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f0d9cd938f0c8a5aca8de4a5a6b720e3fbb4b43a | गगरेट। चुनावी साल में बिजली उपभोक्ताओं को एक सौ पच्चीस यूनिट बिजली निशुल्क देने का दाव खेल कर मतदाताओं को रिझाने वाली प्रदेश भाजपा सरकार के राज में अघोषित पावर कट ने उद्योगों की सेहत नासाज कर दी है। हालात यह हैं कि बिना कोई पूर्व सूचना के लग रहे अघोषित पावर कटों से उद्योगों के उत्पादन पर इतना प्रतिकूल असर पड़ा है कि उद्योगपतियों की कमर ही टूट कर रह गई है। उद्योगपतियों की मानें तो बिना किसी पूर्व सूचना के लग रहे इन कटों से उत्पादन तो गिर ही रहा है बल्कि कच्चे माल का भी काफी नुकसान हो रहा है। उद्योगपतियों ने सरकार से मांग की है कि उद्योगों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करे अन्यथा प्रदेश के उद्योग दूसरे राज्यों को पलायन को मजबूर होंगे। प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए उद्योगपति तभी उत्साहित हुए थे क्योंकि प्रदेश में एक तो दूसरे राज्यों की तुलना में सस्ती बिजली मिलती है तो दूसरी बात यह कि यहां निर्बाध विद्युत आपूर्ति की जाती है। पिछले कुछ दिनों से यहां भी उद्योग अन्य राज्यों जैसी परिस्थितियों का सामना करने को विवश हैं। हालात यह हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों में बिना किसी पूर्व सूचना के ही घोषित बिजली कट लगाए जा रहे हैं। इसे लेकर अब उद्योगपतियों का भी पारा चढऩा शुरू हो गया है।
औद्योगिक क्षेत्र गगरेट में स्थित एक उद्योग के मालिक ने बताया कि शनिवार को अघोषित विद्युत कट लगने पर जब उन्होंने बिजली क्यों गई ौर कब आएगी यह जानने के लिए विद्युत विभाग के सहायक अभियंता को फोन किया तो जवाब मिला कि उन्हें कुछ पता नहीं ये कट पीछे से ही है। इसके बाद उन्होंने अधिशासी अभियंता को फोन किया तो वहां से भी उन्हें यही जवाब मिला। इसके बाद उन्होंने अधीक्षण अभियंता को फोन किया तो वहां से भी उन्हें ऐसा ही जवाब मिला। अगर सक्षम अधिकारी ही यह नहीं जानते तो उद्योगों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति कैसे होगी। उधर उपमंडल औद्योगिक संघ के महासचिव सुरेश शर्मा का कहना है कि अघोषित विद्युत कटों ने उद्योगों की कमर तोड़कर रख दी है। अगर यही सिलसिला रहा तो उद्योगों के पास यहां से पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। वहीं विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता अशोक परमार का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र गगरेट में पावर कट स्थानीय स्तर पर नहीं बल्कि पीछे से लगा था। फिर भी उच्च अधिकारियों को समस्या के बारे में अवगत करवाया गया है। जल्द ही इसका समाधान किया जाएगा।
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ee89930ba1fe3918bd8412836fb5d9e66e8d6301 | बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबिकर निकर।।
इन श्लोको के साथ गुरु जी ने उपदेश शुरू किया।
सारे शिष्य हाथ जोड़े गुरु के चरणों को स्पर्श किया।
"आज का उपदेश मे हम अर्जुन के उस कथन को लेंगे जिसमे वो पूछते है - हे कृष्ण आप एक तरफ कहते हो हम कुछ नही करते, जो भी होता है वो सब पहले से सुनिश्चित है, हमारा उसमे कोई हाथ नही है, और दूसरी तरफ कहते हो हमारा धर्म लड़ना ही है। ये दो बिपरित बाते क्यों? ये मुझे बिस्तार से समझाये।"गुरू जी बोले।
"इस संदर्भ मे भगवान कृष्ण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा - हे पार्थ, मेरे कहने का अर्थ कोई द्वंद पैदा करना नही है,बल्कि ये समझना है कि हम चाहे कुछ भी करे कर्म से अपना नाता नही तोड़ सकते। जैसे नाक का काम स्वास लेना, कान का काम सुनना है, जिव्हा का काम चखना है, इसमे से कोई भी अपना धर्म छोड़ दे तो शरीर ठीक से काम नही होगा, वैसे ही तुम जिस कर्म के लिए आए हो वो करना ही पड़ेगा, वैसे तो सब मै ही करता हूं, फिर भी तुम जब आये हो तो तुम्हे ही करना पड़ेगा।"गुरू जी ने बोल रहे थे।
सारे ध्यान मग्न होकर सुन रहे थे, पर उन सबमे कोई था जो अपने ही दुनिया मे ध्यान मग्न है। गुरुजी ये सब देख कर मंद मंद मुस्करा रहे है, पर उनने उस समय टोकन उचित नही समझा, उन्होनें उसके डुबकी लगा के बाहर किनारे तक आने का इंतजार किया। बीच मे टोकने का मतलब वो डूब सकता है। डुबकी जब लगायेगा तभी मोती भी पा सकेगा।
एक घंटे बाद जब उपदेश खतम हो गया,सब उठकर जाने के लिए गुरु जी से आदेश लेने लगे, चरण स्पर्श कर के एक एक कर के निकलने लगे।
वो अभी भी बैठा हुआ है,सब चले गए पर वो अभी भी ध्यान से निकल नही है।
" बेटा चुन्नी, आज का उपदेश खतम हो गया है, क्या तुम्हे अभी भी कुछ पूछना है आज के उपदेश के संदर्भ मे।" गुरु जी अपना फिर से पलाथी लगाते हुए बोले।
चुन्नी एक दम से जागा।
"क्षमा गुरुवर, आज मेरा ध्यान यहाँ पर बिल्कुल नही था। मेरी हालत भी महाभारत वाले अर्जुन सी हो गई है। आत्मा बोलता सब मोह माया है, मन बोलता तुम्हे यहाँ से भागने नही देंगे।"
"गुरुजी मेरा मार्ग दर्शन करे।"
"मुझे ये संसार बिल्कुल निर्थर्थक लगता, मन बिल्कुल नही लगता, मै संयास ग्रहण करना चाहता हूँ।"चुन्नी सकुचाते हुए बोला।
हँसते हुए। गुरू जी।
"मै तुम्हारी मनोदशा समझ रहा हूँ। मै भी कभी इस दशा से गुजर चुका हूँ। मुझे जो दिख रहा वो तुम्हे नही दिख रहा।वत्स, तुम भयंकर परिणाम से डर रहे हो। तुम्हे क्या लग रहा तुम ये संसार त्याग कर इससे बच जाओगे। नही, हर कदम पर के नया संसार है।संयास संसार छोड़ने से मिल जाता तो भगवान राम और कृष्ण कभी संयासी नही कहलाते।"
"पर गुरू जी।" चुन्नी बोलते बोलते रुक गया।
" ये पर के चक्कर मे नही पड़ो, यही तुम्हे भटका रहा।मार्ग बिल्कुल साफ है,भगवान ने भी गीता मे कहा है कि जो संसार मे रहते हुए अपने परिवार का ख्याल रखते हुए, ये मानकर की ये मेरा धर्म है, बिना लिप्त हुए आगे बढ़ते है, मेरी नजर मे वही सबसे बड़े संयासी है।"गुरू जी ने चुन्नी के अधूरे सवाल का पूरा जवाब दिया।
"गुरुवर कोटि कोटि नमन आपका, मेरे मार्ग को सुगम बना दिया आपने।मेरी मन मे जो बादल छाए थे वो अब छट रहे है।"
"गुरू वर आप मुझे आशीर्वाद दे कि मेरे मन मे कभी दुविधा का बादल नही छाए। मै आपकी आज्ञा का पालन करूँगा।" चुन्नी गुरु जी के चरण छूते हुए बोला।
"मेरे आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है वत्स। तुम मेरे बेटे जैसे ही हो। तुम मेरे शब्दज पुत्र हो, शब्दज मतलब वो पुत्र जो शब्द से बनते है। तुम मेरे शब्द से बने हुए मेरे ही अंश हो।" गुरू जी भावुक होते हुए बोले।
दोनो भाव बिभोर हो गए।
कुछ पल के लिए समय जैसे थम गया। दोनो एक दूसरे के आँखो मे खो गए है। आँखो से अश्रु की धारा ऐसे फुट पड़ी जैसे नदी और समुद्र एक दूसरे से मिल रहे हो। जिसने भी वो पल देखा वो भी भाव मे बहता गया।
थोड़ी देर बाद दोनो प्रेम के सागर से बाहर निकले।
फिर चुन्नी ने गुरु जी के चरण और जोर से पकड़ लिए।
"पुत्र उठो, तुम प्रेम और भक्ति के चरम हो। तुम अपने सारे काम मे सफल होगे ये मेरा आशीर्वाद है। " गुरु जी चुन्नी को उठाते हुए बोले।
"गुरु वर मै कल सुबह पांच बजे की ट्रेन से निकल जाऊंगा।चार दिन बाद मेरे कॉलेज शुरू हो जायेंगे।
मद्रास मे दाखिल मिला है।"
"मुझे आज्ञा दीजिये और अपना आशीष प्रदान कीजिये जिससे मै अपने धर्म को अच्छे से निभा पाऊँ। " प्रणाम करते हुए चुन्नी उठने लगा।
"सदा खुश रहो।"
गुरू जी अपने पास रखे किताबों के गट्ठर से दो किताबे निकाल कर देते हुए बोला।
"ये मेरा प्रसाद समझकर रखो। जभी भी वक़्त मिले इन्हे आत्मसात करना। " गेरू जी ने किताबे चुन्नी को देते हुए बोला।
चुन्नी किताबों को लेकर आँखो से लगा लिया और प्रणाम कर के अपने थैले मे रख दिया।
"गुरु आज्ञा दे। अगली मुलाकात जब आपका आदेश होगा कभी हो पायेगा। " चुन्नी लाल ने हाथ जोड़कर आज्ञा ली।
"मंगलमय हो। " गुरू जी ने दोनो हाथ उपर उठा लिया।
चुन्नी वहाँ से निकल गया।
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5c607103364e1cac310cfeacc56eb37e847e99e0 | मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar News)महामना मालवीय इंटर कॉलेज मु. नगर के प्रांगण में ग्रीष्मकालीन कला कार्यशाला के अंतर्गत क्रॉफ्टर मानसी नामदेव के द्वारा छात्र कलाकारों को क्राफ्ट कार्य का डेमोंसट्रेशन दिया गया।
जिसमें आपने बच्चों को वेस्टमैट्रियल के द्वारा फूलदान एवं कलर पेपर के द्वारा विभिन्न प्रकार के फूलों को बनाकर दिखाया तथा सुंदर- सुंदर पेपर मेसी के फ्लावर पोट, वॉल हैंगर कडिल आदि बनाकर भी दिखाए गए। मुजफ्फरनगर जिले में आप क्राफ्टर के रूप में मशहूर हैं।
इस अवसर पर वरेर्णा, कनिष्का नित्य राधिका सैनी हंस धीमान, वर्णन्या मेधावी वंशिका प्रत्यूष सिंह सार्थक अरोरा अंशिका वर्मा नसरा अक्षिता आयुषी सपना कल्याणी प्रीति धीमान योगेश श्रुति ज्योति आर्य अंशुल वंदिता मित्तल पूनम कुमारी शिवानी सृष्टि ऐश्वर्या एवं मोहम्मद शाहिद हसन आदि उपस्थित रहे।
सभी बच्चों ने उत्साह पूर्वक क्राफ्ट कार्य को सीखा। कार्यशाला के संयोजक डॉश अनिल सैनी ने बताया कि कल प्रसिद्ध मूर्तिकार सोनिया सैनी मूर्तिकला के अंतर्गत रेत का मोल्ड बनाकर मूर्ति की ढलाई के कार्य का प्रशिक्षण देंगी। जो बहुत ही अद्भुत एवं अनोखी तकनीक है।
कॉलेज के प्रवक्ता डॉ रंजन सिंह पुंडीर द्वारा शिविर में उपस्थित नन्हे-मुन्ने कलाकारों को भीषण गर्मी से निजात पाने के लिए ठंडे शरबत का वितरण भी कराया। शिविर में मीडिया प्रभारी डॉ राजबल सैनी, पुनीत राठी,सुनील कुमार, प्रिया सैनी, अर्जुन पाल, मनोज कुमार,एवं संदीप आदि का सहयोग रहा।
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b82637d1e7301611a31e25ad6183894d71628527e6d2d47ff3c9badf540c20d9 | पूर्वक जिंदगी बितानी है तो मुझे झूठी गवाही देनी ही पड़ेगी। इसके सिवा मेरे सामने दूसरा कोई उपाय नहीं है!" प्रसून ने स्पष्ट शब्दों में कहा ।
नौकर ने जाकर दीपक को प्रसून की बातें सुनाई, दीपक बड़ा प्रसन्न हुआ । दूसरे दिन की संध्या को प्रसून को एक बार और समझाने के ख्याल से दीपक उसके घर गया। घर के भीतर मैनाक की पत्नी प्रसून से विनती कर रही थी- "बाबू साहब! मेरे पति की रक्षा आप ही को करनी है। उन्होंने तो कोई अपराध नहीं किया है। उनको अगर सज़ा मिल गई तो में और मेरे बच्चे अनाथ हो जायेंगे।" प्रसून का उत्तर सुनने के ख्याल से दीपक घर के बाहर ही खड़ा रह गया।
मुझे माफ़ कर दो, बहन ! में दीपक का नौकर हूँ। उनके हित में ही मेरा हित है। " प्रसून ने जवाब दिया।
इस पर वह औरत प्रसून की निंदा करके अपने घर चली गई। इसके बाद दीपक ने घर के भीतर जाकर प्रसून की तारीफ़ की। प्रसून के प्रति दीपक के मन में गहरा विश्वास जम गया।
इसके दूसरे दिन ही राजा ने मैनाक की सुनवाई की। मैनाक ने राजा से निवेदन किया-"महाराज ! में बिलकुल निर्दोष में बिलकुल निर्दोष
। जिस वक्त हत्या हुई थी, उस वक़्त प्रसून भी वहाँ पर थे। उन्होंने अपनी आँखों से इस हत्या के होते देख लिया है। राजा ने प्रसून को आदेश दिया कि वह वास्तविक बात सच सच बता दे ।
"महाराज ! दीपक ने ही हत्या की है। उस हत्या के साथ मैनाक का कोई संबंध नहीं है।" प्रसून ने कहा ।
फिर क्या था, दीपक ने अपने अपराध को स्वीकार कर लिया। राजा ने दीपक को मृत्यु दण्ड सुनाकर मैनाक को मुक्त कर दिया ।
बेताल ने यह कहानी सुनाकर कहा"राजन ! प्रसून "राजन ! प्रसून पहले झूठी गवाही देने
को क्यों तैयार हो गया ? क्या अपने मालिक के प्रति स्वामिभक्ति के कारण से, या दीपक द्वारा प्राप्त होनेवाले धन के लोभ के कारण? फिर ऐसा व्यक्ति राजा के सामने बिना कारण के अपने विचार को बदलकर सच क्यों बोला ? उसके मुँह से सत्य के निकलते ही दीपक ने अपने अपराध को क्यों स्वीकार कर लिया ? इन संदेहों का समाधान जानते हुए भी न दोगे तो तुम्हारा सिर टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा!
इस पर विक्रमार्क ने कहा-"प्रसून ने अपना विचार नहीं बदला ! यह बात स्पष्ट है कि वह स्वभाव से ही सत्यवादी है। लेकिन दीपक ने उसको जाँच करने के लिए अपने नौकर को भेजा, एक बार और उसे स्पष्ट करने के लिए वह स्वयं उसके घर गया। अब प्रसून के द्वारा सच बताने की बात को छिपाने के कई कारण हैं। यदि उसके द्वारा सच बताने की बात प्रकट हो जाएगी तो दीपक अपने अपराध से बचने के अनेक प्रयत्न कर सकता है।
इसलिए दीपक का उस पर विश्वास पैदा करना अत्यंत आवश्यक है । अलावा इसके उसके मन में यह लोभ भी नहीं है कि वह ईमानदार और सत्यवती है, इस बात को सारा समाज जान ले। वह मैनाक की पत्नी की किसी भी प्रकार से सहायता करने जा रहा है, ऐसी हालत में इस बात को पहले ही प्रकट करने से उसका कोई विशेष उपकार भी होनेवाला नहीं है । अब दीपक के द्वारा अपराध को स्वीकार करने का कारण यह है कि सच्चाई को जाननेवाले अनेक नौकर भी हैं। प्रसून पर उसका पूर्ण विश्वास था कि वह ज़रूर उसके अनुकूल गवाही देगा, उसीने उसके विरुद्ध गवाही दी तो उसका यह विश्वास हिल गया कि क्षुद्र नौकर उसे बचा नहीं सकते। इस कारण से उसने सच्चाई को स्वीकार कर लिया।'
राजा के इस प्रकार मौन भंग होते ही बेताल शव के साथ गायब हो पेड़ पर जा बैठा । (कल्पित)
शीतलपुर का जमीन्दार नगेन्द्र कलाप्रिय
थे। वे चित्रकार, संगीतकार, नर्तक तथा कवियों का सम्मान किया करते थे। उनकी मृत्यु के बाद उनका पुत्र वीरेन्द्र ज़मीन्दार बना। वह कला-प्रिय था, परंतु मल्लविद्या में निपुण व्यक्तियों का वह आदर-सम्मान किया करता था ।
नगेन्द्र के ज़माने में जो कलाकार शीतलपुर में आये थे, उनका अब समान तो नहीं हुआ, बल्कि उन्हें साधारण तौर पर जो भेंट व पुरस्कार मिलते थे, वे भी बंद कर दिये गये। साथ ही दरबारी कवि कुशारी से वीरेन्द्र द्वेष भाव रखता था। कुशारी सहज प्रतिभा के धनी थे । इसलिए नगेन्द्र ने उन्हें बुलवाकर जागीरी ही न दी, बल्कि वार्षिक शुल्क भी देकर उनको अपने दरबारी कवि नियुक्त किया। इस पर कुशारी ने नगेन्द्र चरित तथा उसके पूर्वजों
कवि की चातुरी
का इतहास भी पाँच भागों में रचा। ये पाँचों भाग राजमहल के ग्रंथालय में सुरक्षित रखे गये थे। दशहरा के बाद दो महीनों तक उन भागों का पारायण होता था । जमीन्दार के इलाके के सभी युवक आकर उनका श्रवण करते थे ।
वीरेन्द्र जब ज़मीन्दार बना, तब कुशारी को दरबार में बुलवाकर कहा- "कवि महोदय, आप को अपने दरबारी कवि का मोहदा बचाये रखने के लिए एक मौक़ा दे रहा हूँ। वैसे में कविता करनेवालों को दान देना नहीं चाहता, फिर भी मेरे पिता ने आप की कविता की प्रतिभा पर प्रसन्न हो आप को दरबारी कवि नियुक्त किया है, इसलिए में आप के प्रति अन्याय करना नहीं चाहता। यदि आप मेरे संबंध में एक और जिल्द न रचेंगे तो आप को अपने इस पद से हटाना पड़ेगा।
ए. सी. सरकार, जादूगर
ये बातें कवि कुशारी को अत्यंत अपमानजनक प्रतीत हुई, परंतु वह कुछ बोल नहीं पाया । उसने छठी जिल्द की • रचना करने को मान लिया और कहा"हुजूर! में पाँचवाँ भाग अपने घर ले जाऊँगा, उसे पुनः पढ़कर उसी शैली में छठे भाग की रचना करूंगा ।
वीरेन्द्र ने कुशारी को अनुमति दी । कुशारी पाँचवाँ भाग अपने घर ले गया और लेखन का काम शुरू किया। एक महीने के भीतर आधा भाग तैयार हो गया। वीरेन्द्र ने दरबार में अपने प्रशंसकों के बीच छठे भाग का आधा अंश पाठ कराया। सब ने कुशारी की कविता की
तारीफ़ की । वह प्रसन्न हो घर लौट आया। दिन-रात बैठकर छठे भाग की पूर्ति की ।
मगर दुर्भाग्य कुशारी का पीछा कर रहा था। उस रात को उसके घर आग लग गई और उसके छठे भाग के साथ पाँचवाँ भाग भी जलकर राख हो गया । कुशारी ने भाँप लिया कि अब वीरेन्द्र उसे क्षमा नहीं करेगा ।
उसके विचार के अनुसार वीरेन्द्र के सेवक आकर कुशारी को दरबार में बुला ले गये ।
पाँचव भाग अब कैसे प्राप्त होगा ?" वीरेन्द्र ने कुशारी से गरजकर पूछा।
"उसकी रचना तो मैंने ही की है । में पुनः उसे लिखूंगा, पहले की अपेक्षा और अच्छा लिखूंगा।" कुशारी ने जवाब दिया।
"यह तो असंभव है। वह पहले जैसा कभी रचा नहीं जा सकता । पाँचव भाग उसी रूप में फिर से लिखा नहीं जा सकता । घर के जलने में आप की असावधानी है। इसके लिए आप को दण्ड भोगना पड़ेगा। यह दण्ड क्या हो, इसका निर्णय में तीन दिन के अन्दर कर लूंगा । अब आप जा सकते हैं। " वीरेन्द्र ने कड़क कर कहा । | pdf |
cd77a35f2b915f44b87ffc322efac64867e55767 | सोनू एक सिनेमा हॉल के सामने खड़ा था तभी एक आदमी स्कूटर से आया और पूछ बैठा....
आदमी- भाईसाहब, स्कूटर स्टैंड कहां है ?
सोनू- भाईसाहब, पहले आप अपना नाम बताइए ?
सोनू- आपके माता-पिता क्या करते हैं ?
आदमी- क्यों ? भाईसाहब जल्दी बता दीजिए नहीं तो देर हो जाएगी और पिक्चर शुरू हो जाएगी।
सोनू- तो जल्दी बता दो माता-पिता क्या करते हैं ?
आदमी- मेरी मां डॉक्टर है और पिता जी इंजीनियर हैं। अब बता दीजिए।
सोनू- आपके नाम कोई जमीन जायदाद है ?
आदमी- जी भाईसाहब, गांव में मेरे नाम पर कुछ जमीन है। प्लीज भाईसाहब अब तो बता दीजिए स्कूटर का स्टैंड कहां है ?
सोनू- आखिरी सवाल, तुम पढ़े लिखे हो ?
आदमी- जी हांं मैं मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा हूं। अब जल्दी से बता दीजिए।
सोनू- भाईसाहब, देखिए आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि इतनी अच्छी है, आपके माता-पिता दोनों उच्च शिक्षित हैं, आप खुद भी इतने पढ़े लिखे हैं, पर मुझे अफसोस है कि आप इतनी-सी बात नहीं जानते की स्कूटर का स्टैंड उसके नीचे लगता है।
पत्नी- सुनो मेरे मुहं में मच्छर चला गया, अब क्या करूं...?
पति- पगली ऑल आउट पी ले. .
छह सेकंड में काम शुरू...!
गर्लफ्रेंड (गुस्साते हुए)- इतना लेट क्यों हो गए? मैं कबसे वेट कर रही हूं।
बॉयफ्रेंड- बॉस ने रोक लिया था, उनके साथ डिनर कर रहा था।
गर्लफ्रेंड- अच्छा क्या खाया?
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b2373e304d19e827660e2def1bd7484e9e56c17b | जब भी शनिवार के दिन तेल दान करें तो उसमें अपनी परछाई जरूर देखें।
सभी देवों में कर्मफलदाता का दर्जा भगवान शनिदेव को दिया जाता है। माना जाता है कि यदि यह रुष्ट हो जाएं तो राजा को रंक और यदि किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो उसे रंक से राज भी बना सकते हैं।
इनका दिन शनिवार है इसलिए इस दिन किया गया कार्य पूरी तरह से सावधानी के साथ करना चाहिए।
सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर पीपल की जड़ में तेल चढ़ाएं। इससे भी शनिदेव जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।
जब भी शनिवार के दिन तेल दान करें तो उसमें अपनी परछाई जरूर देखें। परछाई दिखने के बाद ही उसे दान करें। माना जाता है कि इससे शनिवार के दिन व्यक्ति को किसी भी प्रकार से कष्ट नहीं आता है।
यदि आप शनि पूजा करते हैं तो शनिवार के दिन स्नानदि से निवृत्त होकर काले तिल में मिलाए हुए सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें।
मंत्रः आयुः प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गतः। ।
विश्वाय विश्वेश्वराय विश्वसम्भवाय विश्वपतये गोविन्दाय नमो नमः।
इस मंत्र के जाप के साथ पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें।
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d1fbada5000e54d8de91a9677c32c6429d4176f2792d65dcc5e532929f7f5bae | उसमें निवास कर सकोगे। उस समय तुमको दासत्वकष्ट न सहना पड़ेगा।
जाकी बात समाप्त नहीं हुई थ कि हेली हथकड़ी लेकर गाड़ीके समीप आ पहुँचा। उसे देखकर जार्जने कहा-हेली, जो तुमने टामके पैरोमे वेड़ी और हाथमें हथकड़ी पहिना रखी है, यह बात में घर जाते ही अपनी माँ तथा अपने चावासे कह दूंगा। हेलीने कहा- तुम्हारे कहनेके पहिले ही मैं कह आया हूँ ! जार्जने फिर कहा- हेली, क्या तुम यावज्जीवन यह घृणित व्यवसाय करके केवल नर-नारियोका खरीदो और वेचोगे एवं पत्थरकी भाँति कठोर लोहेकी सिकड़ियोंमें इन्हें बाँधकर कर दागे ? ऐसा व्यापार करनेमें तुम्हें लज्जा नहीं लगती। हेलीने कहा- जब तक इस देशके रहने वाले तुम लोगोकी भाँति संभ्रान्त सज्जन लोग दास-दासियोंके खरीदनेमें शिथिल न होंगे, तब तक हम लोगोंका व्यवसाय बन्द न होगा। तुम लोग खरीद सकते हो और हमलोग वेच नहीं सकते ? जो खरीदते हैं, वे समझते हैं कि इसमें कोई दोष नहीं। हम लोग चेचते हैं, इसलिए हम लोगोंको दोष होगा ? जार्जने कहा-ईश्वर करे, मुझे कमी दालोंको खरीदना या वेचना न पड़े। यह कहकर वह चला गया। हेलीने भी टामको गाड़ीवरे बैठाकर गाड़ी चलाना आरम्भ किया । जार्ज जिस ओरसे जा रहा था, टाम उसी ओर देखता था और मन ही मन कह रहा था-परमेश्वर इस बालकको दीर्घजीवी करे ! केन्टाकी प्रदेशमें इसके समान महत् अन्तःकरणवाले बहुत ही कम लोग हैं। कुछ ही दूर जाने पर हेलीने ट्रामके हाथका बन्धन खोल दिया। वह टामसे कहने लगा कि यदि भागनेकी चेष्टा न करोगे तो तुम सिकड़ीसे न बांधे जाओगे। टामने कहा- मैं कभी न भागूंगा । | pdf |
2463ed4e82df035af2cf57179c33479c1b9fa017 | PATNA/BUXAR: जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में मंगलवार को मानसून में आसमान से आफत गिरी। इस दौरान ठनका गिरने से चौंगाई, डुमरांव व ब्रह्मपुर में चार लोगों की मौत हो गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्रह्मपुर थाना क्षेत्र रघुनाथपुर रेलवे गुमटी के पश्चिमी बधार में भेड़ चराते वक्त ठनका गिरने से चारवाहे व चार भेडा़ें की मौत घटनास्थल पर ही हो गई। इसकी सूचना के बाद पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। उक्त गांव निवासी मोहन पाल अपने चालीस-पचास भेडा़ें को लेकर बधार में चारा खिलाने के लिए गया था। इसी बीच शाम चार बजे के करीब तेज गर्जन के साथ आकाश में बिजली कड़की और उससे निकली ¨चगारी चरवाहे के बगल में आ गिरी। जिसकी चपेट में उक्त चरवाहा सहित उसकी चार भेड़े आ गई। उस समय तेज बारिश होने के कारण तत्काल कोई मौके पर भी नहीं पहुंच पाया। जिससे उसको समय पर इलाज नहीं मिल पाया। बाद में ग्रामीण मौके पर पहुंच कर उसे इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रघुनाथपुर ले गए। लेकिन, तब तक काफी देर हो चुकी थी।
दूसरी घटना डुमरांव में हुई, जिसमें गाजर राजभर, उसका पुत्र मार्शल राजभर व उसकी पत्नी ठनका गिरने से जख्मी हो गयी। जिसमें पिता व पुत्र की मौत हो गई। वहीं, जख्मी का इलाज चल रहा है। उधर, चौंगाई के बसंतपुर में खेत में भैंस चराने के दौरान रामाशीष पांडेय की ठनका गिरने से मौत हो गई।
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df07110760b0b95f2d01848a36293ff4e0c9ac64 | बिलासपुर - लोक निर्माण विभाग की लापरवाही का खामियाजा शहर के धौलरा रोड मार्केट के दुकानदार और यहां से गुजरने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि थोड़ी बारिश होने पर राष्ट्रीय राजमार्ग का सारा पानी इस सड़क पर भर जाता है और सड़क नाले का रूप धारण कर लेती है। स्थानीय दुकानदारों के अनुसार इस समस्या के बारे में कई बार विभागीय अधिकारियों को अवगत करवा चुके हैं, लेकिन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है। सड़क पर पानी भरने का मुख्य कारण निकासी नालियों का बंद होना है। गुरुवार हुई बारिश बस स्टैंड बिलासपुर के आउट गेट के साथ लगती धौलरा रोड मार्केट के दुकानदारों व यहां से गुजरने वाले लोगों के लिए आफत पैदा हो गई। यह पहली बार नहीं है। वर्षों से यहां के दुकानदार इस परेशानी को झेलते आ रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि संबंधित विभाग के अधिकारी लोगों की इस परेशानी से अनभिज्ञ बने हुए हैं। गुरुवार को यहां के पिपलेश्वर महादेव मंदिर में भंडारे का आयोजन भी था और यहां भारी संख्या में लोग आ रहे थे, लेकिन बारिश होते ही चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग का पूरा पानी इस सड़क पर आ गया, जिससे सड़क ने एक नदी का रूप धारण कर लिया और लोगों को आने-जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पानी का बहाव इतना अधिक था कि कोई बुजुर्ग संतुलन भी खो सकता था। स्थानीय दुकानदारों नरेश राणा, राजीव, मनीष, दीप, सैंडी, शंकर, रशीद, चमन लाल, आशु, राजू, रवि, अमित, गुड्डू, बॉबी, बुद्धिराम, विकास, परवेज, अजय, सुमित, गुगलू, रिशु आदि का बताया है कि उन्होंने कई बार विभाग को इस समस्या से अवगत करवाया है, लेकिन आज तक इसका समाधान नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि एनएच पर बनी निकासी नालियों को बंद कर दिया गया है, जिससे सारा पानी इस मार्ग पर आ कर उन्हें भारी परेशानी खड़ी करता है। कई दुकानों का सामान भी इस पानी से खराब हो जाता है और उन्हें हजारों रुपए का नुकसान झेलना पड़ता है। पानी का बहाव तेज होने के कारण फंसे कई यात्रियों की बसें भी छूट गईं। दुकानदारों ने चेतावनी दी है कि यदि अगले कुछ दिनों में विभाग ने इस समस्या का स्थायी समाधान न निकाला तो उन्हें विवश होकर विभाग के खिलाफ आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा।
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b812ab54595edf0eb11ae6850d87c9d5e9d17aca | डॉ फौसी बिडेन प्रशासन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार हैं और उन्होंने कोविड महामारी पर अमेरिकी प्रशासन की प्रतिक्रिया की पुष्टि की है।
उन्होंने कहा, 'हम भारत को इतना पीड़ित देखकर बहुत दुखी हैं। और यही कारण है कि दुनिया के बाकी हिस्सों को वास्तव में चिप करने और मदद करने की आवश्यकता है। हम एक सामान्य स्थिति में लौट आएंगे। अब पीड़ा हो रही है लेकिन मैं गारंटी देता हूं कि हम इसे वापस सामान्य कर लेंगे। एक दूसरे की मदद करो। एक-दूसरे का ख्याल रखें और चीजें वापस सामान्य हो जाएंगी, "डॉ फौसी ने कहा।
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत में दूसरी लहर के शुरुआती संकेत हैं, तो उन्होंने कहा कि "वायरस ने हमें दिखाया है कि अगर अपने उपकरणों को छोड़ दिया जाए तो समाज में विस्फोट हो जाएगा"।
यह अमेरिका में हमारे साथ हुआ। आपको याद होगा, मैं एक अमेरिकी के रूप में आपसे बात कर रहा हूं। लेकिन, वास्तव में, संयुक्त राज्य अमेरिका, कुछ समय के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश था और संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे अमीर देश है। माना जाता है कि सबसे अच्छी तरह से तैयार थे और हम बहुत बुरी तरह हिट हुए। तो आप जानते हैं, इसका कारण यह है कि वायरस इस बात की परवाह नहीं करता है कि आप कितने अमीर हैं। या आप कितने उन्नत या विकसित हैं। यदि आप गंभीर क्षति के लिए इसकी क्षमता का सम्मान नहीं करते हैं, तो आप मुश्किल में पड़ने वाले हैं, "डॉ फौसी ने कहा।
डॉ फौसी ने भारत की महामारी की दूसरी लहर पर अंकुश लगाने के सुझाव के रूप में कई चरण की योजना का सुझाव दिया।
उदाहरण के लिए, अभी लोगों को टीकाकरण करना, जो आपको बिल्कुल करना चाहिए, यह करना चाहिए - यह लोगों की तत्काल समस्या को कम करने के लिए नहीं है, जो ऑक्सीजन की ज़रूरत है, अस्पताल में भर्ती की ज़रूरत है, चिकित्सा देखभाल की ज़रूरत है।
साक्षात्कार में, डॉ फौसी ने जोरदार सिफारिश की कि भारत सरकार को अस्थायी लॉकडाउन पर विचार करना चाहिए।
"ठीक है, उन चीजों में से एक जो आपको वास्तव में करने की ज़रूरत है, जो आप कर सकते हैं - वह यह है कि देश अस्थायी रूप से बंद हो जाए, मुझे लगता है कि महत्वपूर्ण है। अगर हम समय निकालना चाहते हैं और मैंने जो कहा है उसे वापस जाना है। तत्काल, मध्यवर्ती और लंबी दूरी है। मुझे लगता है कि तत्काल में सबसे महत्वपूर्ण बात ऑक्सीजन प्राप्त करना है, आपूर्ति प्राप्त करना है, दवा प्राप्त करना है, पीपीई प्राप्त करना है, इस प्रकार की चीजें हैं, लेकिन साथ ही, तत्काल चीजों में से एक देश के बंद को अनिवार्य रूप से करना है, "उन्होंने कहा।
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30d2394cd8ecef36fb19c75b0dd78075031524b295379db74a1e0428330b7b7e | वीर्य-रक्षा के नियम
बतलाने की आवश्यकता नहीं । साधारण से योग क्रिया मनुष्य को असाधारण लाभ पहुँइसलिये वोर्च्च संरक्षण के लिये योग बहुत गया है। हमारे ऋषि लोग भी योग के द्वारा ही अपने ब्रह्मचर्य व्रत का पूरा पालन करते थे ।
हमारे प्रचीन आचार्यों ने योग के भी अनेक भेद निर्धारित किये हैं। पर उन सबों के वर्णन की यहाँ पर आवश्यकता नहीं । हम यहाँ पर मूल योग को ही लिखना चाहते हैं । उसका भगवान श्री कृष्ण ने निम्नलिखित आदेश किया है ।
पवित्र स्थान पर, जो कि न तो बहुत ऊँचा हो और न नोचा हो, कुशासनी, मृगचर्म या वस्त्र विछा कर बैठना चाहिये । उस समय अपने मन को एकाग्र कर चित्त और इन्द्रियों के कर्मों को वश में करके अपनी आत्म-शुद्धि के लिये योग का अभ्यास करे ! समं कायशिरोग्रीवं धारयनचलं स्थिरम् । सम्प्रेक्ष्य नासिकामं एवं दिशश्चानवलोकयन् ॥ विगतभी ब्रह्मचारिवतेस्थितः । मनः संयम्य मच्चित्तो, युक्त आसीत मत्परः ॥
( श्रीमद्भगवदुर्गाता )
शरीर, ( मध्यभाग ) शिर और गर्दन को सीधे रखो । कोई अङ्ग इधर उधर डुलने न पावे । अर्थात् सब शरीर को स्थिर रखना चाहिये । किसी भी दिशा को न देखता हुआ अपनी दृष्टि को नासिका के अग्रभाग पर ठहराना चाहिये । शान्त चित्त, भयरहित और ब्रह्मचर्य व्रत में स्थित हो, मन को संयम कर आत्मनिष्ठ पुरुष मुझ ( परमात्मा ) में लीन होवे । | pdf |
9e1d1f6f44e89e589a647a93ed4292f187af3e39b814fcac403f9519a5e07b80 | शोला अनिन्य को अकेला पाकर बोली, 'आहा, हमारे सामने तो समुराल को कितनी तारीफ हो रही है ! पीठ पीछे तो निन्दा ही करते होगे। छोटी दीदी को ताना देते होगे । हम सब जानते है ।'
अनिन्द्य को अधिक देर रोका नहीं जा सका। व्यस्त प्रोफेसर है। दो शिफ्टो में पढ़ाते हैं। फिर होस्टल के लड़के उन्हो के जिम्मे है । समुराल में अधिक देर रुकने का समय कहां । पोडशो साली का अनुरोध भी उन्हें अस्वीकार करना पड़ता है। काम का ऐसा ही दबाव है, उन पर । जीजाजों में से शीला भनिन्छ को ही सबसे ज्यादा मानती है। बहुत आमोद-प्रिय और शौकीन हैं अनिन्ध। कही से एक सफेद हरिण लेकर सेवा में हाजिर हुए । दूसरी चार जाने कहां से एक जोडा विचित्र रंग-बिरंगी चीनी मुर्गी ले कर आये । किन्तु इस बार जो लाये वह है अतुलनीय गोरे रंग का यह नीली आंखो वाला प्राणी इन सबका सिरमौर है । अच्छा, मैम माने क्या हो सकता है ? कौन जाने, क्या होता है ? शीला ने कई बार लक्ष्य किया है, बहुत से नामो का कोई अर्थ ही समझ में नहीं आता। चाहे जगह का नाम हो, या मनुष्य का । नाम का जो माने तुम लगा लो, वही है । मैक्स शब्द का अर्थ शीला नहीं जानती। किन्तु उसे देखने के बाद से ही फूल भैया के श्वेत-मयूर की कहानी उसे याद आ रही है। फूल भंया के बचपन में उनकी एक मित्र ने शायद मयूरभंज के महाराज से सफेद रंग का एक मोर उपहार में पाया था। क्या पंख थे और क्या पूछ यो ! आकाश में काले बादल देखते ही वह अपनी पूछ पसार देता । उसको पाकर भैया की उस सखी को प्रसन्नता का पार न था। सफेद मोर गीला ने अपनी आंखो से नही देखा है। किन्तु दो बार सपने में देखा है। आश्चर्य, उन सुख-स्वनो के बाद मैक्स दिवा-स्वन की भांति आ उपस्थित मोर क्या सुख का वाहक है ?
कम-से-कम फूल भैया को देख कर तो ऐसा हो लगता है । सवेरे तीन-चार घंटा रियाज करते है फूल भैया । मगर आज उनका रियाज कहा गया ? बैठक से फूल भैया मैक्स को घर के भीतर ले आये है। उसे फूलों के गमले दिखा रहे है। जिन गमलो में शीला रोज पानी देती है, मूखे पत्ते छांट कर अलग करती है । बड़े-बड़े गेंदा के फूल देख कर मैक्स कितना उच्छवसित हो रहा है। गेंदा के फूल उसके देश में होते नही । घूम-घूम कर कमरे और छत दिखा रहा है, फूल उमे दादा के जमाने का पुस्तकालय दिखा रहा है । थोड़ा-सा सितार का संगीत भी बीच में सुना रहा है। मैक्स देखता है, सुनता है, हंसता है, और शीला काम से जब इस उस कमरे में जाती है, सीढ़ी से तेज कदमो चढ़ती उतरती है, मैक्स उसे | pdf |
c0dcd73e04ff92ce19a2f43ba3488e6b47599c8c | 'सद्दाम टीवी'. जी हां, यही नाम है टीवी चैनल का। ईद के दिन सैटेलाइट चैनल 'सद्दाम टीवी' इराक के घर-घर में अवतरित हुआ। किसी को नहीं पता इसे किसने लांच किया और कहां से इसका प्रसारण हो रहा है। सद्दाम को फांसी पर लटकाने की तीसरी बरसी पर ईद के दिन लांच हुए इस चैनल पर सद्दाम की तस्वीरों और आवाज का प्रसारण किया जा रहा है। सीरिया में रहने वाले एक अलजीरियाई व्यक्ति, जो अपना नाम मोहम्मद जारबोआ बताता है, ने दावा किया कि वह इस चैनल का चेयरमैन है और इसे इराकियों व अरब के लोगों की एकता व स्व-शासन के लिए लांच किया गया है। जारबोआ ने दावा किया कि यह चैनल यूरोप के किसी जगह से संचालित किया जा रहा है।
उसने चैनल के कर्मियों की सुरक्षा व अन्य आने वाली दिक्कतों की वजह से ज्यादा विवरण देने से इनकार कर दिया। 'सद्दाम टीवी' को देखकर इराकियों में मिश्रित प्रतिक्रिया है। कुछ लोग इस चैनल के इरादे पर सवाल खड़ा करते हुए इसे ठीक नहीं बताते तो कइयों का कहना है कि वे अपने प्रिय नेता व उनके परिवार के लोगों की तस्वीरें टीवी पर देखकर प्रसन्न हैं। चैनल पर लगातार राष्ट्रवादी गीत और सद्दाम के भाषण प्रसारित किए जा रहे हैं।
इराकी सरकार इस चैनल को लेकर पसोपेश में है। सरकार ने 'सद्दाम टीवी' के प्रसारण को रोकने के सवाल पर कुछ भी प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है। कुछ लोगों का कहना है कि इराक से खत्म हो चुकी बाथ पार्टी को लौटाने की यह कोशिश है। संभव है कि इस चैनल के पीछे बाथ पार्टी के बचे-खुचे लोगों का हाथ हो जो सीरिया और जार्डन समेत आसपास के कई देशों में छिप गए हैं। 'सद्दाम टीवी' का खुद को चेयरमैन बताने वाले शख्स मोहम्मद जारबोआ ने इस बात से इनकार किया कि इसमें बाथ पार्टी के किसी आदमी का हाथ है या बाथ पार्टी के पैसे से यह संचालित हो रहा है। जोर्डन में रहने वाली सद्दाम की बेटी राघाद सद्दाम ने भी इस चैनल से किसी तरह का संपर्क होने से इनकार किया है।
जो भी हो, सद्दाम टीवी के अवतार से इराक व आसपास के देशों में सनसनी मची हुई है।
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08c698d0f1c46d2c9296e8b733182c03d3e0c5b1 | श्रीनगर (Srinagar)। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में सैन्य यूनिट (military unit ) के पास पुराने पुंछ (Poonch) में रविवार आधी रात तीन संदिग्धों (midnight three suspects) को देखे जाने के बाद पूरे इलाके को घेर कर तलाशी अभियान (search operation) चलाया गया। सैन्य यूनिट के पास एक स्कूल के करीब संदिग्धों को देखे जाने के बाद स्कूल को भी घेरकर तलाशी ली गई।
देर रात तक तलाशी अभियान जारी रहा। बताते हैं कि कुछ लोगों ने नानक एकेडमी स्कूल के पास तीन लोगों को सैन्य वर्दी में देखा। इसके बाद उन्होंने फोन कर सैन्य यूनिट से यह जानकारी ली की कि उनके जवान इलाके में घूम तो नहीं रहे हैं।
इसके बाद सैन्य यूनिट से बताया गया कि रात में जवान बाहर नहीं रहते हैं। आतंकियों की आशंका पर तत्काल सेना, पुलिस, सीआरपीएफ ने पूरे पुरानी पुंछ इलाके को घेर लिया। डॉग स्क्वायड की भी मदद ली गई। चप्पे चप्पे को खंगालने का काम शुरू कर दिया गया।
दरअसल, जिस जगह संदिग्ध देखे गए वहां से सैन्य यूनिट बिल्कुल पास है। बेतार नाला भी है जो एलओसी से लगता है। राजोरी-पुंछ को आतंकी गतिविधियों के लिहाज से संवेदनशील मानते हुए तत्काल सुरक्षा बलों ने हरकत में आते हुए तलाशी शुरू कर दी कि किसी प्रकार की अनहोनी को टाला जा सके।
पुंछ जिले के मेंढर में पूर्व डिग्री कॉलेज के करीब कृषि विभाग की भूमि से बरामद दो पुराने हथगोलों को सेना ने रविवार को कस्बे के बाहर सुरक्षित स्थान पर ले जाकर नष्ट कर दिया। इनसे हुई जोरदार आवाज काफी दूर तक सुनाई दी।
गौरतलब है कि मेंढर कस्बे स्थित सरकारी डिग्री कॉलेज के पास कृषि विभाग की भूमि पर जब कुछ लोग काम कर रहे थे तो उन्हें वहां दो पुराने हथगोले दिखाई दिए। इसकी सूचना पुलिस को दी गई।
कुछ समय बाद पुलिस ने मौके पर पहुंच कर उन हथगोलों को कब्जे में लिया, और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। आज सेना के बम निरोधक दस्ते ने उन हथगोलों को कस्बे के बाहर खाली स्थान पर ले जाकर उनमें विस्फोट कर नष्ट कर दिया।
कस्बा निवासियों का कहना है कि शुक्र है कि समय रहते ये हथगोले मिल गए। अगर यह किसी बच्चे को मिलते तो वह इनसे छेड़छाड़ करते, और कोई बड़ा हादसा हो सकता था। Share:
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7c8ef9c0f19c2109aadc29ca40d197894a950ad5 | शिमला - हर त्योहार और पर्व की रौनक में राजधानी शिमला के बाजार भी रंग जाते हैं। इस बार भी शिमला के बाजार लोहड़ी के त्योहार के लिए सज चुके हैं। वर्ष का यह पहला पर्व होता है, जिसको धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष पर्व को खास बनाने के लिए राजधानी शिमला का बाजार भी पूरी तरह से सज चुका है। शिमला के बाजारों की दुकानों पर रेवड़ी, गजक और मूंगफली के स्टाल सजाए गए हैं। इस त्योहार को राजधानी शिमला सहित प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। त्योहार की खास बात यह है कि इसकी रौनक ही तिल, गुड़, गजक और रेवड़ी की मिठास से खास बनती है। ऐसे में बाजारों में भी इस पर्व पर रेवड़ी, गजक और तिलपट्टी के अलग-अलग स्टाल लगाए गए हैं। दुकानों पर इन सब चीजों की खरीददारी लोगों द्वारा की जा रही है। दुकानों पर गजक, मूंगफली व तिलपट्टी के अलग-अलग पैकिंग भी इस बार बाजार में खास रूप से लोहड़ी के लिए लाई गई है। लोहड़ी पर इन्हें घर के साथ-साथ तोहफों के रूप में देने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बाजारों में लोहड़ी की खरीददारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। पर्व की खुशियां अपनों के साथ बांटने के लिए खरीददारी करने के लिए लोग पहुंच रहे हैं। लोहड़ी पर राजधानी शिमला में जगह-जगह लोहड़ी जलाने के साथ ही ढोल-नगाड़ों की थाप पर डांस किया जाता है। बाजारों में इस दिन पर सभी एक साथ मिलकर पर्व की खुशियां साझा करते हैं। पहले जहां बच्चों द्वारा लोहड़ी पर घर-घर जाकर लोहड़ी गाकर लोहड़ी मांगने का भी चलन था, जो अब खत्म होता जा रहा है, लेकिन अभी भी बाजारों में व्यापारी वर्ग एक साथ मिलकर इस पर्व की खुशियां साझा करते हैं। लोहड़ी जलाने के बाद मूंगफली, रेवड़ी और गजक का प्रसाद भी एक दूसरे को बांटा जाता है।
लोहड़ी पर जिला शिमला के तत्तापानी में पवित्र स्नान किया जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में लोग इस स्थान पर पवित्र स्नान करने के साथ ही दान पुण्य भी करते हैं। इस दिन पर अन्न का दान करने के साथ ही खिचड़ी भी बनाई जाती है।
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e4f6d7f3152f5badef7a881275043ef0336d47fa7facda340715604aab7babfd | आंखें बंद किये खड़े वैद्य ने कहा, "उसकी तो तरकीब है। सेवा-टहल के लिए जाने के पहले डोम को पेट-भर देसी शराब पिलानी चाहिए। शराब के सिवा और कुछ खिलाना - पिलाना नहीं "
कुछ ही घंटों में गांव की सरहद से छह डोमों को खोज - पकड़कर लाया गया । डोम भरी बोतलें लिये रोगियों की सेवा के लिए चल पड़े । मुखिया भंडार में लकड़ी की पेटी में ठर्रा जमा करने लगे । जंगल की आग की तरह हैजा पूरे गांव में फैल रहा था ।
ठर्रा पीकर झूमते, लाल-लाल आंखों वाले डोम घर-घर में पहुंचने लगे। तब तक जीवित लोगों की अपेक्षा मृतकों की संख्या बढ़ गयी थी ।
बीमारों की सेवा का मौका न पाकर डोम परेशान हुए। जब तक एक लोग को गड्ढे में दफनाते, कोई और रोगी लाश बन जाता । पूरा गांव रोग-शय्या में बदल गया । डोम उस गांव को मरघट बना रहे थे।
वे गड्ढा खोदते, दफनाते थक गये। मंदिर में दीपक तक जलाने वाला कोई नहीं
दवा तैयार करने वाला वैद्य नहीं रहा ।
गांव सूना हो रहा था।
एक दिन एकाएक आसमान में काला रंग छा गया। पश्चिम से काले बादल घुमड़ते आये और गांव के ऊपर ठिठक गये । ब्रह्मांड भी जैसे ठहर - सा गया । लाशों की बदबू चारों तरफ फैलने लगीं। गांव में पहले से पहुंची मृत्यु की गंध क्षीण होती होती समाप्त हो गयी।
गांव की हवा में अब सीलन और चिता की गंध ही अधिक थी । हवा का हलका झोंका चला तो बूंदा-बांदी होने लगी। छींटे पड़ते ही रहे । बूंदा-बांदी ने धीरे-धीरे मूसलाधार वर्षा का रूप धारण कर लिया।
कै, दस्त और वर्षा का जल गलियों, तालाबों और बावड़ियों के जल में मिलकर एकाकार हो गया ।
अब शेष लोग भी महामारी की चपेट में आ गये ।
आखिर मुखिया के घर पर भी हैजे ने धावा बोल दिया। लंबे-तगड़े मुखिया, दो दिनों तक रोग से जूझने के बाद, तीसरे दिन मुंह- अंधेरे अपने ही दस्त में, निष्प्राण हो गिर पड़े। छहों डोमों ने मिलकर मुखिया को धरती के भीतर दफनाया । उस कब्र के ऊपर ईख का पौधा लगा दिया ।
गांव में उन छह डोमों को छोड़ और कोई नहीं बचा। दो डोमों ने आपस में सलाह करके मुखिया के भंडार में बची हुई शराब छिपाकर रख दी।
जब ठर्रा नहीं मिला तो चार डोम एकाएक हैजे से मर गये । चारों की लाशों को एक ही गड्ढे में दफनाया गया ।
चार ईख के पौधे भी लगा दिये गये। उसके बाद डोम जी भर शराब पीते रहे । अंत में दो व्यक्ति और ठर्रे के दो घड़े ही शेष रह गये ।
पहला डोम होशियार था । उसने दलील पेश की, "पता नहीं, हममें से कौन पहले मरे । इसलिए पहले ही हम दो गड्ढे तैयार करके ठर्रे का एक-एक घड़ा हाथ में लिये गड्ढे में, मौत के इंतजार में लेटे रहें ।"
दूसरा डोम मान गया। दोनों ने मिलकर पहला गड्ढा तैयार किया। इस पर पहले ने और एक दलील पेश की।
"क्या गड्ढे की लंबाई काफी है ? "
"पता नहीं।"
"तुम जरा लेटकर देख लो न?" "हां"
दूसरा गड्ढे में उतरा और पीठ के बल लेट गया । उसके लेटते ही पहले ने ऊपर से बहुत सारी मिट्टी गिरा दी । तनहाई की उस हालत में भी वह दुनिया का मजा लूटना चाहता था । उसमें जीने का हौसला था ।
अब जोर की आंधी और भारी वर्षा की बारी थी । बाढ़ में एक डोम और दो घड़े ठर्रा न जाने कहां बह गये । | pdf |
3c7a55f2558acb4cef6a0b6b7aa71ea3f8aa950cbf96228b3c28766ddc0a3a12 | एक आपत्ति यह भी उठाई गई कि पवित्र क़ुरआन को इकट्ठा क्यों नहीं उतारा गया? वास्तविकता यह है कि पवित्र क़ुरआन इकट्ठा न उतारे जाने में बहुत से रहस्य छुपे हैं । एक तो यह है कि उस युग के परिवेश की आवश्यकता यह थी कि जैसे जैसे उनके रोग प्रकट होते चले जाएँ उनके अनुसार पवित्र क़ुरआन की ऐसी आयतों का अवतरण हो जो उस विषय से सम्बन्ध रखती हों । दूसरे, हर क्षण नए चिह्नों के द्वारा हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दिल को दृढ़ता प्राप्त हो । और सारे क़ुरआन के अवतरण काल में आप एक नहीं, अनंत चिह्न देखते चले जाएँ । फिर यह भी कि तेईस वर्ष की अवधि में अवतरित हुए पवित्र क़ुरआन को यदि हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने स्वयं बनाया होता तो इसमें आयतें ऐसे सरल-सुगम और क्रमबद्ध न होतीं । जो लिखना पढ़ना भी न जानता हो तेईस वर्षों की अवधि पर उसकी कैसी दृष्टि पड़ सकती है ।
फिर हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम ने इस रहस्य की ओर भी ध्यानाकर्षित करवाया है कि इस पूरी तेईस वर्षीय अवधि में हज़रत मुहम्मद सल्ल. को अत्यंत ख़तरनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा । बड़ी-बड़ी भयानक परिस्थितियों में सहाबा से आगे बढ़ कर बिल्कुल ख़तरों के बीच शत्रु से संघर्ष करते रहे । विष के द्वारा भी आपको मारने की चेष्टा की गयी । परन्तु जब तक शरीअत सम्पूर्ण न हुई अल्लाह तआला ने आपको वापस नहीं बुलाया । अतः पवित्र क़ुरआन का धीरे-धीरे उतरना एक महानतम चमत्कार है । इसी प्रकार इबादुर्रहमान (रहमान अल्लाह के भक्तों) के लक्षण वर्णन करते हुए सूरः के अंत पर यह उल्लेख किया है कि जिस प्रकार आकाश पर बारह नक्षत्र हैं उसी प्रकार तेरे बाद बारह सुधारक तेरे धर्म की सुरक्षा के लिए पैदा होंगे और फिर तेरे प्रकाश से पूर्णतया प्रकाश ग्रहण करने वाला पूर्ण चन्द्रमा भी आएगा ।
इसी रुकू में इबादुर्रहमान के लक्षणों में से उनका मध्यमार्गी होना, उनकी नम्रता, खड़े होकर तथा सजदः करते हुए उपासना में उनका जीवन व्यतीत करना उल्लेख है, जिसके परिणाम स्वरूप ही उनको समस्त प्रकार की श्रेष्ठता प्राप्त होती है । इस सूरः की अन्तिम आयत यह बताती है कि वे लोग क्यों सजदः करते हुए तथा खड़े होकर दुआएँ करते हुए जीवन व्यतीत करते हैं । इस लिए कि दुआ के बिना अल्लाह तआला से जीवन प्राप्त करने का कोई साधन नहीं है । और जो उसको झुठला दें और अल्लाह से सम्बन्ध तोड़ दें उनको अनगिनत प्रकार के भयंकर रोग लग जाएँगे जो उनका पीछा नहीं छोड़ेंगे । | pdf |
7f37b8c57b6658b1b145392bb5a98a643f1b1a54 | Eye Care: बरसात के दिनों में आंखों में लाली होना, पानी आना और पलकों में सूजन की समस्या बढ़ जाती है. इसकी मुख्य वजह है कंजक्टिवाइटिस वायरल बैक्टेरियल इंफेक्शन और एलर्जी. इससे बचने के लिए मानसून में अपनी आंखों की सेहत को नजरअंदाज ना करें. अगर बारिश में भींग गए तो तुरंत आंखों को साफ पानी से जरूर धोएं. आंखों पर जमी धूल, गंदगी आंखों में चले जाने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता हैं. आंखों को अगर पोछना हो तो हमेशा साफ कपड़े का प्रयोग करें. केवल तेज गर्मी से आंखों को नुकसान नहीं पहुंचता अधिक नमी से भी आंखों में समस्याएं उत्पन्न होती है. मानसून की नमी से हमारी आंखों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता हैं. आंखों में बारिश का पानी जाने से भी कई प्रकार के इंफेक्शंस हो सकते हैं.
बरसात में स्वच्छता का पूरा ख्याल रखना चाहिए.
हैंडवाश को अपनी आदत में शामिल करें.
हाथों को हमेशा साफ और सूखा रखिए.
बार - बार अपनी आंखों को छूने से बचिए.
दिनभर में दो से तीन बार अपनी आंखों को साफ और ठंडे पानी से धोएं.
रूमाल, तौलिया और अन्य दैनिक उपयोगी चीजों को साफ रखें.
मेकअप का सामान जैसी पर्सनल चीजें दूसरों से शेयर ना करें.
जलजमाव वाले इलाकों में रहने से वायरस और जीवाणु के संपर्क में आने से आप बीमार हो सकते हैं.
रेनी सीजन में कॉन्टैक्ट लेंस की बजाय चश्मे का इस्तेमाल करें .
आंखों को धूल भरी आंधी से बचाएं .
बरसात में बच्चों को पानी से भरे गड्ढों दूर रखें, क्योंकि इन्हीं स्थानों पर बैक्टीरिया पनपते हैं.
अगर समस्या बहुत अधिक परेशान करने लगे तो बिना देरी आई स्पेशलिस्ट से मिलें. अक्सर बरसात में लोग हॉट फास्ट फूड और स्ट्रीट फूड अधिक खाने लगते हैं. जिसके कारण शरीर को जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने लगती है. इस कारण से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी अधिक होने लगती हैं इसलिए मौसम चेंज होने के साथ मौसमी फलों और हरी सब्जियों का सेवन करें साथ ही पानी भी खूब पीएं.
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7da3d0cbdd36925baf4ee8ee358ac14a0a9adfc0 | अपर मुख्य सचिव खेलकूद नवनीत सहगल अयोध्या पहुंचे। डाभासेमर स्थित अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम का निरीक्षण किया । खिलाड़ियों से की मुलाकात की। बच्चों के साथ टेबल टेनिस खेलते नजर आए। निरीक्षण के दौरान अधूरे कामों को और सुविधाओं को देखकर असंतुष्ट भी नगर आए। उन्होंने अधिकारियों को फटकार भी लगाई।
नवनीत सहगल ने कहा अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में बहुत सी सुविधाएं अधूरी है। स्टेडियम को उपयोगी बनाना है। निरीक्षण के दौरान जिला क्रीड़ा अधिकारी से नवनीत सहगल ने रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में कौन सी सुविधाएं हैं कौन सी नहीं है, जो नहीं है वह कितने दिन में शुरू हो जाएंगी। जो सुविधा नहीं शुरू हो पाई, उसका क्या कारण है।
नवनीत सहगल ने कहा ने कहा अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में को खिलाड़ियों के लिए कैसे बेहतर बनया जा सके। इसके निरीक्षण के लिए यहां आया था। अधिकारी से इसको लेकर एक रिपोर्ट मांगी है। साथ ही उन्होंने कहा कि स्टेडियम के विकास में सरकार को जो धन खर्च हुआ है। और प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है। उसको पूरा किया जाएगा। रिपोर्ट मिलने के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने के लिए रूपरेखा तैयार की जाएगी।
अपर मुख्य सचिव खेलकूद नवनीत सहगल अंतराष्ट्रीय स्टेडियम में बने टेनिस क्लब पहुंचे। जहां वे बच्चों के साथ टेनिस खेलते दिखाई दिए। इस दौरान उन्होंने बच्चों से बात कर उन्हे मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी लिया।
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f229c49a1a3827a53f4da9cb72fa0f71a8ad2e1f | मंडी - जोनल अस्पताल मंडी में दो चिकित्सा अधीक्षक सेवाएं दे रहे हैं। जी हां, जहां प्रदेश में डाक्टरों की भारी कमी है, वहीं जोनल अस्पताल मंडी में एक ही अस्पताल में मौजूदा समय में दो वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक सेवारत हैं। दरअसल सरकार ने हाल ही में जोनल अस्पताल मंडी के चिकित्सा अधीक्षक को कुल्लू रीजनल अस्पताल ट्रांसफर कर दिया था। इसके साथ ही कुल्लू के चिकित्सा अधीक्षक को स्थानांतरित कर जोनल अस्पताल मंडी भेजा गया। ट्रांसफर ऑर्डर के अगले ही दिन एमएस कुल्लू ने जोनल अस्पताल मंडी में ज्वाइन कर लिया, जबकि कुछ दिन बाद ही जोनल अस्पताल मंडी के एमएस डा. टीसी महंत ने भी ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटा कर स्टे ऑर्डर ले लिया। ऐसे में अब जोनल अस्पताल में एक नहीं बल्कि दो-दो चिकित्सा अधीक्षक तैनात हो गए हैं। दरअसल यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुए क्योंकि सरकार ने मंडी अस्पताल के एमएस डा. टीसी महंत को रिटायरमेंट के महज चार माह पहले ही ट्रांसफर कर दिया। जानकारी के अनुसार डा. टीसी महंत जुलाई में रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में रिटायरमेंट से चार माह पहले ट्रांसफर आर्डर कर सरकार भी किरकिरी करवा चुकी है। अब हालात ये हो गए हैं कि कर्मचारी भी गफलत में हैं। कर्मचारी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि फाइल साइन करवाने के लिए किसके पास ले जाएं। इसके साथ नए एमएस को भी बैठने के लिए एक अलग कमरा दिया गया है। यही नहीं, एमएस मंडी डा. टीसी महंत के कुल्लू ज्वाइन नहीं करने से वहां भी अतिरिक्त कार्यभार सौंपकर काम चलाया जा रहा है। उधर, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डा. टीसी महंत ने बताया कि ट्रिब्यूनल से ट्रांसफर आर्डर पर स्टे मिल गया है।
हाल ही में सरकार ने दो बड़े अधिकारियों एमएस मंडी अस्पताल और सीएमओ मंडी को मार्च का आधा माह बीतने पर ट्रांसफर किया था। ऐसे में स्वास्थ्य महकमों में चर्चा जोरों पर है कि एक ओर वित्तीय वर्ष खत्म होने वाला है। ऐसे में ऑडिट से लेकर तमाम कार्य निपटाने में भी दिक्कतें होती हैं। इसलिए वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद ही बड़े अधिकारियों की ट्रांसफर होनी चाहिए।
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a19dec1076a4ce2b1eb6e987884acd211570c031 | डोमचांचः डोमचांच स्थित जी. एस. पब्लिक स्कूल डोमचांच प्रांगण में बुधवार को CCA एक्टिविटी के अंतर्गत कराये गए विभिन्न तरह के खेल-कूद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, ड्रॉइंग उन्होंने सम्मानित सभी बच्चों के लिए एक से बढ़कर एक विचार प्रस्तुत किया।
में भाग लिए सभी उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित कर मोमेंटो व प्रसस्ति पत्र दिया गया।
सम्मान समारोह के कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के अध्यक्ष प्रदीप सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में सभी बच्चों को ढेरों शुभकामनाएं एवं आशीर्वचन देते हुए जीवन मे सफल होने के साथ विद्यालय एवं अपने माता-पिता के नाम रोशन करने की बात कही।
समारोह में उपस्थित विद्यालय के निदेशक नितेश कुमार ने उत्कृष्ट सभी बच्चों को अपने आशीर्वचन दिए व प्रसस्ति पत्र वितरित किया एवं अपने संबोधन में पढ़ाई के साथ-साथ अलग-अलग प्रतिभा व कला को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी। मौके पर उपस्थित विद्यालय की प्राचार्या प्रतिमा कुमारी ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हुए सबो को शुभकामनाएं दी एवं खेल कूद के महत्व को बताते हुए अपने विचार प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम के मंच संचालन में विद्यालय के कोऑर्डिनेटर सोनी चंदन के द्वारा की गयी।
वर्ग नवम व दशम के छात्रों के लिए फुटबॉल एवं कब्बडी प्रतियोगिता का आयोजन विद्यालय के शिक्षक सह खेल-कूद प्रशिक्षक ललित मेहता के द्वारा उनके मार्ग दर्शन में किया गया। उत्कृष्ट सभी बच्चों को विद्यालय में उपस्थित सभी शिक्षक-शिक्षकीओं के द्वारा प्रसस्ति पत्र वितरित कर बच्चों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी शिक्षक-शिक्षकीओं में अकॉउंटेन्ट गुलाब चंद सहा, आशीष कुमार, शिवपूजन मोदी, जितेंद्र कुमार,मो. इलियास, राजीव मिश्रा, शुभम कुमार, निरंजन कुमार, सुनील शर्मा, दिगंबर पांडे, रामलखन पासवान, मो. नवाज, अनुज सिंहा, रवि कांत रवि, सुशीला कुमारी,नेहा भरतपुरिया, आरूषी कुमारी, काजल कुमारी, अनिता कुमारी,नेहा पंडित, काजल साह, रूबी कुमारी, गुड़िया कुमारी, स्नेहलता सिन्हा, मंजू सिंह, शमा परवीन, लक्ष्मी कुमारी, सुनीता बारा, नैना कुमारी, अर्चना कुमारी, नेहा रजक, ममता सिन्हा, अंजलि रजक, प्रीति प्रिया, मेहनाज परवीन, सभी शामिल हुए।
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f1b3314c81a6b247d47777ef96fb06d978f1e1ee | यदि वह गाँव पहुँच गयी तो उसने अपना काम शुरू कर दिया होगा । लोगों के चिŸा से उसने भय के भूत को निकाल दिया होगा ।
"अरे ! वह ऐसा नहीं कर सकती। जरा अपनी बुिद्ध ज्यादा चलाती है।" रमजान बोला।
रमजान के मुँह से पहली बार अंकल शब्द सुनकर विश्वनाथ त्यागी को लगा, यह लड़का मेरे बहुत नजदीक आ गया है।
सभी उठ पड़े और दो मिनट में ही साढ़ियों से चढ़ कर लोहे का दरवाजा पार करते हुए चौक में पहुँच गए। चौक में महाराजा के चबूतरे पर एक बूढ़े सज्जन बैठे थे।
रमजान उनके सामने पहुँचा।
सेठ रामदास ने उसे अपने बड़े भाई नारायणदास से मिलाया- "भाई साहब यह वही रमजान है, इसके कारण हम उस मूर्ती तक पहुँच पाये हैं।
आगे-आगे त्यागी, उनके पीछे सेठ रामदास और उनके पीछे रमजान चल पड़ा। दक्षिण पश्चिम दिशा वाले खण्डहरों के चबूतरे की खुदाई हो चुकी थी और वहाँ सीड़ियाँ दिखने लगी। वे सब सीढ़ियों से उतर कर तल घर में जा पहुँचे।
सामने, शंकर जी की मानव कद में बनी पत्थर की मूर्ति दिख रही थी। जिसे तराश कर आगे और पीछे के हिस्से अलग अलग बनाकर जोड़े गये थे। रमजान बड़ी देर तक मूर्ति की बनावट का निरीक्षण करता रहा। उसके बाद उसकी दृष्टि मूर्ती की आसन पर गई। सहसा रमजान को मूर्ति के सामने वाले पत्थर पर कुछ लिखा हुआ दिखा। वह अपना रूमाल निकाल कर रगड़ रगड़ कर उस जगह को साफ करने लगा।
पृष्ठ खुले इतिहास के, जीवन हो खुशहाल।
आँख मिला कर आँख में देख लीजिये भाल।।
इसी समय तलघर में किसी और के आने की आहट मिली । सभी का ध्यान उस ओर चला गया ।
रमजान चौंका। वहाँ चन्द्राबती शान्ति के साथ खडी थी ।
यह देखकर रमजान का स्वर ऊँचा हो गया । बोला - "चन्दा तुम यहाँ कैसे ?
" मैंने !"रमजान ने आश्चर्य प्रकट किया ।
यह सुनकर चन्द्रावती को उस पर दया आ गई और उसने प्रश्न भरी निगाह से रमजान की ओर देखा ।
इन शब्दों का अर्थ गुनते हुए वह भी मूर्ति से हट कर खडा हो गया ।
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d73c580544199246c0b1ac27e874b765bbf69e23 | क्या आपने कभी सोचा है कि आप और आपका दूसरा आधा कैसे संगत है? संगतता खाते में सब कुछ लेती हैः चरित्र, स्वभाव , आदतें, शौक, बाहरी डेटा में समानता भी। मुझे लगता है कि अगर मैं कहता हूं कि लोगों के रिश्तों की सफलता, समझ का स्तर, प्रेम संबंध की ताकत, और बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि लोग एक साथ किए गए सभी संभावित गुणों की कुलता में कितने संगत हैं। क्या आप जानना चाहते हैं कि आप अपने आत्मा साथी के साथ कितने संगत हैं? संगतता के लिए विभिन्न प्रकार के अनुमान लगाने में सभी प्रकार की सहायता करें।
सबसे आम और सरल नामों की संगतता पर अनुमान लगा रहा है। नाम किसी व्यक्ति के साथ संवाद करने की तुलना में अधिक जानकारी देता है और इसी तरह। नाम व्यक्ति को पीसता है, उसे अपने मिनी-टोटेम को "उचित" बनाता है, जिसे अक्सर ग्रीक या किसी अन्य भाषा से अनुवादित किया जा सकता है।
नामों के लिए प्रेम योजना में संगतता का विभाजन क्या है, हम ग्राफिक्स के साथ भाग्य के उदाहरण को देखेंगे।
तो, निकितिन अलेक्जेंडर और वोल्कोवा लुडमिला नामों के उदाहरण के साथ, हम आपको बताएंगे कि एक कार्यक्रम तैयार करने के लिए कैसे।
- हम लड़के के नाम पर एक ही अक्षर (जिसे दोहराया जाता है) पार करते हैं (चित्रा ए)।
- वही बात जो हम लड़की के नाम से करते हैं (आकृति बी)।
- हम उसी पत्र को पार करते हैं जो लड़के और लड़की (चित्रा सी) के नाम पर छोड़ा गया था।
इस मामले में, पत्र "के"हम नामों (आकृति डी) के साथ भी ऐसा ही करते हैं।
फिर हम एक ग्राफ तैयार करते हैं। हमें एक बॉक्स में पेपर की एक शीट और एक पेंसिल / पेन / महसूस-टिप कलम आदि की आवश्यकता है। बाद में भ्रमित न होने के क्रम में दो रंग चुनना बेहतर होता है।
संकलन का सिद्धांत हैः
- यदि पत्र पार हो गया है, रेखा को तिरछे रूप से खींचें।
- यदि पार नहीं किया गया है, तो क्षैतिज रूप से दाईं ओर एक रेखा खींचें।
- रेखाएं अंतर नहीं होतीं - आप एक साथ रहने के लिए नहीं हैं।
- रेखाएं समानांतर हैं - वही।
- रेखाएं विलय हो गई हैं - आप एक-दूसरे के लिए हैं।
हालांकि, जैसा कि हमारे उदाहरण में देखा जा सकता है, सभी तीन प्रकार की रेखाएं एक ही ग्राफ में मौजूद हो सकती हैं (और ज्यादातर मामलों में, होगी)। इसलिए, आप इस मामले में परिणाम की व्याख्या कर सकते हैं। सबसे पहले जोड़ी अच्छी तरह से कर रही है, तो कुछ परिस्थितियों के कारण उन्होंने तरीकों का विभाजन किया और थोड़ी देर बाद कभी नहीं जाने के लिए सहमत हो गए। आदमी की रेखा महिला की रेखा से अधिक लंबी है, जिसका मतलब है कि वह जोड़ी में मुख्य है।
टैरो कार्ड की संगतता सीखने के लिए, कार्ड पर संगतता के अनुमान लगाने के सबसे सरल परिदृश्य का उपयोग करें। कार्ड को नीचे से ऊपर और दाएं से बाएं रखें। कुल मिलाकर, डेक से छह कार्ड रखे जाने चाहिए। सभी मानचित्रों की व्याख्या यहां पाई जा सकती है , और परिदृश्य में विघटित छः कार्ड्स का मूल्य जो हमने आपको प्रस्तावित किया है, निम्नानुसार होगाः
- पहले से चौथे तक खाते में टैरो कार्ड का अर्थ संगतता का भौतिक स्तर होगा, यानी, आपके भौतिक निकटता का स्तर;
- दूसरा पांचवां कार्ड आपकी आध्यात्मिक संगतता का स्तर निर्धारित करता है;
- तीसरे से छठे तक के कार्ड एक दूसरे के लिए अपने बौद्धिक स्तर के पत्राचार के स्तर को निर्धारित करने के उद्देश्य से हैं।
यदि सभी कारक सामान्य हैं और एक-दूसरे के निकटतम संभावित मूल्य हैं, तो संगतता काफी अधिक होगी।
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f1151636b5d8f0d53221ce7aa11bab910d490920 | फ़लस्तीनी प्रधानमंत्री अहमद क़ुरई ने नए मंत्रिमंडल के लिए फ़तह संगठन का समर्थन हासिल कर लिया है.
पिछले कुछ दिनों से इस पर गतिरोध बना हुआ था.
फ़तह संगठन ने प्रधानमंत्री क़ुरई की पिछली सूची पर आपत्ति जताई थी जिसमें यासिर अराफ़ात के पुराने सहयोगियों को जगह दी गई थी.
फ़तह ने प्रधानमंत्री क़ुरई से अनुरोध किया था कि वे यासिर अराफ़ात के नज़दीकी लोगों को मंत्रिमंडल में स्थान न दें. इनकी छवि भ्रष्टाचार से जुड़े लोगों के रूप में है.
फ़तह ने मांग की थी कि मंत्रिमंडल में पेशेवर और तकनीकी विशेषज्ञों को स्थान दिया जाए जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप न हों.
मंत्रिमंडल की यह सूची काफ़ी लंबी बहस के बाद तैयार की गई जिसमें काफ़ी फेरबदल भी किए गए हैं.
बीबीसी संवाददाता का कहना है कि ऐसा लगता है कि अधिकतर पुराने मंत्रियों को हटा दिया जाएगा.
फ़लस्तीनी नेता महमूद अब्बास के एक नज़दीकी सहयोगी ने बीबीसी को बताया कि पुराने लोगों में केवल नबील शाद को उपप्रधानमंत्री के रूप में स्थान दिया जा रहा है.
इस मंत्रिमंडल में जो नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं उनमें सबसे प्रमुख हैं नासिर यूसुफ़.
उन्हें आंतरिक सुरक्षा का मंत्री बनाया जा सकता है और वह सुरक्षा बलों के भी प्रभारी रहेंगे.
संयुक्त राष्ट्र में फ़लस्तीनी प्रतिनिधि नासिर अल क़िदवा को विदेश मंत्री बनाया जा सकता है.
आलोचकों का कहना है कि यासिर अराफ़ात ने मंत्रिमंडल में नेताओं को उनके संपर्कों के आधार पर स्थान दिया था न कि उनकी योग्यता के आधार पर.
हालांकि नए फ़लस्तीनी नेता महमूद अब्बास इस विवाद से दूर रहे हैं.
लेकिन बुधवार को उन्होंने फ़तह संगठन के लोगों से मुलाक़ात की और प्रधानमंत्री क़ुरई की सूची को समर्थन देने का अनुरोध किया.
मंत्रिमंडल को संसद से मंज़ूरी की आवश्यकता होती है जिसमें दो तिहाई सदस्य फ़तह संगठन के हैं.
दूसरा प्रमुख ग्रुप हमास है पर उसने संसद का बहिष्कार कर रखा है.
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b8b31aa248c5ef087b4641ae79227af8fae8a059 | जीवन में सफलता पाने के लिए कई उपाय किए जाते हैं. ऐसे में अगर आप अपने जीवन में हर काम में सफलत पाना चाहते हैं और आपको हर काम से खूब सारा धन कामना है तो आप कई उपाय कर सकते हैं. जी हाँ, वैसे ही हमारा जीवन परेशानियों से भरा पड़ा है और उससे उबरने के लिए लाखो जातां करने होते हैं. ऐसे में अगर आप इस उपाय को कर लें तो सभी परेशानिया खत्म हो सकती है. आइए बताते हैं वह उपाय.
उपाय - इस उपाय को करने के लिए आपको सबसे पहले एक मिट्टी की सुराही या फिर एक मिट्टी का कटोरा लेना है. इसके बाद उसमें रूई की चार बत्ती लेना है और थोड़ा सा लोबान, धूप, घी आदि. अब सभी को लेकर एक साथ रख लेना है और सबको जला लेना है. अब इसके बाद उस सुराही या मिट्टी के कटोरे से धूप लगाते हुए उसको पूरे घर में घूमा लेना है.
कहते हैं ऐसा करने से घर से नकारात्मक शक्ति का नाश हो जाता है और आपकी किस्मत में आने वाली सभी बाधाए भाग जाती है और आपकी कसिमत चमकने लगती है और सब कुछ अच्छा होने लगता है. ध्यान रहे कि इस उपाय को किसी भी बुधवार के दिन किया जा सकता है क्योंकि इसके लिए बुधवार का दिन ही उपयुक्त मन जाता है. आपको बता दें कि इस उपाय को महीने में एक बार जरुर करें क्योंकि ऐसा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा गायब हो जाती है और आपके घर में बुरी आत्माओं का प्रवेश भी नहीं हो पाएगा और आपको लाभ ही लाभ होगा. इसी के सतह अगर आप इसे महीने की शुरुआत में करते हैं तो यह सबसे लाभकारी होता है.
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f62ae3c8608204b5c056f9c4c30bc57d412e8e6b | बताया जा रहा है कि वनिता ने अपने पति पीटर पॉल को मार-मारकर घर से बाहर निकाल दिया है. इस खबर के सामने आते ही वनिता एक बार फिर सुर्खियों में आई गई हैं.
तमिल फिल्म इंडस्ट्री की अभिनेत्री वनिता विजयकुमार (Vanitha Vijaykumar) एक बार फिर सुर्खियों में हैं. वजह है उनकी तीसरी शादी जो इस वक्त मुश्किलों के दौर से गुजर रही है. बताया जा रहा है कि वनिता ने अपने पति पीटर पॉल को मार-मारकर घर से बाहर निकाल दिया है. इस खबर के सामने आते ही वनिता एक बार फिर सुर्खियों में आई गई हैं.
बता दें, वनिता इस घटना के बाद एक के बाद एक कई ट्वीट्स किए और अपनी सफाई दी. इसके बाद उन्होंने एक आधिकारिक बयान भी दिया.
प्यार में हारना एक ऐसी चीज है जिसकी मैं अब आदि हो चुकी हूं. लेकिन मैं हमेशा आगे बढ़ती रहीं हूं और मजबूत होती जा रही हूं. प्यार में विश्वास करना और इसमें निराश होना बहुत ही दर्दनाक और असहनीय है लेकिन एक बिंदु के बाद ये सुन्न हो जाता है.. आंखों के सामने जीवन खत्म होते देखना सबसे दर्दनाक हैं.
वनिता ने कहा, मैं कुछ भी नहीं छिपाती क्योंकि मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है..इसका फायदा अच्छा नहीं है..और मैं अब यह कहना चाहूंगी कि मैं एक और बड़ी चुनौती से गुजर रही हूं और मैं यह देखने की पूरी कोशिश कर रही हूं कि मैं इसे कैसे सुलझा सकती हूं.
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f0f4b187aa93b99e32ac7d94e700675bccc30bb9 | Ranchi/Jamshedpur: लोकसभा चुनाव के छठे चरण का प्रचार अभियान जोर-शोर से चल रहा है. स्थानीय नेताओं के साथ चुनाव प्रचार में स्टार प्रचारक भी दम लगा रहे हैं. बुधवार को इसी क्रम में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जमशेदपुर पहुंचे. उम्मीद है कि जमशेदपुर पहुंचने के बाद निश्चित तौर से अमित शाह निराश हुए होंगे. क्योंकि भीड़ के नाम पर लोगों से ज्यादा खाली कुर्सियां पड़ी हुई थीं. जनसभा की कुछ तस्वीरें व्हाट्सएप पर वायरल हैं. वायरल वीडियो और स्टिल फोटोग्राफ्स देखने पर साफ जाहिर होता है कि बीजेपी जमशेदपुर में भीड़ इक्ट्टठा नहीं कर पायी. वीडियो तब की है जब मंच पर बीजेपी के सभी दिग्गज मौजूद थे. भाषणबाजी जारी थी.
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जमशेदपुर में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जनसभा के दौरान खाली पड़ीं कुर्सियां इसलिए भी सुर्खियों में हैं क्योंकि जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी के दो बड़े दिग्गज विधायक हैं. सीएम रघुवर दास जमशेदपुर ईस्ट और मंत्री सरयू राय जमशेदपुर से विधायक हैं. खुद विद्युत बरन महतो जमशेदपुर से सीटिंग एमपी हैं. ऐसे में कुर्सियों का खाली रह जाना चर्चा का विषय बना हुआ है. सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि जहां जनसभा हो रही है, वो सीएम के क्षेत्र में पड़ता है. जनसभा जमशेदपुर के ट्रांस्पोर्ट ग्राउंड में हो रही थी. कहा जा रहा है कि ईमानदारी से अगर वहां काम होता तो इतनी भीड़ सिर्फ प्रदेश की जनसभा में जुट सकती थी. कहने वाले कह रहे हैं कि सीएम के घर में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जनसभा में एक कुर्सी के साथ एक कुर्सी फ्री की व्यवस्था थी.
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64183f3160041db823836819ae1b3499953643471696a2f12183248ab2a5c087 | मादक क्षण में ही जब अपनत्व और अधिकार जताने की भूखी बाँहों ने उन शरीरों को आलिंगनबद्ध कर लिया जिनकी आकृतियाँ वे भूल गए थे, तो वे लम्बे बिछोह ख़त्म हो गए जिनके बारे में लोगों का खयाल था कि वे कभी ख़त्म नहीं होंगे। रेम्बर्त को इतना वक्त ही नहीं मिला कि वह अपनी बीवी को देख सके जो उसकी तरफ़ दौड़ती भ्रा रही थी । वह आकर सीधी उसके सीने से लिपट गई थी । रेम्बर्त ने उसे अपनी बाँहों में ले लिया था और उसके सर को अपने कन्धों पर दबा रहा था । उसे सिर्फ़ अपनी प्रेयसी के परिचित केश ही दिखाई दे रहे थे, उसने अपने आँसुको मुक्त भाव से बहने दिया । वह नहीं जानता था कि ये खुशी के आँसू थे या बहुत दिनों के दबे हुए दुख के आँसू । उसे सिर्फ यही एहसास था कि आँसुओं की वजह से वह अपने को यह तसल्ली नहीं दे सकेगा कि उसके कन्धे से चिपका चेहरा सचमुच वही चेहरा था जिसके बारे में उसने बहुत बार तमन्ना की थी या वह किसी अजनबी का चेहरा था । उस क्षण तो वह अपने आसपास के लोगों की तरह ही व्यवहार करना चाहता था जिनका खयाल था कि प्लेग इन्सानों के दिलों के भीतर कोई चीज़ बदले बगैर भी आकर चली जा सकती है - अगर वे ऐसा नहीं सोचते थे तो इसका अभिनय ज़रूर कर रहे थे ।
एक-दूसरे से सटे हुए वे अपने घरों में गये, बाहर की दुनिया से आँखें मूंदकर । और ऐसा लगता था कि वे महसूस कर रहे थे कि उन्होंने प्लेग को हरा दिया है । वे हर उदासी को भूल गए थे और उन लोगों की दुर्दशा को भी भूल गए थे, जो उसी ट्रेन से आये थे, लेकिन प्लेटफॉर्म पर उनकी प्रतीक्षा करने वाला कोई नहीं था। वे घर जाकर उस भय की पुष्टि के लिए अपने को तैयार कर रहे थे जो लम्बी खामोशी ने पहले से ही उनके दिलों में पैदा कर दिया था। इन लोगों के लिए, जिनका साथी केवल सद्यजात शोक था, जो इस क्षण अपने को किसी प्रियजन की मृत्यु के शोक की आजीवन स्मृति के लिए समर्पित कर रहे थे - इन दुखी लोगों की दशा बिलकुल अलग थी। इनके विरह की कसक अपनी चरम सीमा तक जा पहुँची थी। उन माताओं, पतियों और पत्नियों के लिए, जो अपनी सारी खुशी | pdf |
1170854d8006c3fce00bfba26b93ee98a7bce3aa | संयुक्त राज्य अमेरिका का न्याय विभाग कथित तौर पर एक बार अग्रणी एल्गो-स्थिर मुद्रा - टेरायूएसडी (यूएसटी) के पतन की जांच कर रहा है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) और न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले (एसडीएनवाई) ने यूएसटी के पतन की जांच शुरू कर दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों अधिकारियों ने एल्गो-स्थिर मुद्रा के पीछे कंपनी टेराफॉर्म लैब्स के पूर्व कर्मचारियों से पूछताछ की है। इसके अतिरिक्त, एजेंसियां इस मामले से जुड़े और लोगों से पूछताछ करने पर काम कर रही हैं प्रतिवेदन कहा। यह जांच संभवतः टेराफॉर्म लैब्स के संस्थापक - डू क्वोन के खिलाफ एक आपराधिक मामला खोल सकती है।
विशेष रूप से, यह विकास यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के लगभग एक महीने बाद आया है। एक मुकदमा दायर किया डू क्वोन और टेराफॉर्म लैब्स के खिलाफ। आरोपों में आरोप लगाया गया कि क्वोन और उनकी फर्म ने प्रतिभूति धोखाधड़ी की है और निवेशकों को धोखा देने के लिए एक योजना में लगे हुए हैं। मुकदमे में दावा किया गया कि स्थिर मुद्रा - UST और LUNA प्रतिभूतियाँ थीं। न्याय विभाग की जांच एसईसी की तरह ही है, हालांकि, क्वोन और फर्म के खिलाफ दर्ज किए जाने वाले आरोप अभी भी स्पष्ट नहीं हैं।
इसके अलावा, WSJ के अनुसार, FBI और SDNY कथित तौर पर चाई भुगतान से संबंधित मामलों की जांच कर रहे हैं। टेराफॉर्म लैब्स ने झूठा दावा किया था कि 'चाय' - एक दक्षिण कोरियाई मोबाइल भुगतान एप्लिकेशन ने वाणिज्यिक भुगतानों को संसाधित करने के लिए टेराफॉर्म के ब्लॉकचेन का इस्तेमाल किया, एसईसी शुल्क के अनुसार। इसके अलावा, फर्म ने कथित तौर पर लेन-देन को दोहराया ताकि ऐसा लगे कि भुगतान के लिए ब्लॉकचेन का उपयोग किया गया था।
इसके बाद, अमेरिकी अभियोजक हैं जांच जंप ट्रेडिंग - एक मालिकाना ट्रेडिंग फर्म, जेन स्ट्रीट ग्रुप - एक मात्रात्मक ट्रेडिंग फर्म, और अल्मेडा रिसर्च - एफटीएक्स की निवेश शाखा की बातचीत। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन फर्मों की टेलीग्राम चैट की कथित तौर पर बाजार में हेरफेर के संबंध में जांच की जा रही है।
इसके अलावा, अधिकारी विफल स्थिर मुद्रा के संभावित खैरात से संबंधित बातचीत के बारे में भी जानकारी मांग रहे हैं। विशेष रूप से, अभियोजकों ने इस संबंध में किसी व्यक्ति को आरोपित नहीं किया है और जांच बिना किसी आरोप के समाप्त हो सकती है।
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c788ef97689b36f5627c6a98d4d1569d8c2b613a | जिला छतरपुर ब्लॉक छतरपुर के गांव राधेपुर पूर्व में कुछ लोगों के आवास नहीं बने हैं जिससे लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। लोगों का कहना है कि उन लोगों ने काफी बार आवास के लिए फॉर्म भी भरा लेकिन सरकार की तरफ से कोई पैसे नहीं आएं। हालांकि, पैसा सरकारी है वह लोग ज्यादा जबरदस्ती भी नहीं करते।
सरपंच के पास जाते हैं तो उनका यही कहना होता है कि फॉर्म तब ही भरे जाएंगे जब सरकार की तरफ से आवास के लिए पैसे आना शुरू हो जाएंगे। गांव वालों का कहना है कि शिकायत जितनी बार भी करो लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। इसलिए उन लोगों ने अब शिकायत ही करना छोड़ दिया है। लोग कच्चे घर में रहते हैं। उनका कहना है कि अगर उन्हें आवास के पैसे मिल जाते तो वह भी अपना घर बनवा लेतें।
कई लोग अपना घर ना होने की वजह से किराये के घर मे भी रहते हैं। बारिश के समय जिनके पास अपना घर नहीं होता, वह पन्नी लगाकर खुद को बचाते हैं। लेकिन उस पन्नी के घर को हम घर नहीं कह सकते। जिसके ढहने का खतरा लोगों को हमेशा महसूस होता रहे। आखिर ग्रामीणों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना, ग्रामीणो के काम क्यों नहीं आ रही? क्या अधिकारियों और जिला प्रशासन को मालूम नहीं कि कितने लोग किराये और पन्नी के घरों में रहने को मजबूर है? उस योजना को शुरु करने का क्या लाभ, जब वह उस व्यक्ति को ही फायदा नहीं दे पा रही, जिसके नाम से योजना की शुरूआत की गई थी।
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15de674fe470734348b80f32082e5278704432db | Latest Jokes: आजकल की भागभागम भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग काम के बढ़ते दबाव की वजह से उदास रहने लगे। इसकी वजह से लोग चिड़चिड़ेपन और अनिद्रा जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं। हम सभी को इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए सुबह और शाम हंसने की आदत डाल लेनी चाहिए। अगर हम हंसते रहते हैं, तो मानसिक तनाव से होने वाली गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं। इसीलिए हम आपको हंसाने के लिए कुछ चुटकुले लेकर आए हैं जिन्हें पढ़ने के बाद आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे।
सोनू का पांव केले के छिलके पर पड़ा और वो फिसल कर गिर गया. . . !
सोनू उठा और फिर आगे चला, तो दूसरे छिलके में पांव पड़ा और फिर फिसल कर गिर गया. . . !
सोनू फिर उठा और थोड़ा आगे और चला, तो उसे तीसरा छिलका दिख गया. . . !
सोनू रोते- रोते बोला - धत तेरे की, अब फिर से फिसलना पड़ेगा. . . !
चिंटू- दुनिया में दो तरह के नेटवर्क ही सबसे तेज हैं।
मिंटू- कौन-कौन से?
चिंटू- एक ईमेल और दूसरा फीमेल, एक मिनट में इधर की बात उधर पहुंचा देती हैं।
पत्नी- मैं अपने पुराने कपड़े दान कर दूं क्या ?
पति- नहीं फेंक दे, क्या दान करना. .
पत्नी- नहीं जी, दुनिया में बहुत सी गरीब और भूखी प्यासी औरते हैं, किसी के काम आ जाएंगे. .
बाप- बेटा तुम पढ़ाई क्यों नहीं करते. . ?
बेटा- बंदा दो ही वजह से कुछ करता एक है डर और दूसरा है शौक. .
अब बेटा डर के मारे कोने में बैठकर चुपचाप पढ़ रहा है।
बच्चा- मम्मी क्या मैं भगवान की तरह दिखता हूं?
मम्मी- नहीं , पर तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो बेटा?
सब यही कहते हैं हे भगवान फिर आ गया।
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5498879a8917111e29b24c360758f8242542519c | स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ः मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में चार लुटेरी दुल्हनों ने दलालों के साथ मिलकर युवकों और उनके परिवार को निशाना बना है। चारों ने शादी के लिए पहले तो डेढ़-डेढ़ लाख रुपये लिये। शादी के बाद बारात निकाली जा रही थी, जिसमें दूल्हे आगे थे और दुल्हनें पीछे। मुकाम तक पहुंचने से पहले तीन दुल्हनें रास्ते में ही गायब हो गईं। चौथी पेट दर्द का बहाना कर अस्पताल पहुंची और वहां से फरार हो गई। फरियादी ने पुलिस को कहा कि उसके दो बेटे है, जिनकी शादी नहीं हुई है। वे दिव्यांग हैं। उन्होंने दिन-रात मेहनत करके करीब सात लाख रुपये जमा किए थे। जब इसकी जानकारी गणेश और सुन्दरबाई को लगी तो दोनों ने इसकी जानकारी अपने रिश्तेदार महेश को दी। इसके बाद गणेश अपनी मां सुन्दरबाई को लेकर जगदीश के पास पहुंचा और कहा, 'दोनों बेटों की शादी नहीं हो रही है, उम्र हो गई है, जल्द शादी करो। यदि लड़कियां नहीं मिल रही तो हमें बताओ, हम दुल्हनें ढूंढ़ देंगे. ' दोनों की बातों में आकर जगदीश ने भी उन्हें लड़कियां ढूंढने के लिए कह दिया। दोनों ने डेढ़ लाख रुपये माँगा। करीब आठ दिन तक रोज फरियादी से बात कर उन्हें झांसे में ले लिया और सिर्फ दोनों बेटों ही नहीं, उनके साले के बेटे सहित गांव के अन्य युवक को भी शादी करने के नाम पर फंसाया। इन सभी से आरोपियों ने आठ लाख रुपये ले लिये, इसके बाद मंदिर में फरियादी के बेटे लखन, प्रहलाद, साले के बेटे जितेंद्र के साथ एक अन्य युवक की शादी भी कराई।
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9d1d001ecadb125272803d9bc082542e12a49d6e | कल्याण आयुर्वेद - बीमार पड़ने पर अक्सर अधिक तरल पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि डिहाइड्रेशन कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है. जी हां जी मिचलाना भी डीहाइड्रेशन का परिणाम हो सकता है. यह आगे उल्टी का कारण बन सकता है. जी मिचलाना एक बहुत ही बुरा एहसास है जो आपको असहज कर सकता है. ऐसी स्थिति में लोग चाय पीते हैं ऐसे में आज हम आपको चाय के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपकी स्थिति को दूर करने का काम करेगी.
चाय कई लोगों के लिए दैनिक दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. बहुत से लोग अपने दिन की शुरुआत एक कप चाय के बिना नहीं कर सकते हैं. जबकि कुछ लोगों को चाहे ना मिलने की वजह से सिर दर्द भी होने लगता है. लेकिन यह चाय सेहत के लिए हानिकारक होती है. ऐसे में आप कुछ हर्बल चाय जैसे अदरक की चाय पुदीने की चाय या कैमोमाइल चाय का सेवन कर सकते हैं. इससे आपको जी मिचलाने की समस्या से राहत तो मिलेगा ही साथ ही अलग-अलग शारीरिक और मानसिक समस्याओं से लड़ने में मदद मिलेगी.
पूरी ने में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो आपको बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है. पुदीने की चाय जी मिचलाने के साथ-साथ अन्य समस्याओं में भी राहत दिलाने में मदद करती है. पुदीने की चाय पीने से पेट की समस्याओं के साथ साथ डीहाइड्रेशन से भी राहत मिल सकती है. यह आपको तनाव से छुटकारा दिलाने में भी मदद करता है.
मुलेठी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है मुलेठी वाली चाय पीने से आपको अनगिनत स्वास्थ्य फायदे मिल सकते हैं. इस चाय को तैयार करने के लिए मुलेठी की जड़ का उपयोग कर सकते हैं. जिसे अक्सर स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मुलेठी की चाय जी मिचलाने का कारगर उपाय मानी जाती है. इस चाय के एंटीबैक्टीरियल गुण आपको चक्कर आना और उल्टी जैसी समस्या से बचाने में मदद करते हैं. यह डिटॉक्सिफिकेशन में भी मदद करता है.
नींबू की चाय हल्की खट्टी और स्वाद में बेहतरीन होती है यह मतली को ठीक करने में आपकी मदद कर सकती है. नींबू की चाय में साइट्रिक एसिड की उपस्थिति होती है जो पाचन को बढ़ावा देती है और पेट की खराबी का इलाज करने में मदद करती है. यह डिटॉक्सिफिकेशन में भी मददगार साबित होती है.
अदरक की चाय आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए वरदान की तरह है. यह अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं को खत्म करने में मदद कर सकती है. अदरक अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर होती है. यह आपको जी मिचलाने के साथ-साथ पेट की कई समस्याओं का इलाज करने में भी मदद कर सकती है. इससे तनाव को कम करने में भी मदद मिलती.
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c833191f01c4a452372f9106e8eb80411fd2061252aa8e54d25493016d439ba1 | • महाराज युधिष्ठिरके जीवनसे आदर्श नीतिकी शिक्षा
वीरश्रेष्ठ बन्धुओ शरणागतकी यथाशक्ति रक्षा करना सभी क्षत्रिय राजाआका महान् कर्तव्य है। शत्रुको रक्षा करनेका माहात्म्य तो और भी बड़ा है। जिन पुण्यकर्मोके द्वारा वरप्राप्ति, राज्यप्राप्ति और पुत्रप्राप्ति हो सकती है, उन सबके माहात्म्य एक साथ मिलकर शत्रुरक्षाके अकले माहात्म्यके बराबर हैं। यदि यह यज्ञ मॅन आरम्भ न किया हाता तो स्वय ही उस यदी दुर्योधनको छुडानक लिय दौड पडता, पर अब विवशता है। इसीलिये कहता हूँ, वारवरो, जाआ- जल्दी जाओ, ह कुरुनन्दन भीमसेन ! यदि वह गन्धर्वराज समझानेस न माने तो तुम लोग अपना प्रवल पराक्रम दिखाकर किसी तरह अपन भाई दुर्योधनको उसको कैदसे छुडाओ।" इस प्रकार अजातशत्रु धमराजक इन वचनाको सुनकर भीमसन आदि चारा भाइयाके मुखपर प्रसन्नता छा गयी। उन लोगाके अधर और भुजदण्ड एक साथ फड़क उठ। उन सबकी ओरसे महाबीर अर्जुनन कहा - 'महाराज। आपकी जा आज्ञा । यदि गन्धर्वराज समझान-बुझानपर दुर्योधनका छोड दग, तब तो ठीक हो है, नहीं तो यह पृथ्वीमाता गन्धर्वराजका रक्त- पान करगी।' अर्जुनकी इस प्रतिज्ञाको सुनकर दुर्योधनक बूढे मन्त्री आदिका शान्ति मिली। इधर ये चारा पराक्रमी पाण्डव दुर्योधनका मुक्त करनक लिय चल पड़ । सामना हानेपर अजुनन धमराजक आज्ञानुसार दुर्योधनको या हो मुक्त कर दनके लिये गन्धर्वोको बहुत समझाया परतु उन्होंने इनकी एक न सुनी। तब लाचार होकर अर्जुनने घार युद्धद्वारा गन्धर्वोको परास्त कर दिया। तत्पश्चात् परास्त चित्रसेनने अपना परिचय दिया और दुर्योधन आदिको कैद करनका कारण बताया। यह सुनकर पाण्डवोका बडा आश्चर्य हुआ। वे चिनसन और दुर्योधन आदिको लेकर धर्मराजक पास आये। धर्मराजने दुर्योधनकी सारी करतूत सुनकर भी बड़े प्रमके साथ दुर्योधन और उसके सब साथी बदियाको मुक्त करा दिया। फिर उसको स्नेहपूर्वक आश्वासन देते हुए उन्हान सबको घर जानेकी आज्ञा दे दी। दुर्योधन लज्जित होकर सबके साथ घर लौट गया। ऋषि-मुनि तथा ब्राह्मण लोग धर्मराज युधिष्ठिरकी प्रशसा करने लगे।
यह है महाराज युधिष्ठिरक आदर्श जावनकी एक घटना । निर्वैरता तथा धमपालनका अनूठा उदाहरण उनके मनम दुष्ट दुर्योधनकी काली करतूताको सुनकर क्राधकी छायाका भी स्पर्श नहीं हुआ। इतना ही नहीं, उसक दोषाकी और उनकी दृष्टि भी नहीं गयी । बल्कि उनका हृदय उलटे दयासे भर गया। उन्होंने जल्दी हो उसका गन्धवराजके कठिन वन्धनस मुक्त करवा दिया। यहीं तक नहीं उनका इस क्रियासे दुर्योधन दुखी और लज्जित न हो, इसके लिये उन्हाने प्रेमपूर्ण वचनासे उसको आश्वासन भी दिया। मित्राकी तो वात ही क्या दु खम पडे हुए शत्रुआके प्रति भी हमारा क्या कर्तव्य है, इसकी शिक्षा स्पष्टरूपसे हम धर्मराज युधिष्ठिर दे रहे हैं। धैर्य नीति
यह बात तो ससारमे प्रसिद्ध ही है कि दुर्योधनन कर्णकी सम्मतिसे शकुनिके द्वारा धर्मराज युधिष्ठिरको छलसे जुएम हराकर दावॅपर रखी हुई द्रोपदीको जीत लिया था। उसके पश्चात् दुर्योधनको आज्ञासे दु शासनने द्रौपदीको केश पकड़कर खींचते हुए भरी सभाम उपस्थित किया । द्रौपदी अपनी लाज बचानेक लिये रुदन करती हुई पुकारने लगी । सारी सभा द्रौपदीकी व्याकुलतासे भरे हुए करुणापूर्ण रुदनको देखकर दुखी हो रही थी। किंतु दुर्योधनक भयसे विदुर और विकर्णके सिवा किसीने भी उसक इस घृणित कुकर्मका विरोध तक नहीं किया । द्रोपदी उस समय रजस्वला थी और उसके शरीरपर एक ही वस्त्र था । एसो अवस्थाम भी दु शासनने भरी सभामे उसका वस्त्र खींचकर | pdf |
4ed8228dff53d6a01cfeb84174445c817c43a0e02b7ed5c445e821966f070785 | पुरुषों के अत्याचार सहने पड़े हैं। अब समाज उनके लिए कौन सी नीति निर्दिष्ट करना चाहती है ? क्या वह उन्हें यथेष्ट स्वाधीनता देने के लिए उद्यत है ?
हिन्दू समाज की सब से बड़ी विशेषता यह है कि प्राचीन भारतीय सभ्यता के आदर्शों से अभी तक उसका सम्बन्ध बना हुआ है । सीता और सावित्री काव्यों के पात्र नहीं हैं। उन्हीं की पतिभक्ति और पातिव्रत के आदर्श पर हिन्दू-नारी का जीवन ठहरा हुआ है । भगवान् रामचन्द्र या कृष्णचन्द्र केवल पूजनीय नहीं हैं, अनुकरणीय हैं । हिन्दूमात्र का विश्वास है कि धर्म की ही रक्षा के लिए ये सब पृथ्वी पर अवतीर्ण हुए थे। इसी से पति-भक्ति और पति-सेवा में ही लोग स्त्रीजीवन की सफलता देखते हैं। ब्राह्मणों को भूसुर मानकर वे अभी तक उन्हें पूज्य समझते हैं। उनका विश्वास है कि प्राचीन काल की जो रीति या नीति है वह सर्वथा निर्दोष है। उनका कथन है कि भारतवर्ष ने प्राचीनकाल में ही अपनी एक विशेष सभ्यता स्थापित कर ली है। उस सभ्यता का मूल धर्म है। प्राचीनकाल से आज तक उसने अपनी इस विशेषता को नहीं छोड़ा है। उसकी यह विशेषता उसके प्राचीन साहित्य के आदर्श चरित्रों में प्रकट हुई है । भगवान् रामचन्द्र, भीष्म पितामह, धर्मराज युधिष्ठिर आदि के पुनीत चरित्रों से यह जाना जा सकता है कि हिन्दू समाज का लक्ष्य क्या है। पाश्चात्य सभ्यता के श्रादर्शों से हमारे समाज का कल्याण नहीं हो सकता। हिन्दू धर्म में श्राचार की बड़ी महिमा है। वही परम धर्म माना गया है। आचार भ्रष्ट लोगों से समाज में दुर्नीति ही फैल सकती है। यह कुसंस्कार नहीं है, जातीय संस्कार है। समाज में सदैव प्रचार की पवित्रता की रक्षा की जानी चाहिए । सामाजिक बन्धनों में शिथिलता आने से ही समाज की मर्यादा भङ्ग हो जाती है ।
परन्तु धर्म और प्रचार में भेद क्या है ? क्या सदाचार से प्रतिरिक्त कोई धर्म है ? सदाचार के लिए क्या न्याय, दया, क्षमा, शौर्य, परोपकार, धैर्य, इन्द्रिय दमन आदि गुणों के अतिरिक्त भी किसी | pdf |
ddb496dc7a46967e09a4b5f269489e2dff1fc849 | महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस के भीतर असमंजस का दौर जारी है, लेकिन ऐसी ख़बरें हैं कि अशोक चव्हाण इस दौड़ में सबसे आगे हैं.
हालांकि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सुशील कुमार शिंदे, नारायण राणे और बालासाहेब विखे पाटिल का भी नाम चल रहा हैं.
उल्लेखनीय है कि अशोक चव्हाण महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री हैं, साथ ही वो पूर्व केंद्रीय मंत्री एसबी चव्हाण के बेटे हैं.
इसके पहले नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर मुंबई में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई जिसमें प्रणव मुखर्जी और एके एंटनी भी शामिल हुए लेकिन इसमें कोई निर्णय नहीं हो सका.
इससे पहले देशमुख ने गुरुवार को अपना इस्तीफ़ा राजभवन में राज्यपाल एससी जमीर को सौंप दिया.
राज्यपाल ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया और वैकल्पिक व्यवस्था होने तक पद संभालने को कहा.
राज्यपाल को इस्तीफ़ा सौंपने के बाद देशमुख ने पत्रकारों से बात करते हुए दो बार राज्य की ज़िम्मेदारी सौंपने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रति आभार जताया.
उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में हमें लोगों की नाराज़गी का सम्मान करना चाहिए. "
मुंबई पर हुए चरमपंथी हमले को अपने कार्यकाल का सबसे दुखद क्षण बताते हुए देशमुख ने कहा, "हम बहुत से लोगों की जान नहीं बचा सके. "
हमलों के बाद ताज होटल के दौरे के समय निर्माता-निर्देशक राम गोपाल वर्मा को अपने साथ ले जाने को देशमुख ने 'एक भूल' बताया.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान के मुख्यमंत्री बदलने के फ़ैसले से राज्य सरकार में सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का कोई लेना-देना नहीं है.
मुंबई हमलों को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सदस्य और उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री आरआर पाटिल के इस्तीफ़े के बाद मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख पर भी इस्तीफ़े का दबाव था.
इससे पहले इसी मामले को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने भी इस्तीफ़ा दिया था.
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0fc2603d5b657552f73a90e15f94226963f9239d | वीर अर्जुन संवाददाता देहरादून। मुख्यमंत्री डॉ. रमेष पोखरियाल निषंक ने षनिवार को राजपुर रोड स्थित एक होटल के सभागार में उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केन्द द्वारा आयोजित `उत्तराखण्ड सेटकॉम नेटवर्क विजन एण्ड मिषन' विशय पर आयोजित राश्ट्रीय संगोश्"ाr का उद्घाटन किया। उन्होंने सेटलाइट आंकड़ों पर आधारित पदेष का भू-उपयोग और भू-आच्छादित मानचित्र भी जारी किया। मुख्यमंत्री डॉ. निषंक ने कहा कि अंतरिक्ष पौद्योगिकी के पयोग से राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों सहित सभी षिक्षण संस्थानों को गुणवत्तायुक्त षिक्षा एवं पषिक्षण पदान किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में एडूसेट कार्पाम पहले से ही पारम्भ हो चुका है। सेटकॉम नेटवर्क से जुड़ने पर पदेष के विद्यार्थियों, विषेश रूप से ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को नवीनतम ज्ञान-विज्ञान की जानकारी पाप्त होगी। उन्होंने कहा कि नई पौद्योगिकी का लाभ षिक्षा के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रांs में भी पाप्त होगा। पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर सामुदायिक सहभागिता से उपग्रह तकनीकी का पयोग करते हुए पषिक्षण एवं क्षमता संवर्द्धन (ट्रेनिंग और कैपिसिटी बिल्डिंग) का कार्य किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष पौद्योगिकी का आपदा पबन्धन में अधिकतम लाभकारी उपयोग किए जाने की सभी सम्भावनाओं पर विचार किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में पाकृतिक आपदा की सम्भावनाओं को देखते हुए यदि पौद्योगिकी इनका कुछ पूर्वानुमान लगा सके तो समय रहते बहुत से लोगों के जीवन का बचाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने सेटकॉम नेटवर्क की सहायता से टेलीमेडिसिन और ई-गवर्नेंस के उपयोग को बढ़ाने पर भी जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य तेजी से विकास के कई मानकों में देष के अग्रणी राज्यों में षुमार हो रहा है। राज्य सरकार पर्यावरण एवं विकास के मध्य समन्वय स्थापित कर आगे बढ़ना चाहती है और आधुनिक पौद्योगिकी इस दिषा में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। विषिश्ट अतिथि और जवाहर लाल नेहरू विष्वविद्यालय के पख्यात षिक्षाविद् पो. पुश्पेष पंत ने कहा कि अंतरिक्ष पौरद्योगिकी में उत्तराखण्ड द्वारा की जा रही पहल अन्य राज्यों के लिए भी पेरणा का स्रोत बनेगी। उन्होंने कहा कि ऐसी योजनाओं की सहायता से ज्ञान आधारित समाज की स्थापना होती है। पभारी सचिव विज्ञान एवं पौद्योगिकी अरूण ढौढियाल ने कहा कि षीघ्र ही अंतरिक्ष पौद्योगिकी को अन्य जनोपयोगी योजनाओं से भी जोड़ा जायेगा। दून विष्वविद्यालय के कुलपति पो. गिरिजेष पंत ने कहा कि उनका विष्वविद्यालय ऐसी योजनाओं में सािढय भागीदारी निभायेगा। मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. राजेष नैथानी ने कहा कि अंतरिक्ष पौद्योगिकी का पदेष के समग्र विकास हेतु पयोग किया जायेगा।
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पड़ोस में किसी ने रेडियो ऑन कर दिया था. गीत सुनकर मैंने अपनी दृष्टि आस-पास दौड़ाई. अनायास ही मुझे वह घटना स्मरण हो आयी. वैसा ही अनुकूल वातावरण, वैसी ही ठंडी-ठंडी हवा के झोंके, वैसी ही हल्की-हल्की रिमझिम बारिश और वैसी ही काली-काली घटाएं. मैं पिताजी के किसी कार्यवश उनके एक मित्र के घर जा रहा था. पिछली रात्रि कई दिनों पश्चात हुयी वर्षा द्वारा भीषण गर्मी से राहत मिली थी. ठंडी-ठंडी हवा के झोंकों में मिट्टी की सोंधी-सोंधी महक आ रही थी. वर्षा तो थी, पर भिगोने के लिए पर्याप्त नहीं थी. बस हल्की-हल्की रिमझिम, नन्हीं-नन्हीं बुंदकियाँ. वृक्षों पर पत्रदल वर्षाजल में धुलकर मानो नव उमंगों से भर उठा था. वातावरण अत्यंत सुहावना प्रतीत होता था. मन अत्यंत प्रसन्न था.
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पिताजी के मित्र के घर पहुँच कर मैंने घंटी बजा दी, और द्वार खुलने की प्रतीक्षा करने लगा. मैंने घर का बाहर से ही निरीक्षण किया. छोटा सा बरामदा था जो की जैसे अभी-अभी ही स्वच्छ किया गया था. किनारे-किनारे करीने से कतारबद्ध गमलों में मनीप्लांट लगा था. थोड़ी देर तक प्रतीक्षा करने के पश्चात भी जब द्वार न खुला तो मन कुछ व्याकुल हो उठा. मैंने ध्यान से सुनने का प्रयास किया. अन्दर रेडियो पर गीत बज रहा था.
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मैंने द्वार के कुंजी-छिद्र से भीतर झाँक कर देखा. एकाएक मुझे लगा की मानो मैं स्वप्नलोक में हूँ. भीतर प्रांगण में एक अत्यंत सुन्दर अष्ट-दशी यौवना रेडियो के सम्मुख बैठी अपने केश संवारने में तल्लीन थी. उसे अपने आस-पास की कोई सुध नहीं थी. श्वेत वर्ण, बड़ी-बड़ी काली चंचल आँखें, कुछ तीखी सी मुखाकृति, नीला परिधान, ललाट पर छोटी सी नीले ही रंग की बिंदी, मानो वह गीत की लय पर ही केश संवार रही हो. पहले वह अपने लम्बे काले बालों को सामने बाएं कंधे पर लाती, फिर धीरे-धीरे उनमें कंघी फिराते हुए ऊपर से नीचे तक ले जाती, फिर हल्का सा झटका देकर उन्हें पीछे की ओर करती और दर्पण में विभिन्न कोणों से अपना प्रतिविम्ब निहारती. और तब ऐसा प्रतीत होता मानो कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो, बस फिर हल्का सा झटका और केश पुनः बाएं कंधे पर और पुनः वही सब कुछ.
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किन्तु एक-एक हाव-भाव, एक-एक क्रिया सब कुछ मानो उसी गीत की लय पर. कदाचित वह मन ही मन उसी गीत को गुनगुना भी रही थी. मैंने ध्यान से देखा, उसकी मुखाकृति गीत की लय के साथ परिवर्तित सी हो रही थी. सम्पूर्ण तन्मयता, मात्र गीत एवं केश.
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ठीक उसी पंक्ति के साथ उसने तनिक ग्रीवा लम्बी कर, भवें ऊपर उठाकर दर्पण में झांका, फिर धीरे से उसके अधर खिंचे, अभी दन्त-श्रंखला दृष्टिगोचर भी नहीं हुयी थी कि धीरे से लजाकर उसने अपनी बांयी हथेली से हंसी छुपाते हुए ग्रीवा नीचे झुकाई और मुख दूसरी ओर घुमा लिया.
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बस उस दृश्य को और देखने की क्षमता मुझमें नहीं थी. मैंने अपनी आँखें मूँद लीं. मन प्रसन्न तो था पर कुछ विचित्र से भाव आते थे, अपराध-बोध, या फिर ग्लानि, क्या कहूं उन्हें. गीत सुनायी तो देता था परन्तु कदाचित उसमें अब लय नहीं थी. गला शुष्क हो उठा था. तृप्त होकर भी मन स्वयं को कोसता था कि क्या अधिकार था मुझे उस निश्छल सौंदर्य को इस प्रकार छुप कर देखने का. मैं खड़ा हो गया और "ट्रिन-ट्रिन-ट्रिन", कई बार घंटी बजा दी.
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पिताजी के मित्र ने द्वार खोला. मैंने उत्सुकता वश तिर्यक दृष्टि से उनके पीछे देखा.
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वह वहाँ नहीं थी.
गीत समाप्त हो चुका था.
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-पंकज जौहरी.
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0145c08578bb1d8620b801c65921352a4e138ec3 | खरीफ सीजन शुरू होने में महज कुछ दिन बाकी हैं. ऐसे में किसान अपने-अपने खेतों को तैयार करने में लगे हुए हैं. खरीफ फसलों जैसे धान, सोयाबीन, अरहर, तिल, मक्का, उड़द, मूंग, मूंगफली आदि की बुवाई किसान इस मौसम में अधिक से अधिक करते हैं.
इसका मुख्य कारण बढ़ती खपत और मांग है. ऐसे में इस साल खरीफ सीजन शुरू होने से पहले किसान जमकर कृषि यंत्र की खरीद करते नजर आ रहे हैं.
किसानों का कहना है कि जिस तरह से विज्ञान का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है और उसका सीधा असर फसल के उपज और उसकी गुणवत्ता पर देखने को मिल रहा है. ऐसे में कृषि यंत्र उनके लिए बहुत जरुरी है.
रबी फसलों की कटाई जारी है. कटाई के बाद जब फसल मंडी में पहुँचती हैं, तो किसानों को अच्छा मुनाफा हाथ लगता है. उसी मुनाफे से किसान भाइयों ने कृषि यंत्र खरीद, खरीफ की खेती उन्नत तरीके से करने का मन बनाया है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में इस बार यह देखा जा रहा है कि किसान तेज़ी से कृषि यंत्र की खरीदी कर रहे हैं.
एमबी प्लाऊ (खेतों की तैयारी हेतु कृषि यंत्र)
खेतों की तैयारी करने का यह बिल्कुल सही समय है. ऐसे में किसान सबसे पहले अपने खेतों की जुताई कर मिट्टी को हल्का और भुरभुरा बनाते हैं, ताकि खेतों में लगे खरपतवार आसानी से निकल जाएँ और मिट्टी को जरुरी पोषक तत्व भी मिल सके. वहीँ इस साल खरीफ सीजन के लिए अपने खेतों को तैयार कर रहे किसानों ने इसके लिए एमबी प्लाऊ कृषि यन्त्र का सहारा लिया है.
यह कृषि यंत्र लोहे का बना होता है. इसमें नीचे लगा फाल (नुकीला लोहा) मिट्टी को काटता है साथ ही फाल से लगा लोहा मुड़े हुए प्लेट की मदद से मिट्टी को पलटने का काम करता है. यह आपको आसानी से बाजारों में मिल जाएगा, जिसकी मदद से आप भी अपने खेतों की जुताई समय रहते आसानी से कर सकते हैं.
कल्टीवेटर (Cultivator)
किसान अपने खेतों इस यंत्र का प्रयोग खेतों में जुताई के बाद मिट्टी के ढेलों को तोडऩे, मिट्टी भुरभुरी करने एवं खेत में सूखी घास, जड़ों को ऊपर लाने के लिए करते हैं. इससे पौधों को सही मात्रा में पोषक तत्व मिल पाता है और उपज के साथ-साथ गुणवत्ता भी अच्छी होती है. इस यंत्र का प्रयोग कतार युक्त फसलों में निराई हेतु भी किया जाता है. कल्टीवेटर के कई प्रकार बाजारों में मौजूद हैं जैसे स्प्रिंग टाइन कल्टीवेटर, रिजिड टाइन कल्टीवेटर इत्यादि.
हैरो (Harrow)
खेतों में जुताई के बाद मिट्टी को भुरभुरी एवं मिट्टी की नमी को सुरक्षित रखने के लिए किसान उथली जुताई करते हैं. इस विधि से मिट्टी को भुरभुरी और उसमे नमी बना रहता है. इस कार्य को करने के लिए हैरो उपकरण अत्यंत उपयोगी है. इतना ही नहीं हैरो घास फूस जड़ इत्यादि को भी खेत से साफ करने में किसानों की सहायता करता है. यह कृषि यंत्र दो प्रकार का है- तवेदार हैरो और ब्लैड हैरो.
रोटावेटर (Rotavator)
किसानों के बिच यह कृषि यंत्र काफी प्रचलित है. यह एक विशेष प्रकार का ट्रैक्टर से चलने वाला भारी एवं विशाल कृषि यंत्र है. इस यंत्र को ख़ास बनाता है इसमें लगा हुआ कई तरह का ब्लैड, जो मिट्टी को काटकर, ऊपर उठाकर और मिट्टी के अन्दर जाकर मिट्टी को पलटते हुए आगे बढ़ता चला जाता है. जिससे मिट्टी की जुताई और मिट्टी को भुरभुरा एक साथ बनाया जा सकता है.
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82d63d9e44cf8849c22b3ba34f7a191db6d683aa | विश्व अर्थव्यवस्था का विकास और प्रत्येक राज्य की अर्थव्यवस्था अलग-अलग, कुछ विशिष्टताओं की मांग उत्पन्न करती है। बाजार संबंध, जो तेजी से हमारे देश में गति प्राप्त कर रहे हैं, ने लेखांकन, विश्लेषण और लेखा परीक्षा की दिशा में प्रशिक्षण बहुत लोकप्रिय बना दिया है। लेकिन आज, इस पेशे में उच्च अपेक्षाएं हैं आइए हम इस विशेषता को अधिक विस्तार से देखें।
लेखा, विश्लेषण और लेखा परीक्षा किसी भी उद्यम या किसी कंपनी के लिए काम के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं उच्च स्तरीय विशेषज्ञों की मांग बहुत बड़ी है। इसलिए, इस क्षेत्र के पेशेवरों को लगभग किसी भी क्षेत्र में रोजगार मिल सकता है। लेकिन उन्हें इस गतिविधि में नवीनतम दिशाओं के अनुसार लेखांकन, विश्लेषण और लेखा परीक्षा की आवश्यकता है।
उच्च शैक्षिक संस्थाएं विशेषज्ञों को बाजार और आर्थिक संबंधों के कई क्षेत्रों में ज्ञान के बुनियादी सेट के साथ प्रशिक्षित करती हैं। यह लेखांकन के क्षेत्र में, सबसे पहले, लागू होता है। उद्यम की आर्थिक गतिविधियों के सही लेखा , स्थापित मानदंडों के अनुसार, उद्यम की परिसंपत्तियों का लेखाकरण करना, अन्य बाजार सहभागियों, निवेश और अधिक से अधिक दायित्व, प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
इसके अलावा, इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ को कंपनी के वित्तीय भाग की स्थिति और काम के परिणामों का विश्लेषण करने में सक्षम होना चाहिए और इसके आगे के विकास की भविष्यवाणी करना चाहिए। लेखांकन, विश्लेषण और लेखापरीक्षा की दिशा में छात्रों का प्रशिक्षण, लेखा के क्षेत्र में ज्ञान और दोनों के अंदर उद्यम के बाहर होता है और इसके बाहर।
किसी भी उद्यम के काम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा वित्तीय संबंध है। उनका मतलब न केवल पैसा है, बल्कि अन्य संगठनों के साथ संबंधों का भी श्रेय। इस मुद्दे को इस क्षेत्र की सभी बारीकियों को प्रकट करने के लिए व्यापक रूप से एक विशेषज्ञ को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया में माना जाता है।
बाजार संबंध अर्थव्यवस्था की सभी शाखाओं से संबंधित है। उनके तेजी से विकास के लिए प्रबंधन, विपणन और अन्य क्षेत्रों के क्षेत्र में ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसलिए, लेखांकन, विश्लेषण और लेखापरीक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञों की तैयारी करते समय, अर्थव्यवस्था में इन नए दिशा-निर्देशों का व्यापक रूप से अध्ययन किया जाता है।
इस दिशा में विभिन्न स्तरों के शैक्षिक संस्थानों के स्नातक लेखांकन और विश्लेषणात्मक कार्य में लगे हुए हैं। इसके अलावा, संपूर्ण प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त ज्ञान आपको ऑडिट और ऑडिट सेवाओं के क्षेत्र में काम करने की अनुमति देता है।
यह पेशे परामर्श, संगठनात्मक और प्रबंधकीय पदों और आदर्श और व्यवस्थित कार्य के क्षेत्र में मांग में है।
किसी भी मामले में, यह काम पैसे से जुड़ा है, विभिन्न संपत्तियां, आय और व्यय, साथ ही सुविधा की गतिविधि के परिणाम भी।
लेखांकन, विश्लेषण और लेखापरीक्षा के क्षेत्र में उच्च आवश्यकताओं के कारण, विशेषज्ञ को बाजार संबंधों को पूरी तरह से समझना चाहिए, दोनों ही अलग-अलग राज्यों और दुनिया में। उन्हें विश्व और रूसी अर्थव्यवस्था की संरचना को अवश्य पता होना चाहिए, वहां की प्रक्रियाओं को समझना। सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता लेखा और व्यवसाय प्रबंधन प्रणाली में ज्ञान की उपलब्धता है।
हम कह सकते हैं कि आज पाठ्यक्रम लेखा, विश्लेषण और लेखा परीक्षा के स्नातकों के लिए उच्च आवश्यकताएं हैं। इस विशेषता में अर्थव्यवस्था और बाजार संबंधों के सभी क्षेत्रों में कौशल की आवश्यकता होती है। केवल इस मामले में यह अत्यधिक भुगतान की नौकरी ढूंढना और इस क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल करना संभव है।
एक स्नातक किसी भी उद्यम के लेखा विभागों में किसी भी क्रेडिट संस्थान, बैंक, कोषागार और ऑफ-बजेट फंड, ऑडिट कंपनी में, नियंत्रण और ऑडिटिंग सेवा में काम कर सकता है।
फिलहाल इस पेशे की बहुत मांग है, लेकिन आपको अपने व्यवसाय में एक अच्छा विशेषज्ञ बनने की जरूरत है, जिसमें सभी आवश्यक ज्ञान और कौशल हैं।
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9fa5fc321a848ad151b7a517e31929845552147b | चाय पीना हम ज्यादातर भारतीयों का पहला शौक होता है। सबुह उठे तो चाय, थक गए तो चाय, घर में कोई आ गया तो चाय, यहां तक कि बाहर किसी से मिले तब भी चाय। हालांकि, चाय कई तरीके की हो सकती है, जैसे- दूध वाली चाय, ब्लैक टी, ग्रीन टी आदि। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाकी चाय के मुकाबले में मसाला चाय को काफी फायदेमंद माना गया है। खासकर ये चाय सर्दियों में तो हमारे शरीर के लिए सबसे ज्यादा लाभकारी हो सकती है। तो चलिए आपको मसाला चाय के उन फायदों के बारे में बताते हैं, जो इसे पीने के बाद हमारे शरीर को मिलते हैं।
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि इस मसाला टी के लिए कौन से मसाले जरूरी हैं, और ये बनती कैसे है। दरअसल, सबसे पहले गैस पर एक बर्तन में पानी चढ़ा लें, फिर उसमें चाय पत्ती डाल लें और इसके बाद तुलसी, लौंग, अदरक, इलायची, दालचीनी को एक साथ पीसकर मसाला बना लें, जिसे चाय में बनाते वक्त डालें। इसके बाद आप अपनी जरूरत के अनुसार इसमें दूध डाल सकते हैं या फिर नहीं भी। इस चाय को पीने के बाद आपको कई लाभकारी फायदे मिल सकते हैं। ये चाय सबसे पहले आपकी थकान दूर करती है।
मसाला चाय में मौजूद टैनिन शरीर की थकान को दूर करके राहत पहुंचाने में काफी मदद करता है। थकान के साथ ही शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन को कम करने में भी ये चाय काफी कारगर है। मसाला चाय में मौजूद लौंग और अदरक के गुण शरीर के दर्द को दूर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा ये चाय डायबिटीज में दूसरे प्रकार से फायदा पहुंचाने के लिए भी जानी जाती है। साथ ही ये चीनी की लालसा को भी कम करने में काफी मदद करती है। इसके लिए आपको हर रोज दो कप मसाला चाय पीनी चाहिए।
मसाला चाय कैंसर के खतरे को भी कम करने में काफी मददगार साबित हो सकती है। इसमें मौजूद अदरक, दालचीनी और इलायची में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोकेमिकल्स में कैंसर रोधक विशेषताएं होती हैं। ऐसे में अगर मसाला चाय का सेवन नियमित रूप से किया जाए, तो पेट में होने वाले कैंसर के खतरे को काफी कम किया जा सकता है। मसाला चाय पीने से ऑक्सीजन लेने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। चाय में जो मसाले उपयोग होते हैं, जैसे- अदरक, लौंग, दालचीनी, अदरक। इन सभी का नियमित सेवन पाचन और पैंक्रियाज में एंजाइम्स को स्टिमुलेट करता है, जिससे ऑक्सीजन लेने की क्षमता बढती है।
माहवारी से पहले होने वाले सिंड्रोम यानी पीएमएस के कारण जो दर्द होता है, इसमें मसाला चाय में पड़ने वाले अदरक और दालचीनी काफी मदद करते हैं। साथ ही ये हार्मोन में संतुलन बनाने में भी मदद करते हैं। ऐसे समय में अगर गर्म पानी के बैग से सिकाई करने से कोई राहत न मिले, तो मसाला चाय पीने से आराम मिल सकता है। इसके अलावा सर्दियों में खांसी-जुकाम होना तो आम बात है, लेकिन इसी से बुखार आने की शुरुआत भी होती है। ऐसे में सर्दी-जुकाम को रोकने में मसाला चाय काफी मदद कर सकती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोकेमिकल हमारी प्रतिक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
नोटः यह सलाह केवल आपको सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए दी गई है। आप किसी भी चीज का सेवन या कोई भी घरेलू उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
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af5c51085ec142f7c1f16dfa075d9d2ca0224752 | निजी अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती महिला की खून चढ़ाते ही हालत बिगड़ गई। तत्काल उसे कानपुर रेफर कर दिया गया। जहां ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। शव लेकर परिजन वापस नर्सिंग होम पहुंचे और जमकर हंगामा किया। कुछ लोगों के आने से मामले में समझौता हो गया और शव लेकर परिजन वापस गांव चले गए। तभी अस्पताल संचालक ताला लगाकर भाग निकला।
सदर कोतवाली के केशवपुर गांव निवासी छद्दिू की पत्नी लक्ष्मी को शुक्रवार शाम प्रसव पीड़ा हुई थी। जिसके बाद परिजनों ने उसे शहर के तांबेश्वर चौराहे के पास स्थित एक निजी अस्पताल में पहुंचाया था। जहां आपरेशन कर उसकी डिलीवरी की गई और खून की कमी होने की बात कही गई। डाक्टर के कहने पर परिजनों ने दो यूनिट ब्लड का इंतजाम किया। जैसे ही लक्ष्मी को खून चढ़ाया गया तो उसकी तबियत बिगड़ गई। तबियत बिगड़ने पर डाक्टर उसे जीटी रोड स्थित एक अस्पताल ले जाने को कहा लेकिन परिजन भड़क गए और हंगामा करना शुरू किया। सूचना पर पहुंची आबू नगर पुलिस के कहने पर परिजन उसे दूसरे अस्पताल ले गए लेकिन उसे भर्ती करने से मना कर दिया गया। परिजन उसे लेकर कानपुर चले गए, जहां ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। परिजन शव लेकर राम में ही नर्सिंग होम पहुंचे जहां जमकर हंगामा शुरू कर दिया।
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5f35c178ac147128d6308805507a8a4ac4f0c0aa | धर्म विश्वास प्रणाली का एक प्रकार है, लेकिन सभी विश्वास प्रणाली धर्म नहीं हैं। गैर-धार्मिक विश्वास प्रणालियों से धार्मिक को अलग करना कभी-कभी आसान होता है, लेकिन अन्य बार कठिन होता है, जैसा तर्कों के अनुसार लोगों द्वारा धर्म के रूप में योग्यता प्राप्त होती है। उन लक्षणों का एक सेट स्थापित करना जो धर्मों के चारों ओर मिलकर काम करते हैं, मदद कर सकते हैं, लेकिन यह हमेशा पर्याप्त नहीं होता है।
अंत में, कुछ मान्यताओं या विश्वास प्रणालियों को वर्गीकृत करना मुश्किल है।
धर्म शायद धर्म के साथ अक्सर भ्रमित होता है, भले ही धर्म स्वयं ही विश्वास प्रणाली के रूप में योग्य नहीं होता है, जबकि धर्म हमेशा करता है। दर्शन कभी-कभी धर्म से उलझन में पड़ता है क्योंकि दोनों विषयों में समान बुनियादी मुद्दों को शामिल किया जाता है। आध्यात्मिकता अक्सर धर्म होने के लिए गलत नहीं होती है - शायद क्योंकि धर्म ने एक बुरा नाम हासिल कर लिया है लेकिन लोग अभी भी मूलभूत सामान और विशेषताओं को बनाए रखना चाहते हैं।
यह समझना कि कैसे और क्यों धर्मवाद, दर्शन, आध्यात्मिकता, और अन्य मान्यताओं के समान और अलग हैं जो हम आम तौर पर सोचते हैं कि जब "धर्म" सोचता है कि केवल धर्म क्या है, यह समझने में बहुत मदद कर सकता है। कुछ लोग कहां धर्म की बाहरी सीमाएं झूठ बोलते हैं, जबकि अन्य हमें यह समझने में मदद करते हैं कि किस धर्म में आवश्यक रूप से शामिल है।
धर्म को अंधविश्वास से तुलना करने से शायद अधिकांश विश्वासियों को अपराध करना पड़ सकता है, लेकिन दोनों के बीच हाथ से खारिज होने की तुलना में बहुत अधिक समानताएं होती हैं।
माना जाता है कि हर धार्मिक आस्तिक अंधविश्वास नहीं है और कुछ अधार्मिक नास्तिक अंधविश्वासवादी हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है। दोनों प्रकृति की गैर-भौतिक समझ पर निर्भर करते हैं जो औसत व्यक्ति के साथ गहरे मनोवैज्ञानिक अनुनाद का प्रतीत होता है।
अधिकांश धार्मिक विश्वासियों ने इस विचार को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है कि धर्म और असामान्य मान्यताओं के बीच कोई संबंध है।
इसके विपरीत, बाहरी लोग तुरंत ध्यान देंगे कि ऐसी कई समानताएं हैं जिन्हें आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता है। असाधारण मान्यताओं को एक धर्म के समान नहीं हो सकता है, लेकिन कभी-कभी वे करीब आते हैं।
चूंकि अधिकांश धर्म धर्मवादी होते हैं, और धर्मवाद पश्चिम में सबसे बड़े धर्मों के लिए इतना महत्वपूर्ण है, कई लोगों ने भ्रमित विचार हासिल किया है कि धर्म स्वयं किसी भी तरह धर्म के समान ही है, इस प्रकार धर्मों में जो कुछ भी जाता है उसे अनदेखा कर रहा है (स्वयं सहित , विचित्र रूप से पर्याप्त)। यहां तक कि कुछ नास्तिक भी इस त्रुटि का शिकार हो गए हैं।
धर्म और धार्मिक शब्द स्पष्ट रूप से एक ही जड़ से आते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे हमेशा मूल रूप से एक ही बात का संदर्भ लेते हैं। हकीकत में, विशेषण धार्मिक धर्म के धर्म के मुकाबले व्यापक उपयोग होता है।
धर्म और दर्शन दोनों ही समान प्रश्नों को संबोधित करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे एक ही बात हैं। सबसे स्पष्ट रूप से, दर्शन देवताओं से चमत्कार या रहस्योद्घाटन पर निर्भर नहीं है, दार्शनिक आम अनुष्ठानों में शामिल नहीं होते हैं, और दर्शन इस बात पर जोर नहीं देते कि विश्वास पर विश्वास को स्वीकार करने की आवश्यकता है।
कल्पना करना लोकप्रिय हो गया है कि दैवीय या पवित्रः धर्म और आध्यात्मिकता से संबंधित दो अलग-अलग तरीकों के बीच एक कठिन और तेज़ अंतर है।
धर्म को सामाजिक, सार्वजनिक और संगठित माध्यमों का वर्णन करना चाहिए, जिसके द्वारा लोग पवित्र या दिव्य से संबंधित होते हैं, जबकि आध्यात्मिकता को निजी तौर पर होने पर ऐसे संबंधों का वर्णन करना होता है। सच्चाई यह है कि ऐसा भेद पूरी तरह मान्य नहीं है।
एनिमिसम क्या है?
एनिमेशन यह विश्वास है कि प्रकृति में सब कुछ अपनी आत्मा या दिव्यता है।
मूर्तिपूजा क्या है?
मूर्तिपूजा जातिवादी या बहुवादी हो सकता है, लेकिन यह विशिष्ट है कि यह मुख्य रूप से प्रकृति के माध्यम से भगवान या देवताओं से संबंधित है।
शमनवाद क्या है?
शमनवाद उत्तरी एशिया के कुछ लोगों का एक एनिमस्टिक धर्म है जिसमें दृश्यमान और भावनात्मक दुनिया के बीच मध्यस्थता शमन द्वारा प्रभावित होती है। "
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9c4f5079a2d39b91c2f97c8a471d04b7fe60accd | महिला रेसलर के बहाने मोदी सरकार पर डायरेक्ट हमलाजनता दल यूनाइटेड के महिला मोर्चा ने दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दे रहे महिला पहलवानों का समर्थन करते हुए कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई की मांग की है। जेडीयू की प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा, भारती मेहता और अनुप्रिया ने एक सुर में कहा कि देश को ओलंपिक में अनेकों मेडल दिलाकर सभी भारतीयों को गौरान्वित करने वाली बेटियां आज अपमानित हो रही हैं। जेडीए प्रवक्ता का कहना है कि पिछले कई दिनों से बीजेपी सांसद सह रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठी हुई है। लेकिन 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' के नारा देने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपने चहेते सांसद को बचाने के उद्देश्य से कोई करवाई नहीं कर रहे हैं।
महिला की गरिमा पर हाथ डालने वाले को मोदी सरकार दे रही संरक्षणः जेडीयूजेडीयू का कहना है कि सियासत और सत्ता का रसूख ऐसा है कि पुलिस कुछ भी नहीं कर सकती। ऐसी परिस्थिति इस देश में कभी नहीं थी। उत्पीड़न जैसा जघन्य आरोप महिलाओं के सम्माम से जुड़ा हुआ विषय है, लेकिन नरेंद्र मोदी को सत्ता के नशे में न देश के खिलाड़ी दिख रहे हैं और न महिलाओं की स्मिता। जेडीयू प्रवक्ता अंजुम आरा का कहना है कि नरेंद्र मोदी किस जुबान से महिलाओं की बात करते हैं? उन्होंने कहा कि महिलाओं की गरिमा एवं स्मिता पर हाथ डालने वालों को मोदी सरकार का संरक्षण मिल रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक साल में न ही तो जांच शुरू करने का आदेश दिए गये तथा न ही तो प्राथमीकी दर्ज की गई। भाजपा का आरोपी सांसद खुले में घूम रहा है।
न्यायालय के आदेश पर हुआ मामला दर्ज : जेडीयूजेडीयू प्रवक्ता अंजुम आरा का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार महिला खिलाड़ियों के प्रति संवेदनहीनता, अकर्मण्यता और अपराधियों के प्रति कृपा का भाव रखती है। जेडीयू ने कहा कि केंद्र सरकार के इस रवैया को देखकर सर्वोच्च न्यायालय ने मामलें में हस्तक्षेप कर दिल्ली पुलिस को ब्रजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश किया है। जदयू ने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए कहा कि बीजेपी के चहेते ब्रजभूषण शरण सिंह को दिल्ली पुलिस कब गिरफ्तार करेगी? इसके अलावा देश की पहलवान बेटियों का बिजली-पानी कटवाने के बजाय उन्हें तत्काल न्याय कब मिलेगा यह बताना चाहिए। जेडीयू का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार का यह नारा 'बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ' मात्र ढकोसला है। बल्कि उनकी असली नीति बेटियों के बारे में 'बेटी रुलाओ - बेटियों को धरने पर बैठाओ है।
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6900cf036fe53501c6b01421aa4a92cfea715595 | यमनी सेना और स्वयं सेवी बलों ने मआरिब में सऊदी- इमाराती गठबंधन के सैन्य कमान्डरों और सरग़नों की बैठक को निशाना बनाया जिसमें दर्जनों लोगों के मारे जाने और घायल होने की सूचना है।
फ़ार्स न्यूज़ एजेन्सी की रिपोर्ट के अनुसार यमनी सेना के एक जानकार सूत्र ने बताया कि मआरिब में सऊदी-इमाराती हमलावर गठबंधन के सैन्य कमान्डरों और सरग़नों की बैठक को मीज़ाइल से निशाना बनाया गया।
इस सैन्य सूत्र ने अलमयादीन चैनल से बात करते हुए कहा कि सैन्य कमान्डरों की यह बैठक मआरिब के तीसरे सैन्य क्षेत्र में हो रही थी जिस पर मीज़ाइल हमला किया गया।
सूत्र का कहना है कि यह मीज़ाइल हमला सटीक था और अपने लक्ष्य पर लगा जिसकी वजह से दर्जनों सैन्य कमान्डर और सरग़ने मारे गये हैं।
अभी तक इस हमले में मारे गये लोगों की सही संख्या सामने नहीं आई है।
इसी बीच यमनी सेना के एक सूत्र ने बताया कि देश की सेना और स्वयं सेवी बलों ने सरवाह प्रांत के ज़ूर क्षेत्र में यमन की त्यागपत्र दे चुकी सरकार के तत्वों के हमले को विफल बना दिया।
इस सूत्र का कहना है कि इस झड़प में मंसूर हादी के सैनिकों की कई गाड़ियां तबाह हो गयीं जबकि बड़ी संख्या में लड़ाके मारे गये और घायल हुए हैं। (AK)
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b545da1278292c7e5d92da15a5afeabb2dfd68bd | सावन का महीना शुरू होने वाला हैं, सावन माह शुरू होते ही मंदिरों में बम-भोले, जय शिव शंकर के जयकारे लगने लगते हैं। हर जगह भक्तिमय माहौल बना होता हैं और हर कोई शिव भक्ति में ही रमा हुआ दिखाई देता हैं, सावन के महीने में ही शिवभक्त हरिद्वार और नीलकंठ से कांवर में जल भर कर लाते हैं और भगवान शिव पर अर्पण कर देते हैं।
सावन के महीने में जो भक्त भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करता हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं पर ऐसा क्या हैं कि भगवान शिव को सावन का महीना पसंद हैं, दरअसल इसके पीछे की कथा पौराणिक समय से जुड़ी हुई हैं, आज के इस लेख में हम आपको यह बताएंगे कि क्यो भगवान शिव को सावन का महीना अति प्रिय हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती ने शिव शंकर को हर जन्म में सच्चे दिल से अपना वर मान लिया था, पर माता के पिता राजा दक्ष शिव शंकर को बिल्कुल पसंद नहीं करती थे। माता सती ने अपने घर में ही अपनी योगशक्ति से प्राणों का त्याग कर दिया था, तत्पश्चात माता सती ने अगला जन्म हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में लिया। इसके बाद उन्होंने भगवान भोलेनाथ को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और वो तपस्या उन्होंने सावन के महीने में ही करी थी, माता पार्वती की तपस्या से कैलाशपति बहुत प्रसन्न हुए और उनसे विवाह कर लिया।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था तो वो सावन के महीने में हुआ था और मंथन से निकले विष को भोलेनाथ ने पी लिया था और पूरी सृष्टि को बचा लिया था। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता हैं भगवान शिव पहली बार अपनी ससुराल सावन के महीने में ही आए थे जब से हर साल सावन के महीने में शिव शंकर धरती पर अपनी ससुराल अवश्य आते हैं। इसके अलावा ऋषि मरकण्डु के पुत्र मार्कण्डेय ने सावन के महीने में ही बहुत कठोर तपस्या करके शिवजी से वरदान प्राप्त किया था।
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा के अलावा बहुत से व्रत और पूजा भी की जाती हैं, शिव शंकर के भक्त सावन के सभी सोमवार का व्रत रखते हैं और मंदिर में बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं। सावन के महीने में मंगला गौरी और कोकिला व्रत भी रखा जाता हैं ये व्रत सुहागन महिलाओं के द्वारा किया जाता हैं और इन व्रतों को करने से मां पार्वती का आशीर्वाद मिलता हैं।
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9ceeb39853a3b587170b4b8325331112b6201d2e | की रात है जिनगी के लागे परछाई है) मिन्हाज की आप बीती सुनकर गांव वाले घराती बारातीयो की आंखे भर आयी उसी जगह बैठे सुजान गंज के ठाकुर चंद्रभान सिंह अपनी जगह से खड़े हुये और बोले गांव वाले आज से बीस वर्ष पूर्व मेरी बड़ी बेटी जब डेढ़ वर्ष की थी तब उसे चिता उठा ले गया था उन्हने तबलची मिर्ज़ा से पूछा कबे तबलची यह बाई जी तुम्हे कब और कहा मिली थी तबलची मिर्जा बड़े अदब से उठा और बोला मालिक आज से बीस वर्ष पहले मैं इधर उधर घुमा मांगा खाया करते थे क्योंकि मेरी मानसिक स्थिति ठीक ना होने के कारण मेरे घर वाले मुझे बोझ समझ कर घर से बाहर कर दिया एक दिन घूमते घूमते शाम को यहां से दस कोस दूर नारायणी नदी की रेता में भूख प्यास से अधमरा पड़ा रहा कि लगभग चार बजे भोर में एक चिता एक नन्ही बच्ची को अपबे जबड़े में दबाए बुरी तरह से घायल भागत भागत हमरे नजदीक आ गया मुझे जरा भी डर नही लगा क्योकि मेरी मानसिक स्थिति ठीक नही थी जो भी मेरे तन पर आधे अधूरे कपड़े थे उनमें से आधा फाड़ कर उस चीते के घायल पैर में बांधा चिता ने नन्ही बच्ची को छोड़ कर मेरे पास बैठ गया मुझे लगा वह नन्ही बच्ची मर चुकी है मगर जब मैं उसके पास गया तब उसमें हल्की आवाज़ आयी मैंने उसे उठाया पानी से उसके घाव धोए घायल चिता मुझे व बच्ची को बड़े ध्यान से देखरहा था सुबह सूरज निकल चुका था मगर उस सुन सान निर्जन रेत में एक तरफ चीता और दूसरी तरफ चेतना की पेट की भूख भय बिल्कुल नही बच्ची मेरे गोद मे बेसुध ऊपर से मंडराते गिद्ध अब था तो सिर्फ मौत का इंतज़ार तभी अचानक एक नाव किनारे आकर रुकी उसमें बैठा आदमी हाथ मे अकारी लिये आया बोला तुम कौन मैंने अपनी जानकारी के अनुसार उसको कुछ बताने की कोशिश की उसने जो भी समझा मुझे पता नही मगर उसने चीते को खाने के लिये मछली दिया और मुझे और चीते को नाव पर साथ लेकर अपने घर ले गया मेरे गोद से लिपटी अचेत पड़ी बच्ची के बारे मे बार बार पूछता मैँ कुछ भी बता सकने में असमर्थ था उस आदमी ने अपना नाम सज्जन मल्लाह बताया एक दो घंटे के नारायणी नदी का सफर तय करके हम लोग चीते के साथ सज्जन के घर पहुँचे जहाँ उसकी बूढ़ी माँ थी बूढ़ी माँ ने पहुंचते बच्ची को मेरे हाथ से लेकर उसका इलाज शुरू किया और सज्जन ने चीते का इलाज लगभग पंद्रह दिन में चीता स्वस्थ हो गया और नन्ही बच्ची भी स्वस्थ होने लगी लगभग तीन माह में बच्ची स्वस्थ हो गयी चीता स्वस्थ होते ही चला गया कभी कभार आता और चला जाता पता नही क्यों मेरी मानसिक स्थिति में सुधार होने लगा लेकिन एकाएक एक दिन सज्जन की नाव गहराई में पलट गई और वह भंवर में फंस कर डूब कर मर गया अब मैं बच्ची बूढ़ी माँ ही रह गयी सारे सहारे समाप्त हो चुके थे।बूढ़ी माँ सुकमा ने कहा मेरी सहेली बिधुनि शहर में रहती है बर्तन माज़ कर गुज़ारा करती हैं तब तक बच्ची तीन चार वर्ष की हो चुकी थी हम सुकमा और मिन्हाज शहर विधुनि को खोजते हुए एक साल में किसी तरह उसके पास पहुंचे मांग कर खाते जहाँ जगह मिलता सो जाते जब विधुनि से मुलाकात हुई उसके दो चार दिन बाद वह मुझे बच्ची को लेकर जहाँ बर्तन माज़ती थी ले गयी जहाँ मालिक मानस उनके बेटे बेटियाँ एव उनकी पत्नी शहर की मशहूर नृत्यांगना क्षमा रहती थी ।मालिक मानस ने मुझे नौकर रख लिया एव क्षमा ने मिन्हाज को नृत्य सिखलाना शुरू कर दिया बहुत जल्द ही मिन्हाज के पैर थिरकने लगे और लगभग दस वर्ष में मिन्हाज बहुत बढ़िया नृत्यांगना बन गयी इस बीच बूढ़ी माँ और बिधुनि दोनों का स्वर्गवास हो गया मैं और मिन्हाज ही बच गए। मुझे मिन्हाज की हुनर देखकर मन मे लालच आ गया और एक दिन मैं मिन्हाज को लेकर चुपके से भाग आया मिन्हाज नाचती देखने वालों की भीड़ एकत्र होती अब मैं पूरी तरह मानसिक स्वस्थ एव जवान हो चुका था एक दिन अपने गांव पहुँचा तो घर वाले देख कर बहुत खुश हुए और उन्होंने ही मंडली बनाकर विवाह आदि के अवसर पर नाचने गाने का कार्य करने के लिये प्रेरित किया एव सहयोग किया इसी तरह यहाँ तक पहुंचे है ठाकुर चंद्रभान सिंह की आंखों से अश्रु की धारा बह रह रही थी साथ ही साथ पूरे गांव वालों की आंखों में अश्रु धारा बह रही थी ठाकुर चंद्रभान सिंह जी ने अपनी पत्नी सुजाता को जनवासे में बुलाया सुजाता ने मिन्हाज को देखते ही पहचान लिया रोते हुए बोली माँ की कोख अपनी औलाद को किसी सूरत में नही भूल सकती है हॉ ठाकुर साहब मिन्हाज मेरी बेटी वही है जिसे चिता उठा ले गया था कड़ाके की सर्द की तीन बजे भोर में भी सम्पूर्ण जनवासे में ममत्व वात्सल्य के प्यार की वापसी के जज्बात की गर्मी से गर्म हो गया मिन्हाज को ठाकुर चंद्र भान सिंह सुजाता के गले लिपट गयी वातावरण में अजीब खामोशी थी नवविवाहित दूल्हे ने बड़े गर्व से मिन्हाज को अपनी पत्नी की बड़ी बहन के रूप में स्वीकार किया ख़ुशी से झूमने लगा बारात की तीसरे दिन पूरे गांव वालों ने बड़े गर्व से बिदाई दी मिन्हाज राष्ट्रीय स्तर की ख्याति प्राप्त नृत्यांगना बनी तबलजी मिर्ज़ा ठाकुर चंद्रभान सिंह जी का सेवक बन गया ठाकुर साहब ने भी मिर्ज़ा को अपने बेटे की तरह स्वीकार किया।।
कहानीकार --नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।
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7279c89ecd204192ad8ec4778c1cc69c9171e39d | बिलासपुर - चलैहली, रैहड़ा, मढ़ौना, हवाण, भदरौन, चुराड़ी, और त्रिफालघाट सड़क की हालत बहुत दयनीय हो चुकी है। इस सड़क की पिछले दो साल से मरम्मत ही नहीं की गई है। सड़क पर पड़े गड्ढों के कारण इस सड़क पर छोटे वाहन चलाना खतरे से खाली नहीं है। यह बात सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण एवं विकास मंच बिलासपुर के अध्यक्ष डा. केडी लखनपाल ने अपने जनसंपर्क अभियान के तहत चलैहली, हरलोग, हवाण और भदरौण क्षेत्रों का दौरा करने के उपरांत लोगों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखकर मौजूदा समय राजनेताओं में शिलान्यास और उद्घाटन करने में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि उन्हें बरसात के कारण खराब हुई सड़कों की सुध लेने तक का समय नहीं है। सदर विधानसभा क्षेत्र के सुझाइला में शिलान्यास पट्टिका लगाने में लोक निर्माण विभाग के अधिकारी और कर्मचारी दिन-रात एक किए हुए हैं, लेकिन इस सड़क पर पड़े गड्ढों को भरने की तरफ विभाग का कोई ध्यान नहीं है। क्षेत्र के विकास की ओर किसी भी जनप्रतिनिधि ने कोई ध्यान नहीं दिया। कोलडैम योजना के तहत स्टोरेज टैंकों का निर्माण किया जा चुका है, लेकिन आज तक इन टैंकों में इस योजना का पानी नहीं डाला गया है।
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b0d74345e44db620623304c8878c6e580e4bac71 | कभी करतारपुर में तहसील में टाइपिस्ट का काम करने वाले गुरप्रीत घुग्गी पहले फेमस कॉमेडियन बने और अब पॉलिटिशियन बन गए हैं। आज उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन की।
मीडिया को दिए साक्षात्कार में घुग्गी कहते हैं कि उनका जन्म जालंधर में हुआ। पढ़ाई के साथ-साथ वह करतारपुर तहसील में टाइपिस्ट का काम करते थे। पटवारी के पेपर दिए पर किस्मत ने साथ नहीं दिया। बैंक से लोन लेकर हार्डवेयर का काम शुरू किया लेकिन सफलता नहीं मिली।
घुग्गी कहते हैं कि जब वह स्कूल में पढ़ते थे तब से ही उन्होंने कॉमेडी करनी शुरू कर दी थी। मजाकिया स्वभाव और व्यंग्यात्मक क्षमता ने ही मुझे कॉमेडियन बना दिया। वैसे भी कॉमेडी किसी ट्रेनिंग से नहीं आती बल्कि खून में होती होती है। मैंने तो सोचा भी नहीं था कभी इस मुकाम तक पहुंच पाऊंगा।
फिल्मों में आने को गुरप्रीत घुग्गी किस्मत में लिखा मानते हैं। वे कहते हैं कि जी आया नूं पंजाबी फिल्म में ब्रेक उन्हें मनमोहन सिंह ने दिया। लोगों को काम पसंद आया, फिर एक के बाद फिल्में मिलती चली गईं और पंजाबी सिनेमा जगत में हास्य कलाकार के रूप में खास पहचान बनती गई।
गुरप्रीत घुग्गी और भगवंत मान शुरू से पक्के दोस्त रहे हैं। भगवंत मान जब राजनीति में आए थे, उस समय से कयास लगाए जा रहे थे कि गुरप्रीत घुग्गी भी आएंगे, लेकिन उस समय उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होने से इंकार कर दिया था, लेकिन ये कहा था कि यदि जनता चाहेगी तो वह राजनीति में आएंगे।
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1ef0d745f408af192c4c971f5087bd3c506d4079 | आगरा। निवर्तमान एसएसपी अमित पाठक के बाद अब वर्तमान में जिले के पुलिस कप्तान बबलू कुमार एक्शन में दिखाई दे रहे हैं। एसएसपी बबलू कुमार ने पुलिस की कार्यशैली बदलने का बीड़ा उठा लिया है।
दरअसल देखा जा रहा था कि जनपद आगरा में दूरदराज के थानों से आने वाले पीड़ित जब एसएसपी कार्यालय पर शिकायत लेकर आते थे तो शिकायत से संबंधित एसएसपी का आदेश दूरदराज के थानों में दो-तीन दिन बाद पहुंचता था। जिसको लेकर पीड़ित को खासी परेशानी उठानी पड़ती थी। बाह, पिनाहट, मंसूखपुरा, बासौनी, बसई अरेला, जगनेर फतेहपुर सीकरी एत्मादपुर, खंदौली और बरहन यह वह थाना क्षेत्र है जो जनपद आगरा की सीमा से लगे हुए हैं। यहां आने वाले पीड़ित अपनी समस्या सुनाने के लिए जब एसएसपी कार्यालय पर आते थे तो एसएसपी उनकी समस्या का निस्तारण के लिए थानेदारों को दिशा-निर्देश देते थे और लिखित में आदेश करते थे। एसएसपी का यही आदेश डाक द्वारा थाने तक पहुंचने में दो-तीन दिन तक का समय लगाता था जिसको लेकर पीड़ित को खासी परेशानी उठानी पड़ती थी।
पीड़ितों को खासी परेशानी ना उठानी पड़े। समस्या का तत्काल निस्तारण हो और थानेदार एक्शन में रहे। इसको लेकर बबलू कुमार ने आगरा जनपद में एक नई व्यवस्था लागू कर दी है। दूरदराज से आने वालों के प्रार्थना पत्र अब डाक के जरिए नहीं बल्कि सीधे एसएसपी के व्हाट्सएप के जरिए पहुंच रहे हैं । साथ ही साथ फोन से कप्तान कार्यालय से थानेदारों को अवगत कराने के दिशा निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं। यानी यह साफ कर दिया गया है कि पीड़ित की हर समस्या का समाधान तत्काल हो जो शासन के अनुरूप है।
अब इसका दूसरे मायने भी समझ लीजिए। दरअसल होता यह था कि जब जिले के पुलिस कप्तान थानेदारों को दिशा-निर्देश करते थे तो लिखित में आदेश करते थे। और एसएसपी का लिखित का यह आदेश दो-तीन दिन में जब थाने पर पहुंचता था तो थानेदार पीड़ित से झूठ भी बोलते थे और बता देते थे कि अभी कप्तान साहब का प्रार्थना पत्र नहीं आया है। मगर शायद अब बबलू कुमार के राज में थानेदार झूठ नहीं बोल पाएंगे। वहीं एसएसपी आगरा ने साफ कर दिया है कि जो भी प्रार्थना पत्र भेजा जा रहा है। वह सीधा थानेदार के व्हाट्सएप पर भेजा जा रहा है। यानी जहां पीड़ित को समस्या का तत्काल समाधान मिलेगा तो वही थानेदारों के झूठ पर भी लगाम लग सकेगी।
एसएसपी आगरा बबलू कुमार का यह फरमान पीड़ितों के लिए बेहद लाभदायक है। जितनी देर में पीड़ित कप्तान के कार्यालय से थाने तक नहीं पहुंच पा रहा है। इतनी देर में एसएसपी का आदेश सीधा थाने पर पहुंच रहा है और कार्यवाही घंटों की जगह मिनटों में देखी जा रही है।
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931e1ab70708ae1a65498bb01214ba7dab85fe09 | ऑप्टिकल इल्यूजन्स आपकी आंखों को धोखा देने के लिए ही बनाया जाता है।
यह एक तरह की तस्वीर होती है, जिसमें चीजें आपके सामने होती है लेकिन फिर भी आप उन्हें देख नहीं पाते।
एक्सपर्ट्स खुद इस तरह की एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं ताकि आप दिमागी तौर पर मजबूत बन सके।
अगर आप चीजों पर बारीक नजर रखते हैं तो ऐसा ही एक ऑप्टिकल हम आपके लिए लेकर आए हैं।
यह ऑप्टिकल इल्यूजन कुछ अलग है, यह एक तरह का पर्सनैलिटी टेस्ट है, जिससे पता चलता है कि आपका दिमाग कैसे काम करता है।
आपकी नजर जिस चेहरे पर पहले पड़ी, उससे आपके आंतरिक मन के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है।
इसमें आपको कुछ चेहरे दिख रहे होंगे। जिसमें एक मूंछों वाला व्यक्ति, नाचता हुआ एक जोड़ा, एक काम कर रही महिला और बिस्तर पर बैठा एक आदमी नजर आ रहे होंगे।
अगर आपकी नजर मूंछों वाले आदमी पर गईं, तो इसका मतलब है कि आप एक रचनात्मक इंसान हैं।
अगर ऑप्टिकल इल्यूजन में नाचता हुआ एक जोड़ा नजर आया, तो इसका मतलब आप काफी रोमांटिक हैं।
अगर इस ऑप्टिकल इल्यूजन में आपको एक महिला नजर आती है, तो इसका मतलब मुश्किल सवालों का जवाब आप आसानी से ढूंढ़ लेते हैं।
अगर आपको एक बूढ़ा आदमी बिस्तर पर बैठा नजर आया, तो इसका मतलब यह हुआ कि आप हर छोटी चीज के बारे में काफी ज्यादा सोचते हैं।
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2e40e5b52d0b5f07af9b6f9d24391f18bbbdf67c | भाई वीरेंद्र ने कहा कि महागठबंधन की सरकार भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर रही है। इस पर पत्रकारों ने पूछा कि जब पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह किसानों के हित में सवाल उठाने लगे तो उनसे इस्तीफा क्यों लिया?
बिहार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह पर राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि जब वो विधायक थे तब कुछ नहीं बोले लेकिन मंत्री बनते ही सरकार के खिलाफ बोलने लगे। कैमूर के दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को पहुंचे भाई वीरेंद्र पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।
भाई वीरेंद्र ने कहा कि महागठबंधन की सरकार भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर रही है। इस पर पत्रकारों ने पूछा कि जब पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह किसानों के हित में सवाल उठाने लगे तो उनसे इस्तीफा क्यों लिया गया? उन्होंने कहा कि मैं किसी का नाम लेना नहीं चाहता। जब विधायक थे तो आप कोई सवाल नहीं उठा रहे थे। मंत्रीमंडल में शामिल होते ही कौन सा सवाल उठाना शुरू कर दिए। यह सवाल तो मुख्यमंत्री से मिलकर भी कर सकते थे। लेकिन, कहीं न कही लगता है कि लोग दिशाहीन हो गए हैं और दिशा से भटकने का यह कारण है।
उन्होंने यह भी कहा कि कोई किसी से जबरदस्ती इस्तीफा नहीं लेता है। जो स्वेच्छा से देते हैं, मंत्रीमंडल उसे स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि सरकार में रहकर किसी को सरकार के विरुद्ध नहीं बोलना चाहिए। मर्यादा में हमको भी रहना है और सरकार के मंत्री को भी। अगर मर्यादा को पार कीजिएगा तो अपने आप विदा हो जना पड़ेगा।
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1b013d864bc701cb4045c07ea5e38bc5854ae7cb | औद्योगिकीकरण औद्योगीकरण की प्रक्रिया और परिणाम है। दूसरी ओर, यह क्रिया (औद्योगिकीकरण), यह दर्शाता है कि किसी औद्योगिक स्तर पर किसी वस्तु का उत्पादन किया जाना या किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में उद्योग को प्राथमिकता देना।
इसलिए आगे बढ़ने से पहले, हमें उद्योग के विचार पर ध्यान देना चाहिए। यह उन ऑपरेशनों का नाम है जो उत्पादों को प्राप्त करने, बदलने या परिवहन करने की अनुमति देते हैं । यह अवधारणा उस कारखाने या संयंत्र को भी संदर्भित करती है जो इन गतिविधियों और एक लिंग, एक क्षेत्र या एक देश के उद्योगों का योग है।
औद्योगीकरण की धारणा पर लौटते हुए, शब्द का उपयोग अक्सर बड़े पैमाने पर उत्पादन का उल्लेख करने के लिए किया जाता है। इस अर्थ में औद्योगिकीकरण होने के लिए, ऐसी मशीनरी होनी चाहिए जो इस प्रकार की कार्रवाई को सक्षम बनाती है।
एक आर्थिक प्रक्रिया के रूप में, औद्योगिकीकरण कारीगर या छोटे पैमाने पर उत्पादन की तुलना में अधिक धन उत्पन्न करता है। इसीलिए सबसे शक्तिशाली देश वे हैं जो औद्योगिक हैंः वे कम लागत पर कच्चा माल खरीदते हैं और औद्योगिक उत्पादों को अतिरिक्त मूल्य के साथ बेचते हैं।
एक सामान्य स्तर पर, प्रौद्योगिकी और विज्ञान की उन्नति के साथ औद्योगिकीकरण हुआ। थोड़ा-थोड़ा करके, मानव को औद्योगिक कार्यों को करने के लिए ग्रामीण गतिविधियों से दूर ले जाया गया, एक ऐसा विकास जिसने भारी महत्व के सामाजिक परिवर्तन उत्पन्न किए और जिसने पूंजीवाद के विकास का पक्ष लिया।
इसे औद्योगिक क्रांति कहा जाता है जो दुनिया में औद्योगीकरण की पहली महान प्रक्रिया है। यह परिवर्तन इंग्लैंड में अठारहवीं शताब्दी के अंतिम दशकों में शुरू हुआ और फिर यूरोपीय महाद्वीप और संयुक्त राज्य अमेरिका के अन्य देशों में विस्तारित हुआ, उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से पहले इसके अंत तक पहुंच गया।
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bc2789f497530e66f9cd4e666cedde72655b83c54ff13ce1430bccc8dc2c7d84 | करे । पेशवा न सही, ये राज्य के संरक्षक बने । मैं इन्हें आज समस्त प्रतिवन्धों से मुक्ति देता हूँ। ये राज्य में जो चाहें करें--- नानाः मुझे क्षमा करें तो में इतना और निवेदन करूंगा कि ये राज्य में जो चाहें करें, विदेशियों से संविर्या और अभिसंधियाँ न करें । आनन्दीः तुम्हारे काका ! जो उचित समझें करें, मैं तो गृह-स्वामिनी हूँ, राज्य-स्वामिनी नहीं ।
नाना : काकी ! यदि आप अनुकूल रहें तो काका
कूल हो जायगे । ग्राप वसंत श्री हैं, ये उपवन हैं। आप तरंग हैं, ये जल है । पर्थ हैं, ये शब्द है ।
काका : तुम यह क्या कह रहे हो ? आनन्दीः ठीक कह रहे हैं। इस सम्बन्ध में अधिक विवाद नहीं हो सकता । चिरंजीव माधव को बातें परिस्थितियों की दृष्टि से ठीक हैं । माधवः मैं आपसे क्या कहूँ, काका ! अपने हृदय की समस्त बातें काकी से निवेदन कर चुका हूँ । और इनका हृदय द्रवित भी हुम्रा है । यह संभव है कि मेरा कोई कार्य आपको कष्टकर हुआ हो । मैंने आपको युद्ध क्षेत्र में हराया - आपको बन्दी बनाया - यह आपको अच्छा न लगा हो किन्तु यह कार्य माधवराव पेशवा ने किया ---- आपके भतीजे माधव ने नहीं । माघव तो सदैव आपका सेवक है । महाराष्ट्र के हित में आप भी वही करते जो मैंने किया है । रघुनाथ : श्रीमंत पेशवा ! यदि में यह कहूँ कि महाराष्ट्र के लिए मैंने जितने युद्ध किए- अपने प्राण संकट में डाले - इन सबका प्रतिदान क्या मुझे यही मिलना चाहिए कि मैं बन्दी बनाया जाऊँ ? माधवः काका ! आप मुझे क्षमा करें, यदि मैं कहूँ कि ये सब युद्ध आपने अपने अधिकार के लिये किये । और यदि महाराष्ट्र के लिए किये तो आप इसका प्रतिदान क्या चाहते हैं ! पुत्र अपने पिता की सेवा करता है तो क्या इसलिए कि पिता उस सेवा का मूल्य | pdf |
1e56018d6d9644df2f3d8b05ba54b1c58b0da2d5 | सशस्त्र बलों में प्रवेश करने से पहले डीयूके (स्वयंसेवक यूक्रेनी कोर) की उन्नत इकाइयों की तैयारी के संबंध में, दुश्मन के साथ सीधे संपर्क की रेखा पर हमारे लड़ाकू नहीं हैं।
पहले यह बताया गया था कि "राइट सेक्टर" के उग्रवादियों - रूस द्वारा चरमपंथी के रूप में मान्यता प्राप्त एक संगठन - यूक्रेन के सशस्त्र बलों का हिस्सा होगा, और स्वायत्त बन जाएगा। यूक्रेनी सांसदों के नेता यरोश को सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ में एक पद के लिए नियुक्त किया जाता है, और इस पद को जनरल स्टाफ मुजेंको के प्रमुख के सीधे जमा करने से हटा दिया गया है।
कानून प्रवर्तन अधिकारियों की प्रेस सेवा की रिपोर्टों के आधार पर, यह स्पष्ट हो जाता है कि अधिकार क्षेत्र की इकाइयां तुरंत एएफयू इकाइयों की संख्या में स्थानांतरित होने के तुरंत बाद डोनबास में वापस आ सकती हैं।
यह तथ्य कि पीएस आतंकवादी यूक्रेन के सशस्त्र बलों के सैनिकों के रूप में पहचाने जाते हैं, साथ ही साथ यरोश के सशस्त्र बलों के कमांड स्टाफ में यूक्रेन के सशस्त्र बल का परिचय देते हैं कि वर्तमान यूक्रेनी सरकार सभी धारियों के कट्टरपंथियों की तलाश कर रही है और मिन्स्क समझौतों के पत्रों का पालन करने का इरादा नहीं रखती है, जो जरूरत को पूरा करती हैं। संरचनाओं। अब कीव अवैध सशस्त्र समूहों को "कानूनी" बनाता है।
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188b3d26b16e03086673b1d2a2e8cd71de8e7545bf4f07559996811b1a964759 | को स्वर्ग मे या नरक में बिठा देता है। स्वर्ग या नरक में जाने की कुंजी भगवान् ने हमारे ही हाथ मे दे रखी है ? उसे सीधी या टेढ़ी घुमाना हमारे हाथ है। मनुष्य की सुगति व दुर्गति उसके भले बुरे संकल्पो, विचारो पर ही सर्वथा निर्भर है। पापमय विचारो से वह पापात्मा और पुण्यमयी विचारों से वह निःसदेह पुण्यात्मा बन जाता है। उच्च व पवित्र विचारो से, कितना ही पतित मनष्य क्यो न हो वह भी उच्चातिउच्च पवित्रात्मा वन सकता है। परन्तु भगवान् कहते हैं "उससे बुद्धि का निश्चय पूरा होना चाहिये।" अर्थात् ऐसा पुरुष फिर पाप कर्म नही कर सकता "विश्वासो फलदायकः, ।" यह भगवान का वचन है। जितना विश्वास अधिक होगा उतना उसका फल भी अधिक होता है । महापुरुषों का विश्वास इतना प्रवल और अनन्य होता है कि वे पानी का घी और वालू की चीनी तक बना सकते हैं। ऐसा ही अनन्य विश्वास हमारा भी होना चाहिये। "संशयात्मा विनश्यति ' - संशयी पुरुष का नाश होता है। अतः निःसंदेह भाव से संकल्प करने पर हमारा अवश्य ही उद्धार होगा, इसमे कोई आश्चर्य नही है। सच पूछिये तो कुकल्पना ही शैतान है। अतः जिसको तरना हो उसे चाहिये कि हठ पूर्वक कुबुद्धि को, कुविचारो को त्याग कर सुबुद्धि को धारण करे और आज ही से, इसी समय से पवित्र विचारो को शुरू कर दे । निःसन्देह अपरिमित कल्याण होगा । अतः निद्रा के पूर्व रोज पाव घण्टा अवश्य पवित्र संकल्प किया करो। इससे सब कुस्वप्नों का नाश होकर, तुममे एक अद्भुत दैवी शक्ति प्रकट होगी और तुम्हारे सम्पूर्ण मनोरथ सिद्ध होगे । "पुरुषप्रयत्नशीलस्य प्रसाध्यं नास्ति'" - मनुष्य के उचित प्रयत्न करने पर प्रसाध्य कुछ भी नही है । आज
सादी रहन सहन
भीतर सो मैलो हियो, बाहर रूप अनेक । नारायण तासों भलो, कौवा तन मन एक ।
खुद "न-खरा" शब्द ही मनुष्य की खोटी चाल को साबित कर रहा है। विशेष सज धज करना, ऊँचे ऊँचे और रङ्गबिरगे भड़कीले व कामोत्तेजक कपड़े पहनना, अपने हाथ अपने गले मे मालाये पहनना, श्रङ्गमे और बालो मे सुगन्धित तैल, इत्र आदि लगाना, नेक्टाई, कालर, रिस्टवाच से अपने को संवारना, बार बार शीशे में सूरत देखना, पान से मुँह लाल करना, ये सब ब्रह्मचर्य के लिये काल समान हैं। परन्तु शोक की बात है कि कई सयाने माता पिता खुद अपने ही हाथ से, अपने बच्चो का इन विषय प्रवृत्तिकर बातो मे फंसा रहे और इस प्रकार अपने बच्चो को बिगाड़ रहे है । भत्ता ऐसे लोग विषय को कैसे जीत सकते हैं ? "वहत कबीर सुनो भाई साघो ये क्या लड़ेंगे रण में ?" यदि हमारे इर्द गिर्द शृङ्गारपूर्ण सामग्री न हो तो आत्मसंयम के कामो में बहुत ही सहायता मिल सकती है और हम बड़ी आसानी से प्रात्मसंयम कर सकते हैं। पास में खाने के लिये होने पर जैसे बराबर झूठी ही भूख लगती है, वैसे ही विलासी वस्तुओं और व्यक्तियों से घिरे रहने पर मन में काम भी बराबर जाग उठता है। ऐसा करना प्रसंशयतः अपने भले मन को और भी बिगाड़ना है, श्राग मे तेल डालना है, और वास्तव में यह भी एक प्रकारका छिपा कुरूंग है। अतः इन सब भोग विलास को बातों से सदैव दूर रहो। सादी रहन-सहन अथवा भोग-विलास से विरक्ति ही ब्रह्मचर्य रक्षा का सहज उपाय है। सादगी हो
जीवन है और सजावट ही नाश है, यह तत्वपूर्ण रीति से ध्यान में रखो।
सत्संगत्वे निःसंगत्वं निःसंगत्वे निर्माहत्वम् । निर्मोहत्वे निश्चलतत्त्वं निश्चलतत्त्वे जीवन्मुक्तः ॥ - श्रीमच्छङ्कराये ।
"सत्संग से निःऩग ( Non attachmont ) की प्राप्ति होती. है, निःसङ्ग से निर्माहत्व अर्थात् विषय से अप्रीति बढ़ती है, निर्मोह से सत्य का पूरा ज्ञान व निश्चय होता है और सत्तत्व निश्चल ज्ञान से मनुष्य जीवन्मुक्त होता है अर्थात् इस संसार से तर जाता है।"
नियम चौथावक्तव्य-संसार में 'आत्मोन्नति के लिये जितने साधन है इन सघ में सतसंग सच में श्रेष्ठ उपाय है। 'सत्सङ्ग यह शब्द अत्यन्त महत्व का है। सत्सङ्ग में संसार की तमाम उन्नतिकर बातो का समावेश होता है। जैसे पवित्र व ऊँचे विचार करना पवित्र स्वदेशी खद्दर पहनना आदि धनन्त वातो का समावेश होता है और 'कुसंग' में संसार की तमाम स्व-पर-नाशकारी बातों का समावेश होता है। सत्सङ्ग से मनुष्य देवता बनता है और कुसङ्ग से मनुष्य राक्षस बन जाता है। भक्त तुलसीदास जीपूछते " को न कुसङ्गति पाय नसाई ?" सच है, कुसङ्ग से आन
तक बड़े बड़े शीलवान् गुणवान, और होनहार वालक-बालिकाएँ तथा स्त्री पुरुष धूल में मिल गये हैं । कुसंङ्ग का प्लेग महान् भयानक होता है। जगली जानवर का या काले साँप का भी साथ बहुत अच्छा है, उससे मनुष्य की केवल मृत्यु ही होगी। परन्तु दुर्जन का संग महान दुर्गतिकर है, वह मनुष्य को नीच योनियों मे व नरक मे ही डालने वाला है । पन्डित विष्णुशर्मा कहते हैं"वर प्राणत्यागो न पुनरधमाना सुपगमः ।"
"प्राण त्याग देना अच्छा है परन्तु नीचों के पास जाना तक बुरा है।" "जैसा संग वैसा रंग" यही प्रकृति का कायदा है। ध्रुवां के संग से सफेद मकान भी काला पड़ जाता है। लता में का कीड़ा लता ही के तुल्य हरा बन जाता है। वैसे ही दुर्जन के साथ मनुष्य भी दुर्जन वन जाता है और सज्जन के साथ सज्जन "कामो के संग काम जागे" "कायर के सग शूर भागे पै भागेक "काजर की कोठरी मे कैसोहू समाने घुसो, एक रेखा काजर की लागे पै लागे ।" कवि का यह कथन अक्षरशः सत्य है। नीच पुरुष अपनेही तुल्य अपने मित्रों को भी नीच, पापी और दुरात्मा बना डालते हैं और सत्पुरुष अपने ही जैसे अपने मित्रों को भी पुन्यात्मा महात्मा बना देते हैं।
सत्संग की महिमा अपरम्पार है । सत्संग से मनुष्य को मोत की प्राप्ति होती है और कुसंग से नरक की प्राप्ति होती है। सत्संग की महिमा और कुसंग की अघमता किसी से छिपी नहीं है। कुसंग से मनुष्य जीते जी ही नरक का सा अनुभव करने लग जाते हैं । इसी कारण से
गोस्वामी जी कहते हैं- "बरु भव वास नरक कर ताता, दुष्ट संग जनि देहि विधाता ।" अतः कल्याण चाहने वालों को कुसंग को एकदम प्रतिज्ञापूर्वक त्याग देना चाहिए और सत्संग को प्रयत्नपूर्वक प्राप्त करना चाहिए । कुमित्रों से मित्ररहित रहना ही लाख गुना श्रेष्ठ है, क्योकि कुसंग से धर्म, अर्थ काम और मोक्ष चारों मटियामेट हो जाते हैं और अन्त में महान् अधोगति होती है। परन्तु सत्संग से चारो पुरपार्थ अनायास सघ जाते हैं। याद रखो, राजपाट, गज, चाजि, धन, स्त्री, पुत्रादि सव कुछ मिलेंगे, परन्तु सत्संग मिलना परम दुर्लभ है। "बिन सत्संग विवेकन होई, राम कृपा विन सुलभ न सोई । "' - यह गोस्वामी जी का वचन अक्षरशः सत्य है ! मोक्ष के सव साधन एक तरफ और सत्संग एक तरफ, दोनो में सत्संग का ही दर्जा वहुत ऊँचा है।
"तात स्वर्ग अपवर्ग सुख, धरिय तुला इक अंग " तुलै न ताहि सकल मिलि, जो सुख लव सत्संग । सच है 'सठ सुधरहि सतसंगति पाई" कैसे ? तो कैसे "पारस परसि कुधातु सुदाई ।" यह नितान्त सत्य है कि 'सम्पूर्ण दुराचार और व्यभिचार की जड़ एकमात्र कुसंगति ही है। अतः ब्रह्मचारियों को तथा अभ्युदयेच्छुको को चाहिए कि कभी भी जीभ से बुरी बात न कहें, कान से बुरी बात न सुने (कैसे कजली, होली को गालियां व भद्दे भद्दे गीत आदि) श्रींख से बुरी चीज न देखें (जैसे नाटक, तमाशा सिनेमा, नाचवाली रामलीला, भद्दे चीज इत्यादि) पैर से बुरी जगह न जायें, हाथ से बुरी चीज न छुवें और मन से विषय-चिन्तन हरगिज न करें। बल्कि कुभावों को | pdf |
afcfb1bb9cf2a58b0cb0e49080aad23686809879 | अलवर न्यूजः बहरोड़ के उद्यमियाें ने बिजली बिल में फ्यूज सरचार्ज को लेकर विरोध किया है। जिसको लेकर गुरुवार को लघु उद्योग भारती की ओर से मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार दिनेश कुमार यादव को ज्ञापन दिया।
जिसमें बताया गया कि बिजली के बिलों में अडानी पाॅवर को गलत मुआवजे का भार उद्योगों पर नहीं डाला जाना चाहिए। उद्योग पहले से ही विकट परिस्थितियों में चल रहे हैं। बकाया वसूली को लेकर उद्योग यह राशि जमा कराने की स्थिति में बिल्कुल नहीं है। सरचार्ज को वसूल किया जाना तत्काल प्रभाव से बंद किया जाना चाहिए। यह फैसला लघु उद्योगों के पक्ष में गलत है, लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष केके यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में उन्हें अवगत करवाया गया है कि दूसरे राज्यों की तुलना में राजस्थान में बिजली की दर सबसे अधिक है, बार-बार फ्यूल सरचार्ज की वसूली के कारण फैक्ट्री अन्य राज्यों में पलायन की ओर अग्रसर हैं। ऐसे में उद्योग धंधे बंद होने के कगार पर हैं। जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो सकते हैं, वहीं सरकार को भी राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि यदि इस गंभीर विषय पर निर्णय नहीं लिया गया तो सरकार के आदेश के विरुद्ध धरना प्रदर्शन एवं सक्षम न्यायालय की शरण लेने को मजबूर होना पड़ेगा। ज्ञापन देने के दौरान लघु उद्योग भारती के वरिष्ठ उपाध्यक्ष किशनलाल अग्रवाल, महासचिव देवेंद्र यादव, महासचिव कृष्ण अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य विरेंद्र प्रजापति, अपिल यादव, सुनील यादव, मनोज अग्रवाल, दिनेश अग्रवाल, सुरेश सैनी मौजूद रहे।
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9bda2c3c87becd7a39bde5765e3e0fd7ab6233cb771899876a2388f00c642b62 | उत्सवमें सम्मिलित हुई थीं । महाराजने उन समस्त । प्रकट होकर मुझे प्रत्यक्ष दर्शन न दें। समागत अतिथियोंके लिये ठहरनेके स्थान, शय्या, यों कहकर राजाओंमें श्रेष्ठ इन्द्रद्युम्नने बहुत सा
भाँति-भाँतिके भोज्य पदार्थ, महीन चावल, ईखका सुवर्ण, करोड़ोंके आभूषण, लाखों हाथी-घोड़े, रस और गोरस आदि प्रदान किये । उस महायज्ञमें जो भी श्रेष्ठ ब्राह्मण पधारे, उन सबको राजाने स्वागतपूर्वक ग्रहण किया। महातेजस्वी नरेशने दम्भ छोड़कर स्वयं ही सब ब्राह्मणोंका सब तरहसे स्वागत-सत्कार किया। तत्पश्चात् शिल्पियोंने अपनी शिल्प-रचनाका कार्य पूरा करके राजाको यज्ञमण्डप तैयार हो जानेकी सूचना दी। यह सुनकर मन्त्रियोंसहित राजा बहुत प्रसन्न हुए। उनके शरीरमें रोमाञ्च हो आया। यज्ञमण्डप तैयार हो जानेपर महाराजने ब्राह्मण भोजनका कार्य आरम्भ कराया। प्रतिदिन जब एक लाख ब्राह्मण भोजन कर लेते, तब बारंबार मेघगर्जनाके समान गम्भीर स्वरमें दुन्दुभिकी ध्वनि होने लगती थी। इस प्रकार राजाके यज्ञकी वृद्धि होने लगी। उसमें अन्नका इतना दान किया गया, जिसकी कहीं
उपमा नहीं थी। लोगोंने देखा वहाँ दूध, दही और अरबों बैल तथा सुवर्णमय सींगोंवाली दुधारू घीकी नदियाँ बह रही हैं । भिन्न-भिन्न जनपदोंके गौएँ, जिनके साथ काँसेके दुग्धपात्र थे, वेदवेत्ता साथ समूचे जम्बूद्वीपके लोग वहाँ जुटे थे। वहाँ ब्राह्मणोंको दान किये। इसके सिवा बहुमूल्य वस्त्र, कितने ही सहस्र पुरुष बहुत से पात्र लेकर । हरिणके बालोंसे बने हुए बिछौने, मूँगा, मणि तथा इधर-उधरसे एकत्र हुए थे। राजाके अनुगामी हीरा, पुखराज, माणिक और मोती आदि भाँतिपुरुष ब्राह्मणोंको तरह-तरहके अनुपान और राजाओंके । भाँतिके रत्न भी दिये । उस अश्वमेध यज्ञमें याचकों उपभोगमें आनेवाले भोज्य पदार्थ परोसते थे । और ब्राह्मणोंको भाँति-भाँतिके भक्ष्य-भोज्य पदार्थ यज्ञमें आये हुए वेदवेत्ता ब्राह्मणों तथा राजाओंका प्रदान किये गये । मीठे पूर्व तथा स्वादिष्ट अन्न महाराजने पूर्ण स्वागत-सत्कार किया। इसके बाद सब जीवोंकी तृप्तिके लिये बारंबार दिये जाते थे। उन्होंने राजकुमारोंसे कहा। वहाँ दिये गये तथा दिये जानेवाले धनका कभी राजा बोले - राजपुत्रो ! अब समस्त शुभ अन्त नहीं होता था। इस प्रकार उस महायज्ञको लक्षणोंसे युक्त श्रेष्ठ अश्व ले आओ और उसे देखकर देवता, दैत्य, चारण, गन्धर्व, अप्सरा, समूची पृथ्वीपर घुमाओ । विद्वान् और धर्मात्मा । सिद्ध, ऋषि और प्रजापति - सब के सब बड़े ब्राह्मण यहाँ होम करें और यह यज्ञ उस समयतक विस्मयमें पड़ गये । उस श्रेष्ठ यज्ञकी सफलता चालू रहे, जबतक कि भगवान् इसके समीप । देख पुरोहित, मन्त्री तथा राजा - सबको बड़ी
* राजा इन्द्रद्युम्नके द्वारा भगवान् श्रीविष्णुकी स्तुति
प्रसन्नता हुई। वहाँ कोई भी मनुष्य मलिन, दीन । दंशन, ग्रहपीड़ा अथवा विषका कष्ट नहीं हुआ। अथवा भूखा नहीं रहा। उस यज्ञमें किसी प्रकारका । इस प्रकार राजाने अश्वमेध-यज्ञ तथा पुरुषोत्तमप्रासादउपद्रव, ग्लानि, आधि, व्याधि, अकाल मृत्यु, निर्माणका कार्य विधिपूर्वक पूर्ण किया ।
राजा इन्द्रद्युम्नके द्वारा भगवान् श्रीविष्णुकी स्तुति
ब्रह्माजी कहते हैं - अश्वमेध यज्ञके अनुष्ठान । मृत्युरूपी संसार - सागरसे मेरा उद्धार कीजिये । और प्रासाद-निर्माणका कार्य पूर्ण हो जानेपर राजा पुरुषोत्तम ! आपका स्वरूप निर्मल आकाशके इन्द्रद्युम्नके मनमें दिन-रात प्रतिमाके लिये चिन्ता । समान है। आपको नमस्कार है। सबको अपनी रहने लगी । वे सोचने लगे- कौन-सा उपाय करूँ, ओर खींचनेवाले संकर्षण! आपको प्रणाम है। जिससे सृष्टि, पालन और संहार करनेवाले लोकपावन धरणीधर ! आप मेरी रक्षा कीजिये । हेमगर्भ भगवान् पुरुषोत्तमका मुझे दर्शन हो । इसी चिन्तामें । (शालग्रामशिला) की - सी आभावाले प्रभो! आपको निमग्न रहनेके कारण उन्हें न रातमें नींद आती न नमस्कार है। मकरध्वज ! आपको प्रणाम है। दिनमें। वे न तो भाँति-भाँतिके भोग भोगते और रतिकान्त ! आपको नमस्कार है। शम्बरासुरका न स्नान एवं शृङ्गार ही करते थे । वाद्य, सुगन्ध, संहार करनेवाले प्रद्युम्न ! आप मेरी रक्षा कीजिये । संगीत, अङ्गराग, इन्द्रनील, महानील, पद्मराग, भगवन् ! आपका श्रीअङ्ग अञ्जनके समान श्याम सोना, चाँदी, हीरा, स्फटिक आदि मणियाँ, राग, है । भक्तवत्सल ! आपको नमस्कार है। अनिरुद्ध ! अर्थ, काम, वन्य पदार्थ अथवा दिव्य वस्तुओंसे आपको प्रणाम है । आप मेरी रक्षा करें और भी उनके मनको संतोष नहीं होता था । पत्थर, वरदायक बनें । सम्पूर्ण देवताओंके निवासस्थान ! मिट्टी और लकड़ीमेंसे इस पृथ्वीपर सर्वोत्तम वस्तु आपको नमस्कार है। देवप्रिय ! आपको प्रणाम कौन है ? किससे भगवान् विष्णुकी प्रतिमाका है । नारायण ! आपको नमस्कार है। आप मुझ निर्माण ठीक हो सकता है ? इस प्रकारकी चिन्तामें शरणागतकी रक्षा कीजिये । बलवानों में श्रेष्ठ बलराम ! पड़े-पड़े उन्होंने पाञ्चरात्रकी विधिसे भगवान् आपको प्रणाम है । लाङ्गलायुध ! आपको नमस्कार पुरुषोत्तमका पूजन किया और अन्तमें इस प्रकार है । चतुर्मुख ! जगद्धाम ! प्रपितामह ! मेरी रक्षा स्तवन आरम्भ कियाकीजिये । नील मेघके समान आभावाले घनश्याम ! 'वासुदेव! आपको नमस्कार है। आप मोक्षके आपको नमस्कार है । देवपूजित परमेश्वर! आपको कारण हैं। आपको मेरा नमस्कार है । सम्पूर्ण प्रणाम है। सर्वव्यापी जगन्नाथ! मैं भवसागरमें लोकोंके स्वामी परमेश्वर ! आप इस जन्म- डूबा हुआ हूँ, मेरा उद्धार कीजिये । *
'वासुदेव नमस्तेऽस्तु नमस्ते निर्मलाम्बरसंकाश
नमस्ते हेमगर्भाय
नमस्तेऽञ्जनसंकाश नमस्ते
नमस्ते विबुधावास नमस्ते नमस्ते बलिनां श्रेष्ठ नमस्ते नमस्ते नीलमेघाभ नमस्ते
मोक्षकारण । त्राहि मां सर्वलोकेश जन्मसंसारसागरात् ॥ पुरुषोत्तम । संकर्षण नमस्तेऽस्तु त्राहि मां धरणीधर ॥ मकरध्वज । रतिकान्त नमस्तेऽस्तु त्राहि मां शम्बरान्तक ।। भक्तवत्सल। अनिरुद्ध नमस्तेऽस्तु त्राहि मां वरदो भव ॥ विबुधप्रिय । नारायण नमस्तेऽस्तु त्राहि मां शरणागतम् ॥ लाङ्गलायुध । चतुर्मुख जगद्धाम त्राहि मां प्रपितामह ॥ त्रिदशाचित । त्राहि विष्णो जगन्नाथ मग्नं मां भवसागरे । | pdf |
8c755ac02545d6124d63296ae7a3161cb2db2d8f | भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की खूबसूरत एक्ट्रेस अक्षरा सिंह (Akshara Singh) का नया वीडियो सॉन्ग (Akshara Singh Song Jhulaniya)सोशल मीडिया पर धमाल मचा दिया है. इस गाने में एक्ट्रेस अक्षरा सिंह की अदाएं देखकर घायल हो रहे हैं. दरअसल, इस गाने में एक्ट्रेस अक्षरा सिंह की अदाएं देखने लायक हैं. गाने में जो उन्होंने ड्रेस पहना है वह फैंस को घायल कर दे रहा है. इसके साथ ही उनकी खूबसूरती तो लाजवाब है ही.
इस सॉन्ग का कुछ अंश अक्षरा सिंह ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी पोस्ट किया है. अक्षरा सिंह के चाहने वालों ने यहां पर भी उन पर अपना प्यार लुटा रहे हैं. इंस्टाग्राम अकाउंट पर रेड हार्ट की बौछार हो रही है. अक्षरा सिंह खूबसूरत शॉर्ट नाइटी में गाने में अपनी अदाएं बिखेर रही हैं. उनके साथ करण खन्ना उनकी रोमांटिक अदाओं के सामने बिलकुल बेबस हो गए हैं. गाने की खास बात ये है कि इसे गाया भी खुद अक्षरा सिंह ने औक डांस भी उन्होंने ही किया है. गाना शेयर करते हुए अक्षरा सिंह ने फैन्स से पूछा भी है कि उनकी ये नई कोशिश फैंस को कितनी पसंद आई है. कैप्शन में अक्षरा सिंह ने लिखा है कि मेरा नया गाना झुलनिया रिलीज हो गया है. फैन्स इसे देखें और बताएं कि उन्हें ये नई कोशिश कैसी लगी. इसके साथ ही अक्षरा सिंह ने फैंस से ज्यादा से ज्यादा रील्स बनाने की भी अपील की है.
अक्षरा सिंह और करण खन्ना का ये सॉन्ग रोमांटिक सॉन्ग है. यह गाना भोजपुरी टी सीरीज पर रिलीज हुआ है. इस गाने को हर प्लेटफॉर्म पर जी भर कर प्यार मिल रहा है. अक्षरा सिंह के अंदाज के साथ साथ उनकी आवाज पर भी फैन्स अब लट्टू हो रहे हैं. फैन्स जम कर हार्ट और फायर वाले इमोजी शेयर कर अपना प्यार दिखा रहे हैं.
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5c6a1be178d120f6d2e8dc2f94233bb7690582d6 | ALLAHABAD: सैम हिग्गिनबॉटम इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेस (शियाट्स) के वॉग स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी द्वारा क्रिएशन एंड इस्टैब्लिशमेंट ऑफ वर्चुअल क्लासरूम एंड ई-लर्निंग विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को किया गया। जिसका एनागरेशन मुख्य अतिथि प्रो. केके भूटानी निदेशक यूपीटेक ने किया।
इस अवसर पर प्रो। भूटानी ने कहा कि आज का दौर इ-लर्निग का है जिससे रोजमर्रा के कार्य कम समय में आसानी से किये जा सकते हैं। शियाट्स के प्रति कुलपति शैक्षिक प्रो। एकेए लॉरेन्स ने कहा कि कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा महत्वपूर्ण ज्ञान दिया जाएगा। जिससे वे अपने कैरियर में प्रयोग कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। डीन प्रो। डीएम डेनिस ने इ-लर्निंग के महत्वपूर्ण कारकों को बताते हुए कहा कि वर्चुअल क्लासरुम एवं इ-लर्निग वर्तमान परिदृश्य में अत्यन्त आवश्यक है। इसलिए छात्र-छात्राओं, शोधकर्ताओं, फैकल्टी एवं शैक्षणिक कर्मचारियों को इसके प्रति जागरुक होना आवश्यक है।
वहीं आईबीएस हैदराबाद से आए डॉ। इंदिरा कोनेरु ने इ-लर्निंग की आधुनिकता के बारे में बताया तथा प्रायोगिक ज्ञान भी दिया। एमएनएनआईटी के डॉ। मयंक पांडेय ने प्रतिभागियों को इ-लर्निंग परियोजना के कार्यवृत्त की जानकारी दी और इससे जुड़े मॉडल के बारे में बताया। इंजीनियर अवनीश कुमार ने कहा कि कम्प्यूटर के साथ-साथ इ-लर्निंग के प्रति जागरुकता से प्रतिभागियों को कौशल विकास में सहायता मिल सकेगी। राष्ट्रीय कार्यशाला में केरल, कश्मीर सहित कई राज्यों के विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
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e478fe9ade38531b10faffb69d10e764c2f9cf60b4ea266befc3399a2980ed7c | - मैं नहीं जाऊंगी।
-नहीं क्यों? जब सब जायेंगी तो तुम भी जाना ।
-परंतु अंत में तत्कालीन समाजपति चंद्र चाटुज्जे के पुत्र कैलाश चाटुज्जे ने गांव की किसी औरत को जाने की अनुमति नहीं दी। मुन्ना पिता के साथ गया और इतनी बड़ी प्रतिमा एवं यात्रा देखकर बहुत खुश हुआ।
हेमंत के प्रारम्भ में एक दिन शाम को शिप्टन साहब ने हरकाली सुर डीवान, बड़ी गड़बड़ हो गयी ।
- क्या हुआ साहब?
- अब नीलकोठी ठप्प हो जायेगी।
को बुलाकर कहा
- क्यों हुजूर? फिर कोई दंगा-फसाद ?
-नहीं, वैसी कोई बात नहीं है। यह दूसरी ही बात है। एक देश है जर्मनी, तुम जानते हो? वहां से नीला रंग आया है इंडिया में और दूसरे देशों में भी बिक्री हुआ है। - उस देश में क्या नील की खेती होती है हुजूर ? -नहीं, तुम समझे नहीं । केमिकल नील बन रहा है. असली नहीं, नकली नील। पेड़ पर नहीं होता... दूसरी तरह होता है.... बाइ सिंथेटिक प्रोसेस तुम्हारी समझ में नहीं आयेगा ।
- हां साहब !
- इसके रंग से काम चल गया तो हमारा नील क्यों खरीदेंगे? - इसके क्या दाम हैं?
- अच्छा नील है?
- बहुत बढ़िया । मैंने वही दिखाने के लिये तुम्हें बुलाया है। यह देखो.
कहकर शिप्टन ने हरकाली सुर के सामने एक नीले रंग की टिकिया रख दो! अभिज्ञ हरकाली ने घुमा-फिराकर उसे परखा और अबाक से रह गये।
हंसकर शिप्टन ने कहा - यह बात पहले क्यों नहीं पूछी? मैं सोच रहा था कि डीवान का क्या डिमाग खराब हो गया? कितना हो सकता है
- चार रुपये पाउंड ।
- एक रुपया पाउंड, ज्यादा से ज्यादा डेढ़ रुपया पाउंड होलसेल हंड्रेड-वेट नाइन्टी रुपीज - नब्वे रुपये। हमारा व्यापार तो मिट्टी हो गया, गॉन वेस्ट :
हरकाली सुर की सारी जिंदगी इसी काम में निकली थी। समझ-बूझकर चुप हो गया। क्या कहता ? भविष्य का चित्र आंखों के सामने स्पष्ट हो गया था।
खेती का नील अब बाजार में नहीं चलेगा और पूरा न पड़ने के कारण नील की खेती बंद हो जायेगी और साहब को बोरिया बिस्तर समेटना पड़ेगा।
उस दिन शाम को शिप्टन ने जो भविष्यवाणी की थी, अक्षरशः सत्य हुई। | pdf |
c88ec219d50cc7f248ba54f5dc24971973f8890a | यदि आप एक गर्मी की शादी में भाग ले रहे हैं और एक ताजा और लंबे समय तक चलने वाला लुक सुनिश्चित करने के लिए दिन के मेकअप टिप्स की जरूरत है, तो यहां कुछ सुझाव दिए गए हैंः
- अच्छे आधार से शुरुआत करेंः
- क्लींजिंग, टोनिंग और मॉइस्चराइजिंग से अपनी त्वचा को तैयार करें। अपनी त्वचा को धूप से बचाने के लिए एसपीएफ युक्त हल्के, तेल रहित मॉइस्चराइज़र का प्रयोग करें।
- अपने मेकअप के लिए एक चिकना कैनवास बनाने के लिए प्राइमर लगाएं और इसे लंबे समय तक टिकने में मदद करें।
- लाइटवेट फाउंडेशन चुनेंः
- भारी महसूस किए बिना अपनी त्वचा की टोन को समान करने के लिए हल्के, लंबे समय तक रहने वाले फाउंडेशन या एसपीएफ युक्त टिंटेड मॉइस्चराइज़र का विकल्प चुनें।
- अगर आपकी त्वचा ऑयली है तो चमक कम करने के लिए मैट फिनिश वाले फाउंडेशन का इस्तेमाल करें।
- कंसीलर का इस्तेमाल करेंः
- किसी भी धब्बे, काले घेरे या लालिमा को छिपाने के लिए कंसीलर लगाएं। नेचुरल लुक के लिए हल्के, ब्लेंडेबल फॉर्मूले का इस्तेमाल करें।
- पाउडर के साथ सेट करेंः
- अपने फाउंडेशन को सेट करने और चमक कम करने के लिए अपने चेहरे पर ट्रांसलूसेंट पाउडर की एक हल्की परत लगाएं। टी-ज़ोन पर ध्यान दें, जहाँ तेलीयता अधिक प्रमुख होती है।
- आंखों का मेकअप सॉफ्ट और नेचुरल रखेंः
- आड़ू, गुलाबी, या कांस्य जैसे नरम, गर्मियों के रंगों में तटस्थ आईशैडो रंगों का चयन करें। दिन के समय हेवी या डार्क स्मोकी आई लुक से बचें।
- पसीने या नमी के कारण गलने या बहने से रोकने के लिए वाटरप्रूफ मस्कारा का इस्तेमाल करें।
- अपनी भौहें परिभाषित करेंः
- अपने प्राकृतिक बालों के रंग से मेल खाने वाली ब्रो पेंसिल या पाउडर का उपयोग करके अपनी भौंहों को संवारें और आकार दें। पॉलिश लुक के लिए किसी भी विरल क्षेत्र को भरें।
- रंग का स्पर्श जोड़ेंः
- अपने गालों पर एक स्वस्थ फ्लश जोड़ने के लिए एक नरम गुलाबी या आड़ू छाया में प्राकृतिक दिखने वाले ब्लश का विकल्प चुनें।
- सूक्ष्म चमक के लिए अपने चेहरे के ऊंचे बिंदुओं, जैसे चीकबोन्स, ब्रो बोन और कामदेव के धनुष पर हाइलाइटर का उपयोग करें।
- लंबे समय तक टिकने वाला लिप कलर चुनेंः
- एक शेड में लंबे समय तक पहनने वाले लिप कलर का चयन करें जो आपके आउटफिट को कॉम्प्लीमेंट करता हो। मैट या साटन फ़िनिश अधिक समय तक चलते हैं।
- स्मूद एप्लिकेशन सुनिश्चित करने के लिए लिप कलर लगाने से पहले अपने होठों को एक्सफोलिएट और मॉइस्चराइजिंग करके तैयार करें।
- अपना मेकअप सेट करेंः
- अपने पूरे चेहरे पर मेकअप सेटिंग स्प्रे छिड़क कर अपना मेकअप पूरा करें। यह आपके मेकअप को जगह पर रहने और गर्मी और उमस का सामना करने में मदद करेगा।
- टच-अप के लिए आवश्यक पैक करेंः
- पूरे दिन टच-अप के लिए ब्लॉटिंग पेपर, एक कॉम्पैक्ट पाउडर, लिपस्टिक, और एक छोटा ब्रश या स्पंज जैसी जरूरी चीजों के साथ एक छोटा मेकअप बैग साथ लाएं।
याद रखें, मेकअप चुनते और लगाते समय आपकी त्वचा के प्रकार की विशिष्ट आवश्यकताओं और किसी भी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर विचार करना आवश्यक है। मौसम की स्थिति को ध्यान में रखें और ऐसे उत्पाद चुनें जो पसीना प्रतिरोधी और लंबे समय तक चलने वाले हों ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपका मेकअप पूरे दिन ताजा और सुंदर बना रहे।
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e02eb8eba4d47141074e7637a016fca5a22fa694 | हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में अब अलग-अलग ड्रेस कोड लागू होगा। नया ड्रेस कोड डॉक्टरों समेत टेक्नीशियन, सफाई कर्मचारी, ड्राइवर, माली, फील्ड वर्कर आदि पर भी लागू होगा। ड्रेस कोड की अवहेलना पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है। दोषी को उस दिन अनुपस्थित माना जाएगा। किसी भी तरह की जींस, स्कर्ट, शॉर्ट्स और पलाजो भी ड्रेस का हिस्सा नहीं होंगे। नए नियमों के मुताबिक अस्पताल में गैर चिकित्सीय कार्य करने वाले कर्मचारी फॉर्मल ड्रेस पहनेंगे, लेकिन जींस और टी-शर्ट पर प्रतिबंध रहेगा। ड्यूटी के दौरान महिलाओं के छोटे कपड़े पहनने, बालों में ज्यादा फैशन करने, नाखून बढ़ाने, भारी मेकअप और भारी-भरकम गहने पहनने पर रोक होगी।
ड्यूटी के दौरान सभी कर्मचारियों को नेम प्लेट पहनना जरूरी होगी। हरियाणा सरकार द्वारा अस्पतालों में लागू किए गए अलग-अलग ड्रेस कोड का अस्पताल का नर्सिंग और डाक्टर स्टाफ स्वागत करता हुआ नजर आ रहा है। नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि अलग-अलग ड्रेस कोड लागू होने से मरीजों को काफी हद तक राहत मिलेगी, क्योंकि सही ड्रेस कोड न होने के चलते मरीजों को यह पता करना मुश्किल हो जाता है कि डॉक्टर कौन है, वार्ड बॉय कौन है। उन्होंने कहा कि इन ऑर्डर्स के लागू होने से अस्पतालों में स्टाफ को लेकर कन्फ्यूजन दूर होगी। ड्रेस कोड के नए नियमों को लेकर डाक्टरों का कहना है कि सरकार के इन आदेशों का वे स्वागत करते हैं। इससे अस्पतालों में अनुशासन आएगा और मरीजों को इसका काफी लाभ पहुंचेगा।
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c899e1992ea0d4d9ff823934d6c5d9a2c7e1eca7 | जब आप खुद के लिए समय निकालते हैं तो आपको समझ आने लगता है कि आपके भीतर क्या - क्या चीजें चल रही है। ज्यादातर लोग दूसरों की जरूरत के मुताबिक सोचते हैं कि लोग क्या कहेंगे। ऐसे में इंसान के लिए खुद से प्यार करना बहुत मुश्किल हो जाता है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी जिंदगी और खूबसूरत हो जाए तो इसके लिए आप सबसे पहले खुद से प्यार करना शुरू करें। इसके लिए आज हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल हो गया है। लोग काम में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि वो खुद को समय देना ही भूल जाते हैं। जबकि खुद का ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है। जब आप खुद के लिए समय निकालते हैं तो आपको समझ आने लगता है कि आपके भीतर क्या - क्या चीजें चल रही है। ज्यादातर लोग दूसरों की जरूरत के मुताबिक सोचते हैं कि लोग क्या कहेंगे। ऐसे में इंसान के लिए खुद से प्यार करना बहुत मुश्किल हो जाता है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी जिंदगी और खूबसूरत हो जाए तो इसके लिए आप सबसे पहले खुद से प्यार करना शुरू करें। इसके लिए आज हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं इन टिप्स के बारे में।
आजकल लोगों का ज्यादातर समय सोशल मीडिया यूज करने में निकल जाता है। यह एक ऐसी चीज है जो इंसान को बाहरी मान्यता के लिए तरसाकी है और लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए खुद को बदल देती है। ऐसे में बेहतर है कि आप सोशल मीडिया से दूरी बना कर रखें।
आप अपनी अच्छाई और कमजोरियों दोनों पर ध्यान दें। ऐसे चीजों पर ज्यादा देने की कोशिश करें जिसमें आप ज्यादा अच्छे हैं। ऐसा करने से आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
खुद पर ध्यान देते समय अपनी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर भी ध्यान दें। इसके लिए आप एक्सरसाइज करने की आदत डालें। अपनी लाइफस्टाइल मे योगा और मेडिटेशन को भी शामिल करें।
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1ec77978b3a9113e1372251a82e33205841d75b0 | बॉलीवुड और पॉलीवुड की जानी मानी सिंगर नेहा कक्कड़ अकसर अपने गानों से लोगों का दिल जीत लेती है। उनकी अवाज फैंस को उनका दीवाना बना देती है। हाल ही में नेहा ने अपना एक गाना रिलीज किया है। यह गाना गजेंद्र वर्मा का हिट गाना 'तेरा घाटा' है। इस गाने को नेहा ने अपनी आवाज दी है। इस बात की जानकारी खूद नेहा ने अपने इंस्टा पर तस्वीर शेयर कर दी है। नेहा ने तस्वीर शेयर करते वक्त लिखा है- TeraGhata - My Version ☺️♥️ Go check it out on My Channel on Youtube ? NehaKakkar। गाने की वीडियो में नेहा लाइट कलर की साड़ी पहने नजर आ रही है। इस दौरान वह बेहद खूबसूरत लग रही है। फैस को उनका क्यूट और सेक्सी अंदाज बेहद पसंद है।
फिलहाल नेहा के नया गाना सुनने के बाद तो ऐसा लग रहा है कि इसे गाने को उन्होंने अपने एक्स बॉयफ्रेंड हिमांश कोहली के लिए गाया है। दरअसल, कुछ समय पहलेनेहा को लेकर खबरें आईं थी कि नेहा और हिमांश का ब्रेकअप हो गया है। यह बात नेहा के हिमांश के साथ सोशल मीडिया पर फोटो डिलीट करने पर ही कंफर्म हो गई थी। नेहा हिमांश कोहली के साथ ब्रेकअप के बाद डिप्रेशन में आ गई थी यह बात भी खुद नेहा ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर लिखा कर बताई थी 'हां, मैं डिप्रेशन में हूं। नेहा ने एक इमोशनल पोस्ट भी लिखी था जिसमें लिखा- "मुझे नहीं पता था इस दुनिया में इतने बुरे लोग भी होते हैं।
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688c4e917c30df1168586670caad21d3e93b358b | नई दिल्लीः अपने बयान को लेकर चर्चा में रहने वाले बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर एक बार फिस से चर्चा में आ गए हैं। इस बार उनका गुस्सा गांधी परिवार पर निकला है। ऋषि कपूर ने जगहों और संपत्तियों के नाम गांधी या नेहरू से रखे जाने को लेकर गांधी परिवार पर निशाना साधा है।
दरअसल देश में कई संपत्तियों पर गांधी का नाम होने से ऋषि कपूर खफा हैं जिसे लेकर उन्होंने अपनी ट्विटर वॉल पर गांधी परिवार के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली है। उन्होंने कहा है कि देश के महत्वपूर्ण जगहों या हिस्सों के नाम उन लोगों के नाम पर होने चाहिएं जिन्होंने हमारे देश के लिए कुछ योगदान किया हो।
उनका कहना है कि ज्यादातर संपत्तियों पर गांधी फैमिली का नाम क्यों है? जैसे की इंदिरा गांधी एयरपोर्ट क्यों है महात्मा गांधी क्यों नहीं या भगत सिंह, अंबेडकर भी हो सकता था या फिर ऋषि कपूर भी।
उन्होंने ट्वीट कर कहा है 'ये कितना छिछला है आप खुद सोचिए। ' ऋषि कपूर ने अपने ट्वीट में कहा कि उन्हें मुंबई फिल्म सिटी का नाम भी काफी खटक रहा है। इसका नाम दिलीप कुमार, देव आनंद, अशोक कुमार या अमिताभ बच्चन के नाम पर भी रखा जा सकता है। हमें देश में महत्वपूर्ण सम्पत्तियों का नाम ऐसे व्यक्तियों के नाम पर रखना चाहिए जिन्होंने देश और समाज में कोई सहयोग दिया हो।
हर चीज गांधी फैमिली के नाम पर नहीं होनी चाहिए। मैं इससे सहमत नहीं। आप लोग भी सोचना! ' बांद्रा वर्ली सी लिंक का नाम लता मंगेशकर या जेआरडी टाटा लिंक रोड रख सकते हैं। बाप का माल समझ रखा था? उन्होंने लिखा है 'जब दिल्ली की सड़कें बदल सकती हैं तो कांग्रेस की संपत्ति या प्रॉपर्टी के नाम क्यों नहीं बदल सकते? राजीव गांधी उद्योग का नाम भी कुछ और हो सकता था। सोचना आप लोग भी। ऋषि कपूर ने ऐसे कई ट्वीट किए जिसमें उन्होंने गांधी परिवार को आड़े हाथों लिया है।
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ec7f63e4dfa559b72c1599ae7373dee589aa9ecf | आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई चाहता है वह चुस्त-दुरुस्त रहें लेकिन अफसोस कि उसे समय नहीं मिल पाता है। आज के समय मे व्यक्ति पैसा कमाने में इतना मशगुल हो चुका है कि वह अपने खाने-पीने के से लेकर स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाता है। इस लापरवाही के कारण कब शरीर में कौन सी बीमारी घर कर जाती है। इसका पता भी नहीं चल पाता है और कब यह गंभीर रूप ले लेती हैं इस बात की भी जानकारी नहीं हो पाती है आज हम आपको एक ऐसी समस्या के बारे में बताने वाले हैं जिस से आधे से ज्यादा लोग परेशान रहते हैं।
कहते हैं कि सुबह की शुरुआत सही हो तो पूरा दिन अच्छा बीतता है, कुछ यही बात पेट के लिए भी होती है। अगर सुबह के समय आपने सही चीजें खाईं तो दिनभर एनर्जी बनी रहेगी, लेकिन अगर कुछ गलत चीजें खालीं तो दिनभर हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। हम बता रहे हैं ऐसी चीजों के बारे में जिन्हें सुबह खाली पेट खाने पर आप बीमार पड़ सकते हैं। दही या अन्य फर्मेन्टिड मिल्क प्रॉडक्ट्स को खाली पेट खाया जाए तो इससे हाइड्रोक्लोरिक ऐसिड का निर्माण होता है। यह पेट में मौजूद लैक्टिक ऐसिड को मार देता है जिससे ऐसिडिटी की समस्या हो जाती है और पेट में जलन व दर्द होने लगता है।
आपको बता दें कि कुछ लोग खाली पेट केला खा लेते हैं लेकिन ऐसा करना उन्हें बीमार कर सकता है। दरअसल, केले में मैग्नीशियम और पोटैशियम ज्यादा मात्रा में मौजूद होता है। खाली पेट इस फल को खाने पर खून में पहले से मौजूद इन तत्वों की मात्रा गड़बड़ा जाती है, जिससे बेचैनी, उल्टी, दस्त लगने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। टमाटर में विटमिन सी के साथ ही कई पोषक तत्व होते हैं, लेकिन इसे खाली पेट खाने से बचना चाहिए।
दरअसल, टमाटर से पेट में टैनिक ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है जो मरोड़, गैस जैसी पेट संबंधी समस्या पैदा करता है। नाशपाती में पोटैशियम, विटमिन सी, विटमिन के, फिनॉलिक कंपाउंड, फोलेट, फाइबर, कॉपर, मैगनीज जैसे गुणकारी तत्वों की भरमार है, लेकिन खाली पेट इस फल को खाना शरीर को अंदरूनी नुकसान पहुंचा सकता है। एक स्टडी के मुताबिक नाशपाती को खाली पेट खाने पर शरीर के अंगों को बाहरी प्रदूषण और सूखने से बचाने वाले म्यूकस मेम्ब्रेन को नुकसान पहुंचता है।
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621d359ee84d9f34efeec5e784d7b1813d41c4f8d8043b6f3add3ca7def7d0d1 | सुन कर सगरचक्रवर्ती बहुत हर्षित हुए। उन्होंने साढे बारा को स्वर्ण मुद्रा, यह समाचार लाने वाले उद्यान रक्षक के पुरस्कार और अजितनाथ भगवान के दर्शन करने के
चले । सहस्राम्र उद्यान के समीप पहुँच कर सगरचक्रवर्ती पाँच अभिगमन किये और भगवान की सेवा में उपस्थि होकर भगवान की वन्दना करके समवशरण में बैठे भगवान ने, अव भ्रमण रूपी व्याधि का नाश करनेवाली औष के समान उपदेश सुनाया, जिससे सहस्रों नर तारी ने बो पाकर, भगवान से संयम स्त्रीकार किया। फिर भगवान, सहम्मम्र वन से विहार कर गये ।
एक समय, जिनेश्वर अजितनाथ कौशाम्बी नगरी के समीप पधारे। वहाँ एक ब्राह्मण ने भगवान से पूछाः -प्रभो यह ऐसे कैसे ? भगवान ने उत्तर दिया, यह सब सम्यक्त्व की सहिमा है । उस समय वहाँ उपस्थित भगवान के प्रधान गणधर सिंहसेन मुनि यद्यपि सर्वाक्षर सन्निवती होने के कारण, ज्ञान द्वारा इस गूढ़ प्रश्नोत्तर को जान गये थे, फिर भी, भव्य जीवों के कल्याणार्थ उन्होंने भगवान से पूछा स्वामिन, इस ब्राह्मण ने क्या क्या उत्तर दिया ? स्पष्ट कहने की कृपा करें । भगवान फर्माने लगे, कि इस नगरी के निकट, एक शालिग्राम नाम का गाँव हैं। वहाँ, दामोदर नाम का एक ब्राह्मण रहता था । दम की स्त्री का नाम मोमा था। इनके
शुद्धभट्ट नाम का पुत्र था, जिसका विवाह सुलक्षणा नाम की स्त्री के साथ हुआ था । शुद्धभट्ट और सुलक्षणा आनन्द से सांसारिक भोग भोगने लगे। थोडे समय में दामोदर और मैं उसकी पत्नी सोमा, परलोकवासी हुए । शुद्धभट्ट, माता-पिता ऐ विहीन होने के थोडे. ही समय पश्चात्, धन वैभव से भी होन के हो गया । पत्नी सहित शुद्धमट्ट, दरिद्रावस्था भोगने लगे।
दरिद्रता के कप से दुःखित होकर, लज्जावश शुद्धभट्ट अपनी पत्नी से बिना कुछ कहे ही विदेश चला गया। सुलक्षणा, दरिद्रता के साथ ही पति वियोग के दुःख से दुःखित रहने लगी । उन्हीं दिनों में वर्षा काल एक स्थान पर व्यतीत करने के अभिप्राय से विपुला नाम की एक आर्यिका, सुलक्षणा ।। के यहाँ आई सुलक्षणा ने विपुलासाध्वी जी की से नियमित रूप में सेवा करने लगी। साध्वी जी का उपदेश सुनकर और धर्म की श्रेष्ठता जानकर सुलक्षणा नें, विपुला : साध्वी से ग्रहण करने के साथ ही, श्रावक
व्रत भी स्वीकार किये ।
वर्षाकाल समाप्त होने पर, साध्वीजी चली गई, परन्तु गुलक्षणा धर्मश्रद्धा पर दृढ रही और श्रावकव्रत का पालन फाती रही। धर्म सेवा में लीन रहते हुए उसने, दारिद्रय एवं पतिवियोग के कष्टों की भी कुछ पर्वा न की।
सुलक्षणा का पति शुद्धभट्ट, विदेश से द्रव्योपार्जन करके घर लौटा । घर लौटकर उसने सुलक्षणा से कहा, कि हे से प्रिये, मैं जब यहाँ था. तब तो तुम मेरा किंचित भी वियोग नहीं सह सकती थीं, फिर तुमने मेरे वियोग का इतना लम्बा समय कैसे निकाला ? सुलक्षणा ने उत्तर दिया, प्राणनाथ, मैं
के वियोग से उसी प्रकार व्याकुल थी, जिस प्रकार जल के वियोग से मछली व्याकुल रहती है, लेकिन एक साध्वीजी यहाँ पधारी थीं और उन्होंने अपने ही गृह में चातुर्मास विताया था । मैंने उनका उपदेश सुना । उनके दिये हुए धर्मोपदेश से मुझे बहुत शान्ति मिली और मैं आपके वियोग का दुःख धैर्य. पूर्वक सहन करने में समर्थ हो सकी। मैंने उनसे सभ्यन्वत्त्व 'सहित श्रावक के द्वादश व्रत भी स्वीकार किये । इनके आराधन में ही मैं इतना समय बिताने में समर्थ हो सकी। शुद्धभट्ट ने पत्नी की बात सुनकर कहा हे क़्त्व किसे कहते हैं और उससे क्या लाभ होते हैं : सुलक्षणा हैं कहने लगी, हृदयेश्वर, सुदेव में देववुद्धि, सद्गुरु में गुरुबुद्धि और शुद्धधर्म में ही धर्मबुद्धि, सम्यन्नत्व के हैं। देव में
देवबुद्धि, कुगुरु में गुरुबुद्धि और
धर्मबुद्धि विपर्यय
भाव होने से मिथ्यात्व कहलाता है। सर्वज्ञ, रागादि दोष रहित | pdf |
7d598e2aacb0e9df9d03f6a1b93665dd28562cc1 | किरेन रिजिजू ने राहुल गाँधी को फ्रीडम ऑफ स्पीच पर उनकी दादी इंदिरा गाँधी द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल की याद दिलाई। राजद्रोह कानून पर रार।
अमिताभ बच्चन ने शेयर कर के डिलीट किया 'धाकड़' का वीडियो, कंगना रनौत ने पूछा - इतने बड़े कद के व्यक्ति पर किसका दबाव?
अमिताभ बच्चन ने 'धाकड़' फिल्म का टीजर शेयर करने के बाद इसे डिलीट कर लिया। कंगना रनौत ने बॉलीवुड की असुरक्षा की भावना और बॉयकॉट के डर को सेलेब्स द्वारा उनकी तारीफ़ न करने का कारण बताया।
बीजेपी सांसद और जयपुर राजघराने की सदस्य दीया कुमारी ने कहा है कि ताजमहल उनकी जमीन पर बना है। कोर्ट ने माँगा तो वे दस्तावेज देंगी।
एडिडास का कहना है कि उसे क्रिएटिव बनने के लिए ऐसा किया है । कंपनी का दावा है कि इसमें जुड़ी मॉडल्स ने इसका समर्थन किया है। यूके में विज्ञापन बैन।
मामले की सुनवाई कर रहे दोनों जजों की राय अलग-अलग होने के कारण कोई एक फैसला नहीं आ सका। अब आगे याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील डाल सकते हैं।
बीच सड़क पर स्कूल की ड्रेस पहने एक लड़के ने दिन-दहाड़े महिला को चाकू घोंपकर घायल कर दिया। महिला काफी देर तक बेसुध सड़क पर ही पड़ी रही।
यह वही जावेद खान है जिसे मीडिया गिरोह ने कभी अपने ऑटो को एक अस्थायी एम्बुलेंस में बदलने के लिए एक कोविड योद्धा का दर्जा देते हुए स्टार बना दिया था।
एक्टर रणवीर सिंह ने खुलासा किया है कि उन्होंने दीपिका पादुकों पादुकोण को 'राम लीला' फिल्म से डेट करना शुरू कर दिया था। सुनाया किस वाला वाकया।
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2a7b0232a402d7997181c57935446e504169dad8 | पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक ने आईसीसी वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल में इस्तेमाल की गई पिच पर सवाल उठाया है। इंग्लैंड के साउथैम्पटन में भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए डब्ल्यूटीसी का फाइनल मुकाबला रिजर्व डे यानी के छठे दिन तक चला था, जिसमें न्यूजीलैंड ने भारत को आठ विकेट से हराकर खिताब जीत लिया। मैच में बारिश और खराब रोशनी के कारण दो दिन तक खेल पूरी तरह से धुल गया था, इसके बावजूद कीवी टीम जीत दर्ज करने में सफल रही। साउथैम्पटन के द एजिस बाउल मैदान पर बल्लेबाज रन बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन कीवी गेंदबाज कहर बरपा रहे थे। ऐसे में इंजमाम ने पिच पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पिच पहले से ही इस्तेमाल की जा चुकी थी, इसलिए गेंदबाज बल्लेबाजों पर हावी हो रहे थे। इंजमाम ने कहा, यह टेस्ट मैच छह दिनों तक चला और उसमें से करीब चार दिनों तक लगातार बारिश होती रही। इसके बाद भी मैच अढ़ाई दिन के अंदर ही खत्म हो गया। किसी ने भी इस पर बात नहीं की कि वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए क्यों ऐसी पिच का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह एक ऐसी पिच थी, जहां केवल गेंदबाज ही हावी दिखाई दे रहे थे, लेकिन बल्लेबाजों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। इंजमाम ने आगे कहा, मेरी सलाह है कि आप दो टेस्ट मैच खेलें। एक मैच न्यूजीलैंड या जो भी चैंपियन हो वहां खेलें और दूसरा भारत में। इस तरह के मामले में परिणाम अधिक जायज होगा। मेरा मानना है कि भविष्य में डब्ल्यूटीसी का फाइनल होम एंड अवे आधार पर होना चाहिए।
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47b25815f80e811350efc02a4d00bd29f7fab9e3 | नई दिल्ली- उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से जो वीडियो सामने आया है। उसमें यूपी में हड़काम मचा दिया है। बता दे कि यहां एक स्कूल में महिला टीचर ने एक मुस्लिम छात्र को उनके ही क्लास के अन्य छात्रों से पिटवाया है। हैरानी की बात यह है कि महिला टीचर ने वकायदा अन्य छात्रों को आदेश दिया कि वह आए और छात्र को थप्पड़ मारे।
बता दे की महिला टीचर का नाम ट्रेक्ता त्यागी है जिस स्कूल से यह मामला सामने आया है। उसका नाम नेहा पब्लिक स्कूल अब इस मामले में जमकर सियासत हो रही है। स्पीच राष्ट्रीय लोकदल जैन चौधरी ने पीड़ित छात्रा के पिता से बातचीत की है।
राष्ट्रीय लोकदल के के जैन चौधरी ने पीढ़ी छात्र के पिता इरशाद से बातचीत की खोज जयंती ने ट्वीट कर इस मामले की जानकारी दी। उन्होंने कहा मैंने अभी सुबाहपुर गांव में इरशाद जी से बातचीत की और बहुत साहसी और उन्हें विश्वास है कि उनके साथ न्याय होगा।
इसके बाद जयंत ने लिखा मैंने अपनी तरफ से उनसे कहा है कि वह खुद वारदात को भूल जाए क्योंकि हमारा समाज ऐसा नहीं है।
दर्शन यह पूरा मामला मुजफ्फरनगर के दिल्ली देहरादून हाईवे पर स्थित मंसूरपुर थाना क्षेत्र के खोबापुर गांव से सामने आया है। यहां नेहा पब्लिक स्कूल का नाम संचालित होता है यह वीडियो इसी स्कूल का बताया जा रहा है।
वायरल वीडियो में दिख रहा है कि एक महिला टीचर कुर्सी पर बैठी है। बताया जा रहा है। महिला का नाम दृष्टि त्यागी यह स्कूल की टीचर होने के साथ-साथ इस स्कूल की प्रबंधक भी है। वीडियो में यह टीचर मुस्लिम समाज के एक छात्रा को अन्य छात्रों से थप्पड़ लगवा रही है।
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dbcfd257910a8e62bdef17b6c9fb56aa26aea36c3777ee4f4e8051c5a7c702d4 | वे उसे अपने घर ले गए और वहाँ एक बड़े से आदमी ने अपनी उँगली और अँगूठे के बीच उसे उठा लिया और कहने लगा कि वह मरा नहीं था, बस उसकी साँस ठीक से नहीं आ रही थी। इसलिए उन्होंने उसे रूई से ढँक दिया और उसे आग से कुछ दूर रख दिया। कुछ देर बाद उसने आँखें खोलीं और छींका।
"अब," उस भारी भरकम आदमी (वह एक अंग्रेज था, जो अभी-अभी ही इस बँगले में रहने के लिए आया था) ने कहा, "उसका डर दूर होने दो और हम देखते हैं कि वह क्या करता है। "
किसी नेवले को डराना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है, क्योंकि नाक से लेकर पूँछ तक वह जिज्ञासा से भरा होता है । नेवला बिरादरी का उसूल होता है, "दौड़ो और पता लगाओ।" रिकि-टिकि एक सच्चा नेवला था। उसने ऊनी रूई को देखा और यह तय किया कि वह खाने लायक नहीं थी, टेबल के चारों ओर दौड़ा, फिर बैठकर अपने फर को सँवारा, पंजों से अपना बदन साफ किया; फिर कूदकर उस छोटे से बच्चे के कंधे पर चढ़ गया।
"टेडी, डरना मत, " उसके पिता ने कहा, "दोस्ती करने का उसका यही तरीका है । "
'आउच! वह मेरी ठुड्डी के नीचे गुदगुदी कर रहा है, " टेडी ने कहा।
रिकि-टिकि ने लड़के की शर्ट के कॉलर और गरदन के बीच नीचे झाँका, उसके कान को सूँघा, फिर उतरकर फर्श पर बैठ गया और टेबल के पाए से अपनी नाक रगड़ने लगा।
"देखो तो, " टेडी की माँ ने कहा, "वह एक जंगली जीव है! मैं समझती हूँ हमने उसकी मदद की है, इसीलिए हमारे साथ इतना सौम्य है । "
"सभी नेवले ऐसे ही होते हैं, " उसके पति ने कहा, "अगर टेडी उसे पूँछ से पकड़कर न उठाए या पिंजरे में बंद न करे तो वह सारा दिन घर के अंदर और बाहर आता-जाता रहेगा। चलो, हम उसे कुछ खाने के लिए देते हैं। "
उन्होंने उसे कच्चे मांस का एक टुकड़ा दिया । रिकि-टिकि ने उसे बड़े चाव से खाया, फिर बाहर बरामदे में जाकर धूप में बैठ गया और अपने रोएँ फैला लिए, ताकि वे जड़ों तक सूख जाएँ। तब उसने बेहतर महसूस किया । 'मेरा परिवार सारी जिंदगी में जितना जान सकता है, उससे कहीं ज्यादा जानने लायक इस घर में है । यह तय है कि यहीं रहूँगा और पता लगाऊँगा।" उसने अपने आपसे कहा।
उसने सारा दिन पूरे घर में घूमकर बिताया । बाथ टब में उसने खुद को लगभग डुबा ही लिया था; लिखने की मेज पर अपनी नाक स्याही में डाल दी और उस विशाल आदमी की सिगार के जलते हुए सिरे से अपनी नाक जला बैठा, क्योंकि यह देखने के लिए कि लिखा कैसे जाता है, वह उसकी गोद में बैठ गया था । रात होने पर यह देखने के लिए कि मिट्टी के तेल में जलनेवाली लालटेन कैसे जलाई जाती है, वह टेडी के कमरे में चला गया और टेडी के सो जाने के बाद वह भी उसी बिस्तर पर चढ़ गया । परंतु वह एक बेचैन साथी था, क्योंकि पूरी रात, कहीं भी कोई आवाज होने पर उसका स्रोत जानने के लिए उसे बार-बार उठना पड़ता था। सोने से पहले टेडी के माता-पिता उसके कमरे में आए तो देखा कि टेडी की बगल में उसके तकिए पर रिकि-टिकि बैठा हुआ था । "यह बात मुझे पसंद नहीं है," टेडी की माँ ने कहा, "वह बच्चे को काट सकता है।" "वह ऐसा कुछ नहीं करेगा, पिता ने कहा, उस छोटे-से जानवर के साथ हमारा टेडी उससे कहीं ज्यादा सुरक्षित है, जितना वह एक खूँखार कुत्ते की निगरानी में होता। अगर उसके कमरे में कोई साँप घुस आए"
परंतु टेडी की माँ ने ऐसी किसी अशुभ बात को सुनने से इनकार कर दिया।
सुबह-सुबह टेडी के कंधे पर सवार होकर रिकि-टिकि नाश्ते के लिए बरामदे में आ गया और उन्होंने उसे एक केला और उबले हुए अंडे दिए । वह एक के बाद एक उन सभी की गोद में बैठा, क्योंकि हर सुपोषित नेवले को हमेशा एक घरेलू नेवला बनने और घूमने-फिरने के लिए एक बड़े से मकान में रहने की उम्मीद होती है और रिकिटिकि की माँ (वह सिगौली में जनरल के बँगले में रहती थी) ने बहुत सावधानी से उसे बताया था कि एक गोरे आदमी से सामना होने पर क्या करना चाहिए।
फिर यह देखने के लिए कि वहाँ देखने लायक क्या था, रिकि-टिकि बाहर बगीचे में चला गया । वह एक बड़ा बगीचा था, जिसका केवल आधा भाग ही विकसित किया गया था, बाकी आधे भाग में ऊँची घनी झाडियाँ, गुलाब, नींबू और संतरे के पेड़, बाँस के पेड़ों के झुरमुट और दूर तक फैली ऊँची घास थी । रिकि-टिकि ने अपने होंठों पर जीभ फेरी। "यह तो बड़ा शानदार शिकार क्षेत्र है, " उसने कहा और इस विचार - मात्र से उसकी पूँछ के बाल खड़े हो गए, यहाँ-वहाँ सूँघते हुए वह बगीचे के चक्कर लगाता रहा, जब तक कि एक कँटीली झाड़ी से उसे रोने की आवाजें सुनाई न दीं।
वह टेलरबर्ड दरजी और उसकी पत्नी थी। उन्होंने दो बड़ी पत्तियों को जोड़कर और उनके किनारों की सिलाई करके उनके भीतर की खाली जगह को रूई और गिरे हुए बालों और रेशों से भरकर एक सुंदर घोंसला बनाया था । घोंसला हवा से आगे-पीछे झूल रहा था और उसके किनारे पर बैठकर वे रो रहे थे।
'बात क्या है?" रिकि-टिकि ने पूछा।
"हम बड़े अभागे हैं, " दरजी ने कहा, "कल हमारा एक बच्चा घोंसले से बाहर गिर गया और नाग उसे खा गया।"
"हूँ!" रिकि-टिकि ने कहा, "यह बड़े दुःख की बात है - मगर इस जगह पर मैं नया हूँ । नाग कौन है ? "
जवाब दिए बिना दरजी और उसकी पत्नी घोंसले में दुबक गए, क्योंकि झाड़ी के नीचे जमीन पर उगी घनी घास में एक दबी हुई सी फुफकार सुनाई दी - एक भयानक निर्दय आवाज, जिसे सुनकर रिकि- टिकि उछलकर पूरे दो फुट पीछे हट गया। फिर घास में से इंच-दर-इंच एक बड़े काले नाग का सिर निकला और उसने अपने फन फैला दिए - जीभ से लेकर पूँछ तक वह पाँच फुट लंबा था । जब उसने अपने शरीर का एक तिहाई भाग जमीन से उठा दिया था, ठीक डेंडेलियन पौधे के गुच्छ की तरह अपने शरीर को आगे-पीछे करके उसने अपना संतुलन बनाए रखा और उसने साँप की कुटिल आँखों, जो हर स्थिति में एक जैसी रहती हैं और उसके इरादों का पता नहीं चलने देतीं, से रिकि-टिकि की ओर देखा।
'नाग कौन है?" उसने कहा, "मैं हूँ नाग । साक्षात् ब्रह्मा ने हम सबके माथे पर तिलक लगाया था, जब दुनिया के पहले नाग ने भगवान् ब्रह्मा, जब वे सो रहे थे, को धूप से बचाने के लिए अपने फन फैला दिए थे। उसे देखो और डरो ! "
उसने अपना फन पहले से भी ज्यादा फैला लिया और रिकि-टिकि ने उसके पीछे स्पष्ट रूप से वह चिह्न देखा, जो कुछ खुले हुए एक छल्ले की तरह दिखाई देता था । एक मिनट के लिए तो वह डर गया, परंतु एक नेवले के लिए ज्यादा देर तक भयभीत रहना असंभव था और यद्यपि इससे पहले रिकि-टिकि का सामना एक जीवित नाग से कभी नहीं हुआ था। उसकी माँ ने उसे कई मरे हुए साँप खिलाए थे और वह जानता था कि एक वयस्क नेवले का जीवन में काम ही यही था; साँपों से लड़ना और उन्हें मारकर खा जाना । नाग भी यह बात जानता था और अपने कठोर दिल की गहराई में वह डरा हुआ था।
अच्छा!" रिकि-टिकि ने कहा और उसकी पूँछ फिर फैलने लगी, "निशान हो या न हो पर क्या तुम किसी घोंसले से एक पक्षी के बच्चे को खा जाना ठीक समझते हो?'
नाग कुछ सोच रहा था और साथ ही रिकि-टिकि के पीछे घास में होनेवाली हर छोटी-से-छोटी हलचल पर भी उसकी नजर थी। वह जानता था कि बगीचे में किसी नेवले के होने का मतलब देर-सवेर उसकी और उसके परिवार | pdf |
dbe5750ffeb6895f9783e5459afaa30a89703c6c7bb5696048ddd4f766ebe10c | उनकी मान्यता और उनका साहित्य अत्यन्त प्राचीन है । भी अत्यन्त प्राचीन एवं प्रसिद्ध रहा है । आचार्य भरतमुनि ने ही सर्वप्रथम "त्रिपुराह" डिम के देवों के द्वारा खेले जाने का वर्णन अपने "नाट्यशास्त्र में किया है परन्तु अलभ्य है । वेद, ब्राह्मण और पुराणों में भी त्रिपुर वर्णन आया है परन्तु कवि को इस विषय की कोई साहित्यिक कृतियाँ उपलब्ध न थी । कवि ने सर्व प्रथम शिवपुराण के आधार पर पौराणिक "त्रिपुरासुर दहन" को साहित्यिक स्वरूप प्रदान किया है । अत्यन्त सूक्ष्म श्लाघनीय परिवर्तन भी उपस्थित किया है । कवि ने "श्रीकण्ठचरितम्" के मूल कथानक और प्रबन्ध कल्पना में कोई भी उल्लेखनीय तत्त्व कहीं अन्यत्र से ग्रहण नहीं किये हैं।
प्रस्तुत देव महाकाव्य "श्रीकण्ठचरितम्" में चरितनायक के उत्कर्षमय चित्रण, सहृदयों के आवर्जन, वसन्तादि के उत्कृष्ट वर्णन, भक्तिसूक्ति संचयन, लोकोक्तिसंग्रथन और लोकोपकार के पुनीत सन्देश, कल्पना की मौलिकता, अनूठी उक्तियों सूक्ष्म विशद उत्प्रेक्षाएं, सरसभाषा मसृणपदशय्या, वैदर्भी रीति सन्तुलित अर्थगाम्भीर्य और रसों का उत्तम परिपाक जिस रूप में प्राप्त होता है वह अन्यत्र दुर्लभ है। काश्मीर की प्रकृति सुषमा में पले बढ़े हुए मड़ खक के निसर्गोज्ज्वल देवोद्गार सर्वथा अनुपम हैं ।
"किरातार्जुनीय", और "श्रीकण्ठचरित" आदि शिवपरक
ग्रन्थों पर विचार किया जाय तो "श्रीकण्ठचरित" का स्थान भी महत्त्वपूर्ण सिद्ध होता
। 'कुमारसम्भव" नामक महाकाव्य में हिमालय की पुत्री पार्वती द्वारा घोर तपस्या
के फलस्वरूप वर रूप में शिव को प्राप्त करने तथा उनसे कार्तिकेय की उत्पत्ति का वर्णन है । इस महाकाव्य के द्वितीय सर्ग में तारकासुर से पीड़ित देवो का ब्रह्मा के पास जाना और शिव पार्वती के पुत्र स्कन्द द्वारा तारकासुर के वध का उपाय ब्रह्मा के
द्वारा बताया जाना वर्णित है । जबकि महाकवि मखक ने तारकासुर के तीन पुत्रः का शिव द्वारा वध दिखाया है । कालिदास ने अष्टम् सर्ग में शिव पार्वती की रतिक्रीडा का वर्णन अश्लील ढंग से किया है । और मंखक ने नायक शिव एवं नायिका पार्वती का पवित्र दाम्पत्य जीवन प्रस्तुत किया है । वैसे "कुमारसम्भव" से महाकवि मड़.खक ने प्रेरणा अवश्य ली होगी ।
"किरातार्जुनीय" में कौरवों पर विजय प्राप्ति के लिए अर्जुन का हिमालय पर्वत पर जाकर तपस्या करने और किरात वेषधारी शिव स युद्ध तथा प्रसन्न शिव स पाशुपत अस्त्र की प्राप्ति का वर्णन है । भारिव ने इस महाकाव्य में चित्रालड़ कारों का प्रयोग कर क्लिष्ट बना दिया है । जबकि मड़.खक ने चित्र महाकाव्य परम्परा से दूर हटकर वैदर्भी रीति में "श्रीकण्ठचरितम्" की रचना की । परन्तु इसका अभिप्राय यह नहीं हो सकता कि किरातार्जुनीय में दुरूहता एवं बोझिलता ही प्रधान है । अपितु भारवि अर्थगाम्भीर्य से परिपूर्ण वचनों के विन्यास में पटु हैं । इनके वर्णन की शैली अतीव प्रौढ़ है । नूतनतम पदों के प्रयोग में ये सिद्धहस्त हैं । इन्हीं गुणों के कारण भारवि का महाकाव्य बृहत्रयी मे स्थान रखता है ।
"हरविजय" में क्रीडासक्त पार्वती ने भगवान् शड़ कर के तीनों नेत्रों को अपने हाथों से बन्द कर दिया । इससे विश्व भर में अन्धकार फैल गया । यह अन्धकार ही "अन्धक" असुर के रूप में परिणत हो गया । भगवान् शड़ कर ने उस अन्धकासुर का वध किया । तथापि इस काव्य में पाण्डित्य का बोझ इतना अधिक है कि पाठक रसास्वादन से वंचित हो जाता है । "श्रीकण्ठचरितम्" में मात्र रस सार संग्रहीत किया गया है । इसमें प्रतिभा, व्युत्पत्ति और रस के समुचित प्रयोग की न्यूनता सहृदयों को कवि की मौलिकता रसिकता के दर्शन पद पद पर होंगे। इसी लिए शिवपरक ग्रन्थों में "श्रीकण्ठचरित" का स्थान महत्त्वपूर्ण है । | pdf |
38ee8ef3cec12d5090004df63edd43ceaafc905f | चुनार तहसील क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम अहरौरा में भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर अहरौरा मंडल के कार्यकर्ताओं द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बुधवार को सुबह मंडल अध्यक्ष महेन्द्र अग्रहरी द्वारा सबसे पहले महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण किया गया, तत्पश्चात मंडल अध्यक्ष द्वारा मंडल कार्यालय कर द्वीप प्रज्वलित किया गया। कार्यालय पर पार्टी का ध्वजारोहण किया गया, इसके बाद सैकड़ों कार्यकर्ता ढोल तासे के साथ निर्धारित रूट पर शोभा यात्रा निकाला गया।
पार्टी कार्यालय से निकल विभिन्न मोहल्ला सत्यानगंज, चौक बाजार गंज, चौक दक्षिणी तकिया, टिकरा खरंजा होते हुये पुनः पार्टी कार्यालय पर आकर समाप्त हुआ, इसके बाद मंडल अध्यक्ष द्वारा अध्यक्षीय उद्बोधन किया, बन्दे मातरम गायन के बाद सैकडो की संख्या मे कार्यकर्ताओं ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का वर्चुअली उद्बोधन सुना, कार्यक्रम के अंत में लगभग तीन सप्ताह चलने वाले माइक्रो डोनेशन कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, जिसमें सैकडों कार्यकर्ताओं ने नमो एप के माध्यम से हजारों रुपये का डोनेशन पार्टी फंड मे दिया गया।
इस अवसर पर उपस्थित रहने वाले प्रमुख कार्यकर्ताओं मे पारस नाथ अग्रहरि, ओम प्रकाश केशरी, जयकिशन जायसवाल, संतोष पटेल, उमेश केशरी, कृष्णा तिवारी, मनोज सोनकर, रमेश पटेल, संतोष कुमार सिंह, पटेल आशीष अग्रहरि, विनोद सोनकर ,विनोद पटेल, दीलिप अग्रहरि श्वेता सिंह माखन सिंह जगत सिंह अमित शाह, वेद प्रकाश भारती ,राघवेंद्र प्रताप सिंह , प्रमोद मौर्या संतोष गुप्ता, योगेश पटेल, रामशरन पटेल सहित सैकड़ों की संख्या मे कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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9b190a01e6f4253bc620ebaa047efa5be8dd4235 | ढाकाः एक तस्वीर हाल ही सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुई थी। ये तस्वीर बारिश में रोमांस कर रहे एक कपल की है, जोकि एक-दूसरे को किस कर रहे हैं। ऐसे में एक फोटो जर्नलिस्ट उनके इस मोमेंट को अपने कैमरे में कैद कर लिया। वहीं, कपल की ऐसी तस्वीर क्लिक करने के लिए उसे नौकरी से निकाल दिया गया है।
ये मामला बांग्लादेश का है, जहां जिबॉन अहमद नाम के एक फोटो जर्नलिस्ट ने ढाका यूनिवर्सिटी के टीचर्स एंड स्टूडेंट्स सेंटर के सामने यह तस्वीर क्लिक की थी। इसके बाद उन्होंने ये तस्वीर अपने बॉस को भेजी लेकिन उन्होंने इसे इसकी प्रतिक्रिया ठीक नहीं होने को लेकर पब्लिश करने से मना कर दिया।
ऐसे में जिबॉन ने इसे अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिया। वहीं, इस तस्वीर को पोस्ट करने के बाद जिबॉन पर कुछ साथी फोटो जर्नलिस्ट ने इस तरह की तस्वीर खींचने के लिए पिटाई भी कर दी। जब इस बात का पता जिबॉन के बॉस को चला तो उन्होंने मदद की बात कही।
हालांकि, तब तक उनसे उनका आइडेंटिटी कार्ड और लैपटॉप वापस ले लिया गया था। वहीं, जहां कुछ लोग जिबॉन की इस तस्वीर को नपसंद कर रहे हैं तो वहीं कुछ इसे पसंद भी कर रहे हैं। साथ ही, इस मामले में किस कर रहे कपल को भी तस्वीर से कोई दिक्कत नहीं है।
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581e09d25746a28f59eb30289c8ccd132c17cd06 | उच्च शिक्षा का पीछा अक्सर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और आप की इच्छा पेशेवर बनने का एक जरूरी हिस्सा है। एक पारंपरिक चार साल की डिग्री प्राप्त करने के बाद, आप आर्ट्स (एमए) की डिग्री के एक मास्टर प्राप्त करने के लिए चाहते हो सकता है। यह आम तौर पर दो साल के आसपास लेता है और बेहतर तुम हमेशा चाहती है कैरियर है आप उत्तीर्ण।
कुछ हो सकता है, पूछ संगठनात्मक प्रबंधन में एमए क्या है? यह छात्रों के सहयोग से, प्रेरणा, और सहयोग के माध्यम से उनकी कुल क्षमता तक पहुँचने में उनके भविष्य के कर्मचारियों की सहायता के लिए सभी आवश्यक उपकरण हासिल करने में मदद करता है कि अध्ययन के एक क्षेत्र है। यह डिग्री भी कारोबार करते हैं और अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों innovatively, रचनात्मक समस्याओं को हल करने से परिवर्तन करने के लिए और अधिक ग्रहणशील बनने में मदद करने के लिए तैयार है, और दिए गए स्थानीय और वैश्विक जलवायु के लिए उत्तरदायी है कि एक तरह से। कई स्कूलों में ध्यान क्षेत्रों नैतिकता, संघर्ष को हल करने, रणनीतिक योजना और कार्यान्वयन परिवर्तन शामिल हैं।
इस डिग्री का पीछा के लाभ के स्नातकों को अपने स्टाफ के बाहर का सबसे अच्छा होता है और लगता है कि आसानी से और कुशलता से संचालित होता है कि एक काम के माहौल को बढ़ावा के लिए है कि क्षमता है। यह एक अत्यधिक यह निजी, गैर लाभ, या सरकारी, चाहे किसी भी उद्योग में नियोक्ताओं द्वारा कौशल के बाद की मांग की है।
शिक्षा के इस प्रकार के लिए लागत कारकों की एक संख्या के आधार पर अलग अलग होंगे। संस्था के स्थान, आवश्यक क्रेडिट की संख्या, और निवास के सभी संगठनात्मक प्रबंधन में एमए की कीमत को प्रभावित कर सकते हैं।
संगठनात्मक प्रबंधन में एक डिग्री के साथ, स्नातकों को उद्योगों की संख्या में एक आजीवन कैरियर शुरू कर सकते हैं। अक्सर, वे इस तरह की स्वास्थ्य सेवाओं, मानव संसाधन, सूचना प्रौद्योगिकी, और सामुदायिक सेवा जैसे क्षेत्रों में प्रबंधकों या पर्यवेक्षकों के रूप में कार्यरत हैं। नौकरी भी कार्यक्रम समन्वयक के रूप में या कैरियर परामर्श में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्ध हैं। व्यापार उद्योग में इस तरह के एक सीईओ के रूप में शीर्ष अधिकारियों, बनने के अवसर भी हैं।
संगठनात्मक प्रबंधन में एक मास्टर की डिग्री संस्थानों की संख्या बढ़ डिग्री कार्यक्रमों को लागू कर रहे हैं कि नियोक्ताओं के बीच इतना लोकप्रिय होता जा रहा है कि एक उच्च शिक्षा का अवसर है। आपके नीचे कार्यक्रम और संपर्क का नेतृत्व फार्म भरने से अपनी पसंद के स्कूल के लिए सीधे प्रवेश के कार्यालय के लिए खोजें।
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2c450b22022d56117e30ea72d4bbf5b9c40afab6b59e9699d26ce44c0efe52de | तुम्हे मुझे एक बाल्टी शराब पिलानी होगी, यही तुम्हारी सज़ा है।'"
मगर क्या तुम्हे चोट लगी ? " ओलेनिन ने फिर पूछा । वह इस दास्तान पर कोई ध्यान न दे रहा था।
'मुझे बात खत्म करने दो । उसने वाल्टी भर शराव दी और हमने पी, लेकिन खून निकलता ही गया । कमरे भर में खून ही खून हो गया और बुलक कहने लगा 'जान से हाथ धो बैठेगा । उसे मीठी शराब की बोतल दो नही तो तुमपर मुकदमा चलेगा।' और फिर और शराब आई और हमने और पी और पी
ठीक है, मगर क्या तुम्हे चोट गहरी लगी थी ? " ओलेनिन ने एक बार फिर पूछा ।
"चोट जरूर लगी थी । बात न काटो । मुझे यह पसन्द नही । मुझे अपनी बात पूरी कर लेने दो । हम सबेरे तक पीते ही गये, खूब पी और नाक तक चढाकर मैं तो प्रगीठी की टाँड पर ही सो गया । जब सुबह जागा तो वदन सीधा नही हो रहा था ।
" दर्द बहुत था क्या ?" श्रोलेनिन बोला । वह सोच रहा था कि
आखिर अब उसे अपने प्रश्न का उत्तर मिलेगा ।
'क्या मैंने तुमसे यह कहा कि मुझे दर्द हुआ था ? मैने यह नहीं कहा कि मुझे दर्द हुआ । लेकिन हाँ, न मैं चल-फिर सकता था, न सीधा खडा ही हो सकता था ।
" और तब घाव ठीक हो गया ? " ओलेनिन बोला । वह इतना उदास था कि हँस भी न सका ।
अच्छा तो हो गया । मगर गोली अभी भी अपनी जगह पर है। छूकर देखो।" और अपनी कमीज़ उठाकर उसने अपनी हट्टी-कट्टी पीठ दिखाई जहाँ एक हड्डी के पास गोली टटोलकर देखी जा सकती थी । | pdf |
8d22265d7a030adf3cfec3adac74bc7eed9eb4f1eb76cca6fa6efc3760bd3064 | हूँ कि काम करने के उचित घण्टे होने चाहिये, इसलिये कि मशीनों से उत्पन्न हमारी आधुनिक सभ्यता में अधिकांश नागरिक अपने व्यक्तित्व की सम्पूर्णता अवकाश के समय में ही प्राप्त करते हैं, काम करने वाले समय में नहीं । जिस राज्य में, औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भिक काल की भाँति मालिक को अपने कार्यकर्ताओं से विश्रामरहित परिश्रम लेने का अधिकार होता है, वहाँ सुख प्राप्ति की कोई सम्भावना उनके लिये नहीं रह जाती है । इसलिये अवकाश का अधिकार भी राज्य की ओर से निर्धारित वैध आवश्यक कर्त्तव्य होना चाहिये ।
किन्तु, यदि राज्य को मानव के वास्तविक रुख का विचार है तो व्यक्ति को ऊपर लिखे से कहीं अधिक अधिकार चाहिये । दूसरों के साथ अपने सम्बन्ध की उसे जानकारी होनी चाहिये और उसे इस योग्य होना चाहिये कि अपने इस सम्बन्ध से प्राप्त अनुभव को बतला सके । इस कार्य के लिये ज्ञान का होना जरूरी है । इसीलिये शिक्षा प्राप्त करना नागरिकता के मौलिक अधिकारों में से है । बिना शिक्षा, साधारणतः मनुष्य इस महान संसार को समझ नहीं सकता । वह उसमें खो जाता है । अपना सदुपयोग नहीं कर सकता । अपने अनुभवों से प्राप्त, जानकारी का आलोचक नहीं बन सकता । वर्त्तमान सभ्यता की विषमताओं में अपढ़ व्यक्ति उस अंधे के समान है जो कारण तथा कार्य, दोनों की जानकारी नहीं रखता। जिस राज्य में नागरिकों को शिक्षा की सुविधा नहीं है. वह राज्य उन्हें अपने व्यक्तित्व को प्राप्त करने के - साधनों से वंचित रख रहा है ।
किन्तु, केवल शिक्षा ही पर्याप्त नहीं है । मान लीजिये कि एक आदमी ने शिक्षा प्राप्त कर ली, फिर भी राज्य उसे अपने ज्ञान के उपयोग का अवसर नहीं देता । ऐसा अधिकार न मिलने का अर्थ है उससे लाभ उठाने का अधिकार न होना । इसलिये नागरिक के अधि | pdf |
7e98918d8fa198693c2033cbf6b8cad45a3a75c7 | नई दिल्ली/टीम डिजिटल। हिमाचल प्रदेश (Himachal pradesh) के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Jai Ram Thakur) ने शनिवार को यहां आयोजित कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से कहा कि मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हाल में उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत की है। उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल विस्तार के अटकलों के बीच दो दिन पहले ठाकुर की नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई थी।
मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान दो मंत्री पदों को भरा जाएगा जो कई महीनों से खाली हैं। राज्य के ऊर्जा मंत्री रहे अनिल शर्मा के बेटे आश्रय ने इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से लड़ा था जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
शर्मा ने मंडी लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी राम स्वरूप शर्मा के पक्ष में प्रचार करने से भी इनकार कर दिया था। धर्मशाला के विधायक रहे और राज्य के जन आपूॢत मंत्री किशन कपूर ने मई में कांगड़ा लोकसभा सीट से निर्वाचित होने के बाद मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था।
अपृष्ठ खबर है कि मंत्रिमंडल में नए चेहरों को जगह देने के लिए एक या दो मंत्रियों को हटाया जा सकता है। ठाकुर ने महाराष्ट्र का दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर देवेंद्र फड़णवीस को बधाई दी। उन्होंने कहा कि शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) द्वारा नयी सरकार पर लगाए आरोप गलत हैं क्योंकि राज्यपाल ने नियमों के मुताबिक भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने जगदेव चंद स्मारक शोध संस्थान (हमरीपुर) और हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन 'पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में ऋषि परंपरा' के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
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6766b02d05301edf7dd6fb1e51221400300ff23f | पनकी के गंगागंज में रहने वाले राम महेश की ऑटो पार्ट्स की दुकान है। उनकी फैमिली में पत्नी, बेटी कविता (दोनों काल्पनिक नाम) और एक बेटा है। कविता एसडी कॉलेज में बीए सेकेंड ईयर की स्टूडेंट है। वो करीब पांच महीने पहले घर से स्कूल जा रही थी। तभी रास्ते में इलाकाई निवासी अश्वनी प्रताप सिंह ने उसे रोक लिया। वो भी एसडी कॉलेज का स्टूडेंट है। उसने बहाने से कविता को बाइक में बैठा लिया। जिसके बाद वो कविता को बिठूर में एक रिश्तेदार के घर से कुछ पेपर लेने का बहाना बनाकर उसे वहां ले गया। वहां पर अश्वनी की आंटी और उसका दोस्त जयविंद मौजूद थे। अश्वनी के वहां पहुंचते ही आंटी ने कविता को कोल्ड ड्रिंक दी और कुछ काम का बहाना बनाकर पड़ोसी के घर चली गई। कविता कोल्ड ड्रिंक पीते ही बेहोश हो गई। जिसका फायदा उठाकर अश्वनी ने उसकी आबरू लूट ली और जयविंद ने उसका एमएमएस बना लिया।
कविता को होश आया, तो वो दर्द से कराह रही थी। उसने अश्वनी को थाने में एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दी, तो उसने जयविंद से मोबाइल लेकर उसे रेप का एमएमएस दिखाया, तो उसके होश उड़ गए। अश्वनी ने उसको मुंह खोलने पर एमएमएस को इंटरनेट पर डालने की धमकी दी। वो अश्वनी के सामने गिड़गिड़ाने लगी, लेकिन उसका कलेजा नहीं पसीजा और वो उसको घर के पास छोड़कर चला गया। जिसके बाद अश्वनी उसको ब्लैकमेल करके बार-बार रेप करने लगा। अश्रि्वनी उसको बिठूर स्थित आंटी के घर ही ले जाता था।
कविता बदनामी के डर से चुप रही, लेकिन क्भ् सितंबर को वो घर से कॉलेज जा रही थी कि रास्ते में अश्वनी ने उसे रोक लिया और अपने साथ बाइक में बैठाकर चिडि़याघर ले गया। जहां जयविंद समेत दो लोग पहले से मौजूद थे। अश्वनी ने उनको देखते ही कविता से कहा कि अब तुमको इनके साथ भी शारीरिक संबंध बनाने होंगे। कविता ने मना किया, तो अश्वनी ने घर से लेकर कॉलेज तक रेप का एमएमएस फैलाने की धमकी दी। उसने कहा कि अगर तुम इन दोनों के साथ नहीं जाओगी, तो कल से किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहोगी। कविता को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे? उसने अश्वनी से कहा कि उसे एक घंटे के लिए कॉलेज जाना है। जिसके बाद वो दोनों के साथ चली जाएगी। जिसे सुनकर अश्वनी राजी हो गया और उसने कविता को कॉलेज के बाहर छोड़ दिया और कहा कि वो एक घंटे बाद उसे लेने के लिए कॉलेज आएगा।
घबराई कविता वहां से सीधे घर गई और परिजनों को सारी सच्चाई बता दी। जिसे सुनकर परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। परिजनों ने सीधे थाने में जाकर शिकायत की, तो एसओ गोपी चंद्र यादव ने उनकी रिपोर्ट दर्ज कर ली। इधर, बुधवार को मामले के तूल पकड़ने पर आला अधिकारियों ने पीडि़त परिवार से बात कर उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया।
भ्। चकेरी में रिटायर्ड जवान ने अपनी बहु का एमएमएस बनाकर सर्कुलेट कर दिया था।
क्। एमएमएस से बचने का सबसे बड़ी बात ये है कि किसी पर भी विश्वास न करें। चाहें वो कोई भी हो। क्योंकि अगर एक बार वीडियो शूट हो गया तो फिर वो कहीं भी पहुंच सकता है।
ख्। मॉल्स, होटल-रेस्टोरेंट या पब्लिक प्लेस पर अलर्ट रहें।
फ्। इस बात का ध्यान रखें कि कहीं कोई आपका वीडियो या फोटो तो क्लिक नहीं कर रहा।
म्। अगर कोई आपकी फोटो धोखे से खींचकर डिलीट नहीं करता है तो फौरन इस बात की पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं।
इस मामले की तो पुलिस जांच कर रही है और आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन युवाओं को बहुत ध्यान रखने की जरुरत है। फेसबुक या किसी भी सोशल साइट्स में अपनी फोटो को अपलोड न करें। इतना ही नहीं जहां भी जाएं ये जरुर ध्यान रखें कि कौन आपकी फोटो खींच रहा है और क्यों? इसके अलावा पैरेंट्स को भी अलर्ट रहना होगा।
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8c8db09f77087be04a8afcac6b55021ee5ae2cae | Jamshedpur (Ashok Kumar) : बागबेड़ा-घाघीडीह जेल रोड के बीच जर्जर सड़क नहीं बनने से परेशान बागबेड़ावासियों ने अपनी पीड़ा को सबसे पहले स्थानीय विधायक संजीव सरदार से अवगत कराया था. इसके बाद सांसद के पास गये थे, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ. अंततः जनप्रतिनिधियों से नाराज बागबेड़ावासियों ने खुद ही जर्जर सड़क को बनाने का निर्णय लिया. वर्तमान में एक सप्ताह से सड़क का काम चल रहा है. जेल रोड की सड़क को आवागमन के लायक बना दिया गया है.
जेल रोड पर जाने पर अगर किसी से जनप्रतिनिधियों के बारे में पूछा जाता है तब वे पूरी तरह से भड़क जाते हैं. उनका स्पष्ट जवाब होता है कि जनप्रतिनिधियों ने सहयोग करने से साफ मना कर दिया है. अब लोगों के पास खुद से ही सड़क बनाने के लिये और कोई दूसरा चारा नहीं था.
जेल रोड की सड़क की बात करें तो एक दशक के पहले सड़क को बनाने का काम किया गया था. इसके बाद लोगों ने पोटका के पूर्व विधायक से भी अनुरोध किया था. विधायक भी सड़क पर पहुंची थी, लेकिन सड़क निर्माण का कार्य नहीं कराया गया. आज एक दशक बीत जाने के बाद भी सड़क उसी हाल में है.
एक दशक पहले हरहरगुट्टू प्रेमकुंज से लेकर शिव मंदिर तक की सड़क को वहां के लोगों ने बनायी थी. तब लोगों ने सड़क पर पीसीसी ढलाई का काम करवाया था और एक उदाहरण देने का काम किया था. ठीक उसी तरह की पहल एक बार फिर बागबेड़ावासियों ने की है. यह काम किसी एक के सहयोग से नहीं हो रहा है, बल्कि कई लोग संयुक्त रूप से पहल कर रहे हैं.
करनडीह चौक से लेकर बागबेड़ा लाल बिल्डिंग तक की जर्जर सड़क को बनाने की मांग को लेकर स्थानीय नेता बस्ती के लोगों के साथ कई बार आंदोलन कर चुके हैं. प्रखंड से लेकर जिले के अधिकारियों तक को ज्ञापन सौंपा है. बावजूद उनकी मांगों की अनदेखी की गयी. जिस तरह से यहां के लोगों ने खुद ही सड़क को दुरूस्त किया है उससे यहां के जनप्रतिनिधियों के गाल पर तमाचा से कम नहीं है. अब इसका हिसाब लोग अगले लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव में लेंगे.
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46dff8b2e1401be705cf706786a8b6e91e220fad | दीपों की झिलमिलाहट से आसमान के तारे भी मानो शरमाते नजर आए। विद्युत झालरों और दीपों की सजावट देखने के लिए तटों पर लोगों की भीड़ उमड़ी और यहां मेला लगा। ।
गंगा की लहरों पर नावों-बजड़ों के झुंड इस कदर चले कि जल मार्ग पर भी ट्रैफिक जाम होने लगा। जल परी वाला सुसज्जित बजड़ा हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। सैकड़ों नावों को गेंदा, गुलाब के फूलों से सजाकर उतारा गया। विदेशी पर्यटकों ने देव दीपावली के इस नजारे को कैमरे में खूब कैद किया। विदेशियों के समूह नावों-बजरों पर सवार होकर अस्सी से राजघाट तक की सैर करते दिखे।
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3e0223c751555cff6f4aeffb7234aecc41f0353f | हेल्थ डेस्कः हर लड़की के लिए मां बनना एक सपना होता है। तभी वह पूर्ण रुप से एक नारी कहलाती है। इस दौरना मां और होने वाले बच्चे का खास ख्याल रखना होता है। जरा सी चूक मां और होने वाले बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। खानपान का भी अधिक ध्यान रखना होता है। (नवाज को करना पड़ा था रंगभेद का सामना, लेकिन डार्क स्किन होने के है कई फायदे)
प्रेग्नेंसी के दौरान भोजन की लालसा के कारण शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होता है। हालंकि, कुछ खाने से पहले अपने आने वाले बच्चे के बारें में सोचना चाहिए। जिससे कि कोई हम ऐसी चीज न खा लें, जो कि बच्चें के लिए खतरनाक साबित हो। इसीतरह मां बनने के लिए हमें न जाने कितने जतन करने पड़ते है। कभी भी ऐसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। जो कि आपको मां बनने में रुकावट पैदा करें। इसी में एक आहार है करेला। (ज्यादा देर ड्राईविंग करना हो सकता है खतरनाक, हो सकती हैं ये बीमारियां)
आमतौर पर करेला हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। इसका सेवन करने से आप कई बीमारियों से बच सकते है।
करेले में विटामिन- ए, बी व सी, कैरोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, बीटा कैरोटीन, आयरन, जिंक, मैग्निशयम जैसे खनिज तत्त्व होते है। इसे सब्जी, अचार, सलाद, जूस, चिप्स आदि के रूप में खा सकते है। लेकिन आप ये बात नहीं जानते है कि इसे खाने से नुकसान भी है।
आप ये बात नहीं जानते होगे कि करेला ज्यादा खाने से ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के समय कम से कम करेला खाना चाहिए। इससे गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंच सकता है।
आपको बता दें कि करेला के बीजों में भरपूर मात्रा में मेमोरचेरिन नामक तत्व पाया जाता है, जो कि प्रेग्नेंसी में बाधक है। इसके साथ ही ज्यादा खाने से लिवर एंजाइम्स बढ़ते हैं, जो धमनियों में अकडऩ पैदा करते हैं। इसलिए अगर आप मां बनने की सोच रही है या फिर आप प्रेग्नेंट है, तो कम से कम करेला का सेवन करें।
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9ef591c87c28e7d42fba56b37c1afb3aa4510ccf2b942d5c77f2f51d572514a8 | सिक ताप और दुर्गति श्रादि का वर्णन करना चाहिए और उसके कार्यस्वरूप में शरीर के उपस्करण ( वेष, भूपा, स्नान, भोजन घाटि ) का त्याग दिखाना चाहिए । जिस मनुष्य का टैन्य दिखाना हो, उसके वर्णन में पहले पूर्वोक कारणों में से एक या अनेक का वर्णन इस प्रकार करना चाहिए, जिससे उस (न्य ) की स्वाभाविकता श्रोता को हृदयगम हो जाय । सुननेवाला उस टैन्य को बनावटी न समझे वह यह समझे कि 'दन्य' उत्पन्न होने के पुष्कल कारण मौजूद है। इसके बाद उस दीनता के कार्यों का वर्णन होना चाहिए ।
उदाहरण -
'हतकेन मया वनान्तरे वनजाती महमा विवासिता
अधुना मम कुत्र मा सती पतितस्येव परा मरस्वती ।
सीता का परित्याग करने के याद दुःखित हृदय राम के यह टैन्य पूर्ण उद्गार है। वह कहते हैं कि मेरे जैसे 'हतक' क्षुद्र पातकी ने उस कमलनयनी को 'सहसा ' ( विनाविचारे ही ) वनवास दे दिया । छात्र वह सती मुझे कहाँ मिल सकती है ? मुझसे वह उसी प्रकार दूर हो गई, जैसे पतित पुरुष से वेदविद्या दूर हो जाती है । 'सहसा ' कहने से मालूम होता है कि राम इस समय सीता को निर्दोष समझ रहे है और उस निरपराधिनी को विना विचारे घोरतम दण्ड दे डालने के कारण अपने को अप राधी और पातकी समझ रहे हैं। कमलनयनी कहने से सीता की सुकुमारता, भोलापन और सौंदर्यातिशय प्रतीत होता है। उसके ये गुण इस समय राम के हृदय में रह-रहकर शल्य की तरह मर्मान्तिक वेदना पैदा कर रहे हैं। ऐमी भोली, सुन्दर सुकुमारी को विना किसी अपराध के 'वनान्तर' घोर निर्जन वन में छोड़ देना कितना कठोर दण्ढ है । और वह भी उसी के प्राणाधार के द्वारा, जिनके लिये उसने कैसी-कैसी घोर यातनाएँ सहीं !!! इस पद्य के तीसरे चरण ( अव वह सती मुझे कहाँ मिल सकती है ) से राम के हृदय की उरकण्ठा और साथ ही निराशा प्रतीत होती है। ये सब राम की दीनता के कारण हैं और अपने को पतित की उपमा देना एव अव्र पातकी बताना उस दैन्य के कार्य है । मन में ढैन्य उत्पन्न होने पर मनुष्य अपने को दोन, द्दीन, नीच, पतित समझने लगता है।
'रत्यायासमनस्तापक्षुत्पिपासादिसम्भवा । ग्लानिर्निष्प्राणता कम्पकार्यानुत्साहतादित् ।' परिश्रम, दुःख, भूख, प्यास श्रादि के कारण उत्पन्न हुई विशेष निर्बलता का नाम ग्लानि है । इससे देह का काँपना किसी काम में उत्साह न होना आदि होते हैं । 'तत्त्वज्ञानाऽऽपढीदेनिंर्वेदः स्वावमाननम् । दैन्यचिन्तामुनि शामवैवर्योच्कारीतादित् ।'
तत्वज्ञान ( भात्मज्ञान श्रथवा विषयों की नश्वरता के ज्ञान ) के कारण अथवा पति और ईर्ष्या यादि के कारण उत्पन्न हुई उस चित्तवृत्ति को 'निर्वेद' कहते है, जिसमें मनुष्य स्वय = अपने-चाप अपना अपमान करने लगता है। इस निर्वेद के कारण दैन्य, चिन्ता, चाँसू बहाना, दीर्घ निश्वास और विवर्णता ( चेहरे का रंग उतर जाना ) यादि कार्य उत्पन्न होने हैं। जैसे'मृत्कुम्मवालुकारन्ध्रपिधानरचनार्थिना । दक्षिणावर्तशोय हन्त चूर्णांतो मया ॥
अपने पूर्व-जीवन को विषय-सुखों की साधना में नष्ट हुआ देखकर किसी निर्विरण पुरष की यह कि है। मिट्टी के घड़े के छेद को बंद करने के लिये मैंने अपना | pdf |
0dee027e995bbedb8f5077aba189f1c641e848af | मुजफ्फरनगर। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष अजित सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दंगा कराकर लोकसभा चुनाव जीतने की कोशिश का आरोप लगाया है।अजित सिंह ने शनिवार को कूकड़ा ब्लॉक में महागठबंधन कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा कि मोदी देश नहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने मुजफ्फरनगर के कवाल में दंगा कराकर लोकसभा का चुनाव जीता था, लेकिन अब मुजफ्फरनगर में ही भाजपा को शिकस्त मिलेगी। रालोद अध्यक्ष ने यह भी कहा कि हर आदमी कभी न कभी झूठ बोलता है लेकिन मोदी कभी सच नहीं बोलते।
अजित सिंह ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और रालोद के गठबंधन को कोई पार्टी लोकसभा चुनाव में हरा नहीं सकेगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन से प्रधानमंत्री घबराये हुये हैं।
सम्मेलन में बसपा के पूर्व सांसद कादिर राणा, पूर्व सांसद अमीर आलम, चरथावल विधानसभा प्रभारी श्री अरशद राणा पूर्व विधायक अनिल कुमार, पूर्व मंत्री उमा किरण, धर्मवीर बालियान, पूर्व मंत्री योगराज सिंह, पूर्व विधायक नूर सलीम राणा व बहुजन समाज पार्टी के महानगर अध्य्क्ष माजिद सिद्दकी आदि समेत कई नेता मौजूद थे।
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eaf04cc2d6c600aaf358077d535104ccd9272b5f | भारत में सबसे पहले इलेक्ट्रिक कार लाने वाली कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा के प्रमुख आनंद महिंद्रा ने एक अनोखी गाड़ी का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है। यह अनोखी गाड़ी चलती-फिरती डाइनिंट टेबल की तरह है। अगर आप इस डाइनिंट टेबल वाली गाड़ी पर बैठते हैं तो आप बैठे-बैठे रेस्तरां के अंदर पहुंच जाएंगे। आनंद महिंद्रा ने कहा यही है असली E-Mobility। उन्होंने ई-मोबिलिटी में E का असली मतलब भी बताया है।
बता दें कि इस वीडियो को लेकर लोगों ने अनोखे कमेंट्स भी किए हैं। एक यूजर ने लिखा है कि "I guess this is e-mobility. Where 'e' stands for eat..."। एक यूजर ने अपने बेटे का एक वीडियो शेयर किया है "जिसमें वो अपनी खिलौने वाली गाड़ियों को जोड़कर एक सोफा गाड़ी बना लेता है। यूजर का कहना है कि वो अपने बेटे को ये वीडियो दिखाएगा ताकि वो भी अपनी गाड़ी में ये डाइनिंग टेबल जोड़ सके"।
एक और यूजर ने लंदन की साइकिल ई-एटर कार्ट का फोटो शेयर किया है। इस कार्ट में लोग साइकिल चलाते हुए अपनी खाने की टेबल को आगे ले जाते हैं।
वहां, एक यूजर ने लिखा कि "Found a better one in London where the e-aters actually cycle for their meal"। जिस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगीं।
वैसे कुछ यूजर्स ने वीडियो की कमियों को भी ढूंढ़ा है। कुछ ने इस वीडियो की तरह ही गाड़ी इंडिया में लॉन्च करने को लेकर आनंद महिंद्रा का प्लान भी पूछा है।
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dffab76354f7c2048c168df458d74c9a31af03b9 | दीपों के त्योहार दीपावली की तैयारी शुरू है। बाजार में चहल-पहल है। मिट्टी के दीये लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति तथा खिलौने बनाने वाले कुंभकारों में उत्साह है। इस बार चाइनीज सामान का लोगों का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।
अमर कुमार आनंद, सुल्तानगंज (भागलपुर)। दीपों के त्योहार : दीपावली में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। इसकी तैयारी पिछले एक सप्ताहर से ही शुरू है। बाजार में चहल-पहल बढ़ गई है। मिट्टी के दीये, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति तथा तमाम तरह के खिलौने बनाने वाले कुंभकारों में खासा उत्साह है। एक ओर मूर्तिकार व उनके परिवार के सदस्य मूर्ति और दीये बना रहे हैं तो दूसरी ओर उनसे बाजारों के दुकानदार बड़े पैमाने पर दीये खरीद रहे हैं। जबरदस्त स्टाक करने में लगे हुए हैं। प्रखंड क्षेत्र के कई परिवार के लोग अपने-अपने घरों में बड़े पैमाने पर मिट्टी के बर्तन, दीप, खिलौनों के साथ ही विशेष रूप से लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां बनाने में लग गए हैं।
तैयार कच्चे बर्तनों पर रंग से बारीक कलाकृति उकेर रहे कारीगर ने बताया कि बाजार में टिके रहने के लिए कुछ बदलाव किया है। परंपरागत दीयों के साथ-साथ फूलदानी सुराही, बच्चों के खिलौना कलात्मक ढंग से तैयार किए जा रहे हैं।
नगर परिषद क्षेत्र के कृपानाथ सिंह गली में मिट्टी के दीपक, लक्ष्मी- गणेश व खिलौना का निर्माण कर रहे कारीगर प्रमोद कुमार पंडित ने बताया कि इस वर्ष पिछले साल की अपेक्षा दोगुनी मूर्ति तथा दीये का निर्माण पूरा परिवार जी जान लगा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मिट्टी के सामान बनाना कठिन काम है। मूर्ति तथा बर्तन निर्माण में काम आने वाली चिकनी तथा अन्य मिट्टियां भी आसानी से नहीं मिल रही है। इसके कारण थोड़ी परेशानी बढ़ गई है। मिट्टी के साथ ही रंग-पेंट भी महंगा हो गया है। इस कारण उनका पुश्तैनी धंधा पिछले कुछ वर्षों से चाइनीज सामान के मुकाबले नहीं टिक पा रहा है। इस बार लोग अभी से ही मिट्टी के मूर्तियों व दीये के आर्डर दे रहे हैं जिससे मिट्टी के सामान बनाने वालो में उत्साह है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस देसी मिट्टी से बनी मूर्तियां, दीये व खिलौने चाइनीज सामान पर भारी पड़ेंगे और अधिक से अधिक लोग इस बार मिट्टी के बने सामान का उपयोग करेंगे।
प्रजापति मनोज पंडित ने बताया कि उसके पूर्वज पहले सभी तरह के बर्तन बनाने का काम किया करते थे। किंतु अब त्योहारों को छोड़ अब मिट्टी के बर्तनों की मांग नहीं रही। लिहाजा इस व्यवसाय से लोगों का जुड़ाव कम हो रहा है। मनोज की तरह न जाने और भी कितने प्रजापति हैं जिन्हें मिट्टी के कारीगरी का वास्तविक प्रतिदान नहीं मिल पाता। इस काम में परिवार के लोगों का भी सहयोग रहता है। इस लिहाज से मजदूरी नहीं बन पाती। यही वजह है कि जिले के अधिकांश प्रजापति समाज के लोग अपने पुश्तैनी व्यवसाय से अलग होकर अन्य जगह मजदूरी में जुटे हुए हैं।
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e94753762c983b4f786f9e5772b5bb871756dd53f8f878022dbf41ebe562bd07 | रावण अपने मन्त्रियों से परामर्श ले रहा है । प्रहस्त ने यह कहा कि हे देव ! शंकर ने आपको ऐसा वरदान दिया है जिसके वल से आपने सब लोकों को अपने वश में कर लिया है। आपके पुत्र ने इन्द्र को जीत लिया है ; तब ये नरवानर कोई हानि नहीं पहुँचा सकते । कुम्भकर्ण ने यह कहा कि हे रावण तुमने उस समय सलाह न ली जब सीता को चुरा के लाये। अब जब आपत्ति आ पड़ी तब पूछने चले हो । मन्दोदरी ने भी रावण के कुकृत्य का विरोध किया। मेघनाद ने तब अत्यन्त गर्वोक्ति के साथ यह कहा कि यदि मुझे आज्ञा प्राप्त हो जाय तो मैं समस्त संसार को नर और वानर से हीन कर दूँगा । तब विभीषण ने रावण से यह निवेदन किया कि कुंभकर्ण और मेघनाद राम को जीत नहीं सकते अतः शीघ्रातिशीघ्र सीता को लेकर तुम राम की शरण में जाओ । इस पर क्रोधित होकर रावण ने विभीषण के लात मारी, इस पर अपने साथियों को लेकर राम की शरण में चला गया। राम के भाई विभाषण को शरण में आया जानकर राम ने मन्त्रियों से सलाह ली; तब हनुमान ने यह कहा कि विभीषण राम भक्त है। विभीषण ने भी आर्त होकर राम से दुःख निवेदन किया तव राम ने उसे शरण दान दिया। सेतु बन्धन कराके राम ने सेना सहित समुद्र को पार किया और वापर सेना ने लंका को चारों ओर से घेर लिया।
दोहा :- यह वर्णन है रावण अंगद राम ने अंगद को रावण के राज दरबार
सोलहवाँ प्रकाश
षोडशे, केशवदास प्रकाश । विविध, शोभित बचन विलास ॥
दूत बनाकर रावण को सभा में भेजा। का वैभव अपार था । वहाँ देवताओं का
किया जा रहा था। उसे देखकर अंको क्रोध हुआ और वे राक्षसों को धक्का देते हुए, राज सभा में प्रविष्ट हुए। वार्तालाप में राम के शौर्य को रावण के समक्ष, प्रदर्शित किया। रावण ने अंगद को यह प्रलोभन दिया कि यदि तुम अपने पिता के वधिक (राम ) को मारना चाहो तो तुम्हारी सहायता करूँगा और तुम्हें किष्किन्धा का राज्य दे दूँगा । अंगद ने राजनीति - युक्त उत्तर दिये और अन्त में रावण के मुकुट लेकर राम के पास लौट आये।
सत्रहवाँ प्रकाश
दोहा : - या सत्रहवें प्रकाश में, लंका को अवरोध शत्रु चमू वर्णन समर, लक्ष्मण को परमोधु
रावण के मस्तक के मुकुट को लेकर अंगद राम के चरणों में गिरे, राम ने उस मुकुट को विभीषण के मस्तक पर लगा दिया । तदुपरान्त सेना को लेकर चारों दिशाओं से लंका पर चढ़ाई की गई। रावण ने भी लंका के रक्षण की तैयारी की । द्वार-द्वार पर युद्ध होने लगा । बन्दर और भालु कोट के कंगूरों पर चढ़ गये । मेघनाद जब परकोटे से बाहर निकला तब उसने माया से सर्वत्र अन्धकार फैला दिया। राम और लक्ष्मण को नागपाश में बाँध लिया । गरुड़ ने आकर उनको नागपाश से मुक्त किया । धूम्राक्ष राक्षस को हनुमान ने मार डाला और अकंपनादि राक्षसों को अंगद ने मार डाला । जब अकम्पन और धूम्राज्ञ मर गये तब रावण ने महोदर से मन्त्ररणा ली । उसने राजनीति का उपदेश दिया। राजा और मन्त्री के क्या कर्त्तव्य हैं, उनका विवेचन किया । रावण की ओर से जो राक्षस वीर लड़ने के लिये आये; उनका परिचय विभीषण ने राम को दिया। जब रावण ने युद्ध स्थल में विभीषण को देखा तब उसने शक्ति का प्रहार | pdf |
08584c2d149c1018d97585425c08c97643dcd95d | Ravivar Ke Upay: रविवार के दिन भगवान सूर्यदेव (Lord SuryaDevta) की पूजा होती है। रविवार का व्रत (Ravivar Ka Vrat) रखने से भक्त की समस्या धीरे धीरे जरूर समाप्त होने लगती है।
Ravivar Ke Upay: रविवार के दिन भगवान सूर्यदेव (Lord SuryaDevta) की पूजा होती है। रविवार का व्रत (Ravivar Ka Vrat) रखने से भक्त की समस्या धीरे धीरे जरूर समाप्त होने लगती है। इस दिन कुछ बातों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। साथ ही अगर रविवार के दिन कुछ आसान और विशेष उपाय किया जाए तो भगवान सूर्यदेव की कृपा भक्त पर जरूर बनती है और सभी मुश्किलें आसान हो जाती है। तो आइए जानते हैं रविवार के दिन कौन सा आसान उपाय करना चाहिएः
रविवार की शाम करें ये आसान उपाय (Do these things on Sunday)
रविवार की शाम या दिन पूजा में सूरज देव की पसंद का लाल फूल, लाल चंदन, गुडहल का फूल, चावल चढ़ाएं। साथ ही गुड़ या गुड़ की मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के बाद माथे पर लाल चंदन भी अवश्य लगाएं।
रविवार के दिन शाम के समय सूर्यास्त होने के बाद भक्त को पीपल के पेड़ (peepal tree) के नीचे चौमुखा दीपक जरूर जलाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को धन-संपत्ति में बरकत प्राप्त होती है। साथ ही मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं। बता दें कि रविवार की शाम को भी पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से घर से सुख-शांति और समृद्धि जरूर आती है। ध्यान दें दीपक चौमुखा होना चाहिए। इससे जातक के मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है और कार्य में भी तरक्की के कई अवसर मिलते हैं।
रविवार की शाम के समय शिव मंदिर में गौरी शंकर रूद्राक्ष जरूर चढ़ाना चाहिए। इससे घर में मां लक्ष्मी जी का आगमन होता है। आर्थिक तंगी की समस्या नहीं होती है।
दरअसल रविवार के दिन भी शनिदेव का पूजन किया जाता है क्योंकि रविवार को शनिदेव का पूजन करने से आपको व्यापार में लाभ की प्राप्ति होगी।
दान करना बहुत ही शुभ होता है और रविवार की शाम को काले तिल, काले कपड़े, काली उड़द या काली मिर्च का दान अवश्य करना चाहिए। इससे जीवन में काफी सुख की प्राप्ति होती है। इन उपायों को करने से भक्त पर सभी देवी देवता की कृपा दृष्टि बनी रहती है और भक्त की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
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a21bc42542d7dddf30fe8c92dbce446f65b9a833 | इस लेख को पढ़ने के बाद आप भी बचे हुए चिकन से आसानी से घर पर लाजवाब डिश बना सकती हैं, आइए इन रेसिपीज के बारे में जानते हैं।
अच्छा! अगर आपसे यह सवाल किया जाए कि बचे हुए चिकन को खाते हैं या फिर फेंक देते हैं, तो फिर आपका जवाब का क्या हो सकता है? शायद आपका जवाब हो कि कभी फेंक देते हैं, और कभी खा भी लेते हैं। लेकिन, अगर आपसे ये बोला जाए कि इस लेख को पढ़ने के बाद आप बचे हुए चिकन को कभी भी नहीं फेकेंगी, तो फिर आपका जवाब क्या होगा? खैर, सवाल-जवाब को विराम देते हैं क्योंकि, इस लेख में हम आपको बचे हुए चिकन से तैयार कुछ बेहतरीन रेसिपीज के बारे में बताने जा रहे हैं। इन रेसिपीज को आप आसानी से बना सकती हैं और इन्हें बनाने में अधिक समय भी नहीं लगता है, तो आइए जानते हैं।
- सबसे पहले चिकन को ग्रेवी से अलग निकालकर रख लीजिए और छोटे-छोटे पीस में काट लीजिए।
- इधर एक बर्तन में पानी और हल्का तेल डालें और साथ में चावल भी डालकर अच्छे से उबाल लीजिए।
- चावल का पानी ठंडा होने के बाद चावल छानकर किसी बर्तन में रख लीजिए। (Chinese फ्राइड राइस)
- इसके बाद एक पैन में तेल गरम करके प्याज को भूनें। कुछ देर बाद चिकन और चावल को भी डालकर भूनें।
- अब इसमें सोया सॉस, सिरका और धनिया पत्ता डालकर कुछ देर पका लीजिए।
- सबसे पहले बेसन, नमक, लहसुन-अदरक पेस्ट, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी और एक कप पानी डालकर अच्छे से मिक्स करें।
- अब इस मिश्रण में चिकन को डालकर कुछ देर के लिए मैरिनेट होने के लिए रख दीजिए।
- इधर आप एक पैन में तेल गरम होने के लिए रख दें।
- अब आप मिश्रण में से चिकन को निकाले और ब्रेड चूरा में लपेटकर तेल में डालें और ब्राउन होने तक फ्राई कर लीजिए।
- सबसे पहले पहले नूडल्स को अच्छे से उबालकर अलग रख लीजिए।
- इधर एक पैन में तेल गरम करके हरी सब्जियां, प्याज और नमक डालकर कुछ देर फ्राई कर लीजिए। (चाउमीन की डिफरेंट रेसिपीज)
- अब इसमें चिकन के साथ सिरका, मिर्च पाउडर के साथ सोया सॉस को डालकर कुछ देर पका लीजिए।
- इसके बाद नूडल्स को भी डालकर कुछ देर पकने के बाद ऊपर से धनिया पत्ता डालकर गैस को बंद कर दीजिए।
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7db6821f1f7f243d58e08f6777cb9c379a6d1543 | जल्द ही सनी देओल के एकलौते बेटे करण देओल शादी के बंधन में बंधने वाले हैं जिसके चलते बीती रात उनकी संगीत सेरेमनी भी होस्ट की गयी जिसमे तीनो देओल ब्रदर्स को स्पॉट किया गया। तीनो ही एक साथ काफी खुश नज़र आये।
शाहरुख़ के पूरे दुनिया में कितने दीवाने हैं ये तो सभी अच्छी तरह से जानते हैं लेकिन उनके एक बोलने पर पूरी की पूरी स्विगी टीम उनके घर के बाहर आकर खड़ी हो जाये तो सोचिये कैसे ही होगा लेकिन ऐसा हुआ बीती रात।
हाल ही में बीते दिन आदिपुरुष के मेकर्स ने फिल्म का दमदार एक्शन ट्रेलर रिलीज किया जिसके बाद इसने फैंस के दिलो में जो कोहराम मचाया उसके तो क्या ही कहने इसी बीच लोग लंकेश के किरदार को काफी पसंद कर रहे हैं।
सोनी टीवी का मशहूर शो 'शार्क टैंक इंडिया' जल्द ही अपने नए सीजन के साथ टीवी पर वापसी करने के लिए बिलकुल तैयार हो चूका हैं जिसके रेजिस्ट्रेशन्स भी अब चालू करवाए जा चुके हैं आगे की जानकारी के लिए पढ़े आर्टिकल।
वेनिस में हुए बुलगारी इवेंट में प्रियंका चोपड़ा हॉलीवुड एक्ट्रेसेस ऐनी हैथवे और जेंडाया अपने ही स्टाइल में मुलाकात कर सुर्खियों को अपने नाम कर लिया है जिसके बाद से इनकी इस मीटिंग के वीडियो ने भी सोशल मीडिया पर हड़कंप मचाया हुआ हैं।
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4c864449513ad6e1bed7b0aac3d9e1341fc4dfcd | हिंदू धर्म एक एेसा धर्म है जहां बहुत सी मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। इन सभी मान्यताओं का अपना अलग महत्व होता है। हम में से बहुत से लोगों ने सुना होगा कि किसी भी शुभ काम की शुरुआत किसी खास दिन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही ये भी सुना होगा कि शुभ कार्य की शुरुआत किसी स्पेश्ल दिन नहीं की जाती। असल में ये मान्यता ज्योतिष शास्त्र से जुड़ी हुई हैं। इसमें बताए गए विस्तार के अनुसार हर काम को शुरू करने का एक शुभ दिन बताया गया है। कहा जाता है कि अगर किसी काम की शुरुआत शुभ दिन के हिसाब से न की जाए तो उसमें सफलता की जगह असफलता मिलने की संभावना अधिक रहती है।
ज्योतिष शास्त्र में हफ्ते के सातों दिनों को अलग-अलग कामों की शुरुआत के लिए शुभ माना गया है। माना जाता है कि इसका ध्यान रखने से पाॅज़िटिव रिजल्ट मिलने के आसार बढ़ जाते हैं। तो चलिए जानते हैं कि कौन से काम की शुरुआत किस दिन करनी चाहिए।
रविवारः ज्योतिष का मानना है कि औषधि, वाहन, पशु, नौकरी, अस्त्र-शस्त्र, धातु, वाद-विवाद आदि काम की शुरुआत हमेशा रविवार को करनी चाहिए।
सोमवारः माना जाता है कि कृषि कार्य, वस्त्र धारण, क्रय-विक्रय, यात्रा, आभूषण धारण इत्यादि।
मंगलवारः किसी भी तरह की जासूसी, गवाही, युद्ध नीति, सेना या कोई बड़ा फैसला लेने के लिए मंगलवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है।
बुधवारः बुधवार के दिन ऋण देना, शिक्षा-दिक्षा, बही खाता, शिल्प कार्य, राजनीति, गृह प्रवेश आदि का शुरू करना चाहिए।
गुरुवारः ज्ञान-विज्ञान, कला, यक्ष, धर्म कार्य इत्यादि।
शुक्रवारः पारंपरिक कार्य, गुप्त बात, प्रेम-व्यवहार, मित्रता, नाटक, संगीत इत्यादि।
शनिवारः ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गृह प्रवेश, नौकर रखना, नया व्यापार, बीज बोना, वाहन खरीदना इत्यादि।
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c4974fb89b47d23612839b6d98e70368b7f89140aebf52eb9affaf56e43048f8 | बेकार होगा । जो समाज, जो युग, मनुष्य का मूल्य रूपयों के अंक से औकता है, घन हो जहाँ मान का मापदण्ड है, वहीं इन्होंने लेखक को ऊंचे आसन पर बैठाया है। वैसे मृगांक बहुत नामी लेखक नही है । समा-समिति, संगीत सम्मेलनों या नाटकों में उद्घाटन करने या प्रधान अतिथि होने के निमन्त्रण उसे नही मिलते । एक प्राचीन तथा प्रख्यात लेखक ने, जिन्हें उससे स्नेह है, और जो ऐसे आसनों को शोभा बढ़ाते हैं, यानी जनप्रियता के कारण करना पड़ता है, एक बार उसे अपने अनुभव सुनाये थे । कहा था उन्होंने, 'एक बार ऐसे ही एक फंकप्रशन मे प्रधान अतिथि होकर गया । कुश्ती का अखाड़ा था, वारवेल पैरललबार आादि का भी इन्तजाम था । मतलब यह कि वे लोग वर्जिश आदि करते रहे होगे । यकायक चारो तरफ बड़ी दौड़-धूप शुरू हुई । हुआ क्या ? सभापति की सवारी आई है। तीन-चार राशन दुकानों के मालिक हैं । वह तो हुई बाहर के दिसावे को बात । अन्दरूनी बात कुछ और है । इन लड़कों को सब कुछ पता है और वे हमेशा उनके नाम के आगे 'स' मे 'आ' की मात्रा जोडा करते हैं । लेकिन यहां उन्होंने ढेर सारा चन्दा दिया है। क्या इज्जत है उनकी ! सवने उन्हे घेर-घार कर स्टेज पर पहुँचाया। क्षण-क्षण में कैमरे का फ्लैश झलकने लगा। में वेचारा डायस के नीचे एक कोने में बैठा था। शायद यकायक किसी को मेरी याद आई ।
'आइये सर ।
'बडी तकलीफ से उठ खड़ा हुआ । फूलो का एक हार भी मिला मुझे । मगर अन्तर यह था कि समापति जी की माला उन्ही की तरह भारी भरकम और मेरी वाली दुबली-पतलो उसके बाद व्याख्यान । मैंने दो चार वाक्यों में समाप्त किया । सभापतिजी के लिखित व्याख्यान को किसी और ने पढ़ कर सुनाया । कारण तो समझ हो रहे होंगे। क्यो ?"
मृगांक ने पूछा 'फिर ?"
'उसके बाद बिदाई। वे तो अपनी भडकोली गाड़ी में सवार हो कर चले गये। इघर मेरी टेक्सो का कही पता नही । लेने जाये भो कौन ? तब तक संगीतकारो का गाना आरम्भ हो चुका था। कार्यकर्तागरण उन्हो को आवभगत में लगे थे। मैं श्रोताओं के आसन पर आ बैठा था। एक के बाद एक संगीत सुनता रहा, कह भी क्या सकता था ? वे मगर अपना-अपना प्रोग्राम खतम करते और चल देते । तब मुझे क्या लग रहा था बताऊँ ? काले चाजारी को जो सम्मान मिला वह मुझे न मिला, नही सही। इतनी तकदीर वाले तो विरले ही होते है । लेकिन अगर कोशिश करता तो क्या मैं उस किस्म के दो चार 'आ तथाकथित 'रवीन्द्र संगीत' नहीं सीख सकता था ? इज्जत मिलती अ भुहरवन्द मोटा-सा लिफाफा भी मिलता । एक क्षीगुकाय रजन | pdf |
cddf72e61fa3aa5814c6d066abc8ae0347f0bea0 | साहब! आई लव यू नहीं बोला तो युवक कॉल कर धमकी दे रहा है। साथ ही घर के बाहर हंगामा कर रहा है। घर से बाहर आते-जाते भी रास्ता रोककर जबरन बात करने का दबाव बन रहा है। शनिवार को कोतवाली पहुंची युवती ने ये शिकायत कर पुलिस से कार्रवाई की मांग की। शिकायत के आधार पर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र निवासी युवती ने बताया कि करीब एक महीने पूर्व उसकी पास में रहने वाले युवक से मुलाकात हुई थी। दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई। इस बीच युवती को पता चला कि वह नशा करता है। साथ ही लोगों से गालीगलौज और मारपीट करता है। इस पर उसने युवक से किनारा करना शुरू कर दिया। साथ ही उससे बातचीत भी बंद कर दी। मोबाइल पर बातचीत न करने से नाराज युवक उसके घर के बाहर पहुंचा और हंगामा कर दिया। आरोप है कि वह बाजार जाने के लिए निकली तो युवक ने रास्ता रोक लिया और जबरन आई लव यू बोलने का दबाव बनाने लगा। आरोप है कि अब वह युवती और उसकी मां के मोबाइल पर कॉल कर धमकी दे रहा है। परेशान युवती रविवार को कोतवाली पहुंची और पुलिस को तहरीर दी। एसआई बारू सिंह चौहान ने बताया कि युवक और उसके पिता को कोतवाली बुलाया गया है। युवक से जानकारी लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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1a003d69587a051a0a49f9e388c1d50c974005070288ed4b08e0caee5620f479 | देशबंधु चित्तरजन दास
भव- ज्ञान प्राप्त करने के लिए उत्सुक थे । "दूसरे देश मे जो कुछ हो, पर इस देश का उद्धार तो शातिमार्ग से ही हो सकता है । मै यहां के नवयुवकों को दिखला दूगा कि हम शाति के रास्ते स्वराज्य प्राप्त कर सकते है ।" "यदि हम भले हो जायगे तो अग्रेजो को भला बना लेगे।" "इस अधकार और दभ मे मुझे सत्य के सिवा दूसरा कोई रास्ता नही दिखाई देता । दूसरे की हमे आवश्यकता भी नही ।" "मै तमाम दलो मे मेल कराना चाहता हू । बाधा सिर्फ इतनी ही है कि हमारे लोग भीरु है । उनको एकत्र करने के प्रयत्न मे होता क्या है कि हमे भीरु बनना पडता है । तुम जरूर सबको मिलाने की कोशिश करना और मिलना, पत्र-सपादको को समझाना कि मेरी और स्वराज्य-दल की ख्वामख्वा निदा करने से क्या लाभ ? मैने यदि भूल की हो तो मुझे बतावे । मै यदि उन्हे सतुष्ट न करू तो फिर शौक से पेट भर के मेरी निदा करे । " तुम्हारे चरखे का रहस्य मै दिन - दिन अधिक समझता जाता हू । मेरा कधा यदि दर्द न करता हो और इसमे मेरी गति कुठित न हो तो मै तुरत सीख लू । एक बार सीखने पर नियमपूर्वक कातने मे मेरा जी न ऊबेगा । पर सीखते हुए जी उकता उठता है । देखो न, तार टूटते ही जाते है ।" "पर आप ऐसा किस तरह कह सकते है ? स्वराज्य के लिए आप क्या नही कर सकते । " " हा-हा, यह तो ठीक ही है। मै कहा सीखने से नाही करता हूं ? मै तो अपनीनाई बताता हु। पूछो तो वासतीदेवी से कि ऐसे काम मे मै कितना मंदबुद्धि हू वासतीदेवी ने उनकी मदद की, " ये सच कहते है । अपना कलमदान खोलना हो तो ताला लगाने मुझे आना पडता है।" मैने कहा, "यह तो आपकी चालाकी है । इस तरह आपने देशबंधु को अपग बना रखा है, जिससे उन्हें सदा आपकी खुशामद करनी पडे और आप पर सहारा रखना पडे ।" हँसी से कमरा गूज उठा । देशवधु मध्यस्थ हुए । "एक महीने बाद मेरी परीक्षा लेना । उस समय मै रस्सियां निकालता न मिलूगा ।" मैने कहा, "ठीक है । आपके लिए सतीशबाबू शिक्षक भी भेजे देगे । आप जब पास | pdf |
e43217461d96b3086da6d0629dcce350388a9fd5 | कोहिमा : केन्द्रीय खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने नगालैंड स्थिति खेलों इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्र (केआईएससीई) सहित कुल आठ केन्द्रों का मंगलवार को ऑनलाइन उद्घाटन किया। नगालैंड के अलावा केआईएससीई के ये केन्द्र कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, मिजोरम, ओडिशा और तेलंगाना में हैं। इस मौके पर खेल मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार भारत में खेल संस्कृति विकसित करना चाहती है। खेलो इंडिया एक ऐसा 'ब्रांड' है, जिसका हिस्सा हर कोई बनना चाहता है। 'खेलो इंडिया खेल' देश का सबसे लोकप्रिय खेल कार्यक्रम बन गया है। भारत में खेलों को जीवन और संस्कृति का जरिया बनना चाहिए। भारत सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर युवा लड़कों और लड़कियों के लिए बुनियादी सुविधाएं बनाने में सहयोग किया है। भारत में खेलों में बहुत प्रतिभायें है, लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण नहीं वे आगे नहीं बढ़ पाते हैं। केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में मौजूदा राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों में केआईएससीई शुरू कर रही है। मंत्रालय बुनियादी ढांचे और खिलाड़ियों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। इसका मकसद भारत को उच्च गुणवत्ता की कोचिंग और प्रशिक्षण के साथ खेलों में वैश्विक महाशक्ति बनाना है।
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c623d54760193e83c20a07802b337c89bb5f3d19 | परिभाषाः एक टीएसएस या चिकित्सीय सहायता कर्मचारी, कर्मचारी है जो व्यक्तिगत छात्रों का समर्थन करता है। उन्हें अक्सर एक से एक सहयोगी कहा जाता है या कर्मचारियों के चारों ओर लपेटा जाता है। चिकित्सीय सहायता कर्मचारियों को एक व्यक्तिगत छात्र के साथ काम करने के लिए किराए पर लिया जाता है। उनके रोजगार को आम तौर पर उस छात्र के आईईपी में आवास के रूप में नामित किया जाता है। टीएसएस को अक्सर स्कूल जिले की बजाय स्थानीय (काउंटी) मानसिक स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा भुगतान या भुगतान किया जाता है।
योग्यताः टीएसएस होने के नाते कॉलेज की डिग्री की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन मनोविज्ञान में डिग्री के साथ स्नातक अक्सर टीएसएसएस के रूप में काम करते हैं जबकि वे उन्नत डिग्री का पीछा कर रहे हैं। एक टीएसएस या वन पर एक के रूप में रोजगार के लिए आवश्यकताएं (क्योंकि उन्हें अक्सर लोकप्रिय रूप से संदर्भित किया जाता है) राज्य से राज्य या एजेंसी से एजेंसी में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन अक्सर कुछ कॉलेज की आवश्यकता होती है। आम तौर पर इन पदों को संरक्षक के बजाय शैक्षिक माना जाता है, और कई राज्य टीएसएस के उपयोग से बचने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ आर्थिक हैं, लेकिन कुछ शैक्षिक हैं, क्योंकि एक टीएसएस के साथ छात्र अक्सर तत्काल आश्रित हो जाते हैं और स्वतंत्र रूप से कार्य करने में असमर्थ होते हैं।
उत्तरदायित्व : टीएसएस की प्राथमिक ज़िम्मेदारी वह छात्र है जिसके लिए उन्हें किराए पर लिया जाता है। वे अपने छात्र के लिए सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए शिक्षक या अन्य छात्रों की मदद कर सकते हैं, लेकिन इन्हें सीधे शिक्षक द्वारा पर्यवेक्षण नहीं किया जाता है, लेकिन आईईपी द्वारा ।
उम्मीद है कि एक टीएसएस शैक्षिक टीम के हिस्से के रूप में खुद को देखेगी।
कोई सवाल नहीं है कि शिक्षक, कक्षा में नेता के रूप में, टीएसएस के सहयोग को कमांड करना चाहिए। अक्सर एक टीएसएस असाइन किया जाता है ताकि एक बच्चा सामान्य शिक्षा कक्षा में अधिक समय बिता सके, और छात्र के साथ एक-दूसरे के लिए सामान्य सामान्य शिक्षा पाठ्यचर्या कार्यों में मदद करने के लिए एक के साथ काम करेगा।
कभी-कभी टीएसएस समानांतर पूरा करने के लिए विशेष शिक्षा संसाधन कक्ष से संशोधित शब्द के छात्र के फ़ोल्डर को लाएगा। सामान्य शिक्षक के लिए टीएसएस के साथ संवाद करना महत्वपूर्ण है कि सामान्य शिक्षा कार्य (विशेष रूप से सामग्री, जैसे विज्ञान या सामाजिक अध्ययन) में छात्र अपने फ़ोल्डर में क्या हो सकता है, कक्षा के साथ कर सकते हैं।
साझेदारी : हालांकि टीएसएस की ज़िम्मेदारी छात्र के लिए है, जब विशेष शिक्षा शिक्षक टीएसएस और जनरल एजुकेटर के साथ मिलकर काम करता है, तो छात्र और कक्षा के शिक्षक दोनों को फायदा होगा। जब सामान्य शिक्षा कक्षा में अन्य छात्र नेतृत्व में भागीदारों के रूप में "श्री बॉब" या "सुश्री लिसा" देखते हैं, तो आप उन्हें अपने छात्र के साथ सीखने के केंद्रों में या छोटी समूह चर्चा में शामिल होने के लिए कह सकते हैं। मॉडलिंग कैसे छात्र को लुप्तप्राय समर्थन से अधिक शामिल करना है, यह भी महत्वपूर्ण है।
उदाहरणः अपने स्वयं के हानिकारक व्यवहार के कारण, रॉडनी स्कूल में एक टीएसएस है, जो देखता है कि रॉडनी अपनी कुर्सी की ट्रे पर या दीवार पर अपने सिर को धक्का नहीं देती है।
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336c54c5e8cb8895dde0cead326fa7e9a61df5da | अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद या आईसीसी ने इंग्लैंड के बल्लेबाज़ मोईन अली पर मैच के दौरान गज़ा के समर्थन में रिस्ट बैंड पहनने पर रोक लगा दी है.
आईसीसी ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि मैच रैफ़री (डेविड बून) ने मोईन को बताया है कि वह 'फ़्री फ़लस्तीन' और 'सेव ग़ज़ा' वाले रिस्ट बैंड तीसरे टेस्ट के बाकी समय नहीं पहन सकते.
पाकिस्तानी मूल के मोईन ने फ़लस्तीन पर इसराइली हमले से प्रभावित लोगों के लिए धन जुटाने में धर्मार्थ संगठनों की मदद भी की थी.
बयान में कहा गया है, "मोईन अली को मैच रैफ़री ने बता दिया है कि वह ऐसे मुद्दे पर क्रिकेट के मैदान से बाहर अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन उन्हें चेतावनी दी गई है कि आगे से किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच में वह खेल के दौरान मैदान में रिस्ट बैंड न पहनें. "
इससे पहले इंग्लैंड ने भारत के साथ तीसरे टेस्ट मैच के दौरान मोईन के गज़ा का समर्थन करते रिस्ट बैंड पहनने के लिए उनका बचाव किया था.
आईसीसी के नियमों के अनुसार किसी देश के खिलाड़ियों को 'राजनीतिक, धार्मिक या जातीय गतिविधियों' से संबंधित कोई चीज़ नहीं पहननी चाहिए.
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9c97fd1e21aa032ff7bfd1c8d646e104f085c248 | HARIDWAR (JNN) : लंबे समय बाद बढ़े सर्किल रेट ने जनता को जोर का झटका दिया है। कृषि भूमि के रेट ढाई से तीन गुना तक सीधे बढ़ गए हैं। आवासीय रजिस्ट्री करानी भी मंहगी हो गई है। उम्मीद के मुताबिक तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्रों में सर्किल रेट ज्यादा बढ़े हैं। हरकी पैड़ी क्षेत्र पहले से कॉमर्शियल था, अब यहां सर्किल रेट की अलग-अलग श्रेणी तय की गई है।
सर्किल रेट की नई सूची सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में पहुंच गई है। सबसे ज्यादा कृषि भूमि के सर्किल रेट बढ़े हैं। ढाई से तीन गुना तक कृषि भूमि के सर्किल रेट बढ़ गए हैं। बैकडोर से भी रेट बढ़ाए गए हैं। क्षेत्र की सड़कों के मानक को तय कर उस पर अतिरिक्त रेट लगेगा। एक्कड़ (भक्तनपुर-आबिदपुर) में तो सीधे चार गुना की वृद्धि हुई है। यहां रोड साइड की स्थिति के बाद रेट और ज्यादा बढ़ेंगे।
आवासीय सर्किल रेट में भी खासी वृद्धि हुई है। जिस तरह के अनुमान लगाए जा रहे थे, उसी के मुताबिक इसमें इजाफा हुआ है। जो इलाके तेजी से विकसित हो रहे हैं, उनमें रेट ज्यादा बढ़ाए गए हैं। हरकी पैड़ी (अपर रोड) जैसे इलाकों को पिछली बार पूरी तरह कमर्शियल मानकर रेट तय किए थे। इस बार भी यह क्षेत्र कॉमर्शियल दायरे में है। लेकिन श्रेणी को अलग-अलग बांट दिया गया है। जैसे बहुमंजिला भवन, फ्लैट, दुकान के अलग-अलग रेट तय किए गए हैं।
(नोट- सर्किल रेट प्रति हेक्टेयर लाख रुपये में)
(नोट- सर्किल रेट प्रति वर्ग मीटर में)
(नोट-सर्किल रेट प्रति वर्ग मीटर में)
शहर में जमीन नहीं बची तो बाहरी क्षेत्र विकसित हुए। यहां कृषि भूमि का लैंड यूज परिवर्तित कराकर प्लाटिंग की जा रही है। कुछ जगह कॉलोनाइजर बिना लैंड यूज चेंज के भी कॉलोनी काट रहे हैं। कृषि भूमि के दाम बढ़ने से यहां जमीन लेने वालों से ज्यादा पैसा प्लाट के लिए कॉलोनाइजर लेंगे।
सर्किल रेट को लेकर प्रशासन की माथापच्ची शनिवार को भी जारी रही। शनिवार को एक बजे सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में प्रशासन की ओर से आदेश पहुंचे। शनिवार को केवल आठ रजिस्ट्री हुई। वह पुराने स्टांप पर हुई।
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ef45fade81387a923d9c56938f6f4477fcc3d2fd | एश्ले के पहली क्लास में आते ही जब उसके पापा ने उसे स्पैनिश सिखाने का फैसला लिया तो एश्ले की मम्मी को यह बात ठीक नहीं लगी. उन्हें लगा कि इतनी-सी उम्र में स्पैनिश सिखाने से एश्ले पर दबाव बढ़ेगा. वह अन्य विषयों की पढ़ाई में पिछड़ जाएगी. उन्होंने एश्ले के पापा को ख़ूब समझाने की कोशिश की, लेकिन वह उनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे. दोनों के बीच बहस हो ही रही थी कि तभी एश्ले की मम्मी की सहेली दीपिका वहां आ गईं. कॉलेज में प्रोफ़ेसर दीपिका ने पूरी बात सुनने के बाद एश्ले के पापा के फ़ैसले की सराहना की, साथ ही यह भी कहा कि एश्ले के साथ-साथ उसके मम्मी-पापा को भी वह भाषा सीखनी चाहिए.
चाइल्ड काउंसलर भी दीपिका की बात से इत्तफ़ाक रखते हैं. उनके मुताबिक़ बच्चा कोई भी भाषा तभी अच्छी तरह सीख पाता है जब उसके आसपास का माहौल वह भाषा सीखने में मददगार हो. इसलिए बच्चे को कोई भी भाषा सिखाने के लिए उसे सिर्फ़ क्लास में दाख़िला दिलाना काफ़ी नहीं है. परिवार के सदस्यों को भी उसके साथ वह भाषा सीखने की कोशिश करनी चाहिए. जैसे जब बच्चा वह भाषा बोले तो माता-पिता भी उसके साथ बोलने की कोशिश करें. बच्चे को उन जगहों पर ले कर जाएं, जहां भाषा के जानकार आते हों. उस भाषा में किताबें उपलब्ध हों. इससे बच्चा जल्दी और सहजभाव से भाषा सीखेगा.
विशेषज्ञों के मुताबिक़, जब बच्चा बोलने और पढ़ने लगे तो उसे कोई भी नई भाषा सिखानी शुरू की जा सकती है.
बढ़ता है दायराः ज़्यादा भाषाएं सीखने से बच्चे की दुनिया बढ़ती है. अलग-अलग देशों के रहन-सहन, खानपान और सांस्कृतिक जानकारियों में इज़ाफ़ा होता है.
निखरती है कम्यूनिकेशन स्किल : कई भाषाओं की समझ से कम्यूनिकेशन स्किल में निखार आता है. बच्चे को मनोवैज्ञानिक बढ़त भी मिलती है, जो व्यक्तित्व विकास में मददगार होती है.
तरक़्क़ी की दौड़ में आगे : नौकरी, यात्रा और लोगों से मुलाक़ात के दौरान कई भाषाओं की जानकारी मददगार साबित होती है. इस अतिरिक्त योग्यता की वजह से वह तरक़्क़ी की दौड़ में हमेशा आगे रहता है.
आत्मविश्वास में वृद्धिः कई भाषाओं की जानकारी आत्मविश्वास में वृद्धि करती है, जिसका फ़ायदा जीवन के हर क्षेत्र में मिलता है.
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