उस नृत्य में गति और लय को सुधरता यी होगी। नृत्य में गति और लय आने के पश्चात् विशेष अवसरों पर नृत्य का आयोजन होता रहा होगा और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना के रूप में गीत भी गाये जाते रहे होंगे और उन गीतों के साथ वाद्यों का भी प्रयोग किया जाता रहा होगा। इन दो अवस्थों के पश्चात् धीरे-धीरे दिवंगत वीरों की जीवन घटनाओं को भी उनके साथ मिला लिया गया होगा। इस प्रकार नृत्य, गीत और घटना के जोड़मेल से उस समय के लोगों को मनोरंजन का एक साधन, मिल गया होगा। इसके बाद नाटक के जीवन में एक चौथी अवस्था आयी होगी और तब उसमें संवाद को भी स्थान मिल गया होगा। नृत्य + गीत + घटना + संवाद से नाटक का जो रूपाया होगा उसमें उस समय के कलाकारों ने अभिनय कला को भी स्थान दिया होगा और फिर कथानक के चुनाव में धार्मिक स्थलों और संवादों का विधान चल पड़ा होगा। ऐसा लगता है कि इसी के पश्चात् प्रशिक्षित लोगों के नाटक के ये पाँच तत्त्व साहित्यकारों ने अपना लिये होंगे और उन्होंने उनमें संतुलन और सामंजस्य स्थापित करके उनको 'रस' के आश्रित कर दिया होगा। इस प्रकार नृत्य + गीत + घटना + संवाद + प्रभिनय + रस ने एक साथ मिलकर नाटक को जन्म दिया होगा। इसके बाद अन्य कलाकारों ने इन छः तत्वों के अंतरंग और बहिरंग में कला का प्रवेश करके
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भोपाल । मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में भारतीय जनता पार्टी के नेता द्वारा अपने परिवार के तीन अन्य सदस्यों के साथ आत्महत्या करने के मामले में सियासत हो रही है। राजधानी के नजदीक स्थित विदिशा जिले में भाजपा के नगर मंडल उपाध्यक्ष संजीव मिश्रा ने अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ जहरीला पदार्थ खाकर बीते रोज आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट मिला है जिसमें कहा गया है कि बच्चों की लाइलाज बीमारी से परेशान होकर आत्महत्या जैसा कदम उठाया। भाजपा नेता के अपने परिवार के सदस्यों के साथ आत्महत्या करने का मामला सामने आने पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता हनुमा आचार्य ने ट्वीट कर कहा कि अभी अभी अपने शहर विदिशा से एक हृदय विदारक घटना सुनी है कि विदिशा के पूर्व बीजेपी पार्षद संजीव मिश्रा ने अपनी पत्नी और दो बच्चों सहित खाया जहर। गणतंत्र दिवस के दिन चारों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है। क्यों अपने पार्षद का दुख तक न जान सके विदिशा को अपना जताने वाले शिवराज सिंह चौहान? कांग्रेस नेत्री के ट्वीट पर भाजपा के प्रदेष प्रवक्ता डा हितेष वाजपेयी ने जवाब में कहा, मौत पर राजनीतिक रोटियां सेकने वाली लज्जाजनक हरकत से पहले जान लो कि उनका बेटा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित था जिससे पूरा परिवार डिप्रेशन मे था। कभी टाइम निकाल कर घर हो आती तो पता चलता न? पर हो तो कुण्ठित कांग्रेसी ही न! (आईएएनएस)
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में रहना ही बतलाया गया है। और इस कारण महात्मा प्रायः वन मे ही रहते हैं। मैं अपनी यावश्यकता पूर्ति के लिए ही नगर में जाता हूँ।' भगवान् महावीर के पधारने का जहाँ कहीं वर्णन किया गया है, वहां यही कथन है कि भगवान् अमुक बाग में पधारे। श्रेणिक और श्रनाथी मुनि की मुलाकात भी वन में हुई थी । इस प्रकार विवेकवान् को वन में जैसा लाभ होता है, नगर में नहीं होता । मुनि ने गंगकुमार से कहा- 'हे वत्स ! तू मेरे पास है, इसलिए मै तुझे दो शब्द सुनाता हूँ । तू मेरे शब्दों को ध्यान से सुन ।' जो ज्ञान का पात्र होता है वही ज्ञान का झेल सकता है । कुपात्र ज्ञान को पचा नहीं सकता । यहाँ पात्र और उपदेशक दोनों ही योग्य थे । पात्र गंगकुमार है और उपदेशक आकाश में उड़ने की शक्ति रखने वाले चारण मुनि ! यह किसी प्रकार के बंधन में नहीं रहते। लेकिन उनकी शक्ति केवल उन्हीं के लिए नहीं होती। वे अपनी समस्त शक्तियाँ आत्मकल्याण के साथ जगत् के कल्याण में व्यय करते हैं । उन मुनि में किसी प्रकार का कल्पित पक्ष नहीं था और न वन में ही किसी प्रकार का पक्ष था । वन की बात जाने भी दीजिए और जिस मकान में आप बैठे हैं, उसी मकान की बात- सोचिए । यह मकान पक्ष नहीं करता कि मै को नहीं बैठने दूँगा । जब मकान ऐसा पक्ष नहीं करता तो यह किसका माना जय ? ऐसी स्थिति में यही कहा जा सकता है कि मकान किसी का नहीं है, कुदरत के नियम का है। ऐसा होते हुए भी अगर कोई मनुष्य मकान के लिए अभिमान करता है तो उसका अभिमान मिथ्या है । जो वस्तु अभिमान त्यागने का बोध देती है उसी को अभिमान का कारण बना लेना कितना अनुचित है ? कान भी फिर भी सनुष्य उसे सिर्फ अपना मानकर घमण्ड करता है ! स्त्रियाँ भोजन बनाकर अभिमान करती हैं कि हमने बनाया है। लेकिन यह अभिमान क्यों ? आटा, आग, पानी और लकड़ी यह अभिमान नहीं कर सकते ? क्या इनके बिना भोजन वन सकता है ? फिर भी जब यह लव वस्तुएँ अहकार नहीं करतीं तो वहिनें क्यों अभिमान करती है ? अगर भोजन बनाने वाली बहिनें ऐसा विचार करें तो बहुत लाभ हो सकता है । 'हाय मेरे माथे पर कितना भार है - घर भर का काम मुझे ही करना पड़ता है, प्रकार अहकारमिश्रित दुःख प्रकट करने से हानि ही होती है। कई स्त्रियों घड़ी भर सामायिक में बैठने में तो ग्रानन्द मानती हैं, लेकिन किसी बीमार की सेवा करनी पढ़े तो बढ़ी फटिनाई और मुसीवत समझती हैं। वह कहने मेरा दिन तो मल-मूत्र उठाने में ही जाता है !
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वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज कंपनी का असर देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर भी दिखाई देने लगा है। जेट एयरवेज कंपनी ने देहरादून एयरपोर्ट पर मुंबई और गुवाहाटी की हवाई सेवा पांच मई तक के लिए स्थगित कर दी है। फ्लाइट स्थगित होने से शनिवार को हवाई यात्रियों को परेशानी से दो चार होना पड़ा। शनिवार को मुंबई और गुवाहाटी जाने के लिए जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे कई हवाई यात्रियों को वापस लौटने और दूसरे माध्यमों से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मौजूदा समय में देहरादून से सिर्फ जेट एयरवेज ही मुंबई के लिए अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। राज्य के पर्यटन और तीर्थाटन के लिए आने वाले लोगों को हवाई सेवा उपलब्ध नहीं होने से आगे भी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। मुंबई के लिए जेट एयरवेज काफी लंबे समय से अपनी हवाई सेवा उपलब्ध कराता आ रहा है। मुंबई जैसे मुख्य शहर से भारी संख्या में पर्यटक उत्तराखंड घूमने के लिए आते हैं। सेवा स्थगित होने से ऐसे हवाई यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। यदि ऐसा ही रहा तो दिल्ली जैसे शहरों की उड़ानों पर भी असर पड़ना स्वाभाविक है। विमानन कपंनी के अधिकारियों के अनुसार दिल्ली की उड़ानें अभी सामान्य है। मई महीने से चारधाम यात्रा भी शुरू होने जा रही है। ऐसे में मुंबई और गुवाहाटी की हवाई सेवा अचानक स्थगित होने के कारण उन श्रद्धालुओं को परेशानी उठानी पड़ सकती है, जिन्होंने हवाई यात्रा से जौलीग्रांट तक पहुंचने की योजना बनाई हुई थी।
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भावनाहीन को मे समान सुख नहीं और भावनानीत कोदा के समान कोई दुख नहीं। उसके लिए भावना ही जीवन के है--उसमें निहित हो उसे जोवन के साथ खलाबद्ध करती है। इस दावे नष्ट होते ही वह प्रधा बन जाता है। जड़ हो जाना है--फिर उसे मृत्यु के प्रतिषित दूसरा रास्ता दिखाई नहीं देता। आइस्क्या मृत्यु से भयभीत नहीं हुप्रा पर पिता के पविश्वास के कपाल से यह दुखी रहने लगा। गौवाजी उसके स्पक्ष वा अनुभव करने से कठिन सपश्चर्या द्वारा प्राण त्यागने के लिए तयार हो जाता है । श्रद्धा के सुधार से घवराये हुए सुदर्शन का मस्तिष्क ठिकाने नही रहा उसका शरीर पसीने-पसीने हो गया। उसको भाँखें देख रही थों पर उसे कुछ दिखाई न देता था। परिचित रास्ते से उसके पर उसे कादावाडी ले गये। वह चान को सीडियो पर चढ़ा। उसके ब अन्तर से निराशा की शप-उसके प्राण साथ सेकर--बाहर निकलने की सवारी करने लगी । उसके पर रुके प्रवासाल की कोठरी को देहली पर दोवन पर बठी हुई पनी को उसने सूरत से प्रकाशित होने वाले पत्र वारिस बड़े पढ़ते हुए देखा उसको गर्दन एक अद्भुत छटास कृषी हुई पो उसने मुख पर तेश-जैसे देवी हो ऐसा-दोप्त हो रहा था । पनो वहिन ! क्या कर रही हो ? दास पढ़ रही हूँ । सुदान घोडी देर सड़ा रहा, फिर जसे उसके हृदय का सार टूट रहा हो इस प्रकार निराधा भरे स्वर में उसने पूछा धनी वहिन । मां स्वतन्त्र होगी ? " घनी ने कर देखा तो सुनको घराहट की दशा में पाया । स्त्री हृदय को स्वामायिक समझ से उसने सुदशन की ओर सहानुभूति से देखा और उठकर पास थाई । 'मदुमाई । क्या पूछ रहे हो? क्या होगा ? यह 'माँ' को स्व
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Amitabh Bachchan: बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक अजनबी का आभार व्यक्त किया, जिसने उन्हें ट्रैफिक को मात देने और फिल्म की शूटिंग के स्थान पर समय पर पहुंचने में मदद की. टोपी, शॉर्ट्स और पीले रंग की टी-शर्ट पहने दयालु अजनबी की एक तस्वीर साझा करते हुए, दिग्गज अभिनेता ने उन्हें लिफ्ट देने और मुंबई के ट्रैफिक जाम से बचने में मदद करने के लिए धन्यवाद दिया. उस व्यक्ति को न जानने के बावजूद, अमिताभ बच्चन अजनबी के दयालु भाव की सराहना करते दिखे. देखें तस्वीरः (SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं. )
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उनके अनुसार बुद्धिका जीवन अथवा नियमनिष्ठ जीवन ही योग्य जीवन है। यह लोकरीतियों और प्रचलनोंका विरोधी नहीं है क्योंकि मानवसमाजमें स्थापित नियमों और रीतियोंके रूप में ही सामान्य बुद्धि मूर्तिमान् होती है। मनुष्यका कर्त्तव्य उनके अनुरूप कर्म करना है, न कि उनके विपरीत । मानव-जीवन नियमसे मुक्त नहीं है । सच्चे नियमको समझना और उसका पालन करना ही मनुष्यका ध्येय है । स्टोइक्स यथार्थवाद और आदर्शवाद दोनों को ही अपना लेते हैं । यथार्थ ही को बौद्धिक भी मानते हुए वे कहते हैं कि भाग्यकी घटनाओंके प्रति उदासीन रहना चाहिये । परिवर्तनशील परिस्थितियोंसे प्रभावित न होकर दृढ़ एवं कठोर बने रहना चाहिये । किन्तु साथ ही वे यह भी मानते हैं कि सब वस्तुएँ मिलजुलकर शुभके लिए काम करती हैं । व्यक्ति विश्वका अङ्ग है, उसे जीवनकी घटनाओंको स्वीकार करना चाहिये ; क्योंकि व्यक्तिपर जो कुछ भी बीतता है वह विश्व के लिए शुभ है । वास्तवमें सुकरातके सभी अनुयायियोंने किसी न किसी रूपमें यह माना कि विश्वकी धारणा दिव्य विचारसे संघटित और व्यवस्थित है । कुछ दार्शनिक इस परिणामपर भी पहुँचे कि दिव्य विचार ही विश्वकी एकमात्र सत्य सत्ता है। यह सर्वेश्वरवाद है । स्टोइक्सके सिद्धान्तमें यह विचार मानव-शुभकी धारणासे युक्त हो गया है। वे कहते हैं कि विश्व ज़ैउस्से विकसित हुआ है और अन्तमें यह फिर उसीमें लीन हो जायगा । अपने मूलरूपमें दैवी होने के कारण विश्व पूर्ण है। उसके अङ्गों में जो त्रुटियाँ या खोट दिखाई पड़ते हैं उनका कारण यह है कि हम उन्हें समग्रतासे अलग करके देखते हैं । समग्रताके दृष्टिकोण से विश्व पूर्ण तथा शुभ है । भौतिक विश्व सम्बन्धी इस प्रकार के ईश्वरज्ञानने स्टोइक्सको यह बतलाया कि लौकिक सत्यके अनुसार विवेक मानव-कल्याण के लिए पूर्ण रूपसे पर्याप्त है । सार्वभौम लोग 'स और भगवान् एक ही हैं । अतः लोग स या बुद्धिके अनुरूप कर्म करना अन्तःस्थित भगवान्के अनुरूप कर्म करना है । जिस बुद्धिको उन्होंने सर्वोच्च कहा वह जेउसकी बुद्धि है, साथ ही देवताओं,
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इंदौर के लाॅ कालेज की लाइब्रेरी में रखी गई विवादित पुस्तक की लेखिका डा. फरहत खान की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पुस्तक की महिला प्रकाशक उमा छेत्रपाल को भी गिरफ्तार कर लिया है। उमा की गिरफ्तारी उसके घर से हुई है। पांच साल पहले इस किताब को प्रकाशित किया गया था और किताब के विवादित हिस्से की शिकायत के बाद किताब प्रतिबंधित हो गई थी। बाद में उस हिस्से को हटाकर नई किताब प्रकाशित कर दी गई थी, लेकिन प्रतिबंधित संस्करण की किताब लाॅ काॅलेज की लाइब्रेरी में मिली थी। जिसे आधार बनाते हुए पुलिस ने काॅलेज प्राचार्य, प्रोफेसर, लेखिका व प्रकाशक केे खिलाफ केस दर्ज किया था। किताब इंदौर की जिला कोर्ट के सामने अमर लाॅ पब्लिकेशन ने प्रकाशित की थी। पुलिस को किताब की लेखिका डाॅ. फरहत खान को पुणे से गिरफ्तार किया था, वह पुणे के एक अस्पताल में भर्ती मिली थी। डाॅ. फरहत की दोनो किडनियां फेल है। वह इलाज के लिए भर्ती है। अब पुलिस ने किताब की लेखिका उमा छेत्रपाल को भी गिरफ्तार कर लिया है। उधर पुलिस ने लाइब्रेरी में किताब रखने के मामले में काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. रहमान को आरोपी बनाया है,लेकिन वे भी तबीयत खराब होने के कारण वे एक निजी अस्पताल में भर्ती हो गए। जिला कोर्ट ने उनका अग्रिम जमानत आवेदन भी खारिज कर दिया है। इस पूरेे मामले की जांच के लिए उच्च शिक्षा मंत्री ने जांच के लिए कमेेटी गठित की थी। उसकी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने प्राचार्य और तीन प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया है। अापको बता देें कि डा. फरहत खान ने सामूहिक हिंसा और दांडिक न्याय पद्धति किताब लिखी थी। जिसमें आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद के बारे में भड़काने वाली बातें लिखी गई थी। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने तीन साल पहले किताब के विवादित हिस्सों को लेकर शिकायत की थी। इसके बाद किताब प्रतिबंधित कर दी गई थी। वह किताब काॅलेज की लाइब्रेरी मेें मिली थी। इसके बाद भंवरकुआ पुलिस ने लेखिका, प्रकाशक, प्राचार्य और एक प्रोफेसर के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। इस मामले में पहली गिरफ्तारी लेखिका की हुई है,जबकि दूसरी गिरफ्तारी प्रकाशक की हुई हैै। Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
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Nupur Joshi Became A Victim Of Cyber Fraud: इस डिजिटल जमाने में आए दिन लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होते रहते हैं। आम जनता के साथ बॉलीवुड और टीवी सेलेब्स भी फ्रॉड करने वालों के निशाने पर रहते हैं। हाल ही में यह खबर आई है कि ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) फेम नूपुर जोशी (Nupur Joshi) के साथ भी साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) हुआ है। दरअसल अदाकारा अपना सोशल मीडिया अकाउंट वेरीफाई करवाना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने अपने आईडेंटिटी प्रूफ भी दे दिए थे। लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि उनके साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी हुई है और अब वह काफी डरी हुई हैं (Nupur Joshi Became A Victim Of Cyber Fraud)। नूपुर जोशी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक पोस्ट शेयर करते हुए यह बताया कि वह अपना इंस्टाग्राम अकाउंट वेरीफाई करवाना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने अपने गवर्नमेंट आईडेंटिटी प्रूफ भी दे दिए थे। बाद में उन्हें यह पता चला कि वह ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो गई हैं। यह पोस्ट शेयर करते हुए अदाकारा ने लिखा 'हाल ही में मैंने इंस्टाग्राम को रिक्वेस्ट भेजा था जिसे हम दोनों के बीच में गोपनीय रहना था। लेकिन मुझे लगा कि यह इंस्टाग्राम टीम है जो असल में हैकर थे। उन्होंने मुझे ईमेल भेजा और मेरा गवर्नमेंट आईडेंटिटी प्रूफ मांगा। मेरे साथ धोखा हुआ है और अब मुझे डर लग रहा है क्योंकि मुझे नहीं पता भविष्य में क्या होगा। ' इसके बाद उन्होंने लिखा कि उन्हें एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काम करते हुए एक दशक हो गया है। लेकिन वह कभी भी ब्लू टिक को लेकर उत्साहित नहीं थीं। लेकिन कुछ फैंस और दोस्तों ने उन्हें बताया कि यह काफी महत्वपूर्ण है। नूपुर जोशी ने कहा कि वह फेक अकाउंट से ऐसा बचने के लिए कर रही थीं लेकिन खुद ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो गई हैं। Times Now Navbharat पर पढ़ें Entertainment News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।
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घोने चली जाती और वही सफ़द क छुट्टी के दिन पहनती थी, वह ताजगी गुलाबी कपोल और गीले केश लिये वापस लौट आती। और फिर वे सिनेमा, सर्कस या पार्क की सैर के लिए चले जाते । वे वहां जाते है, इससे अलेक्मेई के लिए कोई अंतर नही पड़ता था। वह मिनेमा के पर्दे को, सर्कस के रिंग को या इधर-उधर घूमते हुए लोगो को न देख पाता, वह सिर्फ उसी की तरफ़ निहारता और उसी की ओर देखना हुआ सोचता रह जाता, "बस, आज की रात घर की तरफ लोटते समय राह में ही मुझे प्रस्ताव रख देना चाहिए।" लेकिन राह भी में ख़त्म हो जाती और वह साहम न जुटा पाता । एक रविवार की सुबह वे वोल्गा के दूसरे किनारे के उपवन मे संर करने के लिए निकले। वह जब उसके घर उसे लेने गया तो वह अपनी जैसी सफेद पतलून और खुले कालर की कमीज पहने था, जो उसकी मा के बथनानुसार उसके ताम्रवर्ण, चौडे चेहरे के साथ खूब फबती थी। जब वह पहुंचा तो ओल्या तैयार थी। उसने एक रूमाल में लिपटा पार्सल मई को थमा दिया और वे दोनो नदी को भोर चल दिये। चूहे, पर-विहीन मल्लाह ने पहले विश्वयुद्ध का पंगू वीर, भड़ोस-पडोम के - बच्चों का परमप्रिय, जिसने अलेक्सेई को बचपन में निखाया था कि छि छने पानी में मछली कैसे पकड़ी जाती है - लकड़ी के ठूटो के बल पुस्ते हुए भारी नाव को धकेला और पतवार को हल्की-हल्की चोटो से खेने लगा। धारा को तिरछे काटती हुई, इन्वे-से हिचकोले खातो हुई नाव ने दूसरी तरफ़ स्थित निचले साफ हरे रंग के किनारे तक पहुंचने के लिए गहन नदी पार करना शुरू किया। लड़की नाव के किनारे पर हाथ रखे, चिन्तन मे लोन, जड़-सी बंटी थी और अपनी उगलियों पर से पानी को बह जाने दे रही थी। चाचा भरकादी, क्या तुम्हें हमारी याद नहीं ? " पलेक्सेई ने छ । महनाह ने इन युवा बेहरो की और उपेक्षा से देखा और बहाः "नही तो!" "गयों, यह क्या बात ? मैं हूई मेरेस्येव तुमने मुझे लिखायादा छिटले पानी में से महीने हैं।" शायद सिवाया हो। तुम जैसे यहां बहुत से टोकरे खेलने-फिरते थे। मैं उन सबतो नहीं याद रख सकता।"
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स्टारप्लस के शो 'फालतू' की कहानी हमेशा अपनी प्रेरणादायक और आकर्षक कहानी के लिए चर्चा में रही है जो अनचाही बालिकाओं के संबंध में एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करती है। अपनी रिलीज के बाद से ही इस शो को हर तरफ से शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है और इसने टॉप टीआरपी बटोरी है। 'फालतू' की कहानी ने दर्शकों के दिलों में गहरी जगह बना ली है जहां वे 'फालतू' की मासूमियत को पसंद कर रहे हैं और कई तरह से उससे जुड़ रहे हैं। हाल ही इस पर शो की लीड निहारिका चौकसी ने अपनी निजी जिंदगी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया है। निहारिका चौकसी ने कहा, फालतू जैसा ही अनुभव मुझे तब हुआ जब मैंने अपने माता-पिता से कहा कि मैं एक्टिंग लाइन में अपना करियर बनाना चाहती हूं। वे सपोर्टिव थे लेकिन मेरे रिश्तेदार नहीं थे। वे ऐसे थे जैसे लड़कियों को इस फील्ड में काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह स्पष्ट रूप से इस बारे में उनके ज्ञान की कमी को दर्शाता है और वे कितने भेदभावपूर्ण हैं। वे इस तरह से प्रतिक्रिया नहीं करते अगर मेरा भाई ऐसा करना चाहता था, इसलिए जैसा कि हम देख सकते हैं कि हम सभी अपने डेली लाइफ में इस तरह के भेदभाव का सामना करते हैं और हमें पता भी नहीं चलता। इस तरह के मुद्दों को सामने लाने में सबसे आगे होने के नाते, स्टार प्लस का नया शो फालतू एक प्रेरणादायक कहानी होने का वादा करता है, जो एक लड़की की ताकत के बारे में समाज के लिए एक बहुत ही मजबूत संदेश पेश करता है। दर्शकों को इस शो की कहानी बेहद पसंद आ रही है। जहां यह शो टॉप ट्रेंडिंग में से एक है, वहीं दर्शक हमेशा यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि आगे के एपिसोड में शो क्या नया मोड़ लेने जा रहा है।
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शिमला। बीजेपी (BJP) हाल ही में संपन्न हुए विधान सभा चुनावों को लेकर समीक्षा बैठक करेगी। इस बैठक में विधान सभा चुनावों के सभी प्रत्याशियों (Candidates) से फीडबैक लिया जाएगा। यह बात बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप (Suresh Kashyap) ने कही। उन्होंने कहा कि पार्टी पूर्ण रूप से आश्वस्त है कि इस बार प्रदेश में रिवाज बदलेगा और बीजेपी इन चुनावों में पिछली बार से अधिक सीटें जीतकर नया रिवाज बनाएगी और प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की सरकार स्थापित होगी। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि इस बार प्रदेश में बंपर मतदान (Voting) हुआ है और जनता के रूझान एवं उत्साह से साफ जाहिर है कि प्रदेश की जनता ने इस बार प्रदेश में हुए विकास के नाम पर मुहर लगाई है। सुरेश कश्यप ने कहा कि कुछ दिन पूर्व बीजेपी की विधान सभा चुनावों के लिए गठित विभिन्न समितियों की बैठक परवाणू में संपन्न हुई थी, जिसमें समितियों द्वारा किए गए चुनावी कार्यों के लिए उनका आभार प्रकट किया गया था और उनसे सुझाव आमंत्रित किए गए थे। उन्होनें कहा कि कुछ समितियों ने चुनाव से संबंधित सुझाव प्रकट किए थे जिन पर पार्टी ने अमल करने आश्वासन दिया है और जो कुछ कमियां रह गई है, उन्हें भी दूर किया जाएगा। सुरेश कश्यप ने कहा कि कांग्रेस (Congress) पार्टी जनता के बीच अपना अस्तित्व खो चुकी है। आजकल कांग्रेस के सभी नेता दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाकर अपनी-अपनी वरिष्ठता को साबित करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह दिल्ली दौड़ किसी काम नहीं आएगी और हिमाचल में एक बार फिर बीजेपी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ स्थापित होगी। कश्यप ने कहा कि बीजेपी हिमाचल प्रदेश में रिवाज बदलने जा रही हैं और इसी के साथ साथ बीजेपी गुजरात एवं नगर निगम दिल्ली में भी जीत हासिल करने की ओर अग्रसर है।
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'घटत्व', 'पटत्व' आदि अम॑स्य मामान्यों को भी समझना चाहिए । सामान्य को अतिरिक्त स्वतन्त्र पदार्थ न मानने के पक्ष में जो यह कहा गया द्रव्य, गुण और किया इन तीनों के समान 'सामान्य', जनता के किसी उपयोग में नहीं आता है, वह मो ठीक नहीं। क्योंकि उपयोग में न आने का अर्थ क्या है ? यदि यह कहा जाय कि आदान-प्रदान आदि किसी प्रकार को किया सामान्य को नहीं होती, यही उसका 'उपयोग में न आना' है। तो गुण और क्रिया का भी तो आदानप्रदान नहीं किया जा सकता, उनमें भो तो किसी प्रकार की क्रिया नहीं होती। फिर वे कैसे स्वतन्त्र पदार्थ हो सकेंगे ? द्रव्यों के अन्दर भो तो पृथ्वी, जल, तेज, वायु और मन इन पांचों में हो कोई क्रिया होती है आकाश आदि व्यापक द्रव्यों में नहीं, यह बात विस्तृत रूप से पहले ही बतलायी जा चुकी है। ऐसी परिस्थिति में वे व्य द्रव्य भो पदार्थ नहीं हो सकेंगे। क्योंकि आदान-प्रदानादि उनका भी नहीं हो पाता। अव्यापक पृथ्वी आदि सव द्रव्य भी सब के लेने देने में नहीं आते, फिर वे भी सबके लिए पदार्थ कैसे बन पायेंगे ? अतः जनता के उपयोग में आने का अर्थ अवश्य यही करना होगा कि जनता जिसे अग्रान्त रूप से समझती हो एवं दूसरों को स के लिए जिसे बरावर किसी शब्द से कहती आती हो वह अवश्य पदार्थ होगा। सार अर्थ यह कि किसी भी वस्तु को यथार्थ रूप से समझना एवं औरों को समझाने के लिए तद्वाचक शब्द का प्रयोग करना यही है उसको अपने उपयोग में लाना । ऐसी परि स्थिति में सामान्य' को पदार्थ मानना ही होगा। क्योंकि यथार्थ ज्ञान और तद्वा चक शब्द का प्रयोग सामान्य के सम्बन्ध में भी होता ही है। प्रत्येक फूल में रूप, रस, गंध आदि गुण, पार्थिव रेणुस्वरूप उपादान, एवं अवयव सन्निवेशस्वरूप आकृति, इनके अलग अलग होने पर भी सारी आपामर साधारण जनता "यह फूल है" इस प्रकार सभी फूलों को एक रूप से समझती है एवं वाक्य प्रयोग करती है । द्रव्यारमक पुष्प व्यक्तिओं को उक्त ज्ञान का विषय एवं प्रयुक्त 'पुष्प' शब्द का वाच्य अर्य कमी नहीं माना जा सकता। क्योंकि सारी जनता जव कि प्रत्यक्षरूप से पुष्प व्यक्तियों एवं उनको आकृतियों को असंख्य समझती है तब 'पुष्पत्व' सामान्य को विषय किये बिना, वह अनुगत रूप से "यह पुष्प है" इस प्रकार सारे फूलों को कैसे समझ पायेगी ? एवं कैसे एक अनुगत पुष्प शब्द से कह सकेगी ? अतः सारी जनता के उक्त ज्ञान एवं वाक्यप्रयोग के आधार पर पुष्पत्व आदिजातियाँ अवश्य माननी होंगी। पुष्पत्व और पुष्प इन दोनों के विश्लेषण में, पार्थक्य-प्रवचन में अतिमूढ जनता भले ही असमर्थ हो परन्तु 'पुष्पत्व' से वह अपरिचित है यह नहीं कहा जा सकता । अन्यथा उक्त सार्वजनीन ज्ञान एवं वाक्यप्रयोग कभी नही हो सकता । यह तो सभी विषयों हुआ करता है कि अधिकतर लोग अनुमयमान वस्तुओं का भो ठोक में प्रवचन नहीं कर पाते, उन्हें वे अपने दैनंदिन प्रयोगों में नहीं ला पाते। किन्तु इगोलिए उम अनुभूयमान वस्तु की मान्यता नहीं घोषित की जा सकती। अन्यथा, गूंगा निर्वाचन नही कर पाता इसलिए उसने आम्यादित गुड़-माथुर्य मी अमान्य हूँ। बँटेगा । अत पुष्प से अलगपन सम्बन्धी शब्द प्रयोग आपामर-माधारण में होने पर भी उसका एवं उसके सम्बन्ध में होने वाले सार्वजनीन अनुभव का अपलाप नहीं किया जा यदि यह कहा जाय कि पुष्पत्य आदि सामान्य को मानने में तो कोई आपत्ति नहीं है, किन्तु उसे एक स्वतन्त्र सतिया पदार्थ क्यों माना जाय? तो इस पर यह पछा चाहिए कि उस पुष्पत्य आदि सामान्य को द्रव्य माना जायगा या गुण माना जायगा या कर्म, विशेष, समवाय, अनाथ इनमें से कोई एक माना जायगा 'द्रव्य उसे इसलिए नहीं माना जा सकता कि द्रव्यय, गुगत्व, कर्मत्व आदि सामान्य व्यापक द्रव्य, गुण, कर्म मे भी रहते हैं किन्तु कोई द्रव्य उनमें नहीं रहता। अत द्रव्य, गुण, कर्म के स्वभाव का उल्न करने वाले सामान्य को द्रव्य, गुणया कर्म कमी नहीं कहा जा सकता । सामान्य को विशेष नामक पदार्थ इसलिए नहीं कहा जा सकता कि विशेष केवल नित्य द्रव्य में रहा करते हैं। मामान्य तीजन्य द्रव्य, गुण और कर्म इनमें भी रहता है। सामा न्य को विशेष इसलिए भी नहीं कह सकते कि विशेष एक ही आश्रय में रहते है और सामान्य कमी एक आश्रयमात्र में नहीं रहता। इस प्रकार सामान्य और विशेष के स्वभाव में महान् अन्तर होने के कारण सामान्य को विशेष पदार्थ कभी नहीं कहा जा सकता । सामान्य को समवाय इसलिए नहीं कहा जा सकता कि समवाय किमी मे किसी का हुआ करता है, किन्तु प्रकृत सामान्य किसी में किसी का नहीं हुआ करता । इसलिए भी सामान्य को समवाय नहीं कहा जा सकता कि सामान्य समयाय को सम्बन्ध बनाकर उसके सहारे अपने आश्रय में रहा करता है। कहने का अभिप्राय यह है कि सामान्य को सम्बन्ध रूप में समवाय की अपेक्षा होती है किन्तु समवाय को अपने आश्रय में रहने के लिए अन्य समवाय की अपेक्षा नहीं होती। अत सामान्य और समवाय के स्वभावों में महान् अन्तर होने के कारण सामान्य को समवाय नहीं कहा जा सकता । अमाव के आश्रय अन्य सभी पदार्थ हुआ करते है किन्तु सामान्य केवल द्रव्य गुण और कर्म इन्हीं तीन पदार्थों में रहता है । अभाव "नही है" इत्यादि निषेधज्ञान एवं निषेध-व्यवहार का विषय होने के कारण निषेधात्मक होता है। किन्तु सामान्य ठीक इसके अतिविपरीत "है" इस प्रकार केज्ञान एवं व्यवहार का विषय होने के कारण अनिषेधात्मक भाव रूप है । सुतरां सामान्य को अभाव नहीं कहा जा सकता ।
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'सभी भूमि गोपाल की' दूसरी है राजनैतिक आज़ादी। यह भी भारतीय होनी चाहिए। यह यूरोपीय नमूने की न हो, ब्रिटिश पार्लमेण्ट था सोवियट रूस या इटली का नमूना मैं कैसे लूँ ? मैं किसका अनुकरण करूँ ? मेरी राजनैतिक इस प्रकार की नहीं होगी, वह तो भारत भूमि की रचि की होगी ? हसारे यहाॅ स्टेट तो होगी, पर कारवार किस प्रकार का होगा, यह मैं श्राज नहीं बता सकता । गोलमेज़ कान्फ्रेंस मे मैंने यह कहने की धृष्टता की धीकको हिन्दुस्तान के लिए राजकीय विधान का नमूना चाहिए तो कॉग्रेस का विधान ले लीजिए। इसे मेरी घृष्टता भले ही कहें। पर मेरी कल्पना के अनुसार तो ग़रीब और अमीर दोनों एक झंडे की सलामी करते है। पंच कहे सो परमेश्वर ! इसलिए हमारे यहाँ के भलेमानस हिन्दुस्तान को जानने वाले करोडों मनुष्य जैसा तन्त्र चाहते हों वैसे की हमे जरूरत है। यह राजनैतिक है। इसमें एक आदमी के नहीं, बल्कि लव का राज्य होगा। मैं समाजवादी भाइयो से कहूँगा कि हमारे यहाँ तो - सभी भूमि गोपाल की, बा मे अटक कहाँ ? जाके मन मे अटक है, नोई अटक रहा । इस सूत्र को युगों से मान रहे है। इसलिए यह भूमि ज़मींदार की नहीं, मिल-मालिक की नहीं, या ग़रीब की नहीं, यह तो गोपाल की है - जो गायों का पालन करता है उसकी है। गोपाल तो ईश्वर का नाम है, इसलिए यह भूमि तो उसकी है। हमारी तो कही ही नहीं जा सकती। यह न ज़मींदार की है और न मेरे जैसे लंगोटिये की। यह शरीर भी हमारा नहीं, ऐसा साधु-सन्तों ने कहा है। यह शरीर नाशगन् है, केवल एक आत्म हो रहनेवाली हैं। यह सञ्चा] समाजवाद है। इसपर हम अमल करने लग जायँ, तो हमे सब-कुछ मिल गया । इस सिद्धान्त का अनुकरण करनेवाला आज कोई ढीख नहीं रहा है, तो इसमें सिद्धान्त का दोष नहीं, दोप हमारा है। मैं इसकी व्यावहारिकता बिल्कुल शक्य मानता हूँ ।
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शिक्षामंत्री ने कहा कि दिशानिर्देर्शों में छात्रों को लैंगिक भेदभाव, समाज में सभी को एक मानने का भाव, आपसी प्रतिस्पर्धा, शारीरिक रूप से सक्षम बनाने आदि के भाव को शामिल करने पर जोर होगा। शिक्षण संस्थानों को अब छात्रों के मानसिक सेहत का ख्याल रखना होगा जरूरी होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सोमवार को इस मुद्दे पर आयोजित उच्चस्तरीय समिति की समीक्षा बैठक में कहा कि शिक्षा मंत्रालय जल्द से जल्द मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करें, ताकि शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी तय की जाए। इसके लिए शिक्षण संस्थानों को शिकायत प्रकोष्ठ बनाने होंगे और अधिकारी की जिम्मेदारी तय की गयी है। दरअसल, शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को मानसिक तनाव से उबारने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का मसौदा तैयार कर लिया है। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री ने बैठक में छात्रों को मानसिक तनाव से बचाने और शिक्षण संस्थानों में भेदभाव बर्दाश्त न करने की नीति को लेकर मंथन किया गया। बैठक में स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग, सीबीएसई, एआईसीटीई, यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि एक प्रभावी शिकायत प्रकोष्ठ बनाया जाए, जिसमें अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो। इसका मतलब है कि यदि कोई इन विषयों पर शिकायत करता है तो उस पर तत्काल कार्रवाई करने के साथ छात्रों को न्याय सुनिश्चित हो। इसमें उन्होंने ऑनलाइन सुझाव भी आमंत्रित किये हैं, ताकि नीति बनाने से पहले उसमें समय की मांग के तहत सभी पहुलओं को शामिल किया जा सके। शिक्षामंत्री ने कहा कि दिशानिर्देर्शों में छात्रों को लैंगिक भेदभाव, समाज में सभी को एक मानने का भाव, आपसी प्रतिस्पर्धा, शारीरिक रूप से सक्षम बनाने आदि के भाव को शामिल करने पर जोर होगा। उन्होंने कहा कि फ्रेमवर्क में छात्रों को किसी भी तरह के खतरे या हमले, सामाजिक भेदभाव, छात्रों के बीच आत्मविनाशाकारी प्रवृत्ति रोकने के उपाय किये जाएंगे। शिक्षा मंत्रालय छात्रों की शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने शैक्षणिक तनाव को कम करने के लिए समय-समय पर कई कदम उठाए हैं। इनमें सहपाठियों की सहायता से सीखना, क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की शुरुआत, छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए मनोदर्पण पहल, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की रोकथाम, पहचान और उपचारात्मक उपायों पर दिशानिर्देश आदि शामिल हैं। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
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Quick links: ऑपरेशन बिकाऊ सांसद में रिपब्लिक भारत की टीम आपको वह सच दिखाने जा रहा जिसे देख कर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। लोकतंत्र के मंदिर को पैसा लेकर खोखला करने वाले सांसद का सच। हम दिखाएंगे कि आखिर जनता के भरोसे का खून करने के लिए सांसद किस हद तक गिर सकते हैं। बिकाउ सांसदों की कलंककथा के दूसरे भाग में रिपब्लिक भारत की एसआईटी टीम की मुलाकात हुई जालंधर से कांग्रेस पार्टी के सांसद संतोख सिंह चौधरी से। पंजाब में जालंधर की पहचान कपड़ों के साथ साथ खेल से भी जुड़ी है। लेकिन सत्ता के गलियारों में बैठने वाले जिस तरह का खेल खेलते हैं उसकी उम्मीद यहां के लोगों को नहीं होगी । इनसे मिलिए लोकतंत्र की व्यवस्था के हिसाब से ये यहां की जनता के सेवक यानी सांसद है, जनता के मददगार और प्रतिनिधि है। लेकिन उनकी हरकत इससे मेल बिल्कुल नहीं खाती है। क्योंकि उनके दिल में मंसूबे कुछ और हैं. संतोख सिंह चौधरी, सांसद, कांग्रेस- ऐसा है ये कॉंट्रेक्ट बगैरह है ना ये सारे हो गए है डिजिटल। ये ऑनलाइन हो गया है सब, तो इसमें कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता है। ये रिस्की हो गया है काम। रिपोर्टर- ऐसे तो बिडिंग में कोई फायदा ही नहीं होता है। संतोख सिंह चौधरी, सांसद, कांग्रेस- वहीं तो मैं कह रहा हूं। तो मतलब ये थोड़ा मुश्किल है। जो पहले था ना कोटा सिस्टम, कॉन्ट्रेक्ट। ये अब बड़े मुश्किल है। रिपोर्टर- कैश फ्लो भी खत्म। रिपोर्टर- नहीं कैश फ्लो तो हो रहा होगा। कांग्रेसी सांसद संतोख सिंह चौधरी - एक ये डिमोनिटाइजेशन है उसकी वजह से किसी के पास कोई पैसे नहीं है। रिपोर्टर- क्या बात कर रहे है, ऐसा है क्या। सांसद संतोख सिंह चौधरी- हां। रिपोर्टर- तो ये सर सबकी हालत ऐसी है। सांसद संतोख सिंह चौधरी- सबकी, किसी के पास पैसा नहीं है। सांसद संतोख सिंह चौधरी- जो बहुत नम्बर दो का काम करते है,उनके पास पैसा होगा कोई। स्मग्लिंग गैंग, जो स्मग्लिग करते है। जो ड्रग की स्मग्लिंग करते है, उनके पास पैसा है। सांसद संतोख सिंह चौधरी- हां खत्म...जिनके पास पहले इक्ठ्ठा किया हुआ हो। सांसद संतोख सिंह चौधरी- मोदी के किसी एमपी का कोई काम नहीं होता है। मोदी के....जो बीजेपी के एमपी थे, उनसे ज्यादा हम डरा के काम ले लेते थे। मिनिस्टर को डरा कर, ये करना है। तो उनका कोई काम नहीं हो रहा है। वहां सिर्फ मोदी शाह है। रिपोर्टर- तो डिमोनिटाइजेशन का फर्क पड़ा। सांसद संतोख सिंह चौधरी बहुत ज्यादा फर्क पड़ा। रिपोर्टर- दो-चार लोग जुड़े है मेरे साथ, अगर आप बोलेंगे तो मैं जोड़ता हूं उन्हे आपके साथ। कुछ पोलिटिकल फंडिंग भी हो जाएगी। कुछ उनके काम बगैरह...जब आप सत्ता में आओ तो, आप उनके काम करवा दो। सांसद संतोख सिंह चौधरी- हां हा। बताओं...मिला दो। रिपोर्टर- ठीक है सर। रिपोर्टर- सर हम यहीं चाह रहे थे कि कुछ हम भी कमा ले, कुछ वो भी कमा लेंगे..कुछ फायदा आपका भी हो जाएगा। सांसद संतोख सिंह चौधरी- कोई बात नहीं। सरकार यूपीए की बननी है। रिपोर्टर- जैसा आप बता रहे है कैश बगैरह की दिकक्त है। कैश बगैरह भी चाहिए तो मुझकों बता दीजिएगा। रिपोर्टर- नहीं सर लोग है अपने। दिल्ली में नहीं बाहर है। आप बोलेंग तो एविलेवल करवा देंगे। सांसद संतोख सिंह चौधरी- ओके चलों ठीक है। इलेक्शन में। रिपोर्टर- उनका भी क्या है सर, जो हमारे क्लाइंट है उनके लिए भी इनवेस्टमेंट है। सांसद संतोख सिंह चौधरी- हा वो इनवेस्टमेंट ही होती है। रिपोर्टर- हां जब आप आएंगे तो वो कहेंगे। उनका फेवर...चार काम हो जाते है। सांसद संतोख सिंह चौधरी- नेचुरली। तो आपने देखा पोलिटिकल फंडिंग को इनवेस्टमेंट मानने वाले संतोख सिंह चौधरी, हमारे फायदे के हिसाब से काम करने के लिए तैयार दिखे। यानि की पैसा दो काम करवाओं.... क्या यही है देशहित,, क्या यही है राष्ट्र के लिए काम करना । क्या ही है एक सांसद का कर्तव्य, क्या यही है एक एमपी से अपेक्षा, ...ऐसे बिकाऊ सांसद के साथ क्या हो सलूक.. पूछता है भारत ।
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विश्व हिंदू परिषद की फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची गुरुवार को बरेली पहुंचीं. यहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की. कहा कि मुस्लिम लड़कियां हिंदू लड़कों से शादी कर लें तो उनकी जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी. इससे उन्हें बुर्का और हलाला से भी छुटकारा मिल जाएगा. इसके अलावा साध्वी ने पश्चिम बंगाल और बिहार में रामनवमी के मौके पर हुए दंगे के लिए सीएम ममता और नीतीश को जिम्मेदार ठहराया. दोनों राज्यों में उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. विहिप नेता साध्वी प्राची ने बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की ओर से साईं बाबा पर दिए बयान का समर्थन किया. साध्वी प्राची ने बरेली के सर्किट हाउस में मुस्लिम लड़कियों को खुला ऑफर दिया. कहा कि मुस्लिम लड़कियों को हिंदू लड़कों से शादी कर लेनी चाहिए. शादी करने के बाद उनकी जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी. घर वापसी के सवाल पर कहा कि इसके लिए सबसे पहले श्रद्धानंद जी ने शुद्धिकरण आंदोलन चलाया था. कुछ लोग डर से तो कुछ लोगों ने तलवार के डर से काला लिबास पहन लिया था. अब घर वापसी व्यापक रूप में हो रही है. साध्वी प्राची ने कहा कि मुस्लिम बेटियां काले लिबास में पूरे दिन तपती गर्मी में रहती हैं. वे हिंदू लड़कों से शादी कर लें तो कई सुविधाएं मिलेंगी. इससे किसी ममेरे ,चचेरे और फुफेरे से उनका रिश्ता नहीं हो सकेगा. हिंदुओं में सात जन्मों का बंधन होता है. साध्वी प्राची ने कहा कि बिहार और बंगाल के अंदर जो दंगा हुआ है, उस पर अफसोस है. सीएम नीतीश बाबू खजूर खा रहे हैं, रोजा इफ्तारी कर रहे हैं. दंगे में कौन मर रहा है, कौन घायल हो रहा है, इसकी उन्हें कोई परवाह नहीं है. इन दोनों प्रदेशों में राष्ट्रपति शासन लग जाना चाहिए . सीएम ममता बनर्जी के बयान पर कहा कि आज तक पथराव किस मुस्लिम के घर पर हुआ है, ममता बनर्जी यह बता दें. पथराव होता है तो हिंदुओं पर होता है , पथराव होता है तो सैनिकों पर होता है. ममता बनर्जी भ्रम में जी रहीं हैं. बंगाल की स्थिति ऐसी बनती जा रही है कि एक दौर ऐसा आएगा जब ममता ही सुरक्षित नहीं रहेंगीं. पंडित धीरेंद्र शास्त्री के 'सभी लोग राम-राम कहेंगे' वाले बयान पर कहा कि हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र है, था और रहेगा. सब श्रीराम के पूर्वज हैं, डीएनए करा लीजिए. साईं बाबा के भगवान न होने के सवाल पर साध्वी ने कहा कि वह पीर-फकीर हो सकते हैं लेकिन भगवान नहीं है. वह चांद मियां थे. उन्होंने साईं बाबा पर दिए बयान पर धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन किया.
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Meerut । शहर सर्राफा बाजार बंद होने को लेकर सर्राफा व्यापारियों में आक्त्रोश है। सर्राफा व्यापारियों ने डीएम और सिटी मजिस्ट्रेट के साथ मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने बाजार खोलने की मांग की है। मगर प्रशासन ने बाजार बंद करने के स्पष्ट आदेश दे रखे हैं। ऐसे में आज सर्राफा व्यापारी अपना विरोध जताएंगे। वहीं संयुक्त व्यापार संघ नवीन गुप्ता गुट भी आज इस मामले में कूद सकता है। दरअसल, शहर सर्राफा बाजार में हाल ही में एक कोरोना का मरीज मिला था। जिसके बाद बुधवार को पूरा बाजार बंद करा दिया गया था। सीओ कोतवाली ने सेनेटाइजेशन कराने के लिए बाजार बंद किया था। जिसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट सत्येंद्र सिंह ने आदेश जारी कर दिया था कि अग्रिम आदेशों तक बाजार बंद रहेगा। ऐसे में गुरुवार को एक बार फिर सर्राफा व्यापारियों ने सीओ से बातचीत की और पत्र भी लिखा लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। जिसको लेकर सर्राफा व्यापारियों में आक्त्रोश है। आज व्यापारी एकत्र होकर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं। पहले भी व्यापारी बाजार खुलवाने को लेकर पुलिस और प्रशासन का विरोध कर चुके हैं। व्यापारी नेता विजय आनंद अग्रवाल का कहना है कि जहां पर मरीज मिला है उससे कुछ मीटर का एरिया सील किया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं है कि पूरा बाजार बंद कर दिया जाए। व्यापारी अपने हित की लड़ाई लड़ेगा। अभी बाजार खोलने की अनुमति नहीं है। अग्रिम आदेशों तक बाजार बंद रहेगा। सिटी मजिस्ट्रेट आउट ऑफ स्टेशन हैं। देर रात या शुक्त्रवार को आएंगे, जिसके बाद ही बाजार के बारे में फैसला लिया जाएगा।
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रस और सोदर्य ही पाते है, सीन्दर्य जितना ही देखते हैं, उतनी ही हृदय मे अभावप्रतीति और भी अधिक जाग उठती है। देखकर भी देखने की साध किसी तरह भी मिटती नही, मालूम होता है यह अपूर्ण है। जभी अपूर्ण समझते है तभी सीमा आँखो के सामने दिखाई देती है, तभी अनजाने में हृदय रो उठता है । सोचते हैं और भी - ओर भी आगे जायँ, सभवत सुदूर भविष्य में किसी न किसी दिन उसे आयत्त कर सकेंगे। किन्तु हाय मोह । यह समझ नहीं पाते है कि काल-प्रवाह मे इस आकाङ्क्षा की तृप्ति हो नही सकती । आनन्द चाहे जितना ही क्यो न बढे, सौन्दर्य चाहे जितना ही छल्छला उठे, तृप्ति तत्र भी बहुत दूर की वस्तु है, क्योकि और भी विकास हो सकता है एव कभी भी इस नमविकास की सम्भावना दूर होगी नहीं । इससे ज्ञात हो जायगा कि हृदय जिसकी आकाङ्क्षा करता है वह ससीम सौन्दर्य अथवा परिमित आनन्द नही है । यदि ऐसा होता तो एक न एक दिन क्रमविकास से उसकी तृप्ति हो जाती । वस्तुत. यह असीम सौन्दर्य, अनन्त प्रेम, निरवच्छिन्न आनन्द है। पूर्ण सौन्दर्य का सम्भोग पहले हुआ है, इसी लिये पूर्ण सौन्दर्य की आकाङ्क्षा होती है, विच्छिन्न ( खण्ड ) सौन्दर्य से तृष्णा मिटती नही । जिसका विरह है, उसे पाये विना व्याकुलता का अवसान हो नहीं सकता । इसलिये प्रश्न रह गया कि यह पूर्ण सौन्दर्य कब मिला था ? हम पहले देख चुके हैं कि कालनम से इस पूर्ण सकते; करोड़ों कल्पो मे भी हम ऐसा सौन्दर्य पायेंगे नहीं जिससे हो न सके, अर्थात् काल के मध्य मे पूर्ण सौन्दर्य का विकास हो में जो विकास होता है वह क्रमविकास है । इस क्रम का अन्त नहीं है । और भी अधिक, और भी अधिक हो सकता है - किन्तु कभी भी पूर्णता होनी नहीं । यदि यह सत्य है तो यह भी सत्य है कि काल में कभी इसकी अनुभूति भी होती नहीं । अर्थात् हम जिस सौन्दर्य की अनुभूति हुई है, वह कोई सुदूर अतीत में नहीं है, किसी दिगन्तस्थित नक्षत्र में नहीं है अथवा किसी विशिष्ट काल या देश में नहीं है । अतएव एक प्रकार से यह प्रश्न ही अनुपपन्न है। किन्तु घूम फिर कर प्रश्न फिर भी होता है । परस्पर विरुद्ध होने पर भी यह सत्य है कि इस सौन्दर्य का आस्वादन जब हमे हुआ था तब काल नहीं था - जहाँ हमने इसका आस्वादन किया था वहाँ देश नहीं था । वह हमारी 'योग' अवस्था अथवा मिल्न था । उसके बाद वर्तमान अवस्था 'योगनश' अथवा विरह है। फिर उस योग में जाने के लिये हम छटपटा रहे हैं, पुनमिल्न चाहते है। अर्थात् हम देश और काल में निर्वासित हुये है । फिर देश काल को छिन्न भिन्न कर, विलीन कर वैसे ही योगयुक्त होना चाहते है । किन्तु यह वियोग क्या अत्यन्त वियोग ह ? पूर्ण ने विच्छेद क्या सचमुच इतना वालविक है? नहीं, यह बात नहीं है। वियोग सत्य दें, विच्छेद त्वीकार्य हैकिन्तु उस वियोग के मूल मे भी नित्य योग खोया नहीं है, वह कभी न्योता नहीं है । यदि सो गया होता, तो यह वियोग चिर वियोग हो जाता, पिर लेटने की सम्भावना नहीं रहती। यह जो आकाङ्क्षा है, यह जो ससीम अतृप्ति है, यह बतला रही है कि असीम के साथ योग एकदम टूटा नहीं है । स्मृति है - इसी लिये योग है । वह योग, वह अनुभूति अस्पष्ट है, यह हम स्वीकार करते है, किन्तु वह है अवश्य । यदि यह अनुभूति - यदि पूर्ण का यह आस्वादन न रहता तो सौन्दर्य का कोई मानदण्ड न रहता । मान के बिना तुलना करना सम्भव न होता । जब हमे दो फूले हुये फूलो को देख कर किसी समय एक दूसरे की अपेक्षा सुन्दर जॅचता है, तब अनजाने मे सौन्दर्य के मानदण्ड का हम प्रयोग करते है । जहाँ तारतम्य का बोध होता है वहाँ निश्चय ही मान के न्यूनाधिक्य की निर्णायक उपाधि रहती है। प्रकृत स्थल में चित्तस्थित पूर्ण सौन्दर्य की अस्पष्ट अनुभूति अथवा अनुभवाभास ही बाह्य सौन्दर्य के तारतम्य का बोधक निमित्त है । अर्थात् बाहर की वस्तुओ को देखकर उनमे जो पूर्ण सौन्दर्य का जितना अधिक निकटवर्ती प्रतीत होता है वह उतना सुन्दर लगता ! सौन्दर्य का विकास जैसे क्रमिक है यह सन्निकर्ष भी वैसे ही क्रमिक है। बाहर में जैसे पूर्ण विकसित सौन्दर्य का कभी सम्भव नही वैसे ही सन्निकर्ष की इस चरमावस्था का अर्थात् एकीमाव का भी सम्भव नहीं है । देश और काल मे जब पूर्ण सौन्दर्य प्राप्त नहीं होता एव वृत्तिज्ञान जब देश और काल की सीमा में बॅधा रहता है तब पूर्ण सौन्दर्य वृत्ति के निकट प्रकाशित नहीं हो पाता, यह बात सत्य है । बल्कि वृत्ति पूर्ण सौन्दर्य की प्रतिबन्धक है । सौन्दर्य का जो पूर्ण आस्वाद है, वृत्ति रूप में वही विभक्त हो जाता है। वृत्ति से जिस सौन्दर्य का बोध होता है वह खण्ड सौन्दर्य है, परिच्छिन्न आनन्द है। पूर्ण सौन्दर्य स्वय ही अपने को प्रकट करता है, उसे अन्य कोई प्रकट नहीं कर सकता। वृत्ति के द्वारा जो सौन्दर्य-बोध का आभास प्रस्फुटित होता है वह सापेक्ष, परतन्त्र, क्रम से बढ़ने वाला और काल के अन्तर्गत है । पूर्ण सौन्दर्य उससे विपरीत है । इस पूर्ण सौन्दर्य की छाया लेकर ही खण्ड सौन्दर्य अपने को प्रकट करता है । तब क्या पूर्ण सौन्दर्य और खण्ड सौन्दर्य दो पृथक् वस्तुऍ हैं ? नहीं, ऐसा नही । दोनों वास्तव में एक है । लेकिन इस वियोगावस्था मे दोनो को ठीक एक कहना सम्भव नहीं है। मालूम पडता है दो पृथक् हैं। यह जो दो का अनुभव होता है, इसी के भीतर वियोग की व्यथा छिपी हुई है। इसको जोर जबरदस्ती से एक नहीं किया जा सकता । किन्तु फिर भी सत्य बात यह है कि दोनो ही एक हैं। जो सौन्दर्य बाहर है वही अन्दर है, जो खण्ड सौन्दर्य होकर इन्द्रिय-द्वार मे वृत्ति रूप से विराजमान होता है, वही पूर्ण सौन्दर्य-रूप में अतीन्द्रिय भाव से नित्य प्रकाशमान है। गुलाब का जो सौन्दर्य है वह भी वही पूर्ण सौन्दर्य है, शिशु के प्रफुल्लित मुखकमल में जो शोभा है, वह भी वही पूर्ण सौन्दर्य है- जिसे जब जहाँ जिस रूप से जिस किसी सौन्दर्य का बोध हुआ है, वह भी वह पूर्ण सौन्दर्य ही है। यहाॅ प्रश्न उठ सकता है कि सभी यदि पूर्ण सौन्दर्य है एव पूर्ण सौन्दर्य यदि सभी का आस्वादित और आस्वाद्यमान है तो ऐसी स्थिति मे फिर सौन्दर्य के लिये आकाङ्क्षा क्यों होती है ? बात यह है, पूर्ण सौन्दर्य का बोध अस्पष्टरूप से सभी को है। किन्तु अस्पष्टता ही अतृप्ति की हेतु है । इस अस्पष्ट को स्पष्ट करना ही तो सब चाहते है। जो छाया है उसे काया देने की इच्छा होती है। वृत्ति द्वारा इस अस्पष्ट का स्पष्टीकरण होता है, जो छाया के तुल्य था वह मानो स्पष्ट रूप से भास उठता है । भासित हो उठता है सही, किन्तु खण्डरूप से । इसी लिये वृत्ति की सहायता से स्पष्ट हुए सौन्दर्य का साक्षात्कार होने पर भी, खण्ड होने से, ससीम होने के कारण उससे तृप्ति परिपूर्ण नही होती । वृत्ति तो अखण्ड सौन्दर्य को पकड नही सकती । अखण्ड सौन्दर्य के प्रकाश में वृत्ति कुण्ठित हो जाती है। में इसी बात को और स्पष्टरूप से कहते हैं। कल्पना कीजिये, एक खिला गुलाब का फूल हमारी दृष्टि के सामने पडा है, उसके सौन्दर्य ने हमे आकृष्ट किया हैउसका सुन्दररूप मे हम अनुभव कर रहे है। इस अनुभव का विश्लेषण करने पर हमारे हाथ क्या लगता है ? यह सौन्दर्य कहाँ है ? यह क्या गुलाब मे है, अथवा हममें है अथवा दोनों में है। इस अनुभव का स्वरूप क्या है ? आपातत. यही प्रतीत होता है कि यह केवल गुलाब मे नहीं है। यदि वहीं होता तो सभी गुलाब को सुन्दर देखते। किन्तु सब उसे सुन्दर देखते नहीं। और यह केवल हममे अर्थात् द्रष्टा में है यह कहना भी ठीक नहीं है। यदि ऐसा होता तो हम अर्थात् द्रष्टा मत्र वस्तुओं को सुन्दर देखते, किन्तु हम सभी को सुन्दर देखते नही । इसलिये मानना होगा कि इस अनुभव के विश्लेषण से सिद्धान्त होता है कि वर्तमान क्षेत्र में जब वृत्ति द्वारा बोध हो रहा है तत्र सौन्दर्य खण्डित सा हुआ है, एक ओर अस्पष्ट है अथ च पूर्ण सौन्दर्य है, जो हममे है, दूसरी हममे है, दूसरी ओर स्पष्ट अथ च खण्ड सौन्दर्य है, जिसे हम गुलाब मे देख रहे हैं। किन्तु यथार्थ रस- स्फूर्ति के समय ऐसा रहता नहीं। तब सौन्दर्य द्रष्टा में नहीं रहता, गुलाब मे भी नहीं रहता । द्रष्टा और गुलाब तब एकरस साम्या - वस्थापन्न हो जाते हैं, केवल सौन्दर्य ही, स्वप्रकाशमान सौन्दर्य ही तब रहता है। यही पूर्ण सौन्दर्य है, जिसमे भोक्ता और भोग्य दोनों ही नित्यसम्भोगरूप से विराजमान रहते हैं । वृत्ति द्वारा सौन्दर्योपलब्धि किसे कहते है ? जब किसी विशिष्ट वस्तु का हम प्रत्यक्ष करते हैं, तब वह वस्तु हमारे चित्त में स्थित आवरण को धक्का देकर थोडा बहुत हटा देती है। चित्त पूर्ण सौन्दर्यावभासमय है, किन्तु यह अवभास आवरण से ढका होने से अस्पष्ट है। किन्तु सर्वधा ढका नहीं है, न हो ही सकता है। मेघ सूर्य को ढक्ता है, किन्तु एकबारगी टक नहीं सकता। यदि एकबारगी ढकता तो मेघ स्वयं भी प्रकाशित न होता । मेव जो मेघ है, वह भी वह प्रकाशमान होने से है, इसलिये वह सूर्यालोक की अपेक्षा रखता है। उसी प्रकार आवरण चित्त को एकबारगी टक नहीं सकता । चित्त को ढकता है, किन्तु आवरण का भेद करके भी ज्योति का स्फुरण होता है। इसी लिये पूर्ण सौन्दर्य, आवरण के प्रभाव से, अस्पष्ट होने पर भी एक्कारगी अप्रकाशमान नहीं है । जहाँ चित्त है वही यह बात लागू होती है। पर अस्पष्टता का तारतम्य अवस्य है। यह जो आवरण के कारण अस्पष्टता है आवरण के हटने पर वह भी सटता में बदल जाती है। आवरण के तनिक हटने पर जो सता दिखती हैं वह किञ्चित् मात्र है। घर के झरोखे के छिद्र से अनन्त आकाश का जैसे एकदेशमात्र दिखलायी देता है आशिक रूप से आवरण हटने पर उसी प्रकार पूर्ण सौन्दर्य का एकदेशमात्र ही प्रकाशित होता है । यह प्रकाशमान एकदेश ही खण्ड सौन्दर्य के नाम से प्रसिद्ध है। यह आशिक आवरणनाश ही वृत्तिज्ञान है । इसलिये जो गुलाचे का सौन्दर्य है वह भी पूर्ण सौन्दर्य ही है, पर एक एकदेशमात्र है। इसी प्रकार जगत् का सम्पूर्ण सौन्दर्य ही उस पूर्ण सौन्दर्य का एकदेश है। आवरणभङ्ग के 'तारतम्य वश उद्घाटित सौन्दर्य के तारतम्य अथवा वैशिष्ट्य का निरूपण होता है। किन्तु आवरणभङ्ग के वैशिष्ट्य का नियामक क्या है ? आपाततः यह बाह्य पदार्थ के स्वरूप में स्थित वैशिष्ट्य के रूप से हीं गृहीत होगा। किन्तु हम आगे देखेंगे कि यही अन्तिम बात नहीं है, इसलिये आवरणभङ्ग का भेद, जो स्वाभाविक है, वह इस अवस्था मे कहा नहीं जा सकता । आपाततः कहना ही होगा कि आगन्तुक कारण के वैचित्र्य वश आवरण के हटने पर भी वैचित्र्य रहता है । स्फटिक के समीप नील वर्ण की स्थिति से स्फटिक नीला प्रतीत होता है और पीत वर्ण की स्थिति से पीला प्रतीत होता है यह आगन्तुक कारणजन्य भेद का दृष्टान्त है । चक्षु के निकटस्थित घट में घटाकार वृत्ति एव पट मे पटाकार वृत्ति चित्त धारण करता है, यह भी आगन्तुक भेद है । ठीक उसी प्रकार फूल के सौन्दर्य और लता के सौन्दर्य दोनो मे अनुभव का भेद जानना होगा। फूल के सौन्दर्यास्वाद की जो वृत्ति है, लता के सौन्दर्यास्वाद की वृत्ति उससे विलक्षण है, इसका कारण आगन्तुक है । फूल और लता का वैशिष्ट्य जैसे सत्तागत है वैसे ही ज्ञानागत भी है, फिर आखादगत भी है। इसलिये स्वीकार करना होगा कि फूल और लता मे ऐसा विशिष्ट कुछ है जिससे एक एक प्रकार की सौन्दर्यानुभूति का उद्दीपक है, दूसरा दूसरी प्रकार की । किन्तु यह आपेक्षिक सत्य है । बाह्य पदार्थ यदि परमार्थतः नहीं रहते अथवा जिस अवस्था मे नही रहते तब अथवा उस अवस्था मे बाह्य पदार्थ के स्वरूपगत वैशिष्ट्य के द्वारा रसानुभूति के वैचित्र्य का उपपादन नही किया जाता । सत्ता जैसे एक और अखण्ड होने पर भी फूल और लता खण्डसत्ता है, ज्ञान जैसे एक और अखण्ड होने पर भी फूल का ज्ञान और लता का ज्ञान अर्थात् फूलरूप ज्ञान और लतारूप ज्ञान परस्पर विलक्षण हैं वैसे ही सौन्दर्य एक और अखण्ड होने पर भी फूल का सौन्दर्य और लता का सौन्दर्य अर्थात् फूलरूप सौन्दर्य और लतारूप सौन्दर्य परस्पर भिन्न है। इस जगत् मे दो वस्तुऍ टीक एक नहीं है । प्रत्येक वस्तु का एक स्वभाव है, एक व्यक्तित्व है, एक विशिष्टता है जो दूसरी वस्तु मै नही होती । यदि यह सत्य है, तो खण्ड सत्ता जैसे अनन्त संख्या में तथा प्रकार मे, खण्ड जान भी वैसे ही अनन्त है, खण्ड सौन्दर्य भी वैसे ही अनन्त है । किन्तु जो सत्ता है वही तो ज्ञान है, क्योंकि प्रकाशमान सत्ता ही ज्ञान है और अप्रकाशमान सत्ता आलोक है। फिर जो ज्ञान है वही आनन्द है, क्योंकि अनुकूल ज्ञान हो, भला लगना ही आनन्द या सौन्दर्यबोध है और प्रतिकूल ज्ञान ही दुख या कढर्यता है । सत्ता जब ज्ञान होती है तत्र वह नित्यज्ञान है आर ज्ञान जब आनन्द होता है, तब वह नित्य सवैद्यमान आनन्द है । यह नित्य सवेग्रमान
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ताज महल पर चल रहे विवादों के बीच हरियाणा के विज्ञान और तकनीकी मंत्री ने भी इस एतिहासिक स्मारक पर अपनी राय दी है और इसके एक खूबसूरत कब्रिस्तान बताया है। अनिल विज ने ट्वीट कर लिखा, 'ताज महल एक खूबसूरत कब्रिस्तान है। ' अनिल विज का कहना है कि ताज महल चाहे कितना भी सुंदर क्यों ना हो लेकिन लोग ताज महल के मॉडल को घर में रखना अपशगुन मानते हैं क्योंकि यह एक कब्र है। अनिल विज पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं। अनिल विज ने राम रहीम को सजा सुनाने के बाद हिंसा में मारे गये लोगों को मुआवजा देने की पैरवी की थी। इसके अलावा वो करेंसी से गांधी की तस्वीरों को हटाने के भी हिमायती हैं। बता दें कि यूपी से बीजेपी विधायक संगीत सोम ने ताज महल को भारतीय संस्कृति और इतिहास पर एक 'धब्बा' करार दिया था। मेरठ के सधरना से विधायक संगीत सोम ने कहा था, "बहुत सारे लोग इसलिए निराश थे कि ताज महल को उत्तर प्रदेश की पर्यटन पुस्तिका से हटा दिया गया। हम किस इतिहास की बात कर रहे हैं? कौन सा इतिहास? ताज महल बनवाने वाले (शाहजहां) ने अपने पिता को जेल में डाल दिया था। वह भारत से सभी हिंदुओं को मिटा देना चाहता था। अगर ऐसे लोग हमारे इतिहास का हिस्सा हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। " उन्होंने यह भी बताया था कि उत्तर प्रदेश सरकार अकबर, बाबर और औरंगजेब जैसे कलंक कथा लिखने वाले बादशाहों को भी इतिहास से निकालने की तैयारी कर रही है। #ताजमहल एक खूबसूरत कब्रिस्तान है । ताज महल विवाद में दखल देते हुए फायर ब्रांड बीजेपी नेता विनय कटियार ने कहा था कि ताज महल हिन्दू देवता भगवान शिव का मंदिर है। इसे सैकड़ों साल पहले तेजो महल के नाम से जाना जाता था लेकिन मुगल राजा शाहजहां ने इसे ताज महल में बदल दिया था। विनय कटियार ने बताया, 'ताजमहल हिन्दू मंदिर है। जिसको तेजो महल कहा जाता था। इतिहासकार पीएन ओक की एक किताब भी ऐसा ही कहती है। शाहजहां ने इस जगह पर अपनी पत्नी को दफनाने के बाद इसे मकबरे में बदल लिया था। ताज महल पर इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसे पर्यटन स्थलों की सूची से बाहर कर दिया था। बता दें कि ताज महल पर बढ़ते विवाद को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ये स्मारक भारत माता के सपूतों की खून पसीने की कमाई से बना है और इसका संरक्षण किया जाना चाहिए।
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कोलकाता : इंसान जितने खिलवाड़ अपने शरीर के साथ करता है, उतने शायद ही किसी दूसरे के साथ कर पाए। ऐसा माना जाता है कि इंसान का जिंदगी भर साथ देने वाली अगर कोई चीज है तो वह उसका शरीर है। लेकिन इंसान अपने शरीर के अंदर खराब खाद्य सामग्री को डालकर उसे विनाश की ओर ले जाता है। हमारे आस पास ऐसे बहुत से उत्पाद हैं जो किसी स्लो पॉइजन से कम नहीं है। लेकिन फिर भी लोग इनका सेवन धड़ल्ले से करते हैं। इन्हीं में से एक है व्हाइट ब्रैड। भारत समेत दुनियाभर में बहुत से लोग सुबह की शुरुआत व्हाइट ब्रेड के साथ ही करते हैं, जो खाने का एक बहुत खराब विकल्प है। अगर आप भी अपनी रोजाना की डाइट में व्हाइट ब्रेड का सेवन करते हैं, तो इसे आज ही छोड़ने का फैसला कर लें। वरना बहुत देर भी हो सकती है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों व्हाइट ब्रेड का सेवन आपको नहीं करना चाहिए। सफेद ब्रेड को तैयार करने के लिए गेहूं के आटे का ही उपयोग किया जाता है। लेकिन ब्रेड को बनाते समय इसे बहुत अधिक महीन पीसा जाता है, और इस प्रक्रिया के जरिए सभी विटामिन और पोषक तत्वों को पूरी तरह हटा दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि ब्रेड जैसे उत्पाद को लंबे समय तक ताजा और खाने योग्य रखा जा सके। आपको बता दें कि ब्रेड में इस्तेमाल होने वाले आटे के सभी पोषक तत्व और ऑयल निकालने के बाद ब्लीच किया जाता है। ताकि यह लंबे समय तक खराब हुए बिना चलता रहे। साथ ही इसमें पोटैशियम ब्रोमेट, एज़ोडिकार्बोनामाइड या क्लोरीन डाइऑक्साइड गैस जैसे रसायनों का भी उपयोग किया जाता है ताकि इसके प्राकृतिक पीले रंग को भी हटाया जा सके। इसका परिणाम यह होता है कि जो भी लोग व्हाइट ब्रेड का सेवन करते हैं, उन्हें डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापे जैसी समस्या से जूझना पड़ता है। इसके अलावा ब्रेड में मिलाए जाने वाले कई पर्सवेटिव्स भी मिलाए जाते हैं ताकि यह लंबे समय तक ताजी ही रहे। व्हाइट ब्रेड का सेवन करने से आप यकीनन मोटापे का शिकार हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रेड के निर्माण की प्रक्रिया में ही कई तरह के रसायन, प्रिजर्वेटिव और चीनी का उपयोग किया जाता है। कुल मिलाकर सफेद ब्रेड एक हाईली रिफाइंड उत्पाद है, यह इतनी खतरनाक है कि इसमें मौजूद ग्लाइसेमिक इंडेक्स आपके ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है। यही नहीं सफेद ब्रेड के सेवन से कब्ज, पेट फूलने जैसी समस्याएं भी पैदा होने लगती हैं।
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सच्चा मित्र सेठ-मैंने न तो कभी छदाम दो है, नली है। आपके प्रधान होने के नाते और मनुष्यता के नाते उनसे मेरी मित्रता है । मित्रता भी ऐसी है कि उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं छिपाई । राजा - अच्छा देखो, प्रधान ने इतना हजम कर लिया है । सेठ - ऐसा कहने वालों ने गलती की है । फलां वही मंगवाकर देखिए तो समाधान हो जायगा । वही मँगवाकर देखी गई । राजा ने पाया कि वास्तव अभियोग निराधार है । इसी प्रकार और दो-चार बातों की जाँच की गई । सव ठीक पाया गया । सेठजी वीच-बीच में कह देते थेइतनी भूल प्रधानजी से अवश्य हुई है और वे इसके लिए मेरे सामने पश्चाताप भी करते थे । आपसे भी कहना चाहते थे, मगर शायद लिहाज के कारण नहीं कह सके । राजा - प्रधान ने पश्चाताप भी किया था ? मगर इतने बड़े काम में भूल हो जाना संभव है । वास्तव में मैंने प्रधान के साथ अनुचित व्यवहार किया है, किन्तु अद तो उसका मिलना कठिन है ? कौन जाने कहाँ चला गया होगा ? सेठ - अगर आप उनके सम्मान का वचन दें तो मैं ला सकता हूँ । राजा - क्या प्रधान तुम्हारी जानकारी में है ? सेठ - जी हाँ । मगर विना अपराध सिर कटाने के लिए मैं उन्हें नहीं ला सकता । आप न्याय करने का वचन दें तो हाजिर कर सकता हूँ । राजा~मैं वचन देता हूँ कि प्रधान के गौरव की रक्षा की जायगी। यही नहीं, वरन् चुगलखोरों का मुँह काला किया जायगा । सेठ --- महाराज अपराध क्षमा करें । प्रधानजी मेरे घर पर हैं । राजा -- सारे नगर में उनकी बदनामी हो गई है । उसका परिमार्जन करने के लिए उनका सत्कार करना चाहिए । मैं स्वयं उन्हें लिवाने चलूंगा और आदर के साथ हाथी पर बिठाकर ले आऊँगा ।
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आ गई । लेकिन विवाह होने के बाद ही लड़का बीमार हो गया । उसके बाप ने उसे बचाने का भरसक यत्न किया, लेकिन उसकी बीमारी बढ़ती ही गई और वह मरणासन्न हो गया। उसका बाप रोने लगा तो बेटे ने कहा कि अब क्यों रोता है ? मैं वही ठाकुर हूँ जिसके पाँच हजार रुपये तूने मार लिये थे । जितने रुपये तूने मेरी बीमारी पर लगा दिये हैं उतने छोड़कर शेष रुपये मेरे बच्चों को भेज दे, अन्यथा फिर अगले जन्म में तुझसे शेषरुपये वसूल करूंगा । तब उसके बाप ने कहा कि मैंने तो तुम्हारे रुपये मारे थे, लेकिन इस बेचारी बहू ने तेरा क्या बिगाड़ा था जो इसे यों दुःख देकर जा रहा है । तब लड़का बोला कि यह इसी काबिल है, यह दुष्टा मेरे पिछले जन्म में घोड़ी थी और इसने युद्धक्षेत्र में मुझे जानबूझ कर मरवाया था, इसलिए इसे भी यह दंड भोगना ही पड़ेगा । यों कह कर लड़के ने दम तोड़ दिया । @ अब क्युं रोवै ? एक पंडित बड़ा ज्ञानी था । बड़ी उम्र में जाकर उसके एक लड़का हुआ। पंडित ने अपने ज्ञान के बल से जान लिया कि मैं इस लड़के के पूर्व जन्म के एक लाख रुपये माँगता हूँ । लड़का अपना ऋण चुकाने आया है, वह जिस दिन यह ऋण चुका देगा उसी दिन चला जाएगा ( मर जाएगा ) । पंडित का राज दरबार में बहुत मान था, वह राज-पंडित था । उसने अपनी स्त्री को समझा दिया था कि मेरी अनुपस्थिति में लड़के को कहीं मत जाने देना और राज-सभा में तो कदापि न जाने देना । एक दिन राजा ने किसी आवश्यक काम से पंडित को बुलवा भेजा । लेकिन पंडित तब बाहर गया हुआ था। राजकर्मचारी ने पंडित के लड़के से कहा कि पंडितजी नहीं हैं तो आप ही चलें, सुना है आप भी बड़े विद्वान् हैं । लड़के की माँ ने उसे दरबार में जाने से बहुत मना किया, लेकिन लड़का नमाना । तब उसकी माँ ने कहा कि यदि जाते हो तो जाओ, लेकिन राजा से कोई उपहार मत लाना । लड़का चला गया। राजा के प्रश्नों का पंडित के लड़के ने समुचित उत्तर दिया । राजा बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने लड़के
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बॉलीवुड मशहूर एक्ट्रेस अमीषा पटेल इन दिनों फिल्मों से तो दूर हैं लेकिन वो अक्सर अपने हॉट फोटोशूट को लेकर सुर्खियों में बन जाती हैं. अमीषा सोशल मीडिया पर हमेशा एक्टिव रहती हैं और हर थोड़े दिन में अपने हॉट फोटोज शेयर करती ही रहती हैं. अमीषा हमेशा अपने हॉट फोटोज को सोशल मीडिया पर शेयर करने के बाद चर्चाओं में आ जाती है. हाल ही में अमीषा ने एक बार फिर अपनी कुछ बोल्ड तस्वीरें शेयर कर तहलका मचा दिया है. तस्वीरों में आप देख सकते है अमीषा ने रेड कलर की ड्रेस पहनी है जिसमे वो बेहद ही हॉट लग रही है. इस रेड हॉट ड्रेस में अमीषा ने अपने हॉट फिगर को फ्लॉन्ट किया है. उनकी रेड लिपस्टिक लगाई है जो अमीषा की खूबसूरती में चार चाँद लगा रही हैं. वही दूसरी तस्वीरों में आप देख सकते है अमीषा अपने शर्ट के बटन खोलकर विराट पार्ट्स दिखाती हुई नजर आ रही है. पर्दे पर मासूम-सी दिखने वाली अमीषा असल जिंदगी में बेहद ही बोल्ड है. अमीषा पिछले काफी लम्बे समय से फ़िल्मी पर्दे से दूर है फिर भी वो अपनी हॉट तस्वीरों के कारण लाइमलाइट में बनी ही रहती है. अमीषा सनी देओल व अभिनेत्री प्रीति जिंटा के साथ फिल्म 'भैयाजी सुपरहिट' में नजर आने वाली है.
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ऐसा कभी होता नहीं था। मम्मी इतनी सुबह उठ कर कभी आगोश को जगाने आती नहीं थीं। इसीलिए जैसे ही मम्मी ने आगोश की चादर खींच कर उघाड़ी, वो अचकचा कर बोल पड़ीं- छी- छी... ये कैसे सो रहा है? - बेटा, एसी तो बंद कर दिया कर... कहती हुई मम्मी जल्दी से कमरे से बाहर निकल गईं। आगोश झटपट उठ कर पहले बाथरूम गया फिर कूदता हुआ मम्मी के पास आया। - हां, ये तो बताओ जगाया क्यों? - बेटा, तू दौड़ कर बाहर जा, ज़रा देख कर तो आ, अपने गैरेज के सामने ये पीली गाड़ी किसकी खड़ी है? - पीली गाड़ी? आगोश ने आश्चर्य से कहा। फ़िर बोला- कोई आया होगा डैडी से मिलने। ... पर गाड़ी यहां क्यों पार्क करेगा? आगोश बाहर की तरफ़ भागा। - उधर क्लिनिक वाले पार्किंग में जगह नहीं होगी, इसलिए कोई यहां गाड़ी खड़ी कर गया। मैं देखता हूं उधर, कौन है! पर गाड़ी है बड़ी शानदार! एकदम यूनिक। - अच्छी है? मम्मी ज़ोर से हंसती हुई हाथ में मिठाई की एक प्लेट पकड़े आगोश की तरफ़ आईं। मम्मी की खिलखिलाहट को आगोश अभी बौखलाया हुआ देख ही रहा था कि मम्मी बोलीं- अच्छी है न? तो ले, मुंह मीठा कर। आगोश चौंका। मम्मी ने बताया - ये तेरी है। कल रात को देर से आई। तू कल जल्दी ही सो गया था न, इसलिए मैंने जगाया नहीं। सोचा, सुबह- सुबह तुझे सरप्राइज़ दूंगी। आगोश कुछ ज़्यादा ख़ुश नहीं दिखा। उसने मम्मी के हाथ से लेकर मीठे का टुकड़ा तो खा लिया पर कुछ विचित्र सी मुद्रा में डायनिंग टेबल पर जा बैठा। उसकी नींद भी अभी पूरी तरह खुली नहीं थी। मम्मी बोलीं- मैं समझ गई। तुझे पसंद नहीं आई! आगोश कुछ नहीं बोला। मम्मी किसी अपराधी की भांति उसके करीब आईं और बोलीं- बेटा, सारी ग़लती मेरी ही है, तेरे डैडी तो कह रहे थे कि आगोश से ही चॉइस कराओ, पर मैंने ही कह दिया कि मुझे आगोश को सरप्राइज़ देना है। वो मेरी पसंद को रिजेक्ट थोड़े ही करेगा। अब आगोश हंसा। बोला- ओहो मॉम, किसने कहा कि मुझे पसंद नहीं आई। शानदार है! - कैसे? आगोश ने कुछ अचरज से कहा। - क्यों, उस दिन तू नहीं कह रहा था कि आर्यन को एक बड़े टीवी सीरियल में काम मिल गया, अब तो वो थोड़े ही दिनों में गोल्डन- येलो कलर की गाड़ी में घूमेगा। मम्मी ने सफ़ाई दी। मम्मी फ़िर से कुछ सीरियस होकर बोलीं- क्यों, तो क्या तू अपनी दुल्हन मेरी पसंद से नहीं लाएगा? आगोश हंसने लगा। - डैडी कहां हैं, उन्हें जाकर थैंक्स तो कह दूं। आगोश उठते हुए कहने लगा। मम्मी एकदम से ख़ुश होकर बोलीं- हां - हां जा बेटा, कह दे, वो बहुत खुश होंगे, वो तो बेचारे तुझे कुछ गिफ्ट देते हुए भी डरते हैं... फ़ोन कर दे। - फ़ोन क्यों? डैडी हैं कहां? क्या इतनी जल्दी क्लिनिक में जा बैठे? मम्मी ने कुछ अचकचा कर धीरे से बताया- अरे बेटा, मैं तो तुझे बताना ही भूल गई। वो तो कल रात की फ्लाइट से एमस्टर्डम गए हैं। आगोश का मूड एकाएक कुछ उखड़ गया। उसने फ़ोन हाथ में उठाया तो सही पर डैडी को किया नहीं। वह फ़ोन हाथ में पकड़े- पकड़े ही अपना लोअर उतार कर पटकता हुआ अपने कमरे के वाशरूम में घुस गया। मम्मी भी कुछ मायूस सी होकर अपने कमरे में चली गईं। आगोश ने लैट्रीन की सीट पर बैठे- बैठे ही आर्यन को फ़ोन मिलाया। उधर से आर्यन की आवाज़ आई- इतनी सुबह- सुबह कैसे याद फरमाया ? - हां यार, आज ज़रा जल्दी उठना पड़ा। - क्यों? - डॉन का तोहफ़ा कुबूल करना था। - कैसा तोहफ़ा? कांग्रेचुलेशंस। बधाई हो। - थैंक्स। - मिला क्या तोहफ़े में? - तेरे लिए गाड़ी। - मेरे लिए? मेरे लिए क्यों? तुझे मिली है तो तेरे लिए होगी न। आर्यन ने कहा। - मुझे मिली है तो क्या, जा मैंने तुझे दी। अब तेरी हो गई न। बस। - पर ये तो बता, मिला किस बात के लिए तोहफ़ा? आर्यन ने पूछा। - अरे यार छोड़ न, फ़िर किया होगा कोई गुल- गपाड़ा। और मुझे मेरा कमीशन दे दिया ताकि मैं मुंह बंद रखूं। आर्यन हंसने लगा। आगोश बोला- तू बता, कैसी रही यार तेरी मीटिंग कल वाली? - स्टोरी- सैशन था। हम सब लोग एक साथ थे। आर्यन ने कहा। - बाक़ी तो सब ठीक है, बस तू ज़रा उस बिल्ली से बचके रहना। आगोश ने कहा। - बिल्ली? कौन बिल्ली? मैं कुछ समझा नहीं। आर्यन चौंका। आर्यन ज़ोर से हंसने लगा। बोला- अबे, मैडम तो कभी अकेले में मिलती तक नहीं हैं किसी से.. सबकी मीटिंग एकसाथ ही लेती हैं, पूरी टीम होती है एकसाथ। - चल तो मैं धोता हूं अब, बाय! आर्यन की फ़िर खूब ज़ोर से हंसने की आवाज़ आई। बोला- साले, अंदर भी फ़ोन लेकर बैठा है! आगोश ने फ्रेश होकर पहले मम्मी के साथ डायनिंग टेबल पर बैठ कर जम कर ज़ोरदार नाश्ता किया फ़िर अपने कमरे में जाकर फ़ोन पर बैठ गया। उसने सब दोस्तों को फ़ोन पर ही बताया कि उसने नई कार खरीदी है और इस ख़ुशी में शाम को रूफटॉप में हम सब एकसाथ खाना खायेंगे। पार्टी ! केवल मधुरिमा ने थोड़ी ना- नुकर की, बाक़ी सब मान गए। लेकिन थोड़ा ज़ोर देने पर मधुरिमा भी आने के लिए तैयार हो गई। इस बार की पार्टी की एक ख़ास बात थी। सबको रस ले- लेकर आगोश ने बताया कि आज की पार्टी डिनर- कम- ड्राइव है। इसलिए अपनी नई गाड़ी से आगोश बारी- बारी से सबको उनके घर से लेने आयेगा, फ़िर पहले तो सब एक साथ में एक लॉन्गड्राइव पर जाएंगे और उसके बाद डिनर होगा। आगोश ने सबको बता दिया कि पार्टी के बाद आगोश सबको उनके घर भी छोड़ेगा। मज़ा आ गया!
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बेंगलूर, (भाषा)। एयर चीफ मार्शल एनएके ब्राउने ने आज इस आरोप को ``गलत" बताते हुए खारिज कर दिया कि नक्सल विरोधी एक अभियान के दौरान चालक दल के सदस्य और कर्मियें ने एक घायल पुलिसकर्मी को हेलीकाप्टर में ही छोड़ दिया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को एक दूसरे पर ``कटाक्ष" करने से बचना चाहिए। ब्राउने ने यहां आयोजित एयरो इंडिया प्रदर्शनी के दौरान संवाददाता सम्मेलन में कहा, ``ऐसी धारणा है कि उन्होंने छोड़ दिया, वे भाग गए, मैं समझता हूं कि यह सब गलत है। " यह कथित रूप से संकेत दिया गया कि वायुसेना टीम ने हेलीकाप्टर और घायल पुलिसकर्मी को छोड़ दिया था क्योंकि वे माओवाद प्रभावित इलाके में बंधक बनाए जाने से बचना चाहते थे। वायुसेना प्रमुख ने गृह सचिव आर के सिंह द्वारा लिखे गए पत्र के लीक होने पर आश्चर्य जताया। इस पत्र में सिंह ने कथित रूप से वायु सेना के आचरण पर आपत्ति जतायी थी। उन्होंने कहा कि हमें यह सीख लेनी होगी कि एक दुर्घटना में गलती खोजने के बजाय हम सब मिलकर एक टीम की तरह एक दिशा में कार्य करें। ब्राउने ने यह चेतावनी भी दी कि नक्सल विरोधी अभियान लंबा मामला है और इसका आसान हल नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर हम इस तरह कटाक्ष करते रहेंगे, ऐसा ही कश्मीर घाटी में हुआ और अब भी वहां हो रहा है, जहां वे ःराष्ट्र विरोधी ताकतेंः सुरक्षाबलों ओwर सुरक्षा एजेंसियों के बीच मतभेद पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, `` मैं नहीं समझता कि ऐसी स्थिति में काम करने का यह तरीका है। " यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी टिप्पणी गृह सचिव की ओर है, वायुसेना प्रमुख ने कहा कि यह वहां काम कर रही ``सभी एजेंसियों" के लिए है। गृह मंत्रालय के तहत केंद्रीय पुलिस बलों पर परोक्ष जवाबी हमले के अंदाज़ में वायुसेना प्रमुख ने नक्सली इलाकों में कुछ हेलीपैड की सुरक्षा का मुद्दा उ"ाया और कहा कि अगर इसका ख्याल नहीं रखा गया तो उन क्षेत्रों में वायुसेना के हेलीकाप्टरों को निशाना बनाया जाना जारी रहेगा। उनसे नक्सल अभियान में वायुसेना कर्मियों के खिलाफ गृह मंत्रालय की शिकायत पर प्रतिक्रिया मांगी गयी थी।
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कोरबा,(ब्यूरो छत्तीसगढ़)। एक करोड़ रूपयों से अधिक के धान घोटाला को लेकर जिला जेल कोरबा में निरूद्ध एक आरोपी की संदिग्ध मौत की खबर से सनसनी फैल गयी। बाद में पता चला कि महज अफवाह थी। जिला जेल कोरबा में आदिवासी सेवा सहकारी समिति सोहागपुर के एक करोड़ रूपयों से अधिक के धान घोटाला का आरोपी समिति पबंधक बजूर सिंह राज, खरीदी पभारी बुटकू सिंह और डाटा एंट्री आपरेटर खगेश पताप सिंह न्यायिक अभिरक्षा में है। बीती रात क्षेत्र में खबर फैली की समिति पबंधक बजूरसिंह राज की जिला जेल में संदिग्ध मौत हो गयी। इस खबर से कोरबा से लेकर सोहागपुर तक सनसनी फैल गयी। बहरहाल जेल में संपर्प करने पर पता चला कि धान घोटाला के तीनों आरोपी सकुशल हैं। यहां उल्लेखनीय है कि इस घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद काईम ब्रांच पुलिस ने सोहागपुर से दो युवकों को अवैध रिवाल्वर के साथ गिरप्तार किया था। इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से पचारित करने का पयास किया गया था कि डाटा एंट्री आपरेटर खगेश पताप ने इन दोनों युवकों को अपने पिता धान खरीदी पभारी बुटकू सिंह की हत्या की सुपारी दी थी। हत्या के बाद दोनों आरोपियों को जिला सहकारी केन्दीय बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष देवेन्द पाण्डेय के इशारे पर हत्या करने का बयान कथित रूप से पुलिस में दर्ज कराना था। लेकिन न तो पुलिस जांच में ऐसे किसी तथ्य का खुलासा हुआ और नही इसे स्थापित किया जा सका। खास बात यह है कि सोहागपुर गांव वर्षों से खतरनाक हथियारों की खरीद-फरोख्त के लिए मशहूर है। इधर दूसरी ओर धान घोटाला मामले में तीन आरोपियों की गिरप्तारी के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है। तीनों ही आरोपी घोटाले में जिला सहकारी केन्दीय बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष देवेन्द पाण्डेय को घोटाले की रकम में से अस्सी लाख रूपये देने का आरोप लगा चुके हैं।
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और यूपी चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक भूपेश बघेल ने यूपी दौरे पर हैं. वहां लगातार रैलियां कर रहे हैं, ताकि आगामी चुनाव में मजबूती से लड़ सकें. इसी कड़ी में सीएम बघेल ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि भाजपा लगातार छोटे, मध्यम व्यापारियों को खत्म कर रही है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी पर जिम्मेदारियाँ बहुत हैं, जिसकी वजह से वह अपना मूल कार्य नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें CM की कुर्सी किसी अन्य को देकर पूरी तरह प्रियंका जी के OSD के रूप में उत्तरप्रदेश ही कैम्प करना चाहिए। इस पर राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय ने हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर जिम्मेदारियां बहुत हैं, जिसकी वजह से वह अपना मूल कार्य नहीं कर पा रहे हैं. पांडेय ने लिखा कि उन्हें CM की कुर्सी किसी अन्य को देकर पूरी तरह प्रियंका गांधी के OSD के रूप में उत्तरप्रदेश ही कैम्प करना चाहिए. उनकी 'व्यस्तता' राज्य के विकास में बाधा है. दरअसल, सीएम बघेल ने लिखा था कि आज नेहरू युवा केंद्र, लखनऊ में उत्तर प्रदेश के विभिन्न व्यापारी वर्गों के प्रतिनिधियों के साथ सार्थक संवाद हुआ. अधिकतर लोगों ने कहा कि पहले हमने भाजपा को उम्मीद के साथ वोट दिया था, लेकिन अब वे यह गलती नहीं दोहराएंगे. भाजपा लगातार छोटे, मध्यम व्यापारियों को खत्म कर रही है.
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योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ वाट्सएप ग्रुप पर अश्लील पोस्ट डालने के आरोपी युवक को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। युवक सांडी थाना क्षेत्र का निवासी है। उसके खिलाफ बजरंगदल के जिला संयोजक की तहरीर पर पुलिस ने आईटी एक्ट में रिपोर्ट दर्ज की थी। हरदोई के थाना क्षेत्र के कस्बा निवासी मोहम्मद फुरकान ने अपने नंबर से माई ग्रुप नाम से वाट्सएप ग्रुप बना रखा है। बुधवार को आरोपी ने ग्रुप पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का आपत्तिजनक फोटो डाला। फोटो के नीचे उनसे संबंधित अश्लील पोस्ट डाली थी। कथित पोस्ट बजरंगदल के जिला संयोजक अभिषेक द्विवेदी ने देखी। उन्होंने बुधवार रात आपत्तिजनक पोस्ट डालने की तहरीर शहर कोतवाली में दी थी। पुलिस ने आईटी एक्ट के तहत मोहम्मद फु करान के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की और सांडी पुलिस से संपर्क कर मामले से अवगत कराया था। एसओ सांडी रणजीत सिंह ने बुधवार देर रात फुरकान को गिरफ्तार कर शहर कोतवाली पुलिस के सुपुर्द कर दिया था। कोतवाल कमलेश नारायण पांडेय ने बताया कि मामले में कई बिंदुओं पर जांच की जा रही है। ग्रुप से जुडे़ सदस्यों के बारे में भी पड़ताल की जा रही है। बताया कि जांच पूरी होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
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दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की ताजपोशी की खबर से ही राजनीतिक दलों में हलचल मच गई है। शायद यही वजह है कि तीसरे मोर्चे की कवायद को भी रफ्तार दी जा रही है। सीपीआई-एम के राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश करात व माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य सुभाषिनी अली ने मंगलवार को यूपी के सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की। कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव प्रकाश करात ने अखिलेश यादव से मिलकर मुजफ्फनगर दंगों के पीड़ितों की बदतर हालत पर चिंता जताते हुए उसे तत्काल दुरुस्त करने की मांग की। करात ने कहा कि राहत शिविरों की हालत ठीक नहीं है। करात ने कहा कि वहां लोग बस किसी तरह जिंदगी बिता रहे हैं। कुछ लोगों के मरने की भी सूचना है। करात ने बताया कि उन्होंने राज्य सरकार को स्थित सही करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। दंगों पर हो रही राजनीति पर करात ने कुछ कहने से मना कर दिया, पर उन्होंने यह जरूर कहा कि बेकुसूर लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए। दूसरी ओर, सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि इस मुलाकात का अहम मुद्दा तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर था। पता चला है कि इस बैठक में भाजपा और कांग्रेस के बिना सरकार बनाने की रणनीति बनाई गई। गौरतलब है कि पिछले दिनों वामपंथी मोर्चे ने दिल्ली में एंटी कम्यूनल फ्रंट की रैली आयोजित की थी। इसमें सपा भी शामिल हुई थी और मुलायम ने कहा था कि तीसरे मोर्चे का गठन देश के लिए जरूरी है। माना जा रहा है कि इस बैठम में एंटी कम्यूनल फ्रंट को ही मजबूत करने पर चर्चा हुई।
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रांचीः राजधानी में संत जेवियर्स कॉलेज (St. Xavier's College) की छात्रा ने फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली है। छात्रा का शव शुक्रवार शाम को उसके कमरे से बरामद किया गया। मृतक छात्रा का नाम अदिति कुमारी है। वह संत जेवियर्स कॉलेज में बीकॉम की छात्रा थी। अदिति मूलरूप से पलामू के छतरपुर की रहने वाली है। वर्तमान में वह रांची के चर्च रोड में कृष्णा हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती थी। पुलिस की टीम ने घटना की जानकारी छात्रा के परिजनों को भी दी। हालांकि अभी तक आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। देर रात मिली जानकारी के अनुसार, अदिति के कमरे में दो और छात्राएं रहती हैं, लेकिन वह छुट्टी में गई हुई थी। इन दिनों अदिति कमरे में अकेली रह रही थी। शुक्रवार की सुबह नाश्ता करने के बाद कमरे से निकली थी। मगर वह काफी गुमसुम भी थी। दोपहर में उसने खाना भी नहीं खाया। शाम तक जब वह कमरे से बाहर नहीं निकली तो हॉस्टल के मालिक उसे देखने कमरे में गए, लेकिन दरवाजा भीतर से बंद था। काफी आवाज लगाने के बाद भी जवाब नहीं मिला। इसके बाद खिड़की से झांक कर देखा तो छात्रा फंदे से झूलती दिखी। इसके बाद लोअर बाजार थाने को सूचना दी गई। सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची। शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया।
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Intertemporal budget constraint इस श्रेणी का आन्तरगणन कहलाता है। परन्तु इस सूत्र में यह मान्यता ली जाती है कि लम्बाई में परिवर्तन के साथ भार में एक निर्दिष्ट क्रम में ही परिवर्तन होगा। Intertemporal budget constraint ( इंटरटेम्पोरल बजट काँस्ट्रेन्ट) अन्तर- अवधि बजट सीमा किसी व्यक्ति, फर्म या सरकार के व्यय को निर्दिष्ट अवधि में दी हुई सीमा के अन्तर्गत ही रखे जाने की शर्त । व्यक्ति के लिए यह अवधि उसके जीवनकाल तक, तथा फर्म व सरकार के लिए उनके कार्यकाल तक सीमित रहती है। यहां यह उल्लेखनीय है कि बजट सीमा के अन्तर्गत व्यक्ति या फर्म की आय तथा सरकार की कुल प्राप्तियों के अलावा ऋणों की राशि भी शामिल की जाती है। Intertemporal substitution अन्तर- अवधि प्रतिस्थापन एक निर्दिष्ट अवधि के अन्तर्गत विभिन्न वस्तुओं के मध्य स्थानापन्नता की सीमा । उदाहरण के लिए, यदि यात्री किराया व्यस्तकाल में बहुत अधिक हो तथा वर्ष के अन्य महीनों में कम हो तो बहुत से लोग अपनी छुट्टियों के समय व्यस्तकाल की अपेक्षा अन्य महीनों में भ्रमण की योजना बना लेंगे। इसी के अन्तर्गत उपभोक्ताओं के वर्तमान तथा भावी उपभोग के मध्य प्रतिस्थापन को भी शामिल किया जा सकता है। यदि उपभोक्ता राष्ट्रीय आय का बहुत बड़ा भाग उपभोग व्यय में प्रयुक्त करते हैं तो बचत तथा निवेश कम होने के फलस्वरूप आर्थिक विकास की दर कम होगी जिससे भविष्य में उपभोग हेतु प्राप्त होने वाली राशि भी कम हो जाएगी। इसके विपरीत जिस समाज में उपभोक्ता आज अधिक बचत तथा निवेश करते हैं उनका वर्तमान उपभोग स्तर कम होगा, परन्तु भविष्य में आय बढ़ने के फलस्वरूप उपभोग भी बढ़ जाएगा। Intra-industry specialization उद्योगों के मध्य विशिष्टीकरण ऐसी स्थिति जिसमें एक ही उद्योग से सम्बद्ध फर्मे विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में विशिष्टता प्राप्त कर लेती हैं। उदाहरण के लिए, वस्त्र उद्योग के अन्तर्गत एक फर्म केवल सूटिंग-शटिंग वस्त्रों का उत्पादन कर सकती है, जबकि दूसरी फर्म केवल बैड-शीट या तौलियों का उत्पादन करती है। इनमें प्रत्येक फर्म विशिष्टीकरण के कारण वृहत् - स्तर पर उत्पादन करके प्रति इकाई लागत में कमी कर सकती है। Intra-industry trade (इंट्रा-इन्डस्ट्री ट्रेड) अन्तः फर्म व्यापार ऐसी स्थिति, जिसमें एक ही उद्योग से सम्बद्ध अलग-अलग देशों में कार्यरत विभिन्न फर्म विशिष्टता के आधार पर उत्पादन करती हैं तथा परस्पर व्यापार करती हैं। कभी-कभी एक सीज़न में कोई देश किसी वस्तु का निर्यात करके दूसरे सीज़न में उसका आयात कर सकता है। उदाहरण के लिए भारत सर्दियों में सेव का निर्यात
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सीरियाई-तुर्की सीमा पर, लड़ाई तुर्की सशस्त्र बलों और कुर्दों के बीच हुई। दक्षिणी दमिश्क में आतंकवादियों ने SAA के सहयोगियों पर हमला किया। बताया गया है प्रशंसक सीरियाई स्रोतों के संदर्भ में। दक्षिण-पश्चिमी दमिश्क में, सरकारी बलों और सशस्त्र विपक्षी समूहों के बीच संघर्ष कम नहीं हुआ है। मुग़र अल-मीर शहर के पास भयंकर युद्ध हुआ, जहाँ एसएए तेल अल-अहमर, तेल अल-मजन और तेल अल-खातजान की पहाड़ियों को मुक्त करने में कामयाब रहा। इस प्रकार, एसएआर सैनिकों ने गांव को व्यवस्थित रूप से घेर लिया, जो कि उग्रवादियों द्वारा नियंत्रित अन्य क्षेत्रों से इसे काटने की कोशिश कर रहा था। सीरियाई-तुर्की सीमा के पास कोबानी (अलेप्पो प्रांत) शहर के पास, शाम को तुर्की सेना और आत्मरक्षा बलों (वाईपीजी) के बीच भयंकर संघर्ष शुरू हुआ। सर्जक तुर्की पक्ष था। कुर्द इकाइयों ने हमले को दोहरा दिया, लेकिन मारे गए और घायल हुए कई सैनिकों को खो दिया। बाद में, कुर्दों ने तुर्की के दक्षिणी बाहरी इलाके में आग लगा दी, जिससे एक नागरिक की मौत हो गई। सीरियाई रेड क्रिसेंट ने सीमावर्ती शहर अबू केमल (दीर एज़-ज़ोर प्रांत) में मानवीय सहायता पहुंचाई। कार्गो में भोजन और दवा के साथ किट होते थे। इसके अलावा, शहर में, सीरियाई इंजीनियरिंग इकाइयों और रूसी केंद्र के युद्धरत दलों के पुनर्निर्माण के लिए, गांव के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करने और बहाल करने के लिए, अपने काम को जारी रखा। सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) और आईएस इकाइयों के बीच झड़पें फिर से शुरू हुईं, जो कुर्दों द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों की ओर एसएए और रूसी एयरोस्पेस बलों के हमले के तहत भाग गईं। टकराव के परिणामस्वरूप, कुर्द बलों ने युफ्रेट्स के पूर्वी तट पर हसियत, जेयशी, जादलेह, अल-बहरा और गार्नी के गांवों पर कब्जा करने में कामयाब रहे। पिछले दिनों, रक्का में एक बार विस्फोट के दौरान आतंकवादियों द्वारा विस्फोट किए गए दो विस्फोटक उपकरण। इस तथ्य के कारण कि कुर्द प्रांतीय राजधानी की मंजूरी पूरी नहीं करते थे, रक्का में विस्फोट लगभग दैनिक होते हैं। हालांकि, स्थानीय आबादी शहर में वापस आ रही है, जिससे उनकी जान जोखिम में है। कुर्दों या पश्चिमी गठबंधन की ताकतों से मदद की उम्मीद नहीं करते हुए, नागरिकों ने स्वतंत्र रूप से रामला क्वार्टर में मलबे को सॉर्ट करना शुरू कर दिया। दिन भर सीरियाई इकाइयों ने हमा प्रांत के उत्तरी भाग में आक्रामक विकास जारी रखा। लड़ाई के दौरान, SAA के नियंत्रण में कई सामरिक ऊंचाइयां गुजरीं। एसएआर बलों और समर्थक असद समूहों का समर्थन रूसी वायु सेनाओं द्वारा प्रदान किया गया था।
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कोलकाकात। पश्चिम बंगाल भाजपा प्रदेश प्रमुख सुकांत मजूमदार ने सोशल मीडिया पर कथित बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने की चूक के लिए शुक्रवार को माफी मांगी ली। मजूमदार ने साफ किया कि उनके ट्विटर अकाउंट को संभालने वाली टीम से यह गलती हुई थी और जैसे ही यह उनके संज्ञान में आया, उन्होंने फौरन सुनिश्चित किया कि ट्वीट डिलीट किया जाए। दक्षिण दिनाजपुर जिले के बारोमाश इलाके में बृहस्पतिवार की रात को एक आदिवासी महिला का शव मिला था। मजूमदार ने सरकार पर हमला करते हुए शव का फोटो ट्वीट किया था और उसकी पहचान जाहिर कर दी थी तथा कहा था कि उसकी बलात्कार के बाद हत्या की गई है। उनके ट्विटर अकाउंट पर इस बार महिला की धुंधली तस्वीर पोस्ट की गई है। प्रदेश भाजपा प्रमुख की उनकी असंवेदनशीलता को लेकर आलोचना करते हुए,तृणमूल कांग्रेस के नेता सुखेंदु शेखर रे ने कहा, सुकांत मजूमदार ने जो किया है वह निंदनीय है। जांच चल रही है और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने पहचान जाहिर की है। यह दिखाता है कि भाजपा नेता कितने लापरवाह हैं। मजूमदार ने दिन के दौरान राज्य की महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की। उन्होंनेबीरभूम के तारापीठ मंदिर में दर्शन के बाद कहा, "राज्य भर में जिस तरह से बलात्कार और अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं, उससे साबित होता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से विफल हो चुकी है। जिस राज्य में एक महिला मुख्यमंत्री हैं, वहां हमारी मां-बहनें सुरक्षित नहीं हैं तो यह यह शर्मनाक है। " शाम को उन्होंने दक्षिण दिनाजपुर जिले में आदिवासी महिला के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
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गंगाशहर एरिया में चैम्बर की चपेट में आने से एक युवक की मौत के मामले में शनिवार को पीबीएम अस्पताल की मोर्चरी पर जमकर हंगामा हुआ। परिजनों ने चैंबर दुरुस्त करवाने के साथ ही संबंधित कंपनी के ठेकेदार के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने और मृतक के परिजनों को पचास लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की। दरअसल, कुछ दिन पहले रोहित कच्छावा अपने मित्र के साथ गंगाशहर से जा रहा था कि रास्ते में सीवरेज लाइन के चेंबर की चपेट में आ गए। अंधेरा होने के कारण आधा फीट ऊंचा आया चैंबर नजर नहीं आया। ऐसे में युवकों की मोटर साइकिल अंधेरे में उससे जा टकराई। दोनों को गंभीर हालत में पीबीएम अस्पताल पहुंचाया गया। जहां इलाज के दौरान रोहित की मौत हो गई। उसका शव मोर्चरी में रखा गया था, जहां गंगाशहर से बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत और कांग्रेस नेता गोपाल गहलोत भी मौके पर पहुंचे। यहां काफी देर विरोध प्रदर्शन किया गया। मुख्य मांग उस ठेकेदार को गिरफ्तार करने की थी, जिसने ये चैंबर सड़क के इतनी उपर बना दिए। आरयूआईडीपी के माध्यम से हो रहे इस काम के लिए एक प्राइवेट कंपनी को ठेका दिया गया था। इसी कंपनी के खिलाफ अब गंगाशहर थाने में मामला दर्ज किया जा रहा है। शाम होने तक दोनों पक्षों में समझौता हो गया, जिसके बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। मुआवजा देने पर भी सहमति बनी है लेकिन कितना मुआवजा होगा? ये अभी तय नहीं है। पीड़ित पक्ष ने रोहित के घर से किसी को सरकारी नौकरी देने की मांग भी रखी थी। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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अपने विवादास्पद बयानों से सुर्खियों में रहने वाले त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब के एक नए बयान में फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उनके बयान से आम आदमी पार्टी इतनी नाराज है कि उसने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री का इस्तीफा ही मांग लिया है। कैलाश गहलोत ने बिप्लब देब के बयान पर नाराजगी जताई और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से पूछा है कि, 'क्या वह जाट नहीं हैं? अगर आप जाट हैं तो क्या आप मंदबुद्धि हैं, क्या आप पागल हैं? अगर आप पागल हैं, मंदबुद्धि हैं तो आप डिप्टी सीएम कैसे बने? अगर आप मंदबुद्धि नहीं है, पागल नहींं है तो बिप्लब देब का इस्तीफा मांगिए। पूरी आम आदमी पार्टी बिप्लब देब के इस्तीफे की मांग करती है कि अगर किसी सीएम की ऐसी सोच है तो उसे सीएम रहने का कोई हक नहीं है। मैं भाजपा की सीनियर लीडरशिप से भी पूछना चाहता हूं कि आपने बिप्लब देब के खिलाफ क्या कार्रवाई की है। ' दरअसल बिप्लब देब ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि, 'अगर हम पंजाब के लोगों की बात करें तो हम कहते हैं, वह एक पंजाबी हैं, एक सरदार हैं! सरदार किसी से नहीं डरता। वे बहुत मजबूत होते हैं लेकिन दिमाग कम होता है। कोई भी उन्हें ताकत से नहीं बल्कि प्यार और स्नेह के साथ जीत सकता है। ' उन्होंने आगे कहा था, 'मैं आपको हरियाणा के जाटों के बारे में बताता हूं। तो लोग जाटों के बारे में कैसे बात करते हैं. . . वे कहते हैं. . . जाट कम बुद्धिमान हैं, लेकिन शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। यदि आप एक जाट को चुनौती देते हैं, तो वह अपनी बंदूक अपने घर से बाहर ले आएगा। ' दोनों समुदायों से माफी मांगते हुए बिप्लब देब ने कहा कि, अगर मेरे बयान से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो उसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से क्षमाप्रार्थी हूं। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, 'अगरतला प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में मैंने अपने पंजाबी और जाट भाइयों के बारे मे कुछ लोगों की सोच का जिक्र किया था। मेरी धारणा किसी भी समाज को ठेस पहुंचाने की नहीं थी। मुझे पंजाबी और जाट दोनों ही समुदायों पर गर्व है। मैं खुद भी काफी समय तक इनके बीच रहा हूं। ' दोनों समुदाय से माफी मांगते हुए बिप्लब देब ने कहा, मेरे कई अभिन्न मित्र इसी समाज से आते हैं। अगर मेरे बयान से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो उसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से क्षमाप्रार्थी हूं। देश के स्वतंत्रता संग्राम में पंजाबी और जाट समुदाय के योगदान को मैं सदैव नमन करता हूं और भारत को आगे बढ़ाने में इन दोनों समुदायों ने जो भूमिका निभाई है उसपर प्रश्न खड़ा करने की कभी मैं सोच भी नहीं सकता हूं। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
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जासं, रुद्रपुरः नैनीताल-यूएस नगर संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस पर्यवेक्षक व राजस्थान के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र यादव ने कहा कि टिकट की दावेदारी करने वालों में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। एक बार का सर्वें हो चुका है। दोबारा सर्वे चल रहा है। टिकट वितरण में युवाओं व महिलाओं को पूरा सम्मान दिया जाएगा। यह निर्णय पार्टी हाईकमान ने लिया है। पर्यवेक्षक राजेंद्र यादव ने बुधवार को नैनीताल रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों को बताया कि जिले के सभी विधानसभा सीटों पर टिकट की दावेदारी के लिए इच्छुक कार्यकर्ताओं से बुधवार को रायशुमारी की गई है। उनका बायडाटा लिया गया है और अलग अलग समस्याओं पर चर्चा की गई है। बाहरी व्यक्ति को टिकट न देने की मांग को लेकर धरना देने वाले किच्छा के सात दावेदारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। अपनी बात कहने का सभी को अधिकार है। अभी किच्छा का नंबर नहीं आया है। जब नंबर आएगा तो वह अपनी बात व पीड़ा रायशुमारी के दौरान कह सकते हैं। जिसे हाईकमान तक पहुंचा दिया जाएगा। वह रायशुमारी करने आए हैं, इसलिए रायशुमारी कर रिपोर्ट हाईकमान को सौंप देंगे। टिकट वितरण के मामले में हाईकमान को फैसला लेना है। टिकट के लिए बाहर भीतर का सवाल नहीं है, टिकट मांगने का सभी कार्यकर्ता का अधिकार है। पार्टी में कोई अंदुरुनी कलह नहीं है। इस मौके पर प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री तिलकराज बेहड़, भुवन चंद्र कापड़ी, पूर्व सांसद महेंद्र पाल, शिल्पी अरोरा, कार्यकारी जिलाध्यक्ष हिमांशु गाबा आदि मौजूद थे।
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भारत सरकार पर मुसलमानों को सताने के झूठे आरोप लगाने वाले पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को अपने देश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार दिखाई नहीं दे रहे। पाकिस्तान में हिंदुओं का जीना दूभर हो गया। हिंदू मंदिरों और जमीनों पर स्थानीय मुसलमानों ने कब्जा कर लिया है या फिर उन्हें भ्रष्ट और अशुद्ध कर दिया है। ऐसी ही एक खबर पाकिस्तान के दक्षिण-पूर्वी सिंध से आई है। खबर के मुताबिक, इस घटना को मुहम्मद इस्माइल नाम के एक शख्स ने अंजाम दिया। स्थानीय थाने में शिकायतकर्ता अशोक कुमार की तहरीर के मुताबिक कि बादिन जिले में अस्थायी मंदिर में रखी मूर्तियों को तोड़ दिया गया और आरोपी धमकी देते हुए घटनास्थल से फरार हो गये। बादिन पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि मुहम्मद इस्माइल को गिरफ्तार कर लिया गया। पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय होने के बावजूद हिंदुओं को अक्सर भेदभाव और धमकियों का सामना करना पड़ता है। इस्लामी कट्टरपंथी हिंदू समुदाय के लोगों को आसानी से निशाना बनाते हैं। बीते कुछ सालों में वहां दर्जनों मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आयी हैं। हाल ही में एक कट्टरपंथी ग्रुप ने इस्लामाबाद में एक हिंदू मंदिर के निर्माण कार्य को अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए रुकवा दिया था। वहीं, हिंदू लड़कियां भी इन कट्टरपंथियों के निशाने पर रहती हैं और पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान में जबरन धर्म-परिवर्तन और निकाह की कई घटनाएं सामने आई हैं। .
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मैने क्षमा प्रार्थनापूर्वक विश्वास दिलाया, 'मैं सुन रहा हूँ, सुन रहा हूँ।' ' सुन रहे हैं तो सुनिए' वह बोले, ' हमारे माथेमे आँखें हैं । हमारे बाहुओ बल है । आपकी तरह की मौनकी प्रतीक्षा ही हमारा काम नहीं है । प्रकृतिका जितना वैभव है, हमारे लिए है । उसमें जो गुप्त है इसलिए है कि हम उसे उद्घाटित करें। धरतीमें छिपा जल है तो इसलिए कि हम उस धरतीको छेद डालें और कुए खोदकर पानी खीच ले । धरतीके भीतर सोना-चाँदी दबा है और कोयला बंद है, - अब हम है कि धरतीको पोला करके उसके भीतरसे सब कुछ उगलवा ले । आप कहिए कि कुछ हमारे लिए नहीं है तो बेशक कुछ भी आपके लिए न होगा। पर मै कहता हूँ कि सब-कुछ हमारे लिए है; और तब, कुछ भी हमारी मुट्ठी में आये बिना नहीं रह सकता । ' वह विद्वान् पुरुष देखनेसे अभी पकी आयुके नहीं जान पड़ते । उनकी देह दुर्बल है, पर चेहरेपर प्रतिभा दीखती है। ऊपरकी बात कहते हुए उनका मुख जो पीला है, रक्ताभ हो आया है। मैने पूछा भाई, आप कौन हो ? काफी साहस आपने प्राप्त किया है । ' ' जी हाँ, साहस हमारा हक है । मै युवक हूँ । मै वही हूँ जो स्रष्टा होते हैं । मानवका उपकार किसने किया है ? उसने जिसने कि निर्माण किया है । उसने जिसने कि साहस किया है। निर्माता साहसी होता है। वह आत्म-विश्वासी होता है। मैं वही युवक हूँ। मै वृद्ध नहीं होना चाहता।' कहते कहते युवक मानो कॉप आये। उनकी आवाज़ काफी तेज हो गई थी। मानो किसीको चुनौती दे रहे हों। मुझे नही प्रतीत हुआ कि यह युवक वृद्ध होनेमें सचमुच देर लगाएँगे । बाल उनके अब भी जहाँ-तहाँसे पक चले है । उनका स्वास्थ्य हर्षप्रद नहीं है और उनकी इंद्रियाँ बिना बाहरी सहायताके मानो काम करनेसे अब भी इन्कार करना चाहती है । मैने कहा, ' भाई, मान भी लिया कि सब कुछ हमारे लिए है । तब फिर हम किसके लिए है ? ' युवकने उद्दीप्त भावसे कहा, 'हम किसके लिए है ? हम किसीके लिए नहीं है। हम अपने लिए हैं । मनुष्य सचराचर विश्वमें मूर्धन्य है । वह विश्वका भोता है । सब उसके लिए साधन है । वह स्वयं अपने आपमें साध्य है । मनुष्य अपने लिए है । बाकी और सब-कुछ मनुष्य के लिए है ---- मैने देखा कि युवकका उद्दीपन इस भाँति अधिक न हो जाय । मानव-प्राणीकी श्रेष्ठतासे मानो उनका मस्तक चहक रहा है। मानों वह श्रेष्ठता उनसे झिल नही रही है, उनमें समा नहीं रही है । श्रेष्ठता तो अच्छी ही चीज़ है, पर वह बोझ बन जाय यह ठीक नहीं है । मैने कहा, 'भाई, मैने जल-पानको पूछा ही नहीं । ठहरो, कुछ जल-पान मँगाता हूँ।' युवकने कहा, 'नहीं - नहीं, ' और वह कुछ अस्थिर हो गया। मैने उनका संकोच देखकर हठ नहीं की। कहा, ' देखो भाई, हम अपने आपमे पूरे नहीं है । ऐसा होता तो किसी चीज़की ज़रूरत न होती । पूरे होनेके रास्ते में ज़रूरतें होती है। पूरे हो जानेका लक्षण ही यह है कि हम कहें यह ज़रूरत नहीं रह गई। कोई वस्तु उपयोगी है, इसका अर्थ यही है कि हमारे भीतर उसकी उपयोगिता के लिए जगह खाली है । सब-कुछ हमे चाहिए, इसका मतलब यह है कि अपने भीतर हम बिल्कुल खाली है । सब कुछ हमारा हो, - इस हविसकी जड़मे तथ्य यह है कि हम अपने नही है । सबपर अगर हम कुब्ज़ा करना चाहते है तो आशय है कि हमपर हमारा ही काबू नहीं है, हम पदार्थोंके गुलाम है। क्यों भाई, आप गुलाम होना पसंद करते हो ? युवकका चेहरा तमतमा आया। उन्होंने कहा, 'गुलाम । मैं सबका मालिक हूँ । मै पुरुष हूँ । पुरुषकी कौन बराबरी कर सकता । है ? सब प्राणी और सब पदार्थ उसके चाकर है । है, वह स्वामी है । मै गुलाम ? मै पुरुष हूँ, मै गुलाम !.... ' आवेशमे आकर युवक खड़े हो गये । देखा कि इस बार उनको रोकना कठिन हो जायगा । बढ़कर मैने उनके कंधेपर हाथ रक्खा और प्रेमके अधिकारसे कहा, 'जो दूसरेको पकड़ता है, वह खुद पकड़ा जाता है। जो दूसरेको बाँधता है वह खुदको बाँधता है । जो दूसरेको खोलता है वह खुद भी खुलता है। अपने प्रयोजनके घेरेमे किसी पदार्थको या प्राणीको घेरना खुद अपने चारों ओर घेरा डाल लेना है । इस प्रकार स्वामी बनना दूसरे अर्थो में दास बनना है । इसीलिए, मैं कहता हूँ कि कुछ हमारे लिए नहीं है। इस तरह सबको आजाद करके अपनानेसे हम सच्चे अर्थोमे उन्हें 'अपना' बना सकते हैं। अनुरक्तिमे हम क्षुद्र बनते है, विरक्त होकर हम ही विस्तृत हो जाते हैं। हाथमे कुंडी बगलमे सोटा, चारो दिसि जागीरीमे- भाई, चारों दिशाओको अपनी जागीर बनानेकी राह है तो यह है । - ' अब तक युवक धैर्यपूर्वक सुनते रहे थे । अब उन्होने मेरा हाथ अपने कंधेपरसे भटक दिया और बोले, 'आपकी बुद्धि बहक गई है । मै आपकी प्रशंसा सुनकर आया था। आप कुछ कर्तृत्वका उपदेश न देकर यह मीठी बहककी बाते सुनाते है । मै उनमें फॅसनेवाला नहीं हूँ । प्रकृतिसे युद्धकी आवश्यकता है । निरंतर युद्ध, अविराम युद्ध । प्रकृतिने मनुष्यको हीन बनाया है । यह मनुष्यका काम है कि उसपर विजय पाये और उसे चेरी बनाकर छोड़े। मै कभी यह नहीं सुनूँगा कि मनुष्य प्रारब्धका दास है --- मैंने कहा, ' ठीक तो है । लेकिन भाई - ' पर मुझे युवकने बीचहीमें तोड़ दिया। कहा, 'जी नहीं, मैं कुछ नहीं सुन सकता। देश हमारा रसातलको जा रहा है । और उसके लिए आप जैसे लोग जिम्मेदार हैं- ' मैं एक इकेला-सा आदमी कैसे इस भारी देशको रसातल जितनी दूर भेजनेका श्रेय पा सकता हूँ, यह कुछ मेरी समझमे नही आया कहना चाहा, 'सुनो तो भाई - ' लेकिन युवकने कहा, 'जी नही, माफ़ कीजिए।' यह कहकर वह युवक मुझे वहीं छोड़ तेज़ चालसे चले गये । असल इतनी बात बढ़नेपर में पूछना चाहता था कि भाई, तुम्हारी शादी हुई या नहीं? कोई बाल-बच्चा है? कुछ नौकरी चाकरीका ठीक-ठाक है, या कि क्या ? गुज़ारा कैसे चलता है :मैं उनसे कहना चाहता था कि भाई, यह दुनिया अजव जगह है; सो तुम्हें जब ज़रूरत हो और मै जिस योग्य समझा जाऊँ, उसे कहनेमे मुझसे हिचकनेकी आवश्यकता नहीं है । तुम विद्वान् हो, कुछ करना चाहते हो । मैं इसके लिए तुम्हारा कृतज्ञ हूँ। मुझे तुम अपना ही जानो । देखो भाई, संकोच न करना । - पर उन युवकने यह कहनेका मुझे अवसर नहीं दिया, रोष भावसे मुझे परे हटाकर चलते चले गये । उन युवककी एक भी बात मुझे नामुनासिब नहीं मालूम हुई । सब बातें युवकोचित थीं । पर उन बातोंको लेकर अधीर होनेकी आवश्यकता मेरी समझ में नही आई । मुझे जान पड़ता है कि सब कुछका स्वामी बनने से पहले खुद अपना मालिक बननेका प्रयत्न वह करे तो ज्यादा कार्यकारी हो । युवककी योग्यता असंदिग्ध है, पर दृष्टि उनकी कही सदोष भी न हो ! उनके ऐनक लगी थी, इससे शायद निगाह निर्दोष पूरी तरह न रही होगी । पर वह युवक तो मुझे छोड़ ही गये है । तब यह अनुचित होगा कि मैं उन्हें न छोहूँ । इससे आइए, उन युवकके प्रति अपनी मंगल कामनाओंका देय देकर इस अपनी बातचीतके सूत्रको सँभालें । प्रश्न यह है कि अपनेको समस्तका केंद्र मानकर क्या हम यथार्थ सत्यको समझ सकते अथवा पा सकते है ? निस्संदेह सहज हमारे लिए यही है कि केंद्र हम अपनेको मानें और शेष विश्वको उसी अपेक्षा ग्रहण करें । जिस जगह हम खड़े हैं, दुनिया उसी स्थलको मध्य बिंदु मानकर वृत्ताकार फैली हुई दीख पड़ती है। जान पड़ता है, धरती चपटी है, थालीकी भाँति गोल है और स्थिर है। सूरज उसके चारों ओर घूमता है । स्थूल आँखोंसे और स्थूल वुद्धिसे यह बात इतनी सहज सत्य मालूम होती है कि जैसे अन्यथा कुछ हो ही नहीं सकता। अगर कुछ प्रत्यक्ष सत्य है तो यह ही है । पर आज हम जानते हैं कि यह वात यथार्थ नहीं है। जो यथार्थ है उसे हम तभी पा सकते हैं जब अपनेको विश्वके केंद्र माननेसे हम ऊँचे उठे । - अपनेको मानकर भी किसी भाँति अपनेको न मानना आरंभ करें । सृष्टि हमारे निमित्त है, यह धारणा अप्राकृतिक नहीं है। पर उस धारणापर अटक कर कल्पनाहीन प्राणी ही रह सकता है । मानव अन्य प्राणियोंकी भाँति कल्पनाशून्य प्राणी नहीं है । - मानवको तो यह जानना ही होगा कि सृष्टिका हेतु हममें निहित नहीं है । हम स्वयं सृष्टिका भाग हैं । हम नहीं थे, पर सृष्टि थी । हम नहीं रहेंगे, पर सृष्टि रहेगी । सृष्टिके साथ और सृष्टिके पदार्थोंके साथ हमारा सच्चा संबंध क्या है ? क्या हो ? मेरी प्रतीति है कि प्रयोजन और ' युटिलिटी' शब्दसे जिस संबंधका बोध होता है वह सच्चा नहीं है । वह काम चलाऊ भर है वह परिमित है, कृत्रिम है और वंधनकारक है। उससे कोई किसीको पा नहीं सकता । सच्चा संबंध प्रेमका, भ्रातृत्वका और आनन्दका है। इसी संबंध में पूर्णता है, उपलब्धि है और आह्लाद है; न यहाँ किसीको किसीकी अपेक्षा है, न उपेक्षा है । यह प्रसन्न, उदात्त, समभावका संबंध है पानी हमारे पीनेके लिए बना है, हवा जीनेके लिए, यदि
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थायस ने स्वाधीन, लेकिन निर्धन और मूर्तिपूजक मातापिता के घर जन्म लिया था। जब वह बहुत छोटीसी लड़की थी तो उसका बाप एक सराय का भटियारा था। उस सराय में परायः मल्लाह बहुत आते थे। बाल्यकाल की अशृंखल, किन्तु सजीव स्मृतियां उसके मन में अब भी संचित थीं। उसे अपने बाप की याद आती थी जो पैर पर पैर रखे अंगीठी के सामने बैठा रहता था। लम्बा, भारीभरकम, शान्त परकृति का मनुष्य था, उन फिर ऊनों की भांति जिनकी कीर्ति सड़क के नुक्कड़ों पर भाटों के मुख से नित्य अमर होती रहती थी। उसे अपनी दुर्बल माता की भी याद आती थी जो भूखी बिल्ली की भांति घर में चारों ओर चक्कर लगाती रहती थी। सारा घर उसके तीक्ष्ण कंठ स्वर में गूंजता और उसके उद्दीप्त नेत्रों की ज्योति से चमकता रहता था। पड़ोस वाले कहते थे, यह डायन है, रात को उल्लू बन जाती है और अपने परेमियों के पास उड़ जाती है। यह अफीमचियों की गप थी। थामस अपनी मां से भलीभांति परिचित थी और जानती थी कि वह जादूटोना नहीं करती। हां, उसे लोभ का रोग था और दिन की कमाई को रातभर गिनती रहती थी। असली पिता और लोभिनी माता थायस के लालनपालन की ओर विशेष ध्यान न देते थे। वह किसी जंगली पौधे के समान अपनी बा़ से ब़ती जाती थी। वह मतवाले मल्लाहों के कमरबन्द से एकएक करके पैसे निकालने में निपुण हो गयी। वह अपने अश्लील वाक्यों और बाजारी गीतों से उनका मनोरंजन करती थी, यद्यपि वह स्वयं इनका आशय न जानती थी। घर शराब की महक से भरा रहता था। जहांतहां शराब के चमड़े के पीपे रखे रहते थे और वह मल्लाहों की गोद में बैठती फिरती थी। तब मुंह में शराब का लसका लगाये वह पैसे लेकर घर से निकलती और एक बुयि से गुलगुले लेकर खाती। नित्यपरति एक ही अभिनय होता रहता था। मल्लाह अपनी जानजोखिम यात्राओं की कथा कहते, तब चौसर खेलते, देवताओं को गालियां देते और उन्मत्त होकर 'शराब, शराब, सबसे उत्तम शराब !' की रट लगाते। नित्यपरति रात को मल्लाहों के हुल्लड़ से बालिका की नींद उचट जाती थी। एकदूसरे को वे घोंघे फेंककर मारते जिससे मांस कट जाता था और भयंकर कोलाहल मचता था। कभी तलवारें भी निकल पड़ती थीं और रक्तपात हो जाता था। थायस को यह याद करके बहुत दुःख होता था कि बाल्यावस्था में यदि किसी को मुझसे स्नेह था तो वह सरल, सहृदय अहमद था। अहमद इस घर का हब्शी गुलाम था, तवे से भी ज्यादा काला, लेकिन बड़ा सज्जन, बहुत नेक जैसे रात की मीठी नींद। वह बहुधा थामस को घुटनों पर बैठा लेता और पुराने जमाने के तहखानों की अद्भुत कहानियां सुनाता जो धनलोलुप राजेमहाराजे बनवाते थे और बनवाकर शिल्पियों और कारीगरों का वध कर डालते थे कि किसी को बता न दें। कभीकभी ऐसे चतुर चोरों की कहानियां सुनाता जिन्होंने राजाओं की कन्या से विवाह किया और मीनार बनवाये। बालिका थायस के लिए अहमद बाप भी था, मां भी था, दाई था और कुत्ता भी था। वह अहमद के पीछेपीछे फिरा करती; जहां वह जाता, परछाईं की तरह साथ लगी रहती। अहमद भी उस पर जान देता था। बहुत रात को अपने पुआल के गद्दे पर सोने के बदले बैठा हुआ वह उसके लिए कागज के गुब्बारे और नौकाएं बनाया करता। अहमद के साथ उसके स्वामियों ने घोर निर्दयता का बर्ताव किया था। एक कान कटा हुआ था और देह पर कोड़ों के दागही-दाग थे। किन्तु उसके मुख पर नित्य सुखमय शान्ति खेला करती थी और कोई उससे न पूछता था कि इस आत्मा की शान्ति और हृदय के सन्टोष का स्त्रोत कहां था। वह बालक की तरह भोला था। काम करतेकरते थक जाता तो अपने भद्दे स्वर में धार्मिक भजन गाने लगता जिन्हें सुनकर बालिका कांप उठती और वही बातें स्वप्न में भी देखती। 'हमसे बात मेरी बेटी, तू कहां गयी थी और क्या देखा था ?' 'मैंने कफन और सफेद कपड़े देखे। स्वर्गदूत कबर पर बैठे हुए थे और मैंने परभु मसीह की ज्योति देखी। थायस उससे पूछती-'दादा, तुम कबर में बैठै हुए दूतों का भजन क्यों गाते हो।' अहमद जवाब देता-'मेरी आंखों की नन्ही पुतली, मैं स्वर्गदूतों के भजन इसलिए गाता हूं कि हमारे परभु मसीह स्वर्गलोक को उड़ गये हैं।' अहमद ईसाई था। उसकी यथोचित रीति से दीक्षा हो चुकी थी और ईसाइयों के समाज में उसका नाम भी थियोडोर परसिद्ध था। वह रातों को छिपकर अपने सोने के समय में उनकी संगीतों में शामिल हुआ करता था। उस समय ईसाई धर्म पर विपत्ति की घटाएं छाई हुई थीं। रूस के बादशाह की आज्ञा से ईसाइयों के गिरजे खोदकर फेंक दिये गये थे, पवित्र पुस्तकें जला डाली गयी थीं और पूजा की सामगिरयां लूट ली गयी थीं। ईसाइयों के सम्मानपद छीन लिये गये थे और चारों ओर उन्हें मौतही-मौत दिखाई देती थी। इस्कन्द्रिया में रहने वाले समस्त ईसाई समाज के लोग संकट में थे। जिसके विषय में ईसावलम्बी होने का जरा भी सन्देह होता, उसे तुरन्त कैद में डाल दिया जाता था। सारे देश में इन खबरों से हाहाकार मचा हुआ था कि स्याम, अरब, ईरान आदि स्थानों में ईसाई बिशपों और वरतधारिणी कुमारियों को कोड़े मारे गये हैं, सूली दी गयी हैं और जंगल के जानवरों के समान डाल दिया गया है। इस दारुण विपत्ति के समय जब ऐसा निश्चय हो रहा था कि ईसाइयों का नाम निशान भी न रहेगा; एन्थोनी ने अपने एकान्तवास से निकलकर मानो मुरझाये हुए धान में पानी डाल दिया। एन्थोनी मिस्त्रनिवासी ईसाइयों का नेता, विद्वान्, सिद्धपुरुष था, जिसके अलौकिक कृत्यों की खबरें दूरदूर तक फैली हुई थीं। वहआत्मज्ञानी और तपस्वी था। उसने समस्त देश में भरमण करके ईसाई सम्परदाय मात्र को श्रद्घा और धमोर्त्साह से प्लावित कर दिया। विधर्मियों से गुप्त रहकर वह एक समय में ईसाइयों की समस्त सभाओं में पहुंच जाता था, और सभी में उस शक्ति और विचारशीलता का संचार कर देता था जो उसके रोमरोम में व्याप्त थी। गुलामों के साथ असाधारण कठोरता का व्यवहार किया गया था। इससे भयभीत होकर कितने ही धर्मविमुख हो गये, और अधिकांश जंगल को भाग गये। वहां या तो वे साधु हो जायेंगे या डाके मारकर निवार्ह करेंगे। लेकिन अहमद पूर्ववत इन सभाओं में सम्मिलित होता, कैदियों से भेंट करता, आहत पुरुषों का क्रियाकर्म करता और निर्भय होकर ईसाई धर्म की घोषणा करता था। परतिभाशाली एन्थोनी अहमद की यह दृ़ता और निश्चलता देखकर इतना परसन्न हुआ कि चलते समय उसे छाती से लगा लिया और बड़े परेम से आशीवार्द दिया। जब थायस सात वर्ष की हुई तो अहमद ने उसे ईश्वरचचार करनी शुरू की। उसकी कथा सत्य और असत्य का विचित्र मिश्रण लेकिन बाल्यहृदय के अनुकूल थी। ईश्वर फिरऊन की भांति स्वर्ग में, अपने हरम के खेमों और अपने बाग के वृक्षों की छांह में रहता है। वह बहुत पराचीन काल से वहां रहता है, और दुनिया से भी पुराना है। उसके केवल एक ही बेटा है, जिसका नाम परभु ईसू है। वह स्वर्ग के दूतों से और रमणी युवतियों से भी सुन्दर है। ईश्वर उसे हृदय से प्यार करता है। उसने एक दिन परभु मसीह से कहा-'मेरे भवन और हरम, मेरे छुहारे के वृक्षों और मीठे पानी की नदियों को छोड़कर पृथ्वी पर जाओ और दीनदुःखी पराणियों का कल्याण करो ! वहां तुझे छोटे बालक की भांति रहना होगा। वहां दुःख हो तेरा भोजन होगा और तुझे इतना रोना होगा कि तुझे आंसुओं से नदियां बह निकलें, जिनमें दीनदुःखी जन नहाकर अपनी थकन को भूल जाएं। जाओ प्यारे पुत्र !' परभु मसीह ने अपने पूज्य पिता की आज्ञा मान ली और आकर बेथलेहम नगर में अवतार लिया। वह खेतों और जंगलों में फिरते थे और अपने साथियों से कहते थे-मुबारक हैं वे लोग जो भूखे रहते हैं, क्योंकि मैं उन्हें अपने पिता की मेज पर खाना खिलाऊंगा। मुबारक हैं वे लोग जो प्यासे रहते हैं, क्योंकि वह स्वर्ग की निर्मल नदियों का जल पियेंगे और मुबारक हैं वे जो रोते हैं, क्योंकि मैं अपने दामन से उनके आंसू पोंछूंगा। यही कारण है कि दीनहीन पराणी उन्हें प्यार करते हैं और उन पर विश्वास करते हैं। लेकिन धनी लोग उनसे डरते हैं कि कहीं यह गरीबों को उनसे ज्यादा धनी न बना दें। उस समय क्लियोपेट्रा और सीजर पृथ्वी पर सबसे बलवान थे। वे दोनों ही मसीह से जलते थे, इसीलिए पुजारियों और न्यायाधीशों को हुक्म दिया कि परभु मसीह को मार डालो। उनकी आज्ञा से लोगों ने एक सलीब खड़ी की और परभु को सूली पर च़ा दिया। किन्तु परभु मसीह ने कबर के द्वार को तोड़ डाला और फिर अपने पिता ईश्वर के पास चले गये। उसी समय से परभु मसीह के भक्त स्वर्ग को जाते हैं। ईश्वर परेम से उनका स्वागत करता है और उनसे कहता है-'आओ, मैं तुम्हारा स्वागत करता हूं क्योंकि तुम मेरे बेटे को प्यार करते हो। हाथ धोकर मेज पर बैठ जाओ।' तब स्वर्ग अप्सराएं गाती हैं और जब तक मेहमान लोग भोजन करते हैं, नाच होता रहता है। उन्हें ईश्वर अपनी आंखों की ज्योति से अधिक प्यार करता है, क्योंकि वे उसके मेहमान होते हैं और उनके विश्राम के लिए अपने भवन के गलीचे और उनके स्वादन के लिए अपने बाग का अनार परदान करता है। अहमद इस परकार थायस से ईश्वर चचार करता था। वह विस्मित होकर कहती थी-'मुझे ईश्वर के बाग के अनार मिलें तो खूब खाऊं।' अहमद कहता था-'स्वर्ग के फल वही पराणी खा सकते हैं जो बपतिस्मा ले लेते हैं।' तब थायस ने बपतिस्मा लेने की आकांक्षा परकट की। परभु मसीह में उसकी भक्ति देखकर अहमद ने उसे और भी धर्मकथाएं सुनानी शुरू कीं। इस परकार एक वर्ष तक बीत गया। ईस्टर का शुभ सप्ताह आया और ईसाइयों ने धमोर्त्सव मनाने की तैयारी की। इसी सप्ताह में एक रात को थायस नींद से चौंकी तो देखा कि अहमद उसे गोद में उठा रहा है। उसकी आंखों में इस समय अद्भुत चमक थी। वह और दिनों की भांति फटे हुए पाजामे नहीं, बल्कि एक श्वेत लम्बा ीला चोगा पहने हुए था। उसके थायस को उसी चोगे में छिपा लिया और उसके कान में बोला-'आ, मेरी आंखों की पुतली, आ। और बपतिस्मा के पवित्र वस्त्र धारण कर।' वह लड़की को छाती से लगाये हुए चला। थायस कुछ डरी, किन्तु उत्सुक भी थी। उसने सिर चोगे से बाहर निकाल लिया और अपने दोनों हाथ अहमद की मर्दन में डाल दिये। अहमद उसे लिये वेग से दौड़ा चला जाता था। वह एक तंग अंधेरी गली से होकर गुजरा; तब यहूदियों के मुहल्ले को पार किया, फिर एक कबिरस्तान के गिर्द में घूमते हुए एक खुले मैदान में पहुंचा जहां, ईसाई, धमार्हतों की लाशें सलीबों पर लटकी हुई थीं। थायस ने अपना सिर चोगे में छिपा लिया और फिर रास्ते भर उसे मुंह बाहर निकालने का साहस न हुआ। उसे शीघर ज्ञात हो गया कि हम लोग किसी तहखाने में चले जा रहे हैं। जब उसने फिर आंखें खोलीं तो अपने को एक तंग खोह में पाया। राल की मशालें जल रही थीं। खोह की दीवारों पर ईसाई सिद्ध महात्माओं के चित्र बने हुए थे जो मशालों के अस्थिर परकाश में चलतेफिरते, सजीव मालूम होते थे। उनके हाथों में खजूर की डालें थीं और उनके इर्दगिर्द मेमने, कबूतर, फाखते और अंगूर की बेलें चित्रित थीं। इन्हीं चित्रों में थायस ने ईसू को पहचाना, जिसके पैरों के पास फूलों का ेर लगा हुआ था। खोह के मध्य में, एक पत्थर के जलकुण्ड के पास, एक वृद्ध पुरुष लाल रंग का ीला कुरता पहने खड़ा था। यद्यपि उसके वस्त्र बहुमूल्य थे, पर वह अत्यन्त दीन और सरल जान पड़ता था। उसका नाम बिशप जीवन था, जिसे बादशाह ने देश से निकाल दिया था। अब वह भेड़ का ऊन कातकर अपना निवार्ह करता था। उसके समीप दो लड़के खड़े थे। निकट ही एक बुयि हब्शिन एक छोटासा सफेद कपड़ा लिये खड़ी थी। अहमद ने थायस को जमीन पर बैठा दिया और बिशप के सामने घुटनों के बल बैठकर बोला-'पूज्य पिता, यही वह छोटी लड़की है जिसे मैं पराणों से भी अधिक चाहता हूं। मैं उसे आपकी सेवा में लाया हूं कि आप अपने वचनानुसार, यदि इच्छा हो तो, उसे बपतिस्मा परदान कीजिए।' यह सुनकर बिशप ने हाथ फैलाया। उनकी उंगलियों के नाखून उखाड़ लिये गये थे क्योंकि आपत्ति के दिनों में वह राजाज्ञा की परवाह न करके अपने धर्म पर आऱु रहे थे। थायस डर गयी और अहमद की गोद में छिप गयी, किन्तु बिशप के इन स्नेहमय शब्दों ने उस आश्वस्त कर दिया-'पिरय पुत्री, डरो मत। अहमद तेरा धर्मपिता है जिसे हम लोग थियोडोरा कहते हैं, और यह वृद्घा स्त्री तेरी माता है जिसने अपने हाथों से तेरे लिए एक सफेद वस्त्र तैयार किया। इसका नाम नीतिदा है। यह इस जन्म में गुलाम है; पर स्वर्ग में यह परभु मसीह की परेयसी बनेगी।' तब उसने थायस से पूछा-'थायस, क्या तू ईश्वर पर, जो हम सबों का परम पिता है, उसके इकलौते पुत्र परभु मसीह पर जिसने हमारी मुक्ति के लिए पराण अर्पण किये, और मसीह के शिष्यों पर विश्वास करती हैं ?' हब्शी और हब्शिन ने एक स्वर से कहा-'हां।' तब बिशप के आदेश से नीतिदा ने थायस के कपड़े उतारे। वह नग्न हो गयी। उसके गले में केवल एक यन्त्र था। विशप ने उसे तीन बार जलकुण्ड में गोता दिया, और तब नीतिदा ने देह का पानी पोंछकर अपना सफेद वस्त्र पहना दिया। इस परकार वह बालिका ईसा शरण में आयी जो कितनी परीक्षाओं और परलोभनों के बाद अमर जीवन पराप्त करने वाली थी। जब यह संस्कार समाप्त हो गया और सब लोग खोह के बाहर निकले तो अहमद ने बिशप से कहा-'पूज्य पिता, हमें आज आनन्द मनाना चाहिए; क्योंकि हमने एक आत्मा को परभु मसीह के चरणों पर समर्पित किया। आज्ञा हो तो हम आपके शुभस्थान पर चलें और शेष रात्रि उत्सव मनाने में काटें।' बिशप ने परसन्नता से इस परस्ताव को स्वीकार किया। लोग बिशप के घर आये। इसमें केवल एक कमरा था। दो चरखे रखे हुए थे और एक फटी हुई दरी बिछी थी। जब यह लोग अन्दर पहुंचे तो बिशप ने नीतिदा से कहा-'चूल्हा और तेल की बोतल लाओ। भोजन बनायें।' यह कहकर उसने कुछ मछलियां निकालीं, उन्हें तेल में भूना, तब सबके-सब फर्श पर बैठकर भोजन करने लगे। बिशप ने अपनी यन्त्रणाओं का वृत्तान्त कहा और ईसाइयों की विजय पर विश्वास परकट किया। उसकी भाषा बहुत ही पेचदार, अलंकृत, उलझी हुई थी। तत्त्व कम, शब्दाडम्बर बहुत था। थायस मंत्रमुग्ध-सी बैठी सुनती रही। भोजन समाप्त हो जाने का बिशप ने मेहमानों को थोड़ीसी शराब पिलाई। नशा च़ा तो वे बहकबहककर बातें करने लगे। एक क्षण के बाद अहमद और नीतिदा ने नाचना शुरू किया। यह परेतनृत्य था। दोनों हाथ हिलाहिलाकर कभी एकदूसरे की तरफ लपकते, कभी दूर हट जाते। जब सेवा होने में थोड़ी देर रह गयी तो अहमद ने थायस को फिर गोद में उठाया और घर चला आया। अन्य बालकों की भांति थायस भी आमोदपिरय थी। दिनभर वह गलियों में बालकों के साथ नाचतीगाती रहती थी। रात को घर आती तब भी वह गीत गाया करती, जिनका सिरपैर कुछ न होता। अब उसे अहमद जैसे शान्त, सीधेसीधे आदमी की अपेक्षा लड़केलड़कियों की संगति अधिक रुचिकर मालूम होती ! अहमद भी उसके साथ कम दिखाई देता। ईसाइयों पर अब बादशाह की क्रुर दृष्टि न थी, इसलिए वह अबाधरूप से धर्म संभाएं करने लगे थे। धर्मनिष्ठ अहमद इन सभाओं में सम्मिलित होने से कभी न चूकता। उसका धमोर्त्साह दिनोंदिन ब़ने लगा। कभीकभी वह बाजार में ईसाइयों को जमा करके उन्हें आने वाले सुखों की शुभ सूचना देता। उसकी सूरत देखते ही शहर के भिखारी, मजदूर, गुलाम, जिनका कोई आश्रय न था, जो रातों में सड़क पर सोते थे, एकत्र हो जाते और वह उनसे कहता-'गुलामों के मुक्त होने के बदन निकट हैं, न्याय जल्द आने वाला है, धन के मतवाले चैन की नींद न सो सकेंगे। ईश्वर के राज्य में गुलामों को ताजा शराब और स्वादिष्ट फल खाने को मिलेंगे, और धनी लोग कुत्ते की भांति दुबके हुए मेज के नीचे बैठे रहेंगे और उनका जूठन खायेंगे।' यह शुभसन्देश शहर के कोनेकोने में गूंजने लगता और धनी स्वामियों को शंका होती कि कहीं उनके गुलाम उत्तेजित होकर बगावत न कर बैठें। थायस का पिता भी उससे जला करता था। वह कुत्सित भावों को गुप्त रखता। एक दिन चांदी का एक नमकदान जो देवताओं के यज्ञ के लिए अलग रखा हुआ था, चोरी हो गया। अहमद ही अपराधी ठहराया गया। अवश्य अपने स्वामी को हानि पहुंचाने और देवताओं का अपमान करने के लिए उसने यह अधर्म किया है ! चोरी को साबित करने के लिए कोई परमाण न था और अहमद पुकारपुकारकर कहता था-मुझ पर व्यर्थ ही यह दोषारोपण किया जाता है। तिस पर भी वह अदालत में खड़ा किया गया। थायस के पिता ने कहा-'यह कभी मन लगाकर काम नहीं करता।' न्यायाधीश ने उसे पराणदण्ड का हुक्म दे दिया। जब अहमद अदालत से चलने लगा तो न्यायधीश ने कहा-'तुमने अपने हाथों से अच्छी तरह काम नहीं लिया इसलिए अब यह सलीब में ठोंक दिये जायेंगे !' अहमद ने शान्तिपूर्वक फैसला सुना, दीनता से न्यायाधीश को परणाम किया और तब कारागार में बन्द कर दिया गया। उसके जीवन के केवल तीन दिन और थे और तीनों दिनों दिन यह कैदियों को उपदेश देता रहा। कहते हैं उसके उपदेशों का ऐसा असर पड़ा कि सारे कैदी और जेल के कर्मचारी मसीह की शरण में आ गये। यह उसके अविचल धमार्नुराग का फल था। चौथे दिन वह उसी स्थान पर पहुंचाया गया जहां से दो साल पहले, थायस को गोद में लिये वह बड़े आनन्द से निकला था। जब उसके हाथ सलीब पर ठोंक दिये गये, तो उसने 'उफ' तक न किया, और एक भी अपशब्द उसके मुंह से न निकला ! अन्त में बोला-'मैं प्यासा हूं ! 'वह स्वर्ग के दूत तुझे लेने को आ रहे हैं। उनका मुख कितना तेजस्वी है। वह अपने साथ फल और शराब लिये आते हैं। उनके परों से कैसी निर्मल, सुखद वायु चल रही है।' और यह कहतेकहते उसका पराणान्त हो गया। मरने पर भी उसका मुखमंडल आत्मोल्लास से उद्दीप्त हो रहा था। यहां तक कि वे सिपाही भी जो सलीब की रक्षा कर रहे थे, विस्मत हो गये। बिशप जीवन ने आकर शव का मृतकसंस्कार किया और ईसाई समुदाय ने महात्मा थियोडोर की कीर्ति को परमाज्ज्वल अक्षरों में अंकित किया। वह छोटी ही उमर में बादशाह के युवकों के साथ क्रीड़ा करने लगी। संध्या समय वह बू़े आदमियों के पीछे लग जाती और उनसे कुछन-कुछ ले मरती थी। इस भांति जो कुछ मिलता उससे मिठाइयां और खिलौने मोल लेती। पर उसकी लोभिनी माता चाहती थी कि वह जो कुछ पाये वह मुझे दे। थायस इसे न मानती थी। इसलिए उसकी माता उसे मारापीटा करती थी। माता की मार से बचने के लिए वह बहुधा घर से भाग जाती और शहरपनाह की दीवार की दरारों में वन्य जन्तुओं के साथ छिपी रहती। एक दिन उसकी माता ने इतनी निर्दयता से उसे पीटा कि वह घर से भागी और शहर के फाटक के पास चुपचाप पड़ी सिसक रही थी कि एक बुयि उसके सामने जाकर खड़ी हो गयी। वह थोड़ी देर तक मुग्धभाव से उसकी ओर ताकती रही और तब बोली-'ओ मेरी गुलाब, मेरी गुलाब, मेरी फूलसी बच्ची ! धन्य है तेरा पिता जिसने तुझे पैदा किया और धन्य है तेरी माता जिसने तुझे पाला।' थायस चुपचाप बैठी जमीन की ओर देखती रही। उसकी आंखें लाल थीं, वह रो रही थी। बुयि ने फिर कहा-'मेरी आंखों की पुतली, मुन्नी, क्या तेरी माता तुझजैसी देवकन्या को पालपोसकर आनन्द से फूल नहीं जाती, और तेरा पिता तुझे देखकर गौरव से उन्मत्त नहीं हो जाता ?' थायस ने इस तरह भुनभुनाकर उत्तर दिया, मानो मन ही में कह रही है-मेरा बाप शराब से फूला हुआ पीपा है और माता रक्त चूसने वाली जोंक है। बुयि ने दायेंबायें देखा कि कोई सुन तो नहीं रहा है, तब निस्संक होकर अत्यन्त मृदु कंठ से बोली-'अरे मेरी प्यारी आंखों की ज्योति, ओ मेरी खिली हुई गुलाब की कली, मेरे साथ चलो। क्यों इतना कष्ट सहती हो ? ऐसे मांबाप की झाड़ मारो। मेरे यहां तुम्हें नाचने और हंसने के सिवाय और कुछ न करना पड़ेगा। मैं तुम्हें शहद के रसगुल्ले खिलाऊंगी, और मेरा बेटा तुम्हें आंखों की पुतली बनाकर रखेगा। वह बड़ा सुन्दर सजीला जबान है, उसकी दा़ी पर अभी बाल भी नहीं निकले, गोरे रंग का कोमल स्वभाव का प्यारा लड़का है।' थायस ने कहा-'मैं शौक से तुम्हें साथ चलूंगी।' और उठकर बुयि के पीछे शहर के बाहर चली गयी। बुयि का नाम मीरा था। उसके पास कई लड़केलड़कियों की एक मंडली थी। उन्हें उसने नाचना, गाना, नकलें करना सिखाया था। इस मंडली को लेकर वह नगरनगर घूमती थी, और अमीरों के जलसों में उनका नाचगाना कराके अच्छा पुरस्कार लिया करती थी। उसकी चतुर आंखों ने देख लिया कि यह कोई साधारण लड़की नहीं है। उसका उठान कहे देता था कि आगे चलकर वह अत्यन्त रूपवती रमणी होगी। उसने उसे कोड़े मारकर संगीत और पिंगल की शिक्षा दी। जब सितार के तालों के साथ उसके पैर न उठते तो वह उसकी कोमल पिंडलियों में चमड़े के तस्में से मारती। उसका पुत्र जो हिजड़ा था, थायस से द्वेष रखता था, जो उसे स्त्री मात्र से था। पर वह नाचने में, नकल करने में, मनोगत भावों को संकेत, सैन, आकृति द्वारा व्यक्त करने में, परेम की घातों के दर्शाने में, अत्यन्त कुशल था। हिजड़ों में यह गुण परायः ईश्वरदत्त होते हैं। उसने थायस को यह विद्या सिखाई, खुशी से नहीं, बल्कि इसलिए कि इस तरकीब से वह जी भरकर थायस को गालियां दे सकता था। जब उसने देखा कि थायस नाचनेगाने में निपुण होती जाती है और रसिक लोग उसके नृत्यगान से जितने मुग्ध होते हैं उतना मेरे नृत्यकौशल से नहीं होते तो उसकी छाती पर सांप काटने लगा। वह उसके गालों को नोच लेता, उसके हाथपैर में चुटकियां काटता। पर उसकी जलन से थायस को लेशमात्र भी दुःख न होता था। निर्दय व्यवहार का उसे अभ्यास हो गया था। अन्तियोकस उस समय बहुत आबाद शहर था। मीरा जब इस शहर में आयी तो उसने रईसों से थायस की खूब परशंसा की। थायस का रूपलावण्य देखकर लोगों ने बड़े चाव से उसे अपनी रागरंग की मजलिसों में निमन्त्रित किया, और उसके नृत्यगान पर मोहित हो गये। शनैःशनैः यही उसका नित्य का काम हो गया! नृत्यगान समाप्त होने पर वह परायः सेठसाहूकारों के साथ नदी के किनारे, घने कुञ्जों में विहार करती। उस समय तक उसे परेम के मूल्य का ज्ञान न था, जो कोई बुलाता उसके पास जाती, मानो कोई जौहरी का लड़का धनराशि को कौड़ियों की भांति लुटा रहा हो। उसका एकएक कटाक्ष हृदय को कितना उद्विग्न कर देता है, उसका एकएक कर स्पर्श कितना रोमांचकारी होता है, यह उसके अज्ञात यौवन को विदित न था। थायस, यह मेरा परम सौभाग्य होता यदि तेरे अलकों में गुंथी हुई पुष्पमाला या तेरे कोमल शरीर का आभूषण, अथवा तेरे चरणों की पादुका मैं होता। यह मेरी परम लालसा है कि पादुका की भांति तेरे सुन्दर चरणों से कुचला जाता, मेरा परेमालिंगन तेरे सुकोमल शरीर का आभूषण और तेरी अलकराशि का पुष्प होता। सुन्दरी रमणी, मैं पराणों को हाथ में लिये तेरी भेंट करने को उत्सुक हो रहा हूं। मेरे साथ चल और हम दोनों परेम में मग्न होकर संसार को भूल जायें।' जब तक वह बोलता रहा, थायस उसकी ओर विस्मित होकर ताकती रही। उसे ज्ञात हुआ कि उसका रूप मनोहर है। अकस्मात उसे अपने माथे पर ठंडा पसीना बहता हुआ जान पड़ा। वह हरी घास की भांति आर्द्र हो गयी। उसके सिर में चक्कर आने लगे, आंखों के सामने मेघघटासी उठती हुई जान पड़ी। युवक ने फिर वही परेमाकांक्षा परकट की, लेकिन थायस ने फिर इनकार किया। उसके आतुर नेत्र, उसकी परेमयाचना बस निष्फल हुई, और जब उसने अधीर होकर उसे अपनी गोद में ले लिया और बलात खींच ले जाना चाहा तो उसने निष्ठुरता से उसे हटा दिया। तब वह उसके सामने बैठकर रोने लगा। पर उसके हृदय में एक नवीन, अज्ञात और अलक्षित चैतन्यता उदित हो गयी थी। वह अब भी दुरागरह करती रही। मेहमानों ने सुना तो बोले-'यह कैसी पगली है ? लोलस कुलीन, रूपवान, धनी है, और यह नाचने वाली युवती उसका अपमान करती हैं !' लोलस का रात घर लौटा तो परेममद तो मतवाला हो रहा था। परातःकाल वह फिर थायस के घर आया, तो उसका मुख विवर्ण और आंखें लाल थीं। उसने थायस के द्वार पर फूलों की माला च़ाई। लेकिन थायस भयभीत और अशान्त थी, और लोलस से मुंह छिपाती रहती थी। फिर भी लोलस की स्मृति एक क्षण के लिए भी उसकी आंखों से न उतरती। उसे वेदना होती थी पर वह इसका कारण न जानती थी। उसे आश्चर्य होता था कि मैं इतनी खिन्न और अन्यमनस्क क्यों हो गयी हूं। यह अन्य सब परेमियों से दूर भागती थी। उनसे उसे घृणा होती थी। उसे दिन का परकाश अच्छा न लगता, सारे दिन अकेले बिछावन पर पड़ी, तकिये में मुंह छिपाये रोया करती। लोलस कई बार किसीन-किसी युक्ति से उसके पास पहुंचा, पर उसका परेमागरह, रोनाधोना, एक भी उसे न पिघला सका। उसके सामने वह ताक न सकती, केवल यही कहती-'नहीं, नहीं।' लेकिन एक पक्ष के बाद उसकी जिद्द जाती रही। उसे ज्ञात हुआ कि मैं लोलस के परेमपाश में फंस गयी हूं। वह उसके घर गयी और उसके साथ रहने लगी। अब उनके आनन्द की सीमा न थी। दिन भर एकदूसरे से आंखें मिलाये बैठे परेमलाप किया करते। संध्या को नदी के नीरव निर्जन तट पर हाथमें-हाथ डाले टहलते। कभीकभी अरुणोदय के समय उठकर पहाड़ियों पर सम्बुल के फूल बटोरने चले जाते। उनकी थाली एक थी। प्याला एक था, मेज एक थी। लोलस उसके मुंह के अंगूर निकालकर अपने मुंह में खा जाता। तब मीरा लोलस के पास आकर रोनेपीटने लगी कि मेरी थायस को छोड़ दो। वह मेरी बेटी है, मेरी आंखों की पुतली ! मैंने इसी उदर से उसे निकाल, इस गोद में उसका लालनपालन किया और अब तू उसे मेरी गोद से छीन लेना चाहता है। लोलस ने उसे परचुर धन देकर विदा किया, लेकिन जब वह धनतृष्णा से लोलुप होकर फिर आयी तो लोलस ने उसे कैद करा दिया। न्यायाधिकारियों को ज्ञात हुआ कि वह कुटनी है, भोली लड़कियों को बहका ले जाना ही उसका उद्यम है तो उसे पराणदण्ड दे दिया और वह जंगली जानवरों के सामने फेंक दी गई। लोलस अपनी अखंड, सम्पूर्ण कामना से थायस को प्यार करता था। उसकी परेम कल्पना ने विराट रूप धारण कर लिया था, जिससे उसकी किशोर चेतना सशंक हो जाती थी। थायस अन्तःकरण से कहती-'मैंने तुम्हारे सिवाय और किसी से परेम नहीं किया।' लोलस जवाब देता-'तुम संसार में अद्वितीय हो।' दोनों पर छः महीने तक यह नशा सवार रहा। अन्त में टूट गया। थायस को ऐसा जान पड़ता कि मेरा हृदय शून्य और निर्जन है। वहां से कोई चीज गायब हो गयी है। लोलस उसकी दृष्टि में कुछ और मालूम होता था। वह सोचती-मुझमें सहसा यह अन्तर क्यों हो गया ? यह क्या बात है कि लोलस अब और मनुष्यों कासा हो गया है, अपनासा नहीं रहा ? मुझे क्या हो गया है ? यह दशा उसे असह्य परतीत होने लगी। अखण्ड परेम के आस्वादन के बाद अब यह नीरस, शुष्क व्यापार उसकी तृष्णा को तृप्त न कर सका। वह अपने खोये हुए लोलस को किसी अन्य पराणी में खोजने की गुप्त इच्छा को हृदय में छिपाये हुए, लोलस के पास से चली गयी। उसने सोचा परेम रहने पर भी किसी पुरुष के साथ रहना। उस आदमी के साथ रहने से कहीं सुखकर है जिससे अब परेम नहीं रहा। वह फिर नगर के विषयभोगियों के साथ उन धमोर्त्सवों में जाने लगी जहां वस्त्रहीन युवतियां मन्दिरों में नृत्य किया करती थीं, या जहां वेश्याओं के गोलके-गोल नदी में तैरा करते थे। वह उस विलासपिरय और रंगीले नगर के रागरंग में दिल खोलकर भाग लेने लगी। वह नित्य रंगशालाओं में आती जहां चतुर गवैये और नर्तक देशदेशान्तरों से आकर अपने करतब दिखाते थे और उत्तेजना के भूखे दर्शकवृन्द वाहवाह की ध्वनि से आसमान सिर पर उठा लेते थे। थायस गायकों, अभिनेताओं, विशेषतः उन स्त्रियों के चालाल को बड़े ध्यान से देखा करती थी जो दुःखान्त नाटकों में मनुष्य से परेम करने वाली देवियों या देवताओं से परेम करने वाली स्त्रियों का अभिनय करती थीं। शीघर ही उसे वह लटके मालूम हो गये, जिनके द्वारा वह पात्राएं दर्शकों का मन हर लेती थीं, और उसने सोचा, क्या मैं जो उन सबों से रूपवती हूं, ऐसा ही अभिनय करके दर्शकों को परसन्न नहीं कर सकती? वह रंगशाला व्यवस्थापक के पास गयी और उससे कहा कि मुझे भी इस नाट्यमंडली में सम्मिलित कर लीजिए। उसके सौन्दर्य ने उसकी पूर्वशिक्षा के साथ मिलकर उसकी सिफारिश की। व्यवस्थापक ने उसकी परार्थना स्वीकार कर ली। और वह पहली बार रंगमंच पर आयी। पहले दर्शकों ने उसका बहुत आशाजनक स्वागत न किया। एक तो वह इस काम में अभ्यस्त न थी, दूसरे उसकी परशंसा के पुल बांधकर जनता को पहले ही से उत्सुक न बनाया गया था। लेकिन कुछ दिनों तक गौण चरित्रों का पार्ट खेलने के बाद उसके यौवन ने वह हाथपांव निकाले कि सारा नगर लोटपोट हो गया। रंगशाला में कहीं तिल रखने भर की जगह न बचती। नगर के बड़ेबड़े हाकिम, रईस, अमीर, लोकमत के परभाव से रंगशाला में आने पर मजबूर हुए। शहर के चौकीदार, पल्लेदार, मेहतर, घाट के मजदूर, दिनदिन भर उपवास करते थे कि अपनी जगह सुरक्षित करा लें। कविजन उसकी परशंसा में कवित्त कहते। लम्बी दायिों वाले विज्ञानशास्त्री व्यायामशालाओं में उसकी निन्दा और उपेक्षा करते। जब उसका तामझाम सड़क पर से निकलता तो ईसाई पादरी मुंह फेर लेते थे। उसके द्वार की चौखट पुष्पमालाओं से की रहती थी। अपने परेमियों से उसे इतना अतुल धन मिलता कि उसे गिनना मुश्किल था। तराजू पर तौल लिया जाता था। कृपण बू़ों की संगरह की हुई समस्त सम्पत्ति उसके ऊपर कौड़ियों की भांति लुटाई जाती थी। पर उसे गर्व न था। ऐंठ न थी। देवताओं की कृपादृष्टि और जनता की परशंसाध्वनि से उसके हृदय को गौरवयुक्त आनन्द होता था। सबकी प्यारी बनकर वह अपने को प्यार करने लगी थी। कई वर्ष तक ऐन्टिओकवासियों के परेम और परशंसा का सुख उठाने के बाद उसके मन में परबल उत्कंठा हुई कि इस्कन्द्रिया चलूं और उस नगर में अपना ठाटबाट दिखाऊं, जहां बचपन में मैं नंगी और भूखी, दरिद्र और दुर्बल, सड़कों पर मारीमारी फिरती थी और गलियों की खाक छानती थी। इस्कन्द्रियां आंखें बिछाये उसकी राह देखता था। उसने बड़े हर्ष से उसका स्वागत किया और उस पर मोती बरसाये। वह क्रीड़ाभूमि में आती तो धूम मच जाती। परेमियों और विलासियों के मारे उसे सांस न मिलती, पर वह किसी को मुंह न लगाती। दूसरा, लोलस उसे जब न मिला तो उसने उसकी चिन्ता ही छोड़ दी। उस स्वर्गसुख की अब उसे आशा न थी। उसके अन्य परेमियों में तत्त्वज्ञानी निसियास भी था जो विरक्त होने का दावा करने पर भी उसके परेम का इच्छुक था। वह धनवान था पर अन्य धनपतियों की भांति अभिमानी और मन्दबुद्धि न था। उसके स्वभाव में विनय और सौहार्द की आभा झलकती थी, किन्तु उसका मधुरहास्य और मृदुकल्पनाएं उसे रिझाने में सफल न होतीं। उसे निसियास से परेम न था, कभीकभी उसके सुभाषितों से उसे चि होती थी। उसके शंकावाद से उसका चित्त व्यगर हो जाता था, क्योंकि निसियास की श्रद्घा किसी पर न थी और थायस की श्रद्घा सभी पर थी। वह ईश्वर पर, भूतपरेतों पर जादूटोने पर, जन्त्रमन्त्र पर पूरा विश्वास करती थी। उसकी भक्ति परभु मसीह पर भी थी, स्याम वालों की पुनीता देवी पर भी उसे विश्वास था कि रात को जब अमुक परेत गलियों में निकलता है तो कुतियां भूंकती हैं। मारण, उच्चाटन, वशीकरण के विधानों पर और शक्ति पर उसे अटल विश्वास था। उसका चित्त अज्ञात न लिए उत्सुक रहता था। वह देवताओं की मनौतियां करती थी और सदैव शुभाशाओं में मग्न रहती थी भविष्य से यह शंका रहती थी, फिर भी उसे जानना चाहती थी। उसके यहां, ओझे, सयाने, तांत्रिक, मन्त्र जगाने वाले, हाथ देखने वाले जमा रहते थे। वह उनके हाथों नित्य धोखा खाती पर सतर्क न होती थी। वह मौत से डरती थी और उससे सतर्क रहती थी। सुखभोग के समय भी उसे भय होता था कि कोई निर्दय कठोर हाथ उसका गला दबाने के लिए ब़ा आता है और वह चिल्ला उठती थी। निसियास कहता था-'पिरये, एक ही बात है, चाहे हम रुग्ण और जर्जर होकर महारात्रि की गोद में समा जायें, अथवा यहीं बैठे, आनन्दभोग करते, हंसतेखेलते, संसार से परस्थान कर जायें। जीवन का उद्देश्य सुखभोग है। आओ जीवन की बाहार लूटें। परेम से हमारा जीवन सफल हो जायेगा। इन्द्रियों द्वारा पराप्त ज्ञान ही यथार्थ ज्ञान है। इसके सिवाय सब मिथ्या के लिए अपने जीवन सुख में क्यों बाधा डालें ?' थायस सरोष होकर उत्तर देती-'तुम जैसे मनुष्यों से भगवान बचाये, जिन्हें कोई आशा नहीं, कोई भय नहीं। मैं परकाश चाहती हूं, जिससे मेरा अन्तःकरण चमक उठे।' जीवन के रहस्य को समझने के लिए उसे दर्शनगरन्थों को पॄना शुरू किया, पर वह उसकी समझ में न आये। ज्योंज्यों बाल्यावस्था उससे दूर होती जाती थी, त्योंत्यों उसकी याद उसे विकल करती थी। उसे रातों को भेष बदलकर उन सड़कों, गलियों, चौराहों पर घूमना बहुत पिरय मालूम होता जहां उसका बचपन इतने दुःख से कटा था। उसे अपने मातापिता के मरने का दुःख होता था, इस कारण और भी कि वह उन्हें प्यार न कर सकी थी। जब किसी ईसाई पूजक से उसकी भेंट हो जाती तो उसे अपना बपतिस्मा याद आता और चित्त अशान्त हो जाता। एक रात को वह एक लम्बा लबादा ओ़े, सुन्दर केशों को एक काले टोप से छिपाये, शहर के बाहर विचर रही थी कि सहसा वह एक गिरजाघर के सामने पहुंच गयी। उसे याद आया, मैंने इसे पहले भी देखा है। कुछ लोग अन्दर गा रहे थे और दीवार की दरारों से उज्ज्वल परकाशरेखाएं बाहर झांक रही थीं। इसमें कोई नवीन बात न थी, क्योंकि इधर लगभग बीस वर्षों से ईसाईधर्म में को विघ्नबाधा न थी, ईसाई लोग निरापद रूप से अपने धमोर्त्सव करते थे। लेकिन इन भजनों में इतनी अनुरक्ति, करुण स्वर्गध्वनि थी, जो मर्मस्थल में चुटकियां लेती हुई जान पड़ती थीं। थायस अन्तःकरण के वशीभूत होकर इस तरह द्वार, खोलकर भीतर घुस गयी मानो किसी ने उसे बुलाया है। वहां उसे बाल, वृद्ध, नरनारियों का एक बड़ा समूह एक समाधि के सामने सिजदा करता हुआ दिखाई दिया। यह कबर केवल पत्थर की एक ताबूत थी, जिस पर अंगूर के गुच्छों और बेलों के आकार बने हुए थे। पर उस पर लोगों की असीम श्रद्घा थी। वह खजूर की टहनियों और गुलाब की पुष्पमालाओं से की हुई थी। चारों तरफ दीपक जल रहे थे और उसके मलिन परकाश में लोबान, ऊद आदि का धुआं स्वर्गदूतों के वस्त्रों की तहोंसा दीखता था, और दीवार के चित्र स्वर्ग के दृश्यों केसे। कई श्वेत वस्त्रधारी पादरी कबर के पैरों पर पेट के बल पड़े हुए थे। उनके भजन दुःख के आनन्द को परकट करते थे और अपने शोकोल्लास में दुःख और सुख, हर्ष और शोक का ऐसा समावेश कर रहे थे कि थायस को उनके सुनने से जीवन के सुख और मृत्यु के भय, एक साथ ही किसी जलस्त्रोत की भांति अपनी सचिन्तस्नायुओं में बहते हुए जान पड़े। जब गाना बन्द हुआ तो भक्तजन उठे और एक कतार मंें कबर के पास जाकर उसे चूमा। यह सामान्य पराणी थे; जो मजूरी करके निवार्ह करते थे। क्या ही धीरेधीरे पग उठाते, आंखों में आंसू भरे, सिर झुकाये, वे आगे ब़ते और बारीबारी से कबर की परिक्रमा करते थे। स्त्रियों ने अपने बालकों को गोद में उठाकर कबर पर उनके होंठ रख दिये। थायस ने विस्मित और चिन्तित होकर एक पादरी से पूछा-'पूज्य पिता, यह कैसा समारोह है ?' पादरी ने उत्तर दिया-'क्या तुम्हें नहीं मालूम कि हम आज सन्त थियोडोर की जयन्ती मना रहे हैं ? उनका जीवन पवित्र था। उन्होंने अपने को धर्म की बलिवेदी पर च़ा दिया, और इसीलिए हम श्वेत वस्त्र पहनकर उनकी समाधि पर लाल गुलाब के फूल च़ाने आये हैं।' यह सुनते ही थायस घुटनों के बल बैठ गयी और जोर से रो पड़ी। अहमद की अर्धविस्मृत स्मृतियां जागरत हो गयीं। उस दीन, दुखी, अभागे पराणी की कीर्ति कितनी उज्ज्वल है ! उसके नाम पर दीपक जलते हैं, गुलाब की लपटें आती हैं, हवन के सुगन्धित धुएं उठते हैं, मीठे स्वरों का नाद होता है और पवित्र आत्माएं मस्तक झुकाती हैं। थायस ने सोचा-अपने जीवन में वह पुष्यात्मा था, पर अब वह पूज्य और उपास्य हो गया हैं ! वह अन्य पराणियों की अपेक्षा क्यों इतना श्रद्घास्पद है ? वह कौनसी अज्ञात वस्तु है जो धन और भोग से भी बहुमूल्य है ? वह आहिस्ता से उठी और उस सन्त की समाधि की ओर चली जिसने उसे गोद में खेलाया था। उसकी अपूर्व आंखों में भरे हुए अश्रुबिन्दु दीपक के आलोक में चमक रहे थे। तब वह सिर झुकाकर, दीनभाव से कबर के पास गयी और उस पर अपने अधरों से अपनी हार्दिक श्रद्घा अंकित कर दी-उन्हीं अधरों से जो अगणित तृष्णाओं का क्रीड़ाक्षेत्र थे ! जब वह घर आयी तो निसियास को बाल संवारे, वस्त्रों मंें सुगन्ध मले, कबा के बन्द खोले बैठे देखा। वह उसके इन्तजार में समय काटने के लिए एक नीतिगरंथ पॄ रहा था। उसे देखते ही वह बांहें खोले उसकी ब़ा और मृदुहास्य से बोला-'कहां गयी थीं, चंचला देवी ? तुम जानती हो तुम्हारे इन्तजार में बैठा हुआ, मैं इस नीतिगरंथ में क्या पॄ रहा था?' नीति के वाक्य और शुद्घाचरण के उपदेश ?' 'कदापि नहीं। गरंथ के पन्नों पर अक्षरों की जगह अगणित छोटीछोटी थायसें नृत्य कर रही थीं। उनमें से एक भी मेरी उंगली से बड़ी न थी, पर उनकी छवि अपार थी और सब एक ही थायस का परतिबिम्ब थीं। कोई तो रत्नजड़ित वस्त्र पहने अकड़ती हुई चलती थी, कोई श्वेत मेघसमूह के सदृश्य स्वच्छ आवरण धारण किये हुए थी; कोई ऐसी भी थीं जिनकी नग्नता हृदय में वासना का संचार करती थी। सबके पीछे दो, एक ही रंगरूप की थीं। इतनी अनुरूप कि उनमें भेद करना कठिन था। दोनों हाथमें-हाथ मिलाये हुए थीं, दोनों ही हंसती थीं। पहली कहती थी-मैं परेम हूं। दूसरी कहती थी-मैं नृत्य हूं।' यह कहकर निसियास ने थायस को अपने करपाश में खींच लिया। थायस की आंखें झुकी हुई थीं। निसियास को यह ज्ञान न हो सका कि उनमें कितना रोष भरा हुआ है। वह इसी भांति सूक्तियों की वर्षा करता रहा, इस बात से बेखबर कि थायस का ध्यान ही इधर नहीं है। वह कह रहा था-'जब मेरी आंखों के सामने यह शब्द आये-अपनी आत्मशुद्धि के मार्ग में कोई बाधा मत आने दो, तो मैंने पॄा 'थायस के अधरस्पर्श अग्नि से दाहक और मधु से मधुर हैं।' इसी भांति एक पण्डित दूसरे पण्डितों के विचारों को उलटपलट देता है; और यह तुम्हारा ही दोष है। यह सर्वथा सत्य है कि जब तक हम वही हैं जो हैं, तब तक हम दूसरों के विचारों में अपने ही विचारों की झलक देखते रहेंगे।' वह अब भी इधर मुखातिब न हुई। उसकी आत्मा अभी तक हब्शी की कबर के सामने झुकी हुई थी। सहसा उसे आह भरते देखकर उसने उसकी गर्दन का चुम्बन कर लिया और बोला-'पिरये, संसार में सुख नहीं है जब तक हम संसार को भूल न जायें। आओ, हम संसार से छल करें, छल करके उससे सुख लें-परेम में सबकुछ भूल जायें।' लेकिन उसने उसे पीछे हटा दिया और व्यथित होकर बोली-'तुम परेम का मर्म नहीं जानते ! तुमने कभी किसी से परेम नहीं किया। मैं तुम्हें नहीं चाहती, जरा भी नहीं चाहती। यहां से चले जाओ, मुझे तुमसे घृणा होती है। अभी चले जाओ, मुझे तुम्हारी सूरत से नफरत है। मुझे उन सब पराणियों से घृणा है, धनी है, आनन्दभोगी हैं। जाओ, जाओ। दया और परेम उन्हीं में है जो अभागे हैं। जब मैं छोटी थी तो मेरे यहां एक हब्शी था जिसने सलीब पर जान दी। वह सज्जन था, वह जीवन के रहस्यों को जानता था। तुम उसके चरण धोने योग्य भी नहीं हो। चले जाओ। तुम्हारा स्त्रियों कासा शृंगार मुझे एक आंख नहीं भाता। फिर मुझे अपनी सूरत मत दिखाना।' यह कहतेकहते वह फर्श पर मुंह के बल गिर पड़ी और सारी रात रोकर काटी। उसने संकल्प किया कि मैं सन्त थियोडोर की भांति और दरिद्र दशा में जीवन व्यतीत करुंगी। दूसरे दिन वह फिर उन्हीं वासनाओं में लिप्त हो गयी जिनकी उसे चाट पड़ गयी थी। वह जानती थी कि उसकी रूपशोभा अभी पूरे तेज पर है, पर स्थायी नहीं इसीलिए इसके द्वारा जितना सुख और जितनी ख्याति पराप्त हो सकती थी उसे पराप्त करने के लिए वह अधीर हो उठी। थियेटर में वह पहले की अपेक्षा और देर तक बैठकर पुस्तकावलोकन किया करती। वह कवियों, मूर्तिकारों और चित्रकारों की कल्पनाओं को सजीव बना देती थी, विद्वानों और तत्त्वज्ञानियों को उसकी गति, अगंविन्यास और उस पराकृतिक माधुर्य की झलक नजर आती थी जो समस्त संसार में व्यापक है और उनके विचार में ऐसी अर्पूव शोभा स्वयं एक पवित्र वस्तु थी। दीन, दरिद्र, मूर्ख लोग उसे एक स्वगीर्य पदार्थ समझते थे। कोई किसी रूप में उसकी उपासना करता था, कोई किसी रूप में। कोई उसे भोग्य समझता था, कोई स्तुत्य और कोई पूज्य। किन्तु इस परेम, भक्ति और श्रद्घा की पात्रा होकर भी वह दुःखी थी, मृत्यु की शंका उसे अब और भी अधिक होने लगी। किसी वस्तु से उसे इस शंका से निवृत्ति न होती। उसका विशाल भवन और उपवन भी, जिनकी शोभा अकथनीय थी और जो समस्त नगर में जनश्रुति बने हुए थे, उसे आश्वस्त करने में असफल थे। इस उपवन में ईरान और हिन्दुस्तान के वृक्ष थे, जिनके लाने और पालने में अपरिमित धन व्यय हुआ था। उनकी सिंचाई के लिए एक निर्मल जल धारा बहायी गयी थी। समीप ही एक झील बनी हुई थी। जिसमें एक कुशल कलाकार के हाथों सजाये हुए स्तम्भचिह्नों और कृत्रिम पहाड़ियों तक तट पर की सुन्दर मूर्तियों का परतिबिम्ब दिखाई देता था। उपवन के मध्य में 'परियों का कुंज' था। यह नाम इसलिए पड़ा था कि उस भवन के द्वार पर तीन पूरे कद की स्त्रियों की मूर्तियां खड़ी थीं। वह सशंक होकर पीछे ताक रही थीं कि कोई देखता न हो। मूर्तिकार ने उनकी चितवनों द्वारा मूर्तियों में जान डाल दी थी। भवन में जो परकाश आता था वह पानी की पतली चादरों से छनकर मद्धिम और रंगीन हो जाता था। दीवारों पर भांतिभांति की झालरें, मालाएं और चित्र लटके हुए थे। बीच में एक हाथीदांत की परम मनोहर मूर्ति थी जो निसियास ने भेंट की थी। एक तिपाई पर एक काले ष्पााण की बकरी की मूर्ति थी, जिसकी आंखें नीलम की बनी हुई थीं। उसके थनों को घेरे हुए छः चीनी के बच्चे खड़े थे, लेकिन बकरी अपने फटे हुए खुर उठाकर ऊपर की पहाड़ी पर उचक जाना चाहती थी। फर्श पर ईरानी कालीनें बिछी हुई थीं, मसनदों पर कैथे के बने हुए सुनहरे बेलबूटे थे। सोने के धूपदान से सुगन्धित धुएं उठ रहे थे, और बड़ेबड़े चीनी गमलों में फूलों से लदे हुए पौधे सजाये हुए थे। सिरे पर, ऊदी छाया में, एक बड़े हिन्दुस्तानी कछुए के सुनहरे नख चमक रहे थे जो पेट के बल उलट दिया गया था। यही थायस का शयनागार था। इसी कछुए के पेट पर लेटी हुई वह इस सुगन्ध और सजावट और सुषमा का आनन्द उठाती थी, मित्रों से बातचीत करती थी और या तो अभिनयकला का मनन करती थी, या बीते हुए दिनों का। तीसरा पहर था। थायस परियों के कुंज में शयन कर रही थी। उसने आईने में अपने सौन्दर्य की अवनति के परथम चिह्न देखे थे, और उसे इस विचार से पीड़ा हो रही थी कि झुर्रियों और श्वेत बालों का आक्रमण होने वाला है उसने इस विचार से अपने को आश्वासन देने की विफल चेष्टा की कि मैं जड़ीबूटियों के हवन करके मंत्रों द्वारा अपने वर्ण की कोमलता को फिर से पराप्त कर लूंगी। उसके कानों में इन शब्दों की निर्दय ध्वनि आयी-'थायस, तू बुयि हो जायेगी !' भय से उसके माथे पर ठण्डाठण्डा पसीना आ गया। तब उसने पुनः अपने को संभालकर आईने में देखा और उसे ज्ञात हुआ कि मैं अब भी परम सुन्दरी और परेयसी बनने के योग्य हूं। उसने पुलकित मन से मुस्कराकर मन में कहा-आज भी इस्कन्द्रिया में काई ऐसी रमणी नहीं है जो अंगों की चपलता और लचक में मुझसे टक्कर ले सके। मेरी बांहों की शोभा अब भी हृदय को खींच सकती है, यथार्थ में यही परेम का पाश है ! वह इसी विचार में मग्न थी कि उसने एक अपरिचित मनुष्य को अपने सामने आते देखा। उसकी आंखों में ज्वाला थी, दा़ी ब़ी हुई थी और वस्त्र बहुमूल्य थे। उसके हाथ में आईना छूटकर गिर पड़ा और वह भय से चीख उठी। पापनाशी स्तम्भित हो गया। उसका अपूर्व सौन्दर्य देखकर उसने शुद्ध अन्तःकरण से परार्थना की-भगवान मुझे ऐसी शक्ति दीजिए कि इस स्त्री का मुख मुझे लुब्ध न करे, वरन तेरे इस दास की परतिज्ञा को और भी दृ़ करे। तब अपने को संभालकर वह बोला-'थायस, मैं एक दूर देश में रहता हूं, तेरे सौन्दर्य की परशंसा सुनकर तेरे पास आया हूं। मैंने सुना था तुमसे चतुर अभिनेत्री और तुमसे मुग्धकर स्त्री संसार में नहीं है। तुम्हारे परेमरहस्यों और तुम्हारे धन के विषय में जो कुछ कहा जाता है वह आश्चर्यजनक है, और उससे 'रोडोप' की कथा याद आती है, जिसकी कीर्ति को नील के मांझी नित्य गाया करते हैं। इसलिए मुझे भी तुम्हारे दर्शनों की अभिलाषा हुई और अब मैं देखता हूं कि परत्यक्ष सुनीसुनाई बातों से कहीं ब़कर है। जितना मशहूर है उससे तुम हजार गुना चतुर और मोहिनी हो। वास्तव में तुम्हारे सामने बिना मतवालों की भांति डगमगाये आना असम्भव है।' यह शब्द कृत्रिम थे, किन्तु योगी ने पवित्र भक्ति से परभावित होकर सच्चे जोश से उनका उच्चारण किया। थायस ने परसन्न होकर इस विचित्र पराणी की ओर ताका जिससे वह पहले भयभीत हो गयी थी। उसके अभद्र और उद्दण्ड वेश ने उसे विस्मित कर दिया। उसे अब तक जितने मनुष्य मिले थे, यह उन सबों से निराला था। उसके मन में ऐसे अद्भुत पराणी के जीवनवृत्तान्त जानने की परबल उत्कंठा हुई। उसने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा-'महाशय, आप परेमपरदर्शन में बड़े कुशल मालूम होते हैं। होशियार रहियेगा कि मेरी चितबनें आपके हृदय के पार न हो जायें। मेरे परेम के मैदान में जरा संभलकर कदम रखियेगा।' पापनाशी बोला-'थामस, मुझे तुमसे अगाध परेम है। तुम मुझे जीवन और आत्मा से भी पिरय हो। तुम्हारे लिए मैंने अपना वन्यजीवन छोड़ा है, तुम्हारे लिए मेरे होंठों से, जिन्होंने मौनवरत धारण किया था, अपवित्र शब्द निकले हैं। तुम्हारे लिए मैंने वह देखा जो न देखना चाहिए था, वह सुना है जो मेरे लिए वर्जित था। तुम्हारे लिए मेरी आत्मा तड़प रही है, मेरा हृदय अधीर हो रहा है और जलस्त्रोत की भांति विचार की धाराएं परवाहित हो रही हैं। तुम्हारे लिए मैं अपने नंगे पैर सर्पों और बिच्छुओं पर रखते हुए भी नहीं हिचका हूं। अब तुम्हें मालूम हो गया होगा कि मुझे तुमसे कितना परेम है। लेकिन मेरा परेम उन मनुष्यों कासा नहीं है जो वासना की अग्नि से जलते हुए तुम्हारे पास जीवभक्षी व्याघरों की, और उन्मत्त सांड़ों की भांति दौड़े आते हैं। उनका वही परेम होता है जो सिंह को मृगशावक से। उनकी पाशविक कामलिप्सा तुम्हारी आत्मा को भी भस्मीभूत कर डालेगी। मेरा परेम पवित्र है, अनन्त है, स्थायी है। मैं तुमसे ईश्वर के नाम पर, सत्य के नाम पर परेम करता हूं। मेरा हृदय पतितोद्घार और ईश्वरीय दया के भाव से परिपूर्ण है। मैं तुम्हें फलों से की हुई शराब की मस्ती से और एक अल्परात्रि के सुखस्वप्न से कहीं उत्तम पदार्थों का वचन देने आया हूं। मैं तुम्हें महापरसाद और सुधारसपान का निमन्त्रण देने आया हूं। मैं तुम्हें उस आनन्द का सुखसंवाद सुनाने आया हूं जो नित्य, अमर, अखण्ड है। मृत्युलोक के पराणी यदि उसको देख लें तो आश्चर्य से भर जायें।' थायस ने कुटिल हास्य करके उत्तर दिया-'मित्र, यदि वह ऐसा अद्भुत परेम है तो तुरन्त दिखा दो। एक क्षण भी विलम्ब न करो। लम्बीलम्बी वक्तृताओं से मेरे सौन्दर्य का अपमान होगा। मैं आनन्द का स्वाद उठाने के लिए रो रही हूं। किन्तु जो मेरे दिल की बात पूछो, तो मुझे इस कोरी परशंसा के सिवा और कुछ हाथ न आयेगा। वादे करना आसान है; उन्हें पूरा करना मुश्किल है। सभी मनष्यों में कोईन-कोई गुण विशेष होता है। ऐसा मालूम होता है कि तुम वाणी में निपुण हो। तुम एक अज्ञात परेम का वचन देते हो। मुझे यह व्यापार करते इतने दिन हो गये और उसका इतना अनुभव हो गया है कि अब उसमें किसी नवीनता की किसी रहस्य की आशा नहीं रही। इस विषय का ज्ञान परेमियों को दार्शनिकों से अधिक होता है।' 'थायस, दिल्लगी की बात नहीं है, मैं तुम्हारे लिए अछूता परेम लाया हूं।' 'मित्र, तुम बहुत देर में आये। मैं सभी परकार के परेमों का स्वाद ले चुकी हूं।' 'मैं जो परेम लाया हूं, वह उज्ज्वल है, श्रेय है! तुम्हें जिस परेम का अनुभव हुआ है वह निंद्य और त्याज्य है।' थायस ने गर्व से गर्दन उठाकर कहा-'मित्र, तुम मुंहफट जान पड़ते हो। तुम्हें गृहस्वामिनी के परति मुख से ऐसे शब्द निकालने में जरा भी संकोच नहीं होता ? मेरी ओर आंख उठाकर देखो और तब बताओ कि मेरा स्वरूप निन्दित और पतित पराणियों ही कासा है। नहीं, मैं अपने कृत्यों पर लज्जित नहीं हूं। अन्य स्त्रियां भी, जिनका जीवन मेरे ही जैसा है, अपने को नीच और पतित नहीं समझतीं, यद्यपि, उनके पास न इतना धन है और न इतना रूप। सुख मेरे पैरों के नीचे आंखें बिछाये रहता है, इसे सारा जगत जानता है। मैं संसार के मुकुटधारियों को पैर की धूलि समझती हूं। उन सबों ने इन्हीं पैरों पर शीश नवाये हैं। आंखें उठाओ। मेरे पैरों की ओर देखो। लाखों पराणी उनका चुम्बन करने के लिए अपने पराण भेंट कर देंगे। मेरा डीलडौल बहुत बड़ा नहीं है, मेरे लिए पृथ्वी पर बहुत स्थान की जरूरत नहीं। जो लोग मुझे देवमन्दिर के शिखर पर से देखते हैं, उन्हें मैं बालू के कण के समान दीखती हूं, पर इस कण ने मनुष्यों में जितनी ईष्यार्, जितना द्वेष, जितनी निराशा, जितनी अभिलाषा और जितने पापों का संचार किया है उनके बोझ से अटल पर्वत भी दब जायेगा। जब मेरी कीर्ति समस्त संसार में परसारित हो रही है तो तुम्हारी लज्जा और निद्रा की बात करना पागलपन नहीं तो और क्या है ?' पापनाशी ने अविचलित भाव से उत्तर दिया-'सुन्दरी, यह तुम्हारी भूल है। मनुष्य जिस बात की सराहना करते हैं वह ईश्वर की दृष्टि में पाप है। हमने इतने भिन्नभिन्न देशों में जन्म लिया है कि यदि हमारी भाषा और विचार अनुरूप न हों तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। लेकिन मैं ईश्वर को साक्षी देकर कहता हूं कि मैं तुम्हारे पास से जाना नहीं चाहता। कौन मेरे मुख में ऐसे आग्नेय शब्दों को परेरित करेगा जो तुम्हें मोम की भांति पिघला दें कि मेरी उंगलियां तुम्हें अपनी इच्छा के अनुसार रूप दे सकें ? ओ नारीरत्न ! यह कौनसी शक्ति है जो तुम्हें मेरे हाथों में सौंप देगी कि मेरे अन्तःकरण में निहित सद्परेरणा तुम्हारा पुनसरंस्कार करके तुम्हें ऐसा नया और परिष्कृत सौन्दर्य परदान करे कि तुम आनन्द से विह्वल हो पुकार उठो, मेरा फिर से नया संस्कार हुआ ? कौन मेरे हृदय में उस सुधास्त्रोत को परवाहित करेगा कि तुम उसमें नहाकर फिर अपनी मौलिक पवित्रता लाभ कर सको ? कौन मुझे मर्दन की निर्मल धारा में परिवर्तित कर देगा जिसकी लहरों का स्पर्श तुम्हें अनन्त सौन्दर्य से विभूषित कर दे ?' थायस का क्रोध शान्त हो गया। उसने सोचा-यह पुरुष अनन्त जीवन के रहस्यों में परिचित है, और जो कुछ वह कह सकता है उसमें ऋषिवाक्यों कीसी परतिभा है। यह अवश्य कोई कीमियागर है और ऐसे गुप्तमन्त्र जानता है जो जीर्णावस्था का निवारण कर सकते हैं। उसने अपनी देह को उसकी इच्छाओं को समर्पित करने का निश्चय कर लिया। वह एक सशंक पक्षी की भांति कई कदम पीछे हट गयी और अपने पलंग पट्टी पर बैठकर उसकी परतीक्षा करने लगी। उसकी आंखें झुकी हुई थीं और लम्बी पलकों की मलिन छाया कपालों पर पड़ रही थी। ऐसा जान पड़ता था कि कोई बालक नदी के किनारे बैठा हुआ किसी विचार में मग्न है। किन्तु पापनाशी केवल उसकी ओर टकटकी लगाये ताकता रहा, अपनी जगह से जौ भर भी न हिला। उसके घुटने थरथरा रहे थे और मालूम होता था कि वे उसे संभाल न सकेंगे। उसका तालू सूख गया था, कानों में तीवर भनभनाहट की आवाज आने लगी। अकस्मात उसकी आंखों के सामने अन्धकार छा गया, मानो समस्त भवन मेघाच्छादित हो गया है। उसे ऐसा भाषित हुआ कि परभु मसीह ने इस स्त्री को छिपाने के निमित्त उसकी आंखों पर परदा डाल दिया है। इस गुप्त करावलम्ब से आश्वस्त और सशक्त होकर उसने ऐसे गम्भीर भाव से कहा जो किसी वृद्ध तपस्वी के यथायोग्य था-क्या तुम समझती हो कि तुम्हारा यह आत्महनन ईश्वर की निगाहों से छिपा हुआ है ?' उसने सिर हिलाकर कहा-'ईश्वर ? ईश्वर से कौन कहता है कि सदैव परियों के कुंज पर आंखें जमाये रखे ? यदि हमारे काम उसे नहीं भाते तो वह यहां से चला क्यों नहीं जाता ? लेकिन हमारे कर्म उसे बुरे लगते ही क्यों हैं ? उसी ने हमारी सृष्टि की है। जैसा उसने बनाया है वैसे ही हम हैं। जैसी वृत्तियां उसने हमें दी हैं उसी के अनुसार हम आचरण करते हैं ! फिर उसे हमसे रुष्ट होने का, अथवा विस्मित होने का क्या अधिकार है ? उसकी तरफ से लोग बहुतसी मनग़न्त बातें किया करते हैं और उसको ऐसेऐसे विचारों का श्रेय देते हैं जो उसके मन में कभी न थे। तुमको उसके मन की बातें जानने का दावा है। तुमको उसके चरित्र का यथार्थ ज्ञान है। तुम कौन हो कि उसके वकील बनकर मुझे ऐसीऐसी आशाएं दिलाते हो ?' पापनाशी ने मंगनी के बहुमूल्य वस्त्र उतारकर नीचे का मोटा कुरता दिखाते हुए कहा-'मैं धमार्श्रम का योगी हूं। मेरा नाम पापनाशी है। मैं उसी पवित्र तपोभूमि से आ रहा हूं। ईश्वर की आज्ञा से मैं एकान्तसेवन करता हूं। मैंने संसार से और संसार के पराणियों से मुंह मोड़ लिया था। इस पापमय संसार में निर्लिप्त रहना ही मेरा उद्दिष्ट मार्ग है। लेकिन तेरी मूर्ति मेरी शान्तिकुटीर में आकर मेरे सम्मुख खड़ी हुई और मैंने देखा कि तू पाप और वासना में लिप्त है, मृत्यु तुझे अपना गरास बनाने को खड़ी है। मेरी दया जागृत हो गयी और तेरा उद्घार करने के लिए आ उपस्थित हुआ हूं। मैं तुझे पुकारकर कहता हूं-थायस, उठ, अब समय नहीं है।' योगी के यह शब्द सुनकर थायस भय से थरथर कांपने लगी। उसका मुख श्रीहीन हो गया, वह केश छिटकाये, दोनों हाथ जोड़े रोती और विलाप करती हुई उसके पैरों पर गिर पड़ी और बोली-'महात्मा जी, ईश्वर के लिए मुझ पर दया कीजिए। आप यहां क्यों आये हैं ? आपकी क्या इच्छा है ? मेरा सर्वनाश न कीजिए। मैं जानता हूं कि तपोभूमि के ऋषिगण हम जैसी स्त्रियों से घृणा करते हैं, जिनका जन्म ही दूसरों को परसन्न रखने के लिए होता है। मुझे भय हो रहा है कि आप मुझसे घृणा करते हैं और मेरा सर्वनाश करने पर उद्यत हैं। कृपया यहां से सिधारिए। मैं आपकी शक्ति और सिद्धि के सामने सिर झुकाती हूं। लेकिन आपका मुझ पर कोप करना उचित नहीं है, क्योंकि मैं अन्य मनुष्यों की भांति आप लोगों की भिक्षावृत्ति और संयम की निन्दा नहीं करती। आप भी मेरे भोगविलास को पाप न समझिए। मैं रूपवती हूं और अभिनय करने में चतुर हूं। मेरा काबू न अपनी दशा पर है, और न अपनी परकृति पर। मैं जिस काम के योग्य बनायी गयी हूं वही करती हूं। मनुष्यों की मुग्ध करने ही के निमित्त मेरी सृष्टि हुई है। आप भी तो अभी कह रहे थे कि मैं तुम्हें प्यार करता हूं। अपनी सिद्धियों से मेरा अनुपकार न कीजिए। ऐसा मन्त्र न चलाइए कि मेरा सौन्दर्य नष्ट हो जाय, या मैं पत्थर तथा नमक की मूर्ति बन जाऊं। मुझे भयभीत न कीजिए। मेरे तो पहले ही से पराण सूखे हुए हैं। मुझे मौत का मुंह न दिखाइए, मुझे मौत से बहुत डर लगता है।' पापनाशी ने उसे उठने का इशारा किया और बोला-'बच्चा, डर मत। तेरे परति अपमान या घृणा का शब्द भी मेरे मुंह से न निकलेगा। मैं उस महान पुरुष की ओर से आया हूं, जो पापियों को गले लगाता था, वेश्याओं के घर भोजन करता था, हत्यारों से परेम करता था, पतितों को सान्त्वना देता था। मैं स्वयं पापमुक्त नहीं हूं कि दूसरों पर पत्थर फेंकूं। मैंने कितनी ही बार उस विभूति का दुरुपयोग किया है जो ईश्वर ने मुझे परदान की है। क्रोध ने मुझे यहां आने पर उत्साहित नहीं किया। मैं दया के वशीभूत होकर आया हूं। मैं निष्कपट भाव से परेम के शब्दों में तुझे आश्वासन दे सकता हूं, क्योंकि मेरा पवित्र धर्मस्नेह ही मुझे यहां लाया है। मेरे हृदय में वात्सल्य की अग्नि परज्वलित हो रही है और यदि तेरी आंखें जो विषय के स्थूल, अपवित्र दृश्यों के वशीभूत हो रही हैं, वस्तुओं को उनके आध्यात्मिक रूप में देखतीं तो तुझे विदित होता कि मैं उस जलती हुई झाड़ी का एक पल्लव हूं जो ईश्वर ने अपने परेम का परिचय देने के लिए मूसा को पर्वत पर दिखाई थी-जो समस्त संसार में व्याप्त है, और जो वस्तुओं को भस्म कर देने के बदले, जिस वस्तु में परवेश करती है उसे सदा के लिए निर्मल और सुगन्धमय बना देती है।' थायस ने आश्वस्त होकर कहा-'महात्मा जी, अब मुझे आप पर विश्वास हो गया है। मुझे आपसे किसी अनिष्ट या अमंगल की आशंका नहीं है। मैंने धमार्श्रम के तपस्वियों की बहुत चचार सुनी है। ऐण्तोनी और पॉल के विषय में बड़ी अद्भुत कथाएं सुनने में आयी हैं। आपके नाम से भी मैं अपरिचित नहीं हूं और मैंने लोगों को कहते सुना है कि यद्यपि आपकी उमर अभी कम है, आप धर्मनिष्ठा में उन तपस्वियों से भी श्रेष्ठ हैं जिन्होंने अपना समस्त जीवन ईश्वर आराधना में व्यतीत किया। यद्यपि मेरा अपसे परिचय न था, किन्तु आपको देखते ही मैं समझ गयी कि आप कोई साधारण पुरुष नहीं हैं। बताइये, आप मुझे वह वस्तु परदान कर सकते हैं जो सारे संसार के सिद्ध और साधु, ओझे और सयाने, कापालिक और वैतालिक नहीं कर सके ? आपके पास मौत की दवा है ? आप मुझे अमर जीवन दे सकते हैं ? यही सांसारिक इच्छाओं का सप्तम स्वर्ग है।' पापनाशी ने उत्तर दिया-'कामिनी, अमर जीवन लाभ करना परत्येक पराणी की इच्छा के अधीन है। विषयवासनाओं को त्याग दे, जो तेरी आत्मा का सर्वनाश कर रहे हैं। उस शरीर को पिशाचों के पंजे से छुड़ा ले जिसे ईश्वर ने अपने मुंह के पानी से साना और अपने श्वास से जिलाया, अन्यथा परेत और पिशाच उसे बड़ी क्रुरता से जलायेंगे। नित्य के विलास से तेरे जीवन का स्त्रोत क्षीण हो गया है। आ, और एकान्त के पवित्र सागर में उसे फिर परवाहित कर दे। आ, और मरुभूमि में छिपे हुए सोतों का जल सेवन कर जिनका उफान स्वर्ग तक पहुंचता है। ओ चिन्ताओं में डूबी हुई आत्मा ! आ, अपनी इच्छित वस्तु को पराप्त कर ! जो आनन्द की भूखी स्त्री ! आ, और सच्चे आनन्द का आस्वादन कर। दरिद्रता का, विराग का, त्याग कर, ईश्वर के चरणों में आत्मसमर्पण कर ! आ, ओ स्त्री, जो आज परभु मसीह की द्रोहिणी है, लेकिन कल उसको परेयसी होगी। आ, उसका दर्शन कर, उसे देखते ही तू पुकार उठेगी-मुझे परेमधन मिल गया !' थामस भविष्यचिन्तन में खोयी हुई थी। बोली-'महात्मा, अगर मैं जीवन के सुखों को त्याग दूं और कठिन तपस्या करुं तो क्या यह सत्य है कि मैं फिर जन्म लूंगी और मेरे सौन्दर्य को आंच न आयेगी ?' पापनाशी ने कहा-'थायस, मैं तेरे लिए अनन्तजीवन का सन्देश लाया हूं। विश्वास कर, मैं जो कुछ कहता हूं, सर्वथा सत्य है।' थायस-'मुझे उसकी सत्यता पर विश्वास क्योंकर आये ?' पापनाशी-'दाऊद और अन्य नबी उसकी साक्षी देंगे, तुझे अलौकिक दृश्य दिखाई देंगे, वह इसका समर्थन करेंगे।' थायस-'योगी जी, आपकी बातों से मुझे बहुत संष्तोा हो रहा है, क्योंकि वास्तव में मुझे इस संसार में सुख नहीं मिला। मैं किसी रानी से कम नहीं हूं, किन्तु फिर भी मेरी दुराशाओं और चिन्ताओं का अन्त नहीं है। मैं जीने से उकता गयी हूं। अन्य स्त्रियां मुझ पर ईष्यार करती हैं, पर मैं कभीकभी उस दुःख की मारी, पोपली बुयि पर ईष्यार करती हूं जो शहर के फाटक की छांह में बैठी तलाशे बेचा करती है। कितनी ही बार मेरे मन में आया है कि गरीब ही सुखी, सज्जन और सच्चे होते हैं, और दीन, हीन, निष्परभ रहने में चित्त को बड़ी शान्ति मिलती है। आपने मेरी आत्मा में एक तूफानसा पैदा कर दिया है और जो नीचे दबी पड़ी थी उसे ऊपर कर दिया है। हां ! मैं किसका विश्वास करुं ? मेरे जीवन का क्या अन्त होगा-जीवन ही क्या है ?' पापनाशी ने उसे उठने का इशारा किया और बोला-'बच्चा, डर मत। तेरे परति अपमान या घृणा का शब्द भी मेरे मुंह से न निकलेगा। मैं उस महान पुरुष की ओर से आया हूं, जो पापियों को गले लगाता था, वेश्याओं के घर भोजन करता था, हत्यारों से परेम करता था, पतितों को सान्त्वना देता था। मैं स्वयं पापमुक्त नहीं हूं कि दूसरों पर पत्थर फेंकूं। मैंने कितनी ही बार उस विभूति का दुरुपयोग किया है जो ईश्वर ने मुझे परदान की है। क्रोध ने मुझे यहां आने पर उत्साहित नहीं किया। मैं दया के वशीभूत होकर आया हूं। मैं निष्कपट भाव से परेम के शब्दों में तुझे आश्वासन दे सकता हूं, क्योंकि मेरा पवित्र धर्मस्नेह ही मुझे यहां लाया है। मेरे हृदय में वात्सल्य की अग्नि परज्वलित हो रही है और यदि तेरी आंखें जो विषय के स्थूल, अपवित्र दृश्यों के वशीभूत हो रही हैं, वस्तुओं को उनके आध्यात्मिक रूप में देखतीं तो तुझे विदित होता कि मैं उस जलती हुई झाड़ी का एक पल्लव हूं जो ईश्वर ने अपने परेम का परिचय देने के लिए मूसा को पर्वत पर दिखाई थी-जो समस्त संसार में व्याप्त है, और जो वस्तुओं को भस्म कर देने के बदले, जिस वस्तु में परवेश करती है उसे सदा के लिए निर्मल और सुगन्धमय बना देती है।' थायस ने आश्वस्त होकर कहा-'महात्मा जी, अब मुझे आप पर विश्वास हो गया है। मुझे आपसे किसी अनिष्ट या अमंगल की आशंका नहीं है। मैंने धमार्श्रम के तपस्वियों की बहुत चचार सुनी है। ऐण्तोनी और पॉल के विषय में बड़ी अद्भुत कथाएं सुनने में आयी हैं। आपके नाम से भी मैं अपरिचित नहीं हूं और मैंने लोगों को कहते सुना है कि यद्यपि आपकी उमर अभी कम है, आप धर्मनिष्ठा में उन तपस्वियों से भी श्रेष्ठ हैं जिन्होंने अपना समस्त जीवन ईश्वर आराधना में व्यतीत किया। यद्यपि मेरा अपसे परिचय न था, किन्तु आपको देखते ही मैं समझ गयी कि आप कोई साधारण पुरुष नहीं हैं। बताइये, आप मुझे वह वस्तु परदान कर सकते हैं जो सारे संसार के सिद्ध और साधु, ओझे और सयाने, कापालिक और वैतालिक नहीं कर सके ? आपके पास मौत की दवा है ? आप मुझे अमर जीवन दे सकते हैं ? यही सांसारिक इच्छाओं का सप्तम स्वर्ग है।' पापनाशी ने उत्तर दिया-'कामिनी, अमर जीवन लाभ करना परत्येक पराणी की इच्छा के अधीन है। विषयवासनाओं को त्याग दे, जो तेरी आत्मा का सर्वनाश कर रहे हैं। उस शरीर को पिशाचों के पंजे से छुड़ा ले जिसे ईश्वर ने अपने मुंह के पानी से साना और अपने श्वास से जिलाया, अन्यथा परेत और पिशाच उसे बड़ी क्रुरता से जलायेंगे। नित्य के विलास से तेरे जीवन का स्त्रोत क्षीण हो गया है। आ, और एकान्त के पवित्र सागर में उसे फिर परवाहित कर दे। आ, और मरुभूमि में छिपे हुए सोतों का जल सेवन कर जिनका उफान स्वर्ग तक पहुंचता है। ओ चिन्ताओं में डूबी हुई आत्मा ! आ, अपनी इच्छित वस्तु को पराप्त कर ! जो आनन्द की भूखी स्त्री ! आ, और सच्चे आनन्द का आस्वादन कर। दरिद्रता का, विराग का, त्याग कर, ईश्वर के चरणों में आत्मसमर्पण कर ! आ, ओ स्त्री, जो आज परभु मसीह की द्रोहिणी है, लेकिन कल उसको परेयसी होगी। आ, उसका दर्शन कर, उसे देखते ही तू पुकार उठेगी-मुझे परेमधन मिल गया !' थामस भविष्यचिन्तन में खोयी हुई थी। बोली-'महात्मा, अगर मैं जीवन के सुखों को त्याग दूं और कठिन तपस्या करुं तो क्या यह सत्य है कि मैं फिर जन्म लूंगी और मेरे सौन्दर्य को आंच न आयेगी ?' पापनाशी ने कहा-'थायस, मैं तेरे लिए अनन्तजीवन का सन्देश लाया हूं। विश्वास कर, मैं जो कुछ कहता हूं, सर्वथा सत्य है।' थायस-'मुझे उसकी सत्यता पर विश्वास क्योंकर आये ?' पापनाशी-'दाऊद और अन्य नबी उसकी साक्षी देंगे, तुझे अलौकिक दृश्य दिखाई देंगे, वह इसका समर्थन करेंगे।' थायस-'योगी जी, आपकी बातों से मुझे बहुत संष्तोा हो रहा है, क्योंकि वास्तव में मुझे इस संसार में सुख नहीं मिला। मैं किसी रानी से कम नहीं हूं, किन्तु फिर भी मेरी दुराशाओं और चिन्ताओं का अन्त नहीं है। मैं जीने से उकता गयी हूं। अन्य स्त्रियां मुझ पर ईष्यार करती हैं, पर मैं कभीकभी उस दुःख की मारी, पोपली बुयि पर ईष्यार करती हूं जो शहर के फाटक की छांह में बैठी तलाशे बेचा करती है। कितनी ही बार मेरे मन में आया है कि गरीब ही सुखी, सज्जन और सच्चे होते हैं, और दीन, हीन, निष्परभ रहने में चित्त को बड़ी शान्ति मिलती है। आपने मेरी आत्मा में एक तूफानसा पैदा कर दिया है और जो नीचे दबी पड़ी थी उसे ऊपर कर दिया है। हां ! मैं किसका विश्वास करुं ? मेरे जीवन का क्या अन्त होगा-जीवन ही क्या है ?' वह यह बातें कर रही थी कि पापनाशी के मुख पर तेज छा गया, सारा मुखमंडल आदि ज्योति से चमक उठा, उसके मुंह से यह परतिभाशाली वाक्य निकले-'कामिनी, सुन, मैंने जब इस घर में कदम रखा तो मैं अकेला न था। मेरे साथ कोई और भी था और वह अब भी मेरे बगल में खड़ा है। तू अभी उसे नहीं देख सकती, क्योंकि तेरी आंखों में इतनी शक्ति नहीं है। लेकिन शीघर ही स्वगीर्य परतिभा से तू उसे आलोकित देखेगी और तेरे मुंह से आपही-आप निकल पड़ेगा-यही मेरा आराध्य देव है। तूने अभी उसकी आलौकिक शक्ति देखी ! अगर उसने मेरी आंखों के सामने अपने दयालु हाथ न फैला दिये होते तो अब तक मैं तेरे साथ पापाचरण कर चुका होता; क्योंकि स्वतः मैं अत्यन्त दुर्बल और पापी हूं। लेकिन उसने हम दोनों की रक्षा की। वह जितना ही शक्तिशाली है उतना ही दयालु है और उसका नाम है मुक्तिदाता। दाऊद और अन्य नबियों ने उसके आने की खबर दी थी, चरवाहों और ज्योतिषियों ने हिंडोले में उसके सामने शीश झुकाया था। फरीसियों ने उसे सलीब पर च़ाया, फिर वह उठकर स्वर्ग को चला गया। तुझे मृत्यु से इतना सशंक देखकर वह स्वयं तेरे घर आया है कि तुझे मृत्यु से बचा ले। परभु मसीह ! क्या इस समय तुम यहां उपस्थित नहीं हो, उसी रूप में जो तुमने गैलिली के निवासियों को दिखाया था। कितना विचित्र समय था बैतुलहम के बालक तारागण को हाथ में लेकर खेलते थे जो उस समय धरती के निकट ही स्थित थे। परभु मसीह, क्या यह सत्य नहीं है कि तुम इस समय यहां उपस्थित हो और मैं तुम्हारी पवित्र देह को परत्यक्ष देख रहा हूं ? क्या तेरी दयालु कोमल मुखारबिन्द यहां नहीं है ? और क्या वह आंसू जो तेरे गालों पर बह रहे हैं, परत्यक्ष आंसू नहीं हैं ? हां, ईश्वरीय न्याय का कर्त्ता उन मोतियों के लिए हाथ रोपे खड़ा है और उन्हीं मोतियों से थायस की आत्मा की मुक्ति होगी। परभु मसीह, क्या तू बोलने के लिए होंठ नहीं खोले हुए है ? बोल, मैं सुन रहा हूं ! और थायस, सुलक्षण थायस सुन, परभु मसीह तुझसे क्या कह रहे हैं-ऐ मेरी भटकी हुई मेषसुन्दरी, मैं बहुत दिनों से तेरी खोज में हूं। अन्त में मैं तुझे पा गया। अब फिर मेरे पास से न भागना। आ, मैं तेरा हाथ पकड़ लूं और अपने कन्धों पर बिठाकर स्वर्ग के बाड़े में ले चलूं। आ मेरी थायस, मेरी पिरयतमा, आ ! और मेरे साथ रो।' यह कहतेकहते पापनाशी भक्ति से विह्वल होकर जमीन पर घुटनों के बल बैठ गया। उसकी आंखों से आत्मोल्लास की ज्योतिरेखाएं निकलने लगीं। और थायस को उसके चेहरे पर जीतेजागते मसीह का स्वरूप दिखाई दिया। वह करुण क्रंदन करती हुई बोली-'ओ मेरी बीती हुई बाल्यावस्था, ओ मेरे दयालु पिता अहमद ! ओ सन्त थियोडोर, मैं क्यों न तेरी गोद में उसी समय मर गयी जब तू अरुणोदय के समय मुझे अपनी चादर में लपेटे लिये आता था और मेरे शरीर से वपतिस्मा के पवित्र जल की बूंदें टपक रही थीं।' पापनाशी यह सुनकर चौंक पड़ा मानो कोई अलौकिक घटना हो गयी है और दोनों हाथ फैलाये हुए थायस की ओर यह कहते हुए ब़ा-'भगवान्, तेरी महिमा अपार है। क्या तू बपतिस्मा के जल से प्लावित हो चुकी है ? हे परमपिता, भक्तवत्सल परभु, ओ बुद्धि के अगाध सागर ! अब मुझे मालूम हुआ कि वह कौनसी शक्ति थी जो मुझे तेरे पास खींचकर लायी। अब मुझे ज्ञात हुआ कि वह कौनसा रहस्य था जिसने तुझे मेरी दृष्टि में इतना सुन्दर, इतना चित्ताकर्षक बना दिया था। अब मुझे मालूम हुआ कि मैं तेरे परेमपाश में क्यों इस भांति जकड़ गया था कि अपना शान्तिवास छोड़ने पर विवश हुआ। इसी बपतिस्माजल की महिमा थी जिसने मुझे ईश्वर के द्वार को छुड़ाकर मुझे खोजने के लिए इस विषाक्त वायु से भरे हुए संसार में आने पर बाध्य किया जहां मायामोह में फंसे हुए लोग अपना कलुषित जीवन व्यतीत करते हैं। उस पवित्र जल की एक बूंद-केवल एक ही बूंद मेरे मुख पर छिड़क दी गयी है जिसमें तूने स्नान किया था। आ, मेरी प्यारी बहिन, आ, और अपने भाई के गले लग जा जिसका हृदय तेरा अभिवादन करने के लिए तड़प रहा है।' यह कहकर पापनाशी ने बारांगना के सुन्दर ललाट को अपने होंठों से स्पर्श किया। इसके बाद वह चुप हो गया कि ईश्वर स्वयं मधुर, सांत्वनापरद शब्दों में थायस को अपनी दयालुता का विश्वास दिलाये। और 'परियों के रमणीक कुंज' में थायस की सिसकियों के सिवा, जो जलधारा की कलकल ध्वनि से मिल गयी थीं, और कुछ न सुनाई दिया। वह इसी भांति देर तक रोती रही। अश्रुपरवाह को रोकने का परयत्न उसने न किया। यहां तक कि उसके हब्शी गुलाम सुन्दर वस्त्र; फूलों के हार और भांतिभांति के इत्र लिये आ पहुंचे। उसने मुस्कराने की चेष्टा करके कहा-'अरे रोने का समय बिल्कुल नहीं रहा। आंसुओं से आंखें लाल हो जाती हैं, और उनमें चित्त को विकल करने वाला पुष्प विकास नहीं रहता, चेहरे का रंग फीका पड़ जाता है, वर्ण की कोमलता नष्ट हो जाती है। मुझे आज कई रसिक मित्रों के साथ भोजन करना है। मैं चाहती हूं कि मेरी मुखचन्द्र सोलहों कला से चमके, क्योंकि वहां कई ऐसी स्त्रियां आयेंगी जो मेरे मुख पर चिन्ता या ग्लानि के चिह्न को तुरन्त भांप जायेंगी और मन में परसन्न होंगी कि अब इनका सौन्दर्य थोड़े ही दिनों का और मेहमान है, नायिका अब परौ़ा हुआ चाहती है। ये गुलाम मेरा शृंगार करने आये हैं। पूज्य पिता आप कृपया दूसरे कमरे में जा बैठिए और इन दोनों को अपना काम करने दीजिए। यह अपने काम में बड़े परवीण और कुशल हैं। मैं उन्हें यथेष्ट पुरस्कार देती हूं। वह जो सोने की अंगूठियां पहने हैं और जिनके मोती केसे दांत चमक रहे हैं, उसे मैंने परधानमन्त्री की पत्नी से लिया है।' पापनाशी की पहले तो यह इच्छा हुई कि थायस को इस भोज में सम्मिलित होने से यथाशक्ति रोके। पर पुनः विचार किया तो विदित हुआ कि यह उतावली का समय नहीं है। वर्षों का जमा हुआ मनोमालिन्य एक रगड़ से नहीं दूर हो सकता। रोग का मूलनाश शनैःशनैः, क्रमक्रम से ही होगा। इसलिए उसने धमोर्त्साह के बदले बुद्धिमत्ता से काम लेने का निश्चय किया और पूछा-वाह किनकिन मनुष्यों से भेंट होगी ? उसने उत्तर दिया-'पहले तो वयोवृद्ध कोटा से भेंट होगी जो यहां के जलसेना के सेनापति हैं। उन्हीं ने यह दावत दी है। निसियास और अन्य दार्शनिक भी आयेंगे जिन्हें किसी विषय की मीमांसा करने ही में सबसे अधिक आनन्द पराप्त होता है। इनके अतिरिक्त कविसमाजभूषण कलिक्रान्त, और देवमन्दिर के अध्यक्ष भी आयेंगे। कई युवक होंगे जिनको घोड़े निकालने ही में परम आनन्द आता है और कई स्त्रियां मिलेंगी जिनके विषय में इसके सिवाय और कुछ नहीं कहा जा सकता कि वे युवतियां हैं।' पापनाशी ने ऐसी उत्सुकता से जाने की सम्मति दी मानो उसे आकाशवाणी हुई है। बोला-'तो अवश्य जाओ थायस, अवश्य जाओ। मैं तुम्हें सहर्ष आज्ञा देता हूं। लेकिन मैं तेरा साथ न छोडूंगा। मैं भी इस दावत में तुम्हारे साथ चलूंगा। इतना जानता हूं कि कहां बोलना और कहां चुप रहना चाहिए। मेरे साथ रहने से तुम्हें कोई असुविधा अथवा झेंप न होगी।' दोनों गुलाम अभी उसको आभूषण पहना ही रहे थे कि थायस खिलखिलाकर हंस पड़ी और बोली-'वह धमार्श्रम के एक तपस्वी को मेरे परेमियों में देखकर कहेंगे ?'
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पंजाबी-कैनेडियन रैपर शुभ का स्टिल रोलिन इंडिया दौरे पर रिएक्शनः भारत का विकृत नक्शा शेयर कर निशाने पर आए खालिस्तान के कथित समर्थक पंजाबी-कैनेडियन रैपर शुभनीत सिंह के सुर अब भारी विरोध के बाद बदलते दिख रहे हैं . भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद के बीच अपने विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर भारी आलोचना का सामना कर रहे पंजाबी-कनाडाई रैपर शुभनीत सिंह ने गुरुवार को कहा कि वह अपना भारत दौरा रद्द होने से बहुत निराश हैं। खालिस्तान मुद्दे पर समर्थन के कारण रैपर का स्टिल रोलिन इंडिया दौरा पहले ही रद्द कर दिया गया है। व्यक्त करते हुए इंस्टाग्राम पर साझा की गई एक पोस्ट में शुभनीत सिंह ने कहा कि पिछले दो महीनों से मैं भारत दौरे के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था और सार्वजनिक रूप से अपने प्रदर्शन को लेकर बहुत उत्साहित था। इंस्टाग्राम पर अपने पेज पर रैपर ने पोस्ट किया कि पंजाब के एक युवा रैपर गायक के रूप में, अपने संगीत को एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखना मेरे जीवन का सपना था। लेकिन हाल की घटनाओं ने मेरी मेहनत और प्रगति को प्रभावित किया है. मैं अपनी निराशा और दुःख व्यक्त करने के लिए कुछ शब्द कहना चाहता था। शुभनीत ने अपने विवादित पोस्ट पर सफाई देते हुए लिखा कि उनका इरादा पंजाब के लिए प्रार्थना करने का था क्योंकि राज्य में बिजली कटौती की खबर थी। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था. अपना शो रद्द होने से निराश रैपर ने कहा कि उन पर लगे आरोपों ने उन्हें काफी प्रभावित किया है. खालिस्तान समर्थक शुभनीत सिंह को होस्ट करने के लिए टिकट बुकिंग ऐप को सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा। इससे पहले बुधवार को एक्स पर #UninstallBookMyShow ट्रेंड करने लगा था और कुछ यूजर्स ने इसे शुभ खालिस्तानी कहा था। रैपर्ट ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर भारत का एक विकृत नक्शा साझा किया। जिसका कैप्शन उन्होंने 'पंजाब के लिए प्रार्थना' लिखा है। इस घटना के बाद, भारत के शीर्ष क्रिकेटर विराट कोहली ने कथित तौर पर शुभनीत को इंस्टाग्राम पर अनफॉलो कर दिया।
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महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगणापुर गांव स्थित प्रसिद्ध शनि मंदिर में एक दिया। इसे लेकर मंदिर समिति ने सात सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया है। हालांकि ग्रामीणों ने रविवार को शुद्धिकरण अनुष्ठान किया। महिला कल सुरक्षा बेरिकेड तोड़ कर चौठारा (मंच) पर चढ़ गई जहां मूर्ति स्थापित है। वहां उसने पूजा की और बाद में वह भीड़ में गुम हो गई। महिलाओं को शनि प्रतिमा की पूजा करने से रोकने वाली सदियों पुरानी प्रथा टूटने से मंदिर समिति हैरत में है। समिति आज हरकत में आई और उसने सात सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया। ग्रामीणों ने मूर्ति का दूध से अभिषेक किया और घटना के विरोध में सुबह बंद का आह्वान किया। इस महिला के कदम की कई महिला एवं सामाजिक संगठनों सहित विभिन्न क्षेत्र के लोगों ने प्रशंसा की है। सोलापुर से कांग्रेस विधायक प्रणीति शिंदे ने कहा, 'महिला ने जो यह किया है उसके लिए उसका सम्मान किया जाएगा। ' पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की पुत्री प्रणीति ने कहा, 'मैं इस मुद्दे को विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में उठाऊंगी। ' महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निरमूलन समिति की अहमदनगर जिला इकाई अध्यक्ष रंजनन गवांदे ने कहा, 'हम पूजा करने में महिला की ओर से दिखाए गए साहस का स्वागत करते हैं। यह घटना क्रांतिकारी है। चौठारे को महिलाओं के लिए खोला जाना चाहिए। ' सामाजिक कार्यकर्ता मंगल खिनवासरा ने कहा, 'हाल में संविधान दिवस मनाया गया और पूजा अर्पित करने के लिए सुरक्षा दीवार तोड़ने वाली महिला ने केवल संविधान की भावना पेश की है जो लैंगिक समानता सुनिश्चित करता है। ' है। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगणापुर गांव स्थित प्रसिद्ध शनि मंदिर में एक दिया। इसे लेकर मंदिर समिति ने सात सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया है। हालांकि ग्रामीणों ने रविवार को शुद्धिकरण अनुष्ठान किया। महिला कल सुरक्षा बेरिकेड तोड़ कर चौठारा (मंच) पर चढ़ गई जहां मूर्ति स्थापित है। वहां उसने पूजा की और बाद में वह भीड़ में गुम हो गई।
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मधुरिमा का दिल मानो बल्लियों उछलने लगा। उसने कभी नहीं सोचा था कि ज़िन्दगी में कभी ऐसे दिन भी आयेंगे। रंग भरे उमंग भरे! किसने सोचा था कि जापान के तमाम बड़े शहरों से दूर निहायत ही अलग- थलग पड़ा ये छोटा सा कस्बा, और उसके किनारे पर बिल्कुल ग्रामीण इलाकों की तरह फ़ैला- बिखरा उसका ये फार्महाउस कभी इस तरह गुलज़ार भी होगा। लेकिन तेन की मिलनसारिता और मेहनत के बदौलत ऐसे दिनों ने भी उसकी ज़िन्दगी के द्वार पर दस्तक दी जिनकी संभावित ख़ुशबू से ही उसके आने वाले दिन महक गए। अपनी मां और पापा को ख़ुश देख कर नन्ही परी तनिष्मा भी इतराई सी फिरने लगी। उसे उसकी मम्मी ने बताया कि तेरी नानी, मामा, मामी, चाचा सब यहां आयेंगे। अब वो बेचारी क्या जाने कि नानी किसे कहते हैं? उससे मिलने तो उसकी दादियां ही कभी- कभी आया करती थीं। हां, नानी से वो भारत में मिली ज़रूर थी मगर तब की पुरानी बात उसे भला कब तक याद रहती? बच्चे तो वैसे भी तोता- चश्म होते हैं, जो कुछ सामने रहे बस उसी को अपनी दुनिया समझते हैं। और मामा- मामी - चाचा की परिभाषा तो वो इतनी ही समझी कि बहुत सारे लोग... ऐसे अंकल और आंटी का जमावड़ा जिन्हें मम्मा बहुत लाइक करती हैं और पापा बहुत रिस्पेक्ट करते हैं। साथ ही वो ये भी समझ गई कि ये ग्रुप ऑफ़ पर्सन्स आते समय भी बहुत से गिफ्ट्स लाता है और जाते समय भी जिसके लोग बहुत सारी मनी देकर जाते हैं। मधुरिमा ने दुगने उत्साह से घर को सजाना - संवारना शुरू किया। तरह - तरह के फूल, पौधे नर्सरी की मदद से लाती और उन्हें खुद रोपती, सींचती। अपने बतख़, मुर्गाबियों, बटेरों के झुंड को ध्यान से देखती और सोचती कि इन उम्दा नस्ल के बेहतरीन पंछियों को देख कर उसके मेहमान कितने हर्षाएंगे! उसने समय निकाल कर बाज़ार से शॉपिंग भी कर छोड़ी थी कि किसे क्या तोहफ़ा देना है, ताकि सबके आने से पहले ही वो सब तैयारी कर के रख सके। ये मौक़ा बार - बार थोड़े ही आता है। जापान के सुदूर दक्षिण के इस इलाक़े में तो भारत के इन सैलानियों का आना "वन्स इन अ लाइफ टाइम" जैसा ही था। ये संयोग ही तो था कि मनन और मान्या की शादी अभी- अभी हुई थी और हनीमून ट्रिप के नाम पर वे लोग भी यहां आ रहे थे। वैसे उनके आने की असली वजह तो आगोश की मम्मी को कंपनी देने की ही रही। और आगोश की मम्मी भी वैसे कहां आ पातीं। ये तो तेन ने ही ज़ोर देकर उन्हें बताया कि आगोश की जिस तरह की मूर्ति वो बनवाना चाहती हैं वो चाइना में ही नहीं, बल्कि जापान और कोरिया में भी ख़ूब बनने लगी है। बस, चटपट उन लोगों का कार्यक्रम बन गया। एक बात सोच- सोच कर मधुरिमा बहुत शर्माती थी। उसका यह प्यारा सा घर उसके दोस्तों का हनीमून डेस्टिनेशन बनता जा रहा था किंतु वो ख़ुद? वो तो हनीमून के लिए यहां अब तक तरसती ही रही थी। नहीं - नहीं, उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए। तेन उसके साथ है और उसे भरपूर प्यार करता है। उसकी हर इच्छा पूरी करता है, उसके आगे- पीछे फिरता है। दौलत का अंबार लगा है यहां। उसके पति तेन ने उसे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी। अब अपने शरीर का कोई क्या करे? इस तकनीक संपन्न देश को वैसे भी वर्कॉलिक युवाओं का देश कहा जाता है। अपने काम के तनाव में डूबे यहां के लोग शरीर सुख के लिए तरह- तरह की दवाओं, तेलों और एक्सरसाइज पर ही निर्भर रहते हैं। ये लोग स्लिमफिट रहने और परिवार की जनसंख्या को लेकर भी बेहद सख़्त अनुशासन में रहना पसंद करते हैं। तेन ही उसका सब कुछ है। अब और कुछ उसे सोचना भी नहीं चाहिए। मधुरिमा के भीतर कोई लहर सी उठती और उसे सराबोर कर के निकल जाती। मधुरिमा के तन- मन का जैसे स्नान हो जाता। हां! इस बार एक बात और थी। वह बिना कहे नहीं रहेगी मधुरिमा! आर्यन ने उसे बताया था कि इस बार वह लंबे समय तक यहां रहने वाला है। उसकी एक फ़िल्म का क्लाइमैक्स शूट यहां जापान में ही होना था जिसके लिए ख़ुद तेन ने ही आगे बढ़ कर सारी व्यवस्था करवाई थी। इतना ही नहीं, बल्कि तेन ने शूटिंग के लिए नज़दीक के उस टापू पर अपनी खरीदी हुई जगह भी उपलब्ध कराई थी। तेन ने दौड़ - भाग करके सब ज़रूरी परमीशन लेने का कष्ट भी उठाया था और आर्यन के प्रोड्यूसर को हर तरह का सहयोग देने का वादा भी किया था। इसी भरोसे पर आर्यन यहां आ रहा था। शुरू के कुछ दिन आर्यन जयपुर से आने वाले दल, अर्थात आंटी, मान्या और मनन के साथ भी वहां रहने वाला था। मधुरिमा ने बेटी को उसका परिचय चाचा कह कर ही करवाया था। मधुरिमा ये तय नहीं कर पा रही थी कि आर्यन के इतने लंबे स्टे से वो वास्तव में खुश थी या नहीं। आर्यन इस फ़िल्म को अपने दिवंगत दोस्त आगोश को समर्पित करने की तैयारी कर चुका था। आगोश की मम्मी का यहां शूटिंग देखने और आर्यन के साथ कुछ समय बिताने का कार्यक्रम इसी आधार पर बना था। काश, मधुरिमा अपनी मम्मी से भी कह पाती कि इस समय आंटी के साथ कुछ समय के लिए यहां आने का कार्यक्रम वो भी बना लें। लेकिन वो जानती थी कि मम्मी वहां घर अकेला छोड़ कर नहीं आएंगी। कितना अंतर था भारत में और दूसरे उन्नत देशों में। भारत में लोग अपने घरों को सुख- सुविधा का गोदाम बना लेते हैं, फ़िर उसे अकेले छोड़ कर बाहर निकलने में डरते हैं। जबकि दूसरे देशों में लोग घर में केवल ज़रूरत का न्यूनतम सामान रखते हैं। कीमती चीज़ें बैंक आदि में रखते हैं। मधुरिमा को शुरू- शुरू में यहां ये देख कर बड़ा अजीब सा लगता था कि लोग कुछ भी नया लाते ही पुराने को तुरंत दूसरे ज़रूरतमंद आदमी को दे देते हैं। वहां संग्रह वृत्ति नहीं होती। भारत में यदि किसी घर में आठ- दस पैन रखे हों तो हो सकता है कि उनमें से दो- तीन ही चलते हों। लोग बल्ब या बैटरी बदलते हैं तो पुरानी बैटरी या फ्यूज्ड बल्ब को भी घर में ही रख लेते हैं। प्रायः घरों में ऐसा सामान पाया जाता है जो दो- दो साल तक कोई काम नहीं आता, पर फेंका नहीं जाता। ढीली ढेबरियां या बचा हुआ पेंट तक घर में सालों- साल रखा हुआ देखा जा सकता है। घरों की गहरी सफ़ाई साल में एक बार उन भगवान के नाम पर होती है जो चौदह साल के लिए जंगल में जाते समय भी अपनी खड़ाऊं तक घर में ही छोड़ गए थे। घर की साज- सज्जा ने मधुरिमा के दिन किसी उड़ते पंछी की भांति तेज़ी से निकाल दिए। वह एक - एक दिन गिन रही थी। उस दिन मधुरिमा हैरान रह गई जब उसने देखा कि तेन फ़ोन पर किसी से एक घंटे से भी ज्यादा समय से बातों में उलझा हुआ है। नपा तुला बोलने वाला तेन किससे बात कर रहा था? ओह! मुंबई से आर्यन का फ़ोन आया हुआ था। आर्यन ने उसे बताया कि मुंबई पुलिस ने आगोश की मूर्ति चोरी का प्रकरण सुलझा लिया है। मूर्ति बनाने वाले वहीद मियां का ही बड़ा बेटा ख़ुद चोर निकला जिसने तैयार मूर्ति कुछ तस्करों के हाथ बेच डाली और बाद में मूर्ति चोरी जाने का नाटक रच कर अपने बाप तक को मूर्ख बना दिया। सारी बात सुन कर तेन ने भी दांतों तले अंगुली दबा ली। संगमरमर के पत्थर से बनी इस मूर्ति का सौदा तस्करों ने पहले से ही कर लिया था। विचित्र बात ये थी कि इस मूर्ति में कुछ ख़ुफ़िया परिवर्तन इसे बनाने वाले कारीगर ने ख़ुद ही कर लिए। मूर्ति के मुंह से लेकर पेट के दूसरे छोर तक आर- पार एक बेहद पतली खोखली नली बनाई गई थी। होठों और कमर के पिछले नीचे के भाग के बीच में खोखले भाग की बनावट ऐसी बनाई गई थी जिसमें भीतर अवैध सामान आसानी से छिपाया जा सके। ये कीमती ड्रग्स अथवा हीरों आदि के लिए निरापद कैरियर बन गई थी। इस मूर्ति के मिलते ही तस्करों के खुफिया इरादे जाहिर हो गए थे। वो इसका इस्तेमाल स्मगलिंग में करने की तैयारी में थे। वहीद मियां का बेटा सलाखों के पीछे था। किंतु इसे खरीदने की कोशिश करने वाले तस्कर अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए थे।
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अलग हो गये हैं और अब इस विषय में उनके फिरोजपुरी मित्र ही से पूछ-ताछ की जाय । भाई साहब ने जिस निष्ठा से लांडरी खोली थी, उससे कहीं अधिक निष्ठा से वे राष्ट्र सेवा में निमग्न हो गये । दिन रात वे कांग्रेस के काम में व्यस्त रहते। कहीं चन्दा इकट्ठा कर रहे हैं; कहीं झण्डे को सलामी दे रहे हैं; कहीं जलूम निकाल रहे हैं और कहीं सभा की व्यवस्था कर रहे हैं। घर वालों को उनके दर्शन भी दुर्लभ हो गये। अपने लम्बे छरहरे शरीर पर खादी की शेरवानी और खादी ही का चूड़ीदार पायजामा पहने, सिर पर तिरछी गांधी टोपी रखे वे शुतर-बे-मुद्दार की भाँति घूमते और घर वालों को इस प्रकार देखते मानो वे किसी नाली में कुलबुझाने वाले अत्यन्त उपेक्षणीय और हेय, अन्धे, बुच्चे, कीड़े हों। चेतन के मन में अपने भाई का सम्मान, घर में नित्य नयी दी जाने वाली गालियों के बावजूद, बढ़ने लगा कि उसे कांग्रेस की एक सभा देखने का सुयोग मिला और उसे ज्ञात हो गया कि भाई साहब के लिए कांग्रेस की डिक्टेटरी भी लांडरी से अधिक महत्व नहीं रखती। उस दिन भाई साहब ने उससे अनुरोध किया था कि वह आज की सभा देखने अवश्य आये और उन्होंने बताया था कि प्रेस के विषय में सरकार ने जिस कठोरता की नीति से काम लिया है, उसके विरुद्ध प्रोटेस्ट के तौर पर अखबार बन्द हो गये हैं। देश में चारों ओर टेस्ट हो रही है। इसी सम्बन्ध में उन्होंने भी सभा की व्यवस्था की है, जिसमें वे स्वयं एक बहुत जोरदार भाषण देने
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उत्तराखंड में छात्रा को जिंदा जलाने की घटना से हर कोई हैरान है। कफोलस्यूं पट्टी के एक गांव की छात्रा को जिंदा जलाने के प्रयास की घटना को लेकर छात्र संगठनों व छात्राओं में उबाल है। आइसा व डीएसओ छात्र संगठन ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री व राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। युवती को जिंदा जलाने के प्रयास करने के आरोपी मनोज सिंह उर्फ बंटी ने अब खुद के लिए मौत मांगी है। आरोपी ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि उसका युवती से कक्षा नौ से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती के संपर्क तोड़ने से वह आक्रोशित हो गया। आग लगाए जाने की घटना को स्वीकार करते हुए आरोपी ने कहा कि वह भी खुदकुशी की तैयारी कर रहा था, लेकिन इससे पहले पुलिस ने उसे पकड़ लिया। राजस्व और रेगुलर पुलिस की टीम के आरोपी को जिला चिकित्सालय पौड़ी लाने पर छात्र-छात्राओं ने जिला चिकित्सालय के आकस्मिक विभाग को घेर लिया। कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने आरोपी को पीछे के दरवाजे से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया। ऋषिकेश एम्स में भर्ती पीड़ित युवती के इलाज का पूरा खर्च जिला प्रशासन उठाएगा। एडीएम रामजी शरण शर्मा ने यह जानकारी दी। वही इस घटना को लेकर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कहना है कि युवती को जिंदा जलाने के प्रयास की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। दुःख की इस घड़ी में सरकार पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। पीड़ित युवती और उसके परिवार की मदद के लिए प्रवासी ग्रामीण एकजुट हो गए हैं। पट्टी के प्रवासी ग्रामीण रविंद्र नेगी व प्रदीप नौडियाल ने बताया कि युवती व परिवार की हरसंभव मदद के लिए एकजुट हो गए हैं।
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शादी के बाद हर लड़की का जीवन बदल जाता है। अधिकतर लड़कियां शादी को लेकर कई तरह के सपने सजाती हैं। लड़कियां खुशहाल शादीशुदा जीवन की चाह रखती हैं। वह चाहती हैं कि जब उनकी शादी हो तो पति का प्रेम और सम्मान मिले। ससुराल में बेटी जितना प्यार मिले। लेकिन उनकी ही कुछ जाने अंजाने में की गई गलतियां गृहस्थ जीवन में अड़चन ला सकती हैं। अक्सर देखा जाता है कि शादी के बाद पति-पत्नी के बीच मनमुटाव हो जाते हैं। ससुराल वालों के साथ नवविवाहिता सामंजस्य नहीं पाती। कभी कभी तो दिक्कतें इतनी बढ़ जाती हैं कि पति- पत्नी को अलग तक हो जाना पड़ता है। तलाक की नौबत आ जाती है। ऐसे में हर लड़की को शादी होने के बाद कुछ गलतियां भूलकर भी नहीं करनी चाहिए। हो सकता है कि शुरुआत में आपको आभास भी न हो कि ये शादीशुदा जीवन के लिए गलती है लेकिन बाद में पछताना पड़े। इसलिए शादीशुदा महिलाओं के लिए सलाह है कि ये पांच गलतियां भूल से भी न करें। एक आदर्श पत्नी वो होती है, जिसमें मितव्ययिता का गुण होता है। पति कितना भी अमीर क्यों न हो, पत्नी को उसकी कमाई को खर्च करते समय बजट और परिवार की जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए। पैसों को बिना सोचे समझें इस्तेमाल करना, या नादानी में खर्च करना आपके खुशहाल जीवन में ग्रहण लगा सकती है। पति से बार बार कीमती चीजों की मांग करना भी गलत बात है। अक्सर महिलाएं अपनी नौकरी, दोस्तों या मायके वालों पर अधिक ध्यान देती हैं। ऐसे में वह पति और ससुराल वालों को भूल जाती हैं। कभी कभी ऐसा करना बुरा नहीं पर हमेशा अपने पति व परिवार को छोड़कर दूसरी बातों व लोगों को अपनी प्राथमिकता बनाना, आपकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है। हर पति अपनी पत्नी से प्यार चाहता है। ये केवल पति के लिए ही नहीं, बल्कि सास ससुर आदि के लिए भी लागू होता है। लेकिन अगर आप प्यार जताना या सम्मान करना नहीं जानती तो आपका पार्टनर भी इस रिश्ते में दूरी बनाने लगेगा। हर समय नकारात्मक बाते करना, ससुरालीजनों की बुराई या शिकायत करना, हताश रहना भी शादीशुदा जीवन की गलती है। पति के सामने अगर हमेशा आप इस तरह से बर्ताव करती हैं तो वह आपसे चिढ़ने लग सकते हैं।
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अज आपका दिन कैसे गुजरेगा इसकी जानकारी के लिए आप जानिए पूरी राशियों के बारे में. अज आपका दिन कैसे गुजरेगा इसकी जानकारी के लिए आप जानिए पूरी राशियों के बारे में. मेष राशिः आज बुरी आदतों के कारण परेशानी होगी। व्यर्थ क्रोध से कामकाज में नुकसान। मान-सम्मान को ठेस लग सकती है। खर्च की अधिकता रह सकती है। वृष राशिः आज व्यापार-व्यवसाय में साझेदारी से लाभ। सम्पत्ति का अधिग्रहण कर सकते हैं। व्यापारिक स्थिति आपके पक्ष में रहेगी। आय के साधन बढ़ेंगे। स्वयं को मजबूत बनाएंगे। मिथुन राशिः आज आलस्य दूर होगा। लाभ की स्थितियां बनेगी। समाज में पद प्रतिष्ठा बनी रहेगी। कार्यक्षेत्र में लोग आपका लोहा मानेंगे। व्यापारिक यात्रा सफल होगी। मन प्रसन्न रहेगा। कर्क राशिः आज घनिष्ठ मित्रों से सहयोग मिलेगा। कामकाज में आसानी रहेगी। मान-सम्मान बढ़ने से हर्ष। सुखपूर्वक समय बीतेगा। सामाजिक कार्यों में व्यस्तता रहेगी। सिंह राशिः आज रिश्तेदारों की आवाजाही से घर में रौनक रहेगी। किसी नए रिश्तों से जुड़ सकते हैं। मित्रता आपको लाभ के अवसर देगी। कार्य कुशलता बढ़ने से लाभ मिलेगा। कन्या राशिः आज रिश्तेदारों की आवाजाही से घर में रौनक रहेगी। किसी नए रिश्तों से जुड़ सकते हैं। मित्रता आपको लाभ के अवसर देगी। कार्य कुशलता बढ़ने से लाभ मिलेगा। तुला राशिः आज वरिष्ठजनों को पूर्ण सहयोग मिलेगा। कार्यक्षेत्र में आपका दबदबा बना रहेगा। विद्यार्थियों के लिए समय उत्तम रहेगा। धैर्य पूर्वक कार्य करने से लाभ। मन प्रसन्न रहेगा। वृश्चिक राशिः आज सकारात्मक दृष्टिकोण लाभकारी रहेगा। कार्यों में आए व्यवधान दूर होंगे। योजनाएं गुप्त रखने में सफल होंगे। मन में प्रसन्नता के साथ आलस्य दूर होगा। धनु राशिः आज मनमुटाव बढ़ने से तनाव में रह सकते हैं। स्वास्थ्य को लेकर परेशान होंगे। अनुचित कार्यों में लिप्त ना रहें। व्यापार में घाटे का सौदा। वाणी में मधुरता रखें। मकर राशिः आज अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल। आर्थिक मामलों की पहल लाभकारी। जीवन में सुकून व सार्थकता आएगी। सुख-शांति रहने से परिवार में हर्ष। शौक पूरे करेंगे। कुंभ राशिः आज बड़े बुजुर्गों से सलाह लेकर निवेश लाभदायक। पिकनिक पर जा सकते हैं। प्रेम संबंधों में सकारात्मक परिणाम। घर परिवार में शुभ प्रसंग की चर्चा। यात्रा शुभ। मीन राशि : आजआप किसी बड़े समारोह की शान बनेंगे। रुका पैसा प्राप्त होगा। आर्थिक पक्ष में सुधार होगा। व्यापार-व्यवसाय में आए व्यवधान दूर होंगे। अतिरिक्त आय से प्रसन्नाता।
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भारतवर्ष भेजा । उसे बहुत कष्ट उठाना पड़ा । खाने-पीने की भी बड़ी असुविधा रही । जो सरकार के दिल में आता वही खाने को मिलता । सब को डेक में हो भेजा जाता। फिर इस तरह देशपार होने वाले की ज़मीन-जायदाद होती उसका अपना एक पेशा भी होता; उसके प्रति भी होते थे। कितने ही लोगों के सिर पर तो कर्ज़ था । इतने सब का त्याग करने की क्षमता और शक्ति होने पर भी अनेक लोग यह सब गवाकर बरबाद होने के लिए तैयार नहीं होते थे । तथापि बहुत से भारतीय तो पूरी तरह मज़बूत रहे । कई फिसल गये । ऐसे लोगों ने अब जान बूझ कर कैद होना छोड़ दिया। उनमें से अधिकांश ने इतनी कमजोरी तो नहीं दिखाई कि जले जलाये परवानों के बदले फिर से नये परवाने ले लें । पर कुछेक ने डर कर यह भी कर डाला । पर फिर भी जो दृढ़ थे उनकी संख्या ऐसी तुच्छ भी नहीं थी। उनकी बहादुरी असीम थी। मेरा खयाल है, कि उनमें कितने ही तो ऐसे थे, जो हँसते हँसते फाँसी पर भी लटक सकते थे । मालजायदाद की तो उन्हें परवाह क्या थी ? पर जिन्हें भारतवर्ष भेजा गया था, उनमें से अधिकांश तो ग़रीब और भी भी थे । केवल दूसरों के विश्वास पर ही वे लड़ाई में सम्मिलित हुए थे । उन पर इस तरह जुल्म होता देख कर बरदाश्त करते रहना कठिन था । पर उस समय यही समझ में नहीं आता था, कि उनकी सहायता किस तरह करें । पैसा तो उतना ही-थोड़ा सा था । और इस तरह की लड़ाई में रुपये-पैसे की सहायता देने लगे तो निश्चय ही हार होती है। क्योंकि उसमें लालची लोग फौरन शामिल हो जाते हैं । इसलिए धन का लालच दे कर तो एक भी आदमी नही रक्खा
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कोई भी आपसे तभी इमोशनल होगा या खुलकर अपनी निजी जिंदगी की सारी बातें साझा करेगा जब वो आपको अपने बहुत करीब समझता हो। फ्लर्ट करना सिर्फ लड़को को नहीं आता लड़कियां भी इसमें माहिर होती हैं। आज कल की लड़कियां इतनी खुले दिल की होती हैं कि अपने दिल की बातें साफ-साफ कह देती हैं। कुछ ऐसी भी होती हैं जो लड़कों से फ्लर्ट करने और उन्हें प्रपोज करने में पीछे नहीं हटती। वहीं ज्यादातर पुरुषों को समझ नहीं आता कि लड़कियां उनसे फ्लर्ट कर रही हैं या नहीं? लड़कियों का लड़कों से फ्लर्ट करना कोई आश्चर्य की बात नहीं। हजारों पुरुष इस बात पर संशय में रहते हैं कि उनकी महिला मित्र उनसे इशारों-इशारों में दिल की बातें कह रही हैं या सिर्फ अच्छी दोस्त हैं। हलांकि कुछ टिप्स को समझकर आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि वो आपसे फ्लर्ट कर रही हैं या नहीं। कोई भी आपसे तभी इमोशनल होगा या खुलकर अपनी निजी जिंदगी की सारी बातें साझा करेगा जब वो आपको अपने बहुत करीब समझता हो। जब वो जानता हो कि आप उसकी हर संभव मदद करेंगे या उनका साथ देंगे। लड़कियां कुछ ज्यादा ही इमोशनल होती हैं मगर अपनी निजी जिंदगी की सबसे निजी बात अगर वो आपको बताने लगें तो समझिए वो आपके बहुत करीब हैं। आपको अपने दिल के बहुत पास मानती हैं। ये चीजें तभी होती है जब आप बहुत ज्यादा अच्छे दोस्त हों या आपके बीच कमाल की केमेस्ट्री हो। जब किसी तीसरे आदमी के सामने आप दोनों के बीच इशारों-इशारों में बातें होने लगे। या आपकी कही हुई कुछ अटपटी बातों का मतलब सिर्फ वहीं निकाल पाएं तो समझिए वो आपको अपने दिल के पास समझती हैं। महिलाओं को उपनाम से बुलाना पसंद होता है। अगर वो आपको निक नेम से बुलाती हैं या उपनाम से बुलाती हैं तो समझिए कहीं ना कहीं वो आपको पसंद करती हैं। कहीं ना कहीं वो आपकी पर्सनैलिटी से प्रभावित हैं। मगर इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि वो आपसे फ्लर्ट कर रही हैं इसलिए जब तक वो अपनी बात साफ-साफ ना कहें तब तक कुछ अपने से अज्यूम ना करें। अगर कोई लड़की आपसे फ्लर्ट करती है या आपको बहुत अच्छी दोस्त समझती है तो भी अपनी सीमाओं को समझना आपके लिए जरूरी है। गलती से भी इस हंसी-मजाक के चक्कर में लड़की से टची होने की कोशिश ना करें। हो सकता है आपकी ये हरकत उन्हें पसंद ना आएं। ये भी संभव हैं कि वो आपसे इस हरकत के लिए नाराज हो जाएं और कभी बात ना करें। इसलिए टची होना आपके लिए सही नहीं।
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मुंबई । बोल्ड और हॉट फोटोशूट कराने में बॉलीवुड एक्ट्रेस सबसे आगे रहती हैं। आज हम आपको हिंदी फिल्म जगत कि उन एक्ट्रेस के बारें में बताएंगे। जिन्होंने हॉट फोटो क्लिक कराने के लिए कैमरे के सामने सारे कपड़े उतार दिए। इन एक्ट्रेस कि लाज साबुन के झाग ने बचाई। इस सूची में सबसे पहना कि हीरोइन ईशा कोप्पिकर का हैं। अभिनेत्री भले ही आजकल फिल्मों में बेहद कम दिखाई देती हैं लेकिन उनकी हॉट तस्वीरें आज भी सोशल मीडिया में आग लगा रही हैं। वायरल तस्वीर में आप ईशा कोप्पिकर को बाथटब में बैठे बोल्ड पोज देते देख सकते हैं। मशहूर एक्ट्रेस शमा सिंकदर कि बोल्ड तस्वीरें सोशल मीडिया में खूब वायरल होती हैं। बॉथटब में सारे कपड़े उतारकर एक्ट्रेस ने जब फोटो क्लिक कराई तो बवाल मच गया। यूजर्स एक्ट्रेस कि फोटो में खूब कमेंट कर रहे हैं। वायरल तस्वीर में अभिनेत्री ने टॉपलेस होकर अपने बदन को झागों से कवर किया । बोल्ड फोटोशूट कराने के मामलें में बॉलीवुड कि लेडी सुपरस्टार विद्या बालन भी पीछे नहीं हैं। एक्ट्रेस ने टॉपलेस होकर सभी को चौंका दिया। वायरल तस्वीर में आप विद्या बालन को बाथटब में फोटोशूट कराते देख सकते हैं। अभिनेत्री ने सबसे ज्यादा 'द डर्टी पिक्चर' में बोल्ड और इंटीमेट सीन्स दिए जिसने सभी के होश उड़ा दिए। . .
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इलाहाबाद : महिला सहकर्मियों के शोषण और उत्पीड़न को लेकर हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद शासन ने इलाहाबाद के पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक राजकुमार यादव को निलंबित करने के बाद जांच टीम में भी बदलाव कर दिया है। अब अपर शिक्षा निदेशक सुक्ता सिंह की अगुवाई में चार सदस्यीय टीम मामले की पड़ताल करेगी। पूर्व डीआइओएस को शासन ने लखनऊ से हटाकर कुशीनगर जिले से संबद्ध किया गया है। राजकुमार यादव इलाहाबाद के बीएसए थे। अपने रसूख के चलते बाद में उन्होंने इलाहाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक पद पर तैनाती हासिल कर ली। इलाहाबाद में बीएसए रहते यादव पर महिला सहकर्मियों के शोषण व उत्पीड़न के आरोप लगे थे। यह मामला पिछले दिनों हाईकोर्ट पहुंचा था। मामला तूल पकड़ने पर यादव को इलाहाबाद के डीआइओएस पद से हटाकर लखनऊ स्थित माध्यमिक शिक्षा निदेशक शिविर कार्यालय से संबद्ध कर दिया था। हाईकोर्ट इस कार्यवाही से संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि यादव को लखनऊ में संबद्ध करने से जांच सही नहीं हो सकेगी और महिला सहकर्मियों के शोषण को लेकर बने कानून का उद्देश्य विफल हो जाएगा। कोर्ट ने पूछा कि डीआइओएस को निलंबित क्यों नहीं किया गया और एफआइआर क्यों दर्ज नहीं की गई। कोर्ट ने प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार को सात नवंबर को इस मामले में तलब किया है। शासन ने यादव को इलाहाबाद से हटाए जाने के समय इस मामले की जांच बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा को सौंपी थी। अब प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा ने अपर शिक्षा निदेशक सुक्ता सिंह को जांच अधिकारी बनाया है। वह राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान का कार्य देख रही हैं और लखनऊ शिविर कार्यालय में तैनात हैं। जांच टीम में अपर शिक्षा निदेशक नीना श्रीवास्तव, शिक्षा निदेशालय में उप शिक्षा निदेशक अनिल कुमार चतुर्वेदी एवं उप शिक्षा निदेशक गायत्री को भी शामिल किया है। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक रमेश ने बताया कि प्रमुख सचिव ने निष्पक्ष जांच करके जल्द रिपोर्ट सौंपे जाने का आदेश दिया है। साथ ही यादव का लखनऊ शिविर कार्यालय से संबद्धीकरण भी खत्म करके अब उन्हें कुशीनगर जिले में संबद्ध किया गया है।
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किसी भी मसले का ताव जब मीडिया की जुबान पर आता है, तब मालूम होता है कि हिमाचल किधर जा रहा है। ऊना के रायपुर सहोड़ा में ट्रक यूनियन यूं तो आईओसीएल के एलपीजी बाटलिंग प्लांट के गेट पर आधिपत्य जमाए बैठी रहती, लेकिन जब मीडिया से उलझी तो उसका चारित्रिक पतन दर्ज हो गया। यह दो घटनाओं का विवरण है। एक पहलू उनके विरोध और बाटलिंग प्लांट के अस्तित्व का है, तो दूसरा वह आक्रोश है जिसे बगल में छुपा कर ट्रकों का आंदोलन पत्रकारों के दल पर हमलावर हो गया। जाहिर है इस घटना ने प्रदेश के माहौल में घर कर रही विभिन्न संगठनों की अराजक मानसिकता का उल्लेख किया है, जिसे हम पत्रकारिता के आईने से देख सकते हैं। दूसरी ओर प्रदेश में हो रहे निवेश या औद्योगिक उत्पादन के दरपेश परिवहन संबंधी दिक्कतें भयावह होती जा रही हैं। इससे पहले सीमेंट उद्योग के दरवाजे पर भी इस तरह के माहौल ने चेतावनी दी थी और अब ऊना के परिदृश्य में ट्रकों की जमात के सामने सारा माहौल शर्मिंदा है। हम घटना के पहले भाग में हिमाचल की पूरी परिवहन व्यवस्था का अवलोकन करें तो सारे औद्योगिक क्षेत्रों को माल ढुलाई के रोग से ग्रस्त पाएंगे। यही तानाशाही रवैया औद्योगिक वातावरण में खंजरनुमा बनकर घूम रहा है। परिवहन का एक दूसरा रूप पर्यटन उद्योग के गले में अंगूठा देकर निरंकुश होने का अधिकार प्राप्त कर रहा है। हिमाचल में टैक्सियों का संचालन जिस तरह और जिस जिरह पर हो रहा है, उससे पर्यटन संभावनाएं अपमानित हैं। दिल्ली या मुंबई एयरपोर्ट से आप जिस दर पर टैक्सी लेकर महानगर के किसी भी छोर तक पहुंच सकते हैं, उससे कहीं विपरीत हिमाचल में चंद मिनटों की दूरी हजारों रुपयों में तय होती है। परिवहन नीति से मंजिलें तय करने के दावे कहीं तो सरकारी परिवहन की मजदूरी कर रहे हैं, तो कहीं खुली छूट में बिगड़ते माहौल की सडक़ पर बेबसी गुजर रही है। हिमाचल के तमाम औद्योगिक केंद्र अगर माल ढुलाई के फेरों में ट्रक यूनियनों से आजिज हैं, तो पर्यटक हिमाचल में टैक्सी की मुंहमांगी दरों से परेशान हैं। ढुलाई सेब की हो या सब्जी की, हिमाचल के हर कदम पर महंगाई का यही अवांछित पहलू है। परिवहन की सदाबहार फसल के आगे सेब-सब्जी उगाने वाले भी हर साल दुष्चक्र में फंस जाते हैं, तो इस बार बाटलिंग प्लांट के बाहर परिवहन के अवरोध में, मीडिया की उपस्थिति पर भी अराजक होती ट्रक यूनियन ने बता दिया कि माफिया पैदा कैसे होता है। परिवहन के ये जख्म अब मीडिया के चेहरे पर आए, तो मालूम यह करना होगा कि ट्रकों के पंजे में कौनसी बिसात बिछी है। यह विडंबना दोनों तरफ से है। मीडिया के सरोकार अब गांव-देहात से आर्थिक हालात तक नई पहल चाहते हैं, ताकि निजी क्षेत्र की उम्मीदों से ज्यादती न हो। हम यह नहीं कह सकते कि हर ट्रक हड़ताल गलत ही होगी, लेकिन हर बार हिमाचल से भागते निवेशक को पूछेंगे तो परिवहन की निरंकुश दरें ही शैतान बन कर डरा रही हैं। ऊना प्रकरण में अब तक सरकार को सारे विषाद की जड़ खोज लेनी चाहिए थी, ताकि सडक़ों पर बढ़ता उत्पात नियंत्रित किया जा सके। बेशक निवेश तो किसी ट्रक और टैक्सी की मिलकीयत में भी है, लेकिन ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कि परिवहन क्षेत्र को माफिया होने से बचाया जा सके। इस बार मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि ट्रकों की मनमर्जी का शिकार मीडिया भी हो गया। यह महज कानूनी मर•ा नहीं, बल्कि उस छूट की गुस्ताखी है जो परिवहन क्षेत्र को मिल रही है यानी अब तक जो दौर डरा-धमका कर माल ढुलाई को महंगा कर रहा था, वह मीडिया की स्वतंत्रता को भी आंखें दिखाने लगा है। यह विभिन्न यूनियनों की छत्रछाया में फैल रही अराजकता है, जो अपने सामने किसी भी लोकतांत्रिक सवाल को बर्दाश्त नहीं करती। हिमाचल में हिमाचली धौंस का सरकारीकरण उस भावना से प्रेरित है, जो दिल खोलकर सरकारी नौकरियां बांटता है और प्राइवेट धंधे को भी अनावश्यक दखल के नाखूनों से छीलता है। यही वजह है कि हमारी आर्थिकी ठहर-सी गई है या निजी क्षेत्र के रोजगार को भी प्रताडि़त कर रही है। परिवहन क्षेत्र को ही सुधार लें, तो इसके साथ पर्यटन, उद्योग व व्यापार के साथ-साथ उपभोक्ताओं की भी सरलता व सहजता से प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में भागीदारी बढ़ाने की भूमिका बढ़ेगी।
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मण्डपके मध्यमें परम दिव्य कनकमय चौकमें दिव्यरत्नसिंहासन पर बिराजे हुए युगलसरकार परात्परतर प्रभु श्रीसीतारामजी महाराजके सन्मुख उपस्थित करते हैं । वहां पर श्री भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और हनुमदादिक नित्य दिव्य सेवकोंसे सेव्यमान प्रभुका दर्शनकर तुक्तात्मा कृत्य कृत्य होजाता है और प्रभुके चरणोंमे प्रेमसहित जैसे जडसे कटा हुआ झाड गिर पडता है उस प्रकार गिरकर साष्टाङ्ग दण्डवत् करता है । दीनबन्धु, भक्तवत्सल, परमोदार, परमदिव्य, परमप्रतापी, दयानिधि, पतितपावन, देवाधिदेव, विधिहरिहरवन्दित, अनन्त कोटि ब्रह्माण्डाघिनायक, श्रीरामजी दया स्वरूपिणी श्रीजानकीजी की कृपादृष्टिसे आलोचित प्रेमी भक्तको दौडकर हृदयमें लगाते हैं। और परम मधुर स्वरसें उसे सान्त्वना देते हैं। अपना अभयकरकमल उसके मस्तकपर रखकर उसके समस्त पाप, ताप, क्लेश और चिन्ताओंका हरणकर शाश्वत शान्तिप्रदान करते हैं । तबसे वह जीव जीवन्मुक्त होजाता है। प्रभुके नित्य धामके निवासी नित्य जीवोंके सदृश होजाता है और परम अविचल, चिन्मय आनन्दमय, प्रेममय प्रभु धामका नित्य निवासी बन जाता है। प्रभु अपने धामका वर्णन करते हुए कहते हैं । यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम । " जहां जाकर जीव वापिस नही लौटता है वह मेरा परमधाम है " श्रुति कहती है । मुक्त स्वरूप "पादोस्य विश्वाभूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि " मुमुक्षुजीव वात्सल्यादि दिव्यगुणसागर, उपनिषद् वेद प्रतिपाद्य, सर्व शरणागतोंके रक्षक य तो वा इमानि भूतानि जायन्ते येन जातानि जीवन्ति यत्प्रयन्त्यभि संविशन्ति " इत्यादि श्रुतियों और "जन्माद्यस्ययतः इत्यादि सूत्रोंसे प्रतिपाद्य उत्पत्ति पालन, प्रलय कर्ता, सर्वसमर्थ, इन्द्रादि समस्त देवताओंके स्वामी, अनादि और अनन्त, "यौ वै ब्रह्माणं विदधाति पूर्व यो वै वेदांश्च प्रहिणोति तस्मै । तं ह देवात्मबुद्धिप्रकाशं मुमुक्षुर्वै शरण महम् प्रपद्ये " इत्यादि श्रुतिकरके प्रतिपादित ब्रह्मादि देवपूजित, समस्त शत्रुओंका नाश करनेवाले सुन्दर वेदोंका उपदेश देनेवाले, सर्वज्ञ, सर्वसमर्थ, परमपावन, योगियोंको भी अत्यन्त दुर्लभ, समस्त चेतनों को चेतनता प्रदायक ध्यान, पूजन, उपासना करनेलायक प्रभु श्री सीतारामजीकी आराधना करता है और समस्त संशयरूपी गर्विष्ठ हाथियोंका नाश करनेवाले सिंहवत् श्रीगुरुशरण होकर प्रभु भजन करता है। वह मुमुक्षु सत्सङ्ग और गुरुकृपा कटाक्षके प्रभावसें सांसारिक स्पृहाओंका नाश करदेता है, और प्रभुकी साङ्गोपाङ्ग प्रपत्ति स्वीकारकर, समस्त प्रारब्ध कर्मोंका उपभोगकर पञ्चत्वको प्राप्त होता है और प्रभुके दिव्य धाममें जाकर बसता है वह मुक्तात्मा सुषुम्ना नाडीसे बहिर्गत होकर जिसरास्तेसें प्रभुधाममें जाता है उस अर्चिरादि मार्गका श्रुति वर्णन करती है । " तेऽचिष मेवाभि संभवन्ति, अर्चिषोऽहः, अहः आपुर्यमाण पक्षमापूर्यमाणपक्षायान् पडदङङेति मासास्तॉन् मासेभ्यः संवत्सरं संवत्सरादादित्यमादित्याच्चन्द्रमसं चन्द्रमसो विद्युतं तत्पुरूषोऽमानवः । स एनान् ब्रह्म गमयत्वेष देव यथो ब्रह्म पथ एतेन प्रतिपद्यमाना इमं मानव मानत नावर्तन्ते । वह मुक्तात्मा अर्चिरादिमार्गसें होता हुआ प्रभुको प्राप्त करता है. प्रथम अग्निलोक, फिर दिनके अभिमानी देवलोकमें, फिर पक्षाभिमानी देवलोकमें, फिर उत्तरायणको प्राप्त होता है, फिर संवत्सर, फिर सूर्यलोक, चन्द्रलोक, विद्युल्लोक, इत्यादिकोंको अतिक्रमण करके प्रभुके दिव्य धामको प्राप्त करता है । यही देवपथ है यही ब्रह्मपथ है । जो इस रास्तेसें प्रभुसानिध्यको प्राप्त करता है वह इस आवागमनरूपी मर्त्यलोकमे फिर नही आता है। यह आत्मा उस प्रभुधाममें प्रभुसें पृथक् होकर रहता है । ज्ञान पुरस्पर अपनेको प्रभुका विशेषण, प्रकार, पोष्य, शेष आदिकमानकर प्रभुसेवापरायण रहता है, यदि उसकी इच्छा होती है तो प्रभुकी चरण पादुकाका रूप उसे प्राप्त होता है, यदि उसकी इच्छा होती है तो प्रभुके दिव्य शरीरका कुण्डल, कङ्कण नूपुर आदिक बनकर प्रभुका परम संश्लेष-परम संयोग प्राप्त करता है। तात्पर्य वह है कि वहांपर मुक्तजीव जिस प्रकारकी भक्ति करना चाहता है उसके लिये प्रभु कृपार्से सब सुलभ होजाता है। यही वात शास्त्रों कही गई है - यथायदा कामयते मुक्तो जगदीशस्य पादयोः । आत्मनः पादुकारूपं तस्मै तत्माप्यते तदा ।। यदा कङ्कणभावं वा कुण्डलं वा परात्मनः । वाञ्छति च तदा स्वामी तदप्यस्मै प्रयच्छति ॥
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कैसे हुई 'शक्तिमान' की मौत? मार्च महीने में बीजेपी के प्रदर्शन के दौरान घायल देहरादून पुलिस के घोड़े 'शक्तिमान' की मौत हो गई है. इस घोड़े को अमरीका से आया कृत्रिम पैर लगाया गया था. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शिवानंद दाते ने बीबीसी को बताया कि बुधवार को इस घोड़े के घायल पैर की पट्टी बदली जानी थी और इसके लिए उसे एनस्थीसिया (बेहोश करने के लिए) दिया गया था. इससे घोड़े को शॉक लगा और फिर वो नहीं उठा. मार्च महीने में इस घोड़े को कथित तौर पर एक बीजेपी विधायक ने ज़ख़्मी किया था. उन्हें गिरफ़्तार भी किया गया लेकिन विधायक गणेश जोशी बाद में ज़मानत पर छूट गए थे. उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष अजय भट्ट ने शक्तिमान के लिए सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. इससे पहले, शक्तिमान के पैर को आपातकालीन जीवन रक्षक सर्जरी में काटना पड़ा था. उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू ने पैर काटने के फ़ैसले पर कहा था कि घोड़े के घायल पैर में ख़ून का पहुंचना बंद हो गया था और ऐसी हालत में अगर तत्काल टांग नहीं काटी जाती तो घो़ड़े में गैंगरीन फैल जाता. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं. )
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Gwalior Drinking Water Problem News: दीपक सविता, ग्वालियर नईदुनिया। गर्मी में जहां अन्य शहराें में पेयजल संकट की स्थिति बन रही है, वहीं ग्वालियर में अब तक ऐसी काेई समस्या नहीं है। यहां पानी ताे पर्याप्त है, लेकिन ड्रिस्ट्रीब्यूशन की गड़बड़ाई व्यवस्था काे सुधारना अफसराें के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इस समस्या के निराकरण के लिए अफसर भी लगातार प्रयास में जुटे हुए हैं। अब गर्मी के प्रकाेप काे देखते हुए पानी की बर्बादी राेकना जरूरी हाे गया है, इसलिए मंत्रियाें काे भी कमान संभालना पड़ रही है। जिससे ड्रिस्ट्रीब्यूशन व्यवस्था काे सुधारा जा सके। साथ ही हर घर तक नियमित पानी पहुंच सके। इसके लिए आज प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने ग्वालियर में जिला प्रशासन, नगर निगम, पीएचई के अधिकारियाें के साथ बैठक की है। बैठक में पूर्व मंत्री एवं लघु उद्याेग विकास निगम की अध्यक्ष इमरती देवी ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि अफसर हमारी सुनते ही नही हैं। शहर के लिए तिघरा में पर्याप्त पानी है, लेकिन अमृत योजना की लाइनों में परेशानी है। जिससे डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में थोड़ी परेशानी आ रही है। आज प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने सभी मंत्री, जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की संयुक्त बैठक ली है। बैठक के बाद यह जानकारी ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह ताेमर ने पत्रकाराें काे दी। उन्हाेंने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ एवं दिग्विजय सिंह द्वारा दिए गए बयान के सवाल पर कहा कि राजनीति के लिए यह दोनों इस प्रकार के बयान देते हैं। जबकि इस प्रकार के मामलों में राजनीति नहीं समाधान होना चाहिए । जबकि इन दोनों नेताओं के बयान से सौहार्दपूर्ण वातावरण बिगड़ रहा है। बैठक में पानी की समस्याओं को लेकर डबरा विधानसभा क्षेत्र, ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र, ग्वालियर नगर निगम को लेकर सभी जनप्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी समस्याएं रखीं। बैठक में पूर्व मंत्री इमरती देवी सुमन ने प्रभारी मंत्री से कहा कि भाईसाहब पहले हमारी सुन लो, यहां पर अधिकारी बात नहीं सुनते हैं, इसके कारण जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बैठक के दौरान ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ,बीज निगम के अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल,लघु उद्याेग विकास निगम की अध्यक्ष इमरती देवी ,जिला पंचायत अध्यक्ष मनीषा भुजवल यादव ,पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता, मदन कुशवाह, कौशल शर्मा के अलावा नगर निगम आयुक्त किशोर कन्याल ,सीईओ जिला पंचायत आदि मौजूद थे।
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सभी वर्गों के लोगों को एक साथ आने को कहा। कई जल संरक्षण विशेषज्ञों और आध्यात्मिक गुरुओं ने रविवार को जल संकट के कारण दुनिया भर में अशांति की चेतावनी दी और इसे रोकने के लिए सभी वर्गों के लोगों को एक साथ आने को कहा। अगले साल होने वाले संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन से पहले यहां आयोजित एक बैठक में सूखे और बाढ़ पर पीपुल्स वर्ल्ड कमीशन के अध्यक्ष और भारत के 'वाटरमैन' राजेंद्र सिंह ने कहा कि जल संकट के कारण दुनिया भर में अशांति फैल जाएगी और इसे रोकने के लिए सभी वर्गों के लोगों को साथ आना होगा, तभी शांति कायम होगी। आध्यात्मिक गुरुओं ने सर्वसम्मति से जल संरक्षण और प्रबंधन पर अपने प्रवचनों के माध्यम से समाज को जगाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी धर्म ग्रंथों में प्रकृति के संरक्षण को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है। आयोजकों के एक बयान के अनुसार, धर्मगुरुओं ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत सहित पूरी दुनिया में जल संरक्षण के माध्यम से शांति के लिए सभी को एक साथ आना चाहिए. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जल और प्रकृति में भारतीय आस्था की रक्षा के लिए धार्मिक नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मिलकर काम करेंगे। बयान में कहा गया है, "विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में जल सुरक्षा के लिए अभियान चलाया जाएगा, भूजल पुनर्भरण के लिए चेतना यात्रा आयोजित की जाएगी, जिसमें सभी धर्मों के धर्मगुरु नेतृत्व करेंगे। " हिमालयन रिवर बेसिन काउंसिल की अध्यक्ष इंदिरा खुराना ने कहा कि किसी ने नहीं सोचा था कि जलवायु परिवर्तन इतनी जल्दी हम सभी को प्रभावित करेगा, लेकिन जिस तरह से इसका प्रभाव बढ़ रहा है, यह भविष्य के लिए चिंता का विषय है और यह जरूरी भी है. समाज के लिए इसे दूर करने के लिए।
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रायपुर. कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, हमारा नजरिया ही उसे छोटा या बड़ा बनाता है. तभी तो राजस्थान में झीलों के शहर उदयपुर में रहने वाली प्रिया सचदेव जो कॉमर्स से ग्रेजुएशन करने के बाद इवेंट कंपनी के लिए काम कर रही थी वो आज चाय की एक ठेली लगाती हैं. हालांकि इस काम को शुरू करने से पहले उनको अपने ही घर में विरोध का सामना करना पड़ा और जैसे-तैसे घरवाले इस बात के लिया तैयार हुए तो समाज ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया, यहां तक की उनको धमकियां तक मिलने लगीं. आलोचनाओं और धमकियों से बेपरवाह प्रिया अपने फैसले से पीछे नहीं हटीं और आज उनकी 'थ्री एडिक्शन' नाम की चाय की ये ठेली यहां आने वाले सैलानियों को भी अपनी ओर खींच लाती है. प्रिया ये देखकर सोचने को मजबूर हुईं कि हमारा समाज चाहे जितनी भी समानता की बात करे, लेकिन वो आज भी लड़के और लड़कियों में भेद करता है. इसी परेशानी को देखकर उन्होने लड़कियों के लिए चाय का ठेला लगाने का सोचा. खास बात ये है कि प्रिया वाई-फाई की सुविधा अपने कस्टमर को बिल्कुल मुफ्त देती हैं. प्रिया का काम आज भले ही समाज के लिए मिसाल बन रहा हो लेकिन इसकी शुरूआत इतनी आसान नहीं थीं. प्रिया के पिता कारोबारी हैं और वो बेकरी चलाते थे और उनकी मां ब्यूटी पार्लर चलातीं थीं. इसलिए जब उन्होने अपने इस आइडिया के बारे में अपने घर में बात की तो घर वालों ने खासतौर पर उनकी मां इसके लिए तैयार नहीं हुईं. तब उन्होने अपनी मां को विश्वास दिलाया कि वो उनको इस काम के लिये थोड़ा वक्त दे और अगर वो इसमें असफल रहीं तो वो इस काम को छोड़ देंगी. इसके बाद उन्होने एक कॉलोनी के पास चाय का ठेला लगाया. ये ठेला उन्होने उस जगह पर लगाया जहां पर काफी सारे कॉलेज और हॉस्टल थे. प्रिया का मुताबिक उनका ये ठेला सड़क किनारे लगता था जिसे नगर निगम वाले कभी भी हटा सकते थे. इसलिए उन्होने एक पक्की दुकान किराये पर ली. ये दुकान उदयपुर के सुभाष नगर इलाके में है. उनके इस ठेले में ज्यादातर लड़कियों का जमघट लगा रहता है, हालांकि यहां पर लड़के भी चाय पीने आते हैं. प्रिया किसी को मना नहीं करती. 'थ्री एडिक्शन' नाम के चाय की ये ठेली को उन्होने नो-स्मोकिंग जोन बनाया हुआ है, ताकि वहां मौजूद दूसरी लड़कियों को किसी तरह की असुविधा ना हो. बावजूद अगर कोई कस्टमर यहां पर स्मोक करता है तो वो पूरी विनम्रता से उसे मना कर देती हैं.
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उत्तरी कोरिया के उप संसद सभापति ने कहा है कि जो भी कोरिया प्रायःद्वीप की शांति को भंग करने के प्रयास करेगा वह हमारे हमले का निशाना बनेगा। केलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग से मरने वालों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। उत्तर कोरिया ने कहा है कि अगर इस देश के ख़िलाफ़ अमरीकी धमकियां जारी रहीं तो गोओम द्वीप में अमरीकी सेना की छावनी पर मीज़ाईल बरसाएंगे। मलेशिया के क़ुद्स फ़ाउंडेशन का कहना है कि इस्राईल म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार के लिए हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। यूरोप के बड़े देशों ने जेसीपीओए के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति के दृष्टिकोण से असहमति जताई है। रूस के विदेशमंत्रालय ने एक बयान जारी करके ईरान और जेसीपीओए के विरुद्ध ट्रम्प की नीतियों को ख़ारिज करते हुए कहा कि जेसीपीओए से पहले और प्रतिबंधों की ओर पलटना असंभव है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी आईएईए के महानिदेशक यूकिया अमानो ने ईरान और जेसीपीओए के विरुद्ध अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ईरान वर्तमान समय में परमाणु सत्यापन व्यवस्था में सबसे मज़बूती के साथ शामिल है और वह जेसीपीओए के अनुसार अपने समस्त वचनों पर अमल कर रहा है। अमरीका के विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता ने ईरान विरोधी ट्रम्प के भाषण का विवरण देते हुए कहा है कि वाशिंग्टन जेसीपीओए से नहीं निकला है। फ़्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी और रूसी संचार माध्यमों ने बड़ी तेज़ी से अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के ईरान विरोधी और जेसीपीओए के बारे में उनके बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने अमरीका के साथ हर स्तर पर संपर्क जारी रखने की घोषणा की है जबकि दोनों देशों का एजेंडा संयुक्त दुशमन को पराजित करना है और इंटैलीजेन्स जानकारियों के सही समय पर आदान प्रदान से आतंकियों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही संभव हुई।
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मानसिक चिन्ता रात चिन्ता करते करते अपने सोचने और समझनेकी शक्तिका विलकु नाश कर बैठते है और तब उनकी अवस्था दिनपर दिन इतनी अधि हीन होती जाती है कि उनके फिरसे उठनेकी कोई सम्भावना नही जाती । उसी दशामे वे निराश होकर उन चिन्ताओसे मुक्त होनेके लि मद्यपान करने लगते है अथवा और किसी प्रकारका नशा करने लग हे । मानो धीरे धीरे सुलगती हुई आग और जोरसे मुलगाई जा लगती है जो अन्तमे समस्त मानसिक और शारीरिक शक्तियोको भर करके ही छोड़ती है । जो व्यक्ति अपने जीवनमे कभी कोई काम अच्छी तरह या तोरसे न कर सका हो, उसे सबसे पहला काम यह करना चाहिए वह चिन्तासे अपने आपको मुक्त कर ले । हमारे सुख और उन्नति जितनी अधिक वावक छोटी छोटी चिन्ताएँ हुआ करती है, उतन अधिक बाधक और कोई वात या चीज नहीं होती । घोडा मेहन करनेसे उतना ज्यादा परेशान नहीं होता जितना मक्खिपोसे परेशान रहता है । मेहनत उसे चिन्तित नही करती, पर मक्खियो उसे चिन्ति कर देती हैं । फिर गाडी रवीचनेसे वह उतना नहीं घबराता जितन बार बार रासके खीचे जाने और चावुक के हिलनेसे घबड़ाता है। इस तरह आदमी भी वडे बडे कामोसे उतना परेशान नहीं होता जितन व्यर्थकी छोटी मोटी चिन्ताओसे । इसलिए प्रत्येक समझदार आदमीव यह मुख्य कर्तव्य है कि वह अपने आपको सदा सन प्रकारकी चिन्ता ओसे मुक्त रक्खे और व्यर्थकी बातोकी फिकरके अपने आपको परे शान न करे । क्योकि यही चिन्ता एक ऐसी चीन जो हमारी ि योका भी नाश करती है और हमारे सुखका भी ।
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इगलास। हर वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन तुलसी जयंती मनाई जाती है। शनिवार को अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा द्वारा महाकवि गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पूर्व संध्या पर महामंत्री के आवास पर सुंदर कांड पाठ आयोजित कर मनाई गई। इस दौरान विश्व कल्याण व कोरोना से मुक्ति दिलाए जाने के लिए हवन-यज्ञ किया गया। अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण कौशिक ने कहा कि तुलसीदास ने सगुण भक्ति की रामभक्ति धारा को ऐसा प्रवाहित किया कि वह धारा आज भी प्रवाहित हो रही है। उन्होंने रामभक्ति से सिर्फ अपना ही जीवन कृतार्थ नहीं किया बल्कि सभी को श्रीराम के आदर्श से बांधने का प्रयास भी किया। डा. नृपतिदेव भारद्वाज ने कहा कि तुलसीदास ने भगवान श्रीराम के जीवन को रामचरित मानस में दर्शाया है। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए उन्हीं की भाषा का प्रयोग किया है। कालीचरन गौड़ ने कहा कि तुलसी भारत के सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक हैं। इस मौके पर गोकुलचंद कटारा, फूलचंद तिवारी, प्रभात कुमार शर्मा, बाबूदत्त शर्मा, गौरीशंकर उपाध्याय, दीवान सिंह, अमित कटारा, सूरजपाल शर्मा, चौ. रामवीर सिंह, जगदीश प्रसाद, राजकुमार शर्मा, अरुन कटारा, आंशू शर्मा, डा. सुभाषचंद्र शर्मा, भीष्म कुमार, आदित्य कटारा आदि थे।
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चतरा/कुंदा/कान्हाचट्टी/पत्थलगडा। जिले में दिखा यास चक्रवात का व्यापक असर। दो दिनों तक हुए भारी बारिश से जिले के कुंदा, टंडवा, कान्हाचट्टी, इटखोरी, मयूरहंड, पत्थलगडा सहित अन्य प्रखंडों में दर्जनों गरीबों के कच्चे आशियाने ध्वस्त हो गए है। स्थिति ऐसी हो गई है कि प्रभावितों में कई दूसरे के घरों में शरण लिए हुए हैं। वहीं पत्थलगडा, गिद्धौर, सिमरिया व लावालौंग प्रखंड में तीन दिनों से बिजली आपूर्ति ठप है। मिली जानकारी के अनुसार कुंदा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत नवादा पंचायत के कोडहास गांव निवाशी बिरजू दास, मौर्य देवी, जुगल प्रसाद एवं उमेश भारती का मिट्टी का घर बारिश की वजह से ध्वस्त हो गया है। सभी के पास रहने के लिए घर नहीं बचा है, साथ ही घर में रखे खाद्य सामग्री भी दब कर नष्ट हो गए हैं। जिसके कारण सभी को रहने के साथ भोजन की भी समस्या उत्पन हो गई है। किसी तरह से अपने पड़ोसियों के घर में फिलहाल रह रहे हैं। वही टिकैतबांध व कोजराम समेत अन्य पंचायतों म कई गरीबों के घर ध्वस्त हो गए है। जिन्हें राहत नही पहुंचाई गई है। आपदा प्रबंधन के तहत भुक्तभोगियों ने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है। वहीं कान्हाचट्टी प्रखंड के करमा गांव निवासी प्रीतम यादव पिता स्व. महावीर यादव का घर बारिश से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। जिससे प्रीतम घर से बेघर हो गया है, पिडीत के पास मात्र एक गिरा हुआ घर हीं रहने के लिए है। जिसमें जैसे तैसे अपने परिवार के साथ रहने को मजबूर है। मुखिया रामानंद कुमार ने पीडित को ढाढस बंधाते हुए कहा प्रयास करेंगे आपदा प्रबंधन से आवास योजना की स्वीकृति मिल जाए। दुसरी ओर टंडवा, पत्थलगडा, इटखोरी व मयूरहंड में भी दर्जनों गरीबों का आशियाना भारी बारिश की भेट चढ़ गई। लेकिन पीड़ितों को राहत पहुंचाने का काम नही किया गया।
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Ranchi: अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ का लक्ष्य एवं मकसद बिल्कुल स्पष्ट है. आम जनमानस को उनके अधिकार, संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार तथा संवैधानिक कर्तव्यों के बारे में जानकारी प्रदान करना तथा शोषितों, वंचितों, पिछड़ों और समाज के अंतिम छोर पर खड़े लोगों को न्यायिक प्रक्रियाओं से अवगत कराना तथा न्याय दिलाना. राज्य के विकास एवं सामाजिक बेहतरी के लिए अधिवक्ताओं को आगे आकर नेतृत्व देना होगा, यही मौजूदा समय की जरुरत है. उक्त बातें आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव डॉ. लंबोदर महतो ने रांची स्थित केंद्रीय कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में उपस्थित अधिवक्ताओं, पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही. मौके पर आजसू पार्टी के केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने सभी अधिवक्ताओं से आग्रह करते हुए कहा कि आत्मसंतुष्टि के लिए कार्य करें, शोषितों-पीड़ितों और आर्थिक रुप से अक्षम लोगों को न्यायिक विषयों एवं न्यायिक प्रक्रिया में मदद करें। कहा कि जबतक जिम्मेदार लोग आगे आकर नेतृत्व नहीं करेंगे तबतक राज्य का कायाकल्प संभव नहीं है. मौके पर आजसू पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी ने कहा कि आज भी ग्रामीणों में कानूनी विषयों की जानकारी बहुत कम है. जागरुकता की कमी के कारण सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी आम जनता को कोर्ट, कचहरी एवं कार्यालयों का चक्कर लगवाते रहते हैं. ऐसी परिस्थितियों में अखिल झारखण्ड अधिवक्ता संघ की जिम्मेदारियां और बड़ी हो जाती हैं. ग्रामीणों को न्याय दिलाने के लिए अधिवक्ताओं को बड़ी एवं महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी. सभी अधिवक्ता आम जनता को न्यायिक प्रणाली एवं विषयों को लेकर तार्किक, बौद्धिक एवं वैचारिक मदद करें. तथा गरीब और आमजन को सुलभता से न्याय दिलाने तथा उनके कल्याण के लिए कार्य करते रहें. वर्तमान राजनीतिक परिपेक्ष्य तथा झारखंड के नवनिर्माण में अधिवक्ताओं एवं बुद्धिजीवियों की भूमिका एवं जिम्मेदारियां व्यापक हैं. आजसू पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते हुए विधि विभाग, झारखंड सरकार के पूर्व प्रधान कानून सचिव एवं पूर्व न्यायाधीश श्री पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि जिस प्रकार आजसू पार्टी बिना भय, पक्षपात, राग या द्वेष के सकारात्मक राजनीति करती आई है, ठीक उसी प्रकार अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। राज्य में कानून का शासन स्थापित हो तथा न्यायिक स्वतंत्रता बरकरार रहे, इसे लेकर हमें व्यापक रोडमैप के साथ कार्य करना है. मिलन समारोह को संबोधित करते हुए अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ के प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम गोस्वामी ने कहा कि कानूनी रुप से परिपक्व एवं सक्षम नेताओं को समाज की जरुरत है, यही मौजूदा समय की भी मांग है. दूरगामी सोच के साथ इस दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा. इसी क्रम में अधिवक्ता संघ के गठन, पुनर्गठन एवं विस्तार का कार्य निरंतर जारी है. मिलन समारोह के दौरान अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम गोस्वामी, प्रधान महासचिव भरत चंद्र महतो सहित सभी प्रदेश पदाधिकारियों को भी सम्मानित किया गया. इन्होंने ली आजसू की सदस्यता : पूर्व प्रधान कानून सचिव एवं न्यायाधीश पंकज श्रीवास्तव, झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अमरेश कुमार, आशीष गौतम, राजेश कुमार पासवान तथा रंजीत महतो, उमेश चंद्र दास एवं प्रदीप कुमार. मिलन समारोह में मुख्य रूप से आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव डॉ. लंबोदर महतो, मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत, केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी, केंद्रीय प्रवक्ता मनोज सिंह, अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ के प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम गोस्वामी, अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ के प्रधान महासचिव भरत चंद्र महतो, उपाध्यक्ष दिनेश चौधरी, जेपी झा, महासचिव गोपेश्वर सिंह, सचिव संजीत कुमार, रमेश कुमार सिंह, सर्वेश्वरी कुमारी, अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ के रांची जिलाध्यक्ष अंजीत कुमार, केंद्रीय कार्यालय मीडिया प्रभारी परवाज़ खान सहित अन्य मौजूद रहें.
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दुर्भाग्यवश, फिलहाल, डॉक्टर नहीं कर सकते हैंइस तरह के रोगविज्ञान के एक विशिष्ट कारण का नाम दें। इसके विकास के लिए अग्रणी प्रमुख कारकों के लिए, निम्नलिखित प्रतिष्ठित हैंः हेपेटाइटिस बी, सी, डी, आनुवांशिक पूर्वाग्रह, शराब का दुरुपयोग, ऑटोम्यून्यून रोग आदि। - दाईं ओर असुविधा और दर्दरोगभ्रम। आम तौर पर, इस प्रकार का दर्द फैटी खाद्य पदार्थ या अल्कोहल उत्पादों, एक गंभीर शारीरिक तनाव खाने के बाद तेज होता है। डॉक्टरों द्वारा इस स्थिति को समझाया गया है कि जिगर लगातार आकार में बढ़ रहा है, और इसके कैप्सूल भी फैला हुआ है। अक्सर, यह बीमारी पुरानी गैस्ट्र्रिटिस या अग्नाशयशोथ से जुड़ा हुआ है। - मतली और उल्टी। पेट और एसोफैगस की वैरिकाज़ नसों की उपस्थिति में, रक्त स्प्लेश के साथ उल्टी की उच्च संभावना होती है। - मुंह में कड़वाहट और सूखापन की लगातार भावना। - सामान्य मलिनता, थकान, चिड़चिड़ाहट। - यकृत हेरोसिस के लक्षणों का उल्लंघन किया गया हैहमारी मानवता के मेले आधे के प्रतिनिधियों में मासिक धर्म, और पुरुषों में - यौन कमजोरी में (कुछ मामलों में, यहां तक कि पूर्ण नपुंसकता का निदान किया जाता है)। - इस तथ्य के संबंध में कि शरीर में तथाकथित पित्त एसिड का एक सतत संचय होता है, त्वचा का सबसे मजबूत खुजली संभव है। एक रोगी की जांच करते समय डॉक्टर आमतौर पर ध्यान देते हैंकुल वजन घटाने, शरीर के थकावट और संयोगी मांसपेशी एट्रोफी को पूरा करने के लिए। अक्सर, वजन घटाने से चेहरे के साथ शुरू होता है, और कुछ मामलों में अंगों के साथ भी। गालियां बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं, सबसे कम edema निचले हिस्सों पर मनाया जाता है। ध्यान दें कि वयस्क आबादी की तुलना में बच्चों में यकृत ज़ीरोसिस के दृश्य लक्षण थोड़ा अलग हैं। उदाहरण के लिए, डॉक्टर शारीरिक और यौन विकास में गंभीर अंतराल देखते हैं। थोड़ा हल्का छाया के साथ, त्वचा ज्यादातर सूखी होती है। जब अंग की तलछट होती है, तो इस क्षेत्र में इसकी वृद्धि देखी जाती है, साथ ही छोटी सूजन और यहां तक कि ट्यूबरोसिटी भी देखी जाती है।
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उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अपने मुंंबई दौरे में उत्तरप्रदेश में विश्वस्तर की फिल्मसिटी निर्मित किए जाने की बात कही. योगी के इस बयान के बाद सियासत गर्म हो गई है. हालाकि फिल्म सिटी निर्माण होना देश की प्रगति में एक महत्वपूर्ण योगदान भी साबित हो सकता है. योगी ने कहीं भी ऐसा नहीं कहा है कि वे मुंबई की फिल्म सिटी को उत्तरप्रदेश के नोयडा में ले जा रहे है. बल्कि उन्होंने उत्तरप्रदेश मेें नये रूप से फिल्म सिटी के निर्माण की बात कहीं है. मुख्य बात तो यह है कि मुंबई यह फिल्मसिटी की जननी है. एक माता के अलग-अलग पुत्र यदि अन्यत्र जाकर नये रूप से कुछ सृजन करते है तो वे माता के अस्तित्व को चुनौती नहीं देते बल्कि माता के अस्तित्व को अपनी योग्यता के बल पर चार चाँद लगा देते है. फिल्मसिटी के मामले में भी यही कहा जा सकता है. मुंबई यह बालीवुड की जननी रही है. उसका अस्तित्व वहीं रहेगा. भले ही उत्तरप्रदेश सहित अनेक राज्यों में फिल्म सिटी का निर्माण हो. इस हालत में यदि कोई योगी के इस निर्णय का विरोध करता है या आपत्ति जताता है तो वह अपनी एक संकुचित मानसिकता का परिचय देता है. सर्वमान्य सिध्दांत है कि जितने चिराग जलाओं उतनी रोशनी होगी. भारत में फिल्मसिटी का उद्योग बहुत पुराना है. मुंबई में सभी प्रांत के कलाकार इस फिल्मसिटी का हिस्सा हैे. भले ही फिल्मसिटी की रचना मुंबई की हो. लेकिन इसमें अधिकांश कलाकार उत्तरप्रदेश के ही है. महानायक अमिताभ बच्चन स्वयं प्रयागराज निवासी है. इसी तरह अनेक गायक,गीतकार, संगीतकार का भी उत्तरप्रदेश से तालुक रखते हैे,ऐसे में विभिन्न प्रांतों की संस्कृति से जुड़ी फिल्म सिटी है. इसलिए फिल्म सिटी का विकेन्द्रीकरण किसी क्षेत्र के उद्योग को समेटने की प्रक्रिया नहीं है बल्कि उद्योग के विस्तार का कदम है. निश्चित रूप से इससे संबंधित क्षेत्र के कालाकारों को प्रोत्साहन मिलेगा,ऐसा नहीं की पहलीबार फिल्म सिटी का विकेन्द्रीकरण किया गया हो. इससे पूर्व भी हैदराबाद में रामोजी फिल्म सिटी आरंभ हुई थी. दक्षिण भारत में तो अनेक फिल्में निर्माण हो रही है. भारत जैसे विकसनशील देश में किसी एक दायरे में सिमटकर नहीं रहा जा सकता. उसके लिए अलग-अलग जगह पर विस्तार की रूपरेखा तय करनी होगी. महाराष्ट्र में फिल्म उद्योग का व्यापक कारोबार है. उसमें हजारों लोग जुड़े हुए है. इस हालत में फिल्मसिटी को यहां से हटाने का कोई कारण नहीं हो सकता है. लेकिन उसका विस्तार तो किया जा सकता है. खासकर उत्तरप्रदेश मेें वहां के मुख्यमंत्री द्वारा विश्वस्तर की फिल्म सिटी बनाने की बात कहीं जा रही है. इससे देश की गरिमा को भी बढ़ावा मिलेगा. स्थानीय कलाकारों को योग्य अवसर भी प्राप्त होंगे. इसलिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा यदि उत्तरप्रदेश में विश्वस्तर की फिल्म ािसटी के निर्माण का बहुमान मिलेगा. इसके साथ ही उत्तरप्रदेश में जहां जातिगत राजनीति का भी सफाया हो सकता है. फिल्म के माध्यम से चाहे वह अपने संदेश ओरो तक दे सकते है. इसलिए फिल्म सिटी के लिए तत्काल प्रयास भी आरंभ करने होगे. मुंबई के गोरेगांव में जो फिल्म सिटी है उसकी भारी दुर्दशा हो रही है. उसके सुधार की अति आवश्यकता है. कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश में विश्वस्तर की फिल्म सिटी आरंभ करने की जो बात कहीं जा रही है. उससे सही स्वरूप में देश के विकास में योगदान मिलेगा. वर्तमान में फिल्म उद्योग नष्ट होने की कगार पर है. लॉकडाऊन के बाद से नई फिल्मों का आना लगभग रूका हुआ है. इससे मनोरंजन जगत पर असर हुआ है. फिल्म उद्योग लगभग ाठप्प सा चल रहा है. हालांकि अनलॉक प्रक्रिया में सिनेमा उद्योग को अनुमति दी गई है. लेकिन दर्शकों की कमी आज भी पायी जा रही है. इस हालत में जरूरी है कि फिल्म उद्योग को बढ़ावा दिया जाए. यह सब तभी संभव है जब इस उद्योग को पोषक वातावरण मिले. अभिप्राय यह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की जानेवाली घोषणाा सराहनीय है तथा अनेक कलाकारों को उससे राहत मिल रही है. जरूरी है कि नये रूप से यदि कोई फिल्म सिटी निर्मित होती है तो वह सभी के लिए योग्य ही कही जायेगी. इसके लिए जरूरी है कि प्रतिस्पर्धा अच्छे से अच्छे निर्माण की हो. यदि आदित्यनाथ यह कहते है कि वे उत्त्तरप्रदेश में नई फिल्म सिटी का निर्माण कर रहे है तो उसका स्वागत होना चाहिए. क्योंकि उनके द्वारा निर्मित की जानेवाली फिल्मसिटी इस देश की भूमि में ही बन रही है. इससे देश के उद्योग में बढ़ोतरी होगी. इसका विरोध करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है. बल्कि इस लक्ष्य का स्वागत किया जाना चाहिए. यथाशीघ्र इस फिल्म सिटी का कार्य आरंभ हो तथा उसे पूर्ण किया जा सके. एवं नये कलाकारों को इसका लाभ मिले. इस बारे में हर कोई चाहता है. अतः योगी आदित्यनाथ की घोषणा विकास के लिए पूरक ही साबित होगी.
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: आखाह ! यह बुनियादी चीजों का जिक्र कौन कर रहा । बुनियादी चीजें विशेषज्ञों की सम्पत्ति हैं। मसलन, दुनिया एक कार्ल मार्क्स से दूसरे कार्ल मार्क्स पर, जिस तरह लंगूर एक डाल से दूसरी और दूसरी से तीसरी पर कूदता है, कूद सकती है, लेकिन जॉन स्टुअर्ट मिल के बुनियादी सिद्धान्तों के खिलाफ नहीं जा सकती। यही तो मैं सोवियत रूस से कहता हूँ कि देखा भाई तुम... : सोवियत रूस ! कब और कहाँ मिल गया तुम्हें ? : बुनियादी बातें ठीक हैं, लेकिन अपूर्ण हैं। वे अपूर्ण हैं, कमजोर हैं- और एक सही और इंसानी मसरफ की मुहताज हैं। क्राईसिस, संकट (खाँसता है।) (गवैयों की तरह गुनगुनाता कवि बाई तरफ से दाखिल होता है। कवि बेउम्र है । न बूढ़ा है न जवान और न जाने किस चीज में मगन है, ऐसी कोई चीज जिसे वह खुद नहीं जानता।) : नमस्कार बंधुओं । यहाँ तो अच्छी खासी बहस छिड़ी हुई है। लेकिन मैं आप लोगों से एक बात पूछता हूँ जिसके पीछे सारे वेद हैं, सारा सार है। पूछता हूँ कि उद्गम कहाँ है ? : तुम कवि, तुम सकून और विश्राम के कीड़े हो । तुम न गा सकते हो न चिल्ला सकते हो, इसलिए इनके बीच की चीज कविता करते हो । क्राइसिस तुम्हें न छूती है न चिढ़ाती है, वह तुम्हें मिटाने से इनकार कर ही देती है । वह तुम्हें एक हिजड़ा बनाकर अभयदान देती है। ( भीतर से दरवाजे के पास आकर दाई जरा तीखे स्वर से कहती है । ) : यह तुम लोग आपस में बातें करते हो कि गालीगलौज करते हो - यह भी कोई बात है । यहाँ यह सब मत किया करो कि... : क्या यह तुम्हारी खादिमा है ? (दाई की तरफ उँगली उठाकर दिखाते हुए ) : उसने अपनी जिन्दगी में एक बार भी पब्लिक मीटिंग नहीं देखी है । वह तबला तक तो बजाना जानती नहीं है। उसकी बात पर भरोसा मत करो । तुम कवि को खूब गालियाँ दो... : लेकिन क्यों गालियाँ दो। मैंने सीधी दो टूक बात पूछी-लेकिन शायद मैंने उद्गम की बात उठायी, नेता उससे चिढ़ गया । उसका सारा तर्करथ सरकण्डे की गाड़ी की तरह लौट गया । : सरकण्डे की नहीं, कूड़े गाड़ी की तरह लौट पड़ा। : ईश्वर के लिए तुम चुप रहो । ईमानदार बातूनजी, तुम्हारी खादिमा ने मेरा अपमान किया है। (पैर पटककर) तुम लोगों की दावत करके अपने नौकरों से तौहीन कराते हो । लानत है तुम्हारी ईमानदारी पर ! (और तेज होकर) ये मेयर सर्वेंट । : लेकिन वह बुनियादी उसूल जानती है । वह जानती है कि तुम कवि और नेता एक ही पेशे के आदमी हो। एक पेशे के आदमियों का आपस में लड़ना-लथाड़ना रायज और जायज है। उसने तुम्हारी दाद दी । उसका अपना तरीका, है, चलो, आगे बढ़ो... (इस बीच में कमसखुन अन्दर आ जाता है। वह मोटा भद्दा और असुशील-सा एक अधेड़ है। वह कम बोलता है। यह शायद उसकी वजाकता से ही जाहिर होता है। कमरे में आकर वह दो सेकेण्ड अजनबियों की तरह खड़ा रहता है और फिर अचानक जानकारी से मुस्करा देता है।) : लेकिन आप लोग सब खड़े क्यों हो ? बैठ क्यों नहीं जाते ? कुर्सियाँ बैठने के लिए ही बनायी जाती हैं। ( वे सब एकबारगी ऐं करते हैं और दरअसल अचम्भे में पड़ जाते हैं कि वाकई कुर्सियों के होते हुए भी वे अब तक क्यों खड़े रहे। अपनी इस जरा जाहिर अपदार्थता पर कुछ झेंप भी जाते हैं, ईमानदार बातून इसमें सबसे पहले सन्तुलित हो जाता है।) : खूब कहा । दुनिया की तमाम बुनियादी बातों की नाक मोम कर दी । बुनियादी बात यह है : कुर्सियाँ बैठने के लिए होती हैं यह ! (सब बैठ जाते हैं। भीतर से बूढ़ी दाई फिर दरवाजे के पास जाकर कुछ तबीह के साथ कहती है।) : अब तो सब लोग आ गये - (झाँककर) अभी वह बिटिया नहीं आयी । लेकिन लल्लन बाबू, तुम्हारा नौकर शाम का गया अभी तरकारी लेकर नहीं लौटा है । अब अगर खाने में देर हो तो धरती न छेद डालना। भला कब तरकारी आयेगी तो कब बनेगी और कब खायी जायेगी ? : तुमने फिर वही किया ( उठकर खड़ा हो जाता है।) मैं हमेशा के लिए बैठने से इनकार करता हूँ। मैंने तुमसे गुस्से में, खुशी में, होश में, बेहोशी में, न जाने कितनी मरतबे कहा है कि तुम लल्लन बाबू मत कहो । लेकिन तुम... आह तुम... आह तुम ! (दाई हकबकी रह जाती है) : माताजी, जाइए, आप भीतर बैठिए । यह तो अपना थोड़ा-सा मनोरंजन कर रहे है। खाना खाने की भी जल्दी नहीं है । सुनिए, तब तक मेरा एक छोटा-सा गीत सुनिए । (सब एकबारगी उठकर उसे रोकना चाहते हैं, लेकिन कवि शुरु कर देता है । ) 'हमको हर पशु से न बैर पंछी प्यारा 'मानव ने मानव देख ठहाका मारा । "
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बाॅलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों से घिर जाती हैं। इंडस्ट्री के बहुत सारे स्टार्स ऐसे हैं जिनके साथ कंगना का पंगा रह चुका है और एक्ट्रेस की यह तू-तू मैं-मैं अभी भी खत्म नहीं हुई है। वहीं अब कंगना सेलेब्स को छोड़ कांग्रेस नेता शशि थरूर के पीछे पड़ गई हैं। कमल हासन के दिए एक बयान की तारीफ करने पर कंगना ने शशि थरूर पर निशाना साधा है। दरअसल, कमल हासन ने बयान देते हुए कहा था कि घर के काम को सैलरी प्रोफेशन बनाया जाना चाहिए। जिसकी तारीफ करते हुए शशि थरूर ने लिखा, 'मैं कमल हासन के उस विचार का स्वागत करता हूं जिसमें उन्होंने सैलरीड पेशे के रूप में गृहकार्य को मान्यता देने के लिए कहा गया है। राज्य सरकार को इसके लिए गृहणियों को मासिक वेतन का भुगतान करना चाहिए। यह समाज में घर का काम करने वाली महिलाओं की पहचान करेगा और उनकी सेवाओं का मुद्रीकरण होगा। ' जिसके बाद शशि थरूर के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कंगना ने लिखा, 'हमारे प्यार और हमारी लैंगिगता का मूल्य मत लगाइए। हमें हमारे खुद के पालन-पोषण के लिए भुगतान न करें। हमें अपने छोटी सी दुनिया अपने घर की क्वीन बनने के लिए वेतन की आवश्यकता नहीं है। हर चीज़ को व्यवसाय के रूप में देखना बंद करें। ' आपको बता दें कंगना का इस तरह तंज कसना या निशाना साधना कोई पहली बार नहीं है। इससे पहले कंगना और एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर एक दूसरे को जमकर निशाने पर ले चुकी हैं। दरअसल हाल ही में उर्मिला ने एक नया ऑफिस खरीदा। जिसकी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है। वहीं इन खबरों के सामने आने के बाद कंगना रनौत कहां चुप बैठने वाली थी। उन्होंने उर्मिला को अपने निशाने पर लेते हुए ट्वीट कर उनपर तंज कसा था। जिसके बाद उर्मिला ने भी कंगना को खूब खरी खोटी सुनाते हुए एक वीडियो जारी किया था।
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राज्य मंत्री और प्रमुख विपक्षी आईएनएलडी के एक विधायक के बीच हाथापाई की नौबत आने से बच गई। मार्शल, कुछ मंत्री और कुछ विधायक दीवार बनकर खड़े हो गए और तब जाकर हालात जैसे-तैसे संभाल गए। चंडीगढ़ हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इतनी सियासी गर्मी बढ़ी कि एक राज्य मंत्री और प्रमुख विपक्षी आईएनएलडी के एक विधायक के बीच हाथापाई की नौबत आने से बच गई। सदन में जबरदस्त शोरगुल और हंगामे के बीच अचानक हुए घटनाक्रम को थामने के लिए मार्शल, कुछ मंत्री और कुछ विधायक दीवार बनकर खड़े हो गए और तब जाकर हालात जैसे-तैसे संभाल गए। यह वाकया राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी और आईएनएलडी के विधायक केहर सिंह रावत के बीच व्यक्तिगत टिप्पणी के चलते कुछ ऐसा घटा कि हर कोई अवाक रह गया। सदन में विवाद की शुरुआत विपक्ष के नेता अभय चौटाला और राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी के बीच शुरु हुई थी। उस वक्त किसानों का मुद्दा गूंज रहा था। अभय किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगे थे तो राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी समेत बीजेपी के अन्य विधायक जवाबी नोकझोंक करते नजर आए। इसी दौरान राज्य मंत्री बेदी ने अभय चौटाला की भाभी और डबवाली से विधायक नैना चौटाला व भतीजों दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला द्वारा पूर्व में की गई बयानबाजियों का उल्लेख कर टिप्पणी कर डाली। शोरगुल के बीच गुंडागर्दी जैसे शब्द भी सुनाई दिए। इससे सदन में शोर बढ़ गया और अभय चौटाला इस कदर बिफरे कि शिकायत करने के लिए पहले स्पीकर के आसन तक पहुंच गए। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु इस दौरान कुछ बोलने के लिए उठे थे कि अभय सीधे उनके पास गए। वहां कैप्टन का हाथ पकड़ कर वह उन्हें समझाते नजर आए। शोरगुल के कारण दोनों के बीच हुई बातचीत सुनी नहीं जा सकी। उधर, कैप्टन अभिमन्यु व अभय चौटाला आपस में बात कर रहे थे कि आईएनएलडी के अन्य विधायक भी सीटें छोड़कर सत्तापक्ष की सीटों की तरफ बढ़ गए। इसी दौरान बेदी और आईएनएलडी विधायक केहर सिंह रावत में तीखी कहासुनी शुरु हो गई। दोनों एक दूसरे को चुनौती पेश करते हुए और एक दूसरे की ओर हाथ लहराते देखे गए। इसी बीच केहर सिंह, मंत्री बेदी की सीट की तरफ बढ़े तो मौके की नजाकत देख कार्यवाही का संचालन कर रहे स्पीकर कंवरपाल गुर्जर ने तुरंत मार्शलों को सक्रिय कर दिया। मार्शलों और बेदी के पास बैठे राज्य मंत्री कर्ण देव कांबोज और मंत्री कविता जैन समेत अन्य बीजेपी के विधायक ढाल बनकर बेदी और रावत के बीच खड़े हो गए और दोनों को दूर करते और समझाते दिखाई दिए। हालात इतने गर्म थे कि एक मौके पर हाथापाई वाली नौबत आते-आते रह गई। उल्लेखनीय है कि पिछले मॉनसून सत्र के दौरान भी विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला और कांग्रेस के विधायक कर्ण सिंह दलाल के बीच एक शब्द को लेकर जूते निकालने और एक दूसरे से भिड़ने की घटना हुई थी। यह विवाद इतना आगे बढ़ गया था कि दलाल को एक साल के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था।
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असम के नगांव जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां अवैध संबंधों का पता लगने पर पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति को मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं उन दोनों ने मृतक के शरीर को कई टुकड़ों में काटकर शौचालय के सेप्टिक टैंक में फेंक दिया गया था, जिसे लगभग तीन महीने बाद बरामद किया गया था। घटना जिले के नगांव के कलियाबोर के कुठौरी इलाके की है। नगांव की पुलिस अधीक्षक लीना डोले ने बताया कि मृतक की पहचान उमेश बोरा के रूप में हुई है, जो पेशे से बढ़ई था। वह बेंगलुरु में रहता था और वहां काम करता था। वह आमतौर पर दो-तीन महीने के अंतराल के बाद अपने घर आता था। इस बीच उनकी पत्नी रीता बोरा का मुजीबुर रहमान नाम के एक व्यक्ति के साथ संबंध बन गए। लगभग तीन महीने पहले जब उमेश बेंगलुरु से घर लौटा तो उसने अपनी पत्नी और मुजीबुर को आपत्तिजनक स्थिति में पाया। पुलिस के मुताबिक पत्नी और पति के बीच तीखी नोकझोंक हुई। ऐसा अंदेशा था कि रीता और उसके प्रेमी मुजीबुर ने उमेश का गला घोंटकर वहीं उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उन्होंने उमेश के शव को कई टुकड़ों में काटकर सेप्टिक टैंक में डाला गया। इसके बाद रीता ने दूसरों को बताया कि उमेश बेंगलुरु में है और वहां से नहीं लौटा है, लेकिन कई दिनों तक बोरा का कोई पता नहीं चलने के कारण परिजनों को शक हुआ कि उसके साथ कुछ गलत हो गया है। उन्होंने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस की जांच शुरू होने के बाद मामले का खुला हुआ। पुलिस को शक हुआ और तलाशी लेने पर उन्होंने शौचालय के सेप्टिक टैंक से एक कंकाल बरामद किया। डोले ने कहा कि हमने रीता बोरा और मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच जारी है।
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फेस में खुजली या इचिंग होना किसी महिला के लिए बहुत तकलीफदेह हो सकता है। इसके वजह से आपकी त्वचा खराब दिख सकती है और यह आपको बहुत अनकंफरटेबल महसूस कराता है। (Image Credit: Freepik) फेस में खुजली या इचिंग होना किसी महिला के लिए बहुत तकलीफदेह हो सकता है। इसके वजह से आपकी त्वचा खराब दिख सकती है और यह आपको बहुत अनकंफरटेबल महसूस कराता है। (Image Credit: Freepik) अपनी त्वचा के लिए सही प्रोडक्ट का उपयोग करें। इसमें सही त्वचा टोनर, मॉइस्चराइजर, और क्रीम शामिल कर सकते है। हमेशा अपने त्वचा के लिए हाइपोअलर्जेनिक प्रोडक्ट का चयन करें और सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। (Image Credit: Pinterest) यदि आपके चेहरे में इचिंग हो रही है, तो सबसे पहले आपको इस इचिंग की वजह से निपटने के लिए अपनी त्वचा की सफाई को ध्यान देना चाहिए। दिन में कम से कम दो बार गुनगुने पानी से अपना चेहरा धोएं और साबुन का उपयोग करें जिसमें केमिकल न हों। (Image Credit: Freepik) कई बार फेस इचिंग भोजन के खपत से होती है। अगर आपको लगता है कि कोई भोजन आपको इचिंग करवा रहा है, तो उसे अपने आहार से हटा दें। आमतौर पर, चॉकलेट, मसालेदार और तली हुई चीजें आदि शामिल हो सकते हैं। (Image Credit: Eat this, not that) त्वचा को स्वस्थ और पर्याप्त मोइस्चर वाले प्रोडक्ट से पोषित रखने के लिए एक अच्छा मोइस्चराइज़र उपयोग करें। यह आपकी त्वचा को नर्म और चिकनी बनाए रखेगा, जिससे त्वचा की सूखापन कम होगी और फेस इचिंग में सुधार होगा। (Image Credit : New Love Make-up) जब आपकी त्वचा में खुजली होती है, तो अपनी उंगलियों या किसी रूखे सामग्री का उपयोग न करें। यह आपकी त्वचा को और अधिक खराब कर सकता है और फेस इचिंग को बढ़ा सकता है। (Image Credit: Healthline)
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और असंतुष्ट कांग्रेस नेता सचिन पायलट से आज बात करने वाले हैं। राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव है। कांग्रेस किसी भी कीमत इस राज्य को खोना नहीं चाहती है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट का आज मंगलवार को अशोक गहलोत पर किया गया हमला कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। कर्नाटक में कल वोट डाले जाएंगे और उससे ठीक पहले पायलट ने बयान दे दिया। पीएम मोदी बुधवार को राजस्थान में होंगे और वो कांग्रेस की उठापटक को अपने भाषण का हिस्सा जरूर बना सकते हैं। निजी अस्पताल और डॉक्टर इस बिल का विरोध कर रहे हैं, बुधवार को उन्हें राज्य के सरकारी डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवाओं के कर्मचारियों का भी साथ मिल गया। विरोध कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि इस विधेयक में आपातकाल में निजी अस्पतालों को निशुल्क इलाज करने के लिए बाध्य किया गया है। राजस्थान सरकार दोनों युवकों की पत्नियों तथा बच्चों को पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता देगी। इस सहायता राशि में से एक-एक लाख रुपये की राशि नकद दी जाएगी बाकि बचे चार-चार लाख रुपयों की फिक्स डिपॉजिट (एफडी) कराई जाएगी।
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- Travel आखिर क्यों कोई नहीं कर पाया कैलाश पर्वत की चढ़ाई? क्या है इसका वैज्ञानिक कारण? सिर्फ पानी ठंडा कम करने के लिए नहीं वजन भी घटाता है आइस क्यूब, जाने कैसे? अक्सर हम आइस क्यूब का इस्तेमाल खाने में करते है या फिर शर्बत में मिलाकर पीने में करते हैं। इसके अलावा ब्यूटी टिप्स में भी किया जाता है। कई तरह के ब्यूटी टेक्निक में जैसे मसाज और फेसपैक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब बर्फ का इस्तेमाल सिर्फ ब्यूटी का निखारने में नहीं, फैट लूज करने में भी होने लगता है। आइस थेरेपी क्या है? हम बर्फ का इस्तेमाल कोल्ड ड्रिंक्स और खाने के साथ-साथ इसका इस्तेमाल ब्यूटी सर्विसेज में भी करते हैं। इसके साथ-साथ बर्फ का इस्तेमाल मसाज में भी किया जाता है। अगर आप अपने फैट को कम करना चाहते हैं, तो अब फैट को बर्न करने के लिए बर्फ का इस्तेमाल कर सकते हैं, इसे ही आइस थेरेपी कहते हैं। स्टडी के मुताबिक, शरीर के फैट वाले हिस्से पर बर्फ लगाने से फैट बर्न होता है। आपके शरीर के जिस हिस्से पर एक्सट्रा फैट है, वहां आप बर्फ की मदद से उसे स्लिम और फर्म बना सकते हैं। आइस थेरेपी शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में और टिश्यू को टाइट करने में सहायक होता है। जिप लॉक बैग में आइस के कुछ टुकड़ों को रखकर फैट वाली जगह लगाएं। यदि आपके पास जिप लॉक बैग नही है, तो बर्फ के आप इसे कपड़े में लपेटकर भी फैट वाली जगह पर सेंक सकते हैं। इस तरीके का प्रयोग एथलीटों या फिर स्पोर्ट्स गतिविधियों में लगे रहने वाले लोगों के लिए किया जाता है। इस तकनीक में पूरे टब में बर्फ के टुकड़े डाले जाते हैं उसके बाद मरीज को उस टब में घुसाया जाता है।
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मारा गया था। जब सीज़र की हत्या होने जा रही थी, अचानक सीज़र ने ब्रूटस को अपने सामने देखा और उसके पास केवल शब्द थे जैसे उसने कहा एट तु, ब्रूट ?, जिसका अर्थ है कि तुम भी ब्रूटस हो । मेरा मतलब है कि वह समझ नहीं पा रहे थे कि ब्रूसस सीज़र का दोस्त भी उसे मार सकता है लेकिन फिर भी सीज़र मारा गया। अब, सीज़र के पास एक मंत्री था और वह एंटनी था। एंटनी सीज़र के अंतिम संस्कार पर बोलना चाहते थे, लेकिन फिर जैसा कि आप जानते हैं, साजिशकर्ता एंटनी को बोलने की अनुमति नहीं देंगे। इसलिए, किसी तरह या दूसरे, एंटनी ने एक ऐसी स्थिति बनाने की कोशिश की, जिसकी गारंटी दी जा सकती है और इसकी गारंटी दी गई है, क्योंकि हर कोई मानता है कि सीज़र एक अच्छा इंसान था, लेकिन जब सीज़र मारा गया, तो वह इस धारणा पर मारा गया कि सीज़र एक था गद्दार, सीजर देशभक्त नहीं था। एंटनी इस आरोप को अस्वीकार करना चाहता था और इसीलिए वह किसी न किसी तरह से कामयाब रहा और षडयंत्रकारियों को तैयार किया कि एंटनी को कैसर के अंतिम संस्कार पर बोलने की अनुमति दी जाए, क्योंकि एंथनी रोमन को यह जानना चाहता था कि सीज़र गद्दार नहीं था। तो, आइए देखें कि एंटनी ने अपना भाषण कैसे शुरू किया और यह शुरुआत किस तरह से खुलने और भीड़ को कैद करने की सूक्ष्मता की मिसाल है। इसलिए, एंटनी ने जो पहले शब्द बोले, हम उस पर एक नजर डालते हैं। दोस्तों, रोम देशवासियों, मुझे अपने कान उधार दो। अब, जब एंथोनी ने ये बातें कीं, तो दर्शकों के सदस्यों ने उन सभी को इन शब्दों से मोहित कर लिया और फिर बाद के शब्दों ने पीछा कियाः मैं सीजर को दफनाने आया था, उसकी प्रशंसा करने के लिए नहीं। पुरुषों को उनके बाद रहने वाली बुराई; अच्छा है कि उनकी हड्डियों में बाधा है। तो, इसे सीज़र के साथ रहने दें । कुलीन ब्रूटस ने बताया कि सीज़र महत्वाकांक्षी था; यदि ऐसा था, तो यह एक गंभीर दोष था, और दुख की बात है कि सीज़र ने इसका उत्तर दिया। यहाँ, ब्रूटस की छुट्टी के तहत और बाकी ब्रूटस के लिए एक सम्माननीय आदमी है, इसलिए वे सभी, सभी माननीय पुरुष हैं - आओ मैं सीज़र के अंतिम
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अपने शादियों में लोग कई तरीके के डांस करते हैं.कोई भोजपुरी गाने पर जमकर ठुमके लगाकर महफिल जमा लेता है...तो कोई बेसुध होकर नागिन डांस करता है. ऐसा सीन आपको बारात में देखने को मिल जाएगा लेकिन सबसे इतर होते हैं वो लोग जो किसी भी समय कोई सा डांस करना शुरू कर देते हैं. Dance Video: शादियों का सीजन खत्म होने के बावजूद सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म पर एक से बढ़कर एक वीडियो देखने को मिल रहे हैं. जिसे यूजर्स भी खूब पसंद कर रहे हैं और खूब शेयर करते दिख रहे हैं. खासकर बारातियों के डांस वाले वीडियोज के तो क्या ही कहने...एक से बढ़कर एक वीडियोज आते हैं और छा जाते हैं क्योंकि यहां बाराती अपना अजीबोगरीब डांस दिखाकर महफिल ही लूट लेते हैं. इसी कड़ी में एक ऐसा वीडियो आया है. जिसे देखकर आप यही कहेंगे- ये कौन सा डांस है भाई! अपने शादियों में लोग कई तरीके के डांस करते हैं.कोई भोजपुरी गाने पर जमकर ठुमके लगाकर महफिल जमा लेता है...तो कोई बेसुध होकर नागिन डांस करता है. ऐसा सीन आपको बारात में देखने को मिल जाएगा लेकिन सबसे इतर होते हैं वो लोग जो किसी भी समय कोई सा डांस करना शुरू कर देते हैं. अब इस क्लिप को ही देख लीजिए जहां एक शख्स गुटखा डांस करता हुआ नजर आ रहा है. जिसे देखकर आप भी अपनी हंसी कंट्रोल नहीं कर पाएंगे. वीडियो में आप देख सकते हैं कि एक लड़का कैमरे के आगे कुछ करता नजर आ रहा है. कैमरे को जब उसकी तरफ जूम किया गया तो पाता चला कि यह लड़का गुटखा बना रहा है और बनते ही उसे अपने मुंह में रखकर लोगों के बीच जाकर डांस करना शुरू कर देता है. हालांकि ऐसा डांस बारातियों के बीच शायद ही आपने कभी देखा हो, लेकिन बंदे के डांस स्टेप इतने ज्यादा मजेदार थे. जिसे देखकर लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो जा रहे हैं. इस वीडियो को इंस्टाग्राम पर butterfly__mahi नाम के अकाउंट द्वारा शेयर की गई है. जिसे खबर लिखे जाने तक हजारों लोग देख लाइक कर चुके हैं. एक यूजर ने वीडियो पर कमेंट कर लिखा, ' डांस का पता नहीं लेकिन बंदे ने अपना काम बड़ी फुर्ती से कर लिया.' वहीं दूसरे यूजर ने लिखा, ' कौन ये और कहां से आते हैं ऐसे लोग.' एक अन्य यूजर ने लिखा, ' ये गुटखा डांस है भाई..! इसके अलावा और भी कई लोगों ने इस पर कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
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टीवी के चर्चित सीरियल गुम है किसी के प्यार में दिखाया जाएगा कि सई और पाखी के बीच हुए ड्रामे से वीनू डर जाएगा। वह सई को धक्का देगा एवं बुरा भला बोलेगा। वीनू पाखी से बोलेगा कि उसे घर ले चले। सई टूट जाएगी और विराट को उसके लिए दुख होगा। घर पर चव्हाण परिवार भी सई को दोष देगी जिस पर विराट भिड़ जाएगा। यहां सई वीनू के कारण मानसिक तौर पर परेशान हो जाएगी। घर पर वीनू बुरा सपना देखेगा। पाखी वीनू की हालत के लिए सई को दोष देगी। स्कूल में पाखी घबराकर विनायक के सामने सच का खुलासा कर देती है कि सई उसकी असली मां है। पाखी के बुरी तरह रोने एवं अचानक से सच सामने आने से विनायक डर जाता है। वह सई को गंदा बोलता है एवं विराट, पाखी से घर चलने को बोलता है। सई हर्ट होकर वहीं बैठी रह जाती है एवं विराट को उसके लिए बुरा लगता है। वह वीनू से बोलता है कि सई को बुरा न समझे मगर पाखी बीच में बोल पड़ती है। तभी सवि वहां पहुंचती है एवं अपनी मां को गले लगाती है। सई सवि से पूछती है कि क्या वह इतनी गंदी है? इस पर सवि उसे समझाती है कि शायद वीनू नाराज है। सवि बोलती है कि वह उसकी एवं वीनू की दोस्ती करवा देगी। वही विनायक घर आकर डरा रहता है। वह अश्विनी और भवानी से बोलता है कि उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा। वह उन लोगों को बताता है कि सई बोल रही थी कि वह उन लोगों की असली मां है। भवानी सई पर भड़क जाती है। विराट बीच में बोलता है कि सई एक मां है। वह अकेली अपनी हर जंग लड़ रही है। उसके पास कोई नहीं है। उन व्यक्तियों को सई का दर्द समझना चाहिए। इधर घर पर सई टेडी बियर को वीनू समझकर बातें करती है। सई कहती है कि जब उसने धक्का दिया तो वह बहुत हर्ट हो गई। वीनू बोलता है कि वह डर गया था। वह तो स्वयं ही सई को छोटी मां बोलना चाहता था। वह सई से बोलता है कि उसे छोटी मां बोलेगा। सई बात कर रही होती है तभी वहां सवि आ जाती है। सवि उससे पूछती है कि वह किससे बात कर रही है, यहां तो टेडी बियर है। वीनू बुरा सपना देखता है कि सई उसे पाखी से अलग कर रही है। वह जाग जाता है तो पाखी सई को दोष देती है। विराट उसे याद दिलाता है कि सई नहीं बल्कि उसके कारण यह सब हुआ है।
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Firozabad News: फिरोजाबाद का प्राइवेट ट्रामा सेंटर में महिला गार्डों ने की मरीज की तीमारदार महिला की जमकर पिटाई कर दी है। महिला को आई काफी चोट महिला पहुंची थाना उत्तर पुलिस ने महिला को मेडिकल के लिए भेजा। Firozabad News: फिरोजाबाद के प्राइवेट ट्रॉमा सेंटर में सिक्योरिटी की आड़ में गुंडागर्दी देखने को मिल रही है। दरअसल पूरा मामला विमल कुमार जैन सेवार्थ संस्थान ट्रामा सेंटर का है जहां आज दोपहर चरण सिंह नाम के पेशेंट को उसके परिवार वालों ने भर्ती किया था। जब उनकी बेटी विनीता अपने पिता से मिलने आईसीयू में जाने के लिए गार्डो से कहा तो वहां मौजूद महिला गार्डों ने उसे रोक लिया और उसके साथ बदतमीजी करने लगी और महिला गार्ड ने अपने अन्य साथिय गार्डों को बुला लिया और भर्ती मरीज चरण सिंह की बेटी विनीता के साथ जमकर मारपीट की है। जिससे उसके बहुत चोट आई है। वही महिला के साथ मारपीट को लेकर महिला विनीता ने थाना उत्तर में शिकायत की है। तो वही शिकायत के आधार पर पुलिस ने महिला का मेडिकल कराया और इस बारे में ट्रामा सेंटर के संचालक पीके जिंदल का कहना है कि जिन गार्डों ने मारपीट की है उनको हमने नौकरी से निकाल दिया है। जिनके साथ मारपीट हुई है वह पुलिस से शिकायत करके कार्रवाई कर सकते हैं। वहीं घायल महिला का कहना है कि मेरे साथ तो मारपीट की ही है मेरी बड़ी बहन के साथ भी मारपीट की है।
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लखनऊ (ब्यूरो)। एलडीए जल्द अनाधिकृत कालोनी एवं प्लाटिंग की सूची बनाकर उनके खिलाफ अभियान चलाएगा। इसके साथ ही अवैध निर्माणों पर लगाम कसने के लिए सील बिल्डिंगों की साप्ताहिक मॉनिटरिंग की जाएगी। वीसी डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी ने अनाधिकृत कालोनियों एवं अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए इस संबंध में आदेश जारी किये हैं। वीसी ने बताया कि प्राधिकरण सीमा के अंतर्गत अवैध कालोनी एवं प्लाटिंग की सूची बनाई जाएगी, जिसका समाचार पत्रों में प्रकाशन कराने के साथ ही प्रत्येक अवैध प्लाटिंग स्थल पर डिजिटल बोर्ड लगवाये जाएंगे। उन्होंने इसके लिए सभी जोन के अधिकारियों को एक सप्ताह में अवैध कालोनियों की सूची तैयार करने के निर्देश दिये हैं। वीसी ने बताया कि सभी अधिकारियों को अपने क्षेत्र में हो रही अवैध प्लाटिंग को सूचीबद्ध करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जा रहा है। उसके बाद यदि यह पता चलता है कि किसी अवैध प्लाटिंग को सूचीबद्ध नहीं किया गया है, तो संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वीसी ने बताया कि पूर्व में कुछ ऐसे प्रकरण संज्ञान में आये हैं, जहां विहित प्राधिकारी द्वारा अवैध निर्माण के खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई की गई और बाद में सील खोलकर बिल्डर को अवैध निर्माण को पूरा करने का अवसर दे दिया गया। उन्होंने अधिकारियों को इस संबंध में सचेत करते हुए दो टूक कहा कि इस तरह की प्रवृत्ति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि सील खोलने के सभी प्रार्थना पत्रों को सचिव के माध्यम से उनके संज्ञान में लाया जाए। तत्पश्चात यदि प्रकरण वैधानिक हो, तभी उसमें नियमानुसार निर्णय लेते हुए आगे की कार्रवाई की जाए। इसके अतिरिक्त वीसी ने निर्देश दिये हैं कि प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा सील बिल्डिंगों की साप्ताहिक मॉनिटरिंग की जाये, जिसकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करायी जाए।
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टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी द्वारा कीपिंग ग्लव्स पर बलिदान बैज लगाकर खेलने का मामला शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा। हालांकि अभी तक धोनी इस मुद्दे पर खुलकर कुछ भी बोलते नजर नहीं आए हैं। बलिदान बैज मामले में कई दिग्गज खिलाड़ी उनके सपोर्ट में बोल चुके हैं। अब इसी क्रम में भारत के पूर्व विकेटकीपर फारूख इंजीनियर ने भी अपनी बात रखी है। धोनी ने रविवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच खेलने से पहले शनिवार को इस मुद्दे पर भारत के पूर्व विकेटकीपर फारुख इंजीनियर के साथ बातचीत की है। भारतीय विश्व कप टीम के सबसे सीनियर खिलाडी धोनी को आईसीसी ने उनके दस्ताने से बलिदान बैज हटाने की बात कही है। संभवतः धोनी आगे मैच में बलिदान बैज लगाकर खेलते नहीं दिखेंगे। इस मुद्दे पर फारुख इंजीनियर ने कहा, कल मैंने धोनी के साथ एक चैट की थी और हम दोनों इस बात पर सहमत हैं कि इस छोटी सी बात को इतना तूल देकर पहाड़ जैसा बना दिया गया है । मैंने धोनी को कहा कि वास्तव में मुझे धोनी पर गर्व है। हम सब भारतीय हैं और अपनी सेना की इज्जत से जुड़े हुए हैं । यदि मैं उनकी जगह पर होता तो मुझे अपने इस निर्णय पर गर्व होता। टीम इंडिया के विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी ने खुले तौर पर अपने दस्ताने पर सेना के लोगो के बारे में अपने विचार व्यक्त नहीं किए हैं, लेकिन उनका मानना है कि सेना के लोगो को उनके स्टंपिंग दस्ताने पर पहनने के निर्णय को तिल का ताड़ बनाया जा रहा है। बताते चलें कि, दिलचस्प बात यह है कि बीसीसीआई ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई बयान जारी नहीं किया है। देखना काफी दिलचस्प होगा कि रविवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलते वक्त धोनी बलिदान बैज पहनेंगे या नहीं।
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वीडियो में जेठालाल फोन पर एक क्लाइंट से जरूरी बात कर रहा होता है। इससे पहले जेठालाल दया के काम में हाथ बंटा रहा होता है, तभी फोन बज उठता है। जेठालाल के हाथ में दयाबेन की साड़ी का एक किनारा होता है। दया साड़ी तय कर रही होती है। ऐसे में साड़ीकी किनारी को जेठालाल अपनी कमरपटी में फंसा देता है। इसके बाद घर का फोन बज उठता है। दया बेन फोन उठाती है और जठा को बताती है कि शॉप से फोन है। फोन रखते ही दया को शरारत सूझती है। इसके बाद से ही दया बेन साड़ी जेठालाल पर लपेट देती है। दया बात करते हुए जेठालाल पर साड़ी लपेटती रहती है। इसके बाद बापूजी घर में आते हैं और जेठालाल को पुकारने लगते हैं। तो वहीं जेठालाल बापूजी के पास दौड़े चले जाते हैं। जेठा को ऐसे देख चंपक चाचा चिल्ला पड़ते हैं और कहते हैं तेरेको शर्म नहीं आती। जेठा लाल की बोलती बंद हो जाती है। तभी जेठा कुछ कह नहीं पाता और दया बेन को भी बहुत बुरा लगता है वहअपने कमरे में होती है । दया सोचती है कि उसकी वजह से टप्पू के पापा जेठा को डांट पड़ गई। इसने में बबीताजी भी वहां आ धमकती हैं। बापूजी पहले ही जेठा को डांट रहे होते हैं । ऐसे में जेठा की शक्ल देखने वाली होती है। इस सीन को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं।
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भारतीय ओलंपिक संघ ने पहलवानों के बृजभूषण शरण सिंह के विरूद्ध यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए समिति गठित की. विरोध कर रहे पहलवानों ने शुक्रवार को भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) से भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के विरूद्ध यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए जांच समिति के गठन की मांग की थी. जिसके कारण शुक्रवार शाम भारतीय ओलंपिक संघ ने पहलवानों की मांगों पर चर्चा के लिए कार्यकारी परिषद की आपात बैठक बुलाई थी. मीटिंग में बड़ा निर्णय हुआ है. IOA ने WFI प्रमुख के विरूद्ध यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया है. सात सदस्यीय समिति के सदस्य मैरी कॉम, डोला बनर्जी, अलकनंदा अशोक, योगेश्वर दत्त, सहदेव यादव सहित अन्य हैं. इससे एक दिन पहले पहलवानों ने इस खेल प्रशासक के विरूद्ध कई एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दी थी. आईओए अध्यक्ष पीटी उषा को लिखे पत्र में पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई की ओर से (कोष में) वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाने के अतिरिक्त दावा किया कि राष्ट्रीय शिविर में कोच और खेल विज्ञान स्टाफ 'बिल्कुल अक्षम' हैं. इस पत्र पर पांच पहलवानों के हस्ताक्षर हैं जिसमें तोक्यो ओलंपिक के पदक विजेता रवि दहिया और बजरंग पूनिया भी शामिल हैं. रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक और विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेता विनेश फोगाट और दीपक पूनिया ने भी इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.
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पूर्णिया में शपथ से पहले ही एक सरपंच पति का तालिबानी चेहरा सामने आया है। प्रेम प्रसंग में फरार युवती को अपने आवास पर बुलाकर लड़के को छोड़ने के लिए जबरन दबाव बनाया। युवती के इंकार करने पर संरपच पति ने पहले तो थप्पड़ मारा फिर की कोड़े से पिटाई। जागरण संवाददाता, पूर्णिया। पंचायत चुनाव में जीत के बाद अभी सरपंच पद की जीती किरण चौधरी ने शपथ भी नहीं ली है कि उनके पति सुरेन्द्र चौधरी का तालिबानी चेहरा सामने आया है। सरपंच पति सुरेन्द्र चौधरी ने अपने प्रेमी के साथ फरार होने के बाद ना केवल लड़के को छोड़ देने का फरमान जारी किया बल्कि उस लड़के के साथ कोई संबंध नहीं है, यह लिखकर देने को भी कहा। युवती जब सरपंच पति सुरेन्द्र चौधरी के पैर पकड़कर कहती है वह लड़के के साथ रहना चाहती है तो पहले उसे चमड़ी उतार लेने की धमकी दी जाती है फिर थप्पड़ से मारा जाता है और फिर कौड़े निकाल कर पिटाई की जाती है। इसका वीडियो वारयल होने के बाद हड़कंप मच गया। यह मामला केनगर प्रखंड के गणेशपुर पंचायत का है। सबसे हैरत की बात यह है की इस मामले में न्याय मित्र नवल मंडल भी वीडियो में युवती से जबरन हस्ताक्षर करवाते हुए तथा यह कहते हुए नजर आ रहे हैं की तुम्हारे मां बाप ने हस्ताक्षर कर दिया है तुम भी साइन कर दो कुछ नहीं होगा। घटना के संबंध में बताया जाता है की केनगर के बैेरगाछी के रहने वाले युवक एवं पास के प्रखंड की एक युवती आपस में प्यार करते थे। वे भाग भी गए लेकिन यह मामला युवक के घरवालों को नागवार गुजरा क्योंकि युवक और युवती दो अलग- अलग जाति के थे। इसके बाद न्याय की उम्मीद में युवती सरपंच के घर पहुंची जहां सरपंच पति का तालिबानी चेहरा सामने आया। एसपी दयाशंकर ने बताया की इस मामले को लेकर जो वीडियो सामने आया है उसको जांच के लिए केनगर थाना भेजा गया है। वहीं सरपंच पति सुरेन्द्र चौधरी ने बताया की यह सब एक साजिश के तहत उनके साथ किया गया है। उनके यहां लड़की को लाकर योजना के तहत बीडियो तैयार किया गया। इसके बाद रविवार को उनको बैंरगाछी बुलाकर उनके साथ शाम में मारपीट कर जख्मी कर दिया गया। उनके वाहन को भी पिटाई करने वालों ने क्षतिग्रस्त कर छीन लिया वे जान बचाकर वहां से भागे हैं। केनगर थाना प्रभारी विकास कुमार आजाद ने बताया की संरपच पति के साथ मारपीट किए जाने की भी जानकारी मिली है। वहीं सरपंच पति का वीडियो भी आया है जिसकी जांच की जा रही है।
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मापने की सफलता मुश्किल है, क्योंकि इसका मतलब प्रत्येक व्यक्ति के लिए कुछ अलग हो सकता है। एक बास्केटबाल भावना में, सफलता को सबसे अच्छा खिलाड़ी होने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसका मतलब जूनियर हाई स्कूल टीम पर खेलना, हाईस्कूल टीम में खेलना, कॉलेज बॉल खेलना, पेशेवर खेलना है। या बस ग्रीष्मकालीन लीग में एक अच्छा खिलाड़ी होने के नाते। प्रत्येक व्यक्ति को कितना सुधार करना है। सबसे पहले, खेल के लिए एक जुनून जरूरी है। क्यूं कर? चूंकि बास्केटबॉल एक बेहद जटिल और शामिल गेम है जो काम करने के लिए घंटों तक काम करता है। खेल में वास्तव में सफल होने के लिए आपको बस "शूट करें" से ज्यादा कुछ करना है। उचित काम करने के लिए खेल का प्यार जरूरी है। बास्केट बॉल, जो इसे गंभीरता से लेते हैं, एक वर्षभर खेल है। जितना हो सके उतना खेलें; कहीं भी और जब भी आप कर सकते हैं। बास्केट बॉल एक महान खेल है। मज़े करो। अपने आस-पास के खिलाड़ियों से सीखें। देखो वे क्या करते हैं। अभ्यास करने और अपने विरोधियों के जितना अच्छा बनने के लिए आप क्या कर सकते हैं? क्या अन्य खिलाड़ियों के पास कदम है जो आपके लिए प्रभावी होंगे? सभी महान खिलाड़ी दूसरों से सीखते हैं। साथ ही, जागरूक रहें कि आप क्या करते हैं। उन चीजों का अक्सर अभ्यास करें। आपके पास एक ताकत लें और इसे और भी मजबूत बनाएं। यदि आप एक उचित शूटर हैं , तो अधिक शूट करें और एक अच्छा शूटर बनें। यदि आप एक अच्छे शूटर हैं, तो और भी शूट करें और एक महान शूटर बनें। जितनी चीजें आप कर सकते हैं उतनी ही खेलें और उन चीजों पर सुधार करें जो आप सबसे अच्छा करते हैं, जबकि उन चीजों पर भी काम करते हैं जो आप काफी कुछ नहीं कर सकते हैं। जानें कि आपको किसमें सुधार करने की आवश्यकता है। उन कौशल में सक्षम बनने का अभ्यास करें जो आप कमज़ोर हैं। एक अच्छा, चारों ओर खेल के विकास पर काम करें। शिविर, लीग, क्लीनिक, इंट्रामरल, और कई अन्य जगहें आप खेल सकते हैं। ये सभी अवसरों के रूप में कार्य करते हैं। इन प्रकार के कार्यक्रमों में शामिल हों और मज़े करें, और हमेशा सीखने का प्रयास करें। उन लोगों को सुनो जो सफल होते हैं और पता लगाते हैं कि उन्हें क्या सफल बना दिया गया। उन व्यवहारों को मॉडल करने का प्रयास करें। जितना अधिक आप अभ्यास करेंगे उतना ही बेहतर आप खेलेंगे। जब आप अभ्यास करते हैं, एक उद्देश्य के साथ अभ्यास करें। गेम को उस कौशल में विभाजित करें जिसमें आपको सुधार करने की आवश्यकता है और जिस कौशल पर आप अच्छे हैं। जैसा कि मैंने कहा, वास्तव में उन कौशल को बनाने में अपनी कमजोरियों और काम को सुधारने पर काम करें जो आप मजबूत हैं। एक अभ्यास कार्यक्रम बनाओ और इसका पालन करें। प्रत्येक ड्रिल का समय और शेड्यूल पर रहें। प्रत्येक अभ्यास सत्र के लिए लक्ष्य रखें और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए काम करें। एक दोस्त के साथ काम करें ताकि आप एक दूसरे की मदद कर सकें और एक दूसरे को मजबूती दे सकें। बास्केटबाल में सीखा जाने वाली आदतें जीवन के सभी पहलुओं में अनुवाद कर सकती हैं। एक खिलाड़ी के रूप में विकसित होने वाली कार्य आदतों से आपको बेहतर छात्र, बेहतर कार्यकर्ता, बेहतर टीममेट और बेहतर समग्र व्यक्ति बनने में भी मदद मिलेगी। एक बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए क्या लगता है? • और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खेल से प्यार करें! जुनून महानता बनाता है। यहां काम करने के लिए कुछ सामान्य बास्केटबॉल कौशल दिए गए हैंः
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देहरादून की बस्तियों पर हाउस टैक्स लगाने के बाद अब इन्हे मालिकाना हक देने की मांग उठने लगी है। इसी क्रम में उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने बस्तियों को नियमित करने की मांग को लेकर नरग निगम परिसर में प्रदर्शन किया। इसके बाद मंच के प्रतिनिधिमंडल ने मेयर सुनील उनियाल गामा को ज्ञापन देकर मांग पूरी करने की गुहार लगायी। ज्ञापन के जरिए मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी व जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने संयुक्त रूप से कहा कि निगम प्रशासन ने बस्तियों पर हाउस टैक्स लगाना शुरू कर दिया है, जिसका मंच स्वागत करता है, लेकिन सवाल इस बात का है कि आखिर बस्तियों को मालिकाना हक कब दिया जाएगा। कहा कि हाउस टैक्स क़ी रसीद पर इस बात तरह की बात लिखी जा रही है कि यह मालिकाना हक के लिए नहीं है। इससे बस्ती के लोगों के बीच संदेह की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने घर-घर से कूड़ा उठान, नालियों की सफाई, आवारा पशुओं से बने आतंक से जुड़ी समस्या भी उठायी। मेयर के साथ वार्ता के दौरान कहा कि एक तरफ स्मार्ट सिटी की बात खूब हो रही है, लेकिन नगर निगम में न तो सफाई कर्मचारी और न ही सुपरवाईजर बढ़ा जा रहे हैं। जिसका असर सफाई व्यवस्था पर पड़ रहा है। इसके लिए शहरी विकास मंत्री को गंभीरता से सोचना होगा। कुंभ पर नजर बनाने के साथ ही प्रदेश के नगर निकायों को भी देखना चाहिए। उन्होने कहा कि सरकार अपने वायदे के तहत बस्तियों को नियमित करे। इस दौरान मंच के सलाहकार ओमी उनियाल, प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी, रामलाल खंडूड़ी , प्रदीप कुकरेती , पूर्ण सिह लिंगवाल , विनोद असवाल , केप्टन मोहन सिह रावत , कलम गुसाई , मनमोहन लखेड़ा , विनीत त्यागी , सुरेश नेगी , यशवीर आर्य , जीतपाल बर्त्वाल , प्रभात डंडरिया , पवन शर्मा, शकुन्तला भट्ट , ज्ञानदेवी कुंडलिया , प्रतिमा चौहान , अंजलि चौहान , राजेन्द्र कुमार , प्रेमा खंडूड़ी , लक्ष्मी रावत , मीना नेगी, संजय शर्मा आदि मौजूद रहे।
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।'नृसिंह द्वादशी' का हिन्दू धर्म में बड़ा धार्मिक महत्त्व है। इस दिन भगवान नृसिंह की पूजा का विशेष महत्त्व बताया गया है। ।नरसिंह द्वादशी व्रत को विधि-विधान से करने वाले मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत के प्रभाव से भय दूर हो जाता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और साहस की प्राप्ति होती है। नृसिंह द्वादशी फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। भगवान विष्णु के बारह अवतार में से एक अवतार नृसिंह भगवान का है। नृसिंह अवतार में भगवन श्रीहरि विष्णु जी ने आधा मनुष्य तथा आधा शेर का रूप धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्राचीन काल में कश्यप नामक ऋषि रहते थे। ऋषि कश्यप की पत्नी का नाम दिति था तथा उनकी दो संतान थीं। ऋषि कश्यप ने प्रथम पुत्र का नाम 'हिरण्याक्ष' तथा दूसरे पुत्र का नाम 'हिरण्यकशिपु' रखा। परंतु ऋषि के दोनों संतान असुर प्रवृत्ति का हो गये। आसुरी प्रवृत्ति के होने के कारण भगवान विष्णु के वराह रूप ने पृथ्वी की रक्षा हेतु ऋषि कश्यप के पुत्र हरिण्याक्ष का वध कर दिया। अपने भाई की मृत्यु से दुःखी तथा क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने अपने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए अजेय होने का संकल्प लिया। हिरण्यकशिपु ने भगवान ब्रह्मा का कठोर तप किया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने हिरण्यकशिपु को अजेय होने का वरदान दिया। वरदान पाने के पश्चात हिरण्यकशिपु ने स्वर्ग पर अधिपत्य स्थापित कर लिया तथा स्वर्ग के देवों को मारकर भगा दिया। तीनों लोकों में त्राहि माम् मच गया। अजेय वर प्राप्त करने के कारण हिरण्यकशिपु तीनों लोकों का स्वामी बन गया। देवता गण उनसे युद्ध में पराजित हो जाते थे। हिरण्यकशिपु को अपनी शक्ति पर अत्यधिक अहंकार हो गया। जिस कारण हिरण्यकशिपु प्रजा पर भी अत्याचार करने लगा। इस दौरान हिरण्यकशिपु की पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया। परन्तु प्रह्लाद पिता के स्वभाव से पूर्णतः विपरीत स्वभाव का था। भक्त प्रह्लाद बचपन से ही संत प्रवृत्ति का था तथा भक्त प्रह्लाद अपने बाल्यकाल से ही भगवान विष्णु का भक्त बन गया। प्रह्लाद अपने पिता के कार्यों का विरोध करता था। भगवान की भक्ति से प्रह्लाद का मन हटाने के लिए हिरण्यकशिपु ने बहुत प्रयास किया। प्रह्लाद इससे कभी विचलित नहीं हुए। अंततः हिरण्यकशिपु ने अनीति का सहारा लेकर अपने पुत्र की हत्या के लिए उसे पर्वत से धकेला। होलिका दहन में जलाया गया, परन्तु हर बार भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच जाते थे। भगवान के इस चमत्कार से प्रजाजन भी भगवान विष्णु की पूजा तथा गुणगान करने लगी। इस घटना से हिरण्यकशिपु क्रोधित हो गया। वह प्रह्लाद से कटु शब्द में बोला- "कहाँ है तेरा भगवान? सामने बुला।" प्रह्लाद ने कहा- "प्रभु तो सर्वशक्तिमान हैं। वह तो कण-कण में व्याप्त हैं। यहाँ भी हैं, वहाँ भी हैं।" हिरण्यकशिपु ने क्रोधित होकर कहा- "क्या इस खम्बे में भी तेरा भगवान छिपा है?" भक्त प्रह्लाद ने कहा- "हाँ।" यह सुनकर हिरण्यकशिपु ने खम्बे पर अपने गदा से प्रहार किया। तभी खंभे को चीरकर भगवान नृसिंह प्रकट हुए और हिरण्यकशिपु को अपनी जांघों पर रखकर उसकी छाती को नखों से फाड़ कर उसका वध कर डाला। भगवान नृसिंह ने भक्त प्रह्लाद को वरदान दिया, जो कोई आज के दिन भगवान नृसिंह का स्मरण, व्रत तथा पूजा-अर्चना करेगा, उसकी मनोकामनाएँ अवश्य पूर्ण होंगी। ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। इन मंत्रों के जाप करने से समस्त प्रकार के दुःखों का निवारण होता है तथा भगवान नृसिंह की कृपा से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। भगवान नृसिंह अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं।
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मेष राशि के लोगों को आज अजनबी लोगों का सहयोग मिल सकता है। हालांकि, आज आपको अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता है। साथ ही आज आपके सक्रिय हुए विरोधी परास्त हो जाएंगे। आज शाम के समय आपको कोई शुभ समाचार मिलेगी जो आपका उत्साह बढ़ाएगा। वृष राशि के लोगों के लिए आज आर्थिक और पारिवारिक मामलों में दबाव महसूस कर सकते हैं। अधिक उत्साह और तत्परता से कार्य बिगड़ सकता है। आपका सलाह है कि पैसे कमाने के लिए कोई गलत रास्ता न अपनाएं। हालांकि, आज आपको कोई शुभ संदेश भी मिलेगा और आपकी मुलाकात पुराने मित्रों से हो सकती है। मिथुन राशि के जातकों के लिए आज का दिन अप्रत्याशित लाभ दिलाने वाला रहेगा। साथ ही आज आपके मान सम्मान में भी बढ़ोतरी होगी। आपको सलाह है कि आज आर्थिक लेनदेन में सावधानी बरते। आपके द्वारा किए गए कार्यों का विरोध होगा। साथ भी आज परिवार की समस्याओं के संबंध में कोई गलत निर्णय लेना कठिन होगा। कर्क राशि वाले लोगों को आज उनकी मेहनत का फल मिलेगा। आज आपको अपने परिश्रम का वांछित लाभ मिलेगा। इतना ही नहीं आज आपको दूर की यात्रा करनी पड़ सकती है। मानसिक परेशानी के चलते मन परेशान रहेगा। साथ ही आपको कुछ अधूरे कार्य निपटाने होंगे। सुख व दुःख को समान समझकर सब कुछ भाग्य पर छोड़ दें। सिंह राशि के लोगों के आज सहज ही सभी काम समय पर बनते नजर आएंगे। इतना ही नहीं आपके अच्छे दिनों का संयोग मन को प्रफुल्लित करेगा। साथ ही आपको सलाह है कि आज धन खर्च करते समय नियंत्रण रखे। आज आपको व्यापार और व्यवसाय से संबंधित कई अनुभव होंगे। साथ ही आज व्यापार और व्यवसाय से जुड़े जातकों की विभिन्न क्षेत्रों में साख बढ़ेगी। कन्या राशि के लोगों को आज उत्सव और त्योहार में शामिल होने के अवसर प्राप्त होंगे। इतना ही नहीं आज आपको अच्छे भोजन से स्वास्थ्य में वृद्धि होगी। शुभ समाचार का आना लगातार जारी रहेगा। इसलिए वहीं कार्य करें जिसके बनने की आपको उम्मीद हो। संतान के करियर को लेकर रहेगी चिंतित पर समझदारी से काम लें। तुला राशि के लोगों के लिए दिन आर्थिक मोर्चे पर अच्छा रहेगा। कार्यक्षेत्र में आपकी धाक जमेगी साथ ही आपके एक के बाद एक सभी आर्थिक मामले सुलझते चले जाएंगे। हालांकि, आपको आंख में परेशानी के कारण कार्यक्षेत्र में अस्थिरता रहेगी। समय के अनुसार, चलने से आपको उन्नति मिलेगी। वरना समय आपको पीछे छोड़ा देगा। वृश्चिक राशि के लोगों के दांपत्य सुख में आज वृद्धि होगी। साथ ही आज कठिन कार्य आसान हो जाएंगे। आज मानसिक उलझनों के कारण आपको सिरदर्द हो सकता है। साथ ही आज आपको संतान पक्ष की चिंता रह सकती है। पड़ोसियों के कारण आपको कुछ परेशानी हो सकती है। धनु राशि के लोगों को आज वाहन और आवास संबंधी समस्याएं परेशान कर सकती है। शुभ संदेश आने से उत्साह बढ़ेगा और मित्रों का सहयोग भी प्राप्त होगा। आज आपके हाथ में पर्याप्त धन रहेगा लेकिन फिर भी आपको कुछ पारिवारिक अशांति हो सकती है। इसलिए महत्वपूर्ण निर्णय सोच समझकर लें। मकर राशि के लोगों के लिए संपत्ति के मामले में दिन अच्छा रहेगा। पिछले कुछ दिनों से जो संपत्ति को लेकर पारिवारिक विवाह चले आ रहे हैं उन्हें निपटाना आज बेहद जरुरी होगा। साथ ही आज आपके सोचे हुए कार्य सफल होंगे और मित्रों द्वारा किए जा रहे विरोध में भी कमी आएगी। कुंभ राशि के लोगों को आज किसी पर व्यर्थ के संदेह और तर्क वितर्क करने में बर्बाद नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आपका समय को बर्बाद होगा ही साथ ही आपको धन की हानि होगी। साथ ही नियोजित कार्यक्रम सफल होंगे। इतना ही नहीं आपको लाभ के अच्छा खासे अवसर भी मिलेंगे। मातुल पक्ष से लाभ की आशा रहेगी। मीन राशि के जातकों के लिए यह लाभकारी समय है, इस दौरान आप युक्ति और व्यवहार से सब कुछ पा सकते हैं। आज आपकी जटिलताएं खत्म होंगी और विरोधी भी परास्त होंगे। हालांकि, जीवनसाथी से आर्थिक कारणों से दूरी रहेगी लेकिन प्रेम यथावत बना रहेगा।
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[गपशप] दीपिका पादुकोण जब जब 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' में आई हैं, कपिल शर्मा ने उनके साथ जमकर फर्ल्टिंग की है। शो में तो यह सब हंसी मजाक होता था। लेकिन बता दें, कपिल की कुछ ऐसी ही ख्वाहिश फिल्मों की भी है। जी हां, हाल ही में जब एक इंटरव्यू में कपिल शर्मा से पूछा गया कि वह अगली फिल्म में किस बॉलीवुड एक्ट्रेस के साथ काम करना चाहेंगे तो उन्होंने सीधे सीधे कहा- दीपिका पादुकोण और कौन.. हम्मम, खैर कपिल शर्मा की बात के लिए हम उन्हें दोष नहीं देना चाहते, क्योंकि आखिर दीपिका पादुकोण के साथ आज बॉलीवुड का कौन एक्टर काम नहीं करना चाहता है। टीवी शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल में दीपिका पादुकोण और कपिल शर्मा। इस शो में दीपिका जब जब आईं हैं, इन्होंने काफी मस्ती की है। यह तस्वीर देखकर आप समझ सकते हैं। इतना ही नहीं, बल्कि कपिल शर्मा ने कई बार दीपिका के सामने अपने प्यार का इजहार भी किया है। फिल्म किस किसको प्यार करूं की कास्ट के साथ कपिल शर्मा.. अब्बास मस्तान की इस फिल्म के साथ कपिल शर्मा बॉलीवुड डेब्यू करने वाले हैं। इस फिल्म में कपिल शर्मा चार चार लड़कियों के प्यार में फंसे नजर आएंगे। जिनमें से एक होंगी एली अवराम.. जाने तू या जाने न जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं मंजरी भी कपिल शर्मा की पत्नी बनने वाली हैं। ये हैं सिमरन कौर.. फिल्म में कपिल शर्मा की एक और पत्नी..
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उनहत्तरवाँ अध्याय सफल होते थे। उनके लिये भय का कारण तो कहीं था ही नहीं। प्रतः वे वृक्षों के नीचे या गुफाओं में जहाँ चाहते वहाँ रहते थे। उस काल में देश या नगर विभाग नहीं था। श्रतः मनुष्य जहाँ चाहते वहाँ रहते थे। राजा पृथु जब जब समुद्र पर चलता, तब तब समुद्र का जल जम कर ठोस हो जाता था। पहाड़ हट कर उसे रास्ता देते थे। उसकी ध्वजा कहीं भी नहीं टूटी थीं । सुखपूर्वक यासीन राजा पृथु के पास वनस्पति, पर्वत, देवता, असुर, मनुष्य, सर्प, सप्तर्पि, राक्षस, गन्धर्व अप्सराएँ और पितरों ने आकर, कहा था; आप ही चक्रवर्ती हैं, आप ही क्षत्रिय हैं, आप ही राजा हैं, आप ही हमारे रक्षक और पितृ स्थानीय हैं । हे महाराज ! आप हमें वर दें कि, हम अन्त समय तक तृप्त और सुखी रहें । यह सुन चेनुपुत्र राजा पृथु ने कहा जैसा तुम चाहते हो वैसा ही होगा । सदनंन्तर पृथु ने श्राजगव धनुप और प्रति घोर शरों को पृथिवी से कहा- हे वसुन्धरे ! तू तुरन्त थाकर इनके सुखों में दूध की धार छोड़ । मैं हरेक को उसकी पसंद का श्रन्न दूंगा। तेरा मङ्गल हो । वसुन्धरा बोली- हे वीर ! तुम मुझे कन्यारूप से स्वीकार करो। राजा पृथु ने कहा, तथास्तु । तदनन्तर उन समस्त लोगों ने पृथिवी को दुहना भारम्भ किया। प्रथम वनस्पति पृथिवी को दुहने को उद्यत हुए। किन्तु पृथिवी बछड़ा और दुहने वाले के बिना ज्यों की त्यों खड़ी रही। उस समय पुष्पित शाल वृक्ष बछड़ा बना और पलाश वृक्ष दुहने वाला बना । गूलर दूध का पात्र बना और तोड़ने से जो अँखुंश्रा निकलते हैं, वही दूध हुश्रा । जब पर्वत पृथिवी को दुहने लगे, तब उदयाचल बछड़ा; पर्वतश्रेष्ठ सुमेरु दूध दुहने वाला, रत्न और समस्त औषधियाँ दूध हुआ। यह दूध पत्थररूपी पात्र में दुहा गया । जब इन्द्र ने पृथिवी को दुहा, तब देवता बछड़े बने और अमृत दूध हुआ । असुरों ने कच्चे पात्र में मायारूपी दूध दुहा । उस समय विरोचन बछड़ा बना। मनुष्यों ने पृथिवी से खेती कर धान्यरूपी दुग्ध दुहा। उस समय स्वयम्भू मनु बछड़े बने और पृथु
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गौहर खान लंबे समय से ग्लैमर की दुनिया में हैं। वो टीवी की दुनिया में मशहूर हैं, साथ ही वो फिल्मों में भी काफी वक्त से हैं लेकिन उनकी कोई खास पहचान नहीं है। अब लगता हैं गौहर हालात को बदल देना चाहती हैं। 'मैं चाहती हूं, सब कहें कि हां ये लड़की कर सकती है' बिग-बॉस जीत चुकी गौहर खान इन दिनों अपनी फिल्म फीवर को लेकर चर्चा में हैं। फिल्म में उनके जबरदस्त बोल्ड सीन हैं। पहली बार ऐसा है कि वो लीड रोल में दिखेंगी, ऐसे में गौहर की ख्वाहिशें भी बड़ी हैं। 'मैं चाहती हूं, सब कहें कि हां ये लड़की कर सकती है' गौहर चाहती हैं कि इस फिल्म में उनके काम की तारीफ हो। उनका कहना है कि फिल्म देखने के बाद लोग कहें कि इस लड़की में दम है, ये अपने दम पर भी फिल्म को चला सकती है। इस सबके बावजूद गौहर के सामने मुश्किल भी कम नहीं है। 'मैं चाहती हूं, सब कहें कि हां ये लड़की कर सकती है' फिल्म मे जहां एक तरफ गौहर के राजीव खंडेलवाल के साथ काफी अंतरंग सीन हैं, वहीं दूसरी हीरोइन जेम्मा एटिंक्सन ने भी फिल्म में जबरदस्त बोल्ड सीन किए हैं। 'मैं चाहती हूं, सब कहें कि हां ये लड़की कर सकती है' ऐसे में गौहर के सामने चुनौती है कि वो खुद को साबित करें। कहीं ऐसा ना हो कि जेम्मी अपनी बोल्डनेस के दम पर महफिल लूट लें।
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BP, DESK : सीवान के मंदिरापाली गांव में शराब माफिया को गिरफ्तार करने गई पुलिस की टीम पर हमला हो गया. इस हमले में पचरुखी थानाध्यक्ष सहित पांच पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं. घटना रविवार रात करीब आठ बजे की है. पुलिस थानाध्यक्ष ददन सिंह के नेतृत्व में छापेमारी करने पहुंची थी. शराब माफिया सत्येंद्र यादव उर्फ छोटन यादव और उसके परिवार के लोगों ने पुलिस पर लाठी-डंडे व ईंट-पत्थर से हमला कर दिया. इस हमले के दौरान पुलिस की गाड़ी को भी लोगों ने क्षतिग्रस्त कर दिया. हालांकि यह कोई पहली घटना नहीं है. इसके पहले भी यह शराब माफिया पुलिस पर हमला कर चुके हैं. पचरुखी थानाध्यक्ष ददन सिंह ने बताया कि सत्येंद्र यादव उर्फ छोटन यादव पहले से शराब के तीन मामले में अभियुक्त है. उसी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस मंदिरापाली पहुंची थी. इस दौरान पुलिस को देखते ही लाठी-डंडा लेकर कई लोगों ने हमला कर दिया. महिला सहित परिवार के अन्य लोग ईंट-पत्थर चलाने लगे. उनके अलावा चार पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं. पुलिस की जिप्सी पर भी लाठी-डंडा मारा गया. थानाध्यक्ष ददन सिंह ने बताया कि इसके पहले भी इसी थाने के निवर्तमान दारोगा रामप्रवेश भी छापेमारी करने गए थे तो इन लोगों ने हमला किया था. यह कोई नई बात नहीं है. कहा कि जो पुलिसकर्मी घायल हुए हैं उनका इलाज चल रहा है. शराब माफिया सत्येंद्र यादव उर्फ छोटन यादव सहित कई लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. हमले में जो पुलिसकर्मी घायल हुए हैं उनमें थानाध्यक्ष ददन सिंह, सिपाही संजीव कुमार, हवलदार सुनील कुमार, चालक कृष्णा पासवान शामिल हैं. इनका उपचार स्थानीय अस्पताल में चल रहा है.
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आप ही उस राज्य के उत्तराधिकारी हुए। उस समय यद्यपि उनके नादान हाथों में राज्य-सूत्र चले गये थे, तथापि उसके कारण महाराष्ट्र साम्राज्य पर उसका कोई दुष्परिणाम न हुआ । इसका कारण यह था कि यद्यपि छत्रपति शम्भाजी स्वयम् विषय हो गये थे, तथापि उनके हृदय में स्वधर्म, ग्वाभिमान एवम् स्वराज्य- प्रीति की ज्योति अभी उसी तरह दीप्तिमान थी जिस तरह उनके पिता श्री के हृदय मे अन्त तक जागरित थी । वह स्वयम् एक वीर पुरुप को सन्तान थे । अतः उनमे साहस, वीरता भी कूट-कूट कर भरी थी । यद्यपि उनकी भोग-विलास वृत्ति के कारण उन्होने अपने पिता की कमाई मे व पौरुष से कोई वृद्धि नहीं की. तथापि इतना तो अवश्य ही किया, कि जो कुछ उनके पास था उसे हाथ से जाने न दिया । छत्रपति शिवाजी ने अपने जीवित रहते महाराष्ट्र - साम्राज्य का शासन-प्रबन्ध देखने के लिये, जो अष्टप्रधान मण्डल नियुक्त किया था और उनके कर्तव्य की जो दिशा निर्धारित कर दी थीं, वही छत्रपति शम्भाजी के शासनकाल में जारी रही । परिणाम यह हुआ कि उस व्यवस्था में कोई परिवर्तन न होने के कारण साम्राज्यसंचालन का कार्य पूर्ववत् जारी रहा, और उसके पुष्टिकारणार्थ साम्राज्य को नित्य नवीन उत्साही एवम् प्रेमी तरुण मिलते गये । छत्रपति शम्भाजी का, 'भोग-विलास' उनके लिये वैयक्तिक रूपसे भले ही भयङ्कर सिद्ध हुआ, तथापि उसके कारण महाराष्ट्र साम्राज्य को कोई धक्का नहीं सहन करना पड़ा ।
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सूर्य देव की क़ृपा दो-तीन दिनों से दिख रहा है. वरणा पिछले एक महीने से जन-जीवन लगभग अस्त- व्य स्त हो गया था. खास कर उत्तर भारत में पता नहीं ग्लोबल वॉरमिंग का असर है या आइस एज का. कुहा के कारण दो- तीन ट्रेनें आपस में भिड़ी, भारी संख्या में सड़क पर वाहन लड़े, कई मौतें भी हुई. सैकड़ो ट्रेनें रद्द हुई. विमान रद्द हुए. देरी से चलने वालों की तो शायद चर्चा करना ही व्यडर्थ है. लगता था जीवन का रफ़्तार थम सा गया है। * विज्ञान के इस युग मे क्या इसका कोई इलाज नहीं? * क्या हवाई अड्डों पर, सडकों पर, एवं रेल पटरियों पर कुहे से लड़ने का कोई साधन नहीं? * क्या मौसम विज्ञान की भविष्यवाणी के हिसाब से यात्री को पूर्व सूचना नहीं दी जा सकती है ? * क्या विलंब होने पर यात्रियों के सुविधा का ख्याल नहीं रखा जाना चाहिए ? * घंटो लेट चल रही ट्रेन में यात्रियों के लिए खाने - पीने का कोई इंतजाम नहीं, यहाँ तक की बाथरूम में भी पानी उपलब्धह नहीं रहता. * हवाई यात्री दर - दर भटकते रहे . कोई मIई - बाप नहीं. यह कहानी नहीं मेरा अनुभव है. ज़रा सोचो भाई ? कुछ करो ? क्योंकि यह मात्र एक दिन, एक सप्ताह, या एक महीने का नहीं, वरण हर वर्ष का मौसम होने वाला है.
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बुढाना। सडक हादसे मे एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि उसके चार अन्य साथी घायल हो गए। जिन्हे पुलिस ने उपचार के अस्पताल भिजवाया गया। युवक की मौत से परिजनो मे कोहराम मचा रहा। जानकारी के अनुसार आज सुबह बुढाना कोतवाली क्षेत्र के मेरठ-करनाल मार्ग हाईवे पर ट्रक की चपेट मे आ जाने से टै्रक्टर-ट्राली सवार एक युवक की मौत हो गई। तथा ट्राली मे सवार उसके चार अन्य साथी घायल हो गए। आसपास के खेतो मे काम कर रहे ग्रामीण तुरन्त ही मौके पर पहुंचे। ग्रामीणो ने पुलिस को हादसे की जानकारी दी। सडक हादसे युवक की मौत की खबर मिलते ही इंस्पैक्टर बुढाना एम. एस. गिल मय फोर्स के मौके पर पहुंचे। पुलिस ने मृतक के परिजनो को हादसे की जानकारी दी। युवक आमिर की मौत की खबर मिलते ही परिजनो मे कोहराम मच गया। बताया जाता है कि गांव जौली निवासी उक्त ग्रामीण मेरठ मे पुरानी पुराली बेचकर वापिस लौट रहे थे। रोते-बिलखते परिजन तथा कुछ अन्य ग्रामीण तुरन्त ही घटना स्थल की और रवाना हो गए। इसी बीच पुलिस ने चारो घायलो को एम्बूलैन्स की मदद से उपचार के लिए अस्पताल भिजवा दिया। पुलिस ने परिजनो व ग्रामीणो की मौजूदगी मे पंचनामा भरकर शव को पोस्ट मार्टम के लिए मोर्चरी पर भिजवा दिया। परिजनो की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ तहरीर लेते भागदौड शुरू की। युवक की मौत की से ग्रामीणो मे शोक छाया हुआ है।
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अयोध्या धाम में वीकेंड लॉकडाउन के दिन रविवार सुबह हनुमानगढ़ी में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंच गई। जिसको देखते हुए पुलिस प्रशासन अमले में खलबली मच गई। प्रशासन ने हनुमानगढ़ी में सुरक्षा बढ़ाते हुए मंदिर की चौखट से ही श्रद्धालुओं को समझा बुझाकर वापस कर दिया। बड़ी संख्या में अयोध्या की सीमा पर जगह -जगह पूछताछ के बाद भी भीड़ को वापस कर लॉकडाउन का पालन न करा पाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई। अयोध्या में श्रद्धालुओं के मंदिरों में भारी संख्या पर पहुंचने की सूचना पर जिला प्रशासन ने जिले में सख्ती से वीकेंड लॉकडाउन का पालन कराना शुरू कर दिया। अयोध्या की सीमा पर जगह-जगह पुलिस बल की तैनाती की गई। बिना पूछताछ किसी को भी जिले में प्रवेश नहीं दिया गया। वीकेंड लॉक डाउन होने की वजह से हनुमानगढ़ी, कनकभवन सहित अन्य मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। दूर दराज से पहुंचे भक्त भगवान का दर्शन नहीं कर पाए। पुलिस मंदिर के मुख्य द्वार से ही श्रद्धालुओं को लौटा रही है। जिससे कोरोना के घटते मामले को बनाए रखा जा सके। वीकेंड लॉक डाउन का भी पालन पुलिस कराने में लगी है। वहीं, हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेश दास ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि कोरोना काल अभी समाप्त नहीं हुआ है। ऐसे में अभी सतर्क रहने की जरूरत है। सरकार ने शनिवार व रविवार को साप्ताहिक बंदी का एलान भी किया है। ऐसे में सभी लोग सरकार के कोरोना गाइडलाइन का पालन करें। आम जनमानस प्रशासन व सरकार का सहयोग करें। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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आज से पैंतालीस साल पहले पच्चीस जून सन उननीस सौ पचहतर को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाँधी ने आपातकाल लगाया था । इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा जी के पास विकल्प नहीं बचा था । अंत में इंदिरा गांधी जी ने " आपातकाल " लगा दिया । जो आगे चलकर भारत का इतिहास ही बन गया । होना तो यह चाहिए था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के खिलाफ उन्हे सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए था । आपातकाल मे लोगों की बोलने की स्वतंत्रता प्रेस की आजादी पर अंकुश ही लग गया । सिर्फ सरकार की न्यूज ही समाचार का माध्यम था। आज जिन लोग मोदी जी का विरोध कर रहे है तो उन्हे पैंतालीस साल पहले भी गौर करना चाहिए था। मुझे अच्छे से याद है कि उसी दिन गांधी चौक में स्व. मधु लिमये की आमसभा थी जो स्थगित हो गई और उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं पूरे देश मे विपक्ष के नेताओ को जो जहां था वहीं पकड़ लिया गया । प्रेस की आजादी खत्म कर दी गई। उन समाचार पत्रों के मालिक व पत्रकार जो शासन के कदमों से सहमत नही थे वो भी अंदर हो गये । पूरा देश एक भय के साये मे रहने को मजबूर था । देश की पूरी सत्ता प्रधानमन्त्री स्व. इंदिरा जी के हाथो मे ही थी । नेताओं के साथ राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के स्वंय सेवको को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। पूरी कांग्रेस मे एक भी नेता ऐसा नहीं बचा जो आपातकाल का विरोध कर सके । उस समय आसाम के नेता स्व. देवकांत बरूआ तब कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उन्होंने एक बहुत प्रसिद्द नारा दिया था " इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा । " तबकी बार यह नारा जोरशोर से चल रहा था । पूरी राजनीतिक गतिविधियों पर विराम लग गया था । इंदिरा जी ने तब सर्वोच्च न्यायालय के तीन वरिष्ठ न्यायधीश की अनदेखी कर जूनियर को मुख्य न्यायधीश बनाया गया । जिसने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बदला । अंत मे उन्हे लोकतंत्र के नाम से जनता के सामने आना पडा । उसी समय संत विनोबा भावे जी ने आपातकाल को " अनुशासन पर्व " कहा । पर एक बात तय है कि आपातकाल के बुराइयों के बीच मे कुछ बातें हमे अपने नियमित जीवन मे देश वासियों को लाने की आवश्यकता थी । निश्चित एक अनुशासन पनपा था ट्रेन समय पर चलती थी । आफिस का काम बिलकुल सही समय मे होता था । भ्रष्टाचार डर के मारे काफी कम हो गया था । आफिस में आने जाने का जो समय था उसका पालन करते थे । दुर्भाग्य से हमारे यहां लोकतंत्र मे खुली आजादी मानी जाती है। किसी का कोई नियंत्रण नहीं है वही बगैर पैसा के कोई काम तक नहीं होता। आवश्यकता है इस अच्छे अनुशासन को अपनाने मे क्या आपत्ति है। कुल मिलाकर यह आपातकाल खट्टा मीठा दोनों था। पर खट्टा बहुत ज्यादा हो गया जिसके कारण से लोगों ने इसे नकार दिया। पर यह तय है आने वाले हर शासको को यह घटना उसे उसकी लक्ष्मण रेखा की याद दिलाते रहेगी । पर लोगों को भी अपने नागरिक कर्तव्यो का अहसास जो आपातकाल मे हुआ यही समय है हमे आज अपने आचरण में उतारने की आवश्यकता है । बस इतना ही डा . चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ। (लेखक डा . चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ जाने माने आयुर्वेद चिकित्सक हैं एवं विभिन्न समाचार पत्रों में उनका लेख प्रकाशित होता है। यह लेखक के निजी विचार हैं)
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कपोती और मजदुववृति कापोतोके सामने यह वाकया कि इस बोनस के लिए युम्न तान महोनाक जिनके नाम निकांन करनी चाहिये। परन्तु यह मनायिय का काकि उतना जनम भागना उनित होगा और पानामे उया इतना बासन मिला है? मित्रोके जानकारों व ऐसा मत का कितना अननसामने की स्थिति तो है, लेकिन माडिक यह मान खोकडर नहीं करेंगे। उसए ना बोनस नहीं मित्र माना। अकन मन के अनुसको माग नगर की जाय, तो हैदो माहस पावन पर्व डिनाएँ नहीं होगी। उसने यह जान पातीक सामने रखो, लेकिन उन्हें यह विचार सरणी हो एमः नहीं आई । उनी नीति यह थी कि उचित होने के साथ ऐसी भी होनी चाहिये जिसका सदस्य दृष्टिले नोचनेवाला कोई भी व्यक्ति शहार न हो। परन्तु बाजी वृत्तिने पहले बहुत बड़ी मांग की नाम और बाद उससे बहुत कम स्वीकार करके समझोता कर लिया जाय, तो ऐसी नीति उचित नहीं मानी जायगी। इतना ही नहीं, मजदुर जनता ऐसे व्यवहारको समझ भी नहीं सकती। अतः मांग नामान्यतः उचित होनी चाहिये और व्याव हारिक भी होनी चाहिये । और यदि मांग ऐसी हो जिसे घटाया न जा सके, तो उसके लिए अंत तक लड़ लेना भी उचित माना जावना गांधीजीकी यह दृष्टि बिलकुल ठीक थी, इसलिए बोनसके प्रश्न पर इस दृष्टिसे सावधानीपूर्वक सोच-विचार कर मजूर महाजनकी औरते डेढ़ महीनेके वेतन जितने वोनसकी मांग मालिकोंके सामने रखी गई। सरपंचकी मांग उस समय मंगलदास सेठ कुछ बीमार थे, इसलिए गांधीजी और मैं उनसे मिलने गये। उनके साथ जब वोनसके वारेमें चर्चा हुई तो उन्होंने यह मत प्रकट किया कि पिछले वर्ष जितना वोनस इस वर्ष भी दिया जा सकता है, लेकिन डेढ़ महीनेका तो किसी हालत में नहीं दिया जा सकता । इसके बाद वे इस सम्बन्ध में अपने विचार
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दो. (चनमाला) प्राणदान ढातार तुम, श्रम क्यों तजो निराश । दासी की यह विनति, चलू साथ वनवास ।। छं ( बनमाला) है दुःख विरह का अतुल, यह मुझमे सहा नहीं जायगा । याद कर कर यापकी यह, मन मेरा चवरायगा ।। सीता की सेवा मैं कम्गी, तुम करो श्रीराम की । सोचलें मन में जरा, मैं तो हू साथिन जान की । बोले अनुजय भामिनी ! ज्यादा न हट अब कीजिये । वापिसी में साथ लेंगें मन को तसही दीजिये ।। समझाय वनमाला को लक्ष्मण, राम आगे को चले। थकती जहा सीता वहा विश्राग लेते द्रुम तने ।। बन खण्ड से आगे बढे, मांजल पुर पास । उद्यान देख कहने लगे, मिला दृश्य यह खाम ॥ थे बाग जलाशय स्वाभाविक, अद्भुत ही रग दिखाते है । क्या यही स्वर्ग का टुकडा है, जो कवि कथन कथ गाते है ।। उसी जगह विश्राम किया, फल फूल अनुज कुछ लाले है । फिर संस्कार किया सीताने, सियाराम अनुजने खाये है ॥ जब आहार किया फल फूलों का, नही अन्न की दरकार रही। तब देख देख खुश होते है, नही मिला दृश्य यह और कही ।। फिर अनुज राम की आज्ञा पा, नगरी की सैर सिधाया है। नृप शत्रु दमन की प्रतिज्ञा का, भेद अनुज ने पाया है । भेद सब एक, मनुष्य से श्री अनुज ने पूछा तभी । वृत्तान्त यह उस पुरुषने, लक्ष्मण को समझाया सभी ।। शत्रु दमन राजा यहा, शक्ति का न कोई पार है । भूप आधीन कई, सबका यही सरदार है ।। है जित पद्मा पद्मनी, प्रत्यक्ष पुत्री भूप की । तुलना न कर सकता कोई, उस पुण्य रूप अनूप की ।। मेरी शक्ति का वार अपने, तन पे सह लेगा कोई । जित पद्मा मेरी पुत्री को, फिर विवाहेगा वही ॥ आज तक आया न कोई, सहे न को शक्ति भूप की । मौत के बदले कोई, करता न चाहना रूप की । सुन अनुज लाई चाट, धौंसे पर करी न वार है । फिर वहा पहुंचे लगा था, खास जहां दरबार है । देखी शोभा अनुज की, बांकी का जवान है । शत्रु दमन कहने लगा, मुझ को बता तू कौन है । कहे लखन दूत मैं भरत का, स्वामी के आया काम हूं । प्रतिज्ञा पूरी करने तेरी, आ गया इस धाम हू । दो.- क्रोध भूप को आगया सुना दूत का नाम । राजपुत्र बिन और को, विवाहना अनुचित काम ।। यह होकर दूत भरत का, मेरी पुत्री व्याहने आया है । तो समझ लिया मैंने अब इसको, काल शीस पर छाया है । अब मारू एक तान शक्ति इसको, परभव पहुचा देऊं । जो शक्ति इसका नास करे, पहिले वह इसे दिखा देऊ ।। दो ( शत्रु द ) - जो शक्ति सहनी पडे, उसको जरा पहिचान । परभव को पहुचायगी, जिस दम भारी तान ॥ दो ( लक्ष्मण ) - सह सकता हूं पाच मैं, कौन चीज है एक । परीक्षा कर लीजिये, खडा सामने देख्न ।। चौ. - फिरोधातुर हो अति भूपने, शक्ति हाथ उठाई है । और देख सूरत उस लक्ष्मरण की जनता सव घबराई है ॥ यह देख वार्ता एकदम सब, लक्ष्मणजी को समझाते है । और बोली उधर पद्मा पितासे, क्यों इसकी जान गवाते है ।। बस यही हो चुका पति मेरा, इसके सग शादी कर डीजे । न व्याहू और किसी को भी, यह शक्ति हाथ से धर दीजे ।। जैसे घी डाला अग्नि में, भूपाल को ऐसे क्रोध चढा । निज शक्ति लाकर सभी, अनुज पर गजाने प्रहार जड़ा ।। किये ढो प्रहार भुजाओं पर, और दो हाथों पर मारे है । लख आश्चर्य में भूप हुआ, हैरान सभासद सारे है । सोचा कि कहता दूत किन्तु यह दूत नजर नहीं आता है । यह शक्ति में वलवीर अतुल, जो तनिक नहीं घबराता है । मन ही मन में भूपको आश्चर्य हुआ छापार । और मुस्काता हुआ इस तरह, वोला वचन उचार ॥ प्रहार पांचवा अय लड़के, हम तुझे माफ फर्माते है । तब बोले अनुज क्यो मेरे, क्षत्रापन को बट्टा लाते है । महार पाचवे की नृपने, फिर सरपे चोट लगाई है । कुछ असर नही हुआ लक्ष्मण पर, यह देख सभा हर्पाई है ।। राज कुमारी ने तुरत, पहिनाई वरमाल । परो पुत्री मेरी, यो वोले भूपाल ।। अनुज कहे उद्यान में, वैठे है श्रीराम । सेवक हूं रघुवीर का, करूं बताया काम ।। चौ. - श्रीराम सिया लक्ष्मण है, सुनकर राजा मन में हर्पाया । फिर विनय सहित तीनों को अपने महलो के अन्दर लाया ।। अति प्रेम से भोजन करवा कर, भूपति ने प्रेम बढाया है । फिर आज्ञाले श्री रामचद्रजी, आगे को चल धाया है ।
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लखनऊ (ब्यूरो) । महोत्सव स्थल पर उत्तराखंड के पौंजी, नथ, गलोबंद आदि जेवरात संग पिछौड़ा, ऐंपण आदि का स्टाल लगाया गया है। गहत, भट, मुंस्यारी की राजमा, गडेरी, मूली, नींबू, गेठी, बाल मिठाई, रेडीमेड व ऊनी वस्त्र, कश्मीरी शाल, घर के सजावट का सामान, फर्नीचर, ड्राई रूट्स व खान-पान आदि के स्टालों पर जाकर लोग खूब खरीदारी कर रहे हैं। उत्तराखंड का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य दल मेला परिसर में धूम घूम कर अपनी लोक कला का प्रदर्शन करता रहा। पूनम कनवाल एवं हरितिमा पंत के संचालन में जया श्रीवास्तव के नेतृत्व में अटल कला साहित्य मंच की टीम ने लोक प्रस्तुतियां, सुरताल संगम संस्था ने वालीवुड थीम पर कार्यक्रम, रामलीला समिति महानगर के दल ने देवी भवानी मेरि सेवा लिया, स्वर्ग तारा आदि लोक गीतोंं से समा बांध दिया। पीयूष पांडे का कथक सबको काफी पसंद आया। राजस्थान की टीम ने लीला देवी के नेतृत्व में भवई नृत्य जिसमें नृत्यांगना शांता देवी ने सिर पर सात मटके रखकर तलवार, कांच के टुकड़ों पर नृत्य किया। यह राजस्थान का फेमस लोक नृत्य है। वहीं शांता देवी, शायरी देवी, राधा, सीता, हंजा देवी, रमेश दास, सोहन लाल, श्रवण दास, रमेश, विष्णु आदि ने धूमर पेश कर लोगों की वाह-वाही लूटी।
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इन दिनों प्रियंका चोपड़ा खूब सुर्खियों में हैं। हाल ही में उन्होंने यह खुलासा कर सबको चौंका दिया कि उन्होंने बॉलीवुड छोड़ हॉलीवुड में काम क्यों तलाशा। अपने इस हालिया इंटरव्यू में उन्होंने कई बड़े खुलासे किए, जो उनकी निजी और पेशेवर जिंदगी से जुड़े थे। बात करते-करते जब इंटरव्यू लेने वाले ने फिल्म 'RRR' का जिक्र छेड़ा और इसे बॉलीवुड फिल्म बताया तो उसे ठीक करने के चक्कर में प्रियंका खुद ही गलती कर बैठीं। इस चक्कर में टि्वटर पर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। डेक्स शेपर्ड के साथ हालिया बातचीत में प्रियंका ने 'RRR' को दूसरी ही इंडस्ट्री की फिल्म बता डाला। बड़ी बात यह है कि वह डेक्स को सही कर रही थीं। दरअसल, डेक्स ने कहा, "बॉलीवुड अविश्वसनीय तरीके से आगे बढ़ा है। आपके पास मुख्यधारा की बड़ी फिल्में, कहानियां और डांस है। " उन्होंने 'RRR' का उदाहरण दिया तो प्रियंका ने फौरन उन्हें सही करते हुए कहा कि यह एक तमिल फिल्म है। 'RRR' एक बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्म एवेजंर्स की तरह है। निर्देशक एसएस राजामौली कई दफा यह साफ कर चुके हैं कि 'RRR' बॉलीवुड या किसी और इंडस्ट्री की फिल्म नहीं, ये एक तेलुगु फिल्म है। 'RRR' के ऑस्कर कैंपेन के दौरान प्रियंका फिल्म की स्क्रीनिंग में शामिल हुई थीं। सोशल मीडिया पर फिल्म के लिए उन्होंने शुभकामनाएं लिखीं। ऑस्कर से पहले राम चरण और उनकी पत्नी उपासना को उन्होंने अपने घर में बुलाया। प्रियंका लंबे समय से 'RRR' के करीब हैं, इसलिए उनकी यह गलती लोगों को हजम नहीं हो रही है। टि्वटर पर एक यूजर ने लिखा, 'RRR दुनियाभर में इतिहास रच चुकी है और तुम्हें यही नहीं पता कि फिल्म मूल रूप से किस भाषा में बनी है? ' एक ने लिखा, 'कम से कम आपसे तो ऐसी उम्मीद नहीं की थी। ' एक ने लिखा, 'राम चरण के साथ फिल्म 'जंजीर' में काम कर चुकी हो। उनके सपंर्क में रही हो। फिल्म की तारीफ कर रही हो। फिर कैसे 'RRR' को तमिल फिल्म बना दिया? ' एक ने लिखा, 'अब राजामौली सर और परेशान हो जाएंगे। '
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कोरीज़ा लंबे समय तक सामान्य ठंड के सबसे अनुमानित अभिव्यक्तियों में से एक में बदल गया है। इस घटना का मुकाबला करने के कई साधन हैं। उनमें से ज्यादातर आपको दिनों के मामले में सामान्य सर्दी को हराने की अनुमति देते हैं। लेकिन यह घटना क्या है - रक्त के साथ ठंडा, कुछ लोगों के लिए जाना जाता है। इसलिए, यह आपको उन रोगियों से सावधान करता है जिन्हें इसका सामना करना पड़ता है। सर्दी रक्त के साथ क्यों आती है? वास्तव में, आपको समय से पहले घबराहट नहीं करना चाहिए। श्लेष्म नसों में श्लेष्म नसों में दिखाई देने का मुख्य कारण कमजोर जहाजों है। यदि नाक बहने से आप लंबे समय तक पीड़ित होते हैं, और इस बार आप रूमाल के साथ भाग नहीं लेते हैं, तो संभवतः, जहाजों को बहुत कमजोर कर दिया गया है और अगले झटका के समय वे बस टूट गए। अनियंत्रित होने पर खूनी निर्वहन। रक्त के साथ सर्दी के अन्य कारण हैंः - वायरस; - खरोंच और अन्य यांत्रिक नुकसान; - विटामिन की कमी और कमजोर प्रतिरक्षा; - श्लेष्मा की सूखापन; - दबाव बढ़ गया ; - संवहनी spasms (अत्यधिक शारीरिक परिश्रम, जलवायु परिवर्तन, उच्च ऊंचाई चढ़ाई, अचानक तापमान spikes के साथ मनाया)। संक्रमण वर्ष और गर्भवती महिलाओं के दौरान अक्सर रक्त नसों के साथ एक नाक बहती है। हार्मोनल पृष्ठभूमि में अचानक परिवर्तन के लिए सभी दोष। कभी-कभी दवा के उपयोग से ठंड के परिणाम में रक्त। स्वतंत्र रूप से इस मामले में कार्य करने के लिए यह आवश्यक नहीं है, और सलाह देने के विशेषज्ञ के साथ यहां रोक नहीं है। अगर मेरा खून ठंडा हो जाता है तो मुझे क्या करना चाहिए? उपचार का निर्धारण केवल सटीक निदान की स्थापना के बाद ही हो सकता हैः - यदि कमजोर केशिकाओं के कारण ठंड में रक्त नसों में दिखाई दिया, तो जहाजों को मजबूत करने की आवश्यकता होगी। यह धोने, विशेष शारीरिक अभ्यास और औषधीय decoctions के उपयोग से मदद की जा सकती है। यह सब रक्त परिसंचरण को सामान्य करने और प्रतिरक्षा को मजबूत करने में मदद करेगा, जिसके कारण अधिक कठोर हो जाएगा और केशिकाओं की दीवारें। - इसलिए आपको नाक से खून की समस्या से निपटने की ज़रूरत नहीं है, नाक के साथ, विशेष आयनकार और humidifiers घर पर स्थापित करें। घर पर नियमित रूप से साफ और हवादार। - सड़क पर जाने से पहले (विशेष रूप से ठंड के मौसम में) चिकित्सा पेट्रोलियम जेली या विशेष मलम के साथ नाक को चिकनाई करें। प्रतिरक्षा को मजबूत करने के लिए, आप विटामिन परिसरों को पी सकते हैं। आहार को बदलने के लिए यह अनिवार्य नहीं होगा। सब्जियां, फल, अनाज जोड़ें, और बुरी आदतों को त्यागने का प्रयास करें।
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राम रमापति जय जय जय, वन वन भटके वह, मर्यादा की सीख सिखाने, त्याग भावना हमें सिखाने , यहीं पे पूरे करने काम, आए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम। अयोध्या में आए श्री राम, नहीं वहां पर अब कोई वाम, सब वहां हर्षित हैं इस पल, दशरथ के मन में है हलचल, आए फिर भरत शत्रुघ्न भी, लक्ष्मण ने भी आँखें खोली, तीन रानियां सखियों जैसी, साथ साथ ममता में डोली, मानव का उत्थान है करना, इसीलिए आए श्री राम । अयोध्या में उत्सव का शोर, शंखनाद है चारों ओर, शांताकारम राम के दर्शन, करने आए सभी चहु और, यह हो सकता है कि रावण, भी आया हो दर्शन करने, यह भी सच है सभी देवता, सोच रहे अब कष्ट मिटेंगे, यद्यपि यह मेरा विचार है, कि रावण भी विष्णु भक्त था, किंतु नहीं यह वर्णन कहीं भी, कि रावण आया अयोध्या कभी भी, सभी यहां सुख सागर में है, आज यहां आए हैं राम। यह है श्री राघव की माया, कि यह कोई समझ न पाया, एक मास का एक दिवस था, हर कोई मोह में विवश था, यहां रवि भी रुका हुआ है, यहां कवि भी झुका हुआ है, यहां सभी नतमस्तक होंगे, यह है अयोध्या नगरी शुभ धाम, यहां पे जग के पालक राम। यदि यह हमने ना समझा, यदि यह हमने ना जाना, कि यह परम सत्य ही था, की रमापति ही सियापति था, प्रत्यक्ष को प्रमाण नहीं है , स्वयं सिखाएंगे श्री राम। वहां चले अब जहां सरस्वती, गुरु ने शास्त्रों की शिक्षा दी, गुरु आश्रम में ऐसे रहते, सेवा भाव से कार्य हैं करते, आए जब राम गुरुकुल में , पुनः ज्ञान अर्जित करने , वहां सभी सुख में डूबे, चारों भाई थे चार अजूबे, यह प्रभु की ही अद्भुत लीला, वेदों के ज्ञाता हैं राम। गुरु आश्रम से आ साकेत, विश्वामित्र का पा आदेश, सबको करने अभय प्रदान, लखन को ले चलें कृपानिधान, चले ताड़का वन की ओर, दुष्ट राक्षसी रहती जिस छोर, बाण एक ताड़का को मारा, मारीच सुबाहु को संघारा, मारीच को दिया क्यों जीवनदान, यह भेद जाने बस कृपा निधान, चले हैं हरने मही की त्रास , इसीलिए आए श्रीराम। चले वहां अब जहां महालक्ष्मी, जनक सुता रमा कल्याणी, वहीं होगा अब मिलन हरि से, जहां जनक राज्य हैं करते, चले संग मुनिवर लक्ष्मण के, गंगा तट पर पूजन करके , वहीं एक निर्जीव आश्रम में, तारा अहिल्या को चरण रज से , गंगा जिनकी उत्पत्ति है , वो हैं पतित पावन श्री राम। समय ने ऐसा खेल रचाया, समय ने ऐसा मेल बनाया, वहीं पे पहुंचे कृपानिधान, जहां पे थी खुद गुण की खान, वही पहुंची अब जनक सुता, उपवन में राघव को देखा , अद्भुत सौंदर्य और अतुल पराक्रम का, है यह अति पुरातन रिश्ता, तीनों लोकों में दोनों की, कोई कर सकता ना समता, गई मांगने उनसे रघुवर, जिसने तप से शिव को जीता, जनकपुरी में शुभ समय है आया, जनक राज ने प्रण सुनाया, सब का अभिनंदन करके, सीता को सखियों संग बुलाया, किंतु शिव के महा धनुष को, कोई राजा हिला न पाया, विश्वामित्र ने देखा अवसर, तब उन्होंने राम को पठाया, राम ने जाना शुभ समय है आया, सभी बड़ों को शीश नवाया, धनुष के दो टुकड़े कर डाले, हमें मिले फिर सीताराम। केकई ने षड्यंत्र रचाया, नियति ने फिर खेल रचाया, राजतिलक का समय जब आया, माता का फिर मन भरमाया, दशरथ से मांगे वर दो, भरत को राज्य , वन राम को दो, माता की आज्ञा सिर धरके, पिता वचनों की गरिमा रखने, साथ सिया और लक्ष्मण को ले, चले गए फिर वन को राम। वन में उनको मिले सभी , ऋषि तपस्वी और ज्ञानी, वन में था ज्ञान अथाह, वन में था आनंद समस्त, वन में थे राक्षस कई , वन को कलुषित करते सभी , रावण के यह बंधु सभी, करते थे दुष्कर्म कई , लिया राम ने फिर प्रण एक , निश्चर हीन धरा को यह, रक्षा इस धरती की करने , आए दोनों लक्ष्मण राम। वन में जा पहुंचा अभिमानी, मारीच उसका मामा अति ज्ञानी , अभिमानी के हाथों उसकी, मृत्यु हो जाती निष्फल , चुना मृत्यु का मार्ग सफल, बन सुंदर एक मृग सुनहरी, चला भरमाने मायापति राम। सीता को पाकर अकेली, छद्मवेश साधू का धर के, ले गया वह सीता को हर के, यहां वहां सीता ने पुकारा, हार गया जटायु बेचारा, वन वन भटके दोनों भाई , पर सीता की सुध ना पाई, यह सब तो है प्रभु का खेल, दीन बने खुद दीनानाथ राम। मिलना था अब हनुमान से, बुद्धि ज्ञान और बलवान से, वन में उनको भक्त मिला, वानर एक अनूप मिला, रुद्र अवतार राम के साथी, वानर राज सुग्रीव के मंत्री, वानर जाति का किया कल्याण, सब के रक्षक हैं श्रीराम। वानर राज ने किया संकल्प, माता की खोज हो तुरंत , चारों दिशाओं में जाओ , सीता मां की सुध लाओ , चले पवनसुत दक्षिण की ओर, मन में राम नाम की डोर, विघ्न हरण करते हनुमान , उनके मन में हैं श्रीराम। चले वहां अब जहां थी लंका, वहां पर अद्भुत दृश्य यह देखा, एक महल में शंख और तुलसी, देख उठी यह मन में शंका, वर्णन कर आने का कारण, विभीषण से जाना सब भेदन, सीता मां से चले फिर मिलने, राम प्रभु के कष्ट मिटाने, माता को दी मुद्रिका निशानी, प्रभु की सुनाकर अमर कहानी, यह तब जाना सीता माॅ ने, रामदूत आया संकट हरने, चले लांघ समुद्र महाकाय , सीता मां की सुध ले आए, रावण की लंका नगरी को, अग्नि को समर्पित कर आए, रावण का अहंकार जलाकर, बोले क्षमा करेंगे राम। हनुमत पहुंचे राम के पास, सीता मां का हाल सुनाकर, बोले ना टूटे मां की आस , दक्षिण तट पर पहुंच के बोले, अब जाना है सागर पार, राम नाम की महिमा गहरी, वो करते हैं भव से पार, राम नाम लिखकर जो पत्थर, सागर में तर जाते हैं, उसी राम के आगे देखो, शिव भी शीश झुकाते हैं, करके पूजा महादेव की, लिंग पे जल चढ़ाते हैं, राम भी उनकी सेवा करते, जो रामेश्वरम कहलाते हैं, सेतु बांध समुद्र के ऊपर, लंका ध्वस्त करेंगे राम। रावण एक महा अभिमानी, विभीषण की एक न मानी, मंदोदरी उसकी महारानी, उसकी कोई बात न मानी, सीता ने उसको समझाया, क्यों मरने की तूने ठानी, विभीषण को दे देश निकाला, लंका का विनाश लिख डाला, चले विभीषण राम के पास, मिटाने कई जन्मों की त्रास, लंकेश्वर कहकर पुकारा, शरणागत के रक्षक राम। शांताकारम राम ने सोचा, जो विनाश युद्ध से होता, सृजन में लगते लाखों कल्प, राम ने चाहा अंगद अब जाए, रावण को यह कहकर आए, माता को आदर् से लेकर, राम प्रभु की शरण में जाए, अंगद ने जा राजमहल में, पर उस अभिमानी रावण की, राज्य सभा को समझ ना आया, तब राम नाम लेकर अंगद ने, वहीं पर अपना पैर जमाया, राम ने उस अभिमानी रावण को, राम नाम का खेल दिखाया, हिला ना पाए कोई उसको, जिसके तन मन में हो राम। अब निश्चित है युद्ध का होना, रावण के अपनों का खोना, सब ने अपने प्राण गवाएं, रावण अब इस बात को समझा, कि संकट में प्राण फसाए, युद्ध भूमि में किसको भेजें, जाकर कुंभकरण को जगाएं, राम लखन के सन्मुख भेजें, वानर सेना को मरवायें, कुंभकरण ना समझ सका की, नारायण को कैसे हराऐं, यह था कुंभकरण का भाग्य, मुक्ति के दाता हैं श्री राम। वानर सेना में उत्साह का शोर, राक्षस सेना चिंतित सब ओर, युद्ध हुआ हर दिन घनघोर, पर बचा न कोई रावण की ओर, एक से एक महा भट्ट आते, आकर अपने प्राण गवाते, मेघनाथ रावण की आस, लक्ष्मण लक्ष्य लंका के सुत का, गड़ शक्ति पराक्रम बल कौशल का, यह क्या विधि ने खेल रचाया, लक्ष्मण को युद्ध में हराया, शक्ति मेघनाथ ने छोड़ी, राम लखन की जोड़ी तोड़ी, मेघनाथ के शंखनाद का कैसे उत्तर देंगे राम। अब वानर सेना है भयभीत, वानर दल की टूटी पीठ, लक्ष्मण राम प्रभु की प्रीत, लूट के ले गया इंद्रजीत, वानर दल श्री राम को चाहे, उनकी चिंता देखी न जाए, अब उनको संजीवनी बचाए, तब हनुमंत सामने आए, वानर सब उनको समझाएं, की सूर्य उदय से पहले ले आएं, वरना लक्ष्मण को जीवित ना पाएं, शांत समुद्र में जैसे तूफान, ऐसे विचलित हैं श्री राम। चले पवनसुत उत्तर की ओर, लक्ष्मण के प्राणों की टूटे ना डोर, संग ले राम नाम की आस, हनुमत पहुंचे पर्वत के पास, लक्ष्मण के प्राणों को लेकर, हनुमत पहुंचे जहां थे राम। यह तो है राम नाम की चाहत, जो लक्ष्मण हो सके न आहत, फिर गरज कर लक्ष्मण ने कहा, तेरी मृत्यु अब निश्चित है अहा, कहां है वह पाखंडी राक्षस, युद्ध के सभी नियमों का भक्षक, यहां पर तो रघुकुल का चिन्ह है, कि अब मेघनाद का मस्तक, उसके धड़ से कब होता भिन्न है, लक्ष्मण ने अब प्रण है ठाना, विजयी हो कर आऊंगा राम। युद्ध वहां है जहां है माता, इंद्रजीत को समझ न आता, जो सत्य का साथ है देता, वहीं पे लक्ष्मण ने ललकारा, युद्ध करने को उसे पुकारा, सभी शास्त्र विफल कर डाले, मेघनाद ने देखे तारे, यह समझा रावण का सुत अब, यह कैसे पितु को समझाए, राक्षस जाति को कैसे बचाए, सुबह का सूरज यह लेकर आया, अब युद्ध करेंगे रावण राम। वहां से शंखनाद यह बोला, रावण का सिंहासन डोला, यह अब अंतिम युद्ध है करना, वानर सेना करें यह गणना, यह है अब राम की इच्छा, रावण को वानर दें शिक्षा, युद्ध हुआ वह बहुत भयंकर, देख रहे ब्रह्मा और शंकर, यह अब युद्ध में निर्णय होगा, की अंत में विजयी कौन बनेगा, यहां पर सब हैं आस लगाए, कि जल्दी सीता अब आए, राम मारेंगे अब रावण को, सीता मां के दर्शन हो सबको, चलेंगे तीखे तीर रघुवर के, काटने को शीश रावण के, जों जों शीश दशानन के कटते, वर के कारण वापस आ जाते, तब रघुवर विस्मय में आए, अब तो कोई उपाय बताए, तब विभीषण सामने आए, अमृत का रहस्य बतालाए, अग्निबाण नाभि में मारो, दशानन को ब्रह्मास्त्र से संघारो, यही वो पल है जिसके कारण, धरती पर आए श्री राम। यह तो सब ने देखा उस क्षण, कि रावण का हो रहा है मर्दन, यह तो बस रघुवर में जाना, कि रावण था बड़ा सयाना, बिना राम के मुक्ति पाना, असंभव था उसने यह जाना, शुभम अथवा सत्यम का मिलना, नहीं था संभव बिना सियाराम।
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